samacharsecretary.com

डिजिटल युग में कदम: DU की सदी पुरानी सेंट्रल लाइब्रेरी का होगा मेकओवर

नई दिल्ली दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी को आधुनिक जमाने के अनुसार ढालने की तैयारी की जा रही है। लाइब्रेरी के विस्तार के बाद छात्रों के बैठने की क्षमता लगभग 3,400 हो जाएगी, जबकि वर्तमान में यहां केवल 700 सीटें उपलब्ध हैं। यह बदलाव केवल संरचनात्मक (ईंट-सीमेंट) तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लाइब्रेरी को डिजिटल सुविधाओं से भी लैस किया जाएगा। इसे देखते हुए डीयू में लाइब्रेरी का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जो छात्रों के अध्ययन और शोध के अनुभव को और बेहतर बनाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी अपने सैकड़ों साल पुराने इतिहास और विरासत को संभालकर रखती है। इसमें शामिल हैं.18वीं और 19वीं सदी की पांडुलिपियां, कई भाषाओं में लिखी दुर्लभ किताबें,दुर्लभ रत्न और ऐतिहासिक दस्तावेज, मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा जारी तीन मूल फरमान,यह लाइब्रेरी न केवल आधुनिक शिक्षा का केंद्र है, बल्कि भारतीय और वैश्विक ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में भी अहम भूमिका निभाती है। DU की सेंट्रल लाइब्रेरी का इतिहास दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1922 में हुई थी और उस समय इसकी लाइब्रेरी काफी साधारण थी। शुरुआत में इसमें केवल 1,380 उपहार में मिली किताबें और 86 पत्रिकाएं थीं और यह अस्थाई स्थानों से संचालित होती थी। साल 1933 से 1958 के बीच लाइब्रेरी वाइस रीगल लॉज के बॉलरूम में रही, और फिर 1958 में यह सेंट्रल लाइब्रेरी के वर्तमान भवन में शिफ्ट कर दी गई। शुरुआत में लाइब्रेरी में 1,500 से भी कम किताबें थीं, लेकिन आज इसका संग्रह बढ़कर 650,000 से ज्यादा किताबों तक पहुंच गया है। यह विकास लाइब्रेरी को छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए आधुनिक और विशाल अध्ययन केंद्र बनाता है। क्या है DU की लाइब्रेरी की खासियत? दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी की सबसे बड़ी खासियत इसकी बर्मा टीक की अलमारियां हैं। ये अलमारियां 1938 से 1952 के बीच डीयू के कुलपति और भारतीय संघीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मौरिस ग्वायर द्वारा दान की गई थीं। इन अलमारियों में 27,000 से ज्यादा थीसिस रखी गई हैं। इनमें से पहली थीसिस 1958 में जमा की गई थी, जिसका शीर्षक था ‘भागवत पुराण का एक आलोचनात्मक अध्ययन’। यह संग्रह न केवल लाइब्रेरी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि शोध और अकादमिक अध्ययन के लिए भी अमूल्य संसाधन है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के ऊपर के फ्लोर पर स्थित दुर्लभ पुस्तक रूम विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस पुस्तक रूम के संग्रह में शामिल हैं: मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा जारी तीन मूल फरमान (1676 ई., एएच 1087) जॉर्ज मेरेडिथ की कविताएं (1808) एडब्ल्यू किंगलेक की ईथेन (1863) 18वीं और 19वीं शताब्दी की तिब्बती पांडुलिपियां भारत के 750 ई. के मानचित्र यह संग्रह न केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों और पांडुलिपियों का भंडार है, बल्कि शोध और अध्ययन के लिए अमूल्य संसाधन भी प्रदान करता है। अब हो रहा लाइब्रेरी का विस्तार दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के विस्तार के लिए लंबे समय से जमीन रिजर्व रखी गई थी और अब इस योजना पर काम शुरू हो गया है। लाइब्रेरी में तीन नए विंग बनाए जा रहे हैं, जो सभी चार-मंजिला ब्लॉक होंगे। इस विस्तार से लाइब्रेरी का क्षेत्रफल 4,775 स्क्वायर मीटर से बढ़कर 18,525 स्क्वायर मीटर हो जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के विस्तार में आधुनिक तकनीक को भी शामिल किया गया है। नई योजना में बायोमेट्रिक गेट और मेटालिक चिप्स वाली किताबें शामिल हैं, जो लाइब्रेरी को डिजिटल और स्मार्ट बनाएंगी। इस पूरी योजना का बजट 110 करोड़ रुपये रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लाइब्रेरी के विस्तार का पहला चरण इस साल फरवरी में शुरू हुआ था और इसे दिसंबर के अंत तक पूरा किए जाने का अनुमान है। मुख्य बदलाव: लाइब्रेरी का क्षेत्रफल 4,775 से बढ़कर 18,525 स्क्वायर मीटर होगा। बैठने की क्षमता 700 से बढ़कर लगभग 3,400 सीटें होगी। तीन नए चार-मंजिला विंग बनेंगे। डिजिटलाइजेशन के जरिए पांडुलिपियों और दुर्लभ पुस्तकों को संरक्षित किया जाएगा। लाइब्रेरी में बायोमेट्रिक गेट और मेटालिक चिप्स वाली किताबें शामिल होंगी। डीयू ई-लाइब्रेरी पोर्टल से छात्रों को पूरे नेटवर्क के 17.5 लाख संसाधनों तक ऑनलाइन पहुंच मिलेगी। इस विस्तार और डिजिटल पहल से सेंट्रल लाइब्रेरी न केवल आधुनिक बनेगी, बल्कि शोध और अध्ययन के लिए एक सशक्त और स्मार्ट केंद्र के रूप में उभरेगी। डिजिटलाइजेशन पर दिया जा रहा जोर दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी, जो 100 साल पुरानी में ज्ञान का विशाल भंडार मौजूद है। यहां रखी किताबें और पांडुलिपियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें संरक्षित रखने के लिए डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। सेंट्रल लाइब्रेरी, डीयू के 34 लाइब्रेरी नेटवर्क का केंद्र है, जिसमें छात्रों को कुल 17.5 लाख पुस्तकें उपलब्ध हैं। अब डीयू ई-लाइब्रेरी पोर्टल के जरिए छात्रों को पूरे सिस्टम के सभी संसाधनों तक ऑनलाइन पहुंच मिलेगी, जिससे अध्ययन और शोध और अधिक सुलभ और प्रभावी हो जाएगा।

10 नई मुफ्त एम्बुलेंस सेवाओं के साथ दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी

नई दिल्ली राजधानी दिल्ली में आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए रेखा सरकार ने अहम कदम उठाया है। रविवार (5 अक्टूबर) को दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने ‘आकाश कम्युनिटी लाइफ सेवर्स (ACLS) निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा’  के तहत 10 नई एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा शुरू की गई यह पहल दिल्ली-NCR में त्वरित चिकित्सा सहायता मुहैया कराने और समय पर आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने एम्बुलेंस सेवा का शुभारंभ दिल्ली के द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में आयोजित समारोह से किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईपीएस अधिकारी रॉबिन हिबू, आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक डॉ. आशीष चौधरी और स्वास्थ्य क्षेत्र की कई नामी हस्तियां मौजूद रहीं। दिल्ली-NCR में शुरू की गई 10 मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं अत्याधुनिक तकनीक और आवश्यक आपातकालीन उपकरणों से सुसज्जित हैं। प्रत्येक एम्बुलेंस में निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं: कार्डियक मॉनिटर, डिफिब्रिलेटर, वेंटिलेटर, सक्शन मशीन, इन्फ्यूजन पंप, ग्लूकोमीटर, पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर, व्हीलचेयर, स्कूप स्ट्रेचर और स्पाइन बोर्ड, प्रशिक्षित पैरामेडिक स्टाफ और आपातकालीन दवाएं. ये एम्बुलेंस एआई, जीपीआरएस ट्रैकिंग और सीसीटीवी से लैस हैं, जिससे रियल-टाइम मॉनिटरिंग और त्वरित सेवा सुनिश्चित की जा सकेगी। सेवा का लाभ लेने के लिए लोग टोल-फ्री नंबर 1800-303-8888 पर कॉल कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने किया एम्बुलेंस सेवा के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने सरकारी और निजी भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि जब सरकारी संस्थान निजी अस्पतालों या संस्थाओं के साथ मिलकर जनता को सेवाएं प्रदान करते हैं, तो उस राज्य की दशा और दिशा दोनों बदल जाती है। चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग के लिए हम इस एम्बुलेंस सेवा के शुभारंभ का स्वागत करते हैं।” एक कॉल पर मरीज तक पहुंचेगी एम्बुलेंस स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि इस नई एम्बुलेंस सेवा के शुरू होने से आदर्श प्रतिक्रिया समय 30 मिनट से घटकर लगभग 25 मिनट हो गया है। उन्होंने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कॉल करते ही एम्बुलेंस तुरंत मरीज तक पहुंच सके। डॉ. सिंह ने कहा कि राजधानी में कॉलर सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम चल रहा है और आकाश हॉस्पिटल समेत अन्य संस्थानों से भी उन्होंने आग्रह किया कि इस दिशा में और तेजी से सुधार करें। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि यह एम्बुलेंस सेवा दिल्ली के लिए बेहतर सुविधा के साथ एक प्रशंसनीय कदम है। उन्होंने सभी संस्थाओं से अपील की कि भविष्य में ऐसे ही सहयोगात्मक प्रयास किए जाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ACLS एम्बुलेंस सेवा पूरी तरह से निःशुल्क है और इसके लिए दिल्ली की जनता से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। मिलावटी खाद्य पदार्थों पर नजर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि त्योहारी सीजन में राजधानी दिल्ली में मिलावटी खाद्य पदार्थों पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीमें पूरी तरह सक्रिय हैं और मिलावटखोरों के खिलाफ लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। सिंह ने बताया कि राजधानी के विभिन्न स्थानों और बड़ी मंडियों में छापेमारी की कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है और आगे भी यह अभियान लगातार जारी रहेगा, ताकि त्योहारों के दौरान जनता को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराए जा सकें। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने मिलावटखोरों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति या संस्था जो मिलावटी या नकली खाद्य पदार्थ बेचते हुए पकड़ा जाएगा, उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। डॉ. सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और फूड सेफ्टी की टीमें पूरी तैयारी के साथ लगातार छापेमारी में जुटी हैं और राजधानी में मिलावट करने वाला कोई भी बच नहीं पाएगा।

AQI अलर्ट: दिवाली से पहले ग्रेटर नोएडा ने छूई खतरनाक सीमा, देश में सबसे प्रदूषित शहर बना

ग्रेटर नोएडा ठंड बढ़ने के साथ ही सर्दी और वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है, लेकिन इस बार भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तैयारी लगभग न के बराबर है। दोनों विभाग टूटी-फूटी और धूल वाली सड़कों की सफाई के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं, जबकि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान लागू करने से पहले ही वायु प्रदूषण के स्रोत समाप्त करने का निर्देश दिया है। शनिवार को ग्रेटर नोएडा देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया। ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 227 मापा गया है। जैसे ही सर्दियाँ आती हैं, दिल्ली एनसीआर क्षेत्र की हवा प्रदूषित हो जाती है। हर साल यह समस्या दोहराती है, इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ठंड शुरू होने से पहले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसमें सड़कों से धूल हटाना, टूटी हुई सड़कों की मरम्मत करना, ट्रैफिक जाम दूर करना, खुले में कचरा फैलाने और जलाने पर रोक लगाना शामिल है। हालांकि इस बार भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। शहर की अधिकांश सड़कें खराब हालत में हैं, जहां धूल बिखरी हुई है और वाहनों की आवागमन से हवा में धूल उठ रही है। फिर भी धूल हटाने की कोई योजना बनाई नहीं गई है। सांस लेना भी मुश्किल ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। लोग बताते हैं कि 1 से 15 अक्टूबर के बीच वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। इस बार दिवाली और अन्य त्योहर भी हैं, जिनमें आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण और गहरा हो जाता है, जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है। इसके बावजूद प्राधिकरण और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोई तैयारी नहीं की है, जिससे लोगों को प्रदूषण सहन करना पड़ सकता है। बारिश के बाद मिली तीन दिन की राहत खत्म होते ही ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है। पिछले 24 घंटों में यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 123 अंक बढ़कर ऑरेंज जोन में पहुंच गया है। जहां शुक्रवार को एक्यूआई 104 था, वहीं शनिवार को यह 227 तक पहुंच गया। यदि यही स्थिति बनी रही, तो अगले दो दिनों में एक्यूआई 300 से ऊपर चले जाएगा।

दिल्ली-NCR के लिए बड़ी खबर: जेवर एयरपोर्ट से दिल्ली तक बनेगा सुपरफास्ट एक्सप्रेसवे

नई दिल्ली दिल्ली, नोएडा और ग्रेटर नोएडा वासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए एक नया 30 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा, जो जेवर एयरपोर्ट से सीधे दिल्ली तक पहुंचेगा। यह नया एक्सप्रेसवे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर बनाया जाएगा और यमुना नदी को पार करते हुए पुस्ता रोड के जरिए दिल्ली तक पहुंचेगा। यह सड़क नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ते हुए दिल्ली के यातायात को आसान बनाएगी। परियोजना को किसने बढ़ावा दिया? इस प्रोजेक्ट की शुरुआत गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा के प्रयासों से हुई थी। अब इस योजना को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का भी समर्थन मिल गया है। हाल ही में जेवर एयरपोर्ट के दौरे पर उन्होंने फंडिंग देने का ऐलान भी किया। यात्रा का समय घटेगा अभी जेवर से दिल्ली तक पहुंचने में करीब 2 घंटे लगते हैं। नए एक्सप्रेसवे से यह दूरी सिर्फ 30 मिनट में तय की जा सकेगी, जिससे यात्रियों को काफी राहत मिलेगी। 1.20 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का हिस्सा नितिन गडकरी के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-NCR में चल रहे 1.20 लाख करोड़ रुपये के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का हिस्सा है। अब तक इनमें से आधा काम पूरा हो चुका है। आने वाले समय में सरकार यहां 40 से 50 हजार करोड़ रुपये और निवेश करने को तैयार है। भीड़भाड़ होगी कम नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर रोजाना लगभग 5 लाख वाहन चलते हैं। इनमें से करीब 2 लाख वाहन डीएनडी से गुजरते हैं। चिल्ला बॉर्डर, कालिंदी कुंज और सेक्टर 15, 16, 18, 37 जैसे क्षेत्रों से भी भारी ट्रैफिक आता है। पीक ऑवर में अक्सर जाम लग जाता है, जिससे लोगों को भारी परेशानी होती है। नया एक्सप्रेसवे इन वाहनों को बायपास कराकर सीधे जेवर एयरपोर्ट तक ले जाएगा। जेवर एयरपोर्ट के लिए खास एक्सप्रेसवे यह एक्सप्रेसवे खासतौर पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। यूपी सरकार के अनुसार, 2025 के अंत तक एयरपोर्ट का संचालन शुरू हो जाएगा, जिसके बाद इस एक्सप्रेसवे की जरूरत और बढ़ जाएगी। कौन बनाएगा एक्सप्रेसवे? नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी से फंडिंग को लेकर चर्चा की गई है। तीनों अथॉरिटीज़ का सुझाव है कि यह प्रोजेक्ट NHAI (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) को सौंपा जाए ताकि केंद्र सरकार और अन्य स्रोतों से मिलने वाली फंडिंग का सही उपयोग हो सके।  दिल्ली-NCR के लोगों को ट्रैफिक की परेशानी से राहत देने और जेवर एयरपोर्ट से दिल्ली की कनेक्टिविटी मजबूत करने के लिए यह नया एक्सप्रेसवे एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।  

बेंगलुरु को पसंद किया रूस की महिला ने, कहा- रिटायरमेंट में रहने के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन

नई दिल्ली भारत के सिलिकॉन सिटी के नाम से जाना जाने वाला बेंगलुरु अब विदेशी लोगों की भी पहली पसंद बनता जा रहा है। इस दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रूस की एक महिला ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू को अपना पसंदीदा शहर करार दिया है। दरअसल, यूलिया नाम की एक रूसी महिला ने हाल ही में एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में उन्होंने अपने विचार को साझा किया और बेंगलुरु को भारत में रहने के लिए सबसे बेहतरीन शहर बताया। साइबेरिया में जन्मी और पली-बढ़ी यूलिया ने कहा कि बेंगलुरु का मौसम और जीवनशैली इसे भारतीय शहरों में उनकी पहली पसंद बनाती है। इंस्टाग्राम पर शेयर किया वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में उन्होंने बेंगलुरु को धूपदार, गर्म और हरा-भरा बताया है। इसके अलावा उन्होंने भारत के अन्य महानगरों की तुलना में इस शहर को एकदम संतुलित बताया है। अपने वीडियो में उन्होंने बताया कि दिल्ली और जयपुर में सर्दियां जमने वाली लगती हैं, जबकि चेन्नई और मुंबई बहुत ज़्यादा गर्मी होती है। उन्होंने कहा कि अपने सुहावने मौसम के कारण उनको बेंगलुरू एकदम सही लगा। ट्रैफिक की समस्या का ना करें जिक्र अपने इस वीडियो संदेश में यूलिया ने शहर के संस्कृति की भी सराहना की। उन्होंने इस शहर को भारत की पब राजधानी करार दिया और रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए स्वर्ग बताया। हालांकि, उन्होंने अपने पोस्ट में लोगों से शहर के ट्रैफिक के बारे में जिक्र ना करने की अपील की है। कई लोगों को पसंद आता है बेंगलुरु उल्लेखनीय है कि तापमान और यहां के वातावरण के कारण बेंगलुरु भारत में ही रहने वाले कई लोगों के लिए पहली पसंद है। मुंबई, चेन्नई और दिल्ली जैसे शहरों की तुलना में, बेंगलुरु में साल भर हल्का तापमान रहता है और आसपास का हरा-भरा वातावरण शहर को ठंडा रखने में मदद करता है।  

यूपीएससी प्रीलिम्स के बाद तुरंत प्रकाशित होगी अंतरिम आंसर-की

नई दिल्ली संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसने प्रारंभिक परीक्षा के बाद अंतरिम उत्तर कुंजी प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। आयोग सिविल सेवा परीक्षा समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करता है। अभी तक अंतिम परिणाम जारी होने के बाद ही उत्तर कुंजी जारी होती थी। यूपीएससी ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद अंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित की जाएगी। यह हलफनामा सिविल सेवा परीक्षा से संबंधित लंबित याचिका पर दाखिल किया गया था। यूपीएससी ने कहा कि मामले के लंबित रहने के दौरान उसने अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र के सुझाव समेत विभिन्न कारकों पर विचार-विमर्श किया है। अधिवक्ता वर्धमान कौशिक के माध्यम से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है, व्यापक विचार-विमर्श और संवैधानिक निकाय के रूप में यूपीएससी को सौंपी गई भूमिका के मद्देनजर आयोग इस निर्णय पर पहुंचा है कि प्रारंभिक परीक्षा आयोजित होने के बाद अंतरिम उत्तर कुंजी प्रकाशित किया जाए। हलफनामे में कहा गया है कि परीक्षा में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों से अभ्यावेदन या आपत्तियां मांगी जाएंगी। प्रत्येक ऐसे अभ्यावेदन या आपत्ति के समर्थन में तीन प्रामाणिक स्त्रोत्र देना होगा तथा जिन आपत्तियों के पक्ष में प्रामाणिक स्त्रोत्र नहीं हो, उन्हें शुरुआत में ही खारिज कर दिया जाएगा। आयोग तय करेगा कि प्रस्तुत स्त्रोत प्रामाणिक हैं या नहीं। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि अंतरिम उत्तर कुंजी तथा प्रश्न पत्र एवं उत्तर कुंजी पर उम्मीदवारों से प्राप्त आपत्तियों या अभ्यावेदन को संबंधित विषय के विशेषज्ञों की टीम के समक्ष रखा जाएगा, जो सभी पहलुओं पर विचार करेगी और उत्तर कुंजी को अंतिम रूप देगी। विषय विशेषज्ञों की टीम द्वारा तैयार की गई ऐसी अंतिम उत्तर कुंजी प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों की घोषणा का आधार बनेगी। हलफनामे में कहा गया है कि आयोग इन प्रक्रियाओं का पालन यथाशीघ्र शुरू करना चाहता है। यूपीएससी द्वारा लिया गया निर्णय याचिका में उठाई गई शिकायतों का प्रभावी और पर्याप्त निवारण माना जाए।  

कोचिंग से आज़ादी! पीएम ई-विद्या के जरिए अब घर पर ही पढ़ाई संभव

नई दिल्ली आपका बच्चा यदि स्कूल में है और आप उसके ट्यूशन और कोचिंग पर हर महीने एक बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं तो अब आप इससे बच सकते हैं। आपके बच्चे को कोचिंग से बेहतर शिक्षा अब घर बैठे ही पीएम ई-विद्या के जरिए मिल सकती है। केंद्र सरकार ने स्कूलों बच्चों के बीच तेजी से बढ़ी कोचिंग संस्कृति को खत्म करने की दिशा में यह अहम पहल की है। जिसमें बच्चों को बालवाटिका से बारहवीं तक के सभी विषयों की अध्ययन सामग्री अब पीएम ई-विद्या के तहत शुरू किए गए टीवी चैनलों और मोबाइल एप पर मुहैया होगी। जिसे बच्चे अपनी सुविधा के अनुसार देख और पढ़ सकते है। चैट के जरिए मिलेंगे सवालों के जवाब पढ़ाई के दौरान छात्रों के मन में उससे जुड़े किसी तरह के सवाल होंगे, तो चैट के जरिए उसके भी जवाब पा सकेंगे। यह सब बिल्कुल मुफ्त होगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी ) की देखरेख में स्कूली बच्चों के लिए शुरू हुई इस मुहिम में प्रत्येक कक्षा के लिए एक समर्पित टीवी चैनल के साथ अब एक मोबाइल एप भी तैयार किया है। जिसको आइओएस और एनड्राइड दोनों तरह के मोबाइल फोन में डाउनलोड किया जा सकता है। इनमें बालवाटिका यानी प्री-प्राइमरी के लिए भी पहली बार एक समर्पित चैनल और मोबाइल एप बनाया गया है। क्या इस एप की खास बात? खासबात यह इससे जुड़ी अध्ययन सामग्री को तैयार करने या छात्रों की मदद के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अलग-अलग विषयों के देश के श्रेष्ठ शिक्षकों को लगाया गया है। एनसीईआरटी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक मोबाइल एप शुरू होने के करीब दो सप्ताह में एक करोड़ छात्र पीएम ई-विद्या एप से जुड़ गए हैं। वैसे तो इसका लक्ष्य स्कूलों में पढ़ने वाले सभी 25 करोड़ छात्रों तक पहुंचने का है। खासकर दूरदराज और पिछले क्षेत्रों के बच्चों तक पहुंचने पर सबसे अधिक फोकस है। एप के जरिए छात्र अपनी कक्षाओं से जुड़ी अध्ययन सामग्री को कभी भी देख सकेंगे। यह 30 भारतीय भाषाओं में तैयार की जा रही है। गौरतलब है कि पीएम ई-विद्या की सोच वैसे तो कोरोना काल में निकलकर सामने आयी है, जिसमें दो सौ टीवी चैनल शुरू करने की घोषणा की गई थी। हालांकि इसकी शुरूआत पिछले साल यानी दिसंबर 2024 में हो पायी। अब इसमें नए-नए सुधार किए जा रहे हैं।  इस तरह हुआ है दो सौ टीवी चैनलों का बंटवारा पीएम ई-विद्या के तहत शुरू किए गए दो सौ टीवी चैनलों में से 16 चैनल अकेले एनसीईआरटी के पास है जबकि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भी पांच-पांच चैनल दिए गए है। मणिपुर में उग्रवाद को देखते हुए उसे दस टीवी चैनल दिए गए है। यह टीवी चैनल 24 घंटे बच्चों को पढ़ाते है। राज्यों के चैनलों पर मुहैया कराई जाने वाली अध्ययन सामग्री पर भी एनसीईआरटी नजर रखता है। जरूरत पड़ने पर या खराब गुणवत्ता पर उन्हें जरूरी निर्देश भी देता है। नीट-जेईई जैसी परीक्षाओं को भी कोचिंग के चंगुल से मुक्त कराने की पहल स्कूली बच्चों को को¨चग संस्कृति से छुटकारा दिलाने की इस पहल से पहले नीट-जेईई जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं को भी कोचिंग के चंगुल के मुक्त कराने की दिशा में केंद्र ने जरूरी कदम उठाए है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी का अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी भी गठित की है। जिसे इन परीक्षाओं के पैटर्न को कुछ इस तरह से तैयार करने का सुझाव दिया गया है ताकि बगैर कोचिंग के बच्चे भी इनमें आसानी से चयनित हो सके। कमेटी इसे लेकर एक दौर की बैठक भी कर चुकी है। जिसमें चयनित बच्चों के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाली इन परीक्षाओं में इससे जुड़े कुछ बदलाव दिख सकते हैं।  

शीश महल में नया चेहरा: सरकारी अतिथि गृह और सार्वजनिक कैफेटेरिया जल्द खुलने वाला

नई दिल्ली दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित विवादास्पद सरकारी आवास, जिसे 'शीश महल' के नाम से जाना जाता है, अब एक नए स्वरूप में नजर आएगा। दिल्ली की भाजपा सरकार ने इस बंगले को एक राजकीय अतिथि गृह (स्टेट गेस्ट हाउस) में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। इस अतिथि गृह में आम जनता के लिए एक फूड आउटलेट (भोजनालय) भी खोला जाएगा। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शनिवार को इस योजना की जानकारी देते हुए बताया कि सिविल लाइंस स्थित इस बंगले को एक सार्वजनिक सुविधा केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव लगभग अंतिम चरण में है। योजना के अनुसार, परिसर में एक कैफेटेरिया स्थापित किया जाएगा, जहाँ अन्य राज्यों के भवनों की तरह पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे और यह सुविधा आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "सरकार बंगला नंबर 6 को राजकीय अतिथि गृह में बदलने के निर्णय के करीब है। इसका उपयोग अन्य राज्यों के अतिथि गृहों की भांति ही किया जाएगा, जहाँ बैठकें आयोजित हो सकेंगी और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के लिए आने वाले अधिकारी व मंत्री भुगतान के आधार पर ठहर सकेंगे।" इस प्रस्ताव के तहत परिसर में पार्किंग स्थल, प्रतीक्षा कक्ष और अन्य आवश्यक सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा। हालांकि, इस योजना को अभी उच्च अधिकारियों से अंतिम मंजूरी मिलनी शेष है। फिलहाल, इस बंगले के रखरखाव के लिए लगभग 10 कर्मचारियों की एक टीम तैनात है, जो नियमित रूप से साफ-सफाई और विद्युत उपकरणों का संचालन सुनिश्चित करती है। गौरतलब है कि यह बंगला अपने नवीनीकरण में हुए कथित अत्यधिक खर्च और अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों के केंद्र में रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाते हुए 'शीश महल' की संज्ञा दी थी। वर्ष 2022 में, दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा बंगले के नवीनीकरण में हुई कथित अनियमितताओं और अत्यधिक लागत की जांच भी शुरू की थी। सरकार के इस नए कदम को उस विवादित अध्याय को समाप्त कर संपत्ति का सार्वजनिक उपयोग सुनिश्चित करने की एक पहल के रूप में देखा जा रहा है।  

राहुल का विदेशी मंचों पर भरोसा BJP के लिए सिरदर्द, ‘भारत-विरोधी संस्कारों’ का आरोप

नई दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शनिवार को कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का भारत की धरती से अधिक भरोसा विदेशी मंचों पर जताना उनके ‘भारत-विरोधी संस्कारों’ को दर्शाता है। सचदेवा ने एक्स पोस्ट में राहुल गांधी के हालिया बयानों की आलोचना करते हुए लिखा कि लोकतंत्र पर भाषण देने से पहले उन्हें अपनी पार्टी का इतिहास देखना चाहिए। इमरजेंसी की याद आज भी भारत की आत्मा में जिंदा है। भारत को कमजोर बताने वाले आपके बयान हर देशवासी के आत्मसम्मान पर प्रहार हैं।  सचदेवा ने कहा कि भारत आज आत्मविश्वास के साथ विश्व मंच पर खड़ा है, लेकिन राहुल उस आत्मविश्वास को तोड़ने का काम कर रहे हैं। उन्होंने इसे राजनीतिक मतभेद से आगे बताते हुए कहा, “यह विरोध नहीं, वतन से वैर है; यह राजनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि मानसिक दिवालियापन है।” भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सचदेवा ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में विरोध जरूरी है, लेकिन देश की बदनामी कतई स्वीकार्य नहीं। बार-बार भारत की धरती से ज्यादा भरोसा विदेशी मंचों पर जताना आपके भारत-विरोधी संस्कारों की निशानी है। आप अब अपमान के प्रतीक बन चुके हैं।  

इतिहास रचा दिल्ली में: 27 साल बाद सनातनी सरकार, रेखा गुप्ता ने किया खुलासा

नई दिल्ली दिल्ली में बहुत कुछ पहली बार हो रहा है। 27 साल बाद कोई सनातनी सरकार आई है। दिल्ली के लोगों का दुख-दर्द कम करने की चिंता भी किसी सरकार ने पहली बार की है। यह कहना था दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता था। जिन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से की जा रहीं छठ पर्व की तैयारियों के बारे में बताने के दौरान ये कहा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांवड़ का त्योहार कितनी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। अभी रामलीला भी सभी ने देखी, कितने जोरों शोरों से हर एक सुविधा दिल्ली सरकार ने दी। ऐसा ही इंतजाम दुर्गा पंडालों को लेकर भी किए गए।  छठ पर्व पर भी उतनी ही भव्यता के साथ सारी सुविधाएं दिल्ली सरकार प्रदान करेगी। सभी विभाग अपने कामों को मुस्तैदी कर रहे हैं। हजारों की संख्या में छठ के घाट तैयार किए जाएंगे और लाखों लोग भक्तजन पूजा करेंगे। उन्होंने कहा कि सालों बाद यमुना किनारे छठ मनाई जाएगी। सरकार इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, इस बार छठ व्रतियों को सुंदर और एतिहासिक छठ पर्व मनाने का मौका मिले। पल्ला से लेकर ओखला तक जहां-जहां आबादी है, वहां दिल्ली सरकार छठ घाट तैयार करेगी। इसके अलावा शहर के अंदर भी हजार से ज्यादा प्वाइंट छठ पूजा के लिए बनाए जाएंगे। इस बार सुंदर और विशिष्ट छठ मनाई जाएगी।  छठ पर्व को लेकर किसी भी प्रकार की व्यवस्था की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार है, उसके बाद यहां की स्वच्छता की जिम्मेदारी भी दिल्ली सरकार की है। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि मैं ये मानती हूं, छठ के अर्घ्य से यमुना किसी भी हाल में गंदी हो ही नहीं सकती। यह एक पवित्र त्योहार है। स्वच्छता का त्योहार है। प्रकृति का त्योहार है, प्रकृति के साथ मिलकर लोग पूजा करें।