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बिजली बकाया ₹7,000 करोड़ से अधिक, हरियाणा सरकार ने डिफॉल्टरों के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की

चंडीगढ़  हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियां गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही हैं। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) पर उपभोक्ताओं का बकाया जून 2025 तक बढ़कर 7,695.62 करोड़ रुपए हो गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, न केवल ग्रामीण और शहरी घरेलू उपभोक्ता बल्कि औद्योगिक इकाइयां और सरकारी विभाग भी बिल चुकाने में पीछे हैं। बिजली निगम सरकारी तंत्र से ही बिलों की वसूली नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और कमजोर हुई है। 22 लाख से अधिक उपभोक्ता बने डिफाल्टर हरियाणा में 22 लाख 21 हजार 315 उपभोक्ता समय पर बिजली बिलों का भुगतान नहीं कर पाए हैं और अब डिफाल्टर बन चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या ऐसे उपभोक्ताओं की भी शामिल है, जिनकी बिजली आपूर्ति अभी भी चालू है, जबकि कई उपभोक्ताओं के कनेक्शन पहले ही काट दिए गए हैं। सबसे अधिक बकाया ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं पर ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता के सबसे अधिक बकाया लगभग 4,400 करोड़ रुपए। शहरी घरेलू उपभोक्ता के करीब 834 करोड़ रुपए। कृषि क्षेत्र के किसानों पर 194 करोड़ रुपए कर बकाया। गैर-घरेलू (वाणिज्यिक प्रतिष्ठान) के लगभग 770 करोड़ रुपए। औद्योगिक इकाइयां के 1,063 करोड़ रुपए से अधिक का बिजली बिल बकाया है। सरकारी विभाग के स्वयं सरकारी कार्यालयों पर ही 389 करोड़ रुपए का बकाया। अन्य श्रेणी के लगभग 43 करोड़ रुपए बकाया है। बकाया नहीं देने पर क्या होगा? बिजली का बिल नहीं भरने पर पहले जुर्माना और ब्याज लगता है, फिर बिजली कनेक्शन काटा जा सकता है। कनेक्शन कटने पर आपको दोबारा जोड़ने के लिए शुल्क देना पड़ता है, और बकाया बिल का भुगतान न करने पर यह बढ़ता जाता है, जिससे लाखों रुपए तक का भुगतान भी करना पड़ सकता है। हरियाणा में लागू वन टाइम सेटलमेंट स्कीम हरियाणा में बिजली पेंडिंग बिल डिफाल्टरों को ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने बड़ी राहत दे चुके हैं। विज ने पेंडिंग बिल के भुगतान को लेकर ऊर्जा विभाग की ओर से वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू कर चुके हैं। वन टाइम बिल का भुगतान करने में 10% की छूट मिल रही। साथ ही 100% सरचार्ज में भी छूट भी विभाग दे रहा है। स्कीम के तहत किश्तों में बिल देने पर 100% सरचार्ज माफ होगा। घरेलू उपभोक्ताओं के अलावा इंडस्ट्री और दूसरे उपभोक्ताओं को भी राहत दी गई है। ये दोनों उपभोक्ता यदि पेंडिंग बिल भरेंगे तो उन्हें भी 50% सरचार्ज माफ की सुविधा मिलेगी। स्कीम पूरी होने में दो महीने बचे अनिल विज ने चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय में चार महीने पहले इस स्कीम को लागू करने का ऐलान दिया था। उन्होंने कहा था सूबे में यह योजना 6 महीने तक लागू रहेगी। ऊर्जा मंत्री बिजली बिल बकाएदारों से अपील कर चुके हैं कि वह अधिक से अधिक संख्या में इस योजना का लाभ उठाएं। अपना बकाया बिल जमाकर वह इस योजना का लाभ उठा सकेंगे। इस योजना का अच्छा रिस्पांस मिलने पर इसकी अवधि को विभाग बढ़ाने पर विचार कर सकता है।

विधायक बनीं दो माह पहले, अब विनेश फोगाट ने बेटे की पेश की पहली झलक

जुलाना जुलाना से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व रेसलर विनेश फोगाट ने लगभग सवा दो माह बाद बेटे की फोटो को सोशल मीडिया पर डाला है। फोटो में बेटे के मुंह पर इमॉजी लगाई गई है। जन्म के बाद यह पहला फोटो शेयर हुआ है। इसमें बेटे के नाम की जानकारी भी दी गई है।  दो माह पहले बनी थी मां  एक जुलाई 2025 को रेसलर विनेश फोगाट ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। जन्म के बाद से ही परिवार के अलावा सोशल मीडिया पर बेटे के साथ विनेश का फोटो नहीं आया था। शनिवार देर शाम को विनेश फोगाट ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर बेटे के साथ फोटो शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने इसका नाम कृधव रखा है। विनेश ने ये भी लिखा कि उनके पिता ने कृष्ण भगवान को हमेशा अपने हृदय में, आस्था में, प्रार्थनाओं में, जीवन के हर पल में धारण किया है और आज वह भक्ति हमारे बेटे के नाम (कृष्ण + माधव) के नाम से कृधव में जीवित है।  पेरिस ओलिंपिक से हुई थीं डिस्क्वालिफाई इसके आगे विनेश ने लिखा है कि ईश्वर करे कि उसका जीवन उसके नाम की तरह दिव्य हो, और उसकी मुस्कान की तरह आनंदमय हो। पेरिस ओलिंपिक से डिस्क्वालिफाई होने के बाद विनेश खुलकर राजनीतिक मंच पर कांग्रेस के साथ आई थी। हालांकि दिल्ली में खिलाड़ियों के आंदोलन के दौरान भी कांग्रेस समेत अन्य  दलों ने खिलाड़ियों का समर्थन किया था। विनेश फोगाट ने साल 2024 में पेरिस ओलिंपिक में भाग लिया था। वहां विनेश ने 50 किलोग्राम वेट कैटेगरी में 6 अगस्त 2024 को एक ही दिन में तीन मैच खेले थे। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं। इसके बाद वह डिस्क्वालिफाई हुई तो राजनीति में आई। पहली ही बार में वह कांग्रेस की टिकट पर जुलाना से विधायक बनीं। 

नई फ्लाइट सेवा: हिसार-जयपुर मार्ग, इस दिन से उड़ानें शुरू, तुरंत करें बुकिंग

हिसार   हिसार के महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट से जयपुर के लिए हवाई सेवा 12 सितंबर से शुरू होगी। इसके लिए टिकटों की बुकिंग शुरू हो गई है। सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को शाम 5.35 बजे हिसार से जयपुर के लिए फ्लाइट रवाना होगी जो 6.40 बजे जयपुर पहुंचेगी। ऑनलाइन टिकट बुकिंग साइट पर हिसार से जयपुर का किराया 1957 रुपये बताया जा रहा है। हिसार से जयपुर की दूरी करीब 340 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से सफर में छह से सात घंटे लगते हैं। हवाई जहाज से केवल 1 घंटा 5 मिनट में जयपुर पहुंचा जा सकेगा। बता दें हरियाणा नागरिक उड्डयन विभाग ने हिसार-दिल्ली-अयोध्या-हिसार के लिए 14 अप्रैल को हवाई यात्रा का शुभारंभ किया था। 9 जून को हिसार-चंडीगढ़-हिसार हवाई सेवा का संचालन शुरू किया गया था। अगस्त के आखिर तक करीब 2510 यात्री हिसार से अयोध्या के लिए हवाई यात्रा कर चुके हैं। हिसार-चंडीगढ़-हिसार के लिए 500 और हिसार-दिल्ली के लिए 1300 यात्री हवाई सेवा का लाभ उठा चुके हैं। हरियाणा नागरिक उड्डयन विभाग ने एलांयस एयर को विमान सेवाओं को और विस्तार देने के लिए हिसार से जम्मू के अलावा अहमदाबाद तक विमान यात्रा शुरू करने के लिए पत्र भेजा है। जम्मू और अहमदाबाद के लिए सप्ताह में दो दिन हवाई सेवा का अनुरोध किया है। विभाग को अनुमति मिलते ही हिसार से जम्मू और अहमदाबाद के लिए भी हवाई सेवाएं शुरू होंगी। यह रहेगा शेड्यूल दिल्ली से जयपुर सुबह 9:40 बजे-सुबह 10:45 बजे जयपुर से हिसार सुबह 11:10 बजे-दोपहर 12:15 बजे हिसार से अयोध्या दोपहर 12:35 बजे-दोपहर 2:35 बजे अयोध्या से हिसार दोपहर 3:00 बजे-शाम 5:00 बजे हिसार से जयपुर शाम 5:35 बजे-शाम 6:40 बजे जयपुर से दिल्ली शाम 7:10 बजे-शाम 8:15 बजे हिसार से दिल्ली के लिए अब सप्ताह में सिर्फ एक दिन सीधी हवाई सेवा 12 सितंबर से हिसार से दिल्ली के लिए सीधी हवाई सेवा सप्ताह में दो दिन के बजाय एक दिन ही संचालित की जाएगी। अभी तक एलायंस एयर की तरफ से सप्ताह में दो दिन शुक्रवार व रविवार को फ्लाइट है। कंपनी के निर्धारित रूट के अनुसार सुबह दिल्ली से विमान हिसार आता है और यहां से अयोध्या जाता है। इसके बाद यही विमान वापसी में हिसार और यहां से दिल्ली के लिए उड़ान भरता है। नए शेड्यूल के अनुसार दिल्ली के लिए शुक्रवार की उड़ान का रूट बदलकर जयपुर से जोड़ दिया जाएगा। अब सिर्फ रविवार को ही दिल्ली के लिए सीधी हवाई सेवा मिलेगी। 12 सितंबर से जयपुर के लिए हवाई सेवा का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। यह सेवा फिलहाल सप्ताह में एक दिन मिलेगी। टिकटों की बुकिंग शुरू हो गई है।– मोहन यादव, निदेशक, हिसार एयरपोर्ट  

शिक्षा संकट: हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में PG सीटों पर एडमिशन नहीं, पद रिक्त

हिसार  हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में इस साल दाखिले में भारी गिरावट आई है। यह स्थिति न सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई है। पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) की 61% और अंडर ग्रेजुएट (UG) की 49% सीटें खाली रह गईं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा दिखाता है कि जहां एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ छात्र सरकारी कॉलेजों से दूरी बना रहे हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिसके मूल कारणों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। सरकार ने शुरू किए नए कोर्स इस सत्र में सरकार ने कॉलेजों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। सरकारी कॉलेजों की आवश्यकता और मांग को देखते हुए नए कोर्स और विषय शुरू किए गए। करीब 101 नए कोर्स और 33 नए विषयों की शुरुआत की गई है। इसके लिए उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) की ओर से सभी कॉलेज प्राचार्यों को पत्र भी जारी किया गया था। निर्देशों में यह भी साफ किया गया है कि यदि किसी विषय या कोर्स में छात्र संख्या 20 से कम रहती है, तो संबद्ध विश्वविद्यालय की स्वीकृति लेकर उस स्ट्रीम को बंद किया जा सकता है। दाखिले घटने का कारण गुणवत्ता की कमी : छात्रों और अभिभावकों का सरकारी कॉलेजों के प्रति विश्वास कम हुआ है। उन्हें लगता है कि यहां की पढ़ाई का स्तर, निजी संस्थानों की तुलना में कम है। खाली पदों की समस्या : सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं, 7986 स्वीकृत पदों में से 2758 पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी सीधे तौर पर पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर डालती है। जब पढ़ाने वाले ही नहीं होंगे, तो छात्र कहां से आएंगे? कमजोर प्रचार-प्रसार : सरकार ने नए कोर्स शुरू किए, लेकिन उनका सही तरीके से प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। छात्रों और उनके अभिभावकों को इन नए अवसरों के बारे में शायद पता ही नहीं चला। बढ़ती प्रतिस्पर्धा : आज के समय में छात्र उन कोर्स और संस्थानों को चुनना पसंद करते हैं जो उन्हें बेहतर करियर के अवसर प्रदान करें। निजी विश्वविद्यालय और कोचिंग संस्थान अक्सर अपनी प्लेसमेंट दर और सुविधाओं को बेहतर तरीके से पेश करते हैं, जिससे वे छात्रों को आकर्षित करने में सफल होते हैं। सरकार के प्रयास और चुनौतियां सरकार ने दाखिले बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए हैं। सरकारी कॉलेजों में 101 नए कोर्स और 33 नए विषय शुरू किए गए, ताकि छात्र अधिक विकल्प चुन सकें। उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को दाखिलों के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। इन प्रयासों के बावजूद, परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सरकार ने सिर्फ कागज़ी निर्देश जारी किए, जबकि जमीनी स्तर पर इनकी कमी दिखाई दी। जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती नहीं होती और सुविधाओं में सुधार नहीं होता, तब तक सिर्फ नए कोर्स शुरू करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। खाली पदों का असर शिक्षकों के खाली पद सिर्फ एक संख्या नहीं हैं, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करते हैं। सरकारी कॉलेजों में 2758 पद खाली हैं, जिससे मौजूदा शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। इससे वे छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दे पाते, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। एडेड कॉलेजों में भी 800 से अधिक पद खाली हैं। इन कॉलेजों में भर्ती पर लगे प्रतिबंध को अब हटा दिया गया है, लेकिन जब तक इन पदों पर योग्य शिक्षकों की भर्ती नहीं होती, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे। सरकार और शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाने होंगे तुरंत भर्ती : शिक्षकों के खाली पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए। एचपीएससी को भेजी गई भर्तियों पर तेज़ी से काम किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को योग्य शिक्षक मिल सकें। गुणवत्ता सुधार : कॉलेजों में आधुनिक सुविधाएं, जैसे अच्छी लाइब्रेरी, लैब और तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए। शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए शिक्षकों को भी नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सटीक प्रचार रणनीति : केवल पत्र लिखने से काम नहीं चलेगा। सरकार को सोशल मीडिया, स्थानीय अखबारों और रेडियो के माध्यम से नए कोर्स और सरकारी कॉलेजों की सुविधाओं का सक्रियता से प्रचार करना चाहिए। प्लेसमेंट सेल का गठन : छात्रों को आकर्षित करने के लिए हर कॉलेज में एक सक्रिय प्लेसमेंट सेल होना चाहिए जो उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करने में मदद करें।  प्रवेश पोर्टल के प्रचार प्रसार के निर्देश शैक्षणिक सत्र 2025-26 के दौरान कॉलेजों में पहले से चल रहे किसी भी पाठ्‌यक्रम, विषय को बंद नहीं किया जाएगा। बाकायदा सरकारी कॉलेजों में अधिक से अधिक संख्या में दाखिले हों, इसे लेकर महानिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी जिला उपायुक्तों, सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, रजिस्ट्रार, सभी जिलों के डीएचईओ सहित सभी सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल को पत्र भी लिखा था। पत्र के जरिए डीजी ने ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए प्रवेश पोर्टल खुलने के बाद व्यापक प्रचार-प्रसार की बात कही थी। सरकार अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है इसलिए इसे लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली प्रदेश के 79 एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के करीब 2500 पद स्वीकृत हैं। इनमें से करीब 1700 पर शिक्षक काम कर रहे हैं। शेष 800 पद लंबे समय से खाली पड़े है। पता चला है कि इन खाली पदों पर भर्ती बंद की हुई थी। इन्हें मर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी। मगर सरकार ने इन्हें मर्ज नहीं किया और अब पदों पर लगा बैन भी हट गया है। उम्मीद है कि अब इन पदों पर मैनेजमेंट, जिनकी गर्वनिंग बॉडी है, वे भर्ती कर सकते हैं। सरकारी कॉलेजों में 2758 पद खाली सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के 7986 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 3264 पर नियमित शिक्षक काम कर रहे है। वहीं, 1964 पदों पर एक्सटेंशन लेक्चरर लगे हुए हैं। करीब 2758 पद खाली पड़े हैं। सरकार ने कॉलेजों में शिक्षकों के 2424 पदों को भरने का प्रस्ताव कई माह पहले एचपीएससी को भेजा था। जिस पर एचपीएससी काम कर रही है।

सीएम सैनी नग्गल में पहुंचे, जलभराव का निरीक्षण, किसानों के साथ विवादित स्थिति बनी

नग्गल   अंबाला सिटी के नग्गल में जलभराव की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलने के लिए भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे। किसानों की उपस्थिति को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया और पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच तनाव की स्थिति बन गई। किसान नेता जय सिंह जलबेड़ा और अन्य कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आगे बढ़े, जिसके बाद पुलिस ने उनका पीछा किया। जय सिंह ने एक महिला पुलिस अधिकारी पर धार्मिक चिन्ह तोड़ने और कपड़े फाड़ने का गंभीर आरोप लगाया।  मुख्यमंत्री ने सुनी किसानों की समस्याएं  किसानों की समस्याएं सुनते ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने तुरंत स्थिति को संभाला और किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। किसान नेता कुलदीप सिंह मोहड़ी और जय सिंह जलबेड़ा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने नग्गल क्षेत्र में जलभराव की गंभीर समस्या से अवगत कराया। किसानों ने बताया कि सेगती गांव के पास बने बांध के कारण जलभराव हो रहा है। पहले वहां पानी की निकासी के लिए मोटर लगी होती थी, जो अब बंद है। उन्होंने मोटरों को फिर से चालू करने की मांग की। किसानों का प्रशासन पर आरोप किसान नेताओं ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि 28 जुलाई को अंबाला शहर की नई अनाज मंडी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भी प्रशासन ने उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने से रोका था। इस पर मुख्यमंत्री सैनी ने जय सिंह जलबेड़ा का हाथ पकड़कर कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। जैसे ही उन्हें किसानों की मौजूदगी का पता चला, उन्होंने तुरंत मुलाकात का निर्देश दिया। किसान नेताओं ने महिला पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सोमवार को नग्गल थाने का घेराव किया जाएगा और इस संबंध में शिकायत दर्ज की जाएगी। 

हरियाणा-पंजाब CM की बैठक, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए सहयोग का आश्वासन

चंडीगढ़  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सोमवार सुबह मोहाली के फोर्टिस अस्पताल पहुंचे और पंजाब के सीएम भगवंत मान से मुलाकात की। सैनी ने मान के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।  दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक कई महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब में बाढ़ के हालातों की जानकारी ली और कहा कि बाढ़ के चलते उत्पन्न हुए हालात में हरियाणा पंजाब के साथ खड़ा है। सैनी ने पंजाब सीएम को हर संभव सहयोग का भी भरोसा दिया और कहा कि हरियाणा सरकार और प्रत्येक हरियाणावासी संकट की इस घड़ी में पंजाब के साथ है। मुख्यमंत्री ने पंजाब के इस स्थिति से जल्द उबरने और पंजाब सीएम के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।  हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने आज पंजाब के मोहाली में पंजाब के सीएम से मुलाकात की. दरअसल, पंजाब के सीएम पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती है. सीएम सैनी पंजाब के सीएम का हाल जानने के लिए गए थे. मुख्यमंत्री नायब सैनी ने तकरीबन 20 मिनट तक भगवंत मान से बातचीत की और उनका हालचाल जाना. इस दौरान नायब सैनी ने भगवंत मान से पंजाब में बाढ़ संबंधी हालातों की जानकारी ली. साथ ही हर संभव मदद का आश्वासन दिया. सीएम ने प्रेसवार्ता कर दी जानकारी: वहीं, हरियाणा के सीएम ने आज एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि, "हम पड़ोसी धर्म निभा रहे हैं. मैं पंजाब के मुख्यमंत्री का हालचाल पूछने गया. उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की. मैंने उनसे पंजाब के बारे में बातचीत की है. मैंने बताया कि हरियाणा के लोग भी पंजाब में सहायता पंहुचा रहे हैं. हम आगे भी सहायता करेंगे. पंजाब हमारा भाई है. हमारा परिवार है. हरियाणा सरकार और हरियाणा के लोग पंजाब के साथ खड़े हैं, क्योंकि यह हमारा परिवार है.जब मैं हरियाणा के गांव में गया तो उन्होंने अपनी बात कम और पंजाब की बात ज्यादा की." भगवंत मान का हाल जानने अस्पताल पहुंचे हरियाणा के सीएम नायब  सीएम सैनी ने दिया हर संभव मदद का भरोसा: वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री की पंजाब की सीएम से मुलाकात को लेकर हरियाणा जनसंपर्क विभाग ने ट्विट कर जानकारी दी. जानकारी के मुताबिक CM भगवंत मान से हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने मुलाकात की. तकरीबन 20 मिनट तक दोनों ने महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की. सीएम नायब ने पंजाब CM भगवंत मान से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना और शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना की.उन्होंने पंजाब में बाढ़ से उत्पन्न हालातों पर चर्चा की और कहा—"हरियाणा सरकार एवं जनता इस संकट की घड़ी में पंजाब के साथ मज़बूती से खड़ी है." बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरान करने के दौरान बिगड़ी थी तबियत: पंजाब के सीएम भगवंत मान की पिछले दिनों बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद तबीयत बिगड़ गई थी. हालांकि अब उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है. लेकिन अभी वो डॉक्टरों की निगरानी में हैं. डॉक्टरों की मानें तो सीएम मान को धड़कन धीमी होने और कमजोरी की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था.

अरविंद सैनी का बयान: प्रधानमंत्री मोदी ने GST सुधारों से बदल दी देश की टैक्स व्यवस्था

हरियाणा देश की मोदी सरकार ने जी.एस.टी दरों में कमी करके जहां देश के विभिन्न वर्गों को राहत देते हुए विपक्ष को मुद्दाविहीन कर दिया है तो वहीं महंगाई को कम करने की दशा में एक बड़ी पहल की है । अहम बात ये है कि भारत पर टैरिफ लगाने को लेकर पिछले कुछ दिनों से जितना अमेरिका मुखर था, उतनी ही मुखरता से भारत के अंदर विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगे थे। विपक्षी नेताओं ने अमेरिकी टैरिफ के गुब्बारे में महंगाई और बेरोज़गारी की नकारात्मक हवा भर इसे और बड़ा बनाने की कोशिश की, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने नए जी.एस.टी रिफार्म्स से न केवल अमेरिकी टैरिफ के गुब्बारे को फोड़ा, बल्कि विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे मंहगाई और बेरोज़गारी बढ़ने के नैरेटिव को भी धराशाई कर दिया। सच तो यह है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार देखा है। जी.एस.टी और अब नेक्स्ट जेन जी.एस.टी सुधारों ने आम उपभोक्ताओं को राहत, व्यापारियों को सरलता और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी है। यह सुधार व्यवस्था में सरलीकरण लाएगा जो व्यापार करने के माहौल को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएगा।  हालांकि विपक्ष (खासकर कांग्रेस) मोदी सरकार के इस एतिहासिक नए जीएसटी रिफार्म्स को पचा नहीं पा रहा है और बिहार चुनाव को इससे जोड़कर दिखाना चाह रहा है। इसी चाह में कांग्रेस बीड़ी और बिहार की तुलना भी कर चुकी है। ये बात और है कि जब कांग्रेस का यह दांव उलटा पड़ गया तो केरल कांग्रेस ने ट्वीट कर इस पर माफ़ी भी मांगी है। खैर ये कांग्रेस और विपक्षी दलों की मानसिकता बन गई है। विपक्षी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि अब उन्हें पता ही नहीं चलता कि मोदी सरकार का विरोध करते-करते कब देश का विरोध करने लग जाते हैं। ट्रंप के सुर में सुर मिलाते हुए राहुल गांधी का भारत को डेड अर्थव्यवस्था कहना इसका ताजा उदाहरण है। अमेरिकी टैरिफ लागू होने के दौरान भी भारत की बढ़ती जी.डी.पी भारत को डेड इकोनोमी कहने वालों के मुंह पर तमाचा है। इसी तरह नए जीएसटी रिफार्म्स जहां आम जनता को राहत और बचत देते दिख रहे हैं, वहीं विपक्षी पार्टियों को इसके बाद वोटों में चपत लगती दिख रही है।  जीएसटी में नेक्स्ट जेन रिफॉर्म्स का तोहफा 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से मिलने जा रहा है। जीएसटी में यह सुधार माँग बढ़ाएगा, निवेश लाएगा और करोड़ों युवाओं को रोज़गार देगा। मोदी सरकार के इस दावे पर देश विश्वास करता दिख रहा है कि उद्योग जगत जीएसटी दरों में कमी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएंगा।    हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी अरविंद सैनी ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने केवल वादे किए, लेकिन सुधार कभी लागू नहीं कर पाई। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों को भरोसा दिया, घाटा होने पर क्षतिपूर्ति की गारंटी दी और एक राष्ट्र-एक कर का सपना साकार किया। दैनिक रोज़मर्रा की कई वस्तुओं, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, मेडिकल उपकरणों और जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। कपड़े, जूते, दवाइयाँ, फ्रिज-टीवी, कृषि उपकरण, घर निर्माण की सामग्री तक सब सस्ते हुए हैं। इस बदलाव से हमारे देश के युवा-युवतियों, महिलाओं, किसानों, कृषि उत्पादन, एमएसएमई क्षेत्र, उपभोक्ताओं, दुकानदारों और उद्योग चलाने वाले उद्यमियों सहित हर वर्ग को बड़ा लाभ मिलेगा। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकारों के दौरान उपभोक्ताओं और व्यापारियों पर जितना बोझ था, चाहे वह टैक्स का हो या कागजी झंझटों का, वह 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद लगातार कम होता गया। आज भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत स्थिति में है कि बैंक के ब्याज दरों में कमी आई है, महंगाई दर में भारी गिरावट आई है और विकास दर ऐतिहासिक ऊँचाइयों पर पहुँची है। जब पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है, तब भारत 7.8% की दर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी। जीएसटी सुधारों का यह निर्णय देश को 2047 तक विकसित भारत के संकल्प की ओर ले जाता दिख रहा है। वैसे इन परिस्थितियों में नए जीएसटी रिफार्म्स कर पाना आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने घाटा होने पर राज्यों को क्षतिपूर्ति की गारंटी दी और एक राष्ट्र-एक कर का सपना साकार किया।  रोज़मर्रा की वस्तुएँ, कपड़े, जूते, दवाइयाँ, बीमा, टू-व्हीलर से लेकर फ्रिज-टीवी तक सब सस्ते हुए हैं। मेडिकल उपकरणों और जीवनरक्षक दवाओं पर टैक्स शून्य कर दिया गया है। यह सुधार माँग बढ़ाएगा, निवेश लाएगा और करोड़ों युवाओं को रोज़गार देगा। आजादी के बाद पहली बार देश के टैक्स ढांचे में इतना बड़ा परिवर्तन किया गया है। व्यवस्था में सरलीकरण आएगा, जो व्यापार करने के माहौल को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएगा।    15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री ने देश से वादा किया था कि अब भारत रुकेगा नहीं, झुकेगा नहीं, बल्कि आगे बढ़कर बड़े कदम उठाएगा। जो क्षमता देश में अब दिखाई दे रही है, वो क्षमता 2014 से पहले नहीं थी। उस समय देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हालत में थी।  कांग्रेस के 10 वर्षों के शासन में भ्रष्टाचार तो खूब हुआ, लेकिन कोई ठोस और परिवर्तनकारी सुधार नहीं किए गए।  श्रद्धेय अटल जी ने एक राष्ट्र-एक कर की परिकल्पना की थी। उस समय देश में लगभग 30-35 तरह के टैक्स, ड्यूटी और लेवीस लागू थे। अटल जी चाहते थे कि इन सबको समेटकर एक टैक्स बने, लेकिन 2004 में वे दोबारा चुनकर नहीं आए और इसके बाद यूपीए सरकार सिर्फ वादे करती रही। कांग्रेस के वित्त मंत्री बार-बार घोषणा करते रहे कि वे एक टैक्स लाएंगे, लेकिन राज्य सरकारें उन पर विश्वास नहीं करती थीं। तब राज्यों को भरोसा नहीं था कि अगर इस सुधार से उनका राजस्व घटा या घाटा हुआ, तो केंद्र उनकी मदद करेगा।  लेकिन मोदी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में राज्यों को विश्वास दिलाया कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि किसी राज्य के राजस्व में कमी आती है या उसकी वृद्धि दर 14% से कम रहती है, तो केंद्र सरकार उसे कंपनसेशन के माध्यम से पूरा करेगी, वह भी पूरे 5 साल तक। यही विश्वास और यह गारंटी इस ऐतिहासिक सुधार को सफल बनाने में निर्णायक … Read more

CM सैनी का संदेश: आपदा में राजनीति नहीं, सेवा में दिखे पक्ष-विपक्ष और जनता की एकजुटता

हरियाणा  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जलभराव की आपदा में पक्ष, विपक्ष और आमजन को मिलकर धैर्य के साथ सेवा करने की जरूरत है, ताकि सभी मिलकर इस आपदा से निजात पा सकें। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है और समस्याओं भी कम हो रही हैं। पहाड़ों से आए ज्यादा पानी से प्रदेश के करीब 3000 गांव प्रभावित हुए हैं। इन गांवों में फसल और अन्य नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला हुआ है, जहां पर अब तक 1,69,738 किसानों ने 9,96,701 एकड़ फसल के खराबे का आवेदन किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शनिवार को शाहाबाद रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने जलभराव से प्रभावित गांवों के जन प्रतिनिधियों से बातचीत की और एक एक गांव की स्थिति, नुकसान के बारे में बारीकी से पूछा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मार्कण्डेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और साथ ही जलभराव प्रभावित क्षेत्र से शिफ्ट किए हुए नागरिकों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जाना और आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार नागरिकों के साथ हर स्थिति में मदद के लिए तैयार है।  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र से ज्यादा पानी आने की वजह से प्रदेश के गांवों जलभराव से प्रभावित हुए हैं। पानी ज्यादा बह रहा है। जिन लोगों के घर तक पानी पहुंचा है, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। उनके लिए रहने, खाने-पीने और अन्य सुविधाएं पहुंचाई गई है। इसके अलावा पशुओं के चारे का भी प्रबंध किया जा रहा है। वर्ष 2023 में भी प्रदेश के अंदर ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। प्रदेश में अधिकारी व्यवस्था बनाने के लिए लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आमजन के खराबी की भरपाई के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला गया है, जिस पर आमजन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। पानी धीरे-धीरे कम होगा और प्रदेश की स्थिति नॉर्मल होगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सभी नहर, नदी, नालों और बाढ़ राहत के लिए बनाई गई व्यवस्थाओं की साफ सफाई की जाती है। पहाड़ों से पानी आने के कारण इस बार स्थिति गड़बड़ा गई है। ऐसी आपदा की स्थिति में विपक्ष का राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस स्थिति में विपक्ष ने सरकार को सुझाव और सहयोग देना चाहिए। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि प्रदेश के नागरिकों को जलभराव आपदा में सहयोग करे।   मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मारकंडा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि मारकंडा में 25000 क्यूसिक पानी की क्षमता है। इस बार लगभग 40,000 क्यूसिक पानी पहुंचा है, जो ओवरफ्लो होकर खेतों और आसपास के क्षेत्र में जल भराव की स्थिति को पैदा कर रहा है।  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा स्वयं उत्तरी भारत में जल प्रभावित प्रदेशों की निगरानी रखे हुए हैं। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र से विशेष निर्देश दिए गए हैं। पंजाब प्रदेश में हरियाणा से ज्यादा जल का प्रभाव हुआ है। केंद्र की तरफ से हरियाणा को पंजाब की मदद करने में के लिए आदेश प्राप्त हुए हैं। इस पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से पंजाब की अलग-अलग जगहों पर सहयोग पहुंचा जा रहा है। हरियाणा की तरफ से पंजाब में खाने, पीने और पशुओं के लिए चारा भेजा जा रहा है।

तरावड़ी के गोदामों में सीएम फ्लाइंग की रेड, सरकारी गेहूं की लाखों की चोरी पकड़ी गई

करनाल  मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने डीएसपी सुशील कुमार के नेतृत्व में तरावड़ी के खाद्य आपूर्ति विभाग के कई गोदामों में चेकिंग की। इस दौरान कई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई। एक गोदाम में गेहूं के करीब 20 हजार से ज्यादा अतिरिक्त बैग मिले, जिनका मौके पर रिकाॅर्ड नहीं मिला। जिसके बाद हड़कंप मच गया। मामला सामने आने के बाद करनाल के डीएफएससी अनिल कुमार ने बताया कि सीएम फ्लाइंग टीम जो अतिरिक्त गेहूं के बैग बता रही है, उनका पूरा रिकाॅर्ड विभाग के पास उपलब्ध है।  यही नहीं गेहूं की पूरी जानकारी हेड क्वार्टर के पास रेगुलर तौर पर भेजी जाती रही है। ये स्टॉक 2020-21 का है। सीएम फ्लाइंग के डीएसपी सुशील कुमार ने बताया कि सूचना मिली थी कि तरावड़ी के अंदर खाद्य आपूर्ति विभाग के गोदामों में 2025-26 में खरीदे गये गेहूं के स्टॉक में नियमों की पालना नहीं की गई। इसके अलावा सरप्लस गेहूं भी पड़ा है। जिसके बाद छापेमारी की गई, इस दौरान कई हैरान करने वाली बातें भी सामने आईं। छापेमारी में विभाग के 4 अधिकारियों की लापरवाही व सरकार को नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया। जिनके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए हेड क्वार्टर को लिखा गया है।  जांच में सामने आया कि करीब 6 लाख बैग 2 माह तक खुले में रखे गए, जिन्हें अगस्त में एफसीआई ने उठाने से मना कर दिया था, क्योंकि इनमें नमी 12 की बजाए 14 प्रतिशत पाई गई। इसके अलावा करीब 666 बैग बिल्कुल खराब हो चुके हैं। इसके अलावा 1500 बैग अतिरिक्त मिले है, जो 2020-21 के हैं। इन सबकी जांच के बाद हेड क्वार्टर को केस दर्ज करने के लिए लिखा जा चुका है। वहीं एक गोदाम जो विभाग की सूची में नहीं था, वहां 20 हजार गेहूं के भरे बैग मिले, जो कि पुराने बारदाने में नया गेहूं भरा हुआ था। इसका कोई रिकाॅर्ड नहीं मिला। डीएफएससी अनिल कुमार ने कहा कि जिस 20 हजार बैग गेहूं की बात की जा रही है, वो एफसीआई के पुल से बाहर हो चुका है। ये गेहूं 2020-21 का है, जिसे बैगों में भरकर रखा जा रहा है, इसमें नए व पुराने बैग हो सकते हैं। गेहूं के रिकाॅर्ड की जानकारी खाद्य आपूर्ति विभाग के हेड क्वार्टर के पास है। जल्द गेहूं के स्टॉक का ऑक्शन करवाकर सारा पैसा सरकारी खंजाने में जमा करवा दिया जाएगा।

GST में बदलाव पर हुड्डा का बयान – कहा, बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर की गई घोषणा

रोहतक रोहतक स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता में बोलते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीएसटी में बदलाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर जमकर कटाक्ष किए हैं। उन्होंने कहा कि वोट के मुद्दे को दबाने के लिए और बिहार चुनाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 8-9 साल से जो भारी भरकम जीएसटी राज्यों से वसूला गया उसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस जीएसटी टैक्स की वजह से प्रदेशों को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा। इसलिए पिछले 8-9 साल का जीएसटी टैक्स प्रदेशों को वापस किया जाना चाहिए ताकि डेवलपमेंट हो सके। साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मौजूदा प्रदेश सरकार पर महिलाओं को ₹2100 देने के चुनावी वायदे को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब सभी महिलाओं को यह पैसा नहीं देना था तो फिर चुनाव में यह वायदा क्यों किया गया। उन्होंने कहा की जो वायदा लागू किया जा रहा है वह भी 1 साल बाद लागू हो रहा है। इसलिए सरकार बताएं कि पिछले एक साल का बकाया पैसा महिलाओं को कब दिया जाएगा।प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मौजूदा प्रदेश की भाजपा सरकार पर बोलते हुए कहा कि हरियाणा की कानून व्यवस्था बदहाल हो चुकी है और महिला विरुद्ध अपराध में हरियाणा नंबर एक पर है और यह रिपोर्ट होम मिनिस्ट्री की है। भूपेंद्र सिंह हुडडा ने एक बार फिर से वोट मामले को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर चुनाव आयोग अपनी सभी वोटर लिस्ट ठीक होने का एफिडेविट देता है तो मैं यह सबूत दूंगा कि एक घर में 400-400 वोट बनी हुई है।