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सेमीफाइनल की राह पर संकट: श्रीलंका के सामने दक्षिण अफ्रीका की कड़ी चुनौती

नई दिल्ली  अगर मौसम मेहरबान रहा तो श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका की टीमें शुक्रवार को कोलंबों में महिला एकदिवसीय विश्व कप के महत्वपूर्ण मुकाबले में एक दूसरे के सामने कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश करेंगी। आर प्रेमदासा स्टेडियम में पिछले दो मैच बारिश के कारण रद्द करने पड़े और शुक्रवार को भी बारिश और आंधी आने का अनुमान है। अगर बारिश नहीं आती है और यह मैच खेला जाता है तो श्रीलंका टूर्नामेंट की अपनी पहली जीत हासिल करके सेमीफाइनल में जगह बनाने की अपनी उम्मीदों को जीवंत रखना चाहेगा। श्रीलंका ने दो मैच रद्द होने के कारण अभी तक दो अंक हासिल किए हैं और वह चार मैचों के बाद अंक तालिका में सबसे निचले स्थान पर हैं। श्रीलंका ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले मैच में बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन बारिश ने जीत हासिल करने की उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। उस मैच में श्रीलंका की कप्तान चमारी अटापट्टू और नीलक्षिका सिल्वा ने अर्धशतक जमाए थे। श्रीलंका को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी इसी तरह का प्रदर्शन जारी रखना होगा। दक्षिण अफ्रीका ने भारत और बांग्लादेश को करीबी मैचों में हराया था और उसकी टीम आत्मविश्वास से भरी होगी। टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में इंग्लैंड से 10 विकेट से मिली करारी हार के बाद दक्षिण अफ्रीका ने न्यूजीलैंड, मेजबान भारत और बांग्लादेश के खिलाफ जीत हासिल करके नाटकीय अंदाज में स्थिति को बदल दिया है। भारत और बांग्लादेश के खिलाफ मुश्किल हालात में दक्षिण अफ्रीका ने जीत हासिल करने के लिए सराहनीय संघर्ष और साहस दिखाया। इन दोनों ही मौकों पर नादिन डी क्लार्क सबसे ज़्यादा प्रभावशाली रहीं, जिन्होंने भारी दबाव में भी अद्भुत धैर्य का परिचय देते हुए टीम को जीत दिलाई। दक्षिण अफ्रीका के लिए शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों का अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पाना चिंता का विषय है। अगर उसे अपना विजय अभियान जारी रखना है तो उसके प्रमुख बल्लेबाजों को भी उपयोगी योगदान देना होगा। टीम इस प्रकार हैं: श्रीलंका: चमारी अटापट्टू (कप्तान), हासिनी परेरा, विशमी गुणरत्ने, हर्षिता समरविक्रमा, कविशा दिलहारी, नीलाक्षी डी सिल्वा, अनुष्का संजीवनी, इमेशा दुलानी, देवमी विहंगा, पिउमी वाथसाला, इनोका राणावीरा, सुगंधिका कुमारी, उदेशिका प्रबोदानी, मल्की मदारा, अचिनी कुलसुरिया। दक्षिण अफ्रीका: लौरा वोल्वार्ड्ट (कप्तान), ताज़मिन ब्रिट्स, एनेरी डर्कसन, मारिज़ैन कप्प, एनेके बॉश, सिनालो जाफ़्टा (विकेटकीपर), क्लो ट्रायॉन, नादिन डी क्लार्क, अयाबोंगा खाका, मसाबाता क्लास, नॉनकुलुलेको म्लाबा, सुने लुस, तुमी सेखुसोनगेस, नोंदुआबोमिसो म्लाबा। मैच शुरू: दोपहर 3 बजे से।  

बूथ रणनीति 2025: कांग्रेस तैनात करेगी 73,000 कार्यकर्ताओं को, जांच होगी दो स्तर पर

भोपाल मध्य प्रदेश में कांग्रेस सभी बूथों पर कार्यकर्ता तैनात करेगी। इनका चयन क्षेत्र में सक्रियता के आधार पर होगा। विधानसभा क्षेत्र प्रभारी इनका सत्यापन करेंगे। मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य प्रभारी से इस पर मुहर लगवाई जाएगी। यदि दोनों की रिपोर्ट कार्यकर्ता के पक्ष में आती है तो फिर जिला अध्यक्ष इन्हें नियुक्त करेंगे। प्रदेश कांग्रेस इन सभी को प्रशिक्षित करेगी और ये बूथ प्रबंधन का संपूर्ण काम देखेंगे। मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य पर नजर रखने का पूरा जिम्मा इनका ही रहेगा। कांग्रेस प्रदेश में संगठन वर्ष मना रही है। इसमें हर स्तर पर नई टीम बनाई जा रही है। इसी कड़ी में अब 73 हजार मतदान केंद्रों पर पार्टी कार्यकर्ताओं को तैनात किए जाने की योजना है।   दरअसल, अभी तक स्थानीय विधायक या वरिष्ठ नेता के कहने पर बूथ प्रबंधन का जिम्मा दे दिया जाता था लेकिन इस बार बकायदा चयन प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसमें कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए दो स्तर पर जांच का प्रविधान किया है। इनके माध्यम से ही पार्टी बूथ स्तर पर कार्यक्रम संचालित करेगी। प्रदेश स्तर पर दिलाया जाएगा प्रशिक्षण- प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि प्रदेश में लगभग आठ हजार मतदान केंद्र बढ़ने वाले हैं। इन्हें मिलाकर सख्या 73 हजार से अधिक हो जाएगी। इसके दृष्टिगत जिला अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की तैनाती को प्राथमिकता दें।

इस कंपनी में नया CEO, पहला फैसला झटका देने वाला — 16,000 नौकरियां जाएंगी!

मुंबई  दुनिया की बड़ी कंपनियों में Nestlé की गिनती है. यह एक स्विस मल्टीनेशनल कंपनी है, पिछले महीने ही Nestlé ग्लोबल के नए सीईओ फिलिप नवराटिल (Philipp Navratil) बने हैं, अब उनकी अगुवाई में कंपनी अगले 2 वर्षों में दुनिया भर में कुल 16,000 पदों को खत्म करने जा रही है. यानी 16 हजार लोगों की नौकरियां जाने वाली हैं.   यह बड़ा फैसला कंपनी के नए CEO फिलिप नवराटिल द्वारा लिया गया है. बता दें, सितंबर 2025 की शुरुआत में इस पद पर नियुक्त हुए थे. उन्होंने कहा है कि समय बदल रहा है और Nestlé में भी तेजी से बदलाव करना होगा.  किन-किन लोगों की जाने वाली हैं नौकरियां कंपनी ने बताया कि इन 16 हजार पदों में से करीब 12,000 पद White-Collar कर्मचारियों के लिए होंगे. ये कटौती कंपनी को लगभग 1 अरब स्विस फ्रैंक बचाने में मदद करेगी. बता दें, पहले से ही Nestle के प्रोडक्शन और सप्लाई चेन सेक्टर्स में 4,000 पदों की कटौती चल रही थी, जिसे अब इस योजना में शामिल किया गया है.  कंपनी ने यह भी कहा है कि वह 2027 के अंत तक लागत में 3 अरब स्विस फ्रैंक की बचत करना चाहती है, जो कि पहले तय लक्ष्य (2.5 अरब) से काफी है. यह घोषणा उसी समय हुई, जब Nestlé ने अपनी 9 महीने की वित्तीय रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी की बिक्री में 1.9 % की गिरावट आई है और उसे 65.9 अरब स्विस फ्रैंक की कमाई हुई है.  बदलाव के दौर से गुजर रही है कंपनी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये नतीजे न सिर्फ आर्थिक दबाव दिखाते हैं, बल्कि यह भी कि कंपनी अपने ढांचे में बदलाव कर रही है. नवराटिल को एक ऐसे समय में यह जिम्मेदारी मिली है, जब कंपनी पिछले कुछ समय से कई चुनौतियों से जूझ रही है. उदाहरण के लिए पुराने सीईओ को हटाने का मामला भी उठा था. इसके अलावा कंपनी एक जल संबंधी विवाद (bottled water scandal) से भी प्रभावित रही है, जो फ्रांस से शुरू हुआ था.  इन सब कारणों से नए नेतृत्व पर दबाव है कि वह कंपनी को स्थिर करे और निवेशकों का भरोसा बहाल करे.   दुनियाभर में नेस्ले का कारोबार बता दें, Nestlé के पास दुनिया भर में 2,000 से अधिक ब्रांड हैं. कंपनी अब लागत कम करने के साथ-साथ उन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है, जहां मुनाफा अधिक है या भविष्य में विकास की संभावना है, अगर भारत के नजरिये से देखें तो नेस्ले इंडिया लिमिटेड नेस्ले की भारतीय सहायक कंपनी है.  इस बीच नेस्ले इंडिया ने दूसरी तिमाही (Q2) के लिए परिणाम पेश कर दिए हैं. कंपनी के शुद्ध मुनाफे में करीब 23.6% की गिरावट देखी गई. हालांकि इसके बावजूद कंपनी की शेयर कीमत बढ़कर एक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई.   स्टॉक में तेजी के मुख्य कारण है कि कंपनी ने ऑपरेशन और बिक्री बढ़ाई, और घरेलू बिक्री में 10.8 % की वृद्धि हुई. कारोबार की आमदनी (revenue from operations) लगभग ₹ 5,643.6 करोड़ रही, जो कि पिछले साल की तुलना में 10.6% अधिक है. 

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा: नॉमिनेशन के बाद ही बिहार की वोटर लिस्ट जारी होगी

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही मतदाता सूची (Voter List) विवाद पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) मामले में चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि दोनों चरणों के नामांकन पूरा होने के बाद ही बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. अदालत ने आयोग के इस रुख को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 4 नवंबर तय की है. मतदाता सूची को वेबसाइट पर डालना चाहिए- प्रशांत भूषण सुनवाई के दौरान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग को उस मतदाता सूची को वेबसाइट पर डालना चाहिए. जिसके आधार पर मतदान कराया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने SIR की अंतिम सूची के बाद भी संशोधन की अनुमति दी है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं. नामांकन के बाद प्रकाशित होगी वोटर लिस्ट इस पर चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग पहले से ही तय प्रक्रिया के तहत काम कर रहा है. उन्होंने बताया, “पहले चरण का नामांकन 17 अक्टूबर और दूसरे चरण का नामांकन 20 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा. इसके तुरंत बाद अंतिम वोटर लिस्ट प्रकाशित कर दी जाएगी.” याचिकाकर्ता कर सकते हैं वोटर लिस्ट की समीक्षा जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक और जिम्मेदार संस्था है, जो अपने कर्तव्यों को भलीभांति समझती है. अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद याचिकाकर्ता उसकी समीक्षा कर सकते हैं, और यदि कोई गड़बड़ी दिखे, तो उसे अदालत में उठाया जा सकता है. राकेश द्विवेदी ने याचिकाकर्ताओं पर उठाए सवाल राकेश द्विवेदी ने याचिकाकर्ताओं पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि “पूरा अवसर मिलने के बावजूद कोई भी व्यक्ति, जिसका नाम सूची से हटाया गया, अपील के लिए आगे नहीं आया. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को लोगों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन वे अदालत में सिर्फ आंकड़े दिखाकर भ्रम फैलाने में जुटे हैं.” गोपाल शंकरनारायण ने खड़ा किया सवाल दूसरी ओर, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने SIR प्रक्रिया की वैधानिकता पर ही सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि पहले इस बात पर फैसला होना चाहिए कि SIR कानूनी रूप से वैध है या नहीं. 4 नवंबर को अगली सुनवाई कोर्ट ने कहा कि वह 4 नवंबर को SIR की वैधानिकता पर आयोग की दलीलें सुनेगा और फिर आगे का आदेश पारित करेगा. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि बिहार की वोटर लिस्ट जारी होने के बाद ही किसी ठोस आपत्ति पर विचार किया जाएगा. 

बगावत की ओर बढ़ती पाक टीम? आगा का पत्ता कट सकता है, नया कप्तान तय!

कराची  अनुभवी ऑलराउंडर शादाब खान को सलमान अली आगा की जगह पाकिस्तान की टी-20 टीम का कप्तान नियुक्त किया जा सकता है. पाकिस्तान की तरफ से अब तक 70 एकदिवसीय और 112 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा ले चुके शादाब ने इस साल के शुरू में लंदन में अपने कंधे की सर्जरी कराई थी इसके बाद वह खेल से बाहर हैं. शादाब हालांकि अब फिट हैं और वह अगले महीने वापसी कर सकते हैं. उनकी वापसी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि वह सलमान की जगह राष्ट्रीय टी-20 कप्तान बन सकते हैं. सर्जरी से पहले वह इस प्रारूप में उप-कप्तान थे. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि शादाब 11 से 15 नवंबर के बीच श्रीलंका के खिलाफ द्विपक्षीय घरेलू श्रृंखला में वापसी करेंगे, क्योंकि उनका रिहैब अच्छा चल रहा है. अगले साल होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखते हुए उन्हें खेल के सबसे छोटे प्रारूप का कप्तान नियुक्त किया जा सकता है. पाकिस्तान सलमान की अगुवाई में एशिया कप में खेला था, जहां उसे फाइनल में भारत से हार का सामना करना पड़ा था.दूसरी ओर गद्दाफी स्टेडियम में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के दौरान बाबर आजम से मिलने ड्रेसिंग रूम में घुसे फैन को पुलिस ने फटकार लगाने के बाद रिहा कर दिया. ओवेस नाम के इस युवक ने सोशल मीडिया पर तब सबका ध्यान खींचा जब उसे बुधवार को सुरक्षा बैरियर तोड़कर पाकिस्तान ड्रेसिंग रूम की बालकनी पर चढ़ते देखा गया. यह घटना उस समय हुई जब मेजबान टीम ने पहले टेस्ट मैच में विश्व चैंपियन दक्षिण अफ्रीका को हराया था.

17% मुस्लिम आबादी, फिर भी NDA के सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवार — क्या है रणनीति?

पटना  एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इस मामले में महागठबंधन पिछड़ गया. एनडीए में जेडीयू को छोड़ किसी भी घटक दल ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. जेडीयू ने 17 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम समाज से सिर्फ 4 कैंडिडेट देकर एनडीए की लाज बचा ली है. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने हिस्से की सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. जेडीयू ने बुधवार को 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी और गुरुवार को दूसरी सूची जारी कर बचे उम्मीदवारों के नाम भी घोषित कर दिए. एनडीए की दूसरी सहयोगी भाजपा ने भी अपने 101 उम्मीदवारों के नाम 3 किस्तों में जारी कर दिए हैं. एनडीए की तीसरी पार्टी हम (HAM) ने भी हिस्से में मिली 6 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं. चौथी सहयोगी चिराग पासवान की लोजपा-आर ने भी 14 उम्मीदवारों की एक सूची जारी की है. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम ने भी नाम तय कर दिए हैं. चिराग पासवान को बंटवारे में 29 सीटें मिली हैं. एनडीए की कैंडिडेट लिस्ट में जेडीयू को छोड़ किसी ने मुस्लिम कैंडिडेटट नहीं दिए. जेडीयू ने सिर्फ 4 मुसलमानों को इस बार मौका दिया है. जेडीयू ने 2020 में 11 मुस्लिम कैंडिडेट दिए थे. उम्मीदवारों के चयन में जातीय समीकरण यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बिहार की सियासत में जातीय समीकरण की कितनी अहमियत होती है. इसी अहमियत को ध्यान में रख कर लालू यादव के नेतृत्व वाले आरजेडी ने वर्षों पहले मुस्लिम-यादव समीकरण बनाया था. नीतीश कुमार ने जब से लालू का साथ छोड़ा, तब से लेकर अब तक सभी जातियों को समान रूप से साधने का प्रयास किया है. यही वजह है 5 प्रतिशत से भी कम आबादी वाली कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश ने अपना बड़ा जनाधार तैयार कर लिया है. हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने उम्मीदवारों के चयन में यह सावधानी बरती है. जेडीयू की लिस्ट में 4 मुस्लिम कैंडिडेट जेडीयू की सूची में एक बात खटकती है. इस बार सिर्फ 4 मुस्लिम कैंडिडेट सूची में हैं. जेडीयू ने अक्टूबर 2005 के चुनाव में 9 मुस्लिम कैंडिडेट दिए थे. 2010 में भी यह सिलसिला बरकरार रहा. तब 17 मुससलमानों को विधानसभा का टिकट जेडीयू से मिला था. 2015 में जेडीयू को इस बार की तरह ही 101 सीटें मिली थीं. फिर भी नीतीश ने 7 मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया था. तब नीतीश आरजेडी के साथ चुनाव लड़े थे. बाद में वे भाजपा में लौट गए. नतीजा यह हुआ कि 2020 में जब उन्होंने 11 मुसलमानों को टिकट दिया तो उनकी जमात ने स्वजातीय या स्वधर्मी उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया. जेडीयू के सारे मुस्लिम कैंडिडेट हार गए. 2015 तक मुसलमानों का मिला साथ मुस्लिम-यादव के मजूबत समीकरण की वजह से आरजेडी के प्रति मुसलमानों का आकर्षण भले कभी अधिक रहा हो, लेकिन नीतीश कुमार के उदय के बाद और उनके द्वारा किए गए काम से खुश होकर मुसलमानों का बड़ा तबका जेडीयू के साथ आ गया था. मुसलमानों में पिछड़े तबके की पहचान कर नीतीश ने उनके विकास के लिए काम किए तो उनका झुकाव उनके प्रति स्वाभाविक था. आम मुसलमानों के हित में भी नीतीश ने कई उल्लेखनीय काम कर उनके दिलों में अपनी जगह बना ली थी. नीतीश ने भी मुसलमानों को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके बावजूद 2020 के चुनाव में मुसलमानों ने उनका साथ नहीं दिया. जेडीयू ने 11 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन एक भी नहीं जीत पाया. बसपा के जमा खान अगर नीतीश के साथ नहीं आते तो विधानसभा में जेडीयू का कोई मुस्लिम विधायक ही नहीं होता. इसके संकेत पहले से ही मिलने लगे थे जेडीयू पर मुसलमानों का भरोसा नहीं रहा, यह संकेत तो स्पष्ट तौर पर 2020 में ही मिल गया था, जब उसके सारे मुस्लिम कैंडिडेट हार गए. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सांसद देवेश चंद्र ठाकुर और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने खुल कर कहना शुरू किया कि जेडीयू को मुसलमानों के वोट नहीं मिलते. यह अलग बात है कि नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए सर्वाधिक और उल्लेखनीय काम किए हैं. मुसलमानों में नीतीश के प्रति नाराजगी की वजह शायद भाजपा की संगत रही है. भाजपा के साथ तो वे सर्वाधिक समय तक सरकार चलाते रहे हैं, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने भाजपा की खुल कर मुखालफत भी की है. सांसद चुने जाने के बाद देवेश चंद्र ठाकुर ने गुस्से में यहां तक कह दिया कि उन्हें मुसलमानों ने वोट नहीं दिया, इसलिए वे उनका काम नहीं करेंगे. वक्फ कानून पर भाजपा के साथ जेडीयू का खड़ा होना भी मुसललमानों को नागवार लगा था. इसकी झलक उस दिन मिली, जब नीतीश ने रमजान के महीने में इफ्तार की पार्टी दी. मुस्लिम जमात के लोगों ने उसका बायकाट किया था. जेडीयू ने इस बार सिर्फ 4 मुसलमानों को ही मौका दिया है तो इसकी यही वजह समझ में आती है.  

4.90 लाख सरकारी स्कूल छात्रों को सरकार का तोहफा, मिलेगी मुफ्त साइकिल

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 4.90 लाख बच्चों को नि:शुल्क साइकिल स्कूल शिक्षा विभाग ने इस वर्ष किया 215 करोड़ बजट का प्रावधान भोपाल  प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन दर और शिक्षा गुणवत्ता सुधार के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग की नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना में इस शैक्षणिक सत्र में 4 लाख 90 हजार बच्चों को साइकिल का वितरण किया गया है। इस वर्ष विभाग ने योजना के लिये 215 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया है। योजना के माध्यम से उन बच्चों को नि:शुल्क साइकिल का लाभ दिया जा रहा है, जिन्होंने कक्षा-5 और कक्षा-8 उत्तीर्ण कर ली है। ऐसे विद्यार्थियों के अगली कक्षा की दूरी मजरे टोले की दूरी 2 किलोमीटर या उसे अधिक की दूरी पर हो उन्हीं बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। इस योजना में उन बालिकाओं को भी योजना का लाभ दिया जा रहा है जो छात्रावास में रहकर अध्ययन कर रही है। बच्चों को साइकिल की सुविधा स्कूल आने-जाने के लिये प्रदान की गई है। पिछले वर्ष विभाग ने 4 लाख 80 हजार बच्चों को नि:शुल्क साइकिल वितरित की थी। लोक शिक्षण संचालनालय ने साइकिल खरीदी की प्रक्रिया जेम पोर्टल के माध्यम से लघु उद्योग निगम की सहयोग से पूरी की है। बच्चों को साइकिल वितरण के लिये संचालनालय में विस्तृत दिशा निर्देश भी जारी किये थे। कक्षा-6 के बच्चों को 18 इंच और कक्षा-9 के विद्यार्थियों को 20 इंच की साइकिल प्रदाय की गई है।  

120 5th‑Generation जेट मात्र ₹1,57,844 में; 2600 km/h की बवाली रफ्तार और 6500kg वारहेड क्षमता

 बेंगलुरु  भारत अपने दम पर नेशनल सिक्‍योरिटी को मजबूत करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है. विदेशी रक्षा सौदे में आने वाली दिक्‍कतों और लेटलतीफी को देखते हुए अब डिफेंस सेक्‍टर के स्‍वदेशीकरण की प्रक्रिया को तेज कर दी गई है. मिसाइल प्रोडक्‍शन के साथ अल्‍ट्रा मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्‍टम पर पूरे रफ्तार से काम चल रहा है. इसके अलावा पांचवीं पीढ़ी के स्‍टील्‍थ फाइटर जेट को देश में डेवलप करने के लिए कुछ महीने पहले महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट लॉन्‍च किया गया है. एडवांस्‍ड मीडियम कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्‍ट के तहत 5th जेनरेशन स्‍टील्‍थ फाइटर जेट डेवलप किया जा रहा है. इस फाइटर जेट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आधुनिक रडार सिस्‍टम से पकड़ पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन सा होगा. भारत के लिए सामरिक रूप से यह उल्‍लेखनीय सफलता होगी. चीन और पाकिस्‍तान जैसे देश भारतीय सीमा की तरफ आंख उठाकर देखने की कोशिश भी नहीं कर सकेंगे. पांचवीं पीढ़ी के देसी फाइटर जेट के आसमान में आते ही भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कैटेगरी में आ जाएगा. दूसरी तरफ, इंडियन एयरफोर्स (IAF) ने AMCA के तहत डेवलप 120 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई है. इसपर हजारों करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना. दरअसल, भारत का बहुप्रतीक्षित एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) कार्यक्रम निर्णायक चरण में पहुंच गया है. देश की यह पहली स्वदेशी स्‍टील्थ फाइटर जेट प्रोजेक्‍ट अब उत्पादन की दिशा में अग्रसर है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए प्रारंभिक चरण में लगभग 120 AMCA लड़ाकू विमान बनाए जाएंगे, जिनकी डिलीवरी 2035 से शुरू होने की संभावना है. AMCA प्रोजेक्ट का लक्ष्य एक ऐसा विमान बनाना है जो दुश्मन की रडार पकड़ में आए बिना डीप अटैक करने में सक्षम हो. इसके दो संस्करण बनाए जा रहे हैं. पहला, AMCA MK-1, जिसमें अमेरिकी GE F414 इंजन लगाया जाएगा. दूसरा, AMCA MK-2, जिसमें भारत और फ्रांस की कंपनी Safran द्वारा संयुक्त रूप से विकसित 120 kN थ्रस्ट इंजन का उपयोग किया जाएगा. इस संयुक्त इंजन विकास परियोजना पर $7.2 बिलियन (करीब ₹60,000 करोड़) खर्च होंगे. इसमें भारत को पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण (Technological Transfer) और बौद्धिक संपदा अधिकार भी मिलेंगे. पांचवीं पीढ़ी का देसी महाबली     AMCA के तहत डेवलप फाइटर जेट में 25 टन के दो इंजन होंगे.     अधिकतम रफ्तार: 2600 KMPH (Mach 2.15)     कॉम्‍बैट रेंज: 1620 किलोमीटर     फेरी रेंज: 5324 किलोमीटर     सर्विस सीलिंग: 20000 मीटर (65,000 फीट)     पेलोड कैपेसिटी: 6500 किलोग्राम​ ₹157844 में 120 5th जेनरेशन देसी फाइटर जेट अब सवाल उठता है कि AMCA के तहत डेवलप होने वाले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की कीमत कितनी होगी. ‘इंडिया डिफेंस न्‍यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्‍ट के तहत बने फाइटर जेट के एक यूनिट की कीमत 140 मिलियन डॉलर (तकरीबन 1228 करोड़ रुपये) होने की संभावना है. इंडियन एयरफोर्स ने AMCA के तहत बने 120 जेट खरीदने की योजना बनाई है. इसकी कुल कीमत तकरीबन 18 बिलियन डॉलर यानी ₹157844 होगी. 120 आधुनिक विमान की खरीद के साथ ही इंडियन एयरफोर्स के स्‍क्‍वाड्रन में भी वृद्धि होगी. इसके साथ ही IAF की ताकत में भी कई गुना इजाफा होगी. बता दें कि तेजस फाइटर जेट प्रोजेक्‍ट के तहत भी 4.5 जेनरेशन के फाइटर जेट डेवलप किए जा रहे हैं. इंडिजेनस एवियोनिक्स और सेंसर फ्यूजन AMCA के तहत डेवलप पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान भारत के स्वदेशी उत्तम-AESA रडार से लैस होगा, जो 150 किलोमीटर से अधिक दूरी पर फाइटर जेट-साइज टारगेट्स का पता लगा सकता है. इसमें AI-ऑपरेटेड मल्टी-सेंसर डेटा फ्यूजन सिस्टम, इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) और इंटीग्रेटेड व्हीकल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम भी होगा. इस तकनीक से पायलट को ‘फर्स्ट लुक, फर्स्ट किल’ क्षमता मिलेगी. यानी दुश्मन के प्रतिक्रिया देने से पहले उसे निशाना बनाना. AMCA प्रोजेक्‍ट का पूरा शेड्यूल     2025-2027: प्रोटोटाइप कंस्‍ट्रक्‍शन और सिस्‍टम इंटीग्रेशन     2028-2029: फर्स्‍ट फ्लाइट और शुरुआती टेस्टिंग     2030-2034: ट्रायल और सर्टिफिकेशन     2035 और उसके बाद: प्रोडक्‍शन और एयरफोर्स में शामिल करने की प्रक्रिया स्वदेशी वेपन सिस्‍टम का इंटीग्रेश्‍न AMCA की आंतरिक हथियार प्रणाली (internal weapon bay system) को फिर से डिजाइन किया गया है, ताकि यह 6 Astra MK-2 मिसाइलें बिना स्टील्थ कैपेबिलिटी घटाए ले जा सके. इसके अलावा यह फाइटर जेट BrahMos-NG सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, SANT एंटी-टैंक मिसाइल और Rudram एंटी-रेडिएशन मिसाइल जैसे भारत में विकसित हथियारों से लैस होगा. रक्षा मंत्रालय ने इस बार प्रतिस्पर्धी उद्योग भागीदारी मॉडल को मंजूरी दी है. अब केवल HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) ही नहीं, बल्कि TATA Advanced Systems, Adani Defence, L&T, Bharat Forge और Goodluck India जैसी निजी कंपनियां भी बोली लगा रही हैं. इससे उत्पादन की गति और गुणवत्ता दोनों बढ़ने की उम्मीद है. भारत को एयरोस्पेस पावर बनाने की दिशा में कदम AMCA केवल एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता की दिशा में एक बड़ा छलांग है. यह प्रोजेक्‍ट एक ऐसा औद्योगिक इकोसिस्टम बना रही है जो आने वाले वर्षों में भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि वैश्विक एयरोस्पेस खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा. परियोजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत अपने बजट अनुशासन, तकनीकी जोखिम प्रबंधन और उद्योग समन्वय को कितनी कुशलता से संभालता है. साल 2035 में जब पहले AMCA लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होंगे, तो यह न केवल भारत के रक्षा इतिहास में एक निर्णायक मोड़ होगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि देश अब किसी का ग्राहक नहीं, बल्कि निर्माता बन चुका है.

दिवाली पर सेहत का आशीर्वाद! महाकाल मंदिर में मिलेंगे रागी लड्डू, ब्लड प्रेशर-शुगर कंट्रोल का दावा

उज्जैन  श्री महाकाल मंदिर का लड्डू प्रसाद यूं तो पहले से ही FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) द्वारा 5 स्टार रेटिंग प्रमाणित है. जो गुणवत्ता और शुद्धता को दर्शाता है. यह प्रसाद देश में सुरक्षित भोग के लिए नंबर 1 है. लेकिन अब इसमें एक और खास प्रसाद को जोड़ा जा रहा है. मंदिर में श्री अन्न रागी के लड्डू प्रसाद की शुरुवात दीपावली पर्व से होने जा रही है. मंदिर समिति का दावा है देश में पहली बार कोई मंदिर रागी के लड्डू को प्रसाद रूप में बेचने जा रहा है. इसमें गुड़ और पंचमेवा भी शामिल रहेगा. बीमारियों से बचाएगा बाबा महाकाल का प्रसाद! हालांकि इसके साथ बेसन के लड्डू भी मिलते रहेंगे. रागी ब्लड प्रेशर एवं शुगर कंट्रोल के लिए फायदेमंद माना जाता है. एनीमिया से भी बचाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि, अब महाकाल का प्रसाद ब्लड प्रेशर, शुगर कंट्रोल और एनीमिया से बचाव करेगा. श्री अन्नम रागी के लड्डू कैसे और कहां मिलेंगे? क्या होगी इसकी कीमत? स्वास्थ्य के लिए यह कितने फायदेमंद होंगे? आइए जानते हैं तमाम सवालों के जवाब. खास होने जा रहा है बाबा महाकाल का प्रसाद  विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का धाम लाखों-करोड़ों श्रद्धलुओं की आस्था का खास केंद्र है. मंदिर में प्रसाद के तौर पर बेसन के लड्डू मंदिर समिति द्वारा 'नो प्रॉफिट नो लॉस' में बेचे जाते हैं. मंदिर प्रशासक प्रथम कोशिक के अनुसार, ''श्री अन्न रागी के लड्डू का प्रसाद भी 'नो प्रॉफिट नो लॉस' के साथ मंदिर में दिए जाएंगे. बेसन के लड्डू के बराबर ही रागी के प्रसाद की कीमत होगी. श्रद्धालुओं के पास दोनों खरीदने के ऑप्शन रहेंगे. बाद में अच्छा रिस्पांस मिलता है तो समय अनुसार बदलाव होंगे. मंदिर समिति जल्द ही इसके भाव साझा करेगी.'' क्या है अभी कीमत? मंदिर में मिल रहे बेसन के लड्डू प्रसाद, श्री चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर श्री महाकालेश्वर लड्डू प्रसाद यूनिट में बनाकर तैयार किए जाते हैं. जहां से प्रसाद मंदिरों के काउंटर तक पहुंचता है. मंदिर में मिलने वाले प्रसाद की कीमत 400रु किलो है. अभी 50रु, 100रु, 200रु और 400रु के अलग अलग पैकेट मिलते हैं. इसी तरह रागी के लड्डू भी मिलेंगे. महाकाल भगवान को भोग के बाद होगी शुरुआत मंदिर प्रशासक प्रथम कोशिक ने बताया, ''दीपावली पर्व पर भगवान को श्री अन्नम रागी के लड्डू प्रसाद का भोग लगाया जाएगा. जिसके बाद लड्डू प्रसाद को मंदिर के अलग-अलग प्रसाद काउंटर से बेचना शुरू कर दिया जाएगा. मंदिर के सभी प्रवेश और निकासी द्वार पर लड्डू प्रसाद के काउंटर बने हुए हैं. मंदिर में प्रसाद के लिए मशीने भी लगी हैं, जहां से श्रद्धालु खुद ही मशीन ऑपरेट कर प्रसाद ले जाते हैं.'' क्या होंगे रागी के लड्डू के फायदे? मंदिर समिति का दावा है कि रागी के लड्डू का ये प्रसाद श्रद्धालुओं के वरदान साबित होगा. श्रीअन्नम रागी के लड्डू जो ब्लड प्रेशर, शुगर कंट्रोल के साथ ही एनीमिया से बचाएंगे, हड्डियों को मजबूत रखेंगे, ऊर्जा का बेहतर स्त्रोत होंगे और त्वचा के लिए फायदेमंद होंगे. रागी में कैल्शियम, मैग्नेशियम और फॉस्फोरस होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है. विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा के लिए बेहतर है. यह एजिंग के लक्षणों को रोकेगा. इससे शरीर में थकान महसूस नहीं होती, एनर्जी बूस्ट करता है व अन्य फायदे हैं. इसलिए इसे प्रसाद के रूप में देने का विचार मंदिर समिति कर रहा है.

PF निकासी हुई आसान! नौकरी छोड़ने पर अब नहीं होगी फंड की दिक्कत, EPFO का बड़ा फैसला

नई दिल्ली  केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नियमों में भारी ढील दिए जाने पर प्रकाश डाला. इससे कर्मचारियों के लिए ईपीएफ निकासी आसान हो गई है. नए नियमों के अनुसार नौकरी छूटने वाले कर्मचारी अब अपनी ईपीएफ राशि का 75फीसदी तुरंत निकाल सकते हैं. शेष 25 प्रतिशत राशि एक वर्ष बाद निकाली जा सकती है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर्मचारी का 10 साल का सेवाकाल बरकरार रहे. मंडाविया ने कहा, 'ईपीएफ निकासी अब आसान बना दी गई है. अगर किसी की नौकरी चली जाती है तो 75 फीसदी राशि तुरंत निकाली जा सकती है और एक साल बाद पूरी राशि निकालने की सुविधा उपलब्ध होगी. 25 फीसदी राशि एक वर्ष के लिए रखने के पीछे उद्देश्य यह है कि 10 साल का सेवाकाल बाधित न हो. इन नए सुधारों से कर्मचारी की सेवा निरंतरता बनी रहेगी और पेंशन प्राप्त करने से उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी. इसके अतिरिक्त सरकार ने नौकरी छूटने के बाद धनराशि निकालने की अवधि दो महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी है, जिससे सदस्यों को नया रोजगार खोजने और नौकरी जारी रखने के लिए अधिक समय मिल जाएगा. एक अन्य महत्वपूर्ण कदम के तहत जिन प्रतिष्ठानों ने पहले ईपीएफओ में योगदान नहीं किया है, वे अब मामूली जुर्माने के साथ नामांकन करा सकते हैं. इससे अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. इसके अलावा बुजुर्ग और दूरदराज के ईपीएफओ लाभार्थियों की सहायता के लिए डाक सेवाओं के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि उनके घरों पर ही जीवन प्रमाण पत्र का प्रमाणीकरण और जारी करने की सुविधा प्रदान की जा सके. इससे यह सुनिश्चित होता है कि लाभार्थी ईपीएफओ कार्यालयों में जाए बिना ही अपना लाभ प्राप्त कर सकें.