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पीएम मोदी के हर एक्शन ने भेजा संदेश: SCO समिट में हाथ मिलाना और पुतिन से गले मिलना चर्चा में

नई दिल्ली चीन के तियानजन में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंदाज अलग ही दिखा, जिसमे साफ संदेश छिपा था कि कौन भारत का करीबी दोस्त है और कौन नहीं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से गले मिलना, चीनी राष्ट्रपति शि चिनफिंग से हाथ मिलाना, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआम की पीठ थपथपाना और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर देखना तक नहीं, ये सब इशारे अपने आप में काफी कुछ कह गए। 45 मिनट तक कार में साथ थे पीएम मोदी-पुतिन समिट में पीएम मोदी और पुतिन की नजदीकी सबसे अलग दिखी। दोनों नेता एक ही गाड़ी में साथ पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, पुतिन करीब 10 मिनट तक पीएम मोदी का इंतजार करते रहे और फिर दोनों 45 मिनट तक कार में बैठकर बातचीत करते रहे। बाद में उनकी द्विपक्षीय बैठक भी एक घंटे से ज्यादा चली। इसके अलावा, कई मौकों पर पीएम मोदी और पुतिन हंसी-मजाक भी करते नजर आए। इसी दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ किनारे खड़े नजर आए और वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पीएम मोदी और पुतिन गहरी बातचीत में डूबे हुए आगे बढ़ गए, जबकि शरीफ सिर्फ देखते रह गए। पाकिस्तानी पीएम को किया नजरअंदाज समिट में पीएम मोदी का शरीफ को नजरअंदाज करना ही काफी नहीं था, बल्कि अपने संबोधन में उन्होंने आतंकवाद का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सिर्फ भारत की आत्मा पर हमला नहीं था, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए चुनौती है। पीएम मोदी ने SCO देशों से अपील की है कि वे आतंकवाद के खिलाफ डबल स्टैंडर्ड छोड़े और एकजुट होकर काम करें। यह बयान शरीफ की मौजूदगी में दिया गया, जिससे संदेश और भी तीखा हो गया। तुर्किये के राष्ट्रपति की थपथपाई पीठ तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन से भी पीएम मोदी ने गर्मजोशी दिखाई। उन्होंने उनसे हाथ मिलाया और पीठ थपथपाई। यह सीन काफी खास था क्योंकि तुर्किये अक्सर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होता है और भारत के साथ मतभेद रखता है। वहीं, चीन के राष्ट्रपति के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ भी पीएम मोदी की बातचीत हंसी-मजाक भरी रही। अमेरिका की भारी टैरिफ नीति के बीच इन मुलाकातों ने यह संदेश दिया कि भारत बड़े खिलाड़ियों के साथ रिश्ते मजबूत करने में आगे हैं। भारत की बातों को मिली अहमियत समिट के अंत में जारी तियानजन घोषणा में भी भारत की बातों को अहमियत मिली। इसमें 22 अप्रैल को पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई गई।  

पहलगाम का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने SCO में आतंकवाद पर चेताया

शंघाई चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई शिखर सम्मेलन का आज (1 सितंबर, 2025) दूसरा दिन है. इस समिट में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शामिल होने पहुंचे हैं. चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट चल रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चीन के दौरे पर हैं. रविवार को तियानजिन में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. अब आज सोमवार को इस समिट का सबसे अहम सत्र हुआ, जिसमें सभी सदस्य देशों के नेता साझा हितों और चुनौतियों पर चर्चा की. समिट के आखिर में साझा प्रेस नोट पर दुनिया की नजर है, जिसमें यह पता चलेगा कि सभी देशों ने किन मुद्दों पर चर्चा की, किन मुद्दों पर सहमति बनी और आने वाले समय में उनका फोकस क्या होगा.  अलास्का समिट में यूक्रेन शांति का रास्ता- पुतिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'मैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी अलास्का बैठक के विवरण द्विपक्षीय बैठकों के दौरान नेताओं को बताऊंगा. मैं मास्को के इस रुख को दोहराता हूं कि यूक्रेन में संकट किसी 'आक्रमण' के कारण नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों द्वारा समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में बनी सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करती है.' एससीओ समिट की आज अहम बैठक हो रही है। तमाम बड़े देशों ने इसमें हिस्सा लिया है। कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है, राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से कैसे निपटा जाए, इस पर भी मंथन हो रहा है। पीएम मोदी भी आज राष्ट्रपति पुतिन से मिलने जा रहे हैं, वहां भी कई मुद्दों पर चर्चा संभव है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत हो सकती है। माना जा रहा है कि कई मुद्दों पर सहमति बनेगी। पीएम मोदी की रविवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी द्विपक्षीय बैठक हुई थी। कई सालों बाद हुई इस बैठक में भारत-चीन रिश्तों पर खास फोकस किया गया। दोनों ही नेताओं ने आपसी साझेधारी की अहमियत को समझा और भविष्य में सहयोग बढ़ाने की बात कही। अब डिप्लोमेसी के उस चैप्टर के बाद आज दूसरा चैप्टर शुरू होने जा रहा है।  पुतिन ने भारत और चीन का जताया आभार शंघाई सहयोग परिषद (SCO) के मंच से रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं यूक्रेन में संकट को हल करने के लिए चीन और भारत के प्रयासों की सराहना करता हूं.  : हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की- मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज भारत रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है. हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है. मैं आप सभी को भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं."  SCO समय की बदलती जरूरतों के साथ विकसित हो रहा है- मोदी शंघाई सहयोग संगठन के मंच से पीएम मोदी ने कहा कि यह खुशी की बात है कि SCO समय की बदलती जरूरतों के साथ विकसित हो रहा है. संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए चार नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. हम इस सुधारोन्मुखी सोच का स्वागत करते हैं. आतंकवाद पूरी मानवता के लिए साझा चुनौती- पीएम मोदी पीएम मोदी ने कहा, 'सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार हैं, लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद बड़ी चुनौतियां हैं. आतंकवाद केवल किसी किसी देश की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है. कोई देश, कोई समाज, कोई नागरिक इससे खुद को सुरक्षित नहीं समझ सकता. इसलिए, भारत ने आतंकवाद से लड़ाई में एकता पर ज़ोर दिया है. भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके अल-कायदा और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों से लड़ने की पहल की. हमने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई. इसमें मिले समर्थन के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं.'   PM मोदी ने नए अवसरों के बारे में एससीओ नेताओं को बताया पीएम मोदी ने कहा कि अवसर का मतलब सहयोग और सुधार दोनों है. 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ में नई ऊर्जा और विचार लाए गए. स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध धरोहर जैसे नए विषयों को सहयोग में शामिल किया गया. भारत का प्रयास रहा कि एससीओ सिर्फ सरकारों तक सीमित न रहे बल्कि आम लोगों, युवा वैज्ञानिकों, विद्वानों और स्टार्ट-अप्स तक पहुंचे. लोगों के बीच संपर्क को और मजबूत करने के लिए मोदी ने सुझाव दिया कि एससीओ के तहत एक "सभ्यतागत संवाद मंच" बनाया जाए, जहां प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं को वैश्विक मंच पर साझा किया जा सके. PM मोदी ने कनेक्टिविटी बढ़ाने पर दिया जोर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का मानना है कि मजबूत कनेक्टिविटी सिर्फ व्यापार ही नहीं बल्कि विश्वास और विकास के दरवाजे भी खोलती है. इसी सोच के साथ भारत चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसी पहलों पर काम कर रहा है. इनके जरिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया से कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सकता है. भारत का मानना है कि हर कनेक्टिविटी के प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए. यह एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी शामिल है. ऐसी कनेक्टिविटी, जो संप्रभुता को दरकिनार करे, वह विश्वास और महत्व दोनों खो देती है. PM मोदी ने आतंकवाद पर बिना नाम लिए पाकिस्तान को घेरा पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी देश के विकास का आधार सुरक्षा, शांति और स्थिरता है. लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां हैं. आतंकवाद किसी एक देश की सुरक्षा चुनौती नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है. कोई भी देश, कोई भी समाज और कोई भी नागरिक इससे सुरक्षित नहीं रह सकता. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एकता पर जोर दिया है. एससीओ-आरएटीएस (SCO-RATS) ने इस दिशा में अहम योगदान दिया है. इस वर्ष भारत ने "अल-कायदा" और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ संयुक्त सूचना अभियान की अगुवाई की. हमने कट्टरपंथ से निपटने और समन्वय बढ़ाने के लिए संयुक्त कदमों का प्रस्ताव रखा. साथ ही, आतंकवाद … Read more

CM ने PM से मांगी 60 हजार करोड़ की सहायता, भेजा आधिकारिक पत्र

पंजाब  पंजाब में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने राज्य को गहरे संकट में डाल दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से तत्काल 60,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी करने की मांग की। मान ने दावा किया कि यह राशि राज्य के कोष से संबंधित है, जो केंद्र सरकार के पास फंसी हुई है। दशकों की सबसे विनाशकारी बाढ़ पंजाब इस समय दशकों में आई सबसे भयावह बाढ़ आपदाओं में से एक का सामना कर रहा है। भारी बारिश और नदियों के उफान ने कई जिलों में भारी तबाही मचाई है। हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई, सैकड़ों गांव प्रभावित हुए और लाखों लोग बेघर हो गए। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें सड़कें, पुल और बिजली व्यवस्था शामिल हैं।   मुख्यमंत्री का पत्र: केंद्र पर गंभीर आरोप मुख्यमंत्री मान ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के हक की राशि को रोक रखा है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और कमजोर हुई है। उन्होंने इस राशि को तुरंत जारी करने की मांग की ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य तेज किए जा सकें। मान ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र की उदासीनता के कारण राज्य को इस आपदा से निपटने में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राहत कार्यों में तेजी की जरूरत पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू किए हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण कार्य धीमा पड़ रहा है। एनडीआरएफ और सेना की टीमें बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन प्रभावित लोगों की संख्या इतनी अधिक है कि तत्काल बड़े पैमाने पर सहायता की जरूरत है।

सेप्टेंबर में मणिपुर जा सकते हैं पीएम मोदी, पहले दौरे में स्थिति का जायजा

भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा कर सकते हैं। यह मई 2023 से जारी कुकी-मैतेई हिंसा के बाद उनका पहला दौरा होगा। सूत्रों के अनुसार, 13 सितंबर को मिजोरम दौरे के साथ वे मणिपुर भी जा सकते हैं। विपक्ष लंबे समय से हिंसा को नियंत्रित करने में नाकामी और दौरा न करने को लेकर सरकार की आलोचना करता रहा है। मणिपुर में चार घंटे का संभावित दौरा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री 12 या 13 सितंबर को मणिपुर में लगभग चार घंटे बिता सकते हैं। इस दौरान वे मैतेई और कुकी बहुल इलाकों का दौरा करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिजोरम यात्रा तय है, जबकि मणिपुर दौरे पर अभी चर्चा चल रही है। इस यात्रा से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विश्वास बहाली की उम्मीद है।   मिजोरम में रेल नेटवर्क का ऐतिहासिक उद्घाटन प्रधानमंत्री मिजोरम में 51.38 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे। यह रेल लाइन बांग्लादेश-म्यांमार सीमा के करीब है और मिजोरम को आजादी के बाद पहली बार रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। यह लाइन आइजोल को असम के सिलचर और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगी। इसमें 48 सुरंगें और 150 से ज्यादा पुल हैं, जिनमें 104 मीटर ऊंचा एक पुल कुतुबमीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है। मणिपुर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य मणिपुर में हाल के महीनों में स्थिति शांत हुई है। भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच स्कूल और बाजार खुल रहे हैं, और विस्थापित परिवार घर लौट रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है, हालांकि हाल ही में एक पत्रकार पर हमले की घटना सामने आई। मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत और 1,500 से अधिक घायल हुए हैं। राष्ट्रपति शासन लागू हिंसा को नियंत्रित न कर पाने के दबाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 13 फरवरी 2025 से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। प्रधानमंत्री का संभावित दौरा राज्य में शांति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन मीटिंग के लिए चीन गए पीएम मोदी ने मुइज्जू से भी की मुलाकात

तियानजिन  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO) के लिए चीन के तियानजिन में हैं। यहां उनकी रविवार को मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। वहीं, शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से भी मिले। भारत और मालदीव के बीच कुछ महीनों से संबंधों में सुधार आया है। पीएम मोदी ने मुइज्जू से मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की है। इसमें मोदी और मुइज्जू हाथ मिलाते हुए देखे जा रहे हैं। मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा, ''तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू से बातचीत की। मालदीव के साथ भारत का विकासात्मक सहयोग हमारे लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।'' मुइज्जू के मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंधों में दरार आ गई थी। मुइज्जू ने इंडिया आउट का नारा देते हुए चुनाव जीता था और राष्ट्रपति बनने के बाद ही भारतीय सेना को अपने देश से बाहर कर दिया था। इसके बाद वह चीन के नजदीक जाने की कोशिश में लग गया था। मुइज्जू ने शी जिनपिंग से चीन जाकर मुलाकात भी की थी और 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद उनके मंत्रालय के मंत्रियों द्वारा दिए गए भारत विरोधी बयान से दोनों देशों के संबंध खराब हो गए थे। हालांकि, भारतीय पर्यटकों के बॉयकॉट से आर्थिक नुकसान झेलने के बाद मुइज्जू को भारत की अहमियत समझ आने लगी। मोदी के तीसरी बार पीएम बनने के बाद वह भारत से संबंध ठीक करने में लग गया। पहले मुइज्जू पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह में भारत आए और फिर कुछ समय पहले ही पीएम मोदी ने भी मालदीव की यात्रा की। अब दोनों देशों के बीच संबंध फिर से पटरी पर लौट आए हैं।  

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय घेरने पहुंची भाजपा, पीएम मोदी को अपशब्द कहने पर बवाल

नई दिल्ली  बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वोटर अधिकार यात्रा के मंच से अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। इसे लेकर सियासी सरगर्मियां सुर्खियों में है। शनिवार को दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय के बाहर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए तत्काल माफी की मांग की है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करती रही है, लेकिन इस बार हद पार हो गई है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को अपने नेताओं की इस शर्मनाक हरकत के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। यह अपमान न केवल प्रधानमंत्री का, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता का भी है।" भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल अब देश विरोधी रवैये को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "ये लोग अपनी हताशा में अब देश की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।" दिल्ली के भाजपा विधायक रविंदर सिंह नेगी ने इस घटना को बेहद दुखद बताया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल पूरे देश का अपमान है। जब तक कांग्रेस माफी नहीं मांगती, हमारा विरोध जारी रहेगा।" वहीं, विधायक कैलाश गहलोत ने कहा कि लोगों में भारी आक्रोश है, क्योंकि यह भाषा भारतीय संस्कृति और मूल्यों के खिलाफ है। भाजपा विधायक अनिल गोयल ने प्रदर्शन के दौरान कहा, "आज पूरा देश इस अपमान से आहत है। कांग्रेस मुख्यालय के बाहर हमारा यह प्रदर्शन उसी आक्रोश का प्रतीक है।" इसी तरह विधायक सतीश उपाध्याय ने बिहार को मां सीता की धरती बताते हुए कहा, "प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल भारतीय संस्कृति और भगवान राम के सम्मान के खिलाफ है। यह पूरे देश के लिए असहनीय है।" भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने कांग्रेस के आधिकारिक मंच से बोले गए अपशब्दों को शर्मनाक करार दिया। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और तेजस्वी यादव इस मामले में सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। सहरावत ने कहा, "यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं, बल्कि देश की अस्मिता पर हमला है।"  

ऐतिहासिक चीन यात्रा पर PM मोदी, SCO शिखर सम्मेलन में रखेंगे भारत का पक्ष

तियानजिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक यात्रा पर चीन पहुंच चुके हैं। वे 31 अगस्त को चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह यात्रा 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है और इसे भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह दौरा 1 सितंबर तक चलेगा और इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। यात्रा का महत्व है बेहद खास प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन यात्रा पर पहुंचे हैं। 2018 में उन्होंने उनकी आखिरी बार चीन की यात्रा की थी। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन, 2020 के गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के बाद तनाव कम करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की नींव रखी थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे जिनमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात भी होगी। SCO शिखर सम्मेलन का एजेंडा SCO की स्थापना 2001 में हुई थी और इसके 10 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। इस साल का शिखर सम्मेलन तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित हो रहा है, जिसे अब तक का सबसे बड़ा SCO सम्मेलन माना जा रहा है। इसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का मुख्य एजेंडा क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना है। भारत ने विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाने की बात कही है। विदेश मंत्रालय के सचिव तन्मय लाल ने कहा कि SCO का उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद से लड़ना है, और भारत चाहता है कि सभी सदस्य देश इस मुद्दे पर एक साझा बयान जारी करें। अमेरिकी टैरिफ का असर यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल और हथियारों की खरीद के कारण 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर भी निशाना साधा है, जिनमें भारत और चीन दोनों शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में SCO समिट को वैश्विक मंच पर अमेरिकी नीतियों के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन भारत, चीन, और रूस को एकजुट होकर वैश्विक दक्षिण के हितों को बढ़ावा देने का अवसर देगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन पीएम मोदी का इस सम्मेलन में स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि यह समिट दोस्ती, एकता, और सहयोग की मिसाल बनेगा।  

जापानी पीएम के साथ ट्रेन राइड पर निकले PM मोदी, भारतीय ड्राइवरों से बातचीत

टोक्यो  जापान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम शिगेरु इशिबा के साथ बुलेट ट्रेन का भी लुत्फ उठाया। साथ ही उन्होंने बुलेट ट्रेन ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेने वाले भारतीयों से भी मुलाकात की। जापानी प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर करते हुए कहा, प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेंदाई की यात्रा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद ने ALFA-X ट्रेन को भी देखा और जानकारी ली। बता दें कि भारतीय ड्राइवर जेआर ईस्ट के साथ इस समय ट्रेनिंग कर रहे हैं। जेआर ईस्ट जापान की एक रेलवे कंपनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लैटफॉर्म पर ही उनसे मुलाकात की और फोटो भी खिंचवाईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को जापान के मियागी प्रांत के सेंडाई में स्थित एक सेमीकंडक्टर संयंत्र गए। इससे पहले प्रधानमंत्री ने जापान के 16 प्रांतों के गवर्नर से मुलाकात की और भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के तहत ‘राज्य-प्रांत सहयोग’ को मजबूत किए जाने का आह्वान किया। जापान के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘तोक्यो में आज सुबह जापान के 16 प्रांतों के गवर्नर के साथ बातचीत की। राज्य-प्रांत सहयोग भारत-जापान मैत्री का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यही कारण है कि कल 15वें वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन के दौरान इस पर अलग से एक पहल की गई।’ उन्होंने कहा, ‘व्यापार, नवोन्मेष, उद्यमिता आदि क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ‘स्टार्टअप’, प्रौद्योगिकी और एआई जैसे भविष्योन्मुखी क्षेत्र भी लाभकारी हो सकते हैं।’ विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों पर आधारित भारत-जापान संबंध निरंतर मजबूत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि तोक्यो और नयी दिल्ली पर परंपरागत रूप से ध्यान केंद्रित करने से आगे बढ़कर राज्य-प्रांत संबंधों को नए सिरे से बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य-प्रांत साझेदारी पहल व्यापार, प्रौद्योगिकी, पर्यटन, कौशल, सुरक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री ने जापान के विभिन्न प्रांतों के गवर्नर और भारतीय राज्य सरकारों से विनिर्माण, गतिशीलता, अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, नवोन्मेष, ‘स्टार्ट-अप’ और लघु व्यवसायों में सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया। पहलगाम हमले पर क्या बोले पीएम मोदी और जापानी प्रधानमंत्री इशिबा? भारत और जापान ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है. दोनों देशों ने कहा कि हमले के जिम्मेदार आतंकियों, उनके आयोजकों और फाइनेंसर्स को तुरंत न्याय के कटघरे में लाया जाए. यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दिया गया. 'सफल दौरे से मिले शानदार नतीजे', PM मोदी की यात्रा के दौरान भारत-जापान के बीच ये समझौते हुए पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच कई समझौते हुए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक एक्स पोस्ट में इसकी जानकारी दी जिसे प्रधानमंत्री ने रीपोस्ट किया. प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के गवर्नरों से मुलाकात की अपने दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के अलग-अलग प्रीफेक्चरों (राज्य-स्तर की इकाइयों) के गवर्नरों से मुलाकात की. इस बातचीत में 16 गवर्नरों ने हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान के रिश्ते बहुत पुराने सभ्यता से जुड़े हुए हैं और आज भी लगातार मजबूत हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब जरूरत है कि दिल्ली और टोक्यो तक सीमित रिश्तों को आगे बढ़ाकर भारत के राज्यों और जापान के प्रीफेक्चरों के बीच सीधा सहयोग बढ़ाया जाए. इसके लिए 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में 'स्टेट-प्रीफेक्चर पार्टनरशिप' की शुरुआत की गई थी, जो ट्रेड, तकनीक, पर्यटन, सुरक्षा, स्किल और कल्चर जैसे क्षेत्रों में रिश्तों को और मजबूत करेगी. मोदी ने भारतीय राज्यों और जापानी गवर्नरों से कहा कि वे मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन, स्टार्टअप्स, छोटे उद्योग और नए इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में साझेदारी करें. उन्होंने कहा कि जैसे जापान के हर प्रीफेक्चर की अपनी खास ताकत है, वैसे ही भारत के हर राज्य की अपनी अलग क्षमता है. अगर दोनों मिलकर काम करें तो बड़ा फायदा होगा. मोदी ने खासतौर पर युवाओं और कौशल विकास के आदान-प्रदान पर जोर दिया और कहा कि जापानी टेक्नोलॉजी और भारतीय टैलेंट साथ आएंगे तो नए अवसर बनेंगे. गवर्नरों ने भी माना कि अगर राज्यों और प्रीफेक्चरों के बीच सीधे रिश्ते बढ़ते हैं तो भारत-जापान के कारोबारी, शैक्षिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.

संयुक्त अंतरिक्ष मिशन से स्टार्टअप्स के लिए बढ़ेंगे सहयोग के अवसर, पीएम मोदी का बयान

टोक्यो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जैक्सा) के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन दोनों देशों के उद्योगों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोग को नई गति देंगे। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को टोक्यो में कही।  जापान के अखबार द योमिउरी शिम्बुन को दिए साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा कि ये संयुक्त मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के छायायुक्त क्षेत्रों की गहन समझ विकसित करने में भी मदद करेंगे। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी सरकार-से-सरकार साझेदारी इसरो और जैक्सा के बीच सहयोग की ऐसी संस्कृति बना रही है, जिससे दोनों देशों के उद्योग और स्टार्टअप्स भी जुड़ रहे हैं। इससे एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार हो रहा है, जहां प्रयोगशालाओं से लॉन्चपैड तक और शोध से वास्तविक जीवन अनुप्रयोगों तक नवाचार का प्रवाह दोनों ओर से हो रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे खुशी है कि भारत और जापान चंद्रयान श्रृंखला के अगले मिशन यानी लूपेक्स (लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन) के लिए हाथ मिला रहे हैं। यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थायी छाया वाले क्षेत्रों की हमारी समझ को और गहरा करेगा।” चंद्रयान-5 चंद्रयान श्रृंखला का पांचवां मिशन है, जिसे लूपेक्स भी कहा जाता है। इसरो और जैक्सा का यह संयुक्त मिशन वर्ष 2027-28 में जापान के एच3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में जैक्सा का रोवर और इसरो का लैंडर शामिल होगा, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में जल-बर्फ की खोज और विश्लेषण करेगा। पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि दोनों देशों की वैज्ञानिक टीमें मिलकर अंतरिक्ष विज्ञान की नई सीमाओं को छुएंगी। उन्होंने कहा, “हमारी साझेदारी न केवल अंतरिक्ष में क्षितिज का विस्तार करेगी, बल्कि धरती पर जीवन को भी बेहतर बनाएगी।” भारत की अंतरिक्ष यात्रा को प्रधानमंत्री ने “हमारे वैज्ञानिकों के संकल्प, मेहनत और नवाचार की कहानी” बताया और कहा कि अंतरिक्ष भारत के लिए अगला आयाम है। उन्होंने कहा, “चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता से लेकर हमारी अंतरग्रहीय मिशनों में प्रगति तक, भारत ने लगातार साबित किया है कि अंतरिक्ष अंतिम सीमा नहीं, बल्कि अगली सीमा है।” पीएम मोदी ने यह भी बताया कि कैसे अंतरिक्ष विज्ञान का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन में कृषि से लेकर आपदा प्रबंधन, संचार और अन्य क्षेत्रों में दिखता है। प्रधानमंत्री मोदी 29-30 अगस्त तक जापान की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। यह यात्रा जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के आमंत्रण पर हो रही है। यह उनका जापान का आठवां दौरा है। इससे पहले वे मई 2023 में जापान आए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के टोक्यो से भारत में बड़े पैमाने पर बुलेट ट्रेन के विस्तार का किया ऐलान

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के टोक्यो से भारत में बड़े पैमाने पर बुलेट ट्रेन के विस्तार का ऐलान किया है। उन्होंने ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल भारत और जापान के बीच एक प्रमुख परियोजना है और हमारा लक्ष्य कुछ वर्षों में यात्री सेवाएं शुरू करना है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना तो चल ही रही है। हमने एक बड़ी महत्वकांक्षा का अनावरण किया है। हमारे देश में हाई-स्पीड रेल का 7 हजार किलोमीटर लंबा नेटवर्क बनाना। मेक इन इंडिया के तहत बनेगा हाई-स्पीड रेल नेटवर्क जापान की अपनी यात्रा के दौरान योमिउरी शिम्बुन को दिए गए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि इसका अधिकांश हिस्सा मेक इन इंडिया के माध्यम से होगा, ताकि यह कार्यक्रम टिकाऊ और व्यवहार्य हो। उन्होंने कहा, "मैं इस प्रयास में जापानी कंपनियों की सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता हूं।"   हाई-स्पीड रेल नेटवर्क इन क्षेत्रों पर भी नजर प्रधानमंत्री ने कहा, "मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना भारत और जापान के बीच एक प्रमुख परियोजना है। हमारा लक्ष्य कुछ वर्षों में यात्री सेवाएं शुरू करना है।" पीएम मोदी ने कहा कि भारत-जापान सहयोग को हाई-स्पीड रेल से आगे बढ़ाकर गतिशीलता के अन्य क्षेत्रों को भी कवर करने की क्षमता है, जिसमें बंदरगाह, विमानन, जहाज निर्माण, सड़क परिवहन, रेलवे और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जहां भारत ने महत्वाकांक्षी पहल शुरू की है।