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डायबिटीज का खतरा कम करना है? तो पेट की चर्बी को कहें अलविदा

नई दिल्ली टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों में गुर्दे की बीमारी, दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और मृत्यु दर भी बढ़ जाती है। कुछ साल पहले तक, टाइप 2 मधुमेह को अपरिवर्तनीय माना जाता था। अब हम जानते हैं कि कुछ रोगियों में, वज़न में भारी कमी लाकर, टाइप 2 मधुमेह को कम किया जा सकता है। इसके बाद, रोगी स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं होते। हालाँकि, यह कमी शायद ही कभी स्थायी होती है: ज़्यादातर रोगियों में 5 साल बाद फिर से टाइप 2 मधुमेह विकसित हो जाता है। इसलिए, डीज़ेडडी के शोधकर्ताओं ने इस बात की जाँच की कि क्या टाइप 2 डायबिटीज़ के शुरुआती चरण, प्रीडायबिटीज़, को उलटना संभव है। प्रीडायबिटीज़ में, रक्त शर्करा का स्तर पहले से ही बढ़ा हुआ होता है, लेकिन अभी इतना ज़्यादा नहीं होता कि टाइप 2 डायबिटीज़ कहा जा सके। लेकिन प्रीडायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में हृदय, गुर्दे और आँखों की जटिलताएँ भी विकसित हो सकती हैं। प्रीडायबिटीज़ लाइफस्टाइल इंटरवेंशन स्टडी (पीएलआईएस), जो कि मधुमेह के एक बड़े बहुकेंद्रीय अध्ययन का हिस्सा है, में प्रीडायबिटीज़ से पीड़ित 1,105 लोगों ने एक साल के वज़न घटाने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसमें स्वस्थ आहार और ज़्यादा शारीरिक गतिविधि शामिल थी। जब शोधकर्ताओं ने उन प्रतिभागियों का अध्ययन किया जिन्होंने कम से कम 5% वज़न कम किया था, तो उन्होंने पाया कि कुछ लोगों में वज़न में कमी आई थी, जबकि कुछ में नहीं – हालाँकि सभी के लिए सापेक्ष वज़न में कमी एक समान थी। पेट की चर्बी कम होने के कारण बेहतर इंसुलिन संवेदनशीलता वज़न कम होना अपने आप में रोगमुक्ति के लिए ज़िम्मेदार नहीं लगता। हालाँकि, जिन लोगों को रोगमुक्ति मिली थी, उनमें इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता और भी बेहतर थी। वे रक्त शर्करा कम करने वाले हार्मोन इंसुलिन के प्रति ज़्यादा संवेदनशील थे। और उन्होंने पेट की आंतरिक चर्बी भी ज़्यादा खोई थी। पेट की आंतरिक चर्बी सीधे उदर गुहा में होती है और आंतों को घेरती है। यह वसा ऊतक में सूजन की प्रतिक्रिया के माध्यम से आंशिक रूप से इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है। प्रीडायबिटीज़ में छूट पाने के लिए पेट की आंतरिक चर्बी कम करना बेहद ज़रूरी प्रतीत होता है। डीज़ेडडी शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रीडायबिटीज़ में यही चिकित्सीय लक्ष्य होना चाहिए। अब तक, वज़न कम करने का इस्तेमाल केवल टाइप 2 डायबिटीज़ की शुरुआत को टालने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन अध्ययन में जिन लोगों को छूट मिली, उनमें कार्यक्रम समाप्त होने के 2 साल बाद तक टाइप 2 डायबिटीज़ होने का जोखिम काफ़ी कम रहा। उनके गुर्दे की कार्यक्षमता में भी सुधार देखा गया और उनकी रक्त वाहिकाओं की स्थिति भी बेहतर हुई। नए परिणामों के अनुसार, जब शरीर का वजन 5% कम हो जाता है और महिलाओं में पेट की परिधि लगभग 4 सेमी और पुरुषों में 7 सेमी कम हो जाती है, तो छूट की संभावना बढ़ जाती है।

भाई दूज की परंपरा: तिलक लगाने की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक वजहें

भाई दूज दिवाली के अंतिम त्योहार के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह बहुत विशेष होता है. यह पर्व भाई और बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं. उनके लिए व्रत रखती हैं. उन्हें कलावा बांधती हैं. इस दिन बहनें अपने भाई की सुख समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है. इस दिन बहनें अपने भाई को रोली और अक्षत से माथे पर टीका करती हैं. फिर उनकी आरती उतारती हैं. वहीं इस दिन भाई बड़े प्रेम से अपनी बहनों को गिप्ट देते हैं. भाई दूज शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा. ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. कथाओं के अनुसार… प्राचीन कथाओं के अनुसार, यमराज की बहन यमुना जी लंबे समय के बाद अपने भाई से इसी दिन मिली थीं. यमराज यमुना जी के घर पहुंचे थे. तब यमुना जी ने अपने भाई को आसान पर बैठाया. उनका तिलक किया और उनकी आरती उतारी. इसके बाद उन्होंने अपने हाथों से बना भोजन यमराज को खिलाया. अपनी बहन के आदर सत्कार से यमराज बहुत प्रसन्न हुए. इसलिए बहनें लगाती हैं भाई के माथे पर तिलक उन्होंने यमुना जी से वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना जी ने अपने भाई से ये वरदान मांगा कि आज के दिन जो कोई भी बहन अपने भाई को तिलक करके अपने हाथों से बना भोजन कराएगी, उसे आप प्रताड़ित नहीं करेंगे. इस पर यमराज ने अपनी बहन को ये वरदान दे दिया, इसलिए ये पर्व मनाया जाता है और बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतरती हैं. फिर यथाशक्ति भोजन कराती हैं. इस दिन विधि विधान से पूजा करने और भाई के माथे पर तिलक लगाने से भाई की अकाल मृत्यु के संकट से रक्षा होती है.

पंडित जी से जानें: देवउठनी एकादशी पर व्रत, पूजन और पारण का शुभ समय

हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का खास महत्व है। देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से ही शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति सभी सुखों को भोगकर अंत में मुक्ति पाता है। इस बार एकादशी पर भद्रा व पंचक का साया रहने वाला है। हिंदू धर्म में भद्रा व पंचक को शुभ व कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना गया है। जानें पंडित जी से इस साल देवउठनी एकादशी व्रत कब रखा जाएगा, पूजन व व्रत पारण का समय- देवउठनी एकादशी व्रत कब है: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी और 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, उदयातिथि में देवउठनी एकादशी व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। देवउठनी एकादशी पूजन मुहूर्त 2025: देवउठनी एकादशी पर पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। पूजन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। अमृत काल सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। देवउठनी एकादशी पर भद्रा व पंचक कब से कब तक: देवउठनी एकादशी के दिन पंचक पूरे दिन रहेगा, जबकि भद्राकाल रात 08 बजकर 27 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। देवउठनी एकादशी व्रत पारण का समय: देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 2 नवंबर को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय दोपहर 12 बजकर 55 मिनट है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है।

निर्वाचन आयोग का सख्त आदेश: वोटिंग डे पर कर्मचारियों को देना होगा वैतनिक अवकाश

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के मतदान के दिनों में वैतनिक अवकाश की घोषणा की है। चुनाव आयोग की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी के तहत, मतदान के हकदार प्रत्येक कर्मचारी को मतदान के दिन वैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए। इस अवकाश के लिए किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाना चाहिए और इस नियम का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान दैनिक वेतनभोगी और अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके है कि अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी बिना किसी वित्तीय नुकसान के मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाता लेकिन उन क्षेत्रों के बाहर औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत मतदाता भी मतदान की सुविधा के लिए सवेतन अवकाश के समान रूप से हकदार हैं। प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को नियोक्ताओं और अधिकारियों को इन प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने प्रत्येक पात्र मतदाता के स्वतंत्र और सुविधाजनक तरीके से मतदान करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह निर्देश लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने और भारत की चुनावी प्रक्रिया में मतदान को एक मौलिक अधिकार के रूप में बनाए रखने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने जा रहा है। पहले चरण के लिए मतदान छह नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा।

स्वास्थ्य सेवाओं पर असर! छत्तीसगढ़ में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भारी कमी, 70% पद रिक्त

रायपुर प्रदेश के शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी अब चिंता का विषय बन चुकी है। रायपुर के दाऊ कल्याणसिंह पोस्ट ग्रेजुएट व रिसर्च केंद्र और बिलासपुर के कुमार साहब स्व. श्री दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में स्वीकृत 135 पदों में से 95 पद खाली पड़े हैं यानी 70 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। वहीं, राज्य के शासकीय दस मेडिकल कालेजों और एकमात्र रायपुर डेंटल कालेज में भी हालात बेहतर नहीं हैं। यहां स्वीकृत 2,160 पदों में से 1,155 पद रिक्त हैं, जो कुल पदों का 54 प्रतिशत है। डॉक्टरों की कमी के चलते सुपर स्पेशलिटी वार्ड नाममात्र के रह गए हैं। मरीजों को या तो सामान्य चिकित्सकों के भरोसे छोड़ा जा रहा है या उन्हें रेफर करना पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी नियुक्ति नहीं होने से डॉक्टरों में असुरक्षा की भावना है, जो इस संकट का एक बड़ा कारण है। रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से पिछले एक साल में छह से अधिक डाक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि एमबीबीएस सीटों में बढ़ोतरी के चलते जहां मेडिकल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, वहीं पीजी (स्नाकोत्तर) सीटें कम होने से विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान में दस शासकीय और चार निजी मेडिकल कॉलेज संचालित है, जिसमें एमबीबीएस की 2,180 सीटें हैं। वहीं, पीजी की 311 व निजी में 186 सीटें हैं। इसके अलावा, सरकारी बांड नियम भी डाक्टरों के लिए एक बड़ी परेशानी बनकर उभरा है। यदि समय रहते सरकार ने स्थायी नियुक्तियों और पीजी सीटों में बढ़ोतरी पर ध्यान नहीं दिया, तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है। राजपत्र में प्रकाशित नियम को दी गई चुनौती विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से मध्यप्रदेश की तरह वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालीय शैक्षणिक आदर्श सेवा भर्ती नियम 2019 सह संशोधन वर्ष 2020 अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई थी। इसमें पूर्व में संविदा में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों का स्वशासी समिति के माध्यम से नियमित करने का प्रविधान है। लेकिन, नियमति चिकत्सकों ने पदोन्नति, वरिष्ठता व प्रशासनिक नियुक्ति आदि प्रभावित होने की आशंका से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, जो वर्तमान में विचाराधीन है। सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में विशेषज्ञों की स्थितिसंस्थान का नाम – स्वीकृत पद – कार्यरत (नियमित व संविदा) – रिक्तकुमार साहब स्व. श्री दिलीप सिंह जूदेव, बिलासपुर – 78 – 8 (एक व सात) – 70दाऊ कल्याणसिंह स्नातोकोत्तर व रिसर्च केंद्र, रायपुर – 57 – 32 (दो व 30) – 25 मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की स्थिति – कांकेर: स्वीकृत पद 148, कार्यरत 30 (19 नियमित, 11 संविदा), रिक्त 118 – दुर्ग: स्वीकृत पद 164, कार्यरत 49 (20 नियमित, 29 संविदा), रिक्त 115 – रायपुर: स्वीकृत पद 416, कार्यरत 242 (156 नियमित, 86 संविदा), रिक्त 174 – रायगढ़: स्वीकृत पद 91, कार्यरत 42 (24 नियमित, 18 संविदा), रिक्त 49 – कोरबा: स्वीकृत पद 150, कार्यरत 58 (34 नियमित, 24 संविदा), रिक्त 92 – सरगुजा: स्वीकृत पद 86, कार्यरत 60 (48 नियमित, 12 संविदा), रिक्त 26 – महासमुंद: स्वीकृत पद 150, कार्यरत 61 (45 नियमित, 16 संविदा), रिक्त 89 – जगदलपुर: स्वीकृत पद 154, कार्यरत 82 (37 नियमित, 45 संविदा), रिक्त 72 – राजनांदगांव: स्वीकृत पद 155, कार्यरत 66 (39 नियमित, 27 संविदा), रिक्त 89 – बिलासपुर: स्वीकृत पद 255, कार्यरत 123 (76 नियमित, 47 संविदा), रिक्त 132 – डेंटल कॉलेज: स्वीकृत पद 102, कार्यरत 70 (31 नियमित, 39 संविदा), रिक्त 32 मध्यप्रदेश, राजस्थान व कई अन्य राज्यों में स्वशासी समिति के माध्यम से नियमित भर्ती का प्रविधान लागू है। यहां के डाक्टरों में नियमित नहीं होने से असुरक्षा की भावना रहती है, जिसकी वजह से अवसर मिलने पर चले जाते हैं। MBBS के अनुसार पीजी की सीटें भी नहीं है। बांड नियम की वजह से एमबीबीएस के बाद कई विद्यार्थी सुपर स्पेशलिटी कोर्स करने से वंचित रह जाते हैं। डॉ. रेशम सिंह, अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन, रायपुर डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। शासन को इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। भर्ती नियम को लेकर राज्य शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है। शिखा राजपूत तिवारी, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ को आयुष्मान योजना में मिला टॉप स्टेट का खिताब, 97% अस्पताल कर रहे काम

रायपुर  प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) में शानदार प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ को 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य' का राष्ट्रीय सम्मान मिला है। यह सम्मान भोपाल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के CEO सुनील कुमार बर्नवाल ने राज्य नोडल एजेंसी (SNA) की मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. प्रियंका शुक्ला और प्रोजेक्ट डायरेक्टर (ऑपरेशन) धर्मेंद्र गहवाई को दिया। छत्तीसगढ़ में PM-JAY के तहत पंजीकृत 97% अस्पताल सक्रिय हैं, जो देश में सबसे अधिक है। लगातार काम कर रहा राज्य मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में आयुष्मान भारत योजना को एक महत्वपूर्ण एजेंडा के रूप में शामिल किया था और सभी कलेक्टर्स को जिलों में योजना की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए थे। राज्य नोडल एजेंसी ने हाल के महीनों में कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें संदिग्ध दावों की पहचान कर फील्ड ऑडिट करना, क्लेम प्रोसेसिंग के समय को कम करना, सभी हितधारकों को ट्रेनिंग देना, स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट (SAFU) टीम को मजबूत करना और अस्पतालों के साथ लगातार बातचीत करना शामिल है। जनवरी 2025 में NHA की समीक्षा बैठक में छत्तीसगढ़ में संदिग्ध दावों की संख्या ज्यादा पाई गई थी, जिस पर राज्य नोडल एजेंसी ने तुरंत कार्रवाई की। 45 अस्पतालों पर की थी कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जनवरी-फरवरी 2025 के बीच राज्य के 52 अस्पतालों का अचानक निरीक्षण किया। योजना के नियमों का पालन न करने पर 45 अस्पतालों पर कार्रवाई की गई, जो अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। इसके अलावा, 32 हजार से ज्यादा मामलों में फील्ड ऑडिट किए गए, जिससे फर्जी दावों को रोका जा सका और दावे निपटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया। मुख्य एजेंडा में शामिल थी योजना स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया की अध्यक्षता में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की तिमाही समीक्षा बैठक में PM-JAY को मुख्य एजेंडा बनाया गया। स्टेट नोडल एजेंसी की मुख्य कार्यपालन अधिकारी के नेतृत्व में जिलों की मासिक समीक्षा बैठकें भी शुरू की गईं। जिलों को हर दिन की उपलब्धियों के आधार पर फीडबैक और दिशा-निर्देश दिए जाने लगे। अस्पतालों की समस्याओं को दूर करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों और निजी अस्पतालों के साथ नियमित बैठकें हो रही हैं। अस्पतालों की समस्या का भी समाधान हाल ही में NHA विशेषज्ञों की मौजूदगी में एक कंसल्टेशन भी हुआ, जिसमें अस्पतालों की समस्याओं का समाधान किया गया, सुझाव लिए गए और उन्हें योजना की नई प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई। इन प्रयासों से संदिग्ध दावों की संख्या में भारी कमी आई है। जहां पहले हर हफ्ते 2,000 से ज्यादा संदिग्ध दावे आते थे, वहीं अब यह संख्या 500 से कम हो गई है। क्लेम अप्रूवल का समय भी घटकर 7-10 दिन रह गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में PM-JAY के तहत पंजीकृत 97% अस्पताल सक्रिय हैं। यह पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश (62%) और देश के औसत (52%) से काफी ज्यादा है।  

नवजात के सीने पर लिखी शर्मनाक जानकारी, हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य अधिकारियों को लगाई फटकार, परिजनों को मुआवजा

बिलासपुर   छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजधानी रायपुर के डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में नवजात शिशु के सीने पर 'इसकी मां एचआइवी पाजिटिव है' लिखी तख्ती लगाने की घटना को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने इसे अमानवीय और असंवेदनशील कृत्य बताते हुए राज्य सरकार को नवजात के माता-पिता को दो लाख का मुआवजा चार सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया। अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर सुनवाई की थी। क्या है मामला? एक खबर प्रकाशित हुई थी कि रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में एक नवजात के सीने के पास तख्ती लगाई गई थी, जिस पर लिखा था 'इसकी मां एचआइवी पाजिटिव है।' यह दृश्य देखकर पिता व स्वजन रो पड़े थे। खबर सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने तत्काल मामले का संज्ञान लिया और मुख्य सचिव को जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। मुख्य सचिव ने पेश की रिपोर्ट मुख्य सचिव ने कोर्ट में व्यक्तिगत हलफनामा पेश किया। इसमें बताया गया कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई थी, जिसने घटना की जांच कर रिपोर्ट सौंपी है। राज्य सरकार ने यह भी बताया कि, एचआइवी/एड्स (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) Act, 2017 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों को गोपनीयता बनाए रखने और भेदभाव रोकने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए नियमित प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कोर्ट ने कही सख्त बातें हाई कोर्ट ने कहा कि, किसी भी सरकारी अस्पताल द्वारा मरीज की पहचान और बीमारी सार्वजनिक करना निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। अदालत ने कहा कि, इस तरह की हरकत न केवल असंवेदनशील है बल्कि असंवैधानिक भी। यह मरीज और उसके परिवार के जीवन को सामाजिक कलंक में धकेल सकती है। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि, माता-पिता को दो लाख का मुआवजा चार सप्ताह में अदा किया जाए। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कड़े दिशा-निर्देश और संवेदनशीलता प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।  

रायपुर : प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से हर घर बन रहा ऊर्जा घर

रायपुर प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से हर घर बन रहा ऊर्जा घरभारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने हेतु प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना एक क्रांतिकारी पहल सिद्ध हो रही है। यह योजना देश के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। योजना के अंतर्गत घरों की छतों पर सौर पैनल स्थापित कर निःशुल्क बिजली प्राप्त की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी, पारदर्शी आवेदन प्रक्रिया तथा सरल तकनीकी व्यवस्था के कारण यह योजना आम नागरिकों के लिए अत्यंत सुलभ बन गई है। इस योजना से न केवल बिजली बिल में बचत हो रही है, बल्कि हरित ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आई है। राज्य में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में यह योजना जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। कोरबा जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिक इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। जिले के श्री शंकर पुरी एवं श्री टेकराम मरावी जैसे लाभार्थियों ने अपने घरों की छतों पर सौर पैनल स्थापित कर न केवल बिजली बिल को शून्य किया है, बल्कि ऊर्जा उत्पादक बनकर आत्मनिर्भरता की दिशा में उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हर भारतीय की भागीदारी से संचालित हरित क्रांति बन चुकी है।

तेजी से बढ़ें मजबूत और खूबसूरत नाखून के लिए अपनाएं ये 9 जादुई तेल

नाखून सिर्फ सौंदर्य का हिस्सा नहीं होते, बल्कि यह हमारी सेहत और स्वच्छता को दर्शाते हैं। हेल्दी , शाइनी और मजबूत नाखून हर किसी की पर्सनालिटी को एक खास अट्रैक्शन देते हैं। लेकिन प्रदूषण, बार-बार नेल पॉलिश का इस्तेमाल, कुछ खास घरेलू केमिकल के संपर्क में आना और पोषण की कमी जैसे कारणों से नाखून कमजोर होकर टूटने लगते हैं या भुरभुरे हो जाते हैं। ऐसे में कुछ नेचुरल ऑयल्स का नियमित इस्तेमाल न केवल नेल ग्रोथ को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उन्हें अन्दर से पोषण देकर सुंदर और मजबूत भी बनाता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रभावशाली ऑयल्स के बारे में जो आपके नेल केयर रूटीन का हिस्सा बन सकते हैं जोजोबा ऑयल इसकी बनावट हमारी स्किन के नेचुरल सीबम से मिलती-जुलती होती है, जिससे यह नाखूनों और क्यूटिकल्स में गहराई तक जाकर उन्हें मॉइस्चराइज करता है और नेल को बढ़ाता है। नारियल तेल इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो नेल्स को इन्फ्रा से बचाते हैं। यह नाखूनों को टूटने से बचाकर उन्हें सॉफ्ट और हेल्दी बनाता है। ऑलिव ऑयल विटामिन ई से भरपूर ऑलिव ऑयल नाखूनों की जड़ों में गहराई से जाकर उन्हें पोषण देता है और ग्रोथ तेज करता है। टी ट्री ऑयल इसकी एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज नाखूनों को फंगल इन्फेक्शन और डलनेस से बचाती हैं। इसे हमेशा किसी कैरियर ऑयल में मिलाकर लगाना चाहिए। बादाम का तेल विटामिन ई, जिंक और प्रोटीन से भरपूर यह तेल नाखूनों की मजबूती और चमक को बनाए रखने में मदद करता है। अरंडी का तेल विटामिन ई और फैटी एसिड से भरपूर अरंडी का तेल केराटिन उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे नेल का तेजी से विकास होता है।थोड़ा गाढ़ा होने के बावजूद यह नाखूनों की लंबाई और मोटाई बढ़ाने में बेहद असरदार है। लैवेंडर ऑयल सुगंधित और आरामदायक लेवेंडर ऑयल शरीर में सूजन को कम करता है और नाखूनों को एक सॉफ्ट व पोषित लुक देता है। एवोकाडो ऑयल विटामिन ए, डी और ई युक्त एवोकाडो ऑयल डैमेज नेल्स की मरम्मत कर उन्हें नई जान देता है। आर्गन ऑयल इस तेल की हाइड्रेटिंग प्रॉपर्टीज नाखूनों को ड्राईनेस से बचाती हैं और उन्हें चमकदार बनाती हैं। इन तेलों को अपने डेली नेल केयर रूटीन में शामिल कर आप न सिर्फ नेल ग्रोथ बढ़ा सकते हैं, बल्कि उन्हें इंफेक्शन से बचाकर स्ट्रॉन्ग, शाइनी और सुंदर भी बना सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए रात में सोने से पहले हल्की मसाज करें और बदलाव खुद महसूस करें।  

30 साल का EMI बोझ? जानिए कैसे बचाएं लाखों रुपये

होम लोन लेना अक्सर लोगों के लिए घर खरीदने का बड़ा कदम माना जाता है, लेकिन यह कदम कई बार फाइनेंशियल ट्रैप भी बन सकता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट ने विस्तार से बताया कि लोग होम लोन में अक्सर कैसे फंस जाते हैं और किन स्मार्ट तरीकों से 36 लाख रुपये तक की बचत की जा सकती है। होम लोन लेने में आम गलतियां केवल EMI पर ध्यान देना 50 लाख रुपये के 20 साल के लोन पर मासिक EMI लगभग 43,400 रुपये होती है और कुल ब्याज 54 लाख रुपये बनता है। अगर अवधि बढ़ाकर 30 साल कर दी जाए तो EMI घटकर 38,600 रुपये हो जाती है, लेकिन कुल ब्याज बढ़कर 88 लाख रुपये हो जाता है। इसका मतलब यह है कि आप हर महीने थोड़ी बचत करते हैं, लेकिन बैंक को कुल 34 लाख रुपये अतिरिक्त दे रहे हैं। फ्लोटिंग रेट का ध्यान न रखना कई कर्जदार RBI द्वारा ब्याज दर में कटौती का लाभ नहीं उठाते। कौशिक ने कहा कि RLLR (Repo Linked Lending Rate) लोन पर लगातार नजर रखना जरूरी है ताकि आप ब्याज कटौती का फायदा तुरंत ले सकें। EMI स्ट्रक्चर को गलत समझना लोग मानते हैं कि EMI में मूलधन और ब्याज बराबर-बराबर बंटता है। लेकिन शुरुआती सालों में EMI का 70-80% हिस्सा ब्याज में चला जाता है। EMI कम करने के लिए टेन्योर बढ़ाना अवधि लंबी करने से EMI तो घटती है, लेकिन ब्याज का बोझ तेजी से बढ़ता है। इसके बजाय, अवधि वैसे की वैसे रखते हुए EMI को थोड़ा बढ़ाना बेहतर होता है। होम लोन पर लाखों की बचत कैसे करें? हर साल एक अतिरिक्त EMI पेमेंट सालाना एक अतिरिक्त EMI देने से 11.5 लाख रुपये ब्याज बचाया जा सकता है, और 50 लाख का लोन 5 साल पहले चुका सकते हैं। स्टेप-अप रिपेमेंट EMI में हर साल 5% बढ़ोतरी करने से 25 साल का लोन 12 साल में चुकाया जा सकता है और 26 लाख रुपये बचत होती है। 10% सालाना बढ़ोतरी से लोन 10 साल में चुकाया जा सकता है और 36 लाख रुपये की बचत संभव है। टैक्स बेनिफिट का सही उपयोग धारा 80C और 24B के तहत मूलधन और ब्याज पर कटौती का लाभ उठाएं। सह-कर्जदार होने पर यह बचत दोगुना हो सकती है। जल्दी भुगतान पहले 5-7 सालों में समय से पहले EMI चुकाने से सबसे अधिक ब्याज बचता है। होम लोन बैलेंस ट्रांसफर यदि नया लोन कम ब्याज दर पर उपलब्ध है (जैसे 7.5%) और आपका मौजूदा लोन 8.8% पर है, तो ट्रांसफर से कई लाख रुपये की बचत हो सकती है। RBI रेपो रेट कटौती से भी होगी बचत इस साल RBI ने रेपो रेट में लगातार 100 बेसिस पॉइंट कटौती की।  20 साल के 1 लाख रुपये के लोन पर EMI 65 रुपये कम होगी। 25 लाख पर 1,625 रुपये प्रति माह और 50 लाख रुपये पर 3,250 रुपये प्रति माह की बचत होगी।