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फेस्टिव सीजन में ट्रेन टिकट के लाले, उत्तराखंड की अधिकांश ट्रेनों में फुल वेटिंग!

देहरादून. त्योहारी सीजन में ट्रेनों के आरक्षित टिकट को लेकर मारामारी शुरू हो गई है। देहरादून से पूर्वांचल रूट पर जाने वाली अधिकांश ट्रेनों में सीटें फुल हो गई हैं। आगामी दीपावली और छठ पर्व के दौरान ट्रेनों में लंबी वेटिंग चल रही है। देहरादून से बिहार होते हुए हावड़ा जाने वाली कुंभ एक्सप्रेस के स्लीपर कोच दीपावली से छठ पर्व तक नो रूम है। यानी इसके वेटिंग भी जारी होना बंद हो गए हैं। हालांकि थर्ड एसी और एसी फर्स्ट व सेकेंड में टिकट मिलने की गुंजाइश है। देहरादून से हावड़ा, गोरखपुर, मजफ्फरपुर, लखनऊ, कोटा, नई दिल्ली, काठगोदाम, अमृतसर और प्रयागराज सहित कई शहरों के लिए रोज करीब 13 ट्रेन रवाना होती हैं। शिक्षा का केंद्र होने के कारण देहरादून में बाहरी छात्र-छात्राएं काफी हैं। साथ ही शहर से सटे सिडकुल में भी बिहार-बंगाल के श्रमिकाें की संख्या अधिक हैं। त्योहारों के दौरान जब यह सब एक साथ अपने-अपने घराें को रवाना होते हैं, तो ट्रेनों के आरक्षित टिकट को लेकर मारामारी शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए बहुत से लोग महीनों से पहले बुकिंग कराना शुरू कर देते हैं। इस साल भी दीपावली और छठ पर्व पर यही हाल है। पूर्वांचल रूट की ट्रेनों में लंबी वेटिंग चल रही है। बिहार-बंगाल रूट की ट्रेन का हाल कुंभ एक्सप्रेस का स्लीपर कोच 17 से 27 अक्टूबर तक नो रूम है। एसी सेकेंड में अलग-अलग तिथियों पर लंबी वेटिंग है। एसी फर्स्ट में 10 और एसी थर्ड में 100 से अधिक वेटिंग है। देहरादून से मुजफ्फरपुर जाने वाली दून-मुजफ्फपुर एक्सप्रेस के थर्ड एसी में 15 से 29 अक्टूबर तक 30 से अधिक वेटिंग चल रही है। एसी फर्स्ट में पांच और एसी सेकेंड में 15 से अधिक वेटिंग है। जबकि स्लीपर नो रूम हो चुका है। गोरखपुर जाने वाली राप्ती-गंगा एक्सप्रेस के एसी सेकेंड में 18 से 20 अक्टूबर तक लंबी वेटिंग है। छठ के दौरान 25 व 27 अक्टूबर को सीट मिलने की गुंजाइश है। स्लीपर में 70 से अधिक वेटिंग है। एसी थर्ड में 10 से अधिक वेटिंग है। एसी फर्स्ट अभी खाली है। वंदेभारत में मिल सकती है सीट लखनऊ जाने वाली वंदेभारत एक्सप्रेस 18 अक्टूबर के आसपास पैक है। लेकिन 20 से 24 अक्टूबर के बीच आरक्षित टिकट मिल सकता है। कोटा जाने वाली नंदा देवी एक्सप्रेस में 18 से 20 अक्टूबर तक लंबी वेटिंग है। लेकिन 20 से 22 अक्टूबर तक सीट मिल सकती है। इसी तरह दिल्ली जाने वाली मसूरी और जनशताब्दी एक्सप्रेस में 20 अक्टूबर को आरक्षित टिकट मिलने की गुंजाइश है। अन्य तिथियों में यह भी पैक है। बनारस जाने वाली जनता एक्सप्रेस की सभी श्रेणियों में 18 से 27 अक्टूबर तक लंबी वेटिंग है। प्रयागराज जाने वाली लिंक एक्सप्रेस की सभी श्रेणियों में 18 से 27 अक्टूबर तक लंबी वेटिंग है और कुछ तिथियों में यह नो रूम भी है।  

अमेरिकी दबाव बेअसर: गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने कहा — निवेश तो भारत में ही करेंगे!

नई दिल्ली.  भारत और अमेरिका के बीच शुल्क विवाद को शुरू हुए तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया है। विवाद सुलझाने को लेकर दोनों सरकारों के बीच विमर्श का दौर जारी है, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है। खास बात यह है कि अमेरिकी कंपनियों पर इस अनिश्चितता का कोई असर नहीं है और वह भारत में निवेश योजना को परवान चढ़ाने में जुटी हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजोन, एपल जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों से लेकर ऑर्डिनरी थ्योरी जैसी इंटेलीजेंस हार्डवेयर कंपनी या भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले अमेरिकी वित्तीय फंड्स की भावी योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस बारे में दैनिक जागरण ने कुछ अमेरिकी कंपनियों के साथ दिग्गज उद्योग संगठनों फिक्की, सीआईआई से बात की और इन सभी का कहना है कि अभी तक अमेरिकी कॉरपोरेट सेक्टर से इस तरह का कोई संकेत नहीं मिला है कि टैरिफ विवाद से उनकी भारत में भावी गतिविधियों पर असर होगा। गूगल ने किया 10 अरब डॉलर निवेश करने का फैसला भारतीय इकोनमी के प्रति अमेरिकी कंपनियों के मजबूत भरोसे का ही प्रतीक है कि गूगल ने 10 अरब डॉलर का भारी भरकम निवेश विशाखापत्तनम में डाटा सेंटर हब बनाने के लिए करने का फैसला किया है। वर्ष 2024 में भी कंपनी ने बताया था कि वह छह अरब डालर का निवेश करने जा रही है, लेकिन अब कंपनी की योजना तैयार है और इसके लिए इसी महीने नई दिल्ली में समझौता होने जा रहा है। कंपनी ने अब कुल निवेश सीमा की राशि बढ़ाकर 10 अरब डालर (88,730 करोड़ रुपये) कर दी है। माइक्रोसॉफ्ट भी कतार में इसी तरह से माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्य नडेला ने जनवरी, 2025 में अपने भारत दौरे में यहां तीन अरब डालर की राशि दो वर्षों में निवेश करने की घोषणा की थी। सूत्रों का कहना है कि जुलाई महीने में जब शुल्क विवाद चरम पर था तब माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय टीम ने इस निवेश योजना को अंतिम रूप दिया। इस निवेश से माइक्रोसॉफ्ट भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित करेगी। कंपनी का इस उद्देश्य से भारत में किया गया यह प्राथमिक निवेश होगा। भारत सरकार भी माइक्रोसॉफ्ट की इस योजना से काफी उत्साहित है क्योंकि इससे भारत को ग्लोबल एआई लीडर बनाने में मदद मिलेगा। भारतीय फर्मों के साथ संयुक्त उद्यम भी स्थापित कर रहीं अमेरिकी कंपनियां अमेरिका से नए निवेश का भारत आने का सिलसिला भी जारी है। पिछले दिनों अमेरिकी कंपनी ऑर्डिनरी थ्योरी ने भारतीय कंपनी ऑप्टीमस इन्फ्राकॉम के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित किया है, जिसे भारत के इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के बढ़ते भरोसे के तौर पर देखा जा रहा है। यह संयुक्त उद्यम भारत में दूरसंचार क्षेत्र में स्मार्ट हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग के साथ ही इस क्षेत्र की कंपनियों को कई तरह की दूसरी समस्याओं को दूर करने का समाधान बताएगा। ऑप्टीमस के चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता का कहना है, 'मेड इन इंडिया हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग का दौर अब शुरु हो रहा है। हमारी कोशिश मेक इन इंडिया के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना है।' दूसरी अमेरिकी कंपनियां भी निवेश को रफ्तार देने में जुटीं भारत में बने आइफोन के निर्यात का आंकड़ा 10 अरब डालर को पार कर गया है। पहले दस महीनों में एपल निर्मित आईफोन का निर्यात 75 प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में कंपनी की मंशा है कि वर्ष 2027 तक उसके वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत हो जाए। सूत्रों के मुताबिक ट्रंप टैरिफ के बावजूद एपल की भारत को लेकर योजनाएं अपरिवर्तित हैं। बोइंग, अमेजन जैसी दूसरे क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनियों के बारे में भी यहीं सूचना है कि वह अपनी निवेश को और रफ्तार देंगी। ट्रंप टैरिफ के बावजूद जिस तरह से एसएंडपी और जापानी रेटिंग कंपनी आरएंडआई ने भारत की साख में सुधार किया है, उससे भी अमेरिकी कंपनियों का भरोसा मजबूत हुआ है।

एचआइवी पाजिटिव महिला मरीज की पहचान सार्वजनिक करने पर हाई कोर्ट ने अस्पताल पर उठाया सवाल, सुनवाई 15 को

बिलासपुर  हाई कोर्ट ने रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में एचआइवी पाजिटिव महिला मरीज की पहचान सार्वजनिक करने की घटना पर कड़ी नाराजगी जताई है. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है. कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य न केवल अमानवीय है बल्कि नैतिकता और निजता के अधिकार का घोर उल्लंघन है. मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी. दरअसल, 10 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में बताया गया कि रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में नवजात शिशु के पास एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें यह लिखा था कि बच्चे की मां एचआईवी पाजिटिव है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह पोस्टर गाइनो वार्ड में भर्ती मां और नर्सरी वार्ड में रखे नवजात बच्चे के बीच लगाया गया था. जब बच्चे के पिता अपने शिशु को देखने पहुंचे तो उन्होंने यह पोस्टर देखा और भावुक होकर रो पड़ा. कोर्ट ने इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि यह अत्यंत अमानवीय, असंवेदनशील और निंदनीय आचरण है, जिसने न केवल मां और बच्चे की पहचान उजागर कर दी बल्कि उन्हें सामाजिक कलंक और भविष्य में भेदभाव का शिकार भी बना सकता है. कोर्ट ने कहा कि यह कार्य सीधे तौर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, राज्य के इतने प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान से यह अपेक्षा की जाती है कि वह रोगियों के साथ अत्यधिक संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करे. एचआइवी/एड्स जैसे सामाजिक रूप से संवेदनशील मामलों में पहचान उजागर करना गंभीर चूक है. मामले में कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे 15 अक्टूबर 2025 तक व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट किया जाए कि, सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कालेजों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित करने की वर्तमान व्यवस्था क्या है. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के क्या कदम उठाए गए हैं. डाक्टरों, नर्सों और पैरा-मेडिकल स्टाफ को कानूनी और नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए भविष्य में क्या उपाय प्रस्तावित हैं.  कोर्ट ने कहा- दोबारा ऐसी गलती न दोहराई जाए.

2080 करोड़ की लागत से बनेगा उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई सफर होगा और तेज

उज्जैन  उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे कंट्रोल्ड हाइवे बनाने का टेंडर निरस्त होने के बाद मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPRDC) ने इस 102 किलोमीटर के हाईवे को बनाने के लिए एक बार फिर से 2418.46 करोड रुपए का टेंडर जारी किया था। इसको भरने के लिए अंतिम तारीख 24 जुलाई थी। नए टेडर 20 जून को जारी किए गए थे, जो सितंबर माह में अब खाले गए। एलएलसी वोल्गाडोरस्ट्रॉय कंपनी ने 2080 करोड़ में हाईवे बनाने का टेंडर लिया है। 2 साल में कार्य पूरा करना है।  सिंहस्थ 2028 तक एक्सप्रेसवे होना है तैयार इस कार्य में 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार के द्वारा दी जाएगी और 60 प्रतिशत राशि ठेकेदार को व्यय करनी है। इस हाइवे के बनने से उज्जैन की मुंबई व दिल्ली से दूरी मात्र 10 घंटे में पूरी हो जाएगी। उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे को सिंहस्थ 2028 से पहले बनाना है। पूर्व में 102.80 किमी लंबे उज्जैन-जावरा फोरलेन परियोजना को मंजूरी दी गई थी जो ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे के इस जगह पर बना था। तब शहरी क्षेत्र में इसका विरोध भी काफी हुआ था, इसके लिए संघर्ष समिति ने लगातार तीन माह तक धरना भी दिया था। अब इसको पीपीपी मोड पर हाइब्रिड एनयूटी आधार पर बनाया जाएगा।  7 बड़े और 26 छोटे पुल बनेंगे हाईवे पर इस हाइवे पर 7 बड़े और 26 छोटे पुल सहित 270 पुलिया, पांच लाई ओवर और दो रेलवे ओवरब्रिज होंगे। यह मार्ग जावरा के पास ग्राम भूतेड़ा से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। अब मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने एक बार फिर से इस कार्य के लिए टेंडर जारी किए हैं। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे व उज्जैन रोड यहां मिलेगा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे सफर 10 घंटे में पूरा इस हाइवे बनने के बाद उज्जैन से दिल्ली या मुंबई तक का सफर 10 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। सितंबर 2024 में उज्जैन के गांवों से जमीन अधिग्रहण शुरु हुआ था और मार्च 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य था। मगर किसानों की तरफ से जमीन के बदले मुआवजा या रोड के डिजाइन को लेकर आए विरोध व तकनीकी कारणों के चलते काम रुक गया था। इसलिए इस मार्ग का दोबारा से टेंडर जारी किया गया है और जिस कंपनी ने इसे लिया है उसे 2 साल में यह कार्य पूरा करके भी देना है।  51 से अधिक गांवों से गुजरेगा हाइवे यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे जावरा तहसील के 12 गांव से होता हुआ उज्जैन तक 51 गांवों से गुजरेगा। इनमें नागदा, खाचरौद, उन्हेंल तहसील के 30 गांव शामिल है। इसमें जावरा तहसील के डोडियाना, ललियान सहित जावरा तहसील के 12 गांव इसमें समिलित हो रहे हैं। अन्य तहसील के गांव जैसे निबोदिया खुर्द, पांसलोद, भाटीसुडा, आक्यानजीक, झिरनिया, पिपलिया डाबी, लसुडिया चुवंड, पिपलियाशीष, नवादा, कुंडला, नागझिरी, भाटखेडी, बंजारी, दुमनी, मीण, घिनौदा आदि गांव शामिल है। फैक्ट फाइल     स्थान : मध्य प्रदेश     लंबाई: 98.73 किमी परियोजना     इस प्रकार : ग्रीनफील्ड राजमार्ग चार-लेन का बनेगा     इन कपनी ने लिया टेंडर एलएलसी वोल्गाडोरस्ट्रॉय     राशि- 2080 करोड़     कार्य – 2 साल में करना है पूरा     मेंटेनेंस – कार्य पूरा होने के बाद 15 साल तक करना है मेंटेनेंस खुल गया है टेंडर- एमपीआरडीसी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का टेंडर खुल गया है जिस कंपनी ने यह टेंडर लिया है वह जल्द ही ड्राइंग डिजाइन बनाकर इस कार्य को शुरु करने के लिए काम करेगी।-विजय सिंह, एमपीआरडीसी

ओवैसी की रणनीति: बिहार में 100 सीटों पर AIMIM का कब्जा, थर्ड फ्रंट बनाने का प्लान

पटना  बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है. एक तरफ जहां एनडीए और इंडी एलायंस में सीट बंटवारे को लेकर अब तक बात नहीं बनी है वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने बड़ा ऐलान कर दिया है. पार्टी ने कहा है कि वह इस बार करीब 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जो 2020 के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है. बिहार में थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में ओवैसी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने शनिवार को कहा, 'हमारा लक्ष्य बिहार में तीसरा विकल्प तैयार करना है, एनडीए और महागठबंधन दोनों को इस बार हमारी मौजूदगी का एहसास होगा.' उन्होंने बताया कि पार्टी कुछ समान विचारधारा वाले दलों से भी बातचीत कर रही है, ताकि एक 'थर्ड फ्रंट' (Third Front) खड़ा किया जा सके. इमान ने कहा कि उन्होंने पहले लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को गठबंधन के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. 'अब हम अपने दम पर विस्तार करेंगे' . बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी. बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने बसपा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में पार्टी ने 5 सीटें जीतीं, लेकिन 2022 में उसके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए, जिससे अख्तरुल इमान अब पार्टी के एकमात्र विधायक बचे हैं. सीमांचल में AIMIM का है प्रभाव राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, एआईएमआईएम बिहार में विशेषकर सीमांचल क्षेत्र (पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार) में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जहां मुस्लिम आबादी 17% से अधिक है. बीते दिनों ओवैसी ने इन इलाकों में ताबड़तोड़ रैली की थी.

चीन पर भारी टैरिफ के बाद US स्टॉक मार्केट में हलचल, मंडे को भारतीय बाजार पर क्या असर?

न्यूयॉर्क डोनाल्‍ड ट्रंप ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जो 1 नवंबर 2025 से आयतित समानों पर लागू होंगे. इस ऐलान के साथ ही अमेरिका और चीनी स्‍टॉक मार्केट में भारी तबाही आई है. इसे लेकर अब भारतीय निवेशक भी डरे हुए हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि सोमवार को जब भारतीय बाजार खुलेगा तो क्‍या होगा?  ट्रंप के 100%  टैरिफ के फैसले से चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार की स्थिति पैदा हो गई है. आशंका है कि अमेरिका के इस एक्‍शन पर चीन भी कार्रवाई कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो दुनिया की दो बड़ी आर्थिक इकोनॉमी वाले देशों के बीच Trade War पैदा हो जाएगा, जो दुनिया के लिए बिल्‍कुल सही नहीं है. इस कारण आशंका है कि सोमवार को भारत समेत वर्ल्‍ड वाइड शेयर बाजार में हैवी गिरावट आ सकती है.  अमेरिकी शेयर बाजार में तबाही शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट आई. S&P 500 और नैस्डैक ने 10 अप्रैल के बाद से अपनी सबसे बड़ी सिंगल डे गिरावट दर्ज की. डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1.90 प्रतिशत गिरकर 45,479.60 पर, S&P500 2.71 प्रतिशत गिरकर 6,552.51 पर और नैस्डैक कंपोजिट 3.56 प्रतिशत गिरकर 22,204.43 पर आ गया.  ट्रंप ने चीनी आयात पर अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ और महत्वपूर्ण अमेरिकी सॉफ्टवेयर पर नए निर्यात नियंत्रण का ऐलान किया है. इससे बड़ी टेक कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है, जिसमें NVIDIA, टेस्‍ला और अमेजन जैसी प्रमुख कंपनियां 2 फीसदी से ज्‍यादा गिर गईं.  भारतीय बजार में गैप-डाउन के संकेत आखिरी बार देखे जाने पर, गिफ्टी निफ्टी 0.78 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,205 पर कारोबार कर रहा था, जो संभावित गैप-डाउन ओपनिंग का संकेत दे रहा है. यह पिछले हफ़्ते के मज़बूत प्रदर्शन के बावजूद हुआ है, जहां सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में लगभग 1.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी. बिजनेस टुडे के रिपोर्ट के मुताबिक, एनरिच मनी के सीईओ और सेबी- रजिस्‍टर्ड एक्‍सपर्ट पोनमुडी आर ने कहा कि आने वाले सप्ताह में बाजार की दिशा घरेलू कारकों, वैश्विक व्यापक आर्थिक रुझानों और कॉर्पोरेट आय के संयोजन पर निर्भर करेगी. एक्‍सपर्ट ने क्‍या कहा?  पोनमुडी ने कहा कि अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध के फिर से बढ़ने से वैश्विक जोखिम धारणा पर असर पड़ने की आशंका है. व्यापार तनाव में यह कदम डॉलर के अस्तित्‍व पर असर डाल सकता है, जिससे उभरते बाजारों के शेयरों और करेंसी पर और दबाव बढ़ सकता है. पोनमुडी ने कहा कि कॉर्पोरेट मोर्चे पर, सभी की निगाहें आईटी सेक्‍टर पर होंगी, जहां इंफोसिस, HCL टेक और टेक महिंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियां अपनी दूसरी तिमाही के नतीजे घोषित करने वाली हैं.  पोनमुडी ने कहा कि निफ्टी लगातार लचीलापन दिखा रहा है और महत्वपूर्ण 25,000-24,850 सेक्‍टर्स के ऊपर एक उच्च-निम्न संरचना बना रहा है. पोनमुडी ने कहा, 'ट्रेंडलाइन समर्थन और मजबूत पुट राइटिंग ने इंडेक्‍स को अस्थिरता को झेलने और अपने ऊपरी रुझान को बनाए रखने में मदद की है. ऊपर की ओर, 25,300-25,400 के बीच भारी कॉल ओपन इंटरेस्ट ने दीर्घकालिक ढलान प्रतिरोध रेखा के साथ एक निकट-अवधि की बाधा उत्पन्न की है. 25,500 से ऊपर एक निर्णायक बंद तेजी की गति को फिर से जगा सकता है और एक उच्च-उच्च संरचना की पुष्टि कर सकता है, जिससे 25,700-25,900 की ओर रास्ता खुल सकता है.'

क्या हैं ग्रीन पटाखे और कैसे करते हैं ये प्रदूषण में कमी? जानिए नॉर्मल पटाखों से अंतर

नई दिल्ली  दिवाली रोशनी का त्योहार है. इस दिन सभी लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं, मिठाई बांटते हैं और साथ ही पटाखे भी फोड़ते हैं. लेकिन वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य संबंधी चिताओं की वजह से अब लोग हरित पटाखे चुनने लगे हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ग्रीन पटाखे फोड़ने पर सचमुच धुआं नहीं होता? आइए जानते हैं. नॉर्मल पटाखों में अक्सर भारी धातु और ऑक्सिडाइजर जैसे बेरियम नाइट्रेट, लीड कंपाउंड्स, लिथियम साल्ट्स और बाकी पदार्थ होते हैं जो चटकीले रंग और तीव्र प्रभाव को पैदा करते हैं. लेकिन जलने पर यह सभी पदार्थ विषैले अवशेष भी छोड़ते हैं. लेकिन ग्रीन पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट जैसे कम प्रदूषणकारी ऑक्सिडाइजर और एल्यूमीनियम की नियंत्रित मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है. ग्रीन पटाखें नॉर्मल पटाखें की तुलना में हानिकारक गैस और कणिकीय पदार्थ को लगभग 30 से 35% तक कम करते हैं. ग्रीन पटाखें में कम पीएम 2.5, पीएम 10 और कम धातु प्रदूषण होते हैं. लेकिन यह पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं होते. ग्रीन पटाखें नॉर्मल पटाखें की तुलना में हानिकारक गैस और कणिकीय पदार्थ को लगभग 30 से 35% तक कम करते हैं. ग्रीन पटाखें में कम पीएम 2.5, पीएम 10 और कम धातु प्रदूषण होते हैं. लेकिन यह पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं होते. ऐसा माना जाता है कि ग्रीन पटाखें धुआं नहीं छोड़ते, लेकिन ऐसा नहीं है. यह भी धुआं छोड़ते हैं लेकिन फर्क कितना है कि ग्रीन पटाखें को धूल निरोधक और पानी छोड़ने वाले घटकों से बनाया जाता है जो दिखाई देने वाले धुएं और हवा में मौजूद धूल को कम करते हैं. नॉर्मल पटाखें काफी तेज आवाज करते हैं. लेकिन ग्रीन पटाखों को शांत रहने के लिए डिजाइन किया गया है और ये नॉर्मल पटाखें की तुलना में कम आवाज करते हैं. असली ग्रीन पटाखों पर पहचान चिह्न लगे होते हैं. खास तौर पर CSIR-NEERI लोगों और क्यूआर कोड. आप उस कोड को स्कैन करके प्रमाणिकता को सत्यापित कर सकते हैं.ग्रीन पटाखें तीन तरह के होते हैं. सेफ वाटर रिलीजर, सेफ थर्माइट क्रैकर और सेफ मिनिमल अल्युमिनियम. हर प्रकार पर्यावरण को दूषित होने से बचाने में मदद करता है.  

पुतिन और मेलानिया के बीच सीधी बातचीत? US राष्ट्रपति की पत्नी ने किया चौंकाने वाला खुलासा

वाशिंगटन  अमेरिकी फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप ने सनसनीखेज खुलासा किया है. मेलानिया ने बताया कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ‘open channel of communication’ रखा हुआ है. इस डायरेक्ट बातचीत का मकसद है, यूक्रेन युद्ध में बिछड़े बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाना. शुक्रवार को मेलानिया ने कहा कि पुतिन ने उनके लेटर का जवाब दिया है और बताया कि रूस ने कुछ यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों के पास वापस भेज दिया है. मेलानिया के मुताबिक, ‘पिछले 24 घंटों में आठ बच्चों को उनके परिवारों से फिर मिलाया गया है.’ उन्होंने कहा, ‘हर बच्चा उसी प्यार और सुरक्षा का सपना देखता है जो किसी भी इंसान का हक होता है. इन बच्चों ने जंग की वजह से वो सब खो दिया जो उनके बचपन का हिस्सा था.’ 19,000 से ज्यादा बच्चे अब भी लापता यूक्रेनी सरकार के मुताबिक, फरवरी 2022 में जंग शुरू होने के बाद से अब तक करीब 19,500 बच्चे रूस या उसके कब्जे वाले इलाकों में जबरन ले जाए गए हैं. ये बच्चे अपने परिवारों से बिछड़ चुके हैं. मेलानिया ने बताया कि हाल ही में लौटे आठ बच्चों में तीन ऐसे थे जो फ्रंटलाइन लड़ाई के बीच अपने परिवार से अलग हो गए थे. उन्होंने कहा, ‘हर बच्चे की कहानी दर्द से भरी है, लेकिन अब उन्हें उनके परिवारों की गोद मिली है.’ मेलानिया की चिट्ठी पर पुतिन का जवाब खबर के मुताबिक, अगस्त में अलास्का में हुई ट्रंप-पुतिन मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने मेलानिया की चिट्ठी पुतिन को खुद सौंप दी थी. उस वक्त मेलानिया अलास्का ट्रिप पर मौजूद नहीं थीं. मेलानिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा था, ‘हर बच्चा अपने दिल में एक शांत सपना रखता है – प्यार, उम्मीद और डर से आजादी का सपना.’ उन्होंने पुतिन से अपील की थी कि रूस के कब्जे में आए यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया जाए. पुतिन ने इस चिट्ठी का जवाब दिया और मेलानिया को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी जिसमें बच्चों की पहचान, स्थिति और पुनर्मिलन की पूरी जानकारी थी. मेलानिया ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार ने इन तथ्यों की पुष्टि की है. अमेरिका-रूस रिश्तों के बीच ‘मेलानिया चैनल’ रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह ‘मेलानिया चैनल’ एक अनोखा और अप्रत्याशित पुल साबित हो सकता है. व्हाइट हाउस सूत्रों के मुताबिक, मेलानिया की पहल को मानवीय और गैर-राजनीतिक माना गया है, लेकिन यह कदम कूटनीतिक लिहाज से बहुत मायने रखता है. कई विश्लेषक इसे ‘soft diplomacy’ का उदाहरण बता रहे हैं.  

खेती की जमीन पर अवैध कॉलोनियां, भोपाल कलेक्टर ने एसडीएम को दिए सख्त निर्देश

भोपाल  भोपाल जिले में कॉलोनाइजरों द्वारा किसानों के साथ मिलकर खेती जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। जब इन सभी कॉलोनाइजरों को चिह्नित कर नोटिस देते हुए अनुमतियों के दस्तावेज मांगे गए तो यह कलेक्टर न्यायालय में पेश नहीं कर सके। ऐसे में अब इन सभी अवैध कॉलोनियों को काटने वाले बिल्डर, किसान व अन्य सहित करीब 113 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसको लेकर कलेक्टर न्यायालय द्वारा इनकी सूची बनाकर एसडीएम को थमा दी गई है और जल्द से जल्द इनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी यदि जमीनी स्तर पर एसडीएम, तहसीलदार द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है तो उनसे भी जवाब-तलब किया जाएगा। शहर के नगरीय क्षेत्र में प्रापर्टी के दामों में जमकर वृद्धि होने के बाद से अब लोग मकान, प्लाट, फार्म हाउस खरीदने के लिए शहरी क्षेत्र से लगी सीमा पर ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर प्रापर्टी की खरीदारी कर रहे हैं। तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं यही कारण है कि बड़े -बड़े बिल्डर यहां स्थित जमीनों के मालिक यानि किसानों के साथ मिलकर बिना किसी अनुमति के अवैध कॉलोनिया काटकर प्लाट बेच रहे हैं। जिसमें किसी तरह की कोई अनुमति नहीं ली जाती है बस खरीदार को बदले में एक रजिस्ट्री थमा दी जाती है। जिसके बाद में बिजली, पानी, सड़क, सीवेज सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ते हैं। इन्हीं अवैध कॉलोनियों के खिलाफ हुजूर, कोलार तहसील, गोविंदपुरा वृत्त के एसडीएम और तहसीलदारों को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निर्देश दिए थे। कलेक्टर न्यायालय में अवैध कॉलोनी काटने के मामले में एसडीएम द्वारा चिह्नित कॉलोनाइजर, बिल्डर व किसानों को नोटिस जारी कर अनुमति संबंधी दस्तावेज पेश करने का समय दिया गया था। कलेक्टर न्यायालय में वह डायवर्जन, भवन अनुज्ञा सहित अन्य कोई भी ऐसी अनुमति नहीं पेश कर पाए, जिससे यह साबित हो सके कि वह अवैध कॉलोनी नहीं काट रहे हैं। इसके बाद कलेक्टर ने सभी के खिलाफ एसडीएम को एफआईआर करवाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने सूची कुछ दिनों पहले हुजूर, कोलार एसडीएम को भेज दी थी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं। नगरीय सीमा से लगे इन क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियां जिले में नगरीय सीमा से लगे जिन क्षेत्रों में जमकर खेती की जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। इनमें सेवनिया ओंकारा, कोटरा, पिपलिया बेरखेड़ी, कुराना, थुआखेड़ा, कालापीन, सुरैया नगर, छावनी पठार, कुराना, कानासैया, खंडाबर, सिकंदराबाद, थुआखेड़ा, शोभापुर, कोलुआ खुर्द, अरेड़ी, नरेला वाज्याफ्त, इब्राहिमपुरा, जगदीशपुर, कलखेड़ा, हज्जामपुरा, अचारपुरा, बसई, परेवाखेड़ा, ईंटखेड़ी सड़क, अरवलिया, मुबारकपुर, बीनापुर, गोलखेड़ी, चौपड़ा कलां, हज्जाम सहित बसई शामिल हैं। एसडीएम को दिए एफआईआर के निर्देश     जिले में बिना अनुमति के अवैध कॉलोनी विकसित कर प्लाट बेचने वालों की सूची तैयार कर ली है। उनके खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश हुजूर, कोलार तहसील के एसडीएम को दिए गए हैं। यदि निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो जवाब तलब किया जाएगा। – कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर  

मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स निगम ने युवाओं को दिया सिंहस्थ के लिए तकनीकी समाधान प्रस्तुत करने का मौका

उज्जैन   सिंहस्थ-2028 के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा-आधारित तकनीकों के माध्यम से भीड़ प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा, गतिशीलता, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। इसके लिए उज्जैन महाकुंभ हैकाथान का आयोजन किया गया था। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में उज्जैन महाकुंभ हैकाथान-2025 के दो दिन के सत्र में प्रौद्योगिकी, नवाचार और संस्कृति का संगम देखने को मिला। मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस आयोजन में देशभर के युवाओं को एक मंच पर सिंहस्थ-2028 के लिए स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रस्तुत करने का अवसर मिला। यह सिंहस्थ-2028 के लिए समाधान विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। देश के 26 राज्यों से पंजीकरण और 11 राज्यों की 36 चयनित टीमों की भागीदारी ने इस हैकाथान को भारत की नवाचार विविधता का प्रतीक बनाया। टीमों ने नवाचार और तकनीक के अलग-अलग प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किए। चयनित टीमें अगले दो महीनों के परिशोधन अवधि में अपने समाधानों को और विकसित करेंगी, जिससे सिंहस्थ-2028 के लिए एक सशक्त, समावेशी और टिकाऊ तकनीकी आधार तैयार हो सके। कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे, आयुक्त, नगरीय प्रशासन संकेत एस. भोंडवे सहित गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिभागियों के रचनात्मक, तकनीकी और सामाजिक रूप से प्रासंगिक समाधानों की सराहना की। किसी ने यूनिफाइड प्लेटफार्म तो किसी ने भीड़ नियंत्रण प्रणाली की विकसित सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजनों के लिए डिजाइन नवाचारों में जंगोह (इंदौर) ने 'सिंहथा यूनिफाइड' प्लेटफार्म प्रस्तुत किया। यह स्थानीय भाषाओं में एआइ-संचालित सहायता, रीयल-टाइम अपडेट्स प्रस्तुत करता है। सेल्फ सर्व बूथ ने एक 6डी वर्चुअल रियलिटी अनुभव प्रस्तुत किया, जो कुंभ के वातावरण को वैश्विक दर्शकों के लिए सजीव बनाता है। संचार वारियर ने एक रीयल-टाइम भीड़ निगरानी और चेतावनी प्रणाली विकसित की जो आपात स्थिति में मूक रिपोर्टिंग को भी सक्षम बनाती है। सेफ क्लाक ने भारतीय भाषाओं में डेटा भंडारण माडल पर ध्यान केंद्रित किया। मेडीवेंड ने रियल-टाइम वाइस इंटरफेस से युक्त एक चिकित्सा वेंडिंग प्लेटफार्म प्रदर्शित किया। उज्जैन महाकुंभ हैकाथान ने न केवल भविष्य की तकनीकी शासन प्रणाली की झलक दी, बल्कि मध्य प्रदेश के डिजिटल ट्रांसफार्मेशन विजन को भी मजबूती प्रदान की।