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राज्यसभा उपचुनाव में नया ड्रामा: पंजाब और चंडीगढ़ पुलिस में कस्टडी को लेकर झड़प

 चंडीगढ़ चंडीगढ़ पुलिस और पंजाब पुलिस के जवानों के बीच आज झगड़ा हो गया. यह घटना मंगलवार को दिन दहाड़े सुखना झील के पास हुई, जिसके चलते वहां भारी हंगामा हुआ. पंजाब पुलिस एक उपचुनव एप्लिकेंट नवनीत चतुर्वेदी, को हिरासत में लेना चाहती थी, जिसने राज्यसभा उपचुनाव के लिए नामांकन भरा है. चतुर्वेदी राजस्थान का निवासी है और उस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों के हस्ताक्षर जाली करने का आरोप है. यह झगड़ा तब हुआ जब चंडीगढ़ पुलिस चतुर्वेदी को सुरक्षा कवर में ले जा रही थी. झगड़े का कारण नवनीत चतुर्वेदी की हिरासत थी. चतुर्वेदी ने अपने नामांकन में पंजाब से AAP के दस विधायकों को अपने प्रस्तावक (Proposer) के तौर पर बताया है.  AAP ने आरोप लगाया कि चतुर्वेदी ने विधायकों के जाली हस्ताक्षर किए हैं. इसी आरोप के चलते पंजाब पुलिस चतुर्वेदी को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी. चतुर्वेदी उस समय चंडीगढ़ पुलिस की सुरक्षा में था. सुखना झील के पास क्या हुआ? सुखना झील के पास जब चंडीगढ़ पुलिस की सुरक्षा में नवनीत चतुर्वेदी जा रहा था, तो पंजाब पुलिस के जवानों ने उसे जबरदस्ती हिरासत में लेने की कोशिश की. चंडीगढ़ पुलिस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते दोनों पुलिस जवानों में खींचतान हुई और भारी हंगामा हुआ. चंडीगढ़ पुलिस ने चतुर्वेदी को पंजाब पुलिस के हवाले नहीं किया. नामांकन स्क्रूटनी के बाद इंटरसेप्ट यह घटना आज यानी 15 अक्टूबर सुबह तब हुई, जब नवनीत चतुर्वेदी अपने नामांकन की स्क्रूटनी के बाद चंडीगढ़ पुलिस की सुरक्षा में जा रहा था. पंजाब पुलिस ने कथित तौर पर चंडीगढ़ पुलिस के वाहन को इंटरसेप्ट किया. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ SSP कंवरदीप कौर को मौके पर आकर मामले को शांत करना पड़ा. क्या है विवाद की वजह? इस पूरे विवाद की जड़ पंजाब में होने वाला राज्यसभा उपचुनाव है. राजस्थान के निवासी नवनीत चतुर्वेदी ने इस उपचुनाव के लिए नामांकन भरा है. हस्ताक्षर जाली करने के आरोप में पंजाब पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, खतरे की शिकायत पर उसे चंडीगढ़ पुलिस ने सुरक्षा कवर दिया था.

पंजाब में बाढ़ राहत पर दोबारा मंथन, चीफ सेक्रेटरी की मीटिंग जारी; केंद्र से मांगे 1600 करोड़

चंडीगढ़  पंजाब में बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है, इसके लिए अब सरकार नए सिरे से स्टडी कर मेमोरेंडम तैयार कर रही है। इसको लेकर पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के.ए.पी. सिन्हा आज (8 अक्टूबर) के.आई.पी. सिंह और विभिन्न विभागों के अधिकारियों से मीटिंग कर रहे हैं।  जल्दी ही इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। सिंचाई मंत्री वरिंदर कुमार गोयल का कहना है कि प्रधानमंत्री खुद हेलिकॉप्टर से स्थिति का जायजा ले चुके हैं। उनका कहना है कि 1,600 करोड़ की बात बीच में रह गई है। पहले टोकन मनी तो भेज दें। पंजाब को इस समय मदद की जरूरत है। 1987 के बाद आई भीषण बाढ़ पंजाब में 1987 के बाद पहली बार भीषण बाढ़ आई है। इस वजह से राज्य के 23 जिलों में नुकसान हुआ है। सरकार का अनुमान है कि 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। स्कूल, कॉलेजों से लेकर लोगों के घर तक बह गए हैं। 60 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ प्रभावितों के लिए पंजाब सरकार ने दिवाली तक मुआवजा देने का ऐलान तक किया है। वहीं, राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा खुद प्रधानमंत्री ले चुके हैं। उन्होंने 10 सितंबर को पंजाब का दौरा किया था। वह बाढ़ प्रभावितों से मिले थे। इस दौरान उन्होंने फौरी मदद के रूप में 1,600 करोड़ रुपए का ऐलान किया था, जबकि कहा था कि एसडीआरएफ के 13,000 करोड़ रुपए पंजाब के पास हैं। जिसको लेकर पंजाब की राजनीति गरमा गई है। केंद्र सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है। ​​​​दिल्ली में गृहमंत्री से मिले थे पंजाब के सीएम भगवंत मान ने 30 सितंबर को गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी। करीब 25 मिनट की मीटिंग चली थी। इस दौरान उन्होंने पंजाब में हुए नुकसान के बारे में बताया था। साथ ही पंजाब की मदद करने के लिए कहा था। सीएम ने मीडिया से कहा था कि गृहमंत्री ने विश्वास दिलाया है कि पंजाब को हर संभव मदद दी जाएगी।

विधानसभा चुनाव 2027 से पहले पंजाब में राजनीतिक हलचल, गुप्ता सहित कई बड़े चेहरे मैदान में

चंडीगढ़  आम आदमी पार्टी (आप) ने उद्योगपति राजिंदर गुप्ता को राज्यसभा की टिकट देकर एक बार फिर से उद्योगपतियों को साधने का प्रयास किया है। वर्ष 2027 विधानसभा चुनाव में उद्योग वर्ग अहम भूमिका निभाने वाला है। प्रदेश में इससे जुड़ा अच्छा खासा वोट बैंक भी है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इससे पहले दो उद्योगपतियों और एक बिजनेसमैन की राज्यसभा में पार्टी एंट्री करवा चुकी है।  संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद फिर से उद्योग वर्ग से उद्योगपति विक्रमजीत सिंह साहनी के रूप में सिर्फ एक सांसद रह गया था। इसके अलावा एक बिजनेसमैन अशोक कुमार मित्तल भी आप से राज्यसभा में सांसद है। उद्योगपतियों के अहम रोल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आप सरकार ने पंजाब व हरियाणा के बॉर्डर पर लगे किसानों का मोर्चा भी हटा दिया था, जिस कारण उद्योगपतियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा था। उद्योगपतियों के साथ बैठक के बाद ही यह कार्रवाई सामने आई थी। राजिंद्र गुप्ता ने छोटी उम्र से ही हाथ से मेहनत की और फिर ट्राइडेंट समूह खड़ा किया, जिसके वह चेयरमैन बने। उन्होंने टेक्सटाइल, पेपर व केमिकल उद्योग का संचालन किया। गुप्ता अकाली दल और कांग्रेस की सरकारों में अहम पदों पर रहे हैं। वह दोनों सरकारों के दौरान योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन रहे हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था। पंजाब में राज्यसभा की 7 सीटें हैं। इनमें से एक पद रिक्त हैं। साहनी और मित्तल के अलावा पर्यावरणविद बलबीर सिंह सीचेवाल, आप नेता राघव चड्डा, आप नेता संदीप कुमार पाठक, क्रिकेटर हरभजन सिंह भी इसमें हैं।

पंजाब की गरीबी दर में सुधार, शहरों में 17.6% से घटकर 2.6%, हरियाणा की स्थिति क्या है?

चंडीगढ़  पंजाब में पिछले एक दशक के दौरान गरीबों की संख्या घटी है। अब शहरों में सिर्फ 2.6 फीसदी लोग ही गरीब हैं। इसी तरह गांवों में भी सुधार हुआ है।ग्रामीण इलाके में वर्ष 2011-12 में 7.4 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे थे लेकिन वर्ष 2022-23 में सिर्फ 0.6 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की रिपोर्ट में यह सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 के दौरान शहरों में 17.6 फीसदी लोग गरीबी के रेखा के नीचे थे लेकिन वर्ष 2022-23 में गरीबी में रिकॉर्ड स्तर की गिरावट दर्ज की गई है। सिर्फ 2.6 फीसदी ही लोग ही गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं। पंजाब में अब असमानता दूर हो रही है और साथ ही लोगों की प्रति व्यक्ति मासिक खपत भी बढ़ रही है जिसका सीधा असर सुधार के रूप में मिल रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें समावेशी विकास और गरीबों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने वाले नीतियां बनाकर भी गरीबी उन्मूलन के लिए काम कर रही हैं जिसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। अब गरीबी के पैमाने में भी आया बदलाव रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में गरीबी के पैमाने में भी बदलाव आया है। वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी रेखा 1127 और शहरी गरीबी रेखा 1479 रुपये प्रति व्यक्ति हर माह थी। वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर ग्रामीण इलाकों में 2048 और शहरी क्षेत्रों में 2622 रुपये हो गई है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोई व्यक्ति 2048 रुपये से कम प्रति माह खर्च करता है, तभी उसे गरीब माना जाएगा। इससे साफ है कि गरीबी का पैमाना बदलने के बावजूद गरीबों की संख्या में कमी हो रही है। मुफ्त राशन, रोजगार गारंटी व अन्य सरकारी योजनाओं ने गरीब लोगों की स्थिति में सुधार में अहम भूमिका निभाई है। पड़ोसी राज्य में भी पहले से सुधार पड़ोसी राज्यों में भी पहले से सुधार हो रहा है। हरियाणा में वर्ष 2011-12 के दौरान गांवों में 11 फीसदी, जबकि वर्ष 2022-23 में सिर्फ 4.1 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं। इसी तरह शहरों में वर्ष 2011-12 के दौरान 15.3 फीसदी जबकि अब सिर्फ 4.3 प्रतिशत लोग ही गरीबी रेखा नीचे रह गए हैं। डीएवी कॉलेज अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बिमल अंजुम ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दर लगभग समाप्त हो गई है। शहरी क्षेत्रों में भी गरीबी दर बहुत कम है। इसका श्रेय कृषि उत्पादन, उद्योग और सरकारी योजनाओं को जाता है। गरीबी कम होने के बावजूद प्रदेश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें बेरोजगारी, नशा, किसानों की आय बढ़ाना और आर्थिक असमानता शामिल हैं। मुफ्त राशन योजना से भी बाहर, घर में गाड़ी व एसी है तो नहीं मिलेगा राशन इसी का नतीजा है कि प्रदेश में अधिकतर लोग मुफ्त राशन योजना से भी बाहर हो रहे हैं। हाल ही में सरकार ने इसे लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके तहत प्रदेश में जिस किसी भी घर में गाड़ी, एयर कंडीशनर (एसी) या फिर परिवार के किसी भी सदस्य के पास 2.5 एकड़ भूमि है तो उन्हें मुफ्त राशन का लाभ नहीं मिलेगा। पंजाब में फिलहाल 1.52 करोड़ लाभार्थी हैं जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त गेहूं मिलता है। इनमें से अब 10.28 लाख लाभार्थियों को मुफ्त राशन से हाथ धोना पड़ सकता है।