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कांग्रेस सरकार गिरने के बाद भी दिग्विजय-कमलनाथ में सुलह, मनभेद से इनकार

नई दिल्ली  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ तस्वीर शेयर की। इसके साथ ही लिखा कि कमल नाथ जी और मेरे लगभग 50 वर्षों के पारिवारिक संबंध रहे हैं। हमारे राजनैतिक जीवन में उतार चढ़ाव आते रहे हैं और ये स्वाभाविक भी है। हमारा सारा राजनैतिक जीवन कांग्रेस में रहते हुए विचारधारा की लड़ाई एकजुट हो कर लड़ते हुए बीता है और आगे भी लड़ते रहेंगे। छोटे मोटे मतभेद रहे हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं। उन्होंने आगे लिखा कि कल उनकी मुलाकात हुई। हम दोनों को कांग्रेस पार्टी ने नेतृत्व खूब अवसर दिए और जनता का प्यार सदैव मिलता रहा है। आगे भी हम मिल कर जनता के हित में कांग्रेस के नेतृत्व में सेवा करते रहेंगे।  2020 का विवाद और अब का संदेश मार्च 2020 में जब कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरी थी, तब पार्टी के भीतर गहरी खींचतान रही। हाल ही में इसको लेकर दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। दिग्विजय और कमलनाथ ने एक-दूसरे को सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था। अब दिग्विजय सिंह की पोस्ट ने संकेत दिया है कि पार्टी आने वाले समय में पुराने विवादों को पीछे छोड़कर एकजुटता की नई तस्वीर पेश करना चाहती है। दोनों नेता एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का मानना है कि कांग्रेस के नेता अपनी खोई हुई साख वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। सबको पता है कि आपसी टकराव और अहंकार की राजनीति ने ही 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था। अब भले ही दोनों नेता एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच यह धारणा बनी हुई है कि उनकी लड़ाई ने ही पार्टी को सत्ता से बाहर किया। दीक्षित का कहना है कि आज दोनों ही नेता राजनीतिक तौर पर हाशिए पर हैं। कांग्रेस को जो नुकसान होना था, वह हो चुका है। सरकार गिरने पर विवाद  कुछ दिन पहले दिए गए एक इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच गहराते मतभेद ही 2020 में कांग्रेस सरकार गिरने का कारण बने, इसके जवाब में कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि सिंधिया को लगता था दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे हैं, इसलिए उन्होंने बगावत की. इस बयानबाजी ने फिर से पुराने घाव हरे कर दिए थे और यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि क्या कांग्रेस में भीतर ही भीतर सब कुछ ठीक नहीं है.  सियासी एकजुटता  कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के आज भी सबसे बड़े और सीनियर चेहरे हैं, उनके बीच सार्वजनिक रूप से एक सकारात्मक संवाद और तस्वीर सामने आना पार्टी कार्यकर्ताओं में एकता का संदेश दे सकता है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मुलाकात 2023 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद 2028 की तैयारी और पुनर्गठन की शुरुआत हो सकती है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी भी यह जानती है कि दोनों की राजनीतिक जड़ें आज भी एमपी में सबसे ज्यादा मजबूत हैं. दिग्विजय और कमलनाथ की मुलाक़ात से यह साफ है कि कांग्रेस अब 2020 की बगावत से उबरकर आंतरिक मतभेदों को सुलझाने और नया जनाधार तैयार करने में जुट गई है.   नई नेतृत्व का एकजुटता से काम करने पर ही होगा फायदा  पत्रकार दीक्षित ने आगे लिखा कि अब केवल तस्वीरें साझा करने या बयान देने से पार्टी को लाभ नहीं मिलने वाला। कांग्रेस का फायदा तभी होगा जब नई नेतृत्व टीम पूरी एकजुटता के साथ काम करेगी और व्यक्तिगत अहंकार को किनारे रखेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, जिन्हें राहुल गांधी ने जिम्मेदारी दी है, उनका सबसे अहम काम टीम बनाना और कार्यकर्ताओं को जोड़ना है। लेकिन, इस दिशा में ठोस प्रयास दिखाई नहीं दे रहे। जब कमांडर कमजोर होता है तो पूरी फौज बिखर जाती है। 

कांग्रेस की किसान न्याय यात्रा आज उज्जैन में, दिग्गज नेताओं की जुटेगी ताकत

उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में शुक्रवार को कांग्रेस किसान न्याय यात्रा निकालेगी। रैली के बाद जनसभा होगी। इसमें राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित सभी वरिष्ठ नेता भाग लेंगे। सभा में पार्टी वोट चोरी, सिंहस्थ के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण, भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाएगी।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के बाद भी किसानों की कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। वे कर्ज, महंगाई और खाद संकट से जूझ रहे हैं। यह न्याय यात्रा भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों, किसानों की उपेक्षा, युवाओं की बेरोजगारी और महिलाओं की असुरक्षा के विरुद्ध है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था कर्ज के दलदल में फंस गई है। ऐसा कोई महीना नहीं बीतता है जब सरकार कर्ज न ले। किसानों को सरकार ने खाद की लाइन में लगा दिया है। उन पर पुलिस लाठियां बरसा रही है। सिंहस्थ के नाम पर किसानों की भूमि लेकर स्थायी निर्माण का रास्ता बनाया जा रहा है, जिसका विरोध हो रहा है। वोट चोरी की बात अब जगजाहिर हो चुकी है। प्रदेश के कई विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई है। कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग या महिला, सबके साथ अत्याचार हो रहा है। ये सब मुद्दे उज्जैन में आयोजित किसान न्याय यात्रा में उठाए जाएंगे।

वोटर लिस्ट विवाद में सोनिया गांधी पर छाया राहत का सूरज, कोर्ट ने याचिका ठुकराई

नई दिल्ली  कांग्रेस की वरिष्ठ नेता, सांसद और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को राऊज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी ने बिना नागरिकता हासिल किए 1980 की वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कराया। याचिका में दावा किया गया था कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, जबकि उनका नाम 1980 की दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल था। याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि 1980 में सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में कैसे आया, जबकि उन्होंने नागरिकता 1983 में हासिल की थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया था। याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से क्यों हटाया गया और इसके पीछे क्या वजह थी। इस याचिका में एक और गंभीर सवाल उठाया गया था कि 1983 में भारतीय नागरिकता हासिल करने के बाद 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम किस आधार पर शामिल किया गया? क्या इसके लिए किसी फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया गया था? याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वह इस मामले में मुकदमा दर्ज करे और जांच कर के स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। हालांकि, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए इस मामले में आगे किसी भी तरह की जांच की आवश्यकता नहीं मानी। बता दें कि बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने इस फैसले को सुरक्षित रख लिया था, जिसे गुरुवार को खारिज कर दिया गया। यह याचिका विकास त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने दाखिल की थी। बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले पर गुरुवार की शाम 4 बजे के करीब फैसला सुनाए जाने की बात कही थी।

राजनीतिक दंगल अलौली में: चिराग पासवान vs पशुपति पारस के सिपाही

पटना  अलौली विधानसभा सीट खगड़िया लोकसभा के तहत आता है…अलौली सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। 1962 और 1967 में अलौली सीट पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी कैंडिडेट मिश्री सदा ने जीत हासिल किया था। 1969 में अलौली सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट रामविलास पासवान ने जीत हासिल कर लिया था। वहीं 1972 में अलौली विधानसभा सीट पर कांग्रेसी कैंडिडेट मिश्री सदा ने जनता का भरोसा हासिल किया था। 1977 में अलौली सीट से जनता पार्टी के कैंडिडेट पशुपति कुमार पारस ने जीत का परचम लहरा दिया था। 1980 में कांग्रेसी कैंडिडेट मिश्री सदा ने एक बार फिर खगड़िया में विरोधियों को मात दे दिया था। 1985 में यहां से लोक क्रांति दल के टिकट पर पशुपति कुमार पारस ने जीत हासिल किया था। इसके बाद अलौली सीट पर पशुपति कुमार पारस ने अपना वर्चस्व बना लिया था। 1990 और 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में अलौली सीट पर जनता दल के टिकट पर पशुपति कुमार पारस ने जीत हासिल किया था। वहीं 2000 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर पशुपति कुमार पारस ने जीत का सिलसिला कायम रखा था। 2005 में अलौली सीट से लोजपा कैंडिडेट पशुपति कुमार पारस ने फिर से जीत हासिल कर लिया था। 2010 में जेडीयू के कैंडिडेट राम चंद्र सदा ने अलौली में विरोधियों को मात दे दिया था। वहीं 2015 में आरजेडी कैंडिडेट चंदन कुमार ने अलौली सीट पर जीत हासिल कर लिया था। 2020 में अलौली में आरजेडी कैंडिडेट रामवृक्ष सदा ने विरोधियों को मात दे दिया था। वहीं, 2020 के चुनाव में अलौली सीट पर आरजेडी कैंडिडेट रामवृक्ष सदा ने जीत हासिल किया था। रामवृक्ष सदा को 47 हजार एक सौ 83 वोट मिला था तो जेडीयू कैंडिडेट साधना देवी 44 हजार चार सौ 10 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहीं थीं। इस तरह से रामवृक्ष सदा ने साधना देवी को दो हजार सात सौ 73 वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं एलजेपी कैंडिडेट रामचंद्र सदा 26 हजार तीन सौ 86 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में अलौली सीट से आरजेडी कैडिडेट चंदन कुमार ने जीत हासिल किया था। चंदन कुमार को 70 हजार पांच सौ 19 वोट मिला  था तो एलजेपी कैंडिडेट पशुपति कुमार पारस को 46 हजार 49 वोट ही मिल पाया था।इस तरह से चंदन कुमार ने पशुपति कुमार पारस को 24 हजार चार सौ 70 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं सीपीआई के कैंडिडेट मनोज सदा, 7 हजार 87 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में अलौली सीट पर जेडीयू कैंडिडेट रामचंद्र सदा ने जीत हासिल किया था। रामचंद्र सदा को 53 हजार सात सौ 75 वोट मिला था तो एलजेपी कैंडिडेट पशुपति कुमार पारस ने 36 हजार दो सौ 52 वोट हासिल किया था। इस तरह से रामचंद्र सदा ने पशुपति कुमार पारस को 17 हजार पांच सौ 23 वोट से हरा दिया था। वहीं एसएचएस के कैंडिडेट हंस कुमार, 4 हजार 17 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं 2005 के विधानसभा चुनाव में अलौली सीट से एलजेपी कैंडिडेट पशुपति कुमार पारस ने जीत हासिल किया था।  पशुपति कुमार पारस को 40 हजार आठ सौ 70 वोट मिला था तो आरजेडी कैंडिडेट रामवृक्ष सदा को 32 हजार दो सौ 93 वोट मिला था। इस तरह से पशुपति कुमार पारस ने रामवृक्ष सदा को 8 हजार पांच सौ 77 वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं जेडीयू कैंडिडेट राज कुमारी,  14 हजार दो सौ 60 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहीं थीं। अलौली सीट पर इस बार पासवान परिवार के दो युवा नेता चुनाव लड़ सकते हैं। चर्चा है कि चिराग पासवान अपने भांजे को यहां से चुनाव लड़ा सकते हैं। वहीं पशुपति पारस अपने बेटे को यहां से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। एक ही परिवार के दो दिग्गज युवा चेहरे में जनता किसे अपना समर्थन देगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

विदेश में सीक्रेट मीटिंग का आरोप, CRPF लेटर पर राहुल गांधी पर बीजेपी का निशाना

नई दिल्ली  सीआरपीएफ ने पत्र लिखकर दावा किया है कि राहुल गांधी ने अपनी आवाजाही के दौरान कथित तौर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। इस पर बीजेपी ने राहुल गांधी पर हमला बोला है और सवाल उठाया है कि आखिर विदेश यात्रा के दौरान ऐसा क्या होता है जिसके चलते राहुल को अपनी ही सुरक्षा पर भरोसा नहीं है। वे वहां कौन सी सीक्रेट मीटिंग करने जाते हैं और वहां से ऐसी कौन सी सामग्री आती है? सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा शाखा, लोकसभा में विपक्ष के नेता 55 वर्षीय राहुल गांधी को ‘जेड प्लस (एएसएल)’ सशस्त्र सुरक्षा प्रदान करती है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "अगर राहुल गांधी विदेश यात्राओं के दौरान बार-बार सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं, तो कुछ सवाल उठते हैं। विदेशी यात्राओं के दौरान ऐसा क्या होता है कि उन्हें अपनी ही सुरक्षा पर भरोसा नहीं होता और वे प्रोटोकॉल तोड़ते हैं? क्या वहां से कोई मटेरियल, कंटेट आ रहा है? ऐसी बातें या मुलाकातें हो रही हैं, जिनका इस्तेमाल भारत में किया जा रहा है और यह किसी को पता न चले इसीलिए सिक्योरिटी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है?'' उन्होंने आगे पूछा, ''इससे पहले भी जब उनके पास एसपीजी सुरक्षा थी, तब इस तरह की चिंताएं उठाई गई थीं। वह विदेशी देशों में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं… अगर कल को कुछ हुआ, तो क्या सुरक्षा एजेंसियों को दोषी ठहराया जाएगा? कांग्रेस को उनसे पूछना चाहिए कि वह विदेशी यात्राओं पर कौन सी गुप्त बैठकें करते हैं जिससे सुरक्षा का उल्लंघन होता है?" अर्धसैनिक बल की वीआईपी सुरक्षा शाखा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि गांधी ने अपने घरेलू दौरे के दौरान और विदेश जाने से पहले, ‘‘बिना किसी सूचना के कुछ अनिर्धारित गतिविधियां कीं।’’ सूत्रों ने कहा कि नियमित रूप से इस तरह का संचार किया जाता है और सीआरपीएफ सुरक्षा शाखा द्वारा पहले भी राहुल गांधी की सुरक्षा के संदर्भ में ऐसा संचार किया गया था। बल ने रेखांकित किया है कि इस तरह की अघोषित गतिविधियां उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करती हैं। उसने कहा कि सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति और उसके कर्मचारियों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए।  

खरगे ने कांग्रेस नेताओं को चेताया, फौरन बाहर करें निष्क्रिय सदस्य

अहमदाबाद  गुजरात कांग्रेस के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, और अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे लेकर सख्त रुख अपना लिया है। जूनागढ़ में जिला अध्यक्षों के एक प्रशिक्षण शिविर में बोलते हुए खरगे ने साफ कहा – अगर पार्टी में कुछ लोग काम नहीं कर रहे, जिम्मेदारी से भाग रहे हैं या सिर्फ बहाने बना रहे हैं, तो उन्हें तत्काल बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। खरगे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "अगर समय रहते खराब आम नहीं हटाए गए, तो पूरी टोकरी सड़ जाएगी।" क्या है पूरा मामला? एक आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया है कि गुजरात कांग्रेस की 41 में से 19 ज़िला/शहर इकाइयों का प्रदर्शन बेहद कमजोर है। ये रिपोर्ट पार्टी द्वारा बीते तीन महीनों में किए गए राजनीतिक कार्यक्रमों और निर्देशों के अनुपालन के आधार पर तैयार की गई है। 9 यूनिट्स को अव्वल, 11 को औसत, और 19 को सुधार की ज़रूरत वाली कैटेगरी में रखा गया है। यही आंकड़े देखकर खरगे ने पार्टी में "साफ-सफाई" की बात कही। खरगे का दो टूक संदेश जो नेता काम नहीं करना चाहते, उन्हें अब हटाना ही पड़ेगा। वरना वे किसी और खेमे में चले जाएंगे और पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस को अब अनुशासन, विचारधारा से निष्ठा, और बूथ लेवल पर मजबूत नेटवर्किंग की ज़रूरत है। उपस्थित‍ि पर भी जताई नाराज़गी खरगे ने यह भी कहा कि जिस तरह शिविर के पहले दिन 100% लोग थे, फिर दूसरे दिन 90% और तीसरे दिन 80% हो गए, यह लापरवाही पार्टी की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करती है। बता दें कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, और गुजरात में कांग्रेस का हाल पहले से ही कमजोर रहा है। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। खरगे का यह रुख संकेत है कि कांग्रेस अंदर से बदलाव के मूड में है – और सिर्फ पद लेने वालों को नहीं, बल्कि काम करने वालों को तरजीह मिलेगी।  

माली हालत पर विपक्ष का वार: जीतू पटवारी बोले – हर नागरिक पर चढ़ा 54 हजार से ज्यादा का कर्ज

भोपाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने वित्तीय अनुशासन का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। मोहन सरकार ने राज्य को कर्ज के गहरे दलदल में धकेल दिया है। पटवारी ने कहा कि राज्य पर मार्च 2024 तक कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च 2025 में बढ़कर 4.21 लाख करोड़ रुपये हो गया और जुलाई 2025 तक यह आंकड़ा 4.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार नए ऋण ले रही है। पूर्व सीएम शिवराज पर लगाए आरोप उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ गए और दिल्ली चले गए। अब मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं और हर महीने नए ऋण ले रहे हैं। पटवारी ने कहा कि राज्य की वित्तीय हालत इतनी खराब हो गई है कि सरकार केवल ब्याज चुकाने के लिए कर्ज ले रही है। अनुमानों के अनुसार, वर्तमान ऋण पर वार्षिक ब्याज भुगतान लगभग 29,700 करोड़ रुपये है। बीजेपी की नीतियों पर उठाए सवाल उन्होंने कहा कि बीजेपी की गलत नीतियों ने राज्य की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है। पटवारी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने सिर्फ 162 दिनों में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया है। पीसीसी चीफ ने कहा कि औसतन, राज्य हर दिन लगभग 154 करोड़ रुपये का कर्ज ले रहा है। हर हफ्ते यह आंकड़ा 1,078 करोड़ रुपये है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक नागरिक पर कर्ज का प्रति व्यक्ति बोझ 54,375 रुपये है। कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज ले रही सरकार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज ले रही है। पटवारी ने कहा, 'आज स्थिति इतनी विकट है कि सरकार को पिछले ऋणों पर ब्याज चुकाने के लिए भी नए ऋण लेने पड़ रहे हैं। औसतन, राज्य हर दिन लगभग 154 करोड़ रुपये का कर्ज ले रहा है। हर हफ्ते यह आंकड़ा 1,078 करोड़ रुपये है।' एक नागरिक पर 50 हजार से ज्यादा का कर्ज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक नागरिक पर कर्ज का प्रति व्यक्ति बोझ 54,375 रुपये है। मध्य प्रदेश की आबादी लगभग 8 करोड़ है। वर्तमान कुल ऋण 4.35 लाख करोड़ रुपये है। यानी, प्रत्येक नागरिक पर औसतन 54,375 रुपये का कर्ज है। हर नागरिक को 'बीजेपी नेताओं की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार' का बोझ उठाना होगा। यह कर्ज कौन चुकाएगा? क्या राज्य के लोगों को हमेशा कर्ज और ब्याज का बोझ उठाना पड़ेगा? बीजेपी नेताओं की विलासिता की राजनीति के लिए लोगों को क्यों भुगतान करना चाहिए?'  

कांग्रेस पर बरसे सीएम मोहन यादव, बोले- जनता नहीं भूली पुराने कुकर्म, खाद संकट पर भी दी सफाई

भोपाल  भारत के पड़ोसी देश नेपाल में तख्तापलट के बाद हो रही हिंसा ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है, भारत भी बारीकी और गंभीरता से स्थिति पर नजर बनाये हुए है लेकिन भारत की कुछ विपक्षी पार्टियाँ इस मुद्दे पर भी सियासत कर रही हैं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, शिवसेना उद्धव गुट के नेता भारत में नेपाल जैसे हालात की संभावना जता रहे हैं, इन संभावनाओं पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पलटवार किया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को करारा जवाब दिया है, मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कांग्रेस अपनी जमीन ढूंढने का प्रयास कर रही है लेकिन नाकाम रहने वाली कांग्रेस के कुशासन को सब जान चुके हैं। कांग्रेस की बातों से जनता भ्रमित होने वाली नहीं  भारत में नेपाल जैसे हालात की संभावना वाले बयान पर जवाब देते हुए सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा – बिल्ली के भाग्य से छींका नहीं टूटने वाला, कांग्रेस के कुकर्मों को जनता जानती है, इसलिए कांग्रेस की इन बातों से भारत की जनता भ्रमित होने वाली नहीं है। BJP को मिल रहे समर्थन से कांग्रेस परेशान  मध्य प्रदेश में किसानों को खाद के संकट पर कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुए सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि ये कांग्रेस की हताशा और निराशा है, उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नहीं दी, पानी नहीं दिया, जिनकी सरकार ने बंटाधार किया वो आज भाजपा सरकार को मिल रहे किसानों के समर्थन से परेशान है।

एमपी कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव, जिला अध्यक्षों को अधिकार, 1004 ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाएंगे

भोपाल  वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप मध्य प्रदेश में जिला कांग्रेस अध्यक्षों को ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियों के लिए फ्री-हैंड यानी सर्वाधिकार दिया गया है। वे संगठन सृजन अभियान के माध्यम से क्षेत्रों के जातीय और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नियुक्तियां करेंगे। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें जिले के जातिगत समीकरण का डेटा भी भेजा है। प्रदेश में कांग्रेस के 1,004 ब्लॉक हैं नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए 40 दिन का समय दिया गया है। प्रदेश में कांग्रेस के 1,004 ब्लॉक हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों कांग्रेस को मिली करारी हार का बड़ा कारण संगठन की कमजोरी को माना गया था। संगठन को सशक्त बनाने के लक्ष्य को लेकर वर्ष 2025 को संगठन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। जिला इकाइयों को मजबूत बनाने के लिए जिला अध्यक्षों का चयन किया गया। अब इन अध्यक्षों को अब अपने नीचे की इकाइयां बनानी हैं। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने जिला अध्यक्षों से कहा है कि वे स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए ऐसी टीम बनाएं जो विपरीत परिस्थितियों में भी विचारधारा से डिगे नहीं। संघर्षशील हो और भाजपा व सरकार का डटकर मुकाबला करे। जिला इकाई सबसे महत्वपूर्ण मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि संगठन में सबसे महत्वपूर्ण जिला इकाई है। इस नाते जिला अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए जिला अध्यक्ष नाम निर्धारित करके प्रदेश कांग्रेस को भेजेंगे और यहां से सूची जारी की जाएगी। जिला अध्यक्षों की पहली परीक्षा ब्लॉक स्तर पर नियुक्तियां जिला अध्यक्षों की पहली परीक्षा होगी। इसमें उन्हें न केवल वरिष्ठ नेताओं के साथ जातीय और स्थानीय समीकरणों को साधना होगा बल्कि ऐसी टीम तैयार करनी होगी जो राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप हो यानी जिनके लिए नेता नहीं पार्टी प्रथम हो। इस काम में जिला अध्यक्षों का सहयोग समन्वय समिति करेंगी, जिनकी बैठकें 26 सितंबर तक करने के निर्देश प्रदेश कांग्रेस ने दिए हैं।  

कांग्रेस का नया अभियान: प्रभात फेरी और गौ सेवा, भाजपा ने साधा निशाना

भोपाल   मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किया जा रहे हैं। प्रदेश में अब कांग्रेस प्रभात फेरी निकालेगी साथ ही गौ सेवा और श्रमदान भी करेंगी। यह राहुल गांधी के संगठन सृजन अभियान से जोड़ा गया हिस्सा माना जा रहा है। हालही में नवनियुक्त 71 ग्रामीण और शहर जिला अध्यक्षों को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों को 10 दिन की ट्रेनिंग देने की तैयारी कांग्रेस कर रही है। जिसमें राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस की कई दिग्गज नेता शामिल होंगे। इस दौरान जिला अध्यक्षों को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। और उन्हें प्रैक्टिकल भी कराया जाएगा। इधर भाजपा ने इसे लेकर तंज कसा है। मंत्री विश्वास सारंग में कहा है कि कांग्रेस की यह महज चुनावी नौटंकी है। कांग्रेस की पहले से रही है परंपरा एमपी कांग्रेस के संगठन प्रभारी डॉ. संजय कामले ने बताया कि यह कोई नया नहीं है। कांग्रेस की पहले से परंपरा रही है। हमारा सेवादल इस पर पहले से काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस जिला अध्यक्षों 10 दिन की ट्रेनिंग में सिखाया जाएगा कि किस समय प्रभात फेरी निकालना है।  क्या गीत रहेंगे। साथ ही श्रमदान और गौ सेवा की भी जानकारी दी जाएगी। सभी जिलाध्यक्षों को प्रेक्टिकल कराया जाएगा और उसके बाद वे  अपने-अपने जिले में करने के लिए का जाएगा। बीजेपी के एजेंडें पर कांग्रेस कर रही काम गौरतलब है कि एमपी में कांग्रेस 2003 के बाद के 22 साल में से 2 साल छोड़ दे तो सत्ता से बाहर है। यही वजह है कि लंबे वनवास के बाद कांग्रेस अब राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी संगठन सृजन अभियान के तहत चुने गए जिला अध्यक्षों के द्वारा गांव-गांव शहर प्रभात फेरी निकालना श्रमदान और गौ सेवा कराने जा रही है। बतादें कि कांग्रेस जन जन तक पहुंचने के लिए उन कार्यक्रमों का सहारा ले रही है जो बरसों से बीजेपी का एजेंडा रहे हैं। गौ सेवा और प्रभात फेरी के जरिये भाजपा ने गांव से लेकर शहर तक हिंदुत्व और सनातन का झंडा फहराया है यही वजह है।