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मुस्लिम देशों के बीच पाक के साथ रक्षा समझौते की संभावना, भारत का कड़ा रुख

नई दिल्ली पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए “स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट” को लेकर भारत ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच गहरी और व्यापक रणनीतिक साझेदारी है और भारत अपेक्षा करता है कि इस रिश्ते में दोनों देशों के आपसी हितों और संवेदनशीलताओं का ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा, पाक मंत्री ने दावा किया है कि अन्य मुस्लिम देश भी पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता कर सकते हैं। इस पर भी भारत की प्रतिक्रिया सामने आई है। यह रक्षा समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बुधवार को साइन किया। समझौते में स्पष्ट किया गया है कि “किसी भी देश पर आक्रामक कार्रवाई दोनों देशों पर हमला मानी जाएगी”। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब इजरायल ने हाल ही में कतर में हमास नेताओं पर सैन्य हमले किए हैं और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “भारत और सऊदी अरब की साझेदारी हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुई है। हम उम्मीद करते हैं कि यह साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ेगी।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत को इस बात की जानकारी थी कि पाकिस्तान और सऊदी अरब लंबे समय से इस तरह के समझौते पर विचार कर रहे थे, और अब इसे औपचारिक रूप दिया गया है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि वे इस समझौते के राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, समझौते में और क्या-क्या लिखा है इसको लेकर अभी तक कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया गया है और सामूहिक रक्षा का उल्लेख केवल एक संयुक्त बयान में किया गया है। इसलिए, सामूहिक रक्षा से संबंधित कानूनी बाध्यताओं का आकलन करना आवश्यक होगा। पाकिस्तान-सऊदी संबंध और भारत की स्थिति सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से रक्षा और सुरक्षा संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में, सऊदी अरब ने पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूसरी ओर, भारत और सऊदी अरब के बीच पिछले एक दशक में रणनीतिक सहयोग गहरा हुआ है, जिसमें संयुक्त सेना और नौसेना अभ्यास शामिल हैं। हालांकि, यह समझौता पश्चिम एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच हुआ है। अरब देशों ने हाल के महीनों में इजरायल की आक्रामक कार्रवाइयों, विशेष रूप से ईरान और कतर पर सैन्य हमलों के बाद, अमेरिका की सुरक्षा साझेदार के रूप में विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इस पृष्ठभूमि में, पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता को और जटिल बना सकता है। भारत की सुरक्षा चिंताएं भारत पश्चिम एशिया को अपने “विस्तारित पड़ोस” का हिस्सा मानता है और उसने साफ कहा है कि राष्ट्रीय हितों और व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान-सऊदी समझौते के प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है, खासकर इस संभावना के मद्देनजर कि अगर पाकिस्तान-भारत के बीच तनाव बढ़ा तो इस समझौते का हवाला दिया जा सकता है। अन्य अरब देशों के जुड़ने की संभावना पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा कि इस समझौते में अन्य अरब देशों, जैसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर, के शामिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, "इस समझौते में कोई ऐसी धारा नहीं है जो किसी अन्य देश के प्रवेश को रोके।" आसिफ ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं इस समझौते के तहत उपलब्ध होंगी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, जायसवाल ने कहा कि भारत के यूएई और कतर के साथ व्यापक संबंध हैं। उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के बीच हुई बातचीत और यूएई की विदेश मामलों की राज्य मंत्री रीम अल हाशिमी की नई दिल्ली यात्रा का उल्लेख किया। जायसवाल ने इन संबंधों को "विस्तृत" बताते हुए कहा कि ये वार्ताएं निरंतर जारी हैं। इस बीच, भारत ने सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के साथ अपने मजबूत संबंधों का लाभ उठाने की योजना बनाई है ताकि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखा जा सके। यह समझौता भारत के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत और क्षेत्र में उसकी सक्रिय भूमिका इसे प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाती है।

PAK में पकड़ा गया बड़ा नेटवर्क, ऑपरेशन सिंदूर में मिले 11 भारतीय सिम कार्ड

नई दिल्ली दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े एक जासूसी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. इस कार्रवाई में नेपाल के नागरिक प्रभात कुमार चौरसिया को गिरफ्तार किया गया है. चौरसिया पर आरोप है कि वह भारतीय सिम कार्ड्स नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भेज रहा था, जिन्हें जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ बहावलपुर और लाहौर में व्हाट्सऐप पर एक्टिव किया गया था. सूत्रों के मुताबिक, 28 अगस्त 2025 को टीम को पुख्ता इनपुट मिला कि ISI से जुड़ा व्यक्ति लक्ष्मी नगर में मौजूद है. तुरंत कार्रवाई करते हुए स्पेशल सेल ने उसे दबोच लिया. जांच में सामने आया कि आरोपी ने अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर कुल 16 सिम कार्ड खरीदे थे, जिनमें से 11 पाकिस्तान में एक्टिव पाए गए. इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल पाकिस्तान से बैठे एजेंट्स भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां निकालने के लिए कर रहे थे. बरामदगी के दौरान पुलिस को आरोपी के पास से कई डिजिटल डिवाइस और सिम कार्ड्स के खाली पैकेट मिले हैं. पूछताछ में पता चला कि प्रभात का संपर्क 2024 में ISI एजेंट्स से एक नेपाली माध्यम के जरिए हुआ. उसे अमेरिका का वीजा दिलाने का लालच दिया गया और बदले में कहा गया कि वह भारत से सिम कार्ड्स उपलब्ध कराए और रक्षा से जुड़ी जानकारी जुटाए. पाकिस्तान में इस्तेमाल किए जा रहे थे भारतीय नंबर आरोपी ने लातूर में बने अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर बिहार और महाराष्ट्र से सिम खरीदे और नेपाल के रास्ते इन्हें ISI एजेंट्स तक पहुंचाया. पाकिस्तान में बैठे एजेंट्स इन्हीं भारतीय नंबरों पर व्हाट्सऐप बनाकर भारत के खिलाफ जासूसी गतिविधियां चला रहे थे. आईएसआई के संपर्क में था आरोपी आरोपी प्रभात का जन्म 1982 में नेपाल में हुआ और उसने शुरुआती पढ़ाई नेपाल व बिहार के मोतिहारी से की. बाद में फार्मा सेक्टर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और एरिया मैनेजर की नौकरी की. 2017 में उसने काठमांडू में लॉजिस्टिक्स कंपनी शुरू की, लेकिन घाटे में डूबने के बाद विदेश जाने की चाहत में ISI के संपर्क में आ गया. स्पेशल सेल ने उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61(2)/152 के तहत मामला दर्ज किया है और अब उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है.

PAK पर मिसाइल हमले की तैयारी में थे 15 MiG-29K, इंडियन नेवी का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन किया. वाइस एडमिरल तरुण सोबती, डिप्टी चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (DCNS) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान  एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे.  मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित तीनों सेनाओं के 'रण संवाद-2025' में नौसेना की त्वरित और दृढ़ कार्रवाइयों के बारे में बताया. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 से 10 मई 2025 तक ऑपरेशन सिंदूर चला था. पहलगाम हमले से शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें हिंदू पुरुषों को निशाना बनाकर 26 पर्यटकों की हत्या की गई. 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने जिम्मेदारी ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है.  भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद समर्थन का आरोप लगाया. 7 मई को भारत ने मिसाइल हमले शुरू किए, जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 स्थानों पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. पाकिस्तान ने दावा किया कि हमले नागरिक क्षेत्रों पर हुए, जिसमें 31 मौतें हुईं. भारत ने कहा कि केवल आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट किया गया. यह ऑपरेशन 10 मई को समाप्त हुआ, लेकिन इससे पहले तनाव बढ़ा, जिसमें ड्रोन और मिसाइल हमले हुए. नौसेना का रोल समुद्री ब्लॉकेड और निगरानी में था. वाइस एडमिरल सोबती ने बताया कि नौसेना का द्विवार्षिक थिएटर-लेवल एक्सरसाइज TROPEX पहले से ही पश्चिमी समुद्री तट पर संपत्तियों को तैनात कर चुका था. 96 घंटों के अंदर सभी ऑपरेशनल जहाज समुद्र में तैनात हो गए. हम बंदरगाह लौटे, गोला-बारूद की पूर्ति की (क्योंकि जहाज हमेशा पूरी तरह लोड नहीं होते) और सभी जहाजों व पनडुब्बियों को तैयार करके फिर समुद्र में उतर गए.   आईएनएस विक्रांत का रोल: 15 मिग-29के के साथ ताकत का प्रतीक ऑपरेशन का केंद्र था आईएनएस विक्रांत. भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर. इस पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे, जो डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट्स और पनडुब्बियों वाले टास्क फोर्स का बैकबोन बने. विक्रांत कराची के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जल में तैनात होकर डी फैक्टो ब्लॉकेड स्थापित किया, जिससे पाकिस्तानी नौसेना अपने बंदरगाहों तक सीमित हो गई. वाइस एडमिरल सोबती ने कहा कि हमने विक्रांत पर 15 मिग-29के चढ़ाए और समुद्र में तैयार हो गए. उद्देश्य फॉरवर्ड और डिटरेंट पोस्चर बनाए रखना था, ताकि विरोधी नौसेना हमें, हमारे व्यापार मार्गों, आर्थिक जीवनरेखाओं या तट को धमकी न दे सके. यह रणनीति सफल रही. उन्होंने कहा कि हम सफल रहे, क्योंकि हम पाकिस्तानी नौसेना को तट के पास बांध सके. उनके पास मैन्युवर की आजादी नहीं थी, वे बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सके. हमने वह पोस्चर बनाए रखा. नौसेना की उपस्थिति सैटेलाइट, विमान, UAVs और तटीय रडार से समुद्री डोमेन अवेयरनेस से मजबूत हुई, जिससे पाकिस्तानी यूनिट्स बिना सीधे लड़ाई के निष्क्रिय हो गईं. नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर: बिना बॉर्डर क्रॉस किए लक्ष्य हासिल ऑपरेशन सिंदूर ने नौसेना की 'नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर' क्षमता दिखाई, जिसमें एडवांस्ड इंटेलिजेंस, लॉन्ग-रेंज मिसाइल्स और अनमैनेड सिस्टम्स से रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल किया. सोबती ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से नौसेना के अलावा पूरी सशस्त्र सेनाओं ने कई सबक सीखे. कुछ उपाय लागू हो चुके, बाकी तेजी से हो रहे हैं.      लॉन्ग-रेंज प्रिसिजन स्ट्राइक: दुश्मन क्षेत्र में न घुसते हुए लैंड और सी टारगेट्स को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ानी होगी .     काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स: लो-कॉस्ट UAVs का खतरा बढ़ा है, जैसे रेड सी और एडेन गल्फ में हूती हमलों में. मिलियन डॉलर के महंगे SAMs से लो-कॉस्ट UAVs को नष्ट करना महंगा है. हमें काउंटर-UAV सिस्टम विकसित करने होंगे.     इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मैनेजमेंट: काउंटर-UAV जैमर्स से नौसेना के रडार प्रभावित हो सकते हैं. जहाज पहले से उपकरणों से भरे हैं, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वातावरण घना है.  नए ट्रांसमिटिंग सिस्टम्स जोड़ने से अपनी रडार क्षमता बाधित हो सकती है.  भविष्य के युद्धों के लिए सबक नौसेना की भूमिका समुद्री ब्लॉकेड में थी, जो पाकिस्तानी नौसेना को कराची बंदरगाह तक सीमित रखी. सोबती ने कहा कि नौसेना के कर्मी रैरिंग टू गो थे. एस्केलेशन लैडर कंट्रोल्ड था, क्योंकि मिलिट्री और पॉलिटिकल एम जल्द हासिल हो गया. अगर विरोधी बढ़ाता, तो हम तैयार थे. 

पाकिस्तान को झटका, वेस्टइंडीज ने दूसरा वनडे जीतकर सीरीज में की बराबरी

नईदिल्ली  रोस्टन चेज के हरफनमौला प्रदर्शन और शेरफेन रदरफोर्ड की तेज पारी की बदौलत वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को दूसरे वनडे में पांच विकेट हरा दिया. पहले मैच में मेजबान को 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था. तीन मैचों की सीरीज अब 1-1 से बराबर हो गई है. इस वजह से सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच 12 अगस्त को खेला जाएगा. खास बात ये है कि कैरेबियाई टीम छह साल बाद पाकिस्तान को वनडे में हराने में कामयाब हुआ. वेस्टइंडीज ने छह साल बाद वनडे में पाकिस्तान को हराया कैरेबियाई टीम ने आखिरी बार 2019 विश्व कप में सरफराज अहमद की अगुवाई वाली पाकिस्तानी टीम को सात विकेट से हराया था. इसके बाद, दोनों देशों ने 2022 में तीन मैचों की वनडे सीरीज खेली, जिसमें पाकिस्तान ने विपक्षी टीम पर क्लीन स्वीप किया. अब, सीरीज का पहला मैच हारने के बाद, वेस्टइंडीज ने मेहमान टीम पर आसान जीत के साथ वापसी की. चेज और रदरफोर्ड ने जीत में अहम भूमिका निभाई बारिश से प्रभावित दूसरे मैच में 35 ओवरों में 181 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए रोस्टन चेज ने 47 गेंदों में 49 रनों की पारी खेली. जबकि रदरफोर्ड ने 33 गेंदों में 45 रन बनाकर पारी को गति प्रदान की और वेस्टइंडीज ने पांच गेंद शेष रहते मैच जीत लिया. इससे पहले वेस्टइंडीज के कप्तान शाई होप ने टॉस जीतकर पाकिस्तान को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. सलामी बल्लेबाज साइम अयूब और अब्दुल्ला शफीक ने पावरप्ले में बाउंड्री लगाई, लेकिन बीच में कई डॉट बॉल भी रहीं. पाकिस्तान नियमित अंतराल पर विकेट गंवाता रहा, और इसलिए रन बनाना उनके लिए एक समस्या बन गया. टीम 37 ओवरों में केवल 171/7 रन ही बना पाई. लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उसने पहले चार ओवरों में ही सलामी बल्लेबाज ब्रैंडन किंग (1) और एविन लुईस (7) के विकेट गंवा दिए. हालांकि, शाई होप (32), रदरफोर्ड (45) और चेज (नाबाद 49) ने उपयोगी पारियां खेलकर टीम को जीत दिलाई. चेज को उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला, जिससे टीम पाकिस्तान पर जीत हासिल करने में सफल रही.

पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को हराया, तीन मैचों की सीरीज में बनाई बढ़त

त्रिनिदाद मोहम्मद रिजवान की अगुवाई वाली पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज को पहले वनडे में 5 विकेट से हराकर तीन मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। त्रिनिदाद के ब्रायन लारा स्टेडियम में खेले गए इस मैच में मेजबानों ने पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 281 रनों का टारगेट रखा था, इस स्कोर को मेहानों ने रिजवान और डेब्यूटंट हसन नवाज के अर्धशतकों की मदद से 7 गेंदें शेष रहते ही हासिल कर लिया। अपने पहले ही मैच में कमाल करने वाले हसन नवाज को प्लेयर ऑफ द मैच के अवॉर्ड से नवाजा गया। पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच दूसरा वनडे 10 अगस्त को इसी मैदान पर खेला जाएगा। टॉस हारकर पहले बैटिंग करने उतरी पाकिस्तान की टीम पूरे 50 ओवर भी पाकिस्तान के आगे टिकन हीं पाई। 49 ओवर में पूरी टीम 280 के स्कोर पर ढेर हो गई। एविन लुईस (60), कप्तान शे होप (55) और रोस्टन चेज (53) ने इस दौरान अर्धशतक जड़े, मगर कोई बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल पाया। पाकिस्तान के लिए उनके ऐस पेसर शाहिन शाह अफरीदी ने सर्वाधिक 4 विकेट चटकाए, वहीं उनके जोड़ीदार नसीम शाह को इस दौरान तीन सफलताएं मिली। 281 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए पाकिस्तान के लिए सैम अयूब एकमात्र बल्लेबाज थे जो अच्छी शुरुआत करने में नाकाम रहे। बाकी सभी ने महत्वपूर्ण साझेदारियां करने में अपनी भूमिका निभाई और कभी भी रन रेट का दबाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। बाबर आजम (47) जहां अर्धशतक से चूक गए, वहीं रिजवान (53) अपना अर्धशतक बनाने के बाद लय खो बैठे और 38वें ओवर में आउट हो गए। पाकिस्तान को अंतिम 12 ओवरों में लगभग 100 रन चाहिए थे, और हसन नवाज (अपना पहला मैच खेल रहे) और तलत (2019 के बाद अपना पहला वनडे खेल रहे) की जोड़ी ने खेल को गहराई तक ले जाने और एक ओवर शेष रहते खेल समाप्त करने के लिए काफी परिपक्वता दिखाई। हसन नवाज, विशेष रूप से, अपने शॉट-चयन से बहुत प्रभावशाली थे। उन्होंने शुरुआत में अपना समय लिया और फिर समय पर बाउंड्री लगाकर मांग दर को नियंत्रण में रखा। वेस्टइंडीज के गेंदबाज टुकड़ों में अच्छे थे, लेकिन पूरे समय निरंतरता के लिए संघर्ष करते रहे। हालांकि उन्हें लग सकता है कि वे 20-30 रन कम बना पाए।

पाकिस्तान की पुरानी जिद कायम, बोला– कश्मीर पर बाहरी दखल मंजूर

कराची  पाकिस्तान ने  कहा कि वह कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए अमेरिका या किसी भी अन्य देश की मदद का स्वागत करेगा. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने अपनी साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में यह बात कही. खान से जब कश्मीर मुद्दे में अमेरिका की रुचि के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "हम न केवल अमेरिका से, बल्कि किसी भी ऐसे देश से मदद का स्वागत करते हैं जो स्थिति को स्थिर करने और कश्मीर विवाद को हल करने में मदद कर सके." उन्होंने आगे कहा कि यह विवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों के केंद्र में है. दूसरी ओर, भारत लगातार यह कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं चाहता है. 1972 के शिमला समझौते में भी दोनों देशों के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया गया था. अमेरिका की रुचि का स्वागत- पाकिस्तान मई में दोनों देशों के बीच हुए चार दिवसीय संघर्ष के बाद से पाकिस्तान और भारत के बीच किसी भी संपर्क के सवाल पर खान ने कहा कि ऐसा कोई संपर्क नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि "हम इस मुद्दे के समाधान के लिए दोनों पक्षों के साथ काम करने में अमेरिका की रुचि का स्वागत करते हैं." खान ने कहा कि पाकिस्तान की समग्र राजनयिक स्थिति जगजाहिर है. उन्होंने कहा, "हम कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहते हैं, लेकिन भारत को अपना मन बनाना होगा. फिलहाल, हमारे दोनों पक्षों के बीच नियमित राजनयिक संपर्क के अलावा कोई बातचीत नहीं हुई है." भारत का स्टैंड क्लियर भारत ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा. पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवाद के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से फैल रहे आतंकवाद के मुद्दे को कई बार उठाया है. उन्होंने यह भी खारिज किया कि खनिजों को निकालने के लिए अमेरिका के साथ कोई गुप्त समझौता हुआ है. उन्होंने यूक्रेन संघर्ष में पाकिस्तानी नागरिकों की संलिप्तता के आरोपों को भी "बेबुनियाद" बताया और कहा कि यूक्रेन के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान से औपचारिक रूप से संपर्क नहीं किया है.

आसिम मुनीर का ढोंग- पाकिस्तान का दोगलापन, कारगिल युद्ध में मारे गए जिस जवान का शव लेने से किया था इनकार

लाहौर  पाकिस्तान का दोहरा चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। दरअसल, बात शनिवार की है, जब मुल्क के सेना प्रमुख आसिम मुनीर समेत कई बड़े अधिकारियों ने कैप्टन करनाल शेर खान शहीद को श्रद्धांजलि दी। खबरें हैं कि यह वही कैप्टन खान हैं, जिनका शव पाकिस्तान ने स्वीकार तक करने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कैप्टन खान को करगिल युद्ध के दौरान दिए गए योगदान को याद कर रहे थे। मुनीर समेत बड़े सैन्य अधिकारियों ने 26 वें शहीद दिवस पर कैप्टन खान को याद किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जब द्रास सब सेक्टर में टाइगर हिल में कैप्टन खान का शव मिला था, तो पाकिस्तान ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। खास बात है कि भारतीय दूतावास की एक पुरानी विज्ञप्ति से पता चला है कि पाकिस्तान ने करगिल की हिमाकत में मुल्क के नियमित सैनिकों के शामिल होने से इनकार किया था। इसके तहत ही पाकिस्तान ने भारत की तरफ से जानकारी दिए जाने के बाद भी खान को पहचानने से मना कर दिया था। रिपोर्ट में वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास की तरफ से 15 जुलाई 1999 में जारी की गई विज्ञप्ति के हवाले से यह बात कही गई है। खबर है कि भारत ने 12 जुलाई को पाकिस्तान से संपर्क किया था और कहा था कि वह पाकिस्तान सेना को शव सौंपना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दूतावास ने बयान दिया था, 'यह साफ है कि पाकिस्तान इन शवों की पहचान के बारे में जानता है, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करना चाहता है। क्यों कि इससे उनकी सेना के करगिल में शामिल होने का पर्दाफाश हो जाएगा। ऐसा करने से वो अपने सैनिकों को परिवारों के प्रति और हर जगह सशस्त्र बलों की परंपराओं का अपमान कर रहे हैं।' कब माना पाकिस्तान खबर है कि 13 जुलाई को ICRC यानी इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस ने भारत से संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान ने उनसे भारत से बातचीत करने का अनुरोध किया है, ताकि दो अधिकारियों के शव उन्हें सौंपे जा सकें। तब दूतावास ने बयान जारी किया था, 'पाकिस्तान के पास जानकारी होने के बाद भी उनकी तरफ से किए गए अनुरोध में दो अधिकारियों के नाम और पहचान नहीं बताए गए हैं। इसका कारण स्पष्ट है। पाकिस्तानी अधिकारियों को एहसास हो गया है कि अगर वो इन दो अधिकारियों की पहचान मान लेते हैं, तो उनका झूठ पकड़ा जाएगा कि पाकिस्तानी सेना करगिल में शामिल नहीं थी।' भारतीय सेना के अफसर की इंसानियत को सलाम  पाकिस्तान की सेना ने आज कैप्टन कर्नल शेर खान को उनकी 26वीं शहादत के मौके पर श्रद्धांजलि दी है। कैप्टन कर्नल शेर खान, पाकिस्तानी सेना के वही जवान हैं, जिनकी बहादुरी के कायल भारत के अधिकारी हो गये थे और पाकिस्तानी सेना से उन्हें सम्मानित करने की सिफारिश की थी। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष, वायु सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और पाकिस्तान के सशस्त्र बल कैप्टन कर्नल शेर खान शहीद को उनकी 26वीं शहादत के मौके पर श्रद्धांजलि दी है। भारतीय अधिकारी की सिफारिश पर उन्हें पाकिस्तानी सेना का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-हैदर दिया गया था। पाकिस्तानी सेना के कैप्टन कर्नल शेर खान की वीरता को उस समय सम्मान मिला, जब भारतीय सेना के ब्रिगेडियर एम. पी. एस. बजवा ने खुद एक सिफारिश-पत्र उनके शव के साथ उनके कपड़ों की जेब में रखकर लौटाया था, ताकि पाकिस्तान सरकार को उनकी वीरता का पता चल सके कारगिल युद्ध में हार के बाद पाकिस्तान ने अपने मरे हुए सैनिकों को कारगिल की ही पहाड़ी पर छोड़ दिया था। युद्ध में मारे गये कैप्टन खान को भी शुरू में उनके देश ने छोड़ दिया था। क्योंकि पाकिस्तान शुरू में ये मानने के लिए तैयार नहीं था कि कारगिल में पाकिस्तानी सैनिक लड़ रहे हैं। लेकिन फिर पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान सेना के जवान ही कारगिल में लड़ रहे हैं, तो उसके बाद कर्नल शेर खान को निशान-ए-हैदर दिया गया। ब्रिगेडियर एम.पी.एस. बाजवा, जो उस वक्त 192 माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे, उन्होंने ही कर्नल शेर खान को सम्मानित करने की सिफारिश की थी। कारगिल युद्ध में टाइगर हिल की लड़ाई दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में बात करते हुए ब्रिगेडियर बाजवा ने कहा था कि "उनकी ब्रिगेड को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टाइगर हिल पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने यह जिम्मेदारी 18 ग्रेनेडियर्स को सौंपी, जो पहले टोलोलिंग की लड़ाई में शामिल थी और जिसमें लगभग 60 लोग हताहत हुए थे और 8वीं बटालियन सिख रेजिमेंट, जो पहले से ही टाइगर हिल के आस-पास के मजबूत बेस में थी, वो पहले की झड़पों में लगभग 25 लोग खो चुकी थी।" उन्होंने कहा कि "मैंने 18 ग्रेनेडियर्स को उनकी घातक प्लाटून और दक्षिण-पश्चिम और पूर्व की अन्य कंपनियों के साथ टाइगर हिल टॉप पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा था। मैंने 8 सिख के कमांडिंग ऑफिसर को चेतावनी दी थी कि वे टाइगर हिल टॉप पर किसी भी तरह के जवाबी हमले को रोकने के लिए दक्षिण-पश्चिमी रिज लाइन पर दो अधिकारियों के साथ लगभग 50 कर्मियों को तैनात रखें।" 4 जुलाई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के कैप्टन बलवान सिंह के नेतृत्व में घातक प्लाटून टाइगर हिल टॉप पर कब्जा करने में कामयाब रही, लेकिन लड़ाई उसके बाद भी जारी थी और 18 ग्रेनेडियर्स के अन्य सैनिकों को प्लाटून का समर्थन करने के लिए भेजा गया था। ब्रिगेडियर बाजवा ने कहा कि "इस बीच, दक्षिण-पश्चिमी रिज लाइन से संभावित जवाबी हमले की आशंका के चलते, मैंने 8 सिख रेजिमंट को, जिसमें 52 सैनिक थे, उन्हें कब्जा करने का आदेश दिया।" कर्नल शेर खान के लिए सम्मान की सिफारिश इस दौरान कैप्टन शेर खान, जिनकी पोस्टिंग कारगिल के टाइगर हिल और बटलिक सेक्टर के बीच थी, उन्होंने अपने आखिरी दम तक अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। जब भारतीय सेना ने उनकी चौकी पर कब्जा किया, तो पता चला कि वे आखिरी सांस तक अपने साथियों के साथ मोर्चे पर डटे रहे। इस वीरता ने ब्रिगेडियर बजवा के मन एक दुश्मन सैनिक के लिए सम्मान पैदा कर दिया और उन्होंने अपने 'दुश्मन' की बहादुरी को … Read more