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‘मिशन से वापस नहीं लौटा अमेरिका का एक B-2 बॉम्बर लापता! वॉशिंगटन में सन्नाटा

वॉशिंगटन  अमेरिकी वायु सेना के ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए बमबारी अभियान ने एक आश्चर्यजनक मोड़ लिया है. दरअसल, अमेरिकी वायु सेना के ऑपरेशन में शामिल एक बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ऑपेशन के बाद अपने बेस पर वापस नहीं पहुंचा है. इसे लेकर अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. 27 जून को यूरेशियन टाइम्स की छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 21 जून को मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से बी-2 बॉम्बर्स के दो अलग-अलग समूहों को रवाना किया था. बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स के एक समूह ने प्रशांत महासागर की ओर पश्चिम की दिशा में उड़ान भरी, जिसका मकसद ईरान के डिफेंस को चकमा देना था. वहीं बॉम्बर्स के दूसरे समूह में सात बी-2 स्पिरिट बॉम्बर शामिल थे. इन्होंने पूर्व दिशा में तेहरान के फोर्डो और नतांज स्थित अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के लिए रवाना किया गया था. 37 घंटे के बाद मिशन पूरा कर लौटे थे बॉम्बर विमान ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने गई टीम 37 घंटे की बिना रुके की गई राउंड ट्रिप के बाद अपना मिशन पूरा कर बेस पर वापस सुरक्षित लैंड कर गई. वहीं प्रशांत महासागर की ओर से ईरानी डिफेंस को चकमा देने के लिए उड़ान भरने वाले बॉम्बर समूह के बारे में अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि, बाद में इस बात का खुलासा हुआ कि अमेरिकी बी-2 बॉम्बर के समूह से लापता हुआ विमान हवाई में किसी कारण से इमरजेंसी लैंडिंग को मजबूर हो गया. उल्लेखनीय है कि यह स्टील्थ बॉम्बर डैनियल के. इनौये इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, यह एयरपोर्ट होनोलूलू में हिकम एयरफोर्स बेस के साथ रनवे शेयर करता हैं. जानिए क्या हुआ था उस दिन मिशन के तहत दो ग्रुप बनाए गए थे. दोनों ने उड़ान भरी मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से. एक ग्रुप पश्चिम की ओर गया, यानी प्रशांत महासागर की दिशा में. मकसद था – ईरान को गुमराह करना. दूसरा ग्रुप, जिसमें सात B-2 बॉम्बर थे, सीधे ईरान की ओर बढ़ा. उनका टारगेट था ईरान के न्यूक्लियर फैसिलिटी – फोर्डो और नतांज. साथ में फ्यूल टैंकर और फाइटर जेट्स भी थे. इन जेट्स ने अपनी-अपनी जगह से मिसाइलें दागीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन B-2 बॉम्बर्स ने कुल 14 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए. सातों बॉम्बर 37 घंटे बाद सुरक्षित लौट आए. लेकिन इस बीच पश्चिम की ओर भेजे गए डिकॉय ग्रुप का एक B-2 बॉम्बर अब तक नहीं लौटा. लापता बॉम्बर को लेकर क्या पता चला है? खबर है कि यह बॉम्बर उड़ान के दौरान इमरजेंसी में फंस गया था. इसे हवाई के डेनियल K इनोए इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतारा गया. यही रनवे हिकम एयर फोर्स बेस के साथ साझा किया जाता है. इस बॉम्बर का कॉलसाइन था – ‘MYTEE’. लैंडिंग के बाद से यह वहीं खड़ा है. इसकी मरम्मत या वापसी को लेकर कोई अपडेट अब तक नहीं आया है. इस लैंडिंग का एक वीडियो भी वायरल है, जिसे पूर्व अमेरिकी एयरफोर्स पायलट डेविड मार्टिन ने शेयर किया है. हालांकि, अमेरिकी वायुसेना ने अब तक इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है. न कोई बयान, न कोई स्पष्टीकरण. पहले भी दिक्कत में रहे हैं B-2 बॉम्बर B-2 बॉम्बर टेक्नोलॉजी का चमत्कार माना जाता है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इन्हें तकनीकी संकट झेलना पड़ा हो. अप्रैल 2023 में भी एक B-2 को हवाई में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. 2022 में तो पूरे B-2 फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया था, जब एक बॉम्बर मिसौरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 2008 में सबसे गंभीर हादसा हुआ था. ‘स्पिरिट ऑफ कंसास’ नाम का B-2 उड़ान भरते ही गुआम में क्रैश हो गया. हालांकि पायलट बच गए थे. B-2 बॉम्बर की खासियत क्या है? B-2 अमेरिका का सबसे महंगा और हाईटेक बॉम्बर है. एक यूनिट की कीमत है दो अरब डॉलर. इसका मुख्य रोल है – दुश्मन की परमाणु और अंडरग्राउंड फैसिलिटी को बर्बाद करना. अमेरिका के पास सिर्फ 19 B-2 बॉम्बर हैं. यानी, हर एक का नुकसान अमेरिका की ताकत में बड़ी सेंध है. ईरान की प्रतिक्रिया क्या रही? ईरान ने दावा किया है कि उनके न्यूक्लियर साइट्स को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ. वहीं अमेरिका कहता है कि यह हमला पूरी तरह सफल था और ईरान का परमाणु प्रोग्राम पीछे चला गया. लेकिन लापता बॉम्बर की गूंज अब वॉशिंगटन से लेकर तेहरान तक सुनाई दे रही है. क्या यह तकनीकी फेलियर था? क्या ईरान ने जवाबी हमला किया? या फिर अमेरिका कुछ छुपा रहा है?

बिहार में वोटर लिस्ट जांच: आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, लाखों वोटरों को लेकर जताई आशंका

नई दिल्ली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। यह याचिका इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के एक फैसले के खिलाफ है। ECI बिहार में वोटर लिस्ट को फिर से जांचने का काम कर रही है। याचिका में कहा गया है कि ECI का यह आदेश ठीक नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इससे लाखों लोगों को वोट डालने से रोका जा सकता है, यानी उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है। LiveLaw ने एक्स पर पोस्ट किया है, 'सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, यह याचिका भारतीय चुनाव आयोग के एक फैसले के खिलाफ है, जिसमें बिहार में वोटर लिस्ट को दुबारा जांचने का आदेश दिया गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम की संस्था ने यह याचिका दायर की है। उनका कहना है कि ECI का यह आदेश मनमाना है। इससे लाखों लोगों को वोट डालने से रोका जा सकता है।' लगभग 1.5 करोड़ घरों तक पहुंचे बीएलओ इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) ने बिहार में लगभग 1.5 करोड़ घरों का दौरा किया है। यह दौरा शुक्रवार को पूरा हो गया। 24 जून, 2025 तक बिहार में 7,89,69,844 (लगभग 7.90 करोड़) मतदाता हैं। इनमें से 87 प्रतिशत मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म यानी गणना प्रपत्र दिए जा चुके हैं। यह विशेष गहन पुनरीक्षण ( स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन-SIR) के दौरान किया गया है। कुछ घर बंद थे, या उनमें रहने वाले लोग अब दुनिया में नहीं हैं। कुछ लोग दूसरे शहरों में चले गए थे, या कहीं घूमने गए थे। इसलिए उन घरों तक BLO नहीं पहुंच पाए। BLO इस काम के दौरान तीन बार घरों का दौरा करेंगे। इसलिए, यह संख्या और भी बढ़ सकती है। विशेष गहन पुनरीक्षण में पार्टियां कर रहीं मदद ANI की रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग पार्टियों के 1,54,977 बूथ लेवल एजेंट (BLA) भी इस काम में मदद कर रहे हैं। 2 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी ने 52,689 BLA नियुक्त किए हैं। आरजेडी के 47,504, जेडीयू के 34,669 और कांग्रेस के 16,500 BLA हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के 1913, सीपीआई (एमएल)एल के 1271, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के 1153, सीपीएम के 578 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के 270 BLA भी हैं। बीएसपी के 74, एनपीपी के 3 और आम आदमी पार्टी का 1 BLA है। हर BLA एक दिन में 50 सर्टिफाइड फॉर्म जमा कर सकता है। फाइनल वोटर लिस्ट 30 सितंबर 2025 को वोटर लिस्ट की जांच 2 अगस्त 2025 से शुरू होगी। वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी होने के बाद 2 अगस्त 2025 से कोई भी पार्टी या आम नागरिक वोटर लिस्ट पर दावा या आपत्ति दर्ज करा सकता है। फाइनल वोटर लिस्ट 30 सितंबर 2025 को जारी की जाएगी। इसके बाद भी आप डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) और सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) के पास अपील कर सकते हैं। वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना हुआ आसान चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए एक अच्छी खबर दी है। अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना और भी आसान हो गया है। आप ECI पोर्टल और ECINET App से फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। ये फॉर्म पहले से ही थोड़े भरे हुए मिलेंगे। आप चाहें तो भरे हुए फॉर्म को ECINET App पर खुद ही अपलोड कर सकते हैं।

आर्म्स डीलर संजय भंडारी की बढ़ी मुश्किल, ED की याचिका पर दिल्ली की कोर्ट ने किया ‘भगोड़ा’ घोषित

नई दिल्‍ली दिल्ली की एक विशेष अदालत ने शनिवार को ब्रिटेन में रह रहे और विवादों में घिरे हथियार डीलर संजय भंडारी (Sanjay Bhandari) को 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी' (Fugitive Economic Offender) घोषित कर दिया. यह कार्रवाई फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट (FEO Act) के तहत की गई है, जो अघोषित विदेशी संपत्तियों से जुड़े आयकर मामले से संबंधित है. 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी सपत्तियां यह आदेश एडिशनल सेशंस जज संजीव अग्रवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुनाया. ED ने अदालत को बताया कि भंडारी ने भारतीय कानून से बचने की कोशिश की और ₹100 करोड़ से अधिक की विदेशी संपत्तियां बनाई हैं. ED का यह भी कहना है कि यूके अदालत द्वारा भंडारी के प्रत्यर्पण से इनकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह कार्यवाही भारतीय कानून के तहत स्वतंत्र रूप से की जा रही है. भंडारी ने किया प्रत्यर्पण से इंकार हालांकि, भंडारी ने ED की याचिका को चुनौती दी और कहा कि वह यूके में कानूनी रूप से रह रहा है. भंडारी के वकील सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि लंदन हाईकोर्ट ने उनके टीहार जेल में सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए प्रत्यर्पण से इनकार कर दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि ED की याचिका अस्पष्ट है, इसमें अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है और यह FEO कानून की वैधानिक शर्तों को पूरा नहीं करती. मनिंदर सिंह ने यह भी दावा किया कि आयकर विभाग ने 2020 में जो मूल्यांकन किया था, उसमें यह राशि ₹100 करोड़ से कम बताई गई थी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भंडारी के खिलाफ कोई नया गिरफ्तारी वारंट भी लंबित नहीं है. अदालत का फैसला और ED का पक्ष बावजूद इसके, अदालत ने ED के पक्ष में फैसला सुनाया. इस मामले में विशेष लोक अभियोजक जोहेब हुसैन ने ED की ओर से पक्ष रखा और बताया कि भंडारी लगातार भारतीय कानूनी प्रक्रिया से भाग रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है. FEO घोषित होने के बाद अब भारतीय एजेंसियां संजय भंडारी की भारत और विदेश में स्थित संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं. इससे पहले भी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कई हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों को FEO घोषित किया जा चुका है. क्या है FEO अधिनियम? FEO Act, 2018 के तहत, उन लोगों को 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी' घोषित किया जाता है जो ₹100 करोड़ या उससे अधिक के आर्थिक अपराधों में शामिल हैं और भारत की अदालतों में पेश होने से बचते हैं. यह कानून एजेंसियों को उनकी संपत्ति को जब्त करने की शक्तियां देता है. इस मामले से जुड़ी जांच अभी जारी है और संभावना है कि ED कुछ और अधिकारियों या फर्मों की भूमिका की भी जांच करेगी. रॉबर्ट वाड्रा जंग भी जुड़ा था नाम संजय भंडारी का नाम कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी आया है. ईडी का दावा है कि भंडारी ने रक्षा सौदों में दलाली कर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति विदेशों में बनाई. 2016 में आयकर विभाग की छापेमारी में भंडारी के पास से गोपनीय रक्षा दस्तावेज और गैर-घोषित विदेशी संपत्तियों के सबूत मिले थे. जांच में भंडारी का संबंध कई विदेशी हथियार कंपनियों से सामने आया जो भारत सरकार से रक्षा खरीद के ठेके पाने की होड़ में थीं. कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद ईडी अब उनकी संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया तेज करेगी. यह फैसला भारत के लिए ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की संभावित अपीलों में भी कानूनी आधार मजबूत करेगा. ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा को भी किया था तलब इससे पहले जून में ईडी ने भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी से जुड़ी चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा को तलब किया था. केंद्रीय एजेंसी को संदेह है कि भंडारी ने यूपीए शासन के दौरान रक्षा अनुबंधों के जरिये मिले अवैध धन का इस्तेमाल विदेशों में संपत्तियां खरीदने के लिए किया. विशेष रूप से लंदन में प्रमुख रियल एस्टेट संपत्तियों में से कुछ में कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा को लाभकारी मालिक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. 2018 से ईडी की जांच के दायरे में रहे वाड्रा ने राजनीतिक प्रतिशोध का दावा करते हुए सभी आरोपों से इनकार किया है. कर चोरी, काले धन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में भारत में लंबे समय से वांछित संजय भंडारी एक बड़ी कानूनी जीत के बाद लंदन में रह रहा है. फरवरी में लंदन के हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ भंडारी की अपील को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि भारत की तिहाड़ जेल में कैदियों और जेल अधिकारियों दोनों की ओर से जबरन वसूली और हिंसा का असली खतरा है.  

भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी वाशिंगटन में गिरफ्तार, CBI-ED ने करवाया अरेस्ट

 वाशिंगटन भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से संयुक्त रूप से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद हुई।  प्रत्यर्पण की कार्यवाही दो मामलों में की जा रही अमेरिकी अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक, प्रत्यर्पण की कार्यवाही दो मामलों में की जा रही है- एक मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 की धारा 3 के तहत धन शोधन का और दूसरा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी और 201 के तहत आपराधिक साजिश का।  पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। यह देश के इतिहास में सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था, जो ब्रिटेन से प्रत्यर्पण का भी सामना कर रहा है। अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई नेहल पर आरोप है कि उसने भारतीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए शेल कंपनियों और विदेशी लेनदेन के नेटवर्क के जरिए भारी मात्रा में अवैध धन को छिपाने और स्थानांतरित करने में सहायता की। प्रत्यर्पण कार्यवाही के लिए अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। वह इस दौरान जमानत के लिए आवेदन कर सकता है, जिसका अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने विरोध करने की बात कही है। इस सेक्शन के तहत की गई गिरफ्तारी प्रत्यर्पण का अनुरोध क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी सेक्शन 120 बी, 201 इंडियन पीनल कोड और 3 प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत किया गया था। नीरव मोदी के साथ ही नेहाल मोदी पर भी पंजाब नेशनल बैंक से हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप हैं। सीबीआई और ईडी की जांच के मुताबिक नीरव मोदी के इस स्कैम को अंजाम देने में उसके भाई नेहाल मोदी ने अहम रोल निभाया था। नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की कोशिश भी जांच एजेंसियां यूके से कर रही हैं। सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई की है। इसमें नेहाल मोदी जमानत के लिए भी अपील कर सकता है और यूएस अथॉरिटी भारतीय एजेंसियों के तर्क पर इसका विरोध करेंगी। किस मामले में है वांटेड नेहल मोदी भारत में पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी घोटाले में वांछित है, जो देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला कहा जाता है। जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए हजारों करोड़ रुपये की काली कमाई को विदेशों में शेल कंपनियों के जरिए ट्रांसफर किया। ED और CBI की जांच में ये साफ हुआ है कि नेहल मोदी ने न सिर्फ घोटाले की रकम को इधर-उधर किया, बल्कि कई दस्तावेजी सबूतों को भी मिटाने की कोशिश की।      

पीएम मोदी को मिला त्रिनिदाद एंड टोबैगो का सर्वोच्च सम्मान, 25 देश दे चुके हैं अपना सबसे बड़ा सम्मान

पोर्ट ऑफ स्पेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो' प्रदान किया. इस सम्मान को पाने वाले वे पहले विदेशी नेता बन गए हैं. यह न केवल त्रिनिदाद-भारत रिश्तों की गहराई का प्रतीक है, बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीति के उस विस्तार का भी उदाहरण है, जिसमें सांस्कृतिक रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने की क्षमता हो. पीएम मोदी को 25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया भर से मिले 25 अंतरराष्ट्रीय सम्मानों में शामिल हो गया है. इससे पहले उन्हें घाना, यूएई, रूस, फ्रांस, मिस्र जैसे देशों से भी उनके वैश्विक नेतृत्व के लिए शीर्ष नागरिक पुरस्कार मिल चुके हैं. त्रिनिदाद और टोबैगो में उन्हें यह सम्मान ऐसे समय पर मिला है जब दोनों देश भारतीय मूल के श्रमिकों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ मना रहे हैं — एक ऐतिहासिक अवसर, जिसने दोनों देशों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया है. 25वां अंतरराष्ट्रीय नागरिक सम्मान यह पीएम मोदी का 25वां अंतरराष्ट्रीय नागरिक सम्मान है. इससे दो दिन पहले ही घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रमानी महामा ने उन्हें देश का राष्ट्रीय सम्मान ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ प्रदान किया था. विशेषज्ञों का मानना है कि ये सम्मानों की श्रृंखला दर्शाती है कि पीएम मोदी आज विश्व राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं.  जून में साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने प्रधानमंत्री मोदी को निकोसिया में राष्ट्रपति भवन में साइप्रस का सम्मान – ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III – प्रदान किया था. इस साल की शुरुआत में मॉरीशस और श्रीलंका ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था.अप्रैल में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी को 'श्रीलंका मित्र विभूषण' से सम्मानित किया, जो कि द्वीप राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. बीजेपी ने कांग्रेस से की तुलना बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख मुखिया अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'पीएम मोदी ने फिर रचा इतिहास! उन्हें ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से सम्मानित किया गया है – जो कि कैरेबियाई राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. वह इस सम्मान को पाने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं. यह प्रधानमंत्री मोदी को किसी विदेशी सरकार द्वारा प्रदान किया गया 25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है. अगर तुलना करें तो: जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह, दशकों तक सत्ता में रहे लेकिन इसके बावजूद सिर्फ 6 अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले. फिर भी कांग्रेस भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाने की हिम्मत करती है. मजाक सरकार पर नहीं है, मजाक हम पर है कि हमारे पास इतनी अज्ञानी विपक्षी पार्टी है.' हाल के वर्षों में कुवैत, मॉरिशस, श्रीलंका, साइप्रस, गयाना, डोमिनिका, नाइजीरिया, सऊदी अरब, अफगानिस्तान, यूएई, रूस, मालदीव, बहरीन, अमेरिका, भूटान, फिजी, मिस्र, फ्रांस, ग्रीस, पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों ने भी पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है.इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र, गेट्स फाउंडेशन, सीईआरए, सेओल पीस प्राइज़ फाउंडेशन, फिलिप कोटलर पुरस्कार जैसी वैश्विक संस्थाओं ने भी पीएम मोदी के नेतृत्व को सम्मानित किया है. मॉरीशस और कुवैत में भी मिला था सम्मान मार्च में, पोर्ट लुइस में राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान, मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल ने प्रधानमंत्री मोदी को मॉरीशस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन' (GCSK) से भी सम्मानित किया. यह पहली बार था जब किसी भारतीय नेता को यह सम्मान मिला. दिसंबर 2024 में, कुवैत ने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए अपना सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' प्रदान किया था. यह ऑर्डर मित्रता के प्रतीक के रूप में राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी मुखियाओं और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को प्रदान किया जाता है. इससे पहले बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं के अलावा क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान जैसे अन्य गणमान्य लोगों को भी यह सम्मान दिया जा चुका है. गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली ने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी दूरदर्शी राजनीति, वैश्विक मंच पर विकासशील देशों के अधिकारों की वकालत, वैश्विक समुदाय के लिए असाधारण सेवा और भारत-गुयाना संबंधों को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए गुयाना के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस' से सम्मानित किया था. गुयाना में भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान, डोमिनिका ने भी कोविड-19 महामारी के दौरान उनके महत्वपूर्ण समर्थन और भारत-डोमिनिका संबंधों को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' प्रदान किया. नाइजीरिया ने नवंबर 2024 में देश की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द नाइजर (GCON) का राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया. भारतीय प्रधानमंत्री 1969 के बाद से इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले विदेशी नेता हैं, जब महारानी एलिजाबेथ को नाइजीरिया का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान मिला था. पीएम मोदी को मिल चुके हैं 25 इंटरनेशनल अवॉर्ड ये पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी को मिला 25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है जो उन्हें अलग-अलग देशों की ओर से दिया गया है। इससे यह भी साबित होता है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की वैश्विक छवि और नेतृत्व क्षमता को दुनियाभर में सराहा गया है। त्रिनिदाद एंड टोबैगो का है भारत से जुड़ाव त्रिनिदाद एंड टोबैगो एक ऐसा देश है जहां भारतीय मूल के लोगों की आबादी बड़ी संख्या में है। वहां की संस्कृति, उत्सव और परंपराएं आज भी भारत से गहराई से जुड़ी हैं। ऐसे में यह सम्मान दोनों देशों के बीच सहयोग, विश्वास और साझा मूल्यों की झलक देता है। किस पुरस्कार से नवाजे गए पीएम मोदी? ये पुरस्कार त्रिनिदादएंड टोबैगो के सर्वोच्च सम्मान की श्रेणी में आता है और इसे पाने वाले व्यक्ति को उस देश के प्रति विशेष योगदान के लिए पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनके नेतृत्व, लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया है। हमारे रिश्तों … Read more

WHO ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाकर कीमतों में 50% की वृद्धि करने का आग्रह किया

नई दिल्ली विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाकर अगले दशक में इनकी कीमतों में 50% की वृद्धि करने का आग्रह किया है। यह सिफारिश हाल ही में स्पेन के सेविले में आयोजित यूएन फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में पेश की गई और इसका उद्देश्य न केवल गंभीर बीमारियों को रोकना है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना भी है। WHO के मुताबिक, इस कदम से मधुमेह, मोटापा, कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संगठन ने इसे "3 by 35" रणनीतिक योजना का हिस्सा बताया है, जिसका लक्ष्य 2035 तक एक ट्रिलियन डॉलर का राजस्व स्वास्थ्य करों से जुटाना है। WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, “यह समय है कि सरकारें इस नए यथार्थ को स्वीकार करें और अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करें।” WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इसे सबसे प्रभावी स्वास्थ्य उपकरणों में से एक बताया। WHO के स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल के अनुसार, इस नीति के तहत किसी उत्पाद की कीमत जो आज एक मध्य-आय वाले देश में 4 डॉलर है, 2035 तक 10 डॉलर हो सकती है, जिसमें महंगाई भी शामिल होगी। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ऐसे टैक्स लगाने से उपभोग में गिरावट और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है। भारत की पहल इस वैश्विक सिफारिश से पहले अप्रैल 2025 में भारत में भी ऐसा ही कदम उठाने की बात सामने आई थी। ICMR-NIN (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय समूह ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर स्वास्थ्य कर लगाने की मांग की थी। इस समूह ने सुझाव दिया था कि ऐसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को स्कूल कैंटीनों और शैक्षणिक संस्थानों के पास बेचना प्रतिबंधित किया जाए, जैसा कि FSSAI की गाइडलाइन में भी कहा गया है। हालांकि, WHO की इस नीति को उद्योग संगठनों से कड़ा विरोध भी मिल रहा है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की कार्यकारी निदेशक केट लॉटमैन ने कहा, “WHO का यह सुझाव कि मीठे पेयों पर टैक्स से मोटापा घटेगा, एक दशक की असफल नीतियों को नजरअंदाज करता है।” डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमांडा बर्जर ने कहा, “अल्कोहल पर कर बढ़ाकर हानि रोकने का WHO का सुझाव भ्रामक और गलत दिशा में उठाया गया कदम है।”

अमरनाथ यात्रियों की 4 बसों की भिड़ , श्रीनगर हाईवे पर हादसा.. 36 से ज्यादा श्रद्धालु घायल

श्रीनगर  जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा के दौरान एक हादसा हो गया. डिप्टी कमिश्नर DEO रामबन ने बताया कि पहलगाम काफिले का आखिरी वाहन चंद्रकोट लंगर स्थल पर नियंत्रण खो बैठा और वहां खड़े वाहनों से जा टकराया. इस टक्कर में चार वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और तीस से ज्यादा यात्रियों को चोटें आईं. हालांकि तत्काल सभी को पास के अस्पताल पहुंचाया गया है. प्रशासन पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद था और घायलों को तुरंत जिला अस्पताल रामबन पहुंचाया गया. प्राथमिक इलाज के बाद सभी श्रद्धालुओं को अन्य वाहनों में उनके अगले पड़ाव के लिए रवाना किया गया. प्रशासन ने स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लेकर राहत और बचाव कार्य को तेजी से अंजाम दिया. फिलहाल बताया गया है कि यात्रियों को जिला अस्पताल रामबन में इलाज के लिए भेजा गया जहां सभी का उपचार किया गया. गनीमत रही कि किसी को बहुत गंभीर चोटें नहीं आई हैं. किसी को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ी. पुलिस ने मामले में जांच भी शुरू की और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और भी ज्यादा घनी कर दी गई है.  जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए मालूम हो कि अमरनाथ यात्रा 2025 की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर संयुक्त मॉक ड्रिल और भूस्खलन अभ्यास किए गए. इसमें सेना सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और जेकेएसडीआरएफ शामिल थे. यात्रा मार्ग पर करीब 581 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीएपीएफ कंपनियों की तैनाती, ड्रोन, सीसीटीवी, और फेस रिकग्निशन डिवाइस का उपयोग किया गया. इतना ही नहीं आरएफआईडी कार्ड अनिवार्य किए गए और मार्ग को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है

मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच भारत के लिए क्यों अहम हो गया है अर्जेंटीना, तेल, गैस और लिथियम

ब्यूनस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  देर शाम अपनी दो दिवसीय दौरे के तहत अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स पहुंचे, जहां उनका भव्य पारंपरिक स्वागत किया गया. एजीजा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें  गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद जब वह होटल पहुंचे तो भारतीय समुदाय के सदस्यों ने "मोदी-मोदी" और "भारत माता की जय" के नारों से उनका जोरदार स्वागत किया. सांस्कृतिक नृत्य कार्यक्रम के साथ प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया गया. यह यात्रा कई मायनों में अहम है क्योंकि 57 वर्षों बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री द्विपक्षीय यात्रा पर अर्जेंटीना पहुंचा है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में G20 शिखर सम्मेलन के लिए अर्जेंटीना की यात्रा की थी लेकिन यह उनकी पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा है.  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X (ट्विटर) पर लिखा,“हमारे देशों के बीच स्थायी मित्रता का जश्न मनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधिकारिक यात्रा पर अर्जेंटीना के जीवंत शहर ब्यूनस आयर्स पहुंचे हैं. हवाई अड्डे पर पहुंचने पर उनका औपचारिक स्वागत किया गया. यह 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत-अर्जेंटीना संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत है.” राष्ट्रपति जेवियर मिलेई संग होगी बैठक प्रधानमंत्री मोदी की अर्जेंटीना यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से मुलाकात होगी, जिसमें रक्षा, कृषि, खनिज, तेल-गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार, पर्यटन और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. अर्जेंटीना रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा,“अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका में भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है और G20 में हमारा करीबी सहयोगी भी. राष्ट्रपति मिलेई से बातचीत के दौरान हम द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूती देंगे.” इसके बाद ब्राजील और नामीबिया रवाना होंगे पीएम यह यात्रा प्रधानमंत्री के पांच देशों की यात्रा का तीसरा पड़ाव है. इससे पहले वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे थे, जहां उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो' प्रदान किया गया. अपनी यात्रा के चौथे चरण में मोदी 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील जाएंगे, उसके बाद राजकीय यात्रा करेंगे. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में मोदी नामीबिया जाएंगे. भारत के लिए क्यों अहम हो गया है अर्जेंटीना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अर्जेंटीना की दो दिवसीय यात्रा पर ब्यूनस ऑयर्स पहुंच चुके हैं। यहां पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया। यह 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी की दूसरी यात्रा है। इससे पहले वह 2018 में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए अर्जेंटीना आए थे। पीएम मोदी की अर्जेंटीना यात्रा बेहद खास है। इस दौरान वह अर्जेंटीनी राष्ट्रपति के साथ रक्षा, कृषि, खनन, तेल और गैस, रिन्यूवेबल एनर्जी, व्यापार और निवेश के मामलों पर बातचीत करेंगे। हालांकि माना जा रहा है मुख्य जोर तेल, गैस और लिथियम को लेकर रहेगा। इसलिए अर्जेंटीना है अहम अर्जेंटीना के पास शेल गैस और शेल ऑयल का सबसे बड़ा भंडार है। वह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा शेल गैस भंडारण वाला देख है। वहीं, शेल ऑयल के मामले में उसका स्थान चौथा है। इसके अलावा पारंपरिक तेल और गैस भंडारण भी उसके पास अच्छा-खासा है। ऐसे में लांग टर्म में भारत के लिए वह अहम एनर्जी पार्टनर साबित हो सकता है। ऐसे वक्त में जबकि मिडिल ईस्ट में हालात ठीक नहीं हैं, भारत के लिए ऊर्जा सप्लाई के लिए दूसरे देशों की तरफ देखना जरूरी हो गया है। अर्जेंटीना के पास इन चीजों का भंडार अर्जेंटीना के पास लिथियम, कॉपर और रेयर अर्थ एलीमेंट का भी भंडार है। भारत के लिए क्लीन एनर्जी और इंडस्ट्रियल ग्रोथ के लिहाज से यह काफी अहम है। बोलीविया और चिली के साथ अर्जेंटीना लिथियम ट्रायंगल का हिस्सा है। इन क्षेत्रों में दुनिया का सबसे ज्यादा लिथियम भंडार है। बता दें कि रीचार्जेबल बैट्रीज के लिए लिथियम काफी अहम है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि की बैट्री के लिए काफी अहम होता है। भारतीय समुदाय ने किया स्वागत उधर अर्जेंटीना में भारतीय समुदाय के लोगों ने होटल पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत ‘मोदी, मोदी’ के नारों और ‘‘भारत माता की जय’’ के उद्घोष के साथ किया। प्रधानमंत्री ने समुदाय के लोगों के साथ कुछ देर बातचीत भी की। उनके स्वागत में एक सांस्कृतिक नृत्य भी पेश किया गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर कहाकि हमारे देशों के बीच स्थायी मित्रता का जश्न मनाते हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आधिकारिक यात्रा पर अर्जेंटीना के ब्यूनस ऑयर्स पहुंचे।

25 साल के बाद Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान का साथ? अब किसका लेगा सहारा

लाहौर  भारत के पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान से बड़ी जानकारी सामने आ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, टेक्‍नोलॉजी की दुनिया का बड़ा नाम माइक्रोसॉफ्ट कथित तौर पर पाकिस्‍तान से बाहर निकल रही है यानी उसने कामकाज समेट दिया है। कहा जाता है कि इसके संकेत पहले ही दे दिए गए थे। कर्मचारियों को भी बताया गया था। टेक रडार की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान में माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेशन बंद हो गया है सिर्फ एक ऑफ‍िस बचा है, जहां 5 लोग काम पर हैं। यह पाकिस्‍तान की टेक इंडस्‍ट्री के लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा। 25 साल पहले पाक में माइक्रोसॉफ्ट ने अपना काम शुरू किया था। उस वक्‍त जव्वाद रहमान नाम के व्‍यक्ति ने इसमें अहम भूमिका न‍िभाई। उन्‍हें माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्‍तान के संस्‍थापकों में गिना जाता है। रहमान के लिंक्‍डइन पोस्‍ट से कुछ बातें सामने आई हैं जो कई सवाल खड़े करती हैं। जव्वाद रहमान का लिंक्‍डइन पोस्‍ट जव्‍वाद रहमान ने अपने लिंक्‍डइन पोस्‍ट में माइक्रोसॉफ्ट का पाकिस्‍तान में कामकाज बंद होने की जानकारी दी है। उन्‍होंने लिखा कि एक युग खत्‍म हो गया। 25 साल पहले जून महीने में ही मुझे पाकिस्‍तान में माइक्रोसॉफ्ट को लॉन्‍च करने की जिम्‍मेदारी मिली थी। उन्‍होंने बताया कि कंपनी के कुछ बचे हुए कर्मचारियों को जानकारी दी गई और पाकिस्‍तान से माइक्रोसॉफ्ट से जाने की जानकारी आई। उन्‍होंने लिखा कि कंपनी का यह फैसला सोचने पर मजबूर करता है। माइक्रोसॉफ्ट ने क्‍या बताया रहमान के अनुसार, यह उस माहौल का दर्शाता है जो हमारे देश ने बनाया है। एक ऐसा माहौल जिसमें माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी को भी अस्थितरता नजर आती है। उन्‍होंने कहा कि अब पूछा जाना चाहिए कि पाकिस्‍तान को लेकर क्‍या बदल रहा है। ऐसा क्‍या है जिसने दिग्‍गज कंपनी को देश छोड़ने पर मजबूर किया है। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट की तरफ की ओर इस बारे में ऑफ‍िशियली कोई जानकारी नहीं दी गई है। कितने देशों में माइक्रोसॉफ्ट का कामकाज माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है, जिसका कामकाज 190 से अधिक देशों में फैला हुआ है। कंपनी क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर जैसे कई क्षेत्रों में लीडर की भूमिका निभा रही है। विंडोज, ऑफिस, ऐज जैसे प्रोडक्ट्स पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं। पाकिस्तान से इसकी कथित विदाई एक चौंकाने वाला कदम माना जा रहा है। यह सिर्फ एक कारोबारी फैसला नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों की गहराई से जुड़ा मुद्दा माना जा रहा है। रहमान के अनुसार "अल्लाह जिसे चाहे उसे इज्जत और मौके देता है… और जिससे चाहे, वो इन्हें वापस भी ले सकता है, खासकर जब कोई इनकी कदर करना भूल जाए। लेकिन अगर आपका काम असर छोड़ जाए, ईमानदारी और प्रेरणा का स्रोत बन जाए… तो समझ लीजिए कि अल्लाह की रहमत आपके साथ थी।" एक और पोस्ट में रहमान ने पाकिस्तान के आईटी मंत्री और सरकार से अपील की कि वे माइक्रोसॉफ्ट के रीजनल और ग्लोबल लीडर्स से संपर्क करें, ताकि कंपनी पाकिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रख सके।

सोशल मीडिया पर देश विरोधी वीडियो या पोस्ट शेयर करने वाले की खेर नहीं

नई दिल्ली  केंद्र सरकार अब सोशल मीडिया पर देश के खिलाफ नफरत फैलाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय इसके लिए एक नई पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है। सोशल मीडिया पर देश विरोधी वीडियो या पोस्ट शेयर करने वाले लोग अब बच नहीं पाएंगे, उनके हैंडल ब्लॉक किए जाएंगे और सख्त कार्रवाई भी होगी। देश के खिलाफ कई वेबसाइट्स पर भी आपत्तिजनक कॉन्टेंट अपलोड किया जाता है। ऐसा करने वाले लोग अब कानून से बच नहीं पाएंगे और जल्द ही उन पर एक्शन लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, इंटेलिजेंस एजेंसियों के आला अधिकारियों ने गृह मंत्रालय की संसदीय कमेटी को इस बात की जानकारी दी है। यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब खालिस्तान अलगाववादी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू समेत कई अन्य देश विरोधी लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और लगातार नफरत फैलाने का काम करते रहे हैं। नई पॉलिसी आने के बाद ऐसे लोगों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। केंद्र सरकार इस मामले में सिर्फ आंतरिक स्तर पर ही काम नहीं कर रही है बल्कि अमेरिकी सरकार और बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से भी बातचीत कर रही है। केंद्र सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियाँ अपने स्तर पर भी यह सुनिश्चित करें कि भारत विरोधी तत्व उनके प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट अपलोड न कर पाएँ। सीबीआई, एनआईए, प्रदेश की पुलिस और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियाँ भारत विरोधी तत्वों की कोशिशों को रोकने के लिए एक विस्तृत रणनीति बनाने पर काम कर रही हैं जिसको जल्द ही अमल में लाया जा सकता है। आतंकी घटनाओं के बाद बढ़ी चिंता हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी सोशल मीडिया पर कई देश विरोधी पोस्ट शेयर किए गए थे। देश के खिलाफ काम करने वाले लोग काफी संख्या में सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। अब इन पर लगाम लग जाएगी जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को और मज़बूती मिलेगी।