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कितनी मुश्किल होती है एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग? नासा से सामने आई एक्सक्लूसिव तस्वीरें

न्यूयॉर्क भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एस्ट्रोनॉट्स की कड़ी ट्रेनिंग की एक झलक दिखाई है। उन्होंने नासा के मल्टी-एक्सिस ट्रेनर (मैट) स्पेस सेंटर से एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में शुभांशु शुक्ला कुछ खास मशीनों के साथ दिखाई देते हैं। ऐसी ही एक मशीन है, जिस पर एस्ट्रोनॉट्स को लगातार घुमाया जाता है। असल में स्पेस में अगल-अलग तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें काफी कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। शुभांशु शुक्ला ने इसका वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए इसके कैप्शन में लिखा है, ‘लेट्स गेट स्पिनिंग।’ दिखाई वॉमिट कॉमेट चेयर शुभांशु शुक्ला ने जिस मशीन का वीडियो दिखाया है, उसे ‘वॉमिट कॉमेट चेयर’ कहा जाता है। यह एक तरह का सिम्यूलेटर है। इसमें ट्रेनिंग लेकर अंतरिक्ष यात्री स्पेस में होने वाली चीजों को महसूस कर सकता है। इसमें तीन रिंग्स लगी होती हैं, जो घूमती रहती हैं। जब एक एस्ट्रोनॉट अपनी सीट से बंधा होता है, तो रिंग कई दिशाओं में घूमती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर कभी अंतरिक्ष यान अस्थिर हो जाए तो उस दौरान होने वाला अनुभव अंतरिक्ष यात्री महसूस कर सके। साथ ही वह ऐसे हालात में अपने ऊपर नियंत्रण बनाए रखने में भी सफल रहे और ध्यान केंद्रित कर सके। नील आर्मस्ट्रांग का बताया अनुभव अंदर की जानकारी देते हुए शुभांशु शुक्ला बताते हैं कि मैं मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के मैट में हूं। इस ट्रेनर का उपयोग मर्करी एस्ट्रोनॉट्स को ऑर्बिट के अनुभवों को देने के लिए किया गया है। इसके बाद उन्होंने बताया कि नील आर्मस्ट्र्रांग को जेमिनी 8 मिशन के दौरान समस्याएं आई थीं। तब थ्रस्टर में समस्या होने के चलते काफी ज्यादा घुमाव हो रहे थे। उन्होंने बाद में मैनुअल तरीके से स्पेसक्राफ्ट पर नियंत्रण पाया था।  

जेसिका पेगुला अमेरिकी ओपन क्वार्टर फाइनल में, सामना क्रेसिकोवा से

न्यूयॉर्क चौथी वरीयता प्राप्त जेसिका पेगुला ने अमेरिका की ही अन लि को सिर्फ 54 मिनट में 6.1, 6.2 से हराकर अमेरिकी ओपन क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। अब उनका सामना दो बार की ग्रैंडस्लैम चैम्पियन बारबोरा क्रेसिकोवा से होगा जिन्होंने टेलर टाउनसेंड को 1.6, 7.6, 6.3 से मात दी। पेगुला ने अभी तक इस टूर्नामेंट में एक भी सेट नहीं गंवाया है। इसके साथ ही 31 ग्रैंडस्लैम खेल चुकी टाउनसेंड का पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का सपना भी टूट गया। अन्य मुकाबलों में कार्लोस अल्काराज ने आर्थर रिंडरनेच को 7.6, 6.3, 6.4 से हराया। वह ओपन युग में 13 ग्रैंडस्लैम क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए। वहीं नोवाक जोकोविच रिकॉर्ड 64वें ग्रैंडस्लैम क्वार्टर फाइनल में पहुंचे जब उन्होंने क्वालीफायर जान लेनार्ड स्टफ को 6.3, 6.3, 6.2 से मात दी। अब उनका सामना पिछले साल के उपविजेता टेलर फ्रिट्ज से होगा जिन्होंने टोमास माचाक को हराया। वहीं एरिना सबालेंका ने क्रिस्टिना बुक्सा को 6.1, 6.4 से मात दी। अब वह 2023 विम्बलडन चैम्पियन मार्केटा वोंड्रूसकोवा से खेलेंगी जिन्होंने 2022 विम्बलडन चैम्पियन एलेना रिबाकिना को 6.4, 5.7, 6.2 से मात दी।   

महिलाओं को रोज़गार प्रोत्साहन राशि: नीतीश कुमार का बड़ा दांव या चुनावी मास्टरस्ट्रोक?

पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं के उत्थान के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। इस बार सीएम नीतीश ने महिलाओं को एक नया तोहफा दिया है। महिलाओं को रोजगार करने के लिए नीतीश कैबिनेट ने एक नई योजना ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ की मंजूरी दी है। इस योजना के तहत अब अपना रोजगार शुरू करने के लिए बिहार की महिलाओं को 10 हजार रुपए की सहायता राशि मिलेगी जिसे वापस करने की भी कोई जरूरत नहीं है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे बिहार के विकास में और भी सक्रिय योगदान दे सकें। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कदम को एक और बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। घर की एक महिला को मिलेगी 10 हजार रुपए की मदद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के हर परिवार की एक महिला को उनकी मनपसंद का रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता देने का बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपए की राशि सितंबर महीने में पात्र महिलाओं के खाते में जमा कर दी जाएगी। जल्द ही पात्र महिलाओं से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस योजना को लागू करने की ज़िम्मेदारी ग्रामीण विकास विभाग को दी गई है। महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष हाट-बाज़ार भी बनाए जाएंगे। इस योजना की खास बात यह है कि 10 हजार रुपए की यह सहायता राशि महिलाओं को वापस नहीं करनी होगी। इसके अलावा, रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए अगले 6 महीने के परफॉरमेंस का आकलन किया जाएगा और जिसका परफॉरमेंस अच्छा रहेगा इनको अधिकतम 2 लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी। इस पूरी योजना को आगे बढ़ाने में जीविका दीदी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। योजना का लाभ लेने के लिए कैसे करें आवेदन इच्छुक महिलाओं से आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी। इसकी पूरी व्यवस्था और प्रक्रिया का निर्धारण ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जाएगा, जिसमें नगर विकास एवं आवास विभाग का सहयोग भी लिया जाएगा। योजना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया पोस्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के उत्थान से जुड़ी इस योजना को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि, 'हम लोगों ने नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही महिला सशक्तिकरण के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। अब महिलाएं अपनी मेहनत से न केवल बिहार की प्रगति में अपना योगदान दे रही हैं बल्कि वे अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही हैं। इसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए हम लोगों ने महिलाओं के हित में अब एक महत्वपूर्ण एवं अभूतपूर्व निर्णय लिया है जिसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम होंगे।' महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित रहे हैं नीतीश कुमार 2005 से पहले हर क्षेत्र में बिहार की महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे छूट गई थीं। महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाए बिना बिहार का विकास नहीं हो सकता था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा। महिला सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। बिहार में महिलाओं से जुड़ी प्रमुख योजनाएं महिलाओं के शिक्षा और सशक्तिकरण, आरक्षण व प्रतिनिधित्व , महिला सुरक्षा व सामाजिक सुधार और आर्थिक व सामाजिक सहयोग के लिए अलग अलग योजनाएं लागू की गई हैं। इससे बिहार की महिलाएं विकास की मुख्यधारा से जुड़ गई हैं।   *शिक्षा व सशक्तिकरण   मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना की शुरुआत।   विश्व बैंक से लोन लेकर जीविका कार्यक्रम की शुरुआत।   *आरक्षण व प्रतिनिधित्व   पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण।   नगर निकाय संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण।   बिहार पुलिस में महिलाओं को 35% आरक्षण।   सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण।   अब सरकारी नौकरियों में बाहर की महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा।   *महिला सुरक्षा व सामाजिक सुधार   महिलाओं की मांग पर शराबबंदी कानून लागू किया गया। महिलाओं के लिए पिंक बस सेवा का विस्तार।   *आर्थिक व सामाजिक सहयोग   आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में इजाफा।   विधवा और बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन ₹1100 कर दी गई।   महिलाओं को रोजगार के लिए ₹10,000 की सहायता।   पंचायत स्तर पर विवाह मंडप बनाने का निर्णय।

भगवान विष्णु के दशावतारों का संयुक्त पूजन दशावतार व्रत

भारतीय परंपरा व सनातन धर्म में विभिन्न देवताओं के अवतार की मान्यता है। विष्णु, शिव और अन्य देवी-देवताओं के कई अवतार माने गये हैं। मान्यतानुसार धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान होने पर सज्जनों के परित्राण और दुष्टों के विनाश के लिए इनका अवतरण होता है। त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु ब्रह्मांड के निर्माण के बाद उसके विघटन तक उसका संरक्षण, पालन- पोषण करते हैं। मानवता को अन्याय व अधर्म के गर्त से निकालकर उसे सत्य मार्ग प्रदर्शन हेतु अवतरित होने वाले भगवान विष्णु के आमतौर पर दस अवतार माने गये हैं। भगवान विष्णु के इन दस अवतारों को संयुक्त रूप से दशावतार कहा जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार भगवान विष्णु के अब तक सतयुग में मत्स्य, कूर्म, वराह, त्रेतायुग में नरसिंह, वामन, परशुराम, राम और द्वापर युग में बलराम, श्रीकृष्ण अवतार हो चुके हैं, और दुष्टों को दंडित, भलों को पुरस्कृत, धर्म व सत्य के प्रतिस्थापन और सतयुग का उद्घाटन करने के लिए वर्तमान कलियुग के अन्त में श्रीविष्णु के दशम अवतार कल्कि का प्रकटन होगा। और उनके द्वारा आततायी राक्षस कलि का वध होगा। कलि का वध करने के कारण ही इन्हें कल्कि (कल्किं/ कल्की) संज्ञा अभी से ही प्राप्त है। कतिपय पौराणिक ग्रन्थों में विष्णु के दस अवतारों में बलराम को नहीं शामिल कर उनके स्थान पर वेंकटेश्वर अथवा बुद्ध को शामिल किया गया है। और बलराम को श्रीकृष्ण के पूर्व तथा वेंकटेश्वर को श्रीकृष्ण के पश्चात अवतरित होना बताया गया है। दशावतार के संबंध में विभिन ग्रन्थों में अंकित सूचियों में अंतर अथवा भिन्नता भी है। एक मान्यतानुसार श्रीकृष्ण ही परमात्मा हैं और दशावतार श्रीकृष्ण के ही दस अवतार हैं। इसलिए उनकी सूची में श्रीकृष्ण नहीं, बल्कि उनके स्थान पर बलराम होते हैं। कुछ लोग बलराम को एक अवतार मानते हैं, बुद्ध को नहीं। सामान्यतः बलराम को आदिशेष अर्थात विष्णु के विश्राम के आधार का अवतार माना जाता है। वैदिक मतानुसार सर्वत्र व्यापक, सर्वशक्तिमान, निराकार परमात्मा का अवतरण संभव नहीं, लेकिन पौराणिक मान्यताओं में अवतार का अर्थ प्रायः उतरना माना जाता है। पौराणिक  मान्यतानुसार पंचम भूमि असंसक्ति अवस्था है। इस अवस्था में योगी समाधिस्थ हों अथवा उससे उठे हों, वह ब्रह्मभाव से कभी विचलित नहीं होते अथवा संसार के दृश्यों को देखकर विमुग्ध नहीं होते। यही शुद्ध, पक्की योगारूढ़ावस्था है। इस अवस्था में रहकर सब काम किया भी जा सकता है और नहीं भी किया जा सकता है। साधारणतः महायोगीश्वर पुरूष तथा अवतारी पुरुष इसी अवस्था में रहते हैं और इसी अवस्था में रहकर समस्त जगत लीला का संपादन करते हैं। भागवत पुराण के अनुसार समस्त जगत लीला का संपादन करने के लिए विष्णु के असंख्य अवतार हुए हैं, किन्तु उनके दस अवतारों अर्थात दशावतार को प्रमुख अवतार माना जाता है। भागवत पुराण, अग्निपुराण और गरुड़पुराण में उल्लिखित विष्णु के दस अवतार से संबंधित सूची में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, वेंकटेश्वर, कल्कि नाम शामिल हैं। भागवत पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार इस युग के अंत में कल्कि अवतार होगा। इससे अन्याय और अनाचार का अंत होगा तथा न्याय का शासन होगा जिससे सत्य युग की फिर से स्थापना होगी। पुराणों के अतिरिक्त आम भारतीयों में सर्वप्रचलित ग्रंथ सुखसागर के अनुसार भगवान विष्णु के चौबीस अवतार हैं- सनकादि ऋषि, वराहावतार, नारद मुनि, हंसावतार, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञ, ऋषभदेव, पृथु, मत्स्यावतार, कूर्म अवतार, धन्वन्तरि, मोहिनी, हयग्रीव, नृसिंह, वामन, श्रीहरि गजेंद्रमोक्ष दाता, परशुराम, वेदव्यास, राम, कृष्ण, वेंकटेश्वर, कल्कि। सिखों के दशम गुरु गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित दशम ग्रंथ में विष्णु के चौबीस अवतारों में मछ (मत्स्य), कच्छ (कच्छप या कूर्म), नारायण, महा मोहिनी (मोहिनी), बैरह (वाराह), नर सिंह (नृसिंह), बावन (वामन), परशुराम, ब्रह्म, जलन्धर, बिशन (विष्णु), शेशायी (शेष), अरिहन्त देव, मनु राजा, धन्वन्तरि, सूरज, चन्दर, राम, बलराम, कृष्ण, नर (अर्जुन), बुद्ध. कल्कि शामिल हैं। भारतीय संस्कृति व परंपरा में अवतारवाद की व्याख्या कई प्रकार से की गई हैं। आध्यात्मिक, पौराणिक ढंग से तो इनकी व्याख्या पौराणिक ग्रंथों व रामायण, महाभारत आदि महाकाव्यों में की ही गई है, अन्य ढंग से इनकी व्याख्या समय-समय पर की जाती रही है, उनमें पस्पर असमानताएं, विषमताएं व विरोधाभास भी है। एक मत के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतार की कथाएं सृष्टि की जन्म प्रक्रिया को दर्शाते हैं। इस मतानुसार जल से ही सभी जीवों की उत्पति हुई। इसलिए भगवान विष्णु सर्वप्रथम जल के अन्दर मत्स्य रूप में प्रगट हुए। फिर कूर्म बने। तत्पश्चात वराह रूप में जल तथा पृथ्वी दोनों का जीव बने। नरसिंह, आधा पशु- आधा मानव, पशु योनि से मानव योनि में परिवर्तन का जीव है। वामन अवतार बौना शरीर है, तो परशुराम एक बलिष्ठ ब्रह्मचारी का स्वरूप है, जो राम अवतार से गृहस्थ जीवन में स्थानांतरित हो जाता है। कृष्ण अवतार एक वानप्रस्थ योगी, और बुद्ध पर्यावरण के रक्षक हैं। पर्यावरण के मानवी हनन की दशा सृष्टि को विनाश की ओर धकेल देगी। अतः विनाश निवारण के लिए कलंकि अवतार की भविष्यवाणी पौराणिक ग्रन्थों में पूर्व से की गई है। एक अन्य मतानुसार दस अवतार मानव जीवन के विभिन्न पड़ावों को दर्शाते हैं। मत्स्य अवतार शुक्राणु है, कूर्म भ्रूण, वराह गर्भ स्थति में बच्चे का वातावरण, तथा नर-सिंह नवजात शिशु है। आरम्भ में मानव भी पशु जैसा ही होता है। वामन बचपन की अवस्था है, परशुराम ब्रह्मचारी, राम युवा गृहस्थी, कृष्ण वानप्रस्थ योगी तथा बुद्ध वृद्धावस्था का प्रतीक है। कलंकि मृत्यु पश्चात पुनर्जन्म की अवस्था है। दशावतार को विकासवादी डार्विन के सिद्धान्त से जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं। इस विचार के अनुसार अवतार जलचर से भूमिवास की ओर बढ़ते क्रम में हैं, फिर आधे जानवर से विकसित मानव तक विकास का क्रम चलते गया है। इस प्रकार दशावतार क्रमिक विकास का प्रतीक अथवा रूपक की तरह है। भारतीय संस्कृति में भगवान विष्णु के इन दशावतारों के स्वतंत्र व संयुक्त रूप से पूजन- अर्चन की भी परंपरा है। स्वतंत्र रूप से पृथक-पृथक अवतरण दिवस तथा संयुक्त रूप से दशावतार व्रत विधि- विधान से मनाए जाने का वृहत उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में हुआ है। भगवान विष्णु के दस अवतारों को समर्पित दशावतार व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किए जाने की पौराणिक परिपाटी है। यह व्रत समस्त पाप नाश, सम्पूर्ण कष्ट निवारण और मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि को भगवान विष्णु … Read more

IPL चैंपियन से भी दोगुना इनाम, महिला वर्ल्ड कप जीत पर होगी धनवर्षा

नई दिल्ली इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने सोमवार को भारत और श्रीलंका में होने वाले महिला विश्व कप के लिए इनामी राशि की घोषणा की. खास बात यह है कि यह राशि ICC मेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 की कुल इनामी राशि से $10 मिलियन से ज्यादा है. आधिकारिक बयान में ICC ने पुष्टि की कि इस प्रमुख टूर्नामेंट में कुल पुरस्कार राशि $13.88 मिलियन (अमेरिकी डॉलर) होगी. यह इस साल की शुरुआत में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु द्वारा जीते गए उनके पहले IPL खिताब की पुरस्कार राशि से दोगुनी है. महिला विश्व कप 2025 इनामी राशि की डिटेल: महिला क्रिकेट विश्व कप के 13वें एडिशन के विजेताओं को $4.48 मिलियन (INR 39,54,00,294) की पुरस्कार राशि मिलेगी; जो 2022 में ऑस्ट्रेलिया को दी गई $1.32 मिलियन की राशि से 239 प्रतिशत अधिक है. उप-विजेताओं को $2.24 मिलियन (INR 19,77,11,314) की राशि मिलेगी, जो तीन साल पहले इंग्लैंड को मिले $600,000 की तुलना में 273 प्रतिशत की वृद्धि है. * दो सेमीफाइनल हारने वाली टीमों को प्रत्येक $1.12 मिलियन (INR 9,88,57,926) मिलेंगे. * प्रत्येक ग्रुप स्टेज प्रतिभागी को $250,000 (INR 2,20,66,501) की गारंटी दी जाएगी. * प्रत्येक ग्रुप स्टेज जीत पर $34,314 (INR 30,28,794) मिलेंगे. * पांचवें और छठे स्थान पर रहने वाली टीमों को प्रत्येक $700,000 (INR 6,17,86,900) मिलेंगे. * सातवें और आठवें स्थान पर रहने वाली टीमों को प्रत्येक $280,000 (INR 2,47,14,765) मिलेंगे. महिला क्रिकेट में बड़ी पहल ICC के अध्यक्ष जय शाह ने कहा कि इनामी राशि में बढोतरी ‘महिला क्रिकेट की यात्रा में एक माइलस्टोन है. शाह ने कहा, “पुरस्कार राशि में यह चार गुना वृद्धि महिला क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और इसके लांग टर्म ग्रोथ के प्रति हमारी स्पष्ट प्रतिबद्धता को दिखाता है. हमारा मैसेज बहुत ही साफ है, महिला क्रिकेटरों को यह जानना चाहिए कि यदि वे इस खेल को प्रोफेशनल तौर से चुनती हैं तो उन्हें पुरुषों के समान पैसे मिलेंगे”

सरकार का खजाना भर गया, GST से आया ₹1.86 लाख करोड़ — अब तक का तगड़ा उछाल

नई दिल्ली सरकार ने सोमवार को जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े शेयर किए, जो राहत भरे हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें, तो अगस्त महीने में कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो बीते साल की समान अवधि की तुलना में 6.5 फीसदी ज्यादा है. बता दें कि अगस्त 2024 में 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं बात इससे पिछले महीने की करें, तो जुलाई 2025 में जीएसटी संग्रह से सरकार के खजाने में 1.96 लाख करोड़ रुपये आए थे.  रेवेन्यू में जोरदार उछाल का असर सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू राजस्व में उछाल की वजह से अगस्त में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक पर पहुंच गया. बीते महीने ये रेवेन्यू 9.6 फीसदी बढ़कर 1.37 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात कर 1.2 फीसदी की गिरावट के साथ 49,354 करोड़ रुपये रह गया. जीएसटी रिफंड पर नजर डालें, तो साल-दर-साल 20 फीसदी घटकर 19,359 करोड़ रुपये रह गया. अप्रैल 2025 में रिकॉर्ड कलेक्शन जीएसटी कलेक्शन के अब तक के सबसे बड़े आंकड़े पर नजर डालें, तो ये इस साल अप्रैल महीने में रहा था, जब सरकार के जीएसटी संग्रह से 2.37 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. ये जीएसटी के लागू होने के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा कलेक्शन था.  गौर करने वाली बात है कि जोरदार जीएसटी कलेक्शन का ये आंकड़ा ऐसे समय में आया है, जबकि दो दिन बाद जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. इसमें जीएसटी रिफॉर्म के तहत टैक्स स्लैब की संख्या को कम करने, जीएसटी रेट्स को युक्तिसंगत बनाने पर चर्चा होने वाली है.  देश में जीएसटी में बदलाव की तैयारी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म को लेकर ऐलान किया था. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लेकर आ रही है और इससे आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा. उन्होंने इसके दिवाली से पहले लागू होने की उम्मीद जताई थी. नई जीएसटी व्यवस्था में कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए सिर्फ दो दरें, 5% और 18%, लागू करने का प्रस्ताव है. जीओएम की मंजूरी, 3-4 सितंबर को बैठक  बीते 20 और 21 अगस्त को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की नई दिल्ली में हुई बैठक में दो टैक्स स्लैब के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 12% और 28% जीएसटी स्लैब को खत्म करने पर सहमति जताई गई. इसमें शामिल सदस्यों ने 5% और 18% जीएसटी स्लैब के प्रस्ताव को मंजूर किया. हालांकि, सरकार को इस जीएसटी रिफॉर्म ससे करीब 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान की आशंका है. अब जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे पर अंतिम मुहर लगेगी. 

घग्गर नदी उफान पर, पंजाब में बाढ़ से हालात बिगड़े; शाह ने लिया अपडेट

पंजाब  पंजाब में बाढ़ से हालत चिंताजनक बने हुए हैं। राज्य में सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात की तथा राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। वहीं, पंजाब में भंखरपुर इलाके के पास घग्गर नदी का जलस्तर सोमवार को बढ़ गया, जिसके मद्देनज़र ज़िला प्रशासन ने कई गांवों के लिए चेतावनी जारी की है। अधिकारियों ने बताया कि राजपुरा उप-मंडल की घनौर और सनौर विधानसभा क्षेत्रों में नदी के किनारे बसे गांवों के निवासियों को सतर्क रहने और नदी के पास न जाने की सलाह दी गई है। राजपुरा के उप-मंडल मजिस्ट्रेट अविकेश गुप्ता ने ऊंटसर, नन्हेड़ी, संजारपुर, लछरु, कमलपुर, रामपुर, सौंता, मारू और चमरू गांवों के लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह, भस्मरा, जलालखेड़ी, राजूखेड़ी, हडाना, पूर, धरमेरी, उल्टपुर और सिरकपरा गांवों के निवासियों को भी सतर्क रहने को कहा गया है। लगातार बारिश को देखते हुए पटियाला की उपायुक्त डॉ. प्रीति यादव ने कहा कि स्थानीय नाले, तालाब, घग्गर, गंगरी, मार्कंडा तथा अन्य नदियां उफान पर हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अस्थायी सड़कों, विशेषकर जल स्रोतों के पास स्थित रास्तों का उपयोग न करें और अनावश्यक यात्रा से बचें। उन्होंने आम जनता से यह भी अनुरोध किया कि लोग पुलों या उफनती जलधाराओं के पास तस्वीरें लेने या घूमने के लिए एकत्र न हों और पशुओं को भी नदी किनारे न ले जाएं। यादव ने बताया कि आगामी तीन दिन के लिए अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान ज़िला प्रशासन स्थिति पर लगातार नज़र रखे हुए है और समय-समय पर चेतावनियां जारी की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीमें ज़िले भर में नदी तटों और संवेदनशील गांवों में तैनात हैं। घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सतर्कता बरतना आवश्यक है।'' अमित शाह ने पंजाब के राज्यपाल, मुख्यमंत्री से की बात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात की तथा राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। टेलीफोन पर बातचीत के दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को मौजूदा स्थिति तथा प्रभावित लोगों के बचाव एवं राहत के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि शाह ने बाढ़ से निपटने के लिए दोनों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। लगातार बारिश के कारण पंजाब के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य सरकार ने रविवार को स्कूलों को बंद रखने की अवधि तीन सितंबर तक बढ़ा दी।   अधिकारियों के अनुसार, पंजाब में अगस्त में 253.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 74 प्रतिशत अधिक है और राज्य में 25 वर्षों में सबसे अधिक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में मान ने कहा कि पंजाब इस समय दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ आपदा से जूझ रहा है, जिससे लगभग 1,000 गांव और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।

बीमार कैदियों की रिहाई पर बड़ा फैसला, योगी सरकार बनाएगी नियम आसान

लखनऊ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीर बीमारियों से ग्रसित बंदियों की समयपूर्व रिहाई से संबंधित नियमों को अधिक सरल, स्पष्ट तथा मानवीय दृष्टिकोण से परिभाषित किए जाने की आवश्यकता जताई। सोमवार को कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाओं की समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करते हुए प्रदेश की नीति को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पात्र बंदियों की रिहाई स्वतः विचाराधीन होनी चाहिए और इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्राणघातक रोग से पीड़ित होने की आशंका वाले सिद्धदोष बंदी, जिसे मुक्त करने पर उसके स्वस्थ होने की उपयुक्त संभावना है तथा वृद्धावस्था, अशक्तता या बीमारी के कारण भविष्य में ऐसा अपराध करने में स्थायी रूप से असमर्थ बंदी, जिसके लिए वह दोषी ठहराया गया हो, के साथ-साथ घातक बीमारी या किसी प्रकार की अशक्तता से पीड़ित सिद्धदोष बंदी जिसकी मृत्यु निकट भविष्य में होने की संभावना हो, के संबंध में प्रदेश के सभी कारागारों में सर्वेक्षण कर वास्तविक संख्या का आकलन किया जाए। इनमें महिलाओं, बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था हो।   मुख्यमंत्री ने कैदियों को कृषि, गोसेवा आदि कार्यों से जोड़कर उनकी जेल अवधि के सदुपयोग करने के लिए व्यवस्था बनाने की भी आवश्यकता बताई। सीएम योगी ने कहा कि जेल मैनुअल में यह भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना आवश्यक है कि किन बीमारियों को असाध्य रोग की श्रेणी में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए समयपूर्व रिहाई उन्हीं मामलों में की जानी चाहिए, जहां से सामाजिक जोखिम न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराध जैसे मामलों में रिहाई कतई नहीं की जानी चाहिए। नियमों में बदलाव पर जोर देते हुए सीएम योगी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष तीन बार जनवरी, मई और सितंबर में पात्र बंदियों के मामलों की स्वतः समीक्षा की व्यवस्था हो। यदि किसी बंदी को रिहाई न दी जाए तो उसके कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं और उसे यह अधिकार मिले कि वह उस निर्णय को चुनौती दे सके। बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सुझाई गई प्रणाली को उत्तर प्रदेश में अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि बंदियों को न्यायिक अधिकारों का लाभ सुचारू रूप से मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, त्वरित और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित होनी चाहिए तथा जल्द ही नई नीति का प्रारूप तैयार कर अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए।

गांधी मैदान गूंजा विपक्षी नेताओं के संबोधन से, पुलिस ने रोकी वोट अधिकार यात्रा

पटना पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा का अंतिम चरण शुरू हो गया है। यह पदयात्रा बिहार के 23 जिलों से गुजरते हुए सासाराम से 17 अगस्त को शुरू हुई थी। करीब 16 दिनों और 1300 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करने के बाद यह यात्रा अब पटना के गांधी मैदान पर बड़ी रैली के साथ खत्म होगी। इस यात्रा का मकसद मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी के खिलाफ लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने यात्रा रोकी पटना पुलिस ने डाकबंगला चौराहे पर बैरिकेडिंग कर राहुल-तेजस्वी समेत इंडिया ब्लॉक के पदयात्रा को रोक दिया। भारी पुलिस बल के साथ पुलिस ने इलाके को पूरी तरह से घेर लिया है। जब पदयात्रा को डाकबंगला चौराहे पर रोका गया तो विपक्षी नेता वहीं रुककर जनता को संबोधित करने लगे। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल और सुरक्षा के कड़े इंतजाम देखने को मिले। इंडिया ब्लॉक के बड़े नेता हुए शामिल इस पदयात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले, सीपीआई के डी. राजा और सीपीआई-एमएल के दीपंकर भट्टाचार्य जैसे कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। ये सभी नेता पटना एयरपोर्ट पर कांग्रेस और गठबंधन के कार्यकर्ताओं द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किए गए। इसके बाद सभी गांधी मैदान के लिए रवाना हुए जहां यात्रा का समापन समारोह शुरू हुआ। यात्रा का मकसद और अहमियत क्या है? यह यात्रा मतदाता सूची में कथित हेराफेरी के खिलाफ जनसामान्य में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से निकाली गई है। इस पदयात्रा के दौरान भारत के विभिन्न इलाकों से होकर गुजरते हुए लोगों को अपने वोट के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता के बारे में जागरूक किया गया। बिहार जैसे बड़े राज्य में यह कदम खास महत्व रखता है, जहां राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाना बेहद जरूरी माना जा रहा है। पटना में विपक्षी नेताओं का जनसंपर्क डाकबंगला चौराहे पर यात्रा रोक दिए जाने के बाद राहुल और तेजस्वी ने वहीं से जनता को संबोधित किया। इस मौके पर विपक्षी नेताओं ने मतदाताओं को वोट अधिकार यात्रा के मकसद से अवगत कराया और चुनावी भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। गांधी मैदान में भी भारी संख्या में कार्यकर्ता और आम लोग जमा हुए, जिससे इस रैली का रंग और जोश दोनों बढ़ गए। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, प्रशासन सतर्क पटना पुलिस ने यात्रा को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की। डाकबंगला चौराहे और आसपास के इलाकों में बैरिकेडिंग के साथ भारी पुलिस बल तैनात किया गया। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हर संभव सावधानी बरती। इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में मतभेद भी देखे गए हैं।

सीपी राधाकृष्णन पर सुदर्शन रेड्डी का वार, बोले- विपक्षी कैंडिडेट तो बोलते ही नहीं

नई दिल्ली  विपक्षी INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति कैंडिडेट सुदर्शन रेड्डी ने सत्ता पक्ष के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन पर तंज कसा है। उन्होंने सोमवार को कहा कि मेरे प्रतिद्वंद्वी तो बोलते ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि दोनों कैंडिडेट बोलें तो एक डिबेट हो सकती है। इस तरह हैदराबाद पहुंचे रेड्डी ने राधाकृष्णन को अपने साथ डिबेट करने का चैलेंज दे दिया। रेड्डी ने कहा कि मैं भले ही विपक्षी दलों का कैंडिडेट हूं, लेकिन मुझे INDIA ब्लॉक के बाहर के दलों जैसे आम आदमी पार्टी का भी समर्थन हासिल है। रेड्डी ने कहा कि मेरी लड़ाई संविधान को बचाने के लिए है और मैं शुरुआती दिनों से ही इसके लिए संघर्ष करता रहा हूं। यही दलील देते हुए सुदर्शन रेड्डी ने सभी दलों के सांसदों पत्र लिखा है और उपराष्ट्रपति चुनाव में खुद को समर्थन देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई भारत के बीते कुछ सालों के इतिहास में सबसे साफ-सुथरी और शानदार चुनावी लड़ाई होगी। रेड्डी ने पहले ही कहा था कि वह सभी दलों के सांसदों को चिट्ठी लिखेंगे और मांग करेंगे उन्हें ही वोट दें। रेड्डी ने मुंबई में एक आयोजन में कहा था कि यदि मुझे आप लोगों ने जिताया तो यह संविधान को बचाने के लिए दिया गया वोट होगा। यदि मुझे उपराष्ट्रपति के तौर पर काम करने का मौका मिला तो मैं संविधान की रक्षा करूंगा। रेड्डी ने कहा कि उनका संविधान के साथ सफर 1971 में शुरू हुआ था, जब वे आंध्र प्रदेश बार काउंसिल के मेंबर बने और वकालत की शुरुआत की थी। इसके बाद वे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बने। उन्होंने स्पष्ट किया कि मैं किसी भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं हूं। मैं कभी किसी राजनीतिक पार्टी या संगठन का सदस्य नहीं रहा हूं और भविष्य में भी बनने का इरादा नहीं है। इसी वजह से मैं ही एकमात्र उम्मीदवार हूं जो सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से अपने योग्यता के आधार पर समर्थन की अपील कर सकता हूं। विपक्षी उम्मीदवार ने कहा कि वे संसद के दोनों सदनों के प्रत्येक सदस्य को व्यक्तिगत पत्र लिखेंगे और उनकी अंतरात्मा को संबोधित करते हुए अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मौका मिला तो वे भाजपा नेतृत्व से मिलने को तैयार हैं। यह उपराष्ट्रपति चुनाव हाल ही में जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे की वजह से हो रहा है। विपक्ष ने इसे वैचारिक लड़ाई बताया है, लेकिन आंकड़े सत्तारूढ़ भाजपा और उसकी लीडरशिप वाले NDA गठबंधन के पक्ष में हैं, जिसने महाराष्ट्र राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को 9 सितंबर को होने वाले चुनाव हेतु अपना उम्मीदवार बनाया है।