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राजनीतिक संग्राम: मोदी पर कांग्रेस का हमला, बीजेपी ने कहा- भारत विरोधी बयान

नई दिल्ली  राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस के सीनियर नेता उदित राज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना दशहरे पर जलाए जाने वाले दस सिर वाले रावण से कर डाली। समाचार एजेंसी IANS से बातचीत में उदित राज ने तंज कसते हुए कहा, 'पीएम मोदी आज के दौर के रावण हैं। जिस तरह वह अपना सोने का महल बना रहे हैं, उसमें प्रवेश करते ही वह इसे जलता हुआ देखेंगे।' इस बयान की बीजेपी ने तीखी आलोचना की है। बीजेपी ने इसे कांग्रेस की नफरत की राजनीति करार दिया है। बीजेपी का पलटवार बीजेपी ने इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है। पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, 'कांग्रेस का एकमात्र मकसद पीएम मोदी और भारत के खिलाफ नफरत फैलाना है। यह उनकी पुरानी आदत बन चुकी है।' पूनावाला ने उदित राज के पुराने बयानों का हवाला देते हुए कहा कि वह पहले भी माओवादियों का समर्थन और RSS को ‘आतंकी’ बताने जैसे विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि विपक्षी नेताओं ने पहले PM की मां का कथित तौर पर अपमान किया था। पूनावाला ने तंज कसते हुए कहा, 'कांग्रेस की असलियत यही है। एक तरफ PM मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं, जो RSS के संस्कारों को दर्शाता है। दूसरी तरफ राहुल गांधी PM को लाठी से मारने की बात करते हैं और उनकी OBC जाति पर तंज कसते हैं।' ‘मोहब्बत की दुकान’ या ‘नफरत के भाईजान’? पूनावाला ने कांग्रेस के ‘मोहब्बत की दुकान’ नारे पर चुटकी लेते हुए कहा, 'यह मोहब्बत की दुकान नहीं, बल्कि नफरत के भाईजान है। समय-समय पर ये लोग चुनाव आयोग, भारत और सनातन संस्कृति पर हमला बोलते रहते हैं।' इस बयानबाजी ने दशहरे के मौके पर सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है, जहां एक तरफ कांग्रेस अपने बयानों से हमलावर है, तो दूसरी तरफ बीजेपी इसे विपक्ष की हताशा बता रही है।  

तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर भाजपा की तीखी टिप्पणी: ‘कलयुग का रावण’

पटना  बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी के आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल से बृहस्पतिवार को एक पोस्टर साझा किया गया, जिसमें दोनों नेताओं को ‘कलयुग का रावण' बताया गया है। पोस्टर में लिखा गया है, “मातृशक्ति के अपमान का प्रतीक रावण आज भी मौजूद है, बस चेहरा बदल गया है। जनता अपने मत से इस रावण का अंत तय करेगी।”   साझा किए गए पोस्टर में एक तरफ त्रेता युग के रावण की तस्वीर लगाई गई है और कैप्शन में लिखा गया है, “जिसने मां जानकी का अपहरण किया, उनका अपमान किया।” दूसरी ओर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की तस्वीर के साथ उल्लेख किया गया है, “कलयुग के रावण। जिनके मंच से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिवंगत मां का अपमान किया गया।” राजद ने भी अपने सोशल साइट हैंडल ‘एक्स' पर विजयादशमी के बहाने राजग सरकार पर हमला किया और लिखा है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अफसरशाही, अहंकार, भ्रष्टाचार और झूठे सरकारी प्रचार के ‘‘रावण'' का अंत हो जाएगा। पार्टी ने ‘एक्स' पर लिखा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बनने वाली सरकार राज्य में तुरंत जनकल्याण, नौकरी और रोजगार की दिशा में काम करेगी। राजद ने कहा कि ‘‘तेजस्वी की सरकार'' ही ऐसी सरकार होगी जो सचमुच जनता के सरोकारों और कल्याण के लिए समर्पित होगी।   

UPA सरकार के फैसलों पर कांग्रेस नेता ने चिदंबरम को दिया खुला वार, कहा – ‘अमेरिका के दबाव में काम किया’

नई दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के मुंबई आतंकवादी हमले को लेकर दिए गए बयान के बाद बवाल मच गया है। एक तरफ बीजेपी तो निशाना साध ही रही है, अब कांग्रेस के अंदर से भी उनके खिलाफ सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने चिदंबरम पर बीजेपी को मजबूत करने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि क्या वह यह साबित करना चाहते हैं कि उस समय यूपीए सरकार अमेरिका के दबाव में काम कर रही थी? मीडिया से बात करते हुए राशिद अल्वी ने कहा, ''इसका मतलब है कि चिदंबरम का कहना है कि अमेरिका के दबाव में काम कर रहे थे? उनके इस बयान से बीजेपी को फायदा होगा। 2008 की बात है और अब 16 साल बाद क्यों बयान दे रहे हैं। अगर वे यह बात नहीं चाहते थे तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था।'' उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के अंदर बहुत लोग कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं। घर को आग लग गई, घर के चिराग से। क्यों यह साबित करना चाहते हैं कि यूपीए की सरकार अमेरिका के दबाव में काम कर रही थी? इसका मतलब है कि आप बीजेपी को मजबूत करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता चिदंबरम ने एक ‘पॉडकास्ट’ में कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से इस भयावह आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने पड़ोसी देश के खिलाफ कूटनीतिक उपायों का इस्तेमाल करने के विदेश मंत्रालय के दृष्टिकोण के तहत आगे बढ़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका समेत शक्तिशाली देश चाहते थे कि भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध न करे। 26 नवंबर को हुए आतंकवादी हमले के तुरंत बाद चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया था। इससे पहले वह वित्त मंत्री थे। उनके इस बयान पर बीजेपी ने भी निशाना साधा है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चिदंबरम की टिप्पणियों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि सिंह के नेतृत्व वाली सरकार कितनी कमजोर थी। प्रसाद ने कहा कि सिंह किस कदर झुक गए थे, यह चिदंबरम के बयान से साफ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए क्योंकि देश जान गया है कि संप्रग सरकार के शासनकाल में देश का शासन कैसे चलता था। प्रसाद ने कहा, "हमें अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गर्व है। इसीलिए भारत सुरक्षित है और आर्थिक विकास भी कर रहा है। यह दुनिया के सामने नहीं झुकता।" उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के अड्डों को ध्वस्त कर पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी हमलों का हर बार बदला लिया है।  

मल्लिकार्जुन खड़गे की तबीयत खराब, इलाज के लिए बेंगलुरु अस्पताल में भर्ती

 बेंगलुरु अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस (INC) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टर उनकी स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहे हैं. तबीयत खराब होने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया है, जहां कम्प्लीट चेकअप के लिए उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा है. वे इलाज के लिए बेंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती करवाए गए हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे (88) एक सीनियर सांसद और कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं. अक्टूबर 2022 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कई चुनावी मुकाबलों में पार्टी का नेतृत्व किया है और राष्ट्रीय रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं.  1942 में जन्मे खड़गे का राजनीतिक सफर दशकों लंबा है, इस दौरान उन्होंने एक सांसद, केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया है. उनके करियर की पहचान एक ज़मीनी नेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा है, जिसमें मज़बूत संगठनात्मक कौशल भी शामिल है. पार्टी अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने कांग्रेस को उसके सबसे चुनौतीपूर्ण राजनीतिक दौर से उबारने का भार उठाया है.

एकनाथ शिंदे का पलटवार: चिदंबरम का बयान कांग्रेस की हार का स्वीकारोक्ति

मुंबई  पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के 2008 आतंकी हमले को लेकर दिए हालिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि यह उनकी नाकामी का सबूत है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एवं शिवसेना के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर निशाना साधा। शिंदे ने पी. चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह उनकी नाकामी का सबूत है। उन्होंने अपनी असफलता स्वीकार कर ली है। हमारे लोग मारे गए, और पाकिस्तान के दबाव में न आकर हमला न करना कायरता है।" उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने अपराध किया, लेकिन भारतीय सेना ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्रवाई को मंजूरी देकर देश को गौरव प्रदान किया।" विपक्ष को घेरते हुए शिंदे ने कहा, "विपक्ष हमारी सेना पर सवाल उठाता है, लेकिन उन्हें यह पूछना चाहिए कि कितने नागरिक मारे गए। यह देशभक्ति नहीं, बल्कि पाकिस्तान प्रेम है।" महाराष्ट्र में हाल की बाढ़ ने कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा, "ऐसी कठिन परिस्थितियों में लोगों का सब कुछ बह गया है। सरकार उनके साथ खड़ी है।" उन्होंने बताया कि कैबिनेट बैठक में बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। सरकार नियमों और प्रतिबंधों को दरकिनार कर किसानों, महिलाओं और प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करेगी। शिंदे ने कहा, "हम भोजन और राशन किट वितरित कर रहे हैं। शिवसेना पीड़ितों के साथ है, यह हमारा कर्तव्य है।" शिंदे ने विपक्ष को घेरते हुए कहा, "कुछ लोग केवल आलोचना करते हैं, लेकिन सरकार जनता के हित में काम कर रही है। बाढ़ राहत कार्यों के साथ-साथ, सरकार ने किसानों के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की। हमारी प्राथमिकता प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाना है।"

कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की तैयारी: हरियाणा के बाद दो और राज्यों पर नजर

हरियाणा हरियाणा प्रदेश में अध्यक्ष बदलने के बाद कांग्रेस पार्टी अब दो और राज्यों, राजस्थान और गोवा में प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव कर सकती है और इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के नेतृत्व को अवसर मिल सकता है। पार्टी ने हाल ही में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान वरिष्ठ नेता राव नरेंद्र सिंह को सौंपी है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया है। अब पार्टी राजस्थान और गोवा के नए प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्तियों पर गहराई से विचार कर रही है। राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों पर चर्चा हो रही है उसमें छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी प्रभारी महासचिव सचिन पायलट, मध्य प्रदेश के प्रभारी हरीश चौधरी और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके और हिंडोली से पार्टी विधायक अशोक चांदना का नाम शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो पायलट इस रेस में अभी सबसे आगे हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले पायलट पहले भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गोवा में गिरीश चोडणकर को पार्टी अपना नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। चोडणकर अभी पार्टी के तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रभारी हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले चोडणकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। उल्लेखनीय हैं कांग्रेस पार्टी अपने संगठन में लगातार बदलाव कर रही है। राज्यों के चुनाव को देखते हुए नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में संगठन सृजन अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें प्रदेशों में नए जिला अध्यक्ष नियुक्त किए जा रहे हैं। हरियाणा में चुनाव के एक साल बाद नियुक्तियां हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के करीब एक साल बाद ये नियुक्तियां की गई हैं। पिछले साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 90-सदस्यीय विधानसभा में 48 सीट के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही तो कांग्रेस को 37 सीट मिलीं। कांग्रेस ने इन नियुक्तियों के माध्यम से जाट और ओबीसी गठजोड़ को भी लक्ष्य बनाया है। राव नरेंद्र सिंह ने उदय भान का स्थान लिया है। अहीर जाति से ताल्लुक रखने वाले राव नरेंद्र सिंह तीन बार विधायक और हुड्डा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। विधायक दल का नेता होने के चलते हुड्डा राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। पिछली विधानसभा में भी उन्होंने यह भूमिका निभाई थी। हरियाणा की राजनीति में दिग्गज जाट नेता की हैसियत रखने वाले हुड्डा दो बार मुख्यमंत्री, चार बार नेता प्रतिपक्ष, चार बार सांसद और छह बार विधायक रहे हैं। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। हरियाणा में करीब दो दशक बाद किसी गैर-दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले भजन लाल वैसे प्रदेश अध्यक्ष थे, जो गैर-दलित थे। उन्हें 2006 में इस भूमिका से मुक्त कर दिया गया था। भजन लाल के बाद फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और उदय भान अध्यक्ष रहे, जो सभी दलित हैं।

दिग्विजय बोले- NSA एक्शन आपत्तिजनक, पूरी कांग्रेस पार्टी सोनम वांगचुक के साथ खड़ी

भोपाल  MP के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की कड़ी निंदा की है. सिंह ने इसे बेहद आपत्तिजनक बताया और कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी वांगचुक के साथ खड़ी है. 24 सितंबर को लद्दाख के लेह में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा आहूत बंद के दौरान लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांगों पर केंद्र के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई. इस घटना में 40 पुलिसकर्मियों सहित 80 अन्य लोग घायल हुए. इसी हिंसा के बाद वांगचुक को गिरफ्तार किया गया था. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने हिंदी में X पर एक पोस्ट में कहा, "सोनम वांगचुक जी के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करना बेहद आपत्तिजनक है. हम इसकी निंदा करते हैं. पूरी कांग्रेस पार्टी सोनम वांगचुक जी के साथ खड़ी है." सोनम  वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था और वह वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर की एक जेल में बंद हैं.

गठबंधन की सियासत में कांग्रेस की चाल बदलती, विवादित बिल पर अचानक बदला रुख

नई दिल्ली बिहार चुनाव से पहले विपक्षी एकता बनाने की कोशिश और इंडिया गठबंधन की एकजुटता का संदेश देने की कोशिशों के तहत मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपने पुराने रुख में बदलाव किया है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के अंदर सभी साथी दलों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश में पीएम-सीएम को हटाने संबंधी 130वें संविधान संसशोधन बिल समेत कुल तीन विधेयकों पर बनी संयुक्त संसदीय समिति का बहिषाकार करने का फैसला किया है। यह वही बिल है, जिसमें प्रावधान किया गया है कि 30 दिनों की जेल की सज़ा काट रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को स्वतः बर्खास्त कर दिया जाएगा। हालाँकि, कांग्रेस का यह फैसला तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप और शिवसेना द्वारा जेपीसी के बहिष्कार की घोषणा के बाद आया है। दरअसल, कांग्रेस भ्रष्टाचार का ठप्पा लगाए जाने के डर से अब तक जेपीसी से बाहर रहने के फैसले से हिचकिचा रही थी। कांग्रेस के अलावा दूसरे प्रमुख विपक्षी दलों यानी डीएमके, एनसीपी और वाम दलों की भी JPC में भागीदारी भी संदिग्ध है। इससे इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि अब पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट हो गया है और जेपीसी का बहिष्कार करने जा रहा है। बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को संसद में पेश किया था, जिसे बाद में सदन ने संयुक्त संसदीय समिति को जांच के लिए भेज दिया था। कांग्रेस का क्या तर्क था? कांग्रेस सूत्रों के हवाले से TOI की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी ने जेपीसी से दूर रहने का औपचारिक फैसला ले लिया है और जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष को इस बारे में सूचित किया जाएगा। पहले कांग्रेस इस तर्क के साथ जेपीसी में शामिल होने को तैयार हुई थी कि सरकार को इस समिति में मनमानी करने की पूरी छूट नहीं दी जा सकती लेकिन इस विचार पर विपक्षी एकता भारी पड़ी और अब कांग्रेस ने उन चारों दलों का साथ देने का फैसला किया, जो पहले ही दिन से JPC का बहिष्कार कर रहे थे। केसी वेणुगोपाल ने दिए थे संकेत कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इससे पहले इस बात के संकेत दिए थे कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथी दलों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी और मिलकर ही सामूहिक फैसला लेगी। बता दें कि जब 30 अगस्त को लोकसभा में यह बिल पेश किया गया था, तब विपक्षी दलों ने सदन में खूब हंगामा मचाया था। बड़ी बात यह भी है कि तीनों विधेयकों को जेपीसी को सौंपे जाने के फैसले की घोषणा के लगभग एक महीने बाद भी लोकसभा अध्यक्ष जेपीसी की घोषणा नहीं कर पाए हैं।

जितनराम मांझी ने किया बड़ा राजनीतिक कदम, गिरिराज सिंह को दिया समर्थन, मची हलचल

पटना आई लव मोहम्मद स्लोगन और पोस्टरबाजी पर बिहार में सियासी घमासान जारी है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह(Giriraj Singh) के साथ हम प्रमुख जीतनराम मांझी(Jitan Ram Manjhi) खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पोस्टर से सांप्रदायकिता की बू आ रही है। मांझी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बीजेपी को खुश करने के लिए मांझी ऐसी बात बोल रहे हैं ताकि कुछ ज्यादा सीट मिल जाए। यूपी से चली आई लव मोहम्मद  की हवा बिहार में भी जोर पकड़ रही है। ओवैसी के बयान पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने जवाब दिया तो तपिश और बढ़ गई है।अब जीतनराम मांझी भी गिरिराज सिंह के साथ खड़े दिख रहे हैं। गयाजी में पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कहा कि यह ठीक नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि आई लव मोहम्मद की बात कही जा रही है उसमें कहीं न कहीं सांप्रदायिकता है। इसी के चलते विरोध हो रहा है। पूजा करना सबका अधिकार है। सांप्रदायिकता फैलाना गलत बात है। धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए ऐसा किया जा रहा है तो इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह गलत नहीं कह रहे हैं। कोई आई लव मोहम्मद की बात करता है तो गिरिराज भी लव महादेव कहकर गलत नहीं करते हैं। इससे उनको जवाब मिलता है। इससे भी वे लोग सीख लें कि आई लव मोहम्मद कहकर संसार में प्रचारित नहीं करना चाहिए। धर्म धारण करने की चीज है। कुछ लोग प्रचार करके उन्माद फैलाना चाहते हैं। उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई का जिक्र किया। कहा, "विनय न माने जलधि जब गए तीन तीन बीत, बोले राम सकोप तब भय बिनु होई ना प्रीत। तो उनलोगों को भय तो देना होगा। गिरिराज सिंह उन्हीं के लहजे में बात करते हैं तो कोई गलत नहीं बोलते।" मांझी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तंज कसते हुए कहा है कि बीजेपी को खुश करने के लिए मांझी जी ऐसा बोल रहे हैं। स्पष्ट कर चुके हैं कि उन्हें पार्टी की मान्यता के लिए अधिक सीट चाहिए। लोजपा, जदयू और बीजेपी नेताओं ने मांझी के बयान का सपोर्ट का किया है।  

क्या सच में कांग्रेस की वजह से बनी ‘आप’? सांसद संजय सिंह ने बताई पूरी कहानी

नई दिल्ली साल 2011 में लोकपाल जनआंदोलन हुआ। आंदोलन से निकलकर आम आदमी पार्टी का गठन हुआ। आंदोलन का केंद्रीय चेहरा रहे अन्ना हजारे नई गठित पार्टी से ओझल हो गए। सांसद संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी बातचीत के दौरान आप के राजनीतिक दल बनने की एक वजह कांग्रेस को भी बताया। उन्होंने अन्ना हजारे द्वारा पार्टी न ज्वाइन करने और इसे एक राजनीतिक दल न बनाने की सलाह पर भी अपनी बात रखी। जानिए संजय सिंह के मुताबिक कांग्रेस की किस खामी के कारण आप का गठन हुआ? संजय सिंह ने आप के गठन की क्या वजह बताई? संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी कहानी को बताते हुए कहा- “पार्टी का गठन करना उस वक्त की जरूरत हो गई थी। अगर उस समय की कांग्रेस सरकार लोकपाल कानून पास कर देती तो शायद ये जरूरत ही नहीं पड़ती। और फिर कोई बहाना भी नहीं था कि आप इंडिया अगेंस्ट करप्शन को किसी राजनीतिक पार्टी में तब्दील कर दें।” कांग्रेस ने मिस हैंडल किया, इसलिए आप बनी राजनीतिक पार्टी भारत समाचार से बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा- “अगर उस समय की कांग्रेस सरकार इस आंदोलन को ठीक से हैंडल करती तो शायद हम लोगों को राजनीतिक पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोकपाल कानून पास कर देते तो सब लोग अपने-अपने काम में लग जाते। कोई संस्था चला रहा था, कोई कुछ और काम कर रहा था।” आगे बातचीत के दौरान कहा- "कांग्रेस ने मिस हैंडल किया। उन्होंने वादा करके बिल पास नहीं किया। इसी कारण आम आदमी पार्टी एक राजनीतिक पार्टी बनी"। अन्ना द्वारा आप न ज्वाइन करने पर संजय सिंह अन्ना हजारे द्वारा आम आदमी पार्टी में शामिल न होने वाले सवाल पर संजय सिंह ने बताया- "डेमोक्रेसी के अंदर हर व्यक्ति का निर्णय लेने का तरीका होता है, जिसका सम्मान करना चाहिए। अन्ना जी ने जो फैसला लिया उसका हम सम्मान करते हैं।" लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बनाते अन्ना हजारे पर बोलते हुए कहा, “अगर अन्ना जी ने शायद उस समय चुनावी राजनीति में आने का निर्णय लिया होता, तो परिणाम कुछ और होते। जिस तरह से लोगों का उनके प्रति उल्लास, उत्साह और जुनून था; हो सकता है लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बना देते।” संजय सिंह ने ये भी दावा किया- “मुझे लगता है कि उनसे राजनीतिक पार्टी बनाने की सहमति पहले ली गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने जो भी निर्णय लिया, हम उसका सम्मान करते हैं।”