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RCB भगदड़ जांच रिपोर्ट जल्द सार्वजनिक हो: कर्नाटक हाई कोर्ट का आदेश

बेंगलुरु कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह चार जून को हुई भगदड़ की घटना पर अपनी स्थिति रिपोर्ट सार्वजनिक करें, जिसने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई आईपीएल जीत के जश्न को गहरा धक्का पहुंचाया था। इस त्रासदी में 11 लोगों की मौत हुई थी और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से इस रिपोर्ट को गोपनीय रखने का अनुरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सोमवार, 14 जुलाई को स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह की गोपनीयता के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है, और ये केवल ‘सरकार की दृष्टि में तथ्यों की प्रस्तुति’ है। कोर्ट ने सरकार को यह रिपोर्ट मामले के अन्य पक्षों – आरसीबी, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) और डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स, जो फ्रेंचाइजी के इवेंट पार्टनर हैं – को सौंपने का भी निर्देश दिया है। इस बीच फ्रेंचाइजी एक विस्तृत सीआईडी जांच और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) की दो सदस्यीय पीठ की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। यह पीठ सरकारी और सार्वजनिक सेवकों से जुड़े मामलों की जांच करने वाला अर्ध-न्यायिक निकाय है। आरसीबी और डीएनए के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले एक महीने में अपने बयान जमा कराए हैं। फैसले की कोई तय तारीख अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। एक जुलाई को सीएटी की दो सदस्यीय पीठ ने एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जुटी भीड़ को लेकर एक अहम टिप्पणी की। ट्रिब्यूनल ने पाया कि आरसीबी ने तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ को स्टेडियम के बाहर आकर्षित किया, जब फ्रेंचाइजी ने अपनी पहली आईपीएल खिताबी जीत के तुरंत बाद, तीन जून को, सोशल मीडिया पर विजय जुलूस की घोषणा की। इस मामले की जांच का काम सीएटी को तब सौंपा गया जब बेंगलुरु (पश्चिम) के पुलिस महानिरीक्षक और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विकास कुमार ने एक याचिका दायर की। यह याचिका मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा उन्हें भगदड़ की घटना के बाद पद से हटाए जाने के खिलाफ दाखिल की गई थी। विकास और चार अन्य अधिकारियों को “कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही” और “निर्देश न लेने” के आरोप में बर्खास्त किया गया था, जिससे हालात “काबू से बाहर” हो गए थे। ट्रिब्यूनल ने कहा किआरसीबी ने बिना जरूरी अनुमति लिए आईपीएल जीत का जश्न मनाकर ‘अव्यवस्था पैदा की।’ ये टिप्पणियां सीएटी के 29-पन्नों के आदेश का हिस्सा थीं। आरसीबी, के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर निखिल सोसले को पिछले महीने गिरफ्तार कर जमानत पर रिहा किया गया था। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा बढ़ाने और घायलों की मदद की घोषणा के बाद से अब तक कोई नया बयान जारी नहीं किया है। फ्रेंचाइजी ने ‘आरसीबी केयर्स’ नाम से एक फंड बनाने का वादा किया है, जिससे त्रासदी से प्रभावित सभी परिवारों की मदद की जा सके। 4 जून की घटना के बाद से उनके किसी भी सोशल मीडिया चैनल पर कोई नई अपडेट नहीं आई है।  

विधानसभा के बाहर दिखा विरोध का नया रूप, MVA विधायक बने सुर्खियों का कारण

मुंबई महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ द्वारा कैंटीन कर्मचारी की पिटाई मामले में सियासत अपने चरम पर है। इसका नजरा आज (बुधवार को) उस वक्त देखने को मिला जब विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास आघाडी (MVA) के विधायकों ने अनूठे अंदाज में विरोध-प्रदर्शन किया। दरअसल, महाराष्ट्र विधान भवन के बाहर विपक्षी महा विकास आघाड़ी के विधायकों ने ‘बनियान तौलिया’ प्रदर्शन किया। इस दौरान बनियान और कपड़ों के ऊपर तौलिया पहने विधायकों ने सत्तारूढ़ गठबंधन के "गुंडा राज" के खिलाफ जमकर नारे लगाए। तौलिया लपेटे विधायक जोर-जोर से नारे लगा रहे थे कि राज्य में गुंडा राज चल रहा है। राज्य विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने संवाददाताओं से कहा, "विधायक कैंटीन में गायकवाड़ द्वारा किया गया हमला दर्शाता है कि सरकार भी ऐसे तत्वों का समर्थन कर रही है।" उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार ऐसे लोगों को संरक्षण दे रही है। गायकवाड़ को निलंबित करने की मांग कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यह सभी को बताने और दिखाने की जरूरत है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक कैसे गुंडों की तरह व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि गायकवाड़ का यह कृत्य शर्मनाक है और उन्हें सजा मिलनी चाहिए। NCP (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने बताया कि MVA के विधायकों ने यह विरोध-प्रदर्शन इसलिए किया है ताकि जनता को यह पता चल सके कि सत्ता में बैठे लोग किस प्रकार का व्यवहार आम आदमी से करते हैं। विपक्षी विधायकों ने संजय गायकवाड़ को विधानसभा से निलंबित करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। आदित्य ठाकरे ने दिया था चड्डी- बनियान गैंग नाम बता दें कि पिछले हफ्ते विधायक हॉस्टल की कैंटीन में 'बासी' खाना परोसे जाने पर एक कर्मचारी को थप्पड़ और घूंसे मारने का शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ का एक वीडियो सामने आया था। इसके बाद सरकार और विपक्ष दोनों ने उनकी आलोजना की है। वीडियो में गायकवाड़ बनियान पहने और कमर पर तौलिया लपेटे कैंटीन ठेकेदार को थप्पड़ व घूंसे मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। दो दिन पहले ही आदित्य ठाकरे ने शिवसेना विधायकों को चड्डी- बनियान गैंग कहकर बुलाया था, जिस पर नीलेश राणे ने रोष जताया था। एमवीए विधायकों का अनूठा प्रदर्शन आदित्य ठाकरे के बयान का समर्थन और सत्ताधारी गठबंधन के विधायक के करतूत और उसे मिल रहे रथित संरक्षण का विरोध है। 

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की मुश्किलें बढ़ीं, आतंकी करार देने की मांग तेज

कनाडा  कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में लॉरेंस बिश्नोई गैंग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यहां की प्रांतीय सरकार ने इस गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग तेज कर दी है। सरकार का कहना है कि यह गैंग कनाडा में हिंसा, ड्रग तस्करी, जबरन वसूली और टारगेट किलिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल है। अल्बर्टा सरकार ने की सख्त मांग अल्बर्टा की प्रीमियर डेनियल स्मिथ और पब्लिक सेफ्टी एवं इमरजेंसी सर्विस मंत्री माइक एलिस ने प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से इस गैंग पर कार्रवाई करने की अपील की है। डेनियल स्मिथ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा,'लॉरेंस बिश्नोई गैंग एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क है जो हिंसा, जबरन वसूली, ड्रग तस्करी और टारगेट किलिंग में शामिल है। वे कनाडा में भी यही सब कर रहे हैं।' डेनियल स्मिथ की गैंग को चेतावनी डेनियल स्मिथ ने साफ कहा कि ऐसे गैंग सीमाओं की परवाह नहीं करते और न ही किसी देश का सम्मान करते हैं। अल्बर्टा प्रांत का संदेश साफ है कि यहां ऐसे गैंग का कोई स्वागत नहीं होगा। कनाडा की सुरक्षा को बताया प्राथमिकता डेनियल स्मिथ और माइक एलिस ने प्रधानमंत्री कार्नी से कहा कि अब इस गैंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, 'कनाडा और अल्बर्टा के लोगों की सुरक्षा के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग को लेकर कार्रवाई करना बेहद जरूरी है। कई देशों में सक्रिय है लॉरेंस गैंग लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नेटवर्क सिर्फ कनाडा ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। यह गैंग पहले भी कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय है।

केंद्रीय कैबिनेट की पीएम धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी, हर साल खर्च होंगे 24000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली केंद्रीय कैबिनेट ने 36 योजनाओं को मिलाकर 24,000 रुपये प्रति वर्ष के परिव्यय वाली प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी। सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह एलान किया है। सरकार ने एनएलसीआईएल को नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के लिए 7,000 करोड़ रुपये की भी मंजूरी दे दी है। इसके अलावे कैबिनेट ने एनटीपीसी को नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के लिए 20,000 करोड़ रुपये की मंजूरी देने पर भी अपनी मुहर लगा दी है। क्या है प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना? मंत्रिमंडल ने बुधवार को छह साल की अवधि के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत हर वर्ष 24,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसमें 100 जिले शामिल होंगे। केंद्रीय बजट में घोषित यह कार्यक्रम 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करेगा और फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने मदद देगा। भंडारण और सिंचाई सुविधाओं में होगा सुधार केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी साझा करते हुए, सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पीएम धन-धान्य कृषि योजना से फसल के बाद भंडारण में वृद्धि होगी, सिंचाई सुविधाओं में सुधार होगा और कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की संभावना है। एनएलसी इंडिया एनआईआरएल में कर सकेगा 7000 करोड़ रुपये का निवेश सरकार ने बुधवार को एनएलसी इंडिया को अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई एनआईआरएल में 7,000 करोड़ रुपये निवेश करने की अनुमति दे दी। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की ओर से लिया गया। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) को नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) पर लागू मौजूदा निवेश दिशानिर्देशों से विशेष छूट देने को मंजूरी दे दी है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "इस रणनीतिक निर्णय से एनएलसीआईएल को अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (एनआईआरएल) में 7,000 करोड़ रुपये का निवेश करने में मदद मिलेगी। इसके तहत एनआईआरएल विभिन्न परियोजनाओं में सीधे या संयुक्त उद्यम का गठन कर निवेश कर सकेगी।इसके लिए पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।" शुभांशु शुक्ला की पृथ्वी पर वापसी से जुड़ा प्रस्ताव भी पारित बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर भी एक प्रस्ताव पारित किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह स्पेस की दिशा में हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि  है। उन्होंने कहा, "आईएसएस (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की वापसी पर मंत्रिमंडल ने एक बड़ा संकल्प पारित किया है। 15 जुलाई को भारत की अनंत आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अन्तरिक्ष यात्रा से सकुशल धरती पर लौटे हैं। ये समूचे देश के लिए गर्व, गौरव और उल्लास का अवसर है। आज मंत्रिमंडल, देश के साथ मिलकर, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटने का अभिनंदन करता है। उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 18 दिन का ऐतिहासिक मिशन पूरा किया।"  पीएम धन धान्य कृषि योजना, जिसपर सालाना 24000 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार क्या है पीएम धन धान्य कृषि योजना? यह योजना खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य खेती में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाना, किसानों को एक ही फसल पर निर्भर रहने की बजाय फसल विविधीकरण (Crop Diversification) के लिए प्रोत्साहित करना, जलवायु के अनुसार खेती को बढ़ावा देना, गांव स्तर पर भंडारण, सिंचाई और कृषि कर्ज की सुविधाओं को मजबूत बनाना और लागत घटाकर किसान की पैदावार बढ़ाना है जिससे उनकी आय में सुधार हो सके। किन किसानों को मिलेगा लाभ? इस योजना का सबसे ज़्यादा फायदा छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा। इन किसानों की जमीन कम होती है, लेकिन अगर उन्हें सही तकनीक, सिंचाई और भंडारण की सुविधा मिले, तो वे भी ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं। इस योजना से करीब 1.7 करोड़ किसानों को सीधे फायदा मिलने की उम्मीद है। 100 ज़िलों को प्राथमिकता सरकार ने देश के 100 ऐसे ज़िलों की पहचान की है, जहां कृषि उत्पादकता कम है, फसल सघनता औसत से नीचे है और किसानों को पर्याप्त ऋण नहीं मिल पाता। इन जिलों में पीएम धन धान्य कृषि योजना को सबसे पहले लागू किया जाएगा। ₹24,000 करोड़ का वार्षिक खर्च सरकार इस योजना पर हर साल ₹24,000 करोड़ खर्च करेगी। यह राशि पहले से चल रही 36 कृषि योजनाओं के समन्वय से खर्च की जाएगी, जिससे न सिर्फ लागत घटेगी बल्कि योजनाओं का असर भी ज़्यादा होगा। कृषि में क्रांति लाने की तैयारी पीएम धन धान्य कृषि योजना से उम्मीद है कि यह देश में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएगी। टेक्नोलॉजी, विविधीकरण, और स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाओं को लागू कर किसानों की आय को बढ़ाया जाएगा। पीएम धन धान्य कृषि योजना का उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य कम फसल उत्पादन वाले क्षेत्रों में कृषि सुधार करना है। सरकार ने उन 100 जिलों को चिन्हित किया है, जहां खेती उन्नत नहीं है और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को बेहतर बीज, आधुनिक तकनीक और उन्नत उपकरण उपलब्ध कराएगी, जिससे किसान अपनी फसल में सुधार कर सकें। इसके साथ ही वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी, ताकि किसान बेहतर उपकरण और नए तरीके अपनाकर अपनी खेती को और अधिक उत्पादक बना सकें। इस योजना का उद्देश्य खेती को आसान और किसानों के लिए लाभकारी बनाना है, जिससे वे अधिक फसल उगा सकें और अपनी आय बढ़ा सकें। इस योजना से कृषि क्षेत्र को और अधिक मजबूत बनाया जाएगा, और देश भर के किसानों के जीवन स्तर में सुधार होगा। पीएम धन धान्य कृषि योजना के लिए पात्रता मापदंड: इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो निम्नलिखित पात्रता मापदंडों को पूरा करते हैं:     कम कृषि उत्पादन वाले 100 चयनित जिलों के किसान इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।     छोटे, सीमांत और बड़े पैमाने के किसान सभी पात्र होंगे।     आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।     किसान के पास वैध भूमि स्वामित्व दस्तावेज होना चाहिए।     पारंपरिक या पुरानी खेती के तरीकों का उपयोग करने वाले किसान इस … Read more

ऑपरेशन सिंदूर ने यह दर्शाया है कि स्वदेशी रूप से विकसित UAS और C-UAS हमारी जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण

नई दिल्ली भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि दुनिया में हुईं हाल की लड़ाइयों ने दिखा दिया है कि कैसे ड्रोन जंगों में शक्ति के संतुलन को जबरदस्त तरीके से बदल सकते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यूएवी और काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (सी-यूएएस) में आत्मनिर्भरता भारत के लिए एक "रणनीतिक अनिवार्यता" है.  जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ड्रोन वास्तविकता के प्रमाण हैं और हाल के संघर्षों में उनकी व्यापक उपयोगिता दर्शाती है कि कैसे ड्रोन अपने आकार या कीमत के अनुपात में सामरिक संतुलन को असमान रूप से बदल सकते हैं.  उन्होंने कहा, "असममित ड्रोन युद्ध बड़े प्लेटफार्मों को असुरक्षित बना रहा है और सेनाओं को एयर डॉक्ट्राइन, सी-यूएएस के विकास के वैचारिक पहलुओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है." दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह दर्शाया है कि स्वदेशी रूप से विकसित मानवरहित हवाई प्रणालियां (यूएएस) और सी-यूएएस "हमारे इलाकों और हमारी जरूरतों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं." बता दें कि दिल्ली में भारतीय सेना ने थिंक-टैंक सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज के सहयोग से UAV और C-UAS (काउंटर-अनमैंड एरियल सिस्टम) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया है.  सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि भविष्य की लड़ाइयां आज की जंग को कल के हथियारों से नहीं जा सकता है.  उन्होंने कहा है कि अगर भारत को युद्ध क्षेत्र में बढ़त बनाकर रखनी है, तो हमें ‘भविष्य की तकनीक’ से लैस होना होगा. जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि आज का युद्ध ‘कल की तकनीक’ से नहीं लड़ा जा सकता. हमें अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अपनी तकनीकी क्षमता को स्वदेशी बनाना होगा. जनरल चौहान ने कहा कि अगर भारत को युद्ध क्षेत्र में बढ़त बनाकर रखनी है तो इंडियन आर्मी को ‘भविष्य की तकनीक’ से लैस होना होगा. सीडीएस ने कहा कि हमें अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अपनी तकनीकी क्षमता का स्वदेशीकरण करना होगा.  लोअर एयर स्पेस में लड़ी जा रही हैं लड़ाइयां  अनिल चौहान ने कहा कि हम पहले सोचते थे कि एयर स्पेस एक है, इसे बांटा नहीं जा सकता है. पहले यहां मानव युक्त विमानों का बोलबाला था. लडाइयों में इन्ही का इस्तेमाल होता था. इसके बाद बैलेस्टिक और हाइपर सोनिक मिसाइल आए, इसने अपर स्पेस को खोल दिया. लेकिन अब लोअर एयर स्पेस भी खुल गए हैं. एयर स्पेस की बदलती लड़ाइयों पर उन्होंने कहा कि अपने लोअर एयर स्पेस पर जोर देना होगा. लोअर एयर स्पेस में ट्रैफिक बढ़ती जा रही है. ज्यादातर लड़ाइयां यही लड़ी जा रही हैं. इसलिए समय की जरूरत यह है कि अब लोअर एयर स्पेस में अपनी मारक क्षमता बढ़ाएं. इसके साथ ही दुश्मन को ऐसा करने से रोकने के लिए हमें काउंटर-अनमैंड एरियल सिस्टम विकसित करना होगा.  ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र जंगों और ड्रोन्स की बात हो रही थी तो जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने 10 मई को बिना हथियारों वाले ड्रोन और लॉइटर म्यूनिशंस का इस्तेमाल किया. लेकिन "इनमें से कोई भी वास्तव में भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका." सीडीएस चौहान ने कहा, "इनमें से ज्यादातर को काइनेटिक और नॉन काइनेटिक तरीकों के इस्तेमाल से नष्ट कर दिया गया है. इनमें से कुछ को लगभग इनटैक्ट (साबूत) स्थिति में बरामद किया गया."  उन्होंने कहा कि भविष्य लड़ाइयों में हमें इसी लोअर एयर स्पेस पर फोकस करना होगा. सीडीएस ने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने "हमें दिखाया है कि हमारे इलाके और हमारी जरूरतों के हिसाब से स्वदेशी रूप से विकसित यूएएस, सी-यूएएस क्यों महत्वपूर्ण हैं" आत्मनिर्भरता के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि "हम वैसे युद्ध के लिए आयातित तकनीकों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं जो हमारे डिफेंसिव और ऑफेंसिव मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं. युद्ध में ड्रोन के इस्तेमाल पर जनरल चौहान ने कहा कि ड्रोन्स ने जंगों की तस्वीर बदल दी है. मुझे लगता है कि युद्ध में उनका इस्तेमाल बहुत क्रांतिकारी रहा है.  जैसे-जैसे ड्रोन्स की तैनाती बढ़ी इसका दायरा बढ़ा, सेना ने क्रांतिकारी तरीके से इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया. इस कार्यशाला के लिए अपने संदेश में सीडीएस ने लिखा, "गैर-संपर्क युद्ध के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में, यूएवी एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरे हैं. भारत जैसे राष्ट्र के लिए, यूएवी और सी-यूएएस प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता न केवल एक रणनीतिक अनिवार्यता है, बल्कि यह भारत को अपना भाग्य बनाने, अपने हितों की रक्षा करने और भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाने के बारे में भी है."

मॉनसून सत्र विस्तार: सरकार लाएगी इनकम टैक्स सहित 8 बड़े बिल

नई दिल्ली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आगामी मॉनसून सत्र में कुल 8 नए विधेयक पेश करने और पारित कराने की तैयारी में है। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर अब 19 अगस्त तक चलेगा। पहले संसद 12 अगस्त तक ही चलने वाली थी, जिसे बाद में एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। लोकसभा सचिवालय ने जिन प्रमुख विधेयकों की जानकारी दी है उनमें टैक्स, शिक्षा, खेल, और खनिज नीति जैसे क्षेत्रों से जुड़े विधेयक शामिल हैं। लोकसभा में मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025, जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025, भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025, भू-धरोहर स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रख-रखाव) विधेयक, 2025, खनिज और खान (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक (संशोधन), 2025 विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। इनके अलावा, गोवा में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों में पुन: प्रतिनिधित्व निर्धारण विधेयक, 2024, मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 और आयकर विधेयक, 2025 को पारित कराने के लिए पेश किया जाएगा। संसद की विधायी शाखा के अनुसार, इस बार सभी सांसदों को 'मेंबर्स पोर्टल' के माध्यम से ही समन और सूचनाएं भेजी गई हैं। सभी सांसदों को सत्र के शेड्यूल और विधायी कार्यक्रम की जानकारी डिजिटल रूप में दी गई है।  

राष्ट्रपति की पत्नी या कोई और? दो महिलाओं ने किया फ्रांसीसी फर्स्ट लेडी की पहचान पर सवाल

फ्रांस फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिजिट मैक्रों एक बार फिर सुर्खियों में हैं — लेकिन इस बार वजह फैशन या कोई भाषण नहीं, बल्कि उनके खिलाफ फैलाई गई एक अफवाह है। इस अफवाह में उनकी जेंडर आइडेंटिटी को लेकर झूठे दावे किए गए हैं, जिसे लेकर अब उन्होंने कानूनी कार्रवाई शुरू की है। यह मामला अब सिर्फ फ्रांस में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और रूस तक चर्चा का विषय बन गया है।   क्या है पूरा मामला? यह मामला पहली बार दिसंबर 2021 में तब सामने आया जब अमंडाइन रॉय नाम की यूट्यूबर ने एक 4 घंटे लंबा इंटरव्यू अपलोड किया, जिसमें पत्रकार नताशा रे ने दावा किया कि ब्रिजिट मैक्रों असल में पहले एक पुरुष थीं – जीन-मिशेल ट्रोग्नेक्स, और बाद में उन्होंने लिंग परिवर्तन कर इमैनुएल मैक्रों से शादी की। रे ने यह भी कहा कि उन्होंने इस 'खुलासे' के लिए तीन साल तक रिसर्च की और उनके पास कई सबूत हैं, हालांकि किसी भी दावे की स्वतंत्र पुष्टि कभी नहीं हो सकी। कानूनी मोर्चे पर ब्रिजिट की कार्रवाई ब्रिजिट ने इन दोनों महिलाओं पर मानहानि का मुकदमा दायर किया। निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए दोनों पर €13,000 (लगभग ₹11.7 लाख) का जुर्माना लगाया। €8,000 ब्रिजिट को, €5,000 उनके भाई को (जिनका नाम भी घसीटा गया था)। लेकिन पेरिस की अपीली अदालत ने यह सजा रद्द कर दी। अब ब्रिजिट और उनके भाई ने फ्रांस की सर्वोच्च अदालत में अपील की है।  मामला अब इंटरनेशनल लेवल पर यह सिर्फ फ्रांस तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका में ट्रंप समर्थक पत्रकारों – कैंडेस ओवेन्स और टकर कार्लसन ने इसे जोरशोर से उठाया: ओवेन्स ने इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला बताया। उन्होंने कहा कि ब्रिजिट और उनके भाई असल में एक ही व्यक्ति हैं। ओवेन्स ने Becoming Brigitte नाम से वीडियो सीरीज शुरू की और दावा किया कि वह अपनी प्रोफेशनल प्रतिष्ठा इस थ्योरी पर दांव पर लगाने को तैयार हैं। जनवरी 2025 में ब्रिजिट की ओर से ओवेन्स को कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसमें लिखा था कि किसी महिला को अपनी पहचान साबित करने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। फिर भी ओवेन्स पीछे नहीं हटीं और फरवरी में उन्होंने फ्रेंच पत्रकार जेवियर पौसार्ड के साथ इंटरव्यू किया, जिन्होंने इसी विषय पर एक किताब भी लिखी— जो अब अमेजन पर बेस्टसेलर बन चुकी है।   रूस तक पहुंचा विवाद पत्रकार नताशा रे ने 2024 में रूस में राजनीतिक शरण मांगी। उनका दावा है कि फ्रांस में उन्हें सरकार द्वारा सताया गया और बोलने की आज़ादी छीनी जा रही है। उन्होंने फ्रांस सरकार की तुलना अमेरिका से की और खुद को एडवर्ड स्नोडन की तरह बताया, जो अमेरिका की खुफिया जानकारी लीक करने के बाद रूस में शरण लिए हुए हैं। ब्रिजिट और इमैनुएल मैक्रों की उम्र में अंतर पहले से ही आलोचना का विषय रहा है (मैक्रों 46 और ब्रिजिट 72)। इस विवाद ने फ्रांसीसी राजनीति की गरिमा और राष्ट्रपति पद की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े कर दिए। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ साइबरबुलिंग और डिजिटल उत्पीड़न का केस बताया है।

निमिषा की मौत की घड़ी करीब? तलाल के भाई का दो टूक जवाब- समझौता नहीं होगा

नई दिल्ली यमन में सजा-ए-मौत का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए राहत का वक्त कुछ घंटे ही रहा। अब तलाल आबदो मेहदी के परिवार ने फिर से साफ कर दिया है कि वे ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे। तलाल आबदो मेहदी पर आरोप है कि उसने निमिषा प्रिया का उत्पीड़न किया था और उसका पासपोर्ट रख लिया था। उसे हासिल करने के लिए ही निमिषा ने उसे ड्रग्स दिया था और उसकी ओवरडोज से वह मर गया था। इस मामले में निमिषा प्रिया को सजा-ए-मौत सुनाई गई है। उन्हें आज यानी 16 जुलाई के दिन सजा मिलनी थी, लेकिन केरल के ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर मुसलियार के दखल से इसे टाल दिया गया था। कहा गया कि निमिषा प्रिया के वकील और परिजनों को वक्त दिया जाएगा कि वे तलाल के परिवार को ब्लड मनी के लिए राजी कर लें। लेकिन ऐसा होता मुश्किल दिख रहा है। तलाल के भाई का कहना है कि वे ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे। तलाल के भाई अब्देलफतेह मेहदी ने कहा कि हमारे परिवार ने समझौते के सभी ऑफर खारिज कर दिए हैं। हम चाहते हैं कि भाई की कातिल को सजा-ए-मौत ही मिले। माफी के सवाल पर अब्देलफतेह मेहदी ने कहा कि यह बेहद गंभीर अपराध है और इसमें कोई माफी नहीं दी जा सकती। हम इस मामले में 'दीयत' यानी ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे। ब्लड मनी पर डील के लिए टाली गई है सजा, पर बढ़ गई मुसीबत यमन के कानून के अनुसार यदि मारे गए शख्स का परिवार आरोपी से मुआवजे के बदले माफी दे तो सजा खत्म की जा सकती है। अब्देलफतेह ने फेसबुक पर लिखी लंबी पोस्ट में कहा, 'आज क्या हो रहा है। मध्यस्थता और समझौते की बातें हो रही हैं। यह कोई नई बात नहीं है ना ही सरप्राइज वाली चीज है। इस साल फिर से कई बार समझौते की कोशिशें हुई हैं और ये नई नहीं हैं। हम पर काफी दबाव डाला गया है, लेकिन हमारी मांग में कोई बदलाव नहीं है। हम भी यही चाहते हैं कि उसे सजा-ए-मौत हो। फिलहाल सजा को टाल दिया गया है और हम इससे हैरान हैं। मध्यस्थता करने वाले समझ लें कि हम किसी भी तरह से समझौते के लिए तैयार नहीं हैं और ब्लड मनी स्वीकार नहीं है।' तलाल का भाई बोला- खून का कोई सौदा नहीं होता यही नहीं बेहद सख्त लहजे में तलाल आबदो मेहदी के भाई ने ब्लड मनी को खारिज कर दिया। अब्देलफतेह मेहदी ने लिखा, 'खून को खरीदा नहीं जा सकता। सजा को टाले जाने से हम नहीं रुकेंगे। किसी भी तरह के दबाव के आगे हम नहीं झुकेंगे। न्याय को भुलाया नहीं जा सकता। न्याय होगा और भले ही उसमें देर लगे। यह सिर्फ कुछ समय की बात है और अल्लाह हमारे साथ है।' बता दें कि सोमवार को भी अब्देलफतेह ने यही बात बीबीसी की अरबी सेवा से बातचीत के दौरान कही थी। उनका कहना है कि हम सिर्फ निमिषा की सजा-ए-मौत चाहते हैं।  

पहलगाम अटैक पर चौंकाने वाला खुलासा, 26 टूरिस्टों की हत्या के बाद आतंकियों ने किया था एक और कांड

 पहलगाम  22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। इसके बाद लगातार एजेंसियां अपनी जांच में जुटी हुई हैं। आतंकी हमले के सबसे अहम चश्मदीद ने जांच करने वाली एजेंसियों के सामने चौंकाने वाला बयान दिया है। उसने बताया कि उसने 22 अप्रैल को घास के मैदानों में 26 लोगों की हत्या के बाद बंदूकधारियों को हवा में चार राउंड फायरिंग करते देखा था और वह जश्न मना रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टार प्रोटेक्टेड चश्मदीद गवाह को एनआईए ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी की मदद से ट्रैक किया था। इस गवाह का हमले के कुछ ही मिनटों के बाद बैसरन घाटी के मैदान में तीन पाकिस्तानी आतंकियों से सामना हुआ था। उसके बयान से वाकिफ एक सूत्र ने इंडियन एक्प्रेस को बताया, ‘उसे कलमा पढ़ने के लिए कहा गया और जब उसने अपने स्थानीय लहजे में बोलना शुरू किया, तो उन्होंने उसे छोड़ दिया। उन्होंने जश्न मनाने के लिए गोलियां चलानी शुरू कर दीं। उसने हवा में चार राउंड गोलियां चलाई गईं।’  चश्मदीद ने जांचकर्ताओं को बताया है कि उसने 22 अप्रैल को 26 टूरिस्टों की हत्या के बाद बंदूकधारियों को ‘जश्न’ में हवा में चार राउंड गोलियां चलाते देखा था. यह पता चला है कि ‘स्टार प्रोटेक्टेड गवाह, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जम्मू और कश्मीर पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की मदद से ट्रैक किया था, हमले के कुछ मिनट बाद बैसरन घाटी में तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों का सामना किया था. पिछले महीने एनआईए ने हमलावरों को कथित तौर पर पनाह देने के आरोप में दो स्थानीय लोगों परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद को गिरफ्तार किया था. एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘उन्होंने तीन सशस्त्र आतंकवादियों की पहचान उजागर की और पुष्टि की कि वे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक थे. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, एनआईए को एक स्थानीय व्यक्ति मिला. अब वह मुख्य गवाह है. उसने हमले के कुछ ही मिनटों बाद हुई घटनाओं की अहम जानकारी साझा की. बताया जा रहा है कि उसने जांचकर्ताओं को बताया कि नागरिकों की हत्या करने के बाद जब वे बैसरन से निकल रहे थे, तो बंदूकधारियों ने उसे रोक लिया. उसके बयान से वाकिफ एक सूत्र ने बताया, ‘उसे कलमा पढ़ने के लिए कहा गया और जब उसने अपने स्थानीय लहजे में बोलना शुरू किया, तो उन्होंने उसे छोड़ दिया. उन्होंने जश्न में गोलियां चलानी शुरू कर दीं. हवा में चार राउंड गोलियाँ चलाई गईं.’ उसके बयान के आधार पर जांच दल ने घटनास्थल से चार इस्तेमाल किए हुए कारतूस जब्त किए. बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति ने जांचकर्ताओं को यह भी बताया कि उसने आतंकियों के मददगार परवेज और बशीर को कथित तौर पर एक पहाड़ी के पास खड़े होकर हमलावरों के सामान की देखभाल करते देखा था, जिसे बंदूकधारियों ने आखिरकार उनसे ले लिया था. जांचकर्ताओं ने परवेज और बशीर से भी लंबी पूछताछ की है. उसके आधार पर अब उन्हें पता चला है कि हमले से पहले क्या हुआ था. एक केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्र ने बताया, ‘परवेज ने दावा किया है कि घटना से एक दिन पहले तीनों आतंकी दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उसके घर आए और खाना मांगा. उनके पास हथियार थे. उसकी पत्नी ने उन्हें खाना परोसा और वे करीब चार घंटे तक बैसरन में सुरक्षा व्यवस्था, पर्यटक स्थलों, रास्तों और टाइम टेबल से जुड़े सवाल पूछते रहे.’ सूत्रों के मुताबिक, जाने से पहले आतंकियों ने परवेज की पत्नी से कुछ मसाले और बिना पके चावल पैक करने को कहा और परिवार को 500 रुपये के पांच नोट दिए. सूत्र ने बताया, ‘इसके बाद वे बशीर से मिले. उन्होंने उनसे (दोनों स्थानीय परवेज और बशीर) 22 अप्रैल को दोपहर करीब साढ़े बारह बजे बैसरन पहुंचने को कहा. सूत्रों ने बताया कि हमलावरों में से एक सुलेमान शाह बताया जा रहा है, जो पिछले साल 20 अक्टूबर को श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग पर जेड-मोड़ सुरंग का निर्माण कर रही एक कंपनी के सात कर्मचारियों की हत्या में शामिल था. घटनास्थल से चार कारतूस बरामद पिछले महीने एनआईए ने हमलावरों को कथित तौर पर पनाह देने के आरोप में दो स्थानीय लोगों को अरेस्ट किया था। एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘उन्होंने तीन आतंकवादियों की पहचान का खुलासा किया और पुष्टि की कि वे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तानी थे।’ इस मामले में गवाहों के बयान के बाद जांच कर रही टीम ने घटनास्थल से चार कारतूस भी जब्त किए हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति ने जांच करने वाली टीम को यह भी बताया था कि उसने परवेज और बशीर को कथित तौर पर पहाड़ी के पास खड़े होकर हमलावरों के सामान की देखभाल करते हुए देखा था। बशीर और परवेज से एजेंसी ने की पूछताछ एजेंसी ने परवेज और बशीर से भी काफी लंबी पूछताछ की है। एक सेंट्रल एजेंसी के सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘परवेज ने दावा किया है कि घटना से एक दिन पहले, तीनों हमलावर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उसके घर आए और खाना मांगा। उनके पास हथियार थे। उसकी पत्नी ने उन्हें खाना परोसा और वे करीब चार घंटे तक बैसरन में सिक्योरिटी अरेंजमेंट, टूरिस्ट प्लेस, रूट और टाइम से जुड़े हुए सवाल पूछते रहे।’ हमलावरों ने परवेज की पत्नी से कुछ मसाले और बिना पके चावल पैक करने को कहा और परिवार को 500 रुपये के पांच नोट दिए।    

UK के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा भागवत गीता का पाठ, सीएम धामी ने कहा- इसकी तैयारी पहले से थी

देहरादून  स्कूलों में भागवत गीता पढ़ाए जाने को लेकर सीएम धामी का बड़ा बयान आया है. सीएम धामी ने कहा, ‘हमने शिक्षा विभाग की समीक्षा मीटिंग में तय किया था, उस पर अब काम शुरू हो गया है.’ सीएम ने कहा कि भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को दिया गया ज्ञान हमारे बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करेगा. सीएम ने कहा कि इससे बच्चे न्यायशील बनेगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे. प्रदेश के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक पढ़ाए जाने के फैसले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने कहा कि किसी भी अच्छी चीज का स्वागत होना चाहिए. लेकिन सिर्फ श्रीमद् भागवत गीता को ही क्यों शामिल किया जाए. एक धर्म विशेष से जुड़े साहित्य को पढ़ाना सिर्फ वोटों की राजनीति लगती है. हर रोज सुनाना होगा एक श्लोक उत्तराखंड में एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को श्रीमद् भगवद्गीता का एक श्लोक अर्थ सहित प्रतिदिन सुनाया जाए ताकि आधुनिक शिक्षा के साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा से छात्रों को अवगत कराकर उन्हें एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सके. उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में जारी एक आदेश में कहा गया है कि प्रार्थना सभा में सुनाए जाने वाले इस श्लोक के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी भी छात्रों को दी जाएगी. शिक्षकों को सप्ताह का श्लोक घोषित करना होगा इसके अलावा, शिक्षकों को प्रत्येक सप्ताह गीता के एक श्लोक को ‘सप्ताह का श्लोक’ घोषित कर उसे सूचना पटट पर अर्थ सहित लिखे जाने को कहा गया है जिसका छात्र अभ्यास करेंगे और सप्ताह के अंत में उस पर चर्चा कर उसका ‘फीडबैक’ लिया जाएगा . आदेश में शिक्षकों को समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या करने तथा छात्रों को इस बात की जानकारी देने को कहा गया है कि श्रीमद् भगवद्गीता के सिद्धांत किस प्रकार मानवीय मूल्य, व्यवहार, नेतृत्व कौशल, निर्णय क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच विकसित करते हैं. केवल विषय के तौर पर ना पढ़ाया जाए छात्रों को यह भी बताया जाएगा कि गीता के उपदेश मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान एवं नैतिक दर्शन पर आधारित हैं जो धर्मनिरपेक्ष द्रष्टिकोण से संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं. आदेश में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को ये श्लोक केवल विषय या पठन सामग्री के रूप में नहीं पढ़ाए जाएं बल्कि ये उनके जीवन एवं व्यवहार में भी परिलक्षित हों. सती ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार एवं ज्ञान प्रणाली का अध्ययन कराया जाना है। इससे पहले उत्तराखंड में राज्य पाठ्यचर्या को लेकर छह मई को आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीमद् भगवद्गीता और रामायण को भी इसमें शामिल करने के निर्देश दिए थे.