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रायपुर: पीएम सूर्यघर योजना से सपन मंडावी बने ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर, बिजली बिल हुआ शून्य

रायपुर के सपन मंडावी की सफलता कहानी, सोलर पैनल से बने आत्मनिर्भर, अब बिजली बिल नहीं आता पीएम सूर्यघर योजना से बिजली बिल हुआ जीरो रायपुर प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से मध्यम एवं गरीब वर्ग के परिवारों को महंगे बिजली के बिल से निजात दिलाया जा रहा है। पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना  से ग्रीन एनर्जी मिशन को बढावा देकर पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। प्रधानमंत्री सूर्य घर बिजली योजना का लाभ आज जिले के दूरस्थ वनांचल तक भी पहुंच रही है। यह योजना अब जिले के सुदूर ग्रामीण परिवारों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रही है। इसी कड़ी में कोण्डागांव जिले के माकड़ी विकासखंड के ग्राम शामपुर निवासी सपन राम मंडावी ने इस योजना का लाभ उठाकर अपने घर को न सिर्फ रोशन किया, बल्कि बिजली मामले में आत्मनिर्भर हो गया है।   बिजली बिल से मिली मुक्ति            सपन मंडावी ने बताया कि उन्हें इस योजना की जानकारी सबसे पहले अखबार के माध्यम से मिली। जानकारी प्राप्त करने के बाद उन्होंने स्थानीय बिजली विभाग से संपर्क किया और अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सोलर रूफटॉप सिस्टम स्थापित कराया। इस पहल के बाद अब उनके घर की सभी बिजली की आवश्यकताएँ पूरी हो रही हैं और अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी हो रहा है। श्री मंडावी ने बताया कि पूर्व में हर महीने 400 से 500 रुपये तक बिजली बिल आता था, लेकिन अब उनका पूरा बिल शून्य हो गया है। इतना ही नहीं, उनके द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा सीधे विद्युत ग्रिड में भेजी जा रही है, जिससे भविष्य में उन्हें अतिरिक्त आय का लाभ मिलेगा।           सपन ने इस योजना को शासन की अत्यंत लाभकारी बताते हुए कहा कि इससे घरेलू बिजली उपभोक्ता न केवल ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो सकते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत बन सकते हैं।  मंडावी को इस योजना के अंतर्गत कुल 1 लाख 8 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई, जिसमें केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये और राज्य सरकार से 30 हजार रुपये की सहायता शामिल है। इस मदद से सौर संयंत्र लगाने की कुल लागत में बहुत राहत मिली है। दूर दराज के क्षेत्र व ऐसे क्षेत्र जहां बिजली बहुत ज्;ादा आ रहा है, ऐसे लोगों को इस योजना का भरपूर फायदा मिल रहा है। शासन से मिल रहा है डबल अनुदान      इस योजना के तहत विभिन्न क्षमता वाले संयंत्रों के लिए सब्सिडी की राशि तय की गई है। 1 किलोवाट के संयंत्र, जिसकी लागत लगभग 65 हजार रुपये होती है, जिस पर केंद्र सरकार 30 हजार और राज्य सरकार 15 हजार रुपये की सब्सिडी देती है। इसी प्रकार 2 किलोवाट क्षमता वाले संयंत्र पर 60 हजार रुपये की सहायता एवं 3 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता वाले प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना पर केंद्र से 78 हजार और राज्य से 30 हजार रुपये की अनुदान राशि मिलती है। इसके साथ ही किसानों और ग्रामीणों के लिए ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे और अधिक लोग इसका लाभ ले सकें।            जिले में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का लाभ उठाने कई हितग्राही आगे आ रहे हैं और पंजीयन करा रहे हैं। इच्छुक उपभोक्ता इस योजना का लाभ विद्युत विभाग की मदद से या फिर वेब पोर्टल https://pmsuryaghar.gov.in और मोबाइल एप के माध्यम से पंजीकरण कर आसानी से उठा सकते हैं।

मध्यप्रदेश को एक और सोने की सौगात: कटनी में जल्द शुरू होगा खनन, इमलिया गोल्ड ब्लॉक तैयार

कटनी   मध्य प्रदेश की धरती बहूमूल्य खनिज तत्वों से भरी पड़ी है. पन्ना में हीरे की खदानें कई सालों से चल रही हैं. पन्ना से सटे छतरपुर जिले में बहुतायत मात्रा में हीरे के भंडार मिले हैं. अब मध्य प्रदेश में सोने के भंडार भी लगातार मिल रहे हैं. हाल ही में सिंगरौली में सोने का खनन करने के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. अब कटनी में सोने का भंडार मिला है. सिंगरौली के साथ ही कटनी में सोने के खनन का काम शुरू किया जा रहा है. मुंबई की कंपनी से कटनी प्रशासन का एमओयू कटनी जिले के स्‍लीमनाबाद क्षेत्र में इमलिया गोल्‍ड ब्‍लॉक की माइनिंग से जल्‍दी ही स्‍वर्ण खनन का कार्य शुरू हो जाएगा. इसके लिए  शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन कलेक्‍टर आशीष तिवारी और मुंबई की खनिज पट्टा धारक कंपनी प्रोस्‍पेक्‍ट रिसोर्स मिनरल्‍स कंपनी के डायरेक्‍टर अविनाश लांडगे के बीच गोल्‍ड ब्‍लॉक की माइनिंग लीज का एग्रीमेंट हुआ. निजी कंपनी को 50 साल के लिए खदान लीज पर कटनी कलेक्‍टर आशीष तिवारी ने बताया "ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्‍यम से मुंबई की प्रोस्‍पेक्‍ट रिसोर्स मिनरल्‍स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 50 वर्ष की अवधि के लिए स्‍लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम इमलिया में 6.510 हेक्टेयर क्षेत्र का पट्टा दिया गया है. सोने की खदान शुरू होने से जहां राज्य सरकार का खजाना भरेगा तो वहीं, कटनी जिले में रोजगार की भी संभावना बढ़ गई है." सोने की खदान शुरू होने से कटनी के युवाओं में खुशी की लहर है. कटनी में 14 लाख टन मिनरल्स मिलने की उम्मीद कटनी जिले के खनिज विभाग के उपसंचालक रत्‍नेश दीक्षित ने बताया "कटनी जिले में नये खनिज स्त्रोतों के रूप में स्‍वर्ण (सोना) की खदान में सोने के साथ-साथ बेसमेटल, चांदी, जिंक, लेड (सीसा) और कॉपर भी निकलेगा. जल्‍दी ही कंपनी इमलिया से सोना निकालने के लिये यहां अपना पूरा मशीनरी सिस्‍टम लगाएगी. भू-गर्भशास्त्रियों के प्राथमिक रिपोर्ट में इमलिया गोल्‍ड माइन में करीब 14 लाख टन मिनरल मिलना संभावित है." कटनी जिले में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर कटनी जिले के स्‍लीमनाबाद के इमलिया गोल्‍ड माइंस से उत्‍खनन कार्य शुरू होने के बाद यहां बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बनंगे. सरकार को भी राजस्‍व से खासी आय प्राप्ति होगी. इससे जिले और समूचे क्षेत्र के आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी. अभी तक केवल कर्नाटक से ही गोल्‍ड की माइनिंग हो रही थी. लेकिन अब मध्‍यप्रदेश के सिंगरौली व कटनी जिले में भी सोने का खनन शुरू होने जा रहा है. कटनी जिले में चूना, बॉक्साइट, लाइमस्‍टोन व क्रिटिकल मिनरल्‍स बहुतायत में उपलब्‍ध है. सिंगरौली जिले में भी सोने का खनन शुरू सिंगरौली जिले में भी चकरिया गोल्ड ब्लॉक के स्वर्ण खनन पर काम शुरू हो गया है. इससे उत्साहित होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा ''मध्य प्रदेश के खनन क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है और प्रदेश मिनरल प्रदेश ऑफ इंडिया बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.'' सिंगरौली में सोने के भंडार के खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है. चकरिया गोल्ड ब्लॉक का ई-नीलामी के जरिए प्रक्रिया को पूरा किया जा चुका है. चकरिया गोल्ड ब्लॉक में 23.57 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां 1 लाख 33 हजार 785 टन सोने के भंडार का अनुमान लगाया गया है. 

सरकारी कर्मचारियों को दिवाली गिफ्ट! DA बढ़ोतरी और GST राहत से बढ़ेगी जेब की चमक

नई दिल्ली केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए इस दिवाली (Diwali 2025) खुशखबरी आ सकती है. सरकार अक्टूबर 2025 में महंगाई भत्ता (Dearness Allowance/DA) में बढ़ोतरी का एलान कर सकती है. खबरों के अनुसार, जुलाई-दिसंबर 2025 की पीरियड के लिए डीए में 3 प्रतिशत की वृद्धि तय हो गई है, जिससे मौजूदा 55% डीए बढ़कर 58% हो जाएगा. यह 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के तहत अंतिम DA रिवीजन होगा, क्योंकि जनवरी 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू होने वाला है. इस बढ़ोतरी से करीब 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधे लाभ मिलेगा. विशेषकर त्योहारों के मौसम में सैलरी बढ़ने से खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा. सरकार हर साल अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के डीए में दो बार बढ़ोतरी करती है – जनवरी और जुलाई में. हालांकि, इसका आधिकारिक एलान कुछ माह बाद किया जाता है. मार्च 2025 में जनवरी-जून पीरियड के लिए सरकार ने पहले ही डीए में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, जिससे यह 53% से बढ़कर 55% हो गया. अब जुलाई-दिसंबर 2025 के लिए 3% की वृद्धि के बाद यह बढ़कर 58 प्रतिशत हो जाएगा. महंगाई भत्ता (DA) कैसे तय होता है? महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) के आधार पर किया जाता है. यह डेटा हर महीने लेबर ब्यूरो द्वारा जारी किया जाता है. पिछले 12 महीनों के CPI-IW औसत को लेकर एक फॉर्मूला लागू किया जाता है, जो 7वें वेतन आयोग के तहत बनाया गया है: DA (%) = [(12 माह का औसत CPI-IW – 261.42) ÷ 261.42] × 100 इस फॉर्मूले के आधार पर कोई भी सरकारी कर्मचारी या पेंशनर अपने महंगाई भत्ते की गणना कर सकता है. जुलाई 2025 में कितना बढ़ा था DA लेबर ब्यूरो ने जून 2025 के CPI-IW डेटा के अनुसार सूचकांक 145.0 दर्ज किया, जो मई 2025 की तुलना में एक अंक अधिक है. इसके आधार पर जुलाई 2025 से DA बढ़कर 58% तय किया गया है. हाल ही में सरकार और कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठन, Government Employees National Confederation (GENC), के बीच केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई. मंत्री ने बताया कि राज्य सरकारों के साथ भी बातचीत जारी है और जल्द ही आधिकारिक घोषणा की संभावना है. त्योहारों के मौसम को देखते हुए यह कदम कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी साबित हो सकता है. सूत्रों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग के साथ ही महंगाई भत्ते (DA) में 3 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है. इससे देशभर के 1.2 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनधारकों को सीधा लाभ मिलेगा. GST राहत के बाद यह कदम उन्हें और वित्तीय राहत प्रदान करेगा. महंगाई भत्ते का महत्व महंगाई भत्ता सरकार कर्मचारियों और पेंशनर्स को इसलिए देती है ताकि वे महंगाई के प्रभाव को कम कर सकें. रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, और DA सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन का मूल्य स्थिर रहे. इस बढ़ोतरी का असर न सिर्फ कर्मचारियों और पेंशनर्स की जेब पर पड़ेगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी लाएगा. दशहरा और दिवाली के आसपास DA वृद्धि का ऐलान आम तौर पर इसलिए किया जाता है ताकि लोग त्योहारों के मौसम में अपने खर्चों को संभाल सकें और उत्सवों का आनंद ले सकें. कितने लोगों को मिलेगा लाभ इस DA वृद्धि से लगभग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 66 लाख पेंशनर्स को फायदा मिलेगा. इससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और महंगाई से राहत भी मिलेगी. इसके अलावा, पहले ही सरकार ने लोगों को जीएसटी में कटौती के रूप में अच्छी-खासी राहत दी है. 7वें वेतन आयोग के तहत यह अंतिम DA वृद्धि है, और जनवरी 2026 से लागू होने वाला 8वां वेतन आयोग नए नियम और दरों के साथ लागू होगा. इस वृद्धि का फायदा कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधे मिलेगा और यह दिवाली उनके लिए और खास बना देगा. न्यूनतम मूल वेतन में संभावित बड़ा इजाफा 8वीं वेतन आयोग की संभावित सिफारिशों में सबसे महत्वपूर्ण पहलू न्यूनतम मूल वेतन (Minimum Basic Pay) में वृद्धि है. वर्तमान में यह ₹18,000 है, और नई संरचना इसे ₹26,000 तक बढ़ा सकती है. इस बदलाव से कर्मचारियों को मुद्रास्फीति और बढ़ती जीवनयापन लागत के बीच राहत मिलेगी. कर्मचारियों का मानना है कि यह वृद्धि लंबे समय से लंबित थी, क्योंकि पिछली वेतन आयोग की सिफारिश कई सालों पहले लागू हुई थी. न्यूनतम वेतन में यह बड़ा इजाफा सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करेगा. महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) में सुधार की संभावना 8वीं वेतन आयोग के साथ महंगाई भत्ता (DA) में भी संशोधन की उम्मीद है. वर्तमान में कर्मचारियों और पेंशनरों को 55% DA मिलता है. हाल ही में मुद्रास्फीति दरों के अनुसार 2% की वृद्धि की गई थी. विशेषज्ञों का अनुमान है कि जून-दिसंबर 2025 की अवधि के लिए अगली DA वृद्धि 3% हो सकती है. यह संशोधित DA अक्टूबर या नवंबर में घोषित किया जा सकता है, जिससे त्योहारों के मौसम में कर्मचारियों और पेंशनरों को वित्तीय राहत मिलेगी. कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए राहत का पैकेज अगर 8वीं वेतन आयोग और DA में सुधार दोनों लागू होते हैं, तो यह सरकारी वेतन पर निर्भर लाखों परिवारों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय राहत साबित होगी. लगातार बढ़ती महंगाई के बीच ये कदम कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि यह दोहरी राहत, वेतन वृद्धि और DA इजाफा. न केवल शॉर्ट टर्म वित्तीय राहत देगा बल्कि कर्मचारियों की लॉन्ग टर्म आर्थिक स्थिरता में भी योगदान करेगा. हालांकि, इस पूरे पैकेज की वास्तविक तिथि इस बात पर निर्भर करेगी कि आयोग का गठन कब होता है और सरकार की वित्तीय स्थिति क्या रहती है.  

मध्यप्रदेश के प्राइवेट स्कूलों का बड़ा फैसला: RTE के तहत पढ़ रहे 10 हजार बच्चों की पढ़ाई 1 अक्टूबर से बंद

भोपाल   मध्यप्रदेशके प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत दर्ज बच्चों की पढ़ाई पर संकट गहरा गया है। प्राइवेट स्कूलों ने आरटीई के तहत दर्ज बच्चों को न पढ़ाने राज्य शिक्षा केन्द्र को अल्टीमेटम दिया है। फीस विवाद इसका कारण बना है। निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि 30 सितंबर तक विभाग फीस चुकाए। तीन साल की फीस बकाया है। भोपाल शहर में करीब 12 सौं निजी स्कूलों में करीब 10 हजार बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश हुआ है। एसोसिएशन ने कहा कि फीस न मिली तो बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ होंगे। ये है पूरा मामला निजी स्कूल एसोसिएशन के अजीत सिंह के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों में सरकार ने आरटीई के तहत बच्चों का दाखिला(RTE School Admission) कराया गया है। प्रदेश में हर साल एक से ज्यादा एडमिशन कराए जा रहे है। इन बच्चों की फीस सरकार देती है। लेकिन करीब तीन साल हो गए। प्रदेश के अधिकांश स्कलों में आरटीई के दाखिलों की फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की गई है। स्कूल संचालकों ने कहा त्योहारी सीजन, शिक्षकों का वेतन फीस के भरोसे स्कूल एसोसिएशन के मुताबिक प्राइवेट स्कूल में शिक्षको का वेतन फीस के भरोसे है। प्रतिपूर्ति न होने से त्योहारी सीजन में परेशानी होगी। स्कूलों को आर्थिक परेशानी आ रही है। एसोसिएशन के मुताबिक स्कूल इससे पहले भी फीस की मांग कर चुके है। राज्य शिक्षा केन्द्र को ज्ञापन दिए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एक नजर में     शहर में 1200 निजी स्कूल     आइटीई में 10000 बच्चों का हुआ प्रवेश।     तीन साल से फीस की नहीं हुई प्रतिपूर्ति।     (एसोसिएशन के मुताबिक) 3 साल की फीस बकाया तीन साल की फीस बकाया है। स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब है। तीस सितंबर तक फीस की प्रतिपूर्ति नहीं हुई तो आरटीई के तहत दर्ज(RTE School Admission) बच्चों को प्राइवेट स्कूल पढ़ाने में असमर्थ रहेंगे। राज्य शिक्षा केन्द्र को इसका पत्र दे चुके हैं। – अजीत सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

साइबर क्राइम पर लगाम लगाने मैदान में उतरेंगे 500 कमांडो, IIT इंदौर में होगी खास ट्रेनिंग

 इंदौर  दुनिया में हर साल 1.5 ट्रिलियन डॉलर की साइबर ठगी हो रही है। भारत 10 वें नंबर पर है। 5 साल में अपराध 238 प्रतिशत बढ़े हैं। सेंटर फॉर साइबर क्राइम ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर, बेंगलूरु के बनाए साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन मैन्युअल के अनुसार, 2029 तक ठगी 15.63 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। ऐसे में केंद्र सरकार साइबर कमांडो तैयार कर रही है। राज्य सरकार ने भी टीम तैयार करनी शुरू कर दी है। 2028 तक ऐसे 500 कमांडो तैनात किए जाएंगे। इसके लिए आइआइटी इंदौर में 1-2 माह में कोर्स शुरू किया जा रहा है। सिंहस्थ के दौरान साइबर क्राइम रोकने ये कमांडो तैनात होंगे। मध्यप्रदेश को मिले पांच हाल ही में साइबर सेल के वरिष्ठ अफसरों व एसपी की सेंटर फॉर साइबर क्राइम ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर बेंगलूरु में ट्रेनिंग हुई। सरकार तकनीकी पढ़ाई करने वाले एसआइ व वरिष्ठ अफसरों को ट्रेनिंग दिला रही है। ऐसे 5 हजार कमांडो तैयार करने की योजना है। आइआइटी कानपुर, धनबाद, मद्रास, रुड़की में कोर्स शुरू हो गया है। देश में 50 कमांडो तैयार हुए हैं। पांच मध्यप्रदेश को मिले हैं। 2 करोड़ में एक बैच -प्रस्ताव के अनुसार आइआइटी इंदौर में कमांडो की ट्रेनिंग होगी। -एक बैच में 50 कमांडो तैयार किए जाएंगे। -इस पर करीब दो करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। अन्य आइटी यूनिवर्सिटी में भी ट्रेनिंग होगी। साइबर अपराध: दुनिया में भारत 10 वें नंबर पर     रूस     यूक्रेन     चीन     यूनाइटेड स्टेट्स     नाइजीरिया     रोमानिया     नॉर्थ कोरिया     यूनाइटेड किंगडम     ब्राजील     भारत (स्रोत: साइबर क्राइम इंडेक्स) साइबर अपराधों से लड़ने के लिए आइआइटी इंदौर में साइबर कमांडो तैयार किए जाएंगे। सरकार को प्रस्ताव भेजा है। अनुमति मिलते ही ट्रेनिंग शुरू करेंगे। सिंहस्थ के पहले सभी जिलों में साइबर कमांडो तैनात किए जाएंगे। – ए. साईं मनोहर, एडीजी, साइबर सेल

स्वास्थ्य चेतावनी! अत्यधिक दुबलेपन से 3 गुना बढ़ जाता है असमय मौत का जोखिम

नईदिल्ली  अक्सर सभी ने सुना ही होगा कि अधिक वजन के कारण लोगों को कई समस्याएं होती हैं और आगे चलकर यही समस्याएं जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकती हैं. लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च में दावा किया गया है कि थोड़ा अधिक वजन होना आपकी जिंदगी को छोटा नहीं कर सकता लेकिन बहुत ज़्यादा पतला होना आपकी जिंदगी को कम जरूर कर सकता है. दरअसल, शरीर के वजन और आपकी सेहत के बीच का संबंध अक्सर हम जितना समझ पाते हैं, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है. 85,000 से अधिक वयस्कों पर की गई डेनिश स्टडी में पाया गया है कि आसान भाषा में समझें तो 18.5 से कम बीएमआई वाले लोगों की समय से पहले मृत्यु होने की संभावना 22.5 और 24.9 के बीच बीएमआई वाले लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक थी. पतले लोगों में समय से पहले मौत का खतरा आमतौर पर 18.5 से 24.9 बीएमआई को हेल्दी माना जाता है लेकिन रिसर्च में यह भी सामने आया कि इस रेंज के नीचे आने वाले लोगों की जान भी जोखिम में होती है. दरअसल, जिनका BMI 18.5 से 19.9 था, उनमें मौत का खतरा दोगुना पाया गया और वहीं जिनका बीएमआई 20 से 22.4 था, उनमें रिस्क 27 फीसदी तक था. हालांकि ये निष्कर्ष आश्चर्यजनक लगते हैं क्योंकि 18.5 और 24.9 के बीच बीएमआई को आमतौर पर स्वस्थ्य माना जाता है. ओवरवेट लोग अधिक खतरे में नहीं स्टडी में सामने आया है कि ओवरवेट या मोटापे से ग्रस्त (BMI 25 से 35) लोग जिनके बारे में माना जाता था कि उन्हें वजन के कारण जोखिम अधिक है, उन्हें मौत का खतरा अधिक नहीं था. सिर्फ जिनका बीएमआई 40 से अधिक था, उनमें ही मौत का जोखिम 2 गुना पाया गया था. यानी जिनका वजन थोड़ा ज्यादा है, उन्हें यह नहीं मान लेना चाहिए कि वे मौत के खतरे में है. रिसर्च के नतीजे इस बात को चैलेंज करते हैं कि पतला होना हमेशा सेहतमंद होता है और मोटापा हमेशा जोखिम में डालता है. क्यों खतरनाक है बहुत दुबला होना? एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत दुबले लोगों के शरीर में फैट स्टोर काफी कम होता है और जब कोई गंभीर बीमारी या ट्रीटमेंट (जैसे कि कैंसर की कीमोथेरेपी के दौरान वजन गिरता है) होता है तब शरीर को रिकवरी के लिए स्टोर किए गए फैट की जरूरत होती है. जिन लोगों के पास पर्याप्त फैट नहीं होता, उनका शरीर जल्दी कमजोर पड़ जाता है और जरूरी अंग सही से काम नहीं कर पाते. इस कारण अधिक पतला होना भी सेहतमंद नहीं बल्कि जानलेवा साबित हो सकता है. BMI हमेशा सही पैमाना नहीं रिसर्चर्स का कहना है कि BMI सिर्फ हाइट और वेट पर आधारित एक केल्कुलेशन है. यह शरीर की फैट डिस्ट्रिब्यूशन, डाइट, लाइफस्टाइल या जेनेटिक फैक्टर्स को शामिल नहीं करता और यही कारण है कि BMI हर व्यक्ति के लिए सटीक पैमाना नहीं हो सकता. डेनिश रिसर्चर्स का मानना है कि अब सेफ BMI रेंज 22.5 से 30 तक मानी जा सकती है. यानी थोड़ा-बहुत ओवरवेट होना उतना नुकसानदायक नहीं जितना पहले माना जाता था. रिसर्च का मुख्य संदेश यही है कि बहुत दुबला होना खतरनाक है और पतलापन हमेशा सेहतमंद नहीं होता. थोड़ा ज्यादा वजन होना हमेशा जानलेवा नहीं है. सेहत का असली पैमाना हेल्दी डाइट, एक्टिव लाइफस्टाइल और मेडिकल चेकअप होना चाहिए. BMI को सिर्फ एक इंडिकेटर मानना चाहिए.