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राजनीतिक खेल में उलटफेर: लालू और तेजस्वी ने कांग्रेस की उम्मीदों को किया मात

पटना  बिहार चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन के भीतर आपसी रंजिश खत्म होने का नाम नहीं ले रही। कई सीटों पर गठबंधन के घटक दल- कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने हैं। ऐसे में बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षक और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मिलने गए थे लेकिन उनके बीच कोई पुख्ता बातचीत नहीं हो सकी। आरजेडी नेतृत्व ने कांग्रेस को खाली हाथ लौटाया मगर गहलोत ने मीडिया में बातचीत के दौरान कहा कि कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी, जिसमें तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। बैठक के बाद अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा, “लालू जी और तेजस्वी जी से बहुत अच्छी बातचीत हुई। तमाम काम अच्छे से चल रहे हैं। 5-7 सीटों पर फ्रेंडली फाइट है, एक-दो दिन में जो भी भ्रम है, वह पूरी तरह दूर हो जाएगा।” कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट आम: अशोक गहलोत गहलोत ने माना कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से कुछ पर महागठबंधन के घटक दल आमने-सामने आ सकते हैं। उन्होंने इसे मतभेद नहीं बल्कि लोकतांत्रिक जोश का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “कभी-कभी कार्यकर्ताओं में उत्साह होता है, स्थानीय परिस्थितियों में ऐसी स्थितियां आती हैं। इसे कमजोरी नहीं, मजबूती की निशानी समझिए।” गौरतलब है कि करीब 11 सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी दोनों के उम्मीदवारों ने दावेदारी ठोक दी है, जिससे अंदरूनी नाराजगी बढ़ी है। खासकर सीमांचल और कोसी इलाकों में कई ऐसी सीटें हैं जहां सीट एडजस्टमेंट पर सहमति नहीं बन पाई है। लड़ाई जनता के भविष्य की है: कृष्णा अल्लावरु इस बीच, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने भी साफ किया कि पार्टी का लक्ष्य सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि बिहार के लोगों का भविष्य है। उन्होंने कहा, “बिहार में मुकाबला 243 सीटों पर है और यह सीधी लड़ाई एनडीए के खिलाफ है। हम जनता के मुद्दों को लेकर मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।” अल्लावरु ने विश्वास जताया कि महागठबंधन जनता के मुद्दों पर मजबूती से चुनाव लड़ेगा और बिहार में बदलाव की बयार लाएगा। महागठबंधन में भरोसे की बात लेकिन जमीन पर खिंचतान बरकरार हालांकि कांग्रेस नेताओं के बयान में एकता का संदेश साफ झलकता है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और कहती है। अंदरखाने आरजेडी और कांग्रेस दोनों के कार्यकर्ताओं में टिकट को लेकर असंतोष है। कई जगह कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी भी जताई है। अब सबकी नजरें लालू-तेजस्वी और कांग्रेस की अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं। सवाल ये है कि क्या यह दोस्ताना मुकाबला सच में दोस्ताना रहेगा या चुनावी रण में मतों की कीमत पर भारी पड़ जाएगा?  

चलती ट्रेन में विस्फोट से दहशत! आनंद विहार-सहरसा अमृत भारत एक्सप्रेस में मची अफरा-तफरी

बस्ती आनंद विहार से चलकर सहरसा जाने वाली 15558 डाउन ट्रेन में विस्फोट के बाद ट्रेन के एक बोगी में भगदड़ मच गई। इसकी जीआरपी बस्ती इसकी छानबीन कर रही है। बुधवार की भोर करीब 2:45 पर आनंद विहार से चलकर सहरसा जाने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन जैसे ही गौर रेलवे स्टेशन के आगे ओवर ब्रिज के समय पहुंची वैसे ही यात्रियों ने चेन पुलिंग कर ट्रेन को रोक दिया। एक बोगी में बैठे यात्री उतरकर इधर-उधर भागने लगे। पूछने पर यात्रियों ने बताया कि ट्रेन में विस्फोट हो गया है। डर और दहशत से बदहवास लोग ट्रैक पर ही दौड़ने लगे। बाद में घटना की सूचना पर तत्काल मौके पर गौर पुलिस पहुंच गई और यात्रियों को समझा बूझकर ट्रेन में बैठाया । इस बीच ट्रेन लगभग 34 मिनट ओवर ब्रिज के नीचे खड़ी रही बाद में सिग्नल होने पर अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई। स्थानीय लोगों के मुताबिक ट्रेन में बैठे दो यात्री झुलस भी गए थे, अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रेन में कोई यात्री पटाखा लेकर यात्रा कर रहा था और अचानक उसमें विस्फोट होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई। इस संबंध में जीआरपी इंस्पेक्टर बस्ती पंकज कुमार ने बताया कि ट्रेन में कुछ धमाके की आवाज होने की बात सामने आई है। मामले की जांच चल रही है। ट्रैक किनारे मिला युवक का शव बुधवार की सुबह गौर रेलवे स्टेशन के पश्चिमी छोर पर डाउन ट्रैक किनारे ही एक लगभग 31 वर्षीय युवक का शव पाया गया है। मौके पर पहुंची जीआरपी ने शव को कब्जे में लेकर उसकी पहचान करने में घंटों जुटी रही पर उसकी पहचान नहीं हो पाई। चर्चा है की कहीं ट्रेन में हुई भगदड़ के बाद उसी ट्रेन से ही युवक के गिर जाने के कारण मौत तो नहीं हो गई। फिलहाल मामले की जांच जीआरपी कर रही है। इस संबंध में जीआरपी इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने बताया कि भगदड़ के समय युवक के गिरने की पुष्टि नहीं है।  

राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक! तेजस्वी यादव का वादा – संविदा कर्मियों को स्थायीत्व, जीविका दीदियों को मिलेगा सम्मान और सैलरी

पटना  बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कई बड़े चुनावी ऐलान किए हैं. उन्होंने कहा कि जीविका दीदियों को हम लोग 30 हजार वेतन और सरकारी कर्मचारी दर्जा देंगे. इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि हमारी सरकार बनने के बाद सभी संविदा कर्मियों को स्थाई किया जाएगा. इस पहले तेजस्वी ने पहला चुनावी वादा करते हुए कहा था कि हमारी सरकार बनने के बाद 20 महीने के अंदर हर परिवार में सरकारी नौकरी होगी. उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को 10 हजार रुपये रिश्वत के तौर पर देने का काम किया गया, जिसे यह सरकार वापस कराएगी. तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने हर घर नौकरी का ऐलान किया था और आज इसके बारे में एक ऐतिहासिक घोषणा करने जा रहे हैं.  तेजस्वी यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार से पूरा बिहार गुस्से में है, डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार और अपराध है. इस सरकार ने हमारी योजनाओं की नकल की. तेजस्वी यादव ने कहा कि नामांकन का दौर खत्म हो चुका है और अब चुनाव प्रचार का समय आ गया है. बिहार की जनता ने परिवर्तन का मन बना लिया है और लोग डबल इंजन की सरकार से त्रस्त हैं. बेरोजगारी और महंगाई से परेशान जनता के लिए उन्होंने कई घोषणाएं की थीं, लेकिन वर्तमान सरकार ने उनकी योजनाओं की नकल की.  तेजस्वी यादव ने कहा, "दौरे के वक्त मुझसे जीविका दीदियों का समूह मिला था, जिनकी बातें सुनकर उन्होंने यह फैसला किया है. अगर मेरी सरकार बनती है, तो जीविका दीदियों में से जो CM दीदी हैं, उन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाएगी. साथ ही, उनकी नौकरी को भी स्थाई किया जाएगा. कर्ज माफी का वादा तेजस्वी यादव ने कहा कि जीविका दीदियों द्वारा लिए गए सभी ऋणों के ब्याज को माफ किया जाएगा. साथ ही अगले दो साल तक उन्हें ब्याज मुक्त ऋण देने की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि जीविका समूह की दीदियों को अन्य सरकारी कार्यों के लिए हर महीने 2,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. इसके अलावा तेजस्वी ने कहा कि  दीदियों को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाएगा. जीविका समूह की अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को मानदेय देने का भी ऐलान किया गया. BETI-माई योजना तेजस्वी यादव ने बताया कि जल्द ही “BETI योजना” और “माई योजना” शुरू की जाएगी. उन्होंने समझाया कि BETI योजना का अर्थ है – बेनिफिट, एजुकेशन, ट्रेनिंग और इनकम. इस योजना के तहत सरकार बेटियों के जन्म से लेकर आय के साधन तक हर कदम पर मदद करेगी. स्थायी सरकारी नौकरी का वादा तेजस्वी यादव ने इस मौके पर संविदाकर्मियों के लिए भी बड़ा वादा किया. उन्होंने कहा कि बिहार के सभी संविदाकर्मियों को स्थायी सरकारी नौकरी का दर्जा दिया जाएगा. जो कर्मचारी एजेंसी के माध्यम से काम कर रहे हैं, उन्हें भी स्थायी किया जाएगा. तेजस्वी ने कहा कि संविदाकर्मी बिना सुरक्षा, वेतन गारंटी और छुट्टी के काम करने को मजबूर हैं. कई बार बिना कारण बताए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती हैं, और वेतन से 18 प्रतिशत जीएसटी तक काटा जाता है. तेजस्वी यादव ने कहा, “यह संविदाकर्मियों के सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला होगा. अब उन्हें स्थायित्व और अधिकार दोनों मिलेंगे.” उन्होंने आगे कहा कि जीविका दीदियों को स्थाई नियुक्ति के साथ 30 हजार रुपये प्रतिमाह का वेतन दिया जाएगा. इसके अलावा, जीविका दीदियों को दिए गए ऋण माफ किए जाएंगे. उन्हें ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा, और 2 साल तक के लोन पर कोई ब्याज नहीं लगेगा. महिलाओं के लिए 'BETI' और 'MAA' योजना तेजस्वी यादव ने महिलाओं के लिए 'BETI' योजना लाने की घोषणा की. इसके अलावा, उन्होंने 'MAA' योजना लाने का भी ऐलान किया है, जिसका अर्थ उन्होंने इस प्रकार बताया: M से मकान, A से अन्न, और A से आमदनी. यह जीविका दीदियों के बाद उनकी दूसरी सबसे बड़ी घोषणा है, जो महिलाओं को ध्यान में रखकर की गई है. तेजस्वी यादव ने संविदा कर्मियों के लिए भी ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार आती है, तो संविदा कर्मियों को स्थाई किया जाएगा. उन्होंने वादा किया कि संविदा कर्मियों की नौकरी को भी स्थाई कर दिया जाएगा.  

बिहार में विपक्षी एकता पर सवाल: RJD-कांग्रेस के बीच हर मोर्चे पर मतभेद

पटना  बिहार के महागठबंधन में आपसी तकरार के बाद अब साझा चुनाव प्रचार अभियान पर संकट छा गया है. कई सीटों पर 'फ्रेंडली फाइट' होने के बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच दूरी बढ़ती नजर आ रही है. इसके चलते साझा घोषणा पत्र पर भी बातचीत आगे नहीं बढ़ पा रही है.  महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. आरजेडी और कांग्रेस दोनों के अपने-अपने चुनावी वादे हैं.सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी के साथ गतिरोध खत्म करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को लगाया जा सकता है. इसी क्रम में अशोक गहलोत का आज पटना दौरा होगा और तेजस्वी यादव से उनकी मुलाकात मुमकिन है. आरजेडी से रिश्ते में खटास आने के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावारु को कांग्रेस ने पीछे हटाया है. क्या है आरजेडी कांग्रेस की उम्मीद? जानकारी के मुताबिक गुरुवार को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है और गठबंधन के नेताओं को उम्मीद है कि वे कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट से बचने के लिए उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लेंगे। मंगलवार तक महागठबंधन 12 सीटों पर ‘दोस्ताना मुकाबला’ की ओर बढ़ रहा है। इनमें से तीन सीटें बछवाड़ा, राजापाकर और बिहार शरीफ हैं। यहां 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान होगा, वहां नामांकन वापसी की तारीख भी निकल चुकी है। दोनों के बीच रिश्ते पटरी पर लौटने के मिल रहे संकेत सूत्रों ने बताया कि बची हुई सीटों में से वैशाली जिले के लालगंज से कांग्रेस ने पहले ही अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है, जबकि उसके और राजद के बीच यह सहमति बन गई है कि प्राणपुर (कटिहार) और एक अन्य सीट से केवल एक ही उम्मीदवार मैदान में रहेगा। राजद ने सोमवार को 143 उम्मीदवारों की अपनी आधिकारिक सूची जारी की, जबकि कांग्रेस ने 61 उम्मीदवारों की घोषणा की है। बिहार में कुल 243 सीटें हैं। महागठबंधन के अन्य सहयोगियों में विकासशील इंसान पार्टी, वामपंथी दल और भारतीय समावेशी पार्टी शामिल हैं। एक महीने पहले महागठबंधन आगे बढ़ता हुआ दिख रहा था, जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने संयुक्त मतदाता अधिकार रैली निकाली थी, और ऐसा प्रतीत हुआ था कि उन्होंने चुनाव आयोग के विवादास्पद विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में एक विश्वसनीय मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर लिया है। हालांकि, उसके बाद से लगाता तनाव बढ़ता जा रहा है। तेजस्वी यादव की सीएम उम्मीदवारी पर संशय राजद ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तेजस्वी को महागठबंधन का आधिकारिक मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर चुनाव लड़ना चाहती है। तेजस्वी ने मतदाता अधिकार रैली के दौरान भी इस बारे में खुलकर बात की थी लेकिन यह बात हैरान करने वाली थी कि राहुल गांधी ने इसका पूरी तरह समर्थन नहीं किया। बिहार में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि पार्टी इस पर प्रतिबद्ध नहीं होना चाहती थी क्योंकि इससे बिहार में गैर-यादव वोटों का एकीकरण हो सकता था। हालाँकि, नेताओं के एक वर्ग ने इस रुख को अतार्किक बताया। बिहार के एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने कहा कि महागठबंधन में सबसे ज़्यादा सीटों पर कौन चुनाव लड़ रहा है? राजद। अगर हम जीतते हैं, तो राजद के विधायक ही तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। फिर समस्या कहाँ है? सांसद ने कहा कि यह तर्क कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित न करना कांग्रेस का सिद्धांत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या पार्टी उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही करेगी? नहीं, ऐसा नहीं होगा। क्योंकि अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह राजद के साथ तनाव का एक कारण था जिसे आसानी से टाला जा सकता था। बिहार में जतीय सर्वे पर सवाल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अक्सर 2022 में बिहार में शुरू हुए जातिगत सर्वेक्षण का ज़िक्र करते हैं, उस वक्त आरजेडी, जेडीयू के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा थी और वह उप-मुख्यमंत्री थे। विपक्ष द्वारा जातिगत जनगणना की मांग के बीच, बिहार ऐसी गणना करने वाले पहले राज्यों में से एक था। दूसरी ओर राहुल गांधी समेत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस सर्वेक्षण को स्वीकार करने को लेकर उत्साहित नहीं है। जाति जनगणना को बीजेपी के खिलाफ अपने अभियान का आधार बनाकर राहुल गांधी अक्सर कहते रहे हैं कि महागठबंधन सरकार ऐसी जनगणना कराएगी और यह बिहार के जातीय सर्वेक्षण जैसा नहीं होगा, जो लोगों को बेवकूफ बनाने का एक तरीका था। दोनों दलों में अहंकार का टकराव सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नेताओं ने भी संबंधित पार्टी नेतृत्व के अहंकार को ज़िम्मेदार ठहराया। एक नेता ने बछवाड़ा सीट को इसका एक प्रमुख उदाहरण बताया। कांग्रेस बछवाड़ा सीट इसलिए चाहती थी क्योंकि 2020 में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और छह बार के विधायक रामदेव राय के बेटे शिव प्रकाश गरीब दास ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 39,878 वोटों से जीत हासिल की थी। सहयोगी दल सीपीआई ने अपने उम्मीदवार अवधेश कुमार राय के लिए सीट मांगी, जो 2020 में सिर्फ 484 वोटों से हार गए थे। बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का हिस्सा रहे एक नेता ने कहा कि कांग्रेस ने इसे अपने अहंकार का मामला बना लिया। इसलिए अब बछवाड़ा, जहां पहले चरण में मतदान होना है, वहां सीपीआई और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार होंगे, जिससे एनडीए को बढ़त मिलेगी। अन्य सूत्रों ने बताया कि अहंकार के कारण छोटी-मोटी घटनाएं भी हुईं। एक बार तो अल्लावरु ने तेजस्वी को एक घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाया। बदले में तेजस्वी ने अल्लावरु को मुलाक़ात के लिए दो घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाया। बिहार के एक नेता ने कहा कि यह इतनी छोटी-मोटी बात हो गई। साझा घोषणा पत्र पर सहमति अटकी आरजेडी और कांग्रेस के चुनावी वादे और घोषणाएं कई मायनों में एक जैसी हैं, लेकिन उनके साझा प्रारूप पर सहमति बननी बाकी है. महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी इस पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल पाई है. इसी आंतरिक संघर्ष के कारण साझा चुनाव प्रचार शुरू होने पर सवाल खड़ा हो गया है. सम्राट चौधरी ने कसा तंज… बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस संकट पर तंज कसते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव ही एकमात्र नेता हैं और अन्य पार्टियां महत्वहीन हैं. उन्होंने कहा, "कोई SIR के दौरान … Read more

मतदान करने वाले हर बिहारवासी के लिए खुशखबरी! चुनाव आयोग ने घोषित किया छुट्टी का नियम

नई दिल्ली  भारत निर्वाचन आयोग बिहार विधानसभा चुनाव और 8 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों की तारीखों की घोषणा कर चुका है। मतदान के दिन सभी कर्मचारियों को सवेतन अवकाश देने का आदेश जारी किया गया है। आयोग ने कहा कि यह कदम मतदाताओं को अपने वोट का इस्तेमाल करने में आसानी प्रदान करने के लिए उठाया गया है। बिहार में पहला चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग 11 नवंबर को होगी। इसके अलावा सभी 8 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव भी 11 नवंबर को ही होंगे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी के तहत हर कर्मचारी, चाहे वह किसी व्यवसाय, उद्योग या अन्य प्रतिष्ठान में काम करता हो, मतदान के दिन सवेतन अवकाश पाने का हकदार है। इस दौरान उनकी तनख्वाह में कोई कटौती नहीं होगी। अगर कोई नियोक्ता इस नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। दैनिक वेतनभोगी और आकस्मिक कर्मचारी भी इस सुविधा के हकदार हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग अपने मतदान क्षेत्र से बाहर अन्य जगहों पर नौकरी करते हैं, लेकिन अपने मूल मतदान क्षेत्र में वोटर हैं, उन्हें भी मतदान के दिन सवेतन अवकाश मिलेगा। इससे वे अपने वोट डालने के लिए समय निकाल सकेंगे। यह नियम सुनिश्चित करता है कि हर मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का पूरा मौका मिले। निर्वाचन आयोग ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को निर्देश दिया है कि वे इस नियम का सख्ती से पालन कराएं। इसके लिए सभी नियोक्ताओं और संबंधित विभागों को जरूरी हिदायतें जारी की जाएं। आयोग का मकसद है कि मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष और सुगम हो, ताकि हर नागरिक बिना किसी परेशानी के वोट डाल सके। बिहार में इस घोषणा से कर्मचारियों और दैनिक मजदूरों में खुशी की लहर है। आयोग ने नियोक्ताओं से अपील की है कि वे इस अवकाश का लाभ देने में सहयोग करें ताकि लोकतंत्र मजबूत हो। यह कदम मतदान प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग! बिहार में हो रहा है विश्व के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण

पटना  बिहार में दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बन रहा है. चौंकिए मत! यह बिल्कुल सच है. पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में विश्व का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है. यह भव्य मंदिर 33 फीट ऊंचा होगा. इसमें 210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग स्थापित किया जाएगा. मंदिर प्रशासन के मुताबिक, शिवलिंग का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और जनवरी-फरवरी 2026 तक इसकी स्थापना कर दी जाएगी. आपको बता दें कि विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा कराया जा रहा है. मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी, शिवलिंग और गर्भगृह की नींव (पाइलिंग) का कार्य पूरा हो चुका है. तमिलनाडु में तैयार हो रहा है शिवलिंग इस मंदिर में स्थापित होने वाले शिवलिंग का निर्माण तमिलनाडु के महाबलीपुरम में किया जा रहा है. फिलहाल इसकी कलाकृति और पॉलिश का अंतिम काम चल रहा है. निर्माण पूरा होने के बाद यह विशाल शिवलिंग सड़क मार्ग से महाबलीपुरम से चकिया स्थित विराट रामायण मंदिर तक लाया जाएगा. यह शिवलिंग देश के किसी भी मंदिर में स्थापित सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है. मुख्य शिखर की ऊंचाई होगी 270 फीट इस मंदिर का आकार भी बेहद भव्य होगा. इसकी लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट होगी. इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर शामिल होंगे. मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट होगी. जबकि दूसरे शिखरों की ऊंचाई 180, 135, 108 और 90 फीट रखी गई है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और महावीर मंदिर स्थान न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल ने बताया कि निर्माण कार्य तय समय पर पूरा करने की हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि बिहार के गौरव का प्रतीक बनने जा रहा है. इस खास जगह पर हो रहा है निर्माण इस मंदिर का निर्माण कार्य 20 जून 2023 को शुरू हुआ था. निर्माण का जिम्मा सनटेक कंपनी को दिया गया है. जबकि वीआरएम (विराट रामायण मंदिर) और टाटा कंसलटेंसी के अधिकारी भी कार्य की निगरानी में तैनात हैं. मंदिर का निर्माण स्थल पूर्वी चंपारण के केसरिया और चकिया के बीच स्थित जानकीनगर में है. यह पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर परिसर में 4 आश्रम भी बनाए जा रहे हैं. आचार्य किशोर कुणाल का है ड्रीम प्रोजेक्ट आपको बता दें कि इस मंदिर को स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. मंदिर की परिकल्पना और रूपरेखा उनके ही नेतृत्व में तैयार की गई थी.  

मतदान के लिए Voter कार्ड जरूरी नहीं! इन 12 दस्तावेज़ों से करें वोट

पटना चुनाव आयोग ने वैसे मतदाता जिनके पास मतदाता पहचान पत्र (ईिपक) नहीं है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है तो वे 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक को दिखाकर मतदान कर सकेंगे। मतदाताओं की सुविधा के लिये गये इस अहम फैसले की जानकारी चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर दी है। इस संबंध में चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है। इन 12 वैकल्पिक पहचान पत्रों के सहारे कर सकेंगे मतदान चुनाव आयोग की ओर से मान्य वैकल्पिक पहचान पत्रों की सूची में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, फोटो सहित बैंक या डाकघर द्वारा जारी पासबुक, श्रम मंत्रालय या आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआई की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन दस्तावेज, केंद्र, राज्य सरकार, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनी की ओर से जारी सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों को जारी आधिकारिक पहचान पत्र और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी यूडीआईडी कार्ड शामिल है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदान के दिन वोट डालने के लिये मतदाता सूची में नाम दर्ज होना अनिवार्य है, केवल पहचान पत्र से काम नहीं चलेगा। साथ ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये, विशेषकर‘पर्दानशीं' (बुकर या पर्दा करने वाली) महिलाओं के लिये चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों पर विशेष प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं। महिला मतदान अधिकारियों की उपस्थिति में और गोपनीयता सुनिश्चित करते हुये उनकी पहचान की जायेगी। आयोग के अनुसार, बिहार में लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं को ईिपक कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि नये मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर ईिपक काडर् उपलब्ध करा दिया जाए।

मशरूम मैन अमित: छोटे से स्टार्ट से करोड़ों का टर्नओवर, रांची के इस युवा की शानदार सफलता

रांची   झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले अमित मिश्रा आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. दरअसल, अमित खास तौर पर ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कभी दो कमरों से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन आज रांची में उनके 12 फार्म हैं. खास बात यह है कि वे सिर्फ मशरूम का उत्पादन ही नहीं करते, बल्कि इससे कई तरह के प्रोडक्ट भी बनाते हैं. केवल उगाते नहीं, मशरूम से तमाम उत्पाद भी बनाते हैं अमित जैसे मशरूम का चाउमीन, मशरूम की चॉकलेट, मशरूम का अचार और पापड़. ये सभी चीजें तैयार कर बाजार में सप्लाई की जाती हैं. उनके पास मशरूम की कई वैरायटी मिलती हैं, जिनमें बटन मशरूम भी शामिल है. इसके साथ ही वे मशरूम की चटपटी चटनी और अचार भी बनाते हैं. जी हां! शायद ही आपने कभी मशरूम की चटनी और अचार का स्वाद चखा होगा. कभी किराए के दो कमरों से शुरू किया था बिजनेस अमित बताते हैं कि उन्होंने दो किराए के कमरों से अपना बिजनेस शुरू किया था, लेकिन आज हालत यह है कि पिठोरिया, कांके, नामकोम समेत कई जगहों पर उनके 12 फार्म हैं. यहां रोज करीब 300 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. इन सभी फार्मों में 70 से 80 महिलाएं काम करती हैं. अमित का कहना है कि वे महिलाओं को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ही काम पर रखते हैं. यहां होता है सप्लाई अमित बताते हैं कि उनके फार्म से तैयार प्रोडक्ट रांची के रिलायंस स्मार्ट, सुपर मार्केट और कई दुकानदारों के पास सप्लाई किए जाते हैं. कुछ प्रोडक्ट भारत के बाहर और कई राज्यों में भी भेजे जाते हैं. साथ ही मशरूम को फूड प्रोसेसिंग के जरिए पैक किया जाता है और उनकी पैकेजिंग इतनी आकर्षक है कि देखने पर यह किसी बड़ी ब्रांडेड कंपनी का लगता है. संघर्ष भी कम नहीं रहा अमित कहते हैं कि शुरुआत में संघर्ष बहुत था. बिजनेस करना तो चाहते थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें. जहां 10 किलो उत्पादन होना चाहिए था, वहां सिर्फ 5 किलो ही हो पाता था. कई बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी हर गलती से सीखा और दोबारा वही गलती नहीं दोहराई. यही हर युवक को करना चाहिए – धैर्य रखना और सुधार करते रहना. आज करोड़ों का टर्नओवर, रोजगार भी बढ़ा अमित बताते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें करीब 5 से 6 साल लग गए. आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है. हालांकि यह आंकड़ा ऊपर-नीचे होता रहता है, इसलिए सटीक बताना मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि यह करोड़ों तक पहुंच जाता है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनके काम से आज दर्जनों महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.  

बिहार चुनाव में विशेष व्यवस्था: बुर्का-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान के लिए फिर लागू होगा पुराना नियम

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों में आठ विधान सभा सीटों पर उपचुनाव में पर्दानशीन यानी घूंघट, बुर्का, नक़ाब, हिजाब में आने वाली वोटर्स को पहचान के लिए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी टीएन शेषन के 1994 में जारी आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया गया है. यानी शेषन का हुक्म 35 साल बाद भी रामबाण है. टीएन शेषन के आदेश के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. यानि की प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु ऐसी तारीख को अठारह साल से कम नहीं है, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए और जो इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्त की विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. संविधान के अनुच्छेद 325 में आगे प्रावधान किया गया है कि धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर कोई भी व्यक्ति किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन या सदन के लिए निर्वाचन हेतु प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सामान्य निर्वाचक नामावली होगी और कोई भी व्यक्ति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर किसी ऐसी नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. इस प्रकार, देश में महिला वोटर्स को लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों के मामले में वही निर्वाचन अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुष मतदाताओं को दिए गए हैं. लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों या राज्यों के कुछ क्षेत्रों में उक्त चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी पुरुष वोटर्स की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम रही है. चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी के इतने कम प्रतिशत के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कई कारण सामाजिक और धार्मिक वर्जनाओं के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय की पर्दानशीन महिलाओं या कुछ अन्य समुदायों की महिलाओं के बीच जो परिवार और गांव के बुजुर्गों की उपस्थिति में पर्दा प्रथा का पालन करती हैं, या कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भावनात्मक कारणों के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में. आयोग चुनावों में महिला वोटर्स की इतनी कम भागीदारी को लेकर बेहद चिंतित है. आयोग चाहता है कि ऐसे सभी कदम उठाए जाएं जिनसे ज़्यादा से ज़्यादा महिला मतदाता बिना किसी हिचकिचाहट के चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें और चुनाव ज़्यादा सार्थक और लोकतांत्रिक बन सकें. विशेष रूप से, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी महिला मतदाता को अपने मताधिकार से वंचित न किया जाए या उसके प्रयोग में बाधा न आए. मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 34 में विशेष रूप से प्रावधान है कि जहां मतदान केन्द्र पुरुष और महिला दोनों वोटर्स के लिए हैं, वहां पीठासीन अधिकारी निर्देश दे सकेगा कि उन्हें मतदान केन्द्र में बारी-बारी से अलग-अलग समूहों में प्रवेश दिया जाएगा. रिटर्निंग अधिकारी या पीठासीन अधिकारी किसी मतदान केन्द्र पर महिला निर्वाचकों की सहायता करने के लिए तथा सामान्यतः महिला निर्वाचकों के संबंध में मतदान कराने में पीठासीन अधिकारी की सहायता करने के लिए तथा विशेष रूप से, यदि आवश्यक हो तो किसी महिला निर्वाचक की तलाशी लेने में सहायता करने के लिए किसी महिला को परिचारिका के रूप में नियुक्त कर सकेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला मतदाता चुनाव में पूरी तरह से भाग लें और महिला वोटर्स का मतदान प्रतिशत बेहतर हो, आयोग ने समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. आयोग ने 'रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए हैंडबुक' के अध्याय 2 में पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि जिन स्थानों पर एक ही भवन या परिसर में दो मतदान केंद्र स्थापित हैं, वहाँ एक को पुरुषों के लिए और दूसरे को महिलाओं के लिए आवंटित करने में कोई आपत्ति नहीं है. आयोग ने आगे स्पष्ट किया है कि सामान्य मतदान केंद्रों में भी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कतारें बनाई जानी चाहिए. आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि जब किसी विशेष मतदान क्षेत्र के पुरुष और महिला मतदाताओं के लिए अलग-अलग मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, तो उन्हें यथासंभव एक ही भवन में स्थित होना चाहिए. इस संबंध में रिटर्निंग अधिकारियों के लिए पुस्तिका के अध्याय 9 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जहां महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, विशेषकर पर्दानशीन महिलाएं, वहां वोटर्स की पहचान करने का कार्य करने के लिए महिला मतदान अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. ताकि सामाजिक या धार्मिक … Read more

निर्वाचन आयोग का सख्त आदेश: वोटिंग डे पर कर्मचारियों को देना होगा वैतनिक अवकाश

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के मतदान के दिनों में वैतनिक अवकाश की घोषणा की है। चुनाव आयोग की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी के तहत, मतदान के हकदार प्रत्येक कर्मचारी को मतदान के दिन वैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए। इस अवकाश के लिए किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाना चाहिए और इस नियम का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान दैनिक वेतनभोगी और अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके है कि अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी बिना किसी वित्तीय नुकसान के मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाता लेकिन उन क्षेत्रों के बाहर औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत मतदाता भी मतदान की सुविधा के लिए सवेतन अवकाश के समान रूप से हकदार हैं। प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को नियोक्ताओं और अधिकारियों को इन प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने प्रत्येक पात्र मतदाता के स्वतंत्र और सुविधाजनक तरीके से मतदान करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह निर्देश लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने और भारत की चुनावी प्रक्रिया में मतदान को एक मौलिक अधिकार के रूप में बनाए रखने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने जा रहा है। पहले चरण के लिए मतदान छह नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा।