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पुलिस का झांसा देकर 1 लाख रुपये की डिमांड, पीड़िता ने बताया गांजा और देह व्यापार के झूठे आरोप

बेंगलुरु नेलमंगला के पास मंगलवार रात एक 27 वर्षीय महिला से गैंगरेप के मामले ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस ने इस घटना में शामिल तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मुख्य आरोपी मिथुन सहित अन्य की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार पीड़िता पश्चिम बंगाल की रहने वाली है और बेंगलुरु में पिछले छह महीनों से अपने पति और दो बेटों के साथ किराए के मकान में रह रही थी। वह शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रमों में ब्यूटीशियन का काम करती है। पीड़िता के साथ बंगाल की ही एक अन्य महिला और उसके पति का एक मित्र भी पास के मकान में रहते थे। मित्र असम का रहने वाला है। घटना के समय पीड़िता का पति काम पर गया हुआ था। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 21 अक्टूबर की रात करीब 9:30 बजे पांच लोग खुद को स्थानीय पुलिस बताकर उसके घर में घुस आए। उन्होंने आरोप लगाया कि वह और उसके परिचित लोग गांजा रखने और देह व्यापार में शामिल हैं। इसके बाद उन्होंने 1 लाख रुपये की मांग की। पीड़िता के अनुसार, आरोपियों ने विरोध करने पर उसे और उसकी सहेली को क्रिकेट बैट और मछेटी (चाकू जैसी हथियार) से पीटा। उसकी सहेली बेहोश हो गई। आरोपियों ने उसके छोटे बेटे और पति के दोस्त को बांधकर बाथरूम में बंद कर दिया। इसके बाद तीन आरोपियों ने उसे पास के मकान में खींचकर गैंगरेप किया। उन्होंने घर से 25,000 रुपये कैश और दो मोबाइल फोन भी लूट लिए। उसी दौरान पीड़िता का बड़ा बेटा, जो बाहर था, उसने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर मदद मांगी। कुछ ही देर में एक होयसला पेट्रोलिंग वैन मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आरोपी फरार हो चुके थे। पुलिस ने घायल पीड़िता को तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं से उसने अपनी शिकायत दर्ज कराई। मदनायकनहल्ली पुलिस थाने ने मामला दर्ज कर भारतीय न्याय संहिता की धारा 70 (सामूहिक दुष्कर्म) सहित अन्य धाराओं में जांच शुरू की। पुलिस ने 48 घंटे के भीतर जांच आगे बढ़ाते हुए कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया। बुधवार रात को नवीन, कार्तिक और ग्लानी को गिरफ्तार किया गया, जबकि गुरुवार दोपहर तक सुयोग, जंगली पृथ्वी और सीना को भी हिरासत में ले लिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुख्य आरोपी मिथुन घटना का मास्टरमाइंड है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि मिथुन का पीड़िता से पुराना विवाद था और वह उसे “सबक सिखाने” की धमकी देता रहता था। उसी ने अपने साथियों को साथ लेकर पुलिस बनकर हमला करने की योजना बनाई। पुलिस के अनुसार, तीन आरोपियों ने दुष्कर्म किया जबकि दो अन्य ने पीड़िता से मारपीट कर लूटपाट की। सभी आरोपियों और पीड़िता के मेडिकल परीक्षण कराए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद घटना के और भी पहलू साफ होने की उम्मीद है। फिलहाल, पुलिस ने सभी गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और मुख्य आरोपी मिथुन की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।

लापरवाही का शिकार ग्रामीण: लाखों खर्च के बाद भी सड़क बेहाल, ठेकेदार को नोटिस

बीजापुर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करोड़ों की योजनाएं गांवों तक बेहतर आवागमन की सुविधा देने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन उसूर तहसील की बासागुड़ा-कुम्हारपारा सड़क इसका बिल्कुल उल्टा उदाहरण बन गई है। साल 2020 में ठेकेदार आकाश चांडक ने 60 लाख की लागत से 1.60 किमी लंबी मिट्टी-मुरुम सड़क बनाई थी। पांच साल बीतने को हैं लेकिन ठेकेदार ने इस सड़क की एक बार भी मरम्मत नहीं की। नतीजा यह हुआ कि आज यह सड़क पूरी तरह से उबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरी खाई में तब्दील हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क पर चलना किसी नदी को पार करने से कम नहीं है। जगह-जगह गड्ढे, कटे किनारे और झाड़ियों ने इसे मौत का जाल बना दिया है। आलम यह है कि धरमापुर, मल्लेपल्ली और डल्ला गांव के करीब 1000 ग्रामीण रोजाना इसी सड़क से गुजरने को मजबूर हैं। पैदल यात्री, बाइक सवार और ट्रैक्टर चालकों के लिए यह सफर किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार ने सड़क निर्माण में शुरुआत से ही लापरवाही बरती और काम अधूरा छोड़ दिया। अब मरम्मत न होने से हालात बदतर हो गए हैं। उनका कहना है कि सड़क पर चलने से ज़्यादा आसान तो खेतों में चलना है। इस मामले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता नवीन कुमार टोंडे और उप अभियंता परमानंद रामटेके ने बताया कि ठेकेदार को 5 अगस्त 2025 को मरम्मत करने के लिए नोटिस भेजा गया है। लेकिन ठेकेदार ने मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया तो विभाग 18 लाख रुपये की वसूली ठेकेदार से करेगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ग्रामीणों की पांच साल से चली आ रही परेशानी का जिम्मेदार कौन है? और कब तक ऐसी योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही टिकाऊ साबित होंगी?