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देश में लगाए जाएंगे 1.25 करोड़ पौधे, यूपी को मिला 15 लाख पौधरोपण का लक्ष्य

सेवा पर्व: यूपी में 15 लाख पौधरोपण कराएगी योगी सरकार  17 सितंबर से दो अक्टूबर तक मनाया जाएगा सेवा पर्व  देश में लगाए जाएंगे 1.25 करोड़ पौधे, यूपी को मिला 15 लाख पौधरोपण का लक्ष्य  17 सितंबर को प्रदेश के 34 नगर वन में कम से कम होंगे 100-100 पौधरोपण  पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान, वर्षा जल संचयन समेत अनेक अभियान भी चलाए जाएंगे हर जनपद में प्रभागीय वनाधिकारी बनाए गए नोडल अधिकारी लखनऊ 17 सितंबर से दो अक्टूबर तक सेवा पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान देश में 1.25 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। इसमें से योगी सरकार प्रदेश में 15 लाख पौधरोपण कराएगी। 17 सितंबर को पर्व के शुभारंभ पर प्रदेश के 34 नगर वन में कम से कम 100-100 पौधरोपण कराया जाना अनिवार्य है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान, वर्षा जल संचयन समेत अनेक अभियान भी चलाए जाएंगे। हर जनपद में प्रभागीय वनाधिकारी इसके नोडल अफसर होंगे।   जनसहभागिता से सभी 75 जनपदों में होगा आयोजन   प्रमुख सचिव (वन-पर्यावरण) अनिल कुमार ने बताया कि यूपी के लिए 15 लाख पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने मुख्यालय के अधिकारियों समेत सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देशित किया कि यूपी के सभी 75 जनपदों में जनसहभागिता के माध्यम से पौधरोपण कराया जाए। इसके लिए प्रजातियों का चयन कर लिया जाए। सभी पौधरोपण स्थलों के फोटोग्राफ व एमआईएस डेटा के साथ Meri Life पोर्टल पर अपलोड किया जाए। जिला वृक्षारोपण समिति अन्य विभागों से सामंजस्य स्थापित करते हुए पौधों की सुरक्षा व रखरखाव भी सुनिश्चित करेगी।  34 नगर वन-वाटिका में कम से कम 100-100 पौधे लगाना अनिवार्य  पौधरोपण महाभियान-2025 के मिशन निदेशक दीपक कुमार ने बताया कि सेवा पर्व के शुभारंभ पर 17 सितंबर को यूपी के 34 नगर वन-वाटिका में कम से कम 100-100 पौधे लगाना अनिवार्य है।  इसके अतिरिक्त विभाग के सभी कार्यालयों, वन निगम के समस्त डिपो में स्वच्छता तथा प्राणि उद्यान व सफारी में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने को लेकर भी अभियान चलेगा। विभिन्न पक्षी अभयारण्यों में सफाई अभियान, पर्यावरण संरक्षण जागरूकता, वर्षा जल संचयन व जल स्रोत के संरक्षण पर जागरूकता अभियान भी चलेगा। प्रत्येक प्रभाग में नर्सरी एक्शन प्लान पर कार्यशाला होगी। जिला स्तर पर विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत को लेकर प्रबुद्ध वर्ग संवाद में वन-वन्यजीव संरक्षण, हरीतिमा संवर्धन, जैव विविधता आदि विषयों पर डीएफओ प्रतिभाग भी करेंगे। जनपदीय मेले व प्रदर्शनियों में वन विभाग का भी सहयोग रहेगा। आयोजन को लेकर तैयारी की जा रही है।  यूपी को मिला 15 लाख पौधरोपण का लक्ष्य  सेवा पर्व के अंतर्गत 1.25 करोड़ पौधरोपण किया जाना है। इसमें उत्तर प्रदेश को 15 लाख पौधरोपण के लक्ष्य मिला है।  सर्वाधिक लक्ष्य वाले 10 राज्य  ओडिशा- 20 लाख  उत्तर प्रदेश- 15 लाख  असम- 11.50 लाख  गुजरात-11 लाख  छत्तीसगढ़-11 लाख  मध्य प्रदेश- 8 लाख  महाराष्ट्र- 7 लाख  आंध्र प्रदेश- 7 लाख  राजस्थान- 7 लाख  बिहार- 5 लाख

डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी: नोबेल शांति कमेटी ने किया खारिज

ओस्लो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने 7 युद्ध रुकवाए हैं और इसके लिए तो उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। उनके इन बयानों से अनुमान लगाया जाता है कि वे नोबेल पुरस्कार के लिए आतुर दिख रहे हैं, लेकिन नोबेल कमेटी पर इसका कोई असर नहीं लगता। नॉर्वे की नोबेल कमेटी का कहना है कि हम पर किसी तरह का दबाव नहीं चलता है। हम पूरी स्वायत्तता और स्वतंत्रता के साथ फैसले लेते हैं। जनवरी में अमेरिका की सत्ता फिर से संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। वह बराक ओबामा का भी जिक्र कर चुके हैं कि उन्हें तो यह सम्मान बहुत जल्दी मिल गया था। उनका कहना है कि वह 6 से 7 जंग रुकवा चुके हैं और वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। यही नहीं उनका कहना है कि मैं रूस और यूक्रेन के अलावा इजरायल और हमास के बीच की जंग भी रुकवाने के लिए तत्पर हूं। एएफपी को दिए इंटरव्यू में नोबेल कमेटी के सचिव क्रिस्टियन बर्ग हार्पविकेन ने कहा, 'यह सही है कि किसी खास कैंडिडेट को लेकर मीडिया में काफी चर्चा है। लेकिन यह भी सच है कि इससे हमारे फैसले पर कोई असर नहीं पड़ता। हम अपने मानकों के अनुसार ही निर्णय लेते हैं। इसमें कोई बाहरी फैक्टर काम नहीं करता और ना ही किसी तरह का प्रेशर चलता है।' 10 अक्टूबर को होने वाला है नोबेल पुरस्कार का ऐलान इस साल के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान 10 अक्तूबर को होने वाला है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनके नाम की सिफारिश बेंजामिन नेतन्याहू और अजरबैजान के इलहाम अलियेव ने भी की है। इसके अलावा पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भी कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को इस बार यह पुरस्कार मिलने की संभावना बहुत कम है। 31 जनवरी ही थी नोबेल पुरस्कार के नामांकन की आखिरी तारीख इसकी वजह यह है कि नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी ही थी, जबकि उससे ठीक 11 दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभाला था। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर विचार भी होगा तो वह अगले साल होगा। इस बार उनके नाम के ऐलान की कोई संभावना नहीं है। जुलाई में ही नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम आगे बढ़ाया है। इसके लिए उन्होंने नॉर्वे की नोबेल समिति को लेटर भी भेजा था।  

तीन साल में यूपीआईटीएस ने आंकड़ों और प्रभाव में खुद को दोगुना से ज्यादा किया मजबूत

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो : तीन साल में बढ़ा आकार, बढ़ी पहचान तीन साल में यूपीआईटीएस ने आंकड़ों और प्रभाव में खुद को दोगुना से ज्यादा किया मजबूत  2023 से 2025 तक इस मेगा आयोजन में प्रदर्शकों और विज़िटर्स की संख्या में हुआ भारी इजाफा  यूपीआईटीएस में विदेशी खरीदारों की बढ़ती उपस्थिति ने उत्तर प्रदेश को दिलाई वैश्विक पहचान प्रदेश की औद्योगिक, कृषि और सांस्कृतिक ताकत को दुनिया के सामने रखने का मंच बना यूपीआईटीएस  हर साल बढ़ रही प्रदर्शकों, खरीदारों और विज़िटर्स की संख्या राज्य के औद्योगिक परिदृश्य के विस्तार का दे रही संकेत  यूपीआईटीएस 2025 में 400 से बढ़कर 500 विदेशी खरीदारों की भागीदारी का रखा गया है लक्ष्य 25 से 29 सितंबर के बीच होने वाले मेगा आयोजन के लिए क्यूआर कोड आधारित एप से होगा स्मार्ट रजिस्ट्रेशन  लखनऊ  उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (यूपीआईटीएस) ने महज़ तीन वर्षों में खुद को देश और दुनिया के व्यापार मानचित्र पर स्थापित कर लिया है। 2023 में हुए पहले आयोजन से लेकर 2025 के तीसरे संस्करण तक यह शो हर साल आकार, प्रभाव और भागीदारी के लिहाज से और भव्य होता जा रहा है। प्रदर्शकों, विज़िटर्स और विदेशी खरीदारों की लगातार बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि यूपी अब निवेश, व्यापार और वैश्विक पहचान के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर शुरू हुए यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का तीसरा संस्करण 25 से 29 सितंबर के बीच ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में होने जा रहा है। यह केवल प्रदर्शनी नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की औद्योगिक, कृषि और सांस्कृतिक ताकत को दुनिया के सामने रखने का मंच बन गया है। हर साल इसमें प्रदर्शकों, खरीदारों और विज़िटर्स की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि राज्य का औद्योगिक परिदृश्य किस तरह विस्तार पा रहा है। 2023 : प्रथम संस्करण से मिली नई दिशा उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS) की शुरुआत वर्ष 2023 में हुई। इसका उद्घाटन महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था। यह आयोजन राज्य के उद्योग जगत के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ। इसमें करीब 70 हजार B2B विज़िटर्स पहुंचे, जिनमें उद्योग और कारोबार जगत के बड़े नाम शामिल थे। 2 लाख 37 हजार बी2सी विज़िटर्स ने घरेलू बाजार के प्रति गहरी दिलचस्पी दिखाई। वहीं, 1914 प्रदर्शक (एग्जिबिटर्स) ने अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन किया। 400 से अधिक विदेशी खरीदार (फॉरेन बायर्स) ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नए अवसरों को तलाशा। इस पहले ही आयोजन ने यूपी के उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई और स्थानीय उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जोड़ने का अवसर दिया। 2024 : दूसरे संस्करण में और भी भव्य आयोजन पहले संस्करण की सफलता ने 2024 के आयोजन को और बड़े पैमाने पर पेश करने की राह दिखाई। इस बार उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि यूपीआईटीएस का प्रभाव और दायरा लगातार बढ़ रहा है। इस दौरान, बी2बी विज़िटर्स की संख्या 1 लाख से अधिक रही, यानी लगभग दोगुनी बढ़त। वहीं, बी2सी विज़िटर्स की संख्या 3 लाख के पार पहुंच गई। 2122 प्रदर्शकों ने हिस्सा लिया, जो पिछले साल से बढ़ोतरी का स्पष्ट संकेत है। इसके अतिरिक्त, इस मेगा इवेंट में 350 से अधिक विदेशी खरीदार शामिल हुए, जिनकी मौजूदगी ने राज्य के कारोबार को और अधिक अंतरराष्ट्रीय अवसर दिए। दूसरे संस्करण ने यह साबित कर दिया कि यूपीआईटीएस अब केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख मंच बन चुका है। 2025 : तीसरे संस्करण से नई ऊंचाइयों की ओर अब 2025 का तीसरा संस्करण आयोजित होने जा रहा है और यह पिछले दोनों आयोजनों से कहीं ज्यादा भव्य और बड़ा होने वाला है। आयोजकों ने जिन लक्ष्यों को सामने रखा है, वे इसकी बढ़ती ताकत को स्पष्ट करते हैं। इस बार 5 लाख से अधिक कुल विज़िटर्स आने की उम्मीद है। इनमें 2.5 लाख बी2बी विज़िटर्स और 3 लाख बी2सी विज़िटर्स शामिल होंगे। प्रदर्शकों की संख्या बढ़कर 2500 से अधिक हो जाएगी। 500 से अधिक विदेशी खरीदार आने की संभावना है, जिनके लिए अलग से समर्पित मीटिंग हॉल बनाए गए हैं। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अब क्यूआर कोड आधारित मोबाइल एप से होगी, जिससे पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित होगी। तीसरा संस्करण इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानचित्र पर अपनी अलग और मजबूत पहचान बनाने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।    

नई जनगणना से बदलेंगे यूपी के शहर, शहरी सीमा का विस्तार अब पक्का

लखनऊ  उत्तर प्रदेश की शहरी सीमा अब फिलहाल नहीं बढ़ाई जाएगी। जनगणना होने के बाद ही शहरी सीमाओं का विस्तार करने और नए निकायों के बनाने पर सहमति बनी है। जनगणना कराने से पहले शहरी और ग्रामीण सीमाओं का दायरा तय किया जाता है। इसके आधार पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की जनगणना कराई जाती है। जनगणना निदेशालय ने नगर विकास विभाग को पत्र भेजकर सीमाओं, वार्डों और मलिन बस्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। इसके आधार पर जनगणना का प्रारूप तय किया जाएगा। प्रदेश में मौजूदा समय 762 नगर निकाय हैं। निकायों को ही शहरी क्षेत्र माना जाता है। इसमें मौजूदा समय 22 फीसदी आबादी रहती है। नगर विकास विभाग शहरी सीमा का विस्तार करते हुए इस आबादी को 30 से 35 फीसदी करना चाहता है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए शहरी सीमा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। नगर विकास विभाग सीमा विस्तार करना चाहता था, लेकिन बताया जा रहा है कि जनगणना के चलते इस प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया गया है। बताया जा रहा है कि नई जनगणना के बाद शहरी सीमा का विस्तार किया जाएगा। जनगणना निदेशालय ने नगर विकास विभाग को पत्र भेजकर शहरी सीमा के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। नई जनगणना के लिए एक जनवरी 2010 के बाद नगर क्षेत्र की सीमा में विस्तार या किसी प्रकार का बदलाव की पूरी जानकारी मांगी गई है। इसमें निकायों में स्थित वार्डों, सीमा विस्तार व अन्य बदलावों की सूचना, वार्डों व उनमें आने वाले मुहल्लों, कालोनियों की सूची और सीमाओं को चिह्नांकन कराने, नगर समूह व वाह्य विकास की पहचान कराने के साथ ही मलिन बस्तियों की सूची मांगी गई है। जनगणना निदेशालय के पत्र के बाद निदेशक स्थानीय निकाय अनुज कुमार झा ने इस संबंध में निकायों को पत्र भेजा है। इसमें निकायवार पूरी जानकारी विस्तृत रिपोर्ट के साथ देने को कहा गया है। इससे यह तय माना जा रहा है कि निकायों की सीमा विस्तार फिलहाल के लिए रोक दी गई है। यह माना जा रहा है कि नई जनगणना का काम पूरा होने के बाद अब विस्तार किया जाएगा।  

चुनावी विवाद बढ़ा: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी

पटना  बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. मामले पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. बता दें कि कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी. इसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट से धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की है. याचिका दाखिल होते ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है. 4 सप्ताह में मांगा जवाब याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. इसके लिए कोर्ट ने आयोग को 4 सप्ताह का समय दिया है. याचिका में केंद्र को राजनीति में भ्रष्टाचार, जातिवाद और अपराधीकरण के खतरे को कम करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.   राजनीतिक दल बनेंगे पक्षकार सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लिया है. याचिका के बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों पर सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि मामले में सभी रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया जाए. कोर्ट के इस रुख से साफ है कि राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन को लेकर काफी सजग है. क्यों दाखिल हुई याचिका? एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 13 जुलाई को इनकम टैक्स ने दो राजनीतिक दलों इंडियन सोशल पार्टी और युवा आत्म निर्भर दल पर रेड डाली, तो 500 करोड़ की ब्लैक मनी का पता चला। याचिका में तर्क दिया गया है कि ऐसे में फर्जी राजनीतिक दल न केवल लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं, बल्कि कट्टर अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, मादक पदार्थों के तस्करों और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों से भारी मात्रा में धन लेकर उन्हें पदाधिकारी नियुक्त करके देश की छवि भी खराब कर रहे हैं।  

लाल फीताशाही के जाल में फंसी वीर सौरभ गर्ग की स्मृति, HHRC ने उठाया सवाल

हरियाणा हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने जींद के पिल्लुखेड़ा के शहीद सौरभ गर्ग को सम्मान दिलाने में हुई देरी को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया है। आयोग ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद मुख्य सचिव हरियाणा को छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। 8 दिसंबर, 2012 को सर्द सुबह पिल्लुखेड़ा में गैस सिलेंडर रिसाव से लगी आग में फंसे 11 लोगों की जान बचाते हुए सौरभ गर्ग ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पड़ोसी होने के बावजूद उन्होंने सीढ़ी लगाकर सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। जब सभी सुरक्षित हो गए तभी सिलेंडर में विस्फोट हुआ और सौरभ लपटों में समा गए। आयोग ने इस बलिदान को मानवता के सर्वोच्च आदर्श का प्रतीक बताया। शौर्य की इस घटना की संस्तुति उपायुक्त जींद ने एक सप्ताह में ही गृह विभाग को भेज दी थी। इसके बाद 2012 से 2024 तक कई पत्राचार हुए। विधानसभा में शोक प्रस्ताव और प्रधानमंत्री कार्यालय के पत्र तक भेजे गए। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते नामांकन समय पर आगे नहीं बढ़ा। परिणामस्वरूप सौरभ राष्ट्रीय जीवन रक्षा पुरस्कार से वंचित रह गए। आयोग की कड़ी टिप्पणी आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा की पीठ ने कहा, ‘यह देरी पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता का परिणाम है। इससे परिवार और समाज दोनों के साथ अन्याय हुआ।’ आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल 5 लाख की आर्थिक सहायता बलिदान के सम्मान का विकल्प नहीं हो सकती। सरकार को दिए ये निर्देश     मुख्य सचिव छह सप्ताह में देरी की जिम्मेदारी तय करें।     गृह मंत्रालय से विशेष छूट लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार हेतु नाम भेजा जाए।     राज्य सरकार अपने स्तर पर सौरभ गर्ग को साहसिक पुरस्कार देने पर विचार करे।     मुख्यमंत्री स्वयं संज्ञान लेकर सर्वोच्च स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करें। स्मारक रखरखाव पर भी फटकार शिकायतकर्ता पिता चंद्रभान ने आयोग को बताया कि शहीद सौरभ गर्ग स्मारक की देखरेख नहीं हो रही। इस पर आयोग ने मार्केट कमेटी पिल्लुखेड़ा को सफाई, लाइटिंग, बागवानी, पानी की सुविधा, बेंच और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था करने के आदेश दिए। आयोग ने कहा कि सौरभ गर्ग का बलिदान केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका संदेश है कि साहस, मानवता और निस्वार्थ सेवा कभी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।

PM सूर्यघर योजना में छत्तीसगढ़ का बड़ा लक्ष्य, 1.3 लाख नहीं, अब 5 लाख छतों पर सोलर पैनल लगाने की तैयारी

रायपुर  छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत मार्च 2027 तक प्रदेश के 1 लाख 30 हजार घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन हमारा प्रयास इससे भी आगे बढ़कर इसे 5 लाख छतों तक पहुँचाने का है। इस योजना के अंतर्गत उपभोक्ताओं को बड़ी सब्सिडी दी जा रही है। 1 किलोवॉट से 3 किलोवॉट क्षमता तक के सोलर संयंत्र लगाने पर 30 हजार से लेकर 78 हजार रुपये तक की केंद्रीय सहायता सीधे बैंक खाते में दी जा रही है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार भी अतिरिक्त सब्सिडी दे रही है। इससे उपभोक्ताओं को कुल लागत का 75 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नवा रायपुर में आयोजित 97वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस “फोरम ऑफ रेगुलेटर्स” को संबोधित करते हुए यह बात कही। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज हम अपने राज्य स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहे हैं। इन 25 वर्षों में हमारी उत्पादन क्षमता करीब 30,000 मेगावाट तक पहुँच गई है। स्टेट सेक्टर, निजी क्षेत्र और केंद्रीय सेक्टर की भागीदारी से आज छत्तीसगढ़ की धरती से 30 हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। हाल ही में हमने 32 हजार मेगावाट से अधिक क्षमता वाले बिजलीघरों की स्थापना के लिए एमओयू किए हैं। इनमें ताप विद्युत, पंप स्टोरेज, परमाणु, बैटरी स्टोरेज और सौर ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं। हमारा लक्ष्य आने वाले वर्षों में 60 हजार मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन करने वाला राज्य बनने का है। मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि प्रति व्यक्ति बिजली खपत के मामले में छत्तीसगढ़ देश से काफी आगे है। यहाँ खपत 2,211 यूनिट है, जबकि भारत में यह औसत केवल 1,255 यूनिट है। छत्तीसगढ़ अपनी आवश्यकता से अधिक बिजली का उत्पादन कर रहा है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हम अपने राज्य के साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि दो दिन पहले ही हमने कैबिनेट बैठक में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 2030 तक लागू रहने वाली नीति में संशोधन को मंजूरी दी है। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को औद्योगिक नीति में प्राथमिकता दी गई है। मुख्यमंत्री साय ने देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्युत नियामक आयोगों के अध्यक्षगण, पदाधिकारियों और विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति के लिए जो गहन विचार-विमर्श हुआ है, इसका उपभोक्ताओं सहित हम सभी को दूरगामी लाभ मिलेगा। उन्होंने आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ को चुनने हेतु विशेष आभार भी प्रकट किया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष जिश्नु बरुआ, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष हेमंत वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग के सचिव रोहित यादव सहित राज्य विद्युत नियामक आयोग के अन्य सदस्य एवं अन्य राज्यों से आए सदस्यगण उपस्थित थे।

मोहन भागवत का ट्रंप पर करारा कटाक्ष: डर है तो टैरिफ लगाओ!

नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि यह टैरिफ भारत के बढ़ते प्रभाव के डर का नतीजा है. भागवत ने कहा, "दुनिया में लोगों को डर लगता है, भारत बड़ा होगा तो हमारा क्या होगा? तो लगाओ टैरिफ, डर लगता है उनको." उन्होंने आगे कहा कि "हमे चाहिए, मुझे चाहिए, यही व्यक्ति के झगड़े से राष्ट्र झगड़े का कारण होता है." भागवत ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया को आज समाधान चाहिए और भारत ही पूरी दुनिया को सही रास्ता दिखा सकता है. उन्होंने भारत के लोगों की सराहना करते हुए कहा कि यहां लोग अभाव में भी खुश रहते हैं, और हालात बदलेंगे तो बदलेंगे. ट्रंप ने भारत पर लगाया है 50 फीसदी टैरिफ  आपको बता दें कि अमेरिका ने 2025 में भारत पर रिकॉर्ड स्तर के टैरिफ लगाए हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “रिसिप्रोकल टैरिफ” नीति के तहत लागू किया है. पहली बार जुलाई 2025 में यह टैरिफ लगाया गया था, जो 1 अगस्त से प्रभावी हुआ. उस समय अमेरिका ने कारण बताया गया कि भारत के ऊंचे टैरिफ और व्यापार घाटे का जवाब देना जरूरी है. इसके बाद अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने दूसरा टैरिफ लगाया, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और इससे यूक्रेन युद्ध को फंड मिल रहा है. इन दोनों फैसलों के बाद अमेरिका ने भारतीय निर्यातों पर टैरिफ की दर 50% तक पहुंच गई है, जो अमेरिका के किसी भी बड़े व्यापारिक साझेदार पर लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ हैं.  

अब नहीं बख्शेंगे कोई! यूपी में CM योगी ने किया बड़ा एक्शन, SDM और दो अफसर सस्पेंड

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति' के तहत एक के बाद एक बड़ी कार्रवाइयां की जा रही हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने मुजफ्फरनगर के SDM और दो राज्य कर अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। वहीं, गन्ना विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद गोपनीय जांच के आदेश दिए गए हैं। SDM जयेंद्र सिंह सस्पेंड, सरकारी जमीन के मामले में फंसे मुजफ्फरनगर के उप जिलाधिकारी (SDM) जयेंद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जमीन को गलत तरीके से संक्रमणीय (ट्रांसफरेबल) घोषित कर दिया और इससे कुछ प्रभावशाली लोगों को नाजायज फायदा पहुंचाया। शिकायतों की जांच के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। अब उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। राज्य कर विभाग के दो अधिकारी भी सस्पेंड राज्य कर विभाग (वाणिज्य कर विभाग) में भी भ्रष्टाचार को लेकर दो बड़े अफसरों पर गाज गिरी है, जिनमें अरुण शंकर रॉय (अपर आयुक्त) – इन पर आरोप है कि इन्होंने बिल्डरों को गलत तरीके से टैक्स में छूट देकर बड़ा लाभ पहुंचाया। दूसरे सतीश कुमार – इन्हें रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। बताया जा रहा है कि एक स्टिंग ऑपरेशन में इनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिले, जिसके बाद सस्पेंशन और गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की गई। दोनों अफसरों के खिलाफ जांच पूरी होने तक उन्हें पद से हटा दिया गया है। गन्ना विभाग में रिश्वतखोरी, जांच के आदेश अब गन्ना विभाग में भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। जिन दो अफसरों के खिलाफ जांच शुरू हुई है, वे हैं रामकिशन (जिला गन्ना अधिकारी) संयुक्त गन्ना निदेशक। इन पर आरोप है कि इन्होंने ऑनलाइन माध्यम से रिश्वत ली, किसानों की योजनाओं में गड़बड़ी की। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गोपनीय जांच के आदेश दिए हैं। जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक दोनों को पद से दूर रखने के निर्देश दिए गए हैं। सीएम योगी का सख्त संदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि प्रदेश में सुशासन और पारदर्शिता हमारी प्राथमिकता है। जो भी अधिकारी जनता के साथ धोखा करेगा, उसे सख्त सजा दी जाएगी। भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को साफ चेतावनी दी है कि अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  

बच्चों और पुलिस के बीच का फासला घटेगा, राजस्थान में शुरू हुआ ‘सद्भावना अभियान’

जयपुर राजस्थान पुलिस ने एक अनूठा अभियान शुरू किया है। बच्चों के मन से पुलिस का डर निकालकर उनमें भरोसा जगाने और समाज में सद्भावना फैलाने के उद्देश्य से प्रतापगढ़ पुलिस ने ‘सद्भावना अभियान’ की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जिले के हर थाना प्रभारी ने एक-एक राजकीय स्कूल को गोद लिया है, जहां वे बच्चों के साथ सीधे संवाद कर पुलिस और बच्चों के बीच विश्वास और सहयोग का पुल बनाएंगे। बच्चों और पुलिस के बीच संवाद का सेतु इस पहल के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को यह सिखाया जाएगा कि वे बेझिझक पुलिस की मदद कैसे ले सकते हैं और किसी भी अपराध या समस्या की जानकारी कैसे दे सकते हैं। महीने में एक बार छात्र पुलिस स्टेशन का दौरा करेंगे, जहां उन्हें थाना परिसर, महिला डेस्क, साइबर डेस्क आदि के बारे में बताया जाएगा। महिला कांस्टेबल द्वारा विशेष परामर्श महिला कांस्टेबल्स बच्चों को POCSO एक्ट, सोशल मीडिया का दुरुपयोग, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, मानसिक स्वास्थ्य और नशा मुक्ति जैसे विषयों पर जागरूक करेंगी। साथ ही बच्चों और महिलाओं के कानूनी अधिकारों तथा नए आपराधिक कानूनों की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाएगी। शिक्षा को प्रोत्साहन और करियर गाइडेंस अभियान के तहत छात्रों को बैग, स्टेशनरी और पुस्तकें भी वितरित की जाएंगी। 'सुरक्षा सखी' को बच्चों की पहली संपर्क सूत्र के रूप में नामित किया गया है ताकि वे अपनी समस्याएं खुलकर साझा कर सकें। समय-समय पर करियर गाइडेंस और शैक्षिक अवसरों की जानकारी भी दी जाएगी। अभियान की शुरुआत 9 सितंबर को राजकीय विद्यालय, मनोहरगढ़ से हुई, जहां कक्षा 1 से 12 तक के 600 से अधिक छात्र हैं। छोटे बच्चों को स्कूल बैग व स्टेशनरी वितरित की गई, जबकि वरिष्ठ छात्रों को पुलिस स्टेशन का भ्रमण कराया गया। इस दौरान शिक्षकों ने भी पुलिस से संवाद किया और विद्यालय संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। एसपी बोले– SHO बनेंगे बच्चों के मार्गदर्शक प्रतापगढ़ एसपी बी. आदित्य ने कहा- हर SHO ने स्वेच्छा से अपने गोद लिए स्कूल को अपराध मुक्त और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी ली है। यह अभियान बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर बच्चों में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा करेगा। जब बच्चे हमारे पास आने से झिझकते हैं, तब हमने खुद पहला कदम उठाने का निश्चय किया ताकि समाज में वास्तविक ‘सद्भावना’ स्थापित हो सके।