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जिला अध्यक्षों पर पार्टी की नजर, कांग्रेस ने लॉन्च किया रिपोर्टिंग एप

भोपाल   मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने नए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां कर दी हैं, जिसके बाद अब कांग्रेस 'मिशन-2028' की तैयारियों में अभी से जुटती नजर आ रही है. एक तरफ कई जिलों में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों का विरोध देखा गया था, तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने विरोधों को दरकिनार करते हुए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. खास बात यह है कि एमपी कांग्रेस अब टेक्नोलॉजी का सहारा लेती भी नजर आ रही है, जहां मप्र कांग्रेस जिलाध्यक्षों के कामकाज पर तकनीक से नजर रखेगी. कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए रिपोर्टिंग एप तैयार करवाया है, जिसमें सभी जिलाध्यक्षों को अपनी हर दिन की जानकारी अपलोड करनी होगी. इस तरह का प्रयोग मध्य प्रदेश कांग्रेस में पहली बार हो रहा है.  भोपाल से दिल्ली जाएगी रिपोर्ट  बताया जा रहा है कि कांग्रेस के सभी नए जिलाध्यक्षों को इस एप के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की तरफ से ट्रेनिंग भी दी जाएगी. बताया जा रहा है कि अगर यह एप सफल रहता है तो यह प्रयोग कांग्रेस देश के सभी राज्यों में लागू करेगी. इससे पहले 24 अगस्त को दिल्ली में कांग्रेस के सभी 71 नए जिलाध्यक्षों की ट्रेनिंग रखी गई है, जिसमें कांग्रेस के सीनियर नेता और जानकर उन्हें जिम्मेदारी और रणनीति के बारें में बताएंगे. इस बैठक में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी भी मौजूद रहेंगे, वहीं यह भी बताया जा रहा है कि जिलाध्यक्षों की पूरी रिपोर्ट जीतू पटवारी कांग्रेस आलाकमान के पास दिल्ली में भेजेंगे ताकि यहां से भी कांग्रेस जिलाध्यक्षों के कामकाज पर नजर रखी जा सके.  कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद से मचे बवाल को लेकर अब संगठन डैमेज कंट्रोंल में जुट गया है। इसी कड़ी में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब मध्य प्रदेश कांग्रेस उनके कामकाज पर भी तकनीकी रूप से नजर रखने का काम करेगी। उनकी निगरानी के लिए पार्टी ने एक रिपोर्टिंग एप तैयार किया है। बताया जा रहा है कि, इस एप पर ये सभी जिला अध्यक्ष रोजाना अपने कामकाज का अपडेट अपलोड करेंगे। कांग्रेस संगठन में ये प्रयोग पहली बार मध्य प्रदेश से शुरू होने जा रहा है। एप सफल रहा तो एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) इसे अन्य राज्यों में भी लागू करेगी। दिल्ली में सभी 71 नए जिलाध्यक्षों की ट्रेनिंग 24 अगस्त को इसी विषय को लेकर दिल्ली में सभी 71 नए जिलाध्यक्षों की ट्रेनिंग रखी गई है। सत्र में अध्यक्ष को जिम्मेदारियों और रणनीति की जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी भी मौजूद रहेंगे। नए जिला अध्यक्षों को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी संबोधित करेंगे। एमपी में पकड़ मजबूत करना चाहती है कांग्रेस  कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने में जुटी है. इसलिए पार्टी तकनीक का सहारा भी ले रही है, वहीं इस एप के जरिए जिलाध्यक्षों की सक्रियता, कार्यप्रणाली और क्षेत्रीय पकड़ को भी बारीकी से पकड़ा जा सकेगा, कांग्रेस का यह प्रयास न केवल संगठन को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है. जीतू पटवारी भी यह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कांग्रेस जिलाध्यक्षों को मजबूती से काम करना होगा, अगर कोई जिलाध्यक्ष मजबूती से काम नहीं करता है तो फिर उसे जिम्मेदारी से हटाया जाएगा.  वहीं दूसरी तरफ लगातार हो रहे हैं कांग्रेस जिलाध्यक्षों के विरोध पर पार्टी ने और सख्ती दिखा दी है. चेतावनी पत्र जारी करने के बाद कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग जिलाध्यक्षों का विरोध कर रहे हैं उनके खिलाफ अब नोटिस जारी किया जाएगा. बता दें कि भोपाल, देवास, इंदौर, उज्जैन समेत कई जिलों से जिलाध्यक्षों के विरोध के स्वर उठे थे, जिस पर अब सख्ती से कार्रवाई के संकेत पीसीसी चीफ की तरफ से दिए गए हैं.  

विधायक आरिफ मसूद पर FIR, हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी कानूनी मुश्किलें

भोपाल कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ फ्रॉड मामले में केस दर्ज कर लिया है। आरिफ मसूद भोपाल मध्य से विधायक हैं। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज हुआ है। दोषी पाए जाने पर इन धाराओं में उन्हें 10 साल की जेल हो सकती है। कांग्रेस विधायक पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है। कॉलेज की मान्यता के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल यह पूरा मामला इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता से जुड़ा हुआ है। इसकी मान्यता के लिए विधायक ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। आरिफ मसूद उस सोसाइटी के सचिव हैं जो कॉलेज चलाती है। एमपी हाईकोर्ट के निर्देश पर विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी दर्ज होगा केस इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी FIR दर्ज करने को कहा है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने 20 सालों तक मामले में साथ दिया और कॉलेज को चलने दिया। एसआईटी करेगी जांच एमपी हाई कोर्ट की बेंच में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल शामिल थे। उन्होंने ADGP (टेलीकॉम) संजीव शमी के नेतृत्व में SIT बनाने का भी आदेश दिया है। SIT पुलिस जांच की निगरानी करेगी और 3 महीने के अंदर जांच पूरी करेगी। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से है मान्यता मसूद ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी, भोपाल के कॉलेज की मान्यता रद्द करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन, नतीजा यह हुआ कि उनके खिलाफ ही FIR दर्ज हो गई। कोर्ट ने कॉलेज के 1000 से ज्यादा छात्रों के हित में कॉलेज की मान्यता रद्द करने पर रोक लगा दी है। लेकिन, यह साफ कर दिया है कि अगले शैक्षणिक सत्र से कॉलेज में कोई नया एडमिशन नहीं होगा। 10 साल की हो सकती है जेल गौरतलब है कि मसूद के खिलाफ जो-जो धाराएं लगाई गईं हैं, उनमें उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है। धारा-420 में अधिकतम 3 साल, धारा-467,468 और 471 में अधिकतम 10 साल की सजा और धारा-120 बी मूल अपराध के बराबर की सजा है।

हैंडबॉल महाकुंभ का मुरैना में आगाज, मध्यप्रदेश-गुजरात-राजस्थान की 71 टीमें मुकाबले को तैयार

मुरैना खेलों की दुनिया में चंबल का नाम इस बार एक नए अध्याय के साथ दर्ज होने जा रहा है. मुरैना में पहली बार राज्य स्तरीय वेस्ट जोन हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है. यह ऐतिहासिक खेल महाकुंभ 24 अगस्त से 28 अगस्त तक मुरैना के टीएसएस इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित होगा. जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इसमें मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात और राजस्थान के हैंडबॉल खिलाड़ी शामिल होंगे. सीबीएसई के वेस्ट जोन की हैंडबॉल प्रतियोगिता सीबीएसई के वेस्ट जोन ने हैंडबॉल प्रतियोगिता के लिए मुरैना को चुना है. इस प्रतियोगिता की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक 2000 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं. इनमें से लगभग 1000 खिलाड़ी मैदान में उतरकर अपना दमखम दिखाएंगे. 60 स्कूलों की 71 टीमें होंगी शामिल इस प्रतियोगिता में गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, बड़ोदरा, राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, श्रीगंगानगर और मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित अन्य चुनिंदा 60 स्कूलों की 71 टीमें इस बार हिस्सा ले रही हैं. 3 विशाल मैदानों पर होने वाले मैचों के लिए खिलाड़ियों, रेफरी और प्रबंधन की उच्च स्तरीय व्यवस्था की गई है. आयोजन की निगरानी के लिए सीबीएसई ऑब्जर्वर राजकुमार सेंगर भी मौजूद रहेंगे. 24 से 28 अगस्त तक 5 दिनों का आयोजन डायरेक्टर सुरेंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने बताया कि "ये आयोजन 24 अगस्त से 28 अगस्त तक पांच दिन का होगा. अभी तक 42 स्कूलों की लिस्ट आ चुकी है, जिसमें 71 टीमें आ रही हैं. इसमें 600 से अधिक बच्चे और 100 कोच शामिल हैं. यह प्रतियोगिता अंडर-11,अंडर-14 और अंडर-19 की होंगी. इससे पहले विद्यालय ने राज्य स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया था. अब हैंडबॉल महाकुंभ से मुरैना एक बार फिर खेल इतिहास का गवाह बनने जा रहा है."     'चंबल की संस्कृति को जानने का मिलेगा मौका' विद्यालय प्रबंधन ने आयोजन को यादगार बनाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. सुरेंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने बताया कि "इस साल सीबीएसई ने वेस्ट जोन के लिए मुरैना को चुना है. ऐसे में इस छोटे शहर में बड़ा आयोजन न केवल खिलाड़ियों को नई ऊर्जा देगा बल्कि बाहर से आने वाले खिलाड़ियों को चंबल की मिट्टी और संस्कृति को करीब से समझने का अवसर भी देगा."

वंदे भारत एक्सप्रेस को मिला विस्तार, भोपाल से लखनऊ के बीच होगी शुरुआत

भोपाल  भोपाल से लखनऊ के बीच यात्रा (Bhopal to Lucknow Train) करने वालों के लिए बड़ी राहत मिलने जा रही है। जल्द ही इस रूट पर 20 कोच की अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस दौड़ने लगेगी। पहले यह ट्रेन 16 कोच के साथ प्रस्तावित थी, लेकिन यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने भोपाल मंडल की मांग पर अतिरिक्त चार कोच की स्वीकृति दे दी है। इससे अब यात्रियों को अधिक सीटें और आरामदायक यात्रा का लाभ मिलेगा। रेलवे सूत्रों के अनुसार भोपाल-लखनऊ वंदेभारत एक्सप्रेस (Bhopal Lucknow Vande Bharat Express) से जुड़ी आधिकारिक अधिसूचना इसी माह के अंतिम सप्ताह में जारी कर दी जाएगी। इसके बाद ट्रेन के संचालन की समय-सारणी, किराया और ठहराव की जानकारी भी सार्वजनिक होगी। 20 कोच की वंदे भारत एक्सप्रेस में अधिक यात्री सफर कर पाएंगे। पीआरओ नवल अग्रवाल ने बताया कि यह ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी और तेज रफ्तार के साथ कम समय में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाएगी। भोपाल और लखनऊ के मध्य में आने वाले शहरों के यात्रियों को भी इसका लाभ मिलेगा। पिट लाइन पर अटकी है नई ट्रेन नई वंदे भारत का रैक आने में इसलिए देर हो रही है, क्योंकि रानी कमलापति स्टेशन पर पिट लाइन मौजूद नहीं है। अभी दो पिट लाइन हैं, जो मौजूदा रैक के संधारण कार्य के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में यहां एक नई पिटलाइन पर काम चल रहा है। उसका काम पूरा होते ही रैक उपलब्ध हो जाएगा। ट्रेन की मरम्मत करने और साफ-सफाई के लिए पिटलाइन की जरूरत होती है।

स्व-सहायता समूहों के स्टॉल पर मिलेंगे रसायन रहित कृषि उत्पाद

आजीविका फ्रेश मेला भोपाल हाट में 23 एवं 24 अगस्त को स्व-सहायता समूहों के स्टॉल पर मिलेंगे रसायन रहित कृषि उत्पाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री पटेल करेंगे मेले का शुभारंभ भोपाल  मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत स्व-सहायता समूहों का दो दिवसीय ‘आजीविका फ्रेश’ मेला भोपाल हाट में 23 एवं 24 अगस्त को आयोजित किया जा रहा है। मेले का शुभारंभ 23 अगस्त को प्रात: 10.00 बजे पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा किया जायेगा। इस अवसर पर विभाग की राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह भी उपस्थित रहेंगीं। मेले में विभिन्न जिलों से आ रही स्व-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा रसायन रहित एवं जैविक तरीके से उगाये हुये कृषि एवं दुग्ध-उत्पादों सहित अन्य सामग्री का विक्रय सह प्रदर्शन किया जायेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को वृहद बाजारों से जोड़ने के लिये अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों का दो दिवसीय आजीविका फ्रेश मेला अरेरा हिल्स स्थित भोपाल हाट परिसर में आयोजित किया जा रहा है। मेला प्रात: 11 बजे से रात्रि 09.30 बजे तक चलेगा। मेले में विभिन्न जिलों से आ रही ग्रामीण स्व-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा 55 स्टॉल लगाये जायेंगे। समूहों से जुड़े परिवारों को कम लागत में अधिक उपज के लिये कृषि एवं पशुपालन की उन्नत तकनीक अपनाने के लिये कृषि सखियों व पशुपालन सखियों द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। विशेष रूप से प्राकृतिक पद्धति से रसायन रहित जैविक उत्पाद तैयार करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन प्रयासों के फलस्वरूप रसायन रहित उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं, जिन्हें इस मेले में खास तौर से लाया जा रहा है। इनमें मुख्य रूप से अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियां, फल और दुग्ध आधारित उत्पादों में देशी गाय एवं गिर गाय का घी, पनीर और सोयाबीन उत्पा्दों में टोफू, सोया बड़ी एवं मशरूम आधरित उत्पादों में सूखा मशरूम, अचार, पाउडर, कुकीज तथा वन उत्पादों में जंगल का शुद्ध शहद, महुआ उत्पादों में महुआ कुकीज, लड्डू, नमकीन महुआ, लघु वनोपज में आंवला कैंडी, मुरब्बा, मिलेट उत्पादों में कोदो, कुटकी, चावल कुकीज, लड्डू, खीर आदि प्रमुख हैं। क्षेत्रीय कृषि उत्पादों में नरसिंहपुर जिले की तुअर (अरहर) दाल एवं गुड़, बालाघाट जिले का चिनौरी चावल, सिवनी जिले का जीरा शंकर चावल तथा क्षेत्रीय खान-पान में मालवा, निमाड, चंबल-ग्वालियर, विंध्य, बुंदेलखण्ड, बघेलखण्ड आदि क्षेत्रों के प्रसिद्ध खान-पान व्यंजनों तथा हर्बल पेय आदि का आनंद इस मेले में लिया जा सकता है। कला में रूचि रखने वालों के लिये यहां पारंपरिक कलाओं को देखने एवं सीखने का अवसर भी मिलेगा। भोपाल शहर एवं आसपास के क्षेत्र से मेले में आने वाले खरीददारों के मनोरंजन के लिये क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा कला प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी जायेंगीं।  

शिवराज सरकार की सख्ती: खराब फसलों के बाद HPM कंपनी का लाइसेंस रद्द और बिक्री पर रोक

भोपाल  किसानों की शिकायतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों पर राजस्थान की HPM केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। राजस्थान सरकार ने कंपनी का लाइसेंस रद्द करते हुए उसके सभी कीटनाशक उत्पादों के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। कंपनी के जांच सैंपल फैल होने केबाद उसके खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई की गई है।  मध्यप्रदेश में फसलें हुई खराब  HPM केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड कंपनी राजस्थान में रजिस्टर्ड थी और देश के कई राज्यों में कीटनाशक सप्लाई करती थी। जांच में सैंपल घटिया पाए जाने के बाद कंपनी पर एफआईआर दर्ज की गई। किसानों की शिकायतों में यह भी सामने आया कि HPM कंपनी के कीटनाशक उपयोग से मध्यप्रदेश के विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, सीहोर सहित कई जिलों में सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई थी। शिवराज ने खेत में लिया था जायजा विदिशा जिले के खेत में खराब हुई सोयाबीन फसल का जायजा स्वयं केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया था। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट किया था कि किसानों के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी कंपनी के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। राजस्थान सरकार की इस कार्रवाई के बाद मध्यप्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिली है। कृषि मंत्रालय ने साफ किया है कि भविष्य में भी किसी भी कंपनी द्वारा मिलावटी या घटिया कीटनाशक और खाद बनाने पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।  मध्यप्रदेश के कई जिलों में फसल खराब मंत्री ने जानकारी दी कि कंपनी के कीटनाशक से मध्यप्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी। उन्होंने बताया कि विदिशा स्थित खेत में खराब फसल का खुद केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने जायजा लिया था। किरोड़ी लाल ने कहा कि कंपनी के सभी कीटनाशक उत्पादों के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक विदिशा स्थित खेत में खराब फसल का खुद केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने लिया था जायजा। कंपनी के सभी कीटनाशक उत्पादों के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है। किरोड़ी की हुई थी जेपी नड्डा से मुलाकात इससे पहले मंत्री मीणा ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अमानक खाद, बीज और कृषि दवाइयों से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कड़े कानूनी प्रावधानों की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान नियमों के तहत अमानक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, लेकिन किसानों के नुकसान की भरपाई का कोई प्रावधान नहीं है। अमानक उत्पाद न केवल फसलों को नष्ट करते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी प्रभावित करते हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर पहले भी केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर कठोर कानून बनाने की मांग की थी। 29 मई से चल रहा है अभियान बताते चलें कि राजस्थान में 29 मई से नकली और अमानक खाद, बीज और कीटनाशकों के खिलाफ विशेष अभियान चल रहा है। इस अभियान के तहत कई कंपनियों पर कार्रवाई की जा चुकी है। कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों को ठगने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

MP में 31 अगस्त को रिटायर होंगे मुख्य सचिव अनुराग जैन, नए CS के नामों पर मंथन

भोपाल  मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में वल्लभ भवन में यह सवाल तैरने लगा है कि अगला मुख्य सचिव कौन होगा। अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिलेगा या फिर नए चेहरे को मौकान मिलेगा। इनसे पहले रहे दो मुख्य सचिव को एक्सटेंशन मिल चुका है। वहीं, कुछ सीनियर आईएएस अधिकारियों के नाम भी इस रेस में आगे हैं।वर्तमान मुख्य सचिव अनुराग जैन(Anurag Jain) 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में अगले मुख्य सचिव के लिए कई नामों की चर्चा शुरू हो गई है। फिलहाल मध्यप्रदेश के अगले सीएस को लेकर संस्पेंस बरकरार है। बता दें कि, प्रदेश सरकार ने अनुराग जैन के एक्सटेंशन का प्रस्ताव अब तक केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। यदि सीएस अनुराग जैन को एक्सटेंशन नहीं मिलता है तो प्रशासनिक मुखिया के इस पद के लिए तीन अफसरों के नाम सबसे आगे है। इनमें 1990 बैच के आईएएस अफसर डॉ. राजेश राजौरा, 1991 बैच के आईएएस अफसर अशोक बर्णवाल और 1990 बैच की आईएएस अफसर अलका उपाध्याय का नाम शामिल है। इन कारणों से मिल सकता है एक्सटेंशन मुख्य सचिव को लेकर दो संभावनाएं हैं। पहली, अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिल जाए। दूसरी, उन्हें एक्सटेंशन न मिले। अगर उन्हें एक्सटेंशन मिलता है, तो इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला, केंद्र में बैठे अफसरों और नीति निर्धारकों से उनके अच्छे संबंध हैं। दूसरा, उन्हें वित्त प्रबंधन का अच्छा जानकार माना जाता है। तीसरा, उन्होंने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और नई पॉलिसी बनाने में अहम भूमिका निभाई है। सेवा विस्तार या मप्र को मिलेगा नया सीएस मुख्य सचिव (सीएस) अनुराग जैन का सेवा विस्तार होगा या फिर प्रदेश को नया सीएस मिलेगा, यह लगभग पहले से तय है। केवल खुलासा होना बाकी है। 13 दिन बाद यानी 31 अगस्त को या उसके एक-दो दिन पहले होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सीएस जैन का इस दिन कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यदि सेवा विस्तार मिलता है या प्रदेश को नए सीएस देने की बारी आई दोनों ही परिस्थितियों में दोपहर से शाम तक आदेश उसी दिन आ सकते हैं। ये लोग हैं प्रबल दावेदार वहीं, अगर अनुराग जैन को एक्सटेंशन नहीं मिलता है, तो वरिष्ठता के हिसाब से अपर मुख्य सचिव जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा इस पद के प्रबल दावेदार होंगे। लेकिन अपर मुख्य सचिव वन व पर्यावरण अशोक बर्णवाल और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में पदस्थ अलका उपाध्याय भी इस रेस में शामिल हैं। राजेश राजौरा हैं सबसे वरिष्ठ इसके साथ ही अनुराग जैन के रिटायर होने के बाद डॉ. राजेश राजौरा सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर होंगे। डॉ. राजौरा मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव रह चुके हैं। वह मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र उज्जैन संभाग के प्रभारी भी हैं।अशोक बर्णवाल भले ही डॉ. राजौरा से एक बैच जूनियर हैं, लेकिन उन्हें मुख्य सचिव बनाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। बर्णवाल भी निर्विवादित हैं। उनकी छवि तेजतर्रार अधिकारी की है। महिला आईएएस अफसर भी रेस में अलका उपाध्याय भी मुख्य सचिव पद की दौड़ में हैं। वे 1990 बैच में डॉ. राजौरा के बाद वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर हैं। पिछले दो महीने में जिस तरह से उन्होंने मध्य प्रदेश के दौरों को लेकर दिलचस्पी दिखाई है, इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे सीएस पद के लिए सक्रिय हैं। अगर अनुराग जैन को एक्सटेंशन नहीं मिलता है, तो वे विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष बन सकते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव को एक्सटेंशन मिलता रहा है। ऐसे में इस बार भी संभावना है कि अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिल सकता है। सेवा विस्तार संभावना के ये भी कारण पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस हो या फिर वीरा राणा, इन्हें सेवा विस्तार मिलता रहा है। इनसे पहले के सीएस ने न्यूनतम दो-दो वर्ष तक सेवाएं दी हैं। अनुभव, प्रशासनिक पकड़, केंद्र से कई मामलों में समन्वय में जैन किसी से पीछे नहीं है। हालांकि उनके काम का आकलन किन आधारों पर होता है, यह सबसे अहम होगा। 1. दिल्ली की चली तो अनुराग जैन को सेवा विस्तार तय: माना जा रहा है कि यदि केंद्र ने ठान लिया तो मुख्य सचिव अनुराग जैन को सेवा विस्तार मिलना तय है। इसकी वजह उनके पास बेहतर प्रशासनिक अनुभव, केंद्र व पीएमओ में रही अहम जिमेदारियां और उन्हें ठीक ढंग से पूरा करना बताया जा है। 2. प्रदेश की चली तो मिल सकता है नया मुख्य सचिव: सूत्रों की मानें तो यदि मप्र के टॉप लीडर की बात मानी जाती है तो मध्यप्रदेश को नया मुख्य सचिव मिल सकता है। जिसकी वजह उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ की तैयारी के अलावा अगला विधानसभा चुनाव समेत कई वजह बताई जा रही है। डॉ. राजेश राजौरा प्रबल दावेदार जानकारी के मुताबिक, अगर सीएस अनुराग जैन को एक्सटेंशन नहीं मिलता है तो 1990 बैच के आईएएस अफसर डॉ. राजेश राजौरा(Dr Rajesh Rajoura) इस पद के प्रबल दावेदार होंगे। डॉ. राजेश राजौरा मुख्यमंत्री के अपर सचिव रह चुके हैं। साथ ही ये सीएम मोहन के गृह क्षेत्र उज्जैन संभाग के प्रभारी भी रह चुके हैं। डॉ. राजौरा कृषि, गृह, उद्योग, उद्यानिकी और परिवहन विभाग संभाल चुके हैं। साथ ही ये झाबुआ में एडिशनल कलेक्टर और धार, बालाघाट उज्जैन और इंदौर में कलेक्टर रह चुके हैं। रेस में अशोक बर्णवाल मध्यप्रदेश के अगले मुख्य सचिव(Next Chief Secretary of MP) के रेस में अशोक बर्णवाल का नाम भी शामिल है। अशोक बर्णवाल(Ashok Barnwal) की छवि एक तेजतर्रार अधिकारी की है। बर्णवाल वन, मुख्यमंत्री कार्यालय, खाद्य प्रसंस्करण विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग संभाल चुके हैं। अशोक बर्णवाल गुना, देवास और शहडोल में कलेक्टर भी रहे हैं। बर्णवाल शिवराज सरकार के कार्यकाल में सीएमओ संभाल चुके हैं। दावेदारों की लिस्ट में अलका उपाध्याय ग्रामीण विकास मंत्रालय में अपर सचिव, राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी में महानिदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में सीईओ और जन क्रिया एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी उन्नति परिषद की महानिदेशक रह चुकी अलका उपाध्याय(Alka Upadhyay) भी मध्यप्रदेश के अगले मुख्य सचिव पद की दावेदारों की लिस्ट में शामिल हैं। अलका उपाध्याय शाजापुर में एडिशनल कलेक्टर का पदभार संभाल चुकी हैं। साथ ही दतिया, शाजापुर और खरगोन जिले की … Read more

मध्य प्रदेश : घोषणा के 6 साल बाद भी कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ नहीं

भोपाल  मध्य प्रदेश के 12 लाख कर्मचारी 6 साल बाद भी आयुष्मान कैशलेस स्वास्थ्य योजना का इंतजार कर रहे हैं। यह योजना 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के शासनकाल में घोषित की गई थी, लेकिन आज तक यह योजना कर्मचारियों तक नहीं पहुंच पाई है। तीन मुख्यमंत्रियों (कमलनाथ, शिवराज सिंह चौहान और मोहन यादव) के पास यह योजना फाइल के रूप में पहुंची, लेकिन कर्मचारियों को केवल आश्वासन ही मिला। मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।  मध्य प्रदेश के 6 लाख से अधिक कर्मचारी अब भी आयुष्मान कैशलेस स्वास्थ्य योजना के लाभ लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं। दरअसल 2019 में कमलनाथ सरकार ने इसकी घोषणा की थी। लेकिन अब तक यह जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया गया। वर्ष 2019 से लेकर अब तक तीन अलग-अलग मुख्यमंत्री की टेबल तक इसकी फाइलें पहुंची है।      मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर 9 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति का उद्देश्य शासकीय कर्मचारी, कार्यकर्ता और संविदा कर्मचारियों को आयुष्मान भारत निरामयम प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने का निर्णय लेना था। यह कमेटी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 4 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक के निर्णय के आधार पर गठित की गई थी, जिसमें शासकीय कर्मचारियों को सालाना 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य सुरक्षा लाभ देने की स्वीकृति दी गई थी। हालांकि, अब तक इस मामले पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। योजना तैयार करने पर काम जारी  कमेटी में शामिल अधिकारियों की सूची में मुख्य सचिव के अलावा अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, जो पहले एसीएस विभाग प्रमुख थे, अब प्रमुख सचिव हैं, और अपर मुख्य सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास, जो पहले एसीएस विभाग प्रमुख थे, अब प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, प्रमुख सचिव वित्त विभाग, जो पहले प्रमुख सचिव थे, अब अपर मुख्य सचिव के पद पर हैं। कमेटी में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग, सचिव लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग शामिल हैं। इसके अलावा कमेटी में सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, प्रबंध संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी आयुष्मान भारत निरामयम मध्यप्रदेश भी शामिल हैं। कमलनाथ ने बनाई थी कैशलेस इलाज की योजना यह योजना 6 साल पहले 2019 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक में मंजूर की गई थी। उस समय यह योजना 1 अप्रैल से लागू होने वाली थी और प्रदेश के सभी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलने वाला था। इसके साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी इस योजना में शामिल किया गया था। योजना के तहत साधारण बीमारियों के लिए 5 लाख रुपए और गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जानी थी। इस स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में शासकीय कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, शिक्षक संवर्ग और नगर सैनिक के अलावा राज्य की स्वशासी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी शामिल थे। इसके अलावा यह योजना निगम मंडलों में काम करने वाले कर्मचारियों और अखिल भारतीय सेवा के कर्मचारियों के लिए विकल्प के तौर पर रखा गया है।  योजना से एमपी सरकार पर बढ़ेगा वित्तीय भार इस बीमा योजना के लागू होने से एमपी सरकार पर 756.56 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार होने की संभावना जताई गई है। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश के कर्मचारियों को आयुष्मान जैसी योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा का लाभ देने की बात की थी। हालांकि, कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया, इसके चलते मामले में देरी आई।  तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि तीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बावजूद प्रदेश के कर्मचारियों को अब तक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि अधिकारी और कर्मचारी अन्य राज्यों में लागू आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा की तरह 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अब तक किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया गया है। कर्मचारी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी इस सुविधा से वंचित हैं। अभी इस व्यवस्था पर हो रहा है काम वर्तमान में कर्मचारियों के इलाज की व्यवस्था कुछ इस प्रकार है। जब कर्मचारी इलाज कराते हैं, तो उन्हें खर्च की हुई राशि का रिम्बर्समेंट कराने के लिए अपने विभाग में आवेदन करना होता है। इसके लिए पहले डॉक्टर, मेडिकल बोर्ड या डायरेक्टर हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन से मंजूरी प्राप्त करनी होती है। अगर कर्मचारी अस्तपताल में भर्ती होकर इलाज कराते हैं, तो ऐसे में उन्हें 5 लाख रुपये तक के क्लेम की मंजूरी संभागीय स्तर के सरकारी अस्पताल के डीन की अध्यक्षता में बनी कमेटी की ओर से जाती है। यदि क्लेम 5 लाख से अधिक और 20 लाख रुपये तक होता है, तो इस मामले में संचालक स्वास्थ्य सेवाओं की अध्यक्षता में बनी कमेटी रिम्बर्समेंट को मंजूरी देती है। यदि कर्मचारी भर्ती नहीं होते, तो वे या उनके परिजन बाह्य रोगी के रूप में इलाज कराते हैं। इसका मतलब है कि अस्पताल में दिखाया जाता है और फिर लौट आते हैं। इस स्थिति में एक साल में अधिकतम 20 हजार रुपये का रिम्बर्समेंट होता है। यदि इलाज निरंतर चल रहा हो, तो तीन माह में 8000 रुपये से अधिक का रिम्बर्समेंट नहीं किया जा सकता है। इसके लिए जिला मेडिकल बोर्ड की मंजूरी जरूरी होती है।

ई-वॉलेट्स के जरिए पैसा जुटा रहा जैश, हमलों से बचने को बदल रहा रणनीति

लाहौर  ऑपरेशन सिंदूर के तहत मई 2025 में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में कई आतंकी लॉन्च पैड तबाह किए थे. इन ठिकानों का इस्तेमाल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) कर रहे थे. इस बीच खुफिया रिपोर्टों के आधार पर IANS ने खुलासा किया है कि जैश-ए-मोहम्मद अब अपने नेटवर्क को दोबारा खड़ा करने की तैयारी कर रहा है. संगठन पूरे पाकिस्तान में 313 नए मरकज बनाने की योजना पर काम कर रहा है. ये ठिकाने नए आतंकियों को ट्रेनिंग देने और सुरक्षित आश्रय प्रदान करने के काम आएंगे. साथ ही ये ठिकाने जैश प्रमुख मसूद अजहर और उसके परिवार के लिए भी सुरक्षित अड्डे होंगे. इस नेटवर्क को खड़ा करने के लिए जैश ने 3.91 अरब पाकिस्तानी रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस धन उगाही अभियान का नेतृत्व जैश प्रमुख मसूद अजहर और उसका भाई तल्हा अल सैफ कर रहे हैं. संगठन ने ऑनलाइन धन इकट्ठा करने के लिए ईजीपैसा और सदापे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल की योजना बनाई है. इसके अलावा जैश के कमांडर मस्जिदों में शुक्रवार की नमाज के दौरान भी चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. चंदे को गाजा में मानवीय सहायता के नाम पर दिखाया जा रहा है, जबकि असल में इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए हो रहा है. जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी ब्लैंक दान रसीद सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ब्लैंक दान रसीद की एक कॉपी भी मिली. जांच में इस बात के सबूत मिले कि जमा किए जा रहे 3.94 अरब पाकिस्तानी रुपये कई पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट में जा रहे हैं. ऐसा ही एक सदापे खाता मसूद अजहर के भाई, तल्हा अल सैफ (तल्हा गुलजार) के नाम पर है, जो पाकिस्तानी मोबाइल नंबर +92 3025xxxx56 से जुड़ा है. यह नंबर जैश-ए-मोहम्मद के हरिपुर जिले के कमांडर आफ़ताब अहमद के नाम पर रजिस्ट्रड है, जिसके CNIC नंबर 133020376995 पर हरिपुर के खाला बट्ट टाउनशिप में जैश-ए-मोहम्मद के कैंप का पता दर्ज है. भारत के लिए क्या मायने रखता है यह पुनर्गठन जैश-ए-मोहम्मद की यह गतिविधि भारत के लिए नई चुनौती है. संगठन की कोशिश है कि ऑपरेशन सिंदूर से हुए नुकसान की भरपाई करके फिर से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाए. नए शिविरों का जाल फैलाने से कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने की साजिश तेज हो सकती है. भारत के सुरक्षा तंत्र को इस पुनर्गठन पर करीबी निगरानी रखने की जरूरत है. 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. जैश का बहावलपुर स्थित मुख्यालय और कई ठिकाने पूरी तरह तबाह कर दिए गए. यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. पाकिस्तान में बनाएगा 313 नए मरकज, मांग रहा चंदा ऑपरेशन सिंदूर के कई महीने बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) अपने तबाह हुए प्रशिक्षण शिविरों और ठिकानों के नेटवर्क को फिर से पुनर्जीवित तकरने की तैयारी में लग गया है। अपने आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए जैश-ए-मोहम्मद ने एक बड़ा धन उगाही अभियान शुरू किया है। इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी दी है। मई में आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित मुख्यालय और आतंकी लॉन्च पैड को नेस्तनाबूद कर दिया था। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में 9 आतंकी लॉन्च पैड को तबाह किया था। ये लॉन्च पैड जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए चलाया गया था। पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। 313 नए शिविर स्थापित करने की योजना  खुफिया जानकारी के आधार पर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जैश-ए-मोहम्मद अपनी स्थिति सुधारने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। संगठन ने कथित तौर पर पूरे पाकिस्तान में 313 नए 'मरकज' स्थापित करने की योजना बनाई है, जिनका इस्तेमाल आतंकियों को ट्रेनिंग और उन्हें ठिकाने देने के लिए किया जाएगा। इसके लिए 3.91 अरब पाकिस्तानी रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। पकड़े जाने से बचने के लिए ऑनलाइन चंदा इन ठिकानों में नए आतंकियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र चलाने के साथ ही जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और उसके परिवार के लिए सुरक्षित ठिकाने के रूप में काम करने की उम्मीद है। रिपोर्ट में बताया गया है कि धन उगाही अभियान का नेतृत्व मसूद अजहर अपने भाई तल्हा अल सैफ के साथ मिलकर कर रहा है। पकड़े जाने से बचने के लिए जैश ने ईजीपैसा और सदापे जैसे डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल की योजना बनाई है। ऑनलाइन पैसा इकठ्ठा करने के अलावा जैश के कमांडर शुक्रवार की नमाज के दौरान मस्जिदों में भी चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं। इसे गाजा में मानवीय सहायता के लिए दिए जाने के लिए दिखा रहे हैं।

बिहार और बंगाल के लिए PM मोदी की बड़ी घोषणाएँ, पुल और मेट्रो परियोजनाएँ शामिल

औंटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 22 अगस्त को बिहार और पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे. वह सुबह गया में लगभग 13,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री दो नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर जनता को संबोधित करेंगे. इसके बाद, मोदी गंगा नदी पर बने औंटा–सिमरिया पुल परियोजना का उद्घाटन करेंगे. लगभग 1,870 करोड़ रुपये की लागत से बने इस 6 लेन पुल की लंबाई 1.86 किलोमीटर है, जबकि एप्रोच रोड सहित कुल लंबाई 8.15 किलोमीटर है. यह पुल मोकामा और बेगूसराय को जोड़ेगा और उत्तर व दक्षिण बिहार के बीच आवागमन को तेज़ और सुगम बनाएगा. कई जिलों के बीच दूरी 100 किलोमीटर तक घट जाएगी और सफर का समय लगभग डेढ़ घंटे तक कम होगा. 34 मीटर चौड़ा यह एशिया का सबसे चौड़ा पुल है, जिसे 18 मज़बूत पिलरों पर बनाया गया है. गेमचेंजर साबित होगा पुल पुल के दोनों छोर पर आधुनिक रोटरी और हरियाली से युक्त पार्क विकसित किए गए हैं. निर्माण के दौरान Push Box Method, Gabbion Wall और PVD जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पुल की मजबूती और लोडिंग कैपेसिटी बढ़ाई जा सके. यह पुल न केवल बिहार बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों के उद्योग और व्यापार के लिए भी गेमचेंजर साबित होगा. प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में घोषित विशेष पैकेज के तहत यह पुल तैयार किया गया है. 2017 में मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी और अब इसका उद्घाटन होने जा रहा है. प्रधानमंत्री बिहार में बक्सर थर्मल पावर प्लांट (6,880 करोड़ रुपये), मुजफ्फरपुर कैंसर अस्पताल, मुंगेर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (520 करोड़ रुपये) और 1,260 करोड़ रुपये की शहरी परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हज़ारों लाभार्थियों को घर सौंपे जाएंगे. कोलकाता में करोड़ों की परियोनाओं का उद्घाटन शाम को प्रधानमंत्री कोलकाता पहुंचेंगे और लगभग 5,200 करोड़ रुपये की मेट्रो और अन्य विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे. वे खुद मेट्रो की सवारी भी करेंगे. नई मेट्रो सेवाएं कोलकाता में यात्रा समय घटाएंगी और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को मज़बूती देंगी. साथ ही, वे 1,200 करोड़ रुपये की लागत वाले 7.2 किमी लंबे कोना एक्सप्रेसवे की आधारशिला भी रखेंगे. यह हावड़ा और कोलकाता के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा.