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ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ ट्रेलर था! अब भारत की असली ताकत का संकेत, राजनाथ सिंह बोले

नई दिल्ली  केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को लेकर शनिवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य ताकत अब उस मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां विजय एक आदत बन गई है। राजनाथ ने लखनऊ में सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि विजय अब हमारे लिए छोटी घटना नहीं है। विजय हमारी आदत बन चुकी है।' भारतीय सशस्त्र बलों की सटीकता और तत्परता की प्रशंसा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के विरोधी अब देश की मिसाइल क्षमताओं से बच नहीं सकते। राजनाथ सिंह ने कहा, 'देश को भरोसा है कि हमारे विरोधी अब ब्रह्मोस से बच नहीं पाएंगे। पाकिस्तान का हर इंच अब हमारी ब्रह्मोस मिसाइल की पहुंच में है।' उन्होंने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की घटनाएं भारत की क्षमताओं का केवल एक छोटा सा नमूना हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में जो हुआ, वह सिर्फ एक ट्रेलर था। उन्होंने कहा, 'ट्रेलर ने ही पाकिस्तान को अहसास करा दिया कि अगर भारत ने पाकिस्तान को जन्म दिया तो मुझे यह बताने की जरूरत नहीं कि वह और क्या कर सकता है।' ब्रह्मोस मिसाइलों की खेप को दिखाई हरी झंडी रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के ब्रह्मोस एयरोस्पेस केंद्र में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ब्रह्मोस एयरोस्पेस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम का निर्माता है। राजनाथ सिंह ने बताया कि ब्रह्मोस टीम ने केवल एक महीने में दो देशों के साथ लगभग 4,000 करोड़ रुपये के करार किए हैं। उन्होंने कहा, 'आने वाले वर्षों में हम अन्य देशों के विशेषज्ञों को लखनऊ में आते देखेंगे, जिससे यह शहर ज्ञान का केंद्र और रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनेगा। अगले वित्तीय वर्ष से ब्रह्मोस की लखनऊ यूनिट का टर्नओवर लगभग 3,000 करोड़ रुपये होगा और जीएसटी संग्रह 5,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगा।'  

लखनऊ में आयोजित कार्यक्रमों में रक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्त कंठ से की प्रशंसा

विगत 8 वर्षों में किए गए कार्यों से यूपी ने दिखाया कि वो देश का ग्रोथ इंजन बनने की ओर अग्रसर हैः रक्षा मंत्री प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर सुधार और निवेशकों का विश्वास लौटाने के लिए सीएम योगी की थपथपाई पीठ लखनऊ,  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में शनिवार को ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रथम बैच के फ्लैग ऑफ और पीटीसी इंडस्ट्रीज के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। अपने वक्तव्य में राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व और विकासशील नीतियों की खुलकर सराहना की, जिससे प्रदेश की पहचान निवेश, सुरक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। उन्होंने खासकर प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर में हुए बड़े सुधार को रेखांकित करते हुए इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी उपलब्धि करार दिया। योगी के नेतृत्व में यूपी में फिर लौटा विश्वास ब्रह्मोस मिसाइलों के फ्लैग ऑफ समारोह में राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने इस परियोजना के लिए हर संभव सहयोग और समर्थन दिया। उन्होंने लखनऊ में हुए परिवर्तन और निवेशकों का भरोसा लौटाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि कभी उत्तर प्रदेश की पहचान गुंडाराज और बिगड़े हुए लॉ एंड ऑर्डर से की जाती थी। लोग डर के माहौल में रहते थे और निवेशक यहां आने से कतराते थे। पर आज, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में यह स्थिति बदल चुकी है। उनके दृढ़ नेतृत्व और नीतिगत निर्णयों ने प्रदेश में विश्वास लौटाया है। राजनाथ सिंह ने ब्रह्मोस फैसिलिटी की स्थापना में मुख्यमंत्री के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह ब्रह्मोस केवल हमारी सशस्त्र सेनाओं की शक्ति का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह बताता है कि आज का उत्तर प्रदेश किसी भी चुनौती को संभालने के लिए तैयार है। इस फैसिलिटी की स्थापना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग की जितनी सराहना की जाए कम है। अब उत्तर प्रदेश पहले जैसा नहीं रहा पीटीसी इंडस्ट्रीज के भ्रमण कार्यक्रम और टाइटेनियम और सुपर एलॉय प्लांट के शुभारंभ के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि लगभग 8-10 साल पहले, यह सोचना भी कठिन था कि उत्तर प्रदेश इस तरह के इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का नेतृत्व करेगा। इसके लिए सारी सुविधाएं और माहौल बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी जी ने जो प्रयास किए हैं, उसके लिए उनकी भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की पहल और इंडस्ट्री-फ्रेंडली पॉलिसी ने प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर मजबूत किया और निवेशकों का भरोसा लौटाया। आज आप किसी से भी पूछिए कि सबसे बेहतर लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था किस स्टेट की है तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश का नाम आएगा। सब मानते हैं कि उत्तर प्रदेश पहले जैसा नहीं रहा है और इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। सीएम योगी में विकास की एक नई सोच रक्षा मंत्री ने विकास की नई सोच और निवेशकों को आकर्षित करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के योगदान को भी हाईलाइट किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अंदर विकास की एक नई सोच भी है और विकास करने की जो तड़पन और अकुलाहट चाहिए वो भी उनके अंदर देखने को मिलती है। देश और विदेश से इन्वेस्टर्स यहां आकर फैक्ट्री, आईटी हब्स और रिसर्च सेंटर खोल रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गोरखपुर, बनारस हर शहर में आज विकास की एक नई कहानी लिखी जा रही है। राजनाथ सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और प्रदेश में निवेश का माहौल मुख्यमंत्री योगी जी के नेतृत्व का परिणाम है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले जब उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुई थी तब किस उत्साह के साथ इन्वेस्टर्स ने हिस्सा लिया था उससे साफ था कि उत्तर प्रदेश अब देश का ग्रोथ इंजन बनने जा रहा है। इसी माहौल का असर है कि पीटीसी इंडस्ट्रीज ने लखनऊ को अपने प्रोजेक्ट के लिए चुना।

विस्तारित होगा बिलासपुर एयरपोर्ट: CM साय और केंद्रीय मंत्री ने राजनाथ सिंह से की चर्चा

बिलासपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट, चकरभाठा (बिलासपुर) के विस्तारीकरण से संबंधित विषयों पर विस्तृत चर्चा की. इस महत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री और बिलासपुर के सांसद तोखन साहू भी शामिल रहे. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री साय और केंद्रीय राज्य मंत्री साहू ने रक्षा मंत्रालय के अधीन लगभग 100 एकड़ भूमि राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया, जिससे बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की दिशा में निर्णायक प्रगति हो सके. दोनों नेताओं ने बताया कि भूमि उपलब्ध होने पर एयरपोर्ट के विस्तार कार्य को प्राथमिकता के साथ प्रारंभ किया जाएगा, जिससे बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में हवाई संपर्क, व्यापारिक गतिविधियों और औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी. यह क्षेत्र राज्य के मध्य भाग में स्थित होने के कारण भौगोलिक रूप से रणनीतिक महत्व रखता है. इस कारण से बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट का विकास न केवल यात्रियों की सुविधा, बल्कि प्रदेश की आर्थिक प्रगति और निवेश आकर्षण के लिए भी आवश्यक माना जा रहा है. बैठक में एयरपोर्ट परिसर के समीप ‘इंडस्ट्रियल पार्क’ विकसित करने की संभावनाओं पर भी सकारात्मक विमर्श हुआ, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन और उद्योगों के लिए बेहतर लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके.

PoK के भारत में शामिल होने का ऐतिहासिक मौका, ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत पर राजनाथ की चेतावनी

नई दिल्ली भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर का दूसरा या तीसरा चरण कभी भी शुरू हो सकता है। यदि पाकिस्तान ने आतंकी हमले कराने या फिर घुसपैठिये भेजने की हिमाकत की तो भारत दोबारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने से हिचकेगा नहीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मोरक्को में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK को लेकर भी बड़ी बात कही। राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर एक दिन भारत का हिस्सा बनेगा और इसके लिए जंग की भी जरूरत नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि पाकिस्तानी आतंकियों ने फिर कोई हमला किया तो हम ऑपरेशन सिंदूर तत्काल शुरू करेंगे। राजनाथ सिंह ने यह बताने से इनकार कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर में कितने पाकिस्तानी आतंकी ढेर किए गए थे। उन्होंने कहा कि यदि हमने आंकड़ा बताया तो लोग खुशी से नाचने लगेंगे। उन्होंने कहा कि एक दिन पीओके भारत का हिस्सा होगा और उसके लिए जंग की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी तैयारी का स्तर यह है कि पहलगाम आतंकी हमले के अगले ही दिन एक मीटिंग बुलाई गई थी। इस मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा सचिव, तीनों सेनाओं के प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मौजूद थे। इस दौरान मैंने पूछा कि क्या अभी जंग छिड़ जाए तो हम उसके लिए तैयार हैं। इस पर सभी सेना प्रमुखों ने कहा कि हम एकदम तैयार हैं। किसी भी वक्त जंग शुरू की जा सकती है। डिफेंस मिनिस्टर ने कहा कि इसके बाद मैं अगले दिन पीएम नरेंद्र मोदी से मिला। उन्होंने मीटिंग के दौरान तीन सेनाओं को अधिकृत किया कि वे जैसा चाहें ऐक्शन ले सकते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके बाद क्या हुआ, यह हम जानते ही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इसके अलावा जैश-ए-मोहम्मद के ही एक आतंकी सरगना ने माना कि इन हमलों में मसूद अजहर का परिवार ही मारा गया। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर यह है कि वे धर्म देखकर हमले करते हैं, लेकिन हमारी तरफ से ऐसा नहीं किया जाता। हम आतंकियों को टारगेट करते हैं।

ट्रंप टैरिफ पर बोले राजनाथ सिंह- रिश्तों में स्थायित्व नहीं, हालात तय करते हैं रुख

नई दिल्ली  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि डिफेंस सेक्टर में भारत के लिए आत्मनिर्भर होना बेहद आवश्यक है और इसके लिए देश किसी विदेशी आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं है। उन्होंने कहा, 'कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता, केवल हित स्थायी होते हैं। वैश्विक स्तर पर अभी व्यापार के लिए युद्ध जैसी स्थिति है।' उन्होंने कहा कि विकसित देश तेजी से संरक्षणवादी हो रहे हैं, लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार हवाई सुरक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र के तहत अगले 10 वर्षों में देशभर के सभी अहम स्थलों को पूरी तरह हवाई सुरक्षा मुहैया कराने की योजना बना रही है। एनडीटीवी डिफेंस समिट में अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली तैयार की जा रही है, जो दुश्मन के किसी भी हमले से बचाव करने और उसका जवाब देने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा, 'जैसा कि हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा आज की लड़ाइयों में हवाई सुरक्षा की अहमियत बहुत बढ़ गई है। ऐसे में सुदर्शन चक्र मिशन एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित होगा।' एयर डिफेंस प्रोजेक्ट की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इस एयर डिफेंस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। यह ऐलान पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की ओर से भविष्य में दोनों देशों के बीच किसी भी सैन्य टकराव की स्थिति में सीमा पर भारतीय संपत्तियों को निशाना बनाने के संकेतों के कुछ दिन बाद हुई थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि बदलते वैश्विक हालात ने यह साफ कर दिया है कि अब रक्षा क्षेत्र में बाहरी देशों पर निर्भर रहना कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, 'आज की स्थिति में आत्मनिर्भरता हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।' आर्थिक ढांचे की सुरक्षा पर भी बयान रक्षा मंत्री ने कहा, 'आज रक्षा क्षेत्र केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव नहीं है, बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और उसके भविष्य को सुरक्षित करने का एक प्रमुख आधार भी बन गया है।' उन्होंने कहा कि यह केवल लोगों की सुरक्षा, जमीन की हिफाजत या सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे आर्थिक ढांचे की सुरक्षा और स्थिरता की जिम्मेदारी भी निभा रहा है। रक्षा मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण को संरक्षणवाद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का संबंध संरक्षणवाद से नहीं है, बल्कि यह हमारी संप्रभुता, राष्ट्रीय स्वायत्तता और आत्मविश्वास का मुद्दा है।'  

महू आर्मी वार कॉलेज में बोले राजनाथ सिंह – जल, थल, वायु सेना का हर जवान सीखेगा ड्रोन तकनीक

इंदौर आत्मनिर्भर भारत ने स्वदेशी प्लेटफार्म पर तेजस, एडवांस आर्टलरी गन सिस्टम, आकाश मिसाइल तैयार किए हैं। यह दूसरे देशों को संदेश है कि भारत में भी विश्वस्तरीय हथियार तैयार हो रहे है। अब हम पांचवी पीढ़ी का फाइटर एयरक्राफ्ट बना रहे हैं और हमारे कदम जेट इंजन के निर्माण की ओर भी बढ़ रहे है। वर्ष 2024 तक हमारा रक्षा उत्पादन 46 हजार 425 करोड़ था। अब यह बढ़कर 1.5 लाख करोड़ करोड़ हो गया है। इसमें 33 हजार करोड़ प्रायवेट सेक्टर का योगदान है। एयर डिफेंस वेपन सिस्टम सुदर्शन चक्र देश के महत्वपूर्ण स्थानों के सुरक्षा कवच के रूप में तैयार होगा। भारतीय वायुसेना भी लंबी दूरी की मिसाइलों से लेकर नेक्स्ट जेनरेशन बियॉन्ड विजुअल रेंज के हथियारों को शामिल करके खुद को लगातार मजबूत कर रही है। ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए काउंटर यूएएस ग्रिड को और मजबूत किया जा रहा है। इसके अलावा, चाहे खरीद हो या नीतिगत बदलाव, हम अपनी सेनाओं को मजबूत करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। ये बातें ये बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महू के आर्मी वार कालेज में आयोजित ‘रण संवाद‘ के दूसरे दिन कही। उन्होंने बताया आगामी युद्ध में हाइपरसाेनिक मिसाइल, एआई, साइबर अटैक का अहम रोल होगा। 2027 तक भारत की जल, थल व वायु सेना के हर जवान को ड्रोन तकनीक का अनुभव होगा। विश्व अभी कोल्ड वार के युग है और अभी प्राक्सी वार भी चल रहे है। इस वजह से भारती सैन्य इकायों को तकनीक रुप से मजबूत किया जाएगा। हमें कोई चुनौती देगा तो उसका द्ढता से जवाब देंगे महाभारत के दौरान भी रण संवाद हुआ था। कृष्ण ने युद्ध से पहले शांति का संदेश दिया था लेकिन दुर्योधन ने मना किया। जब महाभारत खत्म हुआ तो युधिष्ठिर और भीष्म के बीच संवाद हुआ था। युद्ध के पूर्व व बाद में इस तरह के संवाद हमेशा होते आए है। शांति के समय युद्ध की तैयारी होती है और युद्ध के माध्यम से शांति पाने का प्रयास किया जाता है। आज के वैश्विक परिवेश में, अक्सर संवाद का टूटना ही शत्रुता और संघर्ष का मूल कारण बनता है। दूसरी ओर, युद्ध के समय भी, संवाद के माध्यमों को बनाए रखना आवश्यक है। महू में हो रहा रण संवाद केवल एक अकादमिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह हमारे सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण को और परिष्कृत करेगा। साइबर, ड्रोन व उपग्रह आधारित होंगे भविष्य के युद्ध राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध की कोई निश्चित प्रणाली या कठोर सिद्धांत नहीं है, जिस पर हम आँख बंद करके भरोसा कर सकें। केवल सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडार का आकार अब पर्याप्त नहीं है। साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानव रहित हवाई वाहन और उपग्रह-आधारित निगरानी भविष्य के युद्धों को आकार दे रहे हैं। सटीक-निर्देशित हथियार, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित जानकारी अब किसी भी संघर्ष में सफलता की आधारशिला बन गई है। भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होंगे, वो तकनीक, खुफिया, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का मिला-जुला रूप होंगे।" परिस्थितियाँ और चुनौतियां तेजी से बदल रही है। दूसरों के पास इसका जवाब देने और अपनी पसंद के विपरीत शर्तों पर अखाड़े में कदम रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।  

हमें किसी की जमीन नहीं चाहिए, लेकिन अपनी रक्षा करेंगे: राजनाथ सिंह

महू  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- हमें किसी की जमीन नहीं चाहिए लेकिन अपनी जमीन की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। जब हम आगे की ओर देखते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि भारत के सामने चुनौतियां बड़ीं हैं. उन्होंने कहा- देश की रक्षा केवल सीमा पर तैनात सैनिकों द्वारा ही नहीं की जाती, बल्कि नई तकनीक विकसित करने वाले वैज्ञानिकों, हथियार प्रणाली बनाने वाले उद्योगपतियों और अगली पीढ़ी को युद्ध के लिए तैयार करने वाले शिक्षकों द्वारा भी की जाती है। राजनाथ ने यह बात महू में आयोजित रण संवाद 2025 के दूसरे दिन बुधवार को कही। उन्होंने कहा- हमें अपनी एकता, अपनी स्पष्ट नीयत और पूरी प्रतिबद्धता के साथ इस देश को आगे ले जाना है। इसी आत्मविश्वास के साथ हम 2047 की ओर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे। भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। रणनीति को मजबूत करेगा रण संवाद रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा- मैं कहना चाहूंगा कि आज का 'रण संवाद' सिर्फ विचारों का आदान-प्रदान नहीं है बल्कि सुरक्षा, नीति-निर्माण और तीनों सेनाओं के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक अवसर है। यहां होने वाली चर्चाएं हमें यह सोचने का अवसर देंगी कि हम भारत को कैसे और अधिक सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बना सकते हैं। ये न केवल रक्षा रणनीति को मजबूत करेंगी बल्कि एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाने में भी मददगार साबित होंगी। युद्ध का स्वरूप बदल रहा है आधुनिक दौर में युद्ध अब सिर्फ जमीन, समुद्र और आकाश तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अंतरिक्ष और साइबर स्पेस तक फैल चुके हैं। सैटेलाइट सिस्टम, एंटी-सैटेलाइट हथियार और स्पेस कमांड सेंटर अब शक्ति के नए साधन बन गए हैं। आज साइबर वॉरफेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और सैटेलाइट आधारित निगरानी युद्ध की नई दिशा तय कर रहे हैं। नॉन-लीनियर और मल्टी-डोमेन वारफेयर की चुनौती आज के समय में युद्ध का कोई तयशुदा स्वरूप नहीं है। यह युग नॉन-लीनियर और मल्टी-डोमेन वारफेयर का है। ऐसे में हमें अपनी रणनीति को लचीला और समयानुकूल बनाना होगा। किसी निश्चित युद्ध नीति पर आंख मूंदकर भरोसा करना अब संभव नहीं है। संवाद है भारत की परंपरा वैश्विक माहौल में संवाद की कमी ही टकराव और शत्रुता का बड़ा कारण बनती है। युद्धकाल में भी संवाद के रास्ते खुले रखना जरूरी है। भारतीय परंपरा में युद्ध और संवाद हमेशा एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। युद्ध से पहले संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। रणनीतिक-कूटनीतिक दृष्टिकोण को नई दिशा मिलेगी रण संवाद केवल अकादमिक अभ्यास नहीं, बल्कि भारत की सामरिक और कूटनीतिक सोच को परिष्कृत करने वाला मंच है। यहां से निकलने वाले विचार भविष्य में भारत की रक्षा रणनीति को मजबूत करेंगे और दीर्घकालिक कूटनीति को दिशा देंगे। लेफ्टिनेंट जनरल हरजीत सिंह शाही ने कहा कि रण संवाद यानी युद्ध पर संवाद, एक प्लेटफॉर्म है। जिसका उद्देश्य युद्ध कला और युद्ध संचालन की ट्रेनिंग है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि जो लोग युद्ध की योजना बनाते हैं, प्रशिक्षण देते हैं और उसको अंजाम देते हैं, उन्हें युद्ध के प्रमाणों की सामूहिक जिम्मेदारी उठानी है। ये सेमिनार ऐसा मंच उपलब्ध कराता है, जहां यूनिफॉर्म लर्नर, स्कॉलर्स, टेक्नोलॉजिस्ट, पॉलिसी मेकर, इंडस्ट्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विचार विमर्श करते हैं। इस साल के सेमिनार का थीम है- इम्पैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी ऑफ वॉर फेयर। दो सब थीम भी हैं। एक- इमरजिंग टैक्नोलॉजी इन्टरेक्ट ऑफ फ्यूचर वॉर…दूसरी- जिस पर आज चर्चा हो रही है रिफॉर्म इन ट्रेनिंग कैटेलाइज टेक्नोलॉजिकल एंड डेवलपमेंट। इसमें ट्रेनिंग इनिशिएटिव ऑफ सिस्टम, इनडिकेटर एक्सरसाइजेज एंड टेक्नोलॉजी पर विचार-विमर्श करेंगे। पहले दिन सीडीएस ने कहा था- ऑपरेशन सिंदूर जारी है रण संवाद 2025 के पहले दिन मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा था- भले ही भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन हम शांतिवादी नहीं हैं। दुश्मन गलतफहमी में न रहे। देश की सेनाएं युद्ध के लिए हमेशा तैयार हैं। सीडीएस चौहान ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे हमने कई सबक सीखे। उनमें से ज्यादातर पर अमल चल रहा है।