samacharsecretary.com

जीवन में सही चुनाव करें: भगवद् गीता की 3 अनमोल सीखें

जीवन में हर व्यक्ति सफलता का स्वाद चखना चाहता है। जिसके लिए उसे कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। लेकिन कई बार ये दोनों ही गुण मौजूद होने के बावजूद व्यक्ति लक्ष्य की राह में आने वाली कठिनाइयों से घबराकर खुद के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है, जिसकी वजह से उसे कई बार निराशा का मुंह तक देखना पड़ता है। अगर आप भी लाइफ में कई बार ऐसी परिस्थिति से होकर गुजर चुके हैं तो आपको भगवद् गीता की ये 3 बातें जरूर याद रखनी चाहिए। ये बातें ना सिर्फ आपका सफलता का रास्ता आसान बनाएंगी बल्कि जीवन में अपने लिए सही निर्णय कैसे लिए जाते हैं, इसका ज्ञान भी देंगी। अच्छा और सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में खड़े थे, तो उनका सामना सिर्फ कौरवों की सेना से नहीं था बल्कि उनके सामने भी दो विकल्प मौजूद थे। पहला, विकल्प युद्ध, जो मुश्किल लेकिन सही था और दूसरा युद्ध से पीछे हट जाना, जो सुरक्षित लेकिन गलत था। अधिकांश लोगों की प्रवृत्ति असल जीवन में युद्ध जैसे कठिन निर्णयों का सामना करने से बचने की होती है। लेकिन गीता में कृष्ण कहते हैं कि कर्तव्य के स्थान पर आराम को चुनना बुद्धिमानी नहीं है। जो कठिन है उससे दूर नहीं भागा जा सकता है। व्यक्ति यह जानते हुए भी कि उसके लिए क्या सही है कोई कदम उठाने से झिझकता है क्योंकि यह उसके लिए असुविधा पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति किसी ऐसी नौकरी या रिश्ते में कई साल तक बना रहता है जो उसे कई समय पहले ही छोड़ देनी चाहिए थी। ऐसी चीजें व्यक्ति को स्थिर बनाए रखती हैं क्योंकि उसके लिए बदलाव कठिन है। लेकिन गीता व्यक्ति को ज्ञान देती है कि सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता और जो आसान है वह हमेशा सही नहीं होता। जीवन के फैसले अपनी भावनाओं को ना करने दें कुरुक्षेत्र में कौरवों से युद्ध से पहले अर्जुन का भावुक होना लाजमी था। वह परिवार के प्रति प्रेम और एक योद्धा के रूप में अपने कर्तव्यों के बीच उलझा हुआ था। शुरूआत में उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध को सिर्फ भावनाओं के नजरिए से देखा लेकिन कृष्ण ने उन्हें समझाया कि कभी भी अपनी भावनाओं को अपने निर्णयों पर हावी न होने दें। उन्हें महसूस करें, उन्हें स्वीकार करें, लेकिन कोई भी फैसला उनके आधार पर ना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि भावनाएं अस्थायी होती हैं, डर खत्म हो जाता है, उत्साह ठंडा हो जाता है और गुस्सा शांत हो जाता है। यदि आप भावनाओं के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं कि आप अभी क्या महसूस कर रहे हैं, तो आपका कोई भी फैसला भविष्य में टिक नहीं पाएगा। ऐसे में कोई भी कार्य करने से पहले थोड़ा रुकें और खुद से पहले यह सवाल करें कि अगर आप इन भावनाओं से दूर होकर किसी काम को करने की सोचते हैं तो उसका परिणाम क्या हो सकता है। गलत चुनाव करने का डर कृष्ण कहते हैं अगर आप कोई भी निर्णय लेने से पहले उसकी पूर्ण निश्चितता की प्रतीक्षा करते हैं, तो आप अपना जीवन प्रतीक्षा में ही बिता देंगे। मैं विफल हो गया तो क्या हुआ?, यदि यह मार्ग सही नहीं हुआ तो क्या होगा? अगर इस काम को करने के बाद मुझे बाद में पछताना पड़ा तो क्या होगा?, ऐसे प्रश्नों को सोचने से बचें। तभी जाकर आप कुछ सीखकर आगे बढ़ते हैं। याद रखें, सही या गलत, कोई भी निर्णय व्यर्थ नहीं जाता। अच्छा फैसला सफलता तो खराब निर्णय आपको सबक देकर जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि जब आप गलत मोड़ लेते हैं, तो यात्रा समाप्त नहीं होती है बल्कि मंजिल तक पहुंचने के आपको कई और रास्ते पता चलते हैं। गलत निर्णय लेना गलती नहीं है बल्कि असफलता के डर से कोई निर्णय ही ना लेना गलती है।

दिवाली की रात दरवाजे क्यों खुले रखे जाते हैं? जाने पौराणिक कहानी में छिपा रहस्य

हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाने वाली है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साल भर खुशहाल जीवन देती हैं. माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सार भर आर्थिक तंगी नहीं आती. दिवाली के दिन रात को लोगों के घरों का दरवाजा खुला रहता है. दिवाली की रात लोग दरवाजा क्यों खुला रखते हैं? इसके बारे में एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में. इसलिए दिवाली की रात दरवाजे खुले रखे जाते हैं दिवाली की रात लोग अपने घरों का दरवाजा इसलिए खोलकर रखते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता और श्रद्धा पाती हैं, उन घरों में वो वास करती हैं, इसलिए घर में उनका स्वागत करने और उन्हें अंदर आने देने के लिए दरवाजों को खुला छोड़ा जाता है. यह भी माना जाता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत किया जाता है. पौराणिक कथा एक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी कार्तिक मास की अमावस्या की रात में भ्रमण पर निकलीं, लेकिन संसार में अंधेरा छाया हुआ था. ऐसे में माता लक्ष्मी रास्ता भटक गईं. इसके बाद उन्होंने ये तय किया ये रात मृत्यु लोक में गुजारी जाए और सुबह बैकुंठ धाम लौटा जाएगा, लेकिन माता को हर घर का दरवाजा बंद मिला. एक द्वार खुला था. उस द्वार पर दीपक जल रहा था. इस पर माता लक्ष्मी दीपक की रौशनी की ओर चली गईं. वहां जाकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बुजुर्ग महिला काम कर रही थी. इसके बाद माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि उनको रात में रुकने के लिए स्थान चाहिए. फिर बुजुर्ग महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और बिस्तर प्रदान किया. इसके बाद वो अपने काम में लग गई. काम करते-करते बुजुर्ग महिला की आंख लग गई. सुबह जब वो उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी थीं, लोकिन उसका घर महल में बदल चुका था. चारों और हीरे-जेवरात धन दौलत रखी हुई थी, तब उस बुजुर्ग महिला को पता चला कि रात में जो अतिथि उसके घर आईं थीं वो कोई और नहीं, बल्कि स्वंय माता लक्ष्मी थीं. इसके बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या की रात घर में दीपक जलाने और घर को खुला रखने की पंरपरा शुरू हो गई. इस रात लोग घर का दरवाजा खोलकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं.

दीपावली 2025: 71 साल बाद आए ये खास पांच संयोग, शुभ मुहूर्त से करें धन की प्राप्ति

रुड़की दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति 125 वर्ष पूर्व 1900 और 1901 में बनी थी। वहीं 2024 के बाद अब लगातार दूसरे साल 2025 में भी ऐसी स्थिति बन रही है। उधर, इस बार दीपावली पर 71 वर्ष बाद पांच महासंयोग पड़ रहे हैं। जिनमें हंस राजयोग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा आदित्य मंगल योग शामिल है। ये योग पड़ने से दीपावली खास होगी। यह पर्व सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल बताते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस साल भी दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। हालांकि वाराणसी के सभी पंचांगों में 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अन्य पंचांग में सूर्यास्त के अनुसार 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश है। आचार्य शुक्ल ने बताया कि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर बाद 3:45 पर होगा। 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सायंकाल 5:55 तक व्याप्त रहेगी। 21 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी और निशीथ कालव्यापिनी अमावस्या न होने से 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मानने का निर्देश दिया गया है। जबकि निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार दीपावली पर्व 21 अक्टूबर को भी मनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दीपावली (20 अक्टूबर) पर पांच महासंयोग पड़ने से गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। घरों में पूजन को संध्या में 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम समय दीपावली पर सोमवार को व्यावसायिक पूजन का समय दोपहर लगभग 1:30 से सायंकाल 6:00 बजे के मध्य उचित रहेगा। इस दौरान चर लाभ, अमृत चौघड़िया तथा स्थिर लग्न विद्यमान होगा। इस अवधि में खरीदारी करना भी बहुत शुभ रहेगा। वहीं घरों में पूजन का समय प्रदोष काल के समय संध्या में लगभग 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम रहेगा। इस दौरान स्थिर लग्न एवं चर चौघड़िया रहेगी। निशीथ काल का समय रात्रि लगभग 8:20 से 10:55 के मध्य का होगा। इस दौरान साधना आदि के लिए उचित समय रहेगा। महानिशा काल का समय रात्रि लगभग 10:50 से 1:30 तक रहेगा। यह समय तांत्रिक क्रियाएं तथा सिद्धियां करने वालों के लिए उचित रहेगा। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा के बाद करें श्रृंगार अर्पण आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि दीपावली पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा इंद्र, वरुण, यम, कुबेर आदि की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा करने के बाद श्रृंगार अर्पण करना चाहिए। इसके बाद श्री लक्ष्मी सूक्त, श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र और पुरुष सूक्त का पाठ करके मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख-समृद्धि आती है।  

मकर राशि के लिए शुभ दिन, 20 अक्टूबर 2025 का सभी राशियों का राशिफल पढ़ें

मेष आज के दिन आपको पॉजिटिव बदलाव देखने को मिल सकते हैं। करियर में सफलता मिलेगी। घर के सदस्यों के साथ संबंध मजबूत होंगे। व्यवसायिक मुद्दों पर संयम बरतने की जरूरत है। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। वृषभ आज के दिन परिवार के कुछ सदस्यों से मतभेद होने की भी संभावना है। अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए आप प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट कर सकते हैं। कुछ लोग ट्रिप पर भी जा सकते हैं। मिथुन आज के दिन प्रॉपर्टी से जुड़ी कोई अच्छी खबर मिल सकती है। कोई सकारात्मक खबर मिल सकती है। दिन आपके लिए रोमांस से भरपूर रहने वाला है। आपको आपके पार्टनर का पूरा साथ मिलेगा। कर्क आज के दिन कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी साथ ही पार्टनर के साथ वैकेशन पर भी जाने की संभावना है। वहीं, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सिंह आज के दिन आपको स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रॉपर्टी के मसलों में ध्यान दें, हानि हो सकती है। छात्रों के लिए भी ये दिन अच्छा रहने वाला है। आपकी आय में वृद्धि होगी। कन्या आज कॉम्पीटीशन की कमी के चलते आपकी प्रोडक्टिविटी पर भी असर पड़ सकता है। आय में वृद्धि होगी। जहां पारिवारिक बंधन मजबूत होंगे वहीं, जीवनसाथी की तलाश में आपको निराशा झेलनी पड़ सकती है। तुला आज के दिन अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बेवजह की यात्रा से बचें। आपको करियर में सफलता मिलेगी। साथ ही आपकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर रहेगी। आपका पार्टनर आपके लिए सरप्राइज डेट प्लान कर सकता है। वृश्चिक आज के दिन स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए हेल्दी डाइट लें। नयी प्रॉपर्टी खरीदने के आसार नजर आ रहे हैं। छात्रों को मन लगाकर पढ़ाई करने की सलाह दी जाती है। तनाव कम लें। धनु आज के दिन करियर में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले सलाह जरूर लें। लव लाइफ में टेंशन का माहौल बन सकता है। मकर आज के दिन अपने फैमिली मेंबर्स के साथ वक्त बिताएं। आर्थिक स्थिति पर फोकस करें। सूझ-बुझ के साथ ही निर्णय लें। आपके लिए दिन रोमांस से भरपूर रहने वाला है और आपको अपने पार्टनर के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने का मौका मिलेगा। कुंभ आज के दिन कार्यक्षेत्र में नए अवसर मिल सकते हैं। प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करना आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। आपको खुद पर ध्यान देना चाहिए। सहपाठियों के साथ मेल-जोल बढ़ाना आपकी प्रोफेशनल लाइफ के लिए बेहतर साबित हो सकता है। मीन आज के दिन सोच-समझकर फाइनेंशियल डिसीजन लेना आपके लिए बेहतर रहेगा। अपने प्रेम-संबंधों को मजबूत बनाने के लिए पार्टनर से खुलकर बात-चीत करें और उन्हें समय दें।

कल की दिवाली: लक्ष्मी-गणेश पूजा कैसे करें? समय, भोग और आरती का संपूर्ण विवरण

दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान राम 14 वर्षों का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। प्रभु राम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरे नगर में दीये जलाए थे। एक अन्य मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का विधान है। जानें 20 अक्टूबर को दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, गणेश-लक्ष्मी पूजा विधि, मंत्र, भोग व आरती समेत सभी जरूरी बातें। अमावस्या तिथि कब से कब तक: अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पूजा मुहूर्त 2025: दिवाली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन प्रदोष व वृषभ काल में अत्यंत शुभ माना गया है। दिवाली पर प्रदोष काल शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक रहेगा। वृषभ काल शाम 07:08 बजे से रात 09:03 बजे तक रहेगा। दिवाली के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:44 बजे से सुबह 05:34 बजे तक। अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक। विजय मुहूर्त- दोपहर 01:59 बजे से दोपहर 02:45 बजे तक। गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:46 बजे से शाम 06:12 बजे तक। सायाह्न सन्ध्या- शाम 05:46 बजे से रात 07:02 बजे तक। अमृत काल- दोपहर 01:40 बजे से दोपहर 03:26 बजे तक। निशिता मुहूर्त- रात 11:41 बजे से अगले दिन देर रात 12:31 बजे तक। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के दिन शुभ चौघड़िया मुहूर्त: अमृत – सर्वोत्तम: 06:25 ए एम से 07:50 ए एम शुभ – उत्तम: 09:15 ए एम से 10:40 ए एम लाभ – उन्नति: 02:56 पी एम से 04:21 पी एम अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 03:44 पी एम से 05:46 पी एम सायाह्न मुहूर्त (चर) – 05:46 पी एम से 07:21 पी एम अमृत – सर्वोत्तम: 04:21 पी एम से 05:46 पी एम दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के रात के शुभ चौघड़िया मुहूर्त: लाभ – उन्नति: 10:31 पी एम से अगले दिन देर रात 12:06 बजे तक। राहुकाल का समय: दिवाली के दिन राहुकाल सुबह 07:50 बजे से सुबह 09:15 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल के दौरान पूजा-पाठ व शुभ मांगलिक कार्यों की मनाही है। देखें सिटीवाइज लक्ष्मी पूजन मुहूर्त- 07:38 पी एम से 08:37 पी एम – पुणे 07:08 पी एम से 08:18 पी एम – नई दिल्ली 07:20 पी एम से 08:14 पी एम – चेन्नई 07:17 पी एम से 08:25 पी एम – जयपुर 07:21 पी एम से 08:19 पी एम – हैदराबाद 07:09 पी एम से 08:19 पी एम – गुरुग्राम 07:06 पी एम से 08:19 पी एम – चंडीगढ़ 05:06 पी एम से 05:54 पी एम- कोलकाता 07:41 पी एम से 08:41 पी एम – मुंबई 07:31 पी एम से 08:25 पी एम – बेंगलूरु 07:36 पी एम से 08:40 पी एम – अहमदाबाद 07:07 पी एम से 08:18 पी एम – नोएडा दिवाली पूजन सामग्री: गणेश-लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र, कलश ढकने के लिए ढक्कन, चांदी का सिक्का, तांबूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), मिट्टी के दीये, गुलाब व कमल के फूल, चौकी, चौकी पूरने के लिए सूखा आटा, गंगाजल, घी, शक्कर, पंच मेवा, दूर्वा, गणेश-लक्ष्मी जी के वस्त्र, मिट्टी या पीतल का कलश, अगरबत्ती, कपूर, धूप, तुलसी दल, इत्र की शीशी, कलावा, छोटी इलाचयी, जल पात्र, गट्टे, खील-बताशे, मुरमुरे, कलम, नारियल, सिंदूर, कुमकुम, जनेऊ, केसर, सिंघाड़े, लौंग, सरसों का तेल, सप्तमृत्तिका, साबुत धनिया, रुई, 16 श्रृंगार व चंदन, लाल कपड़ा व कुबेर यंत्र आदि। दिवाली गणेश-लक्ष्मी पूजा विधि: दिवाली पूजन के लिए घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की साफ-सफाई करें। इसके बाद यहां एक चौकी में नया या साफ लाल कपड़ा बिछाएं। अब गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले गंगाजल से मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को स्नान कराएं। अब उन्हें वस्त्र, कमल या गुलाब के फूल व इत्र आदि अर्पित करें। इसके बाद भक्ति भाव के साथ एक-एक करके सभी सामग्री चढ़ाएं। अब गणेश-लक्ष्मी जी का तिलक करें और अक्षत लगाएं। अब भोग लगाने के बाद आरती उतारें और अंत में भूल चूक के लिए मांगी मांगें। भगवान गणेश व माता लक्ष्मी का प्रिय भोग: मां लक्ष्मी को खीर प्रिय है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा आप सिंघाड़ा, नारियल, पान का पत्ता, हलुआ व मखाने आदि का भी भोग लगा सकते हैं। भगवान गणेश को मोदक व बेसन का लड्डू भोग के रूप में प्रिय माना गया है। दिवाली पर करें मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप: ॐ लक्ष्मी नारायण नमः। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥ भगवान गणेश के मंत्र: मूल मंत्र: ऊँ गं गणपतये नमः गायत्री मंत्र: ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

वास्तु के अनुसार सजाएं घर का हर कोना, दिवाली पर मिलेगी सुख-समृद्धि

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जब लोग अपने घरों को सजाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के विभिन्न कोनों को सजाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। दिवाली पर घर सजाने के लिए वास्तु के अनुसार प्रत्येक दिशा का महत्व है। सही दिशा में सजावट से न केवल घर की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है। ध्यान रखें कि सजावट के साथ-साथ सफाई और व्यवस्था भी महत्वपूर्ण हैं। इस दिवाली अपने घर को सकारात्मकता और खुशियों से भरपूर बनाएं और अपने परिवार के साथ खुशहाल समय बिताएं। आइए जानें कि दिवाली से पहले घर के किस कोने को सजाना चाहिए और इसके पीछे के वास्तु सिद्धांतों के बारे में। मुख्य प्रवेश द्वार मुख्य प्रवेश द्वार को सजाना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे स्वच्छ और आकर्षक रखना चाहिए। आप यहां रंगोली बना सकते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। प्रवेश द्वार पर दीपक या मोमबत्तियां रखना भी शुभ माना जाता है। इससे घर में आने वाले हर व्यक्ति का स्वागत होता है। उत्तर-पूर्व दिशा उत्तर-पूर्व दिशा को ‘ईशान कोण’ कहा जाता है और इसे आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का केंद्र माना जाता है। यहां पर सफेद और हल्के रंगों का उपयोग करें। इस क्षेत्र में पौधों या फूलों के गुलदस्ते रखने से ऊर्जा का संचार बढ़ता है। आप इस दिशा में पूजा का स्थान भी स्थापित कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा को धन की दिशा माना जाता है। इसे सजाने के लिए आप यहां पर दीपक और सजावटी वस्त्र रख सकते हैं। इस दिशा में बर्तन या धातु की वस्तुएं रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। आप यहां पर ताजे फूल भी रख सकते हैं, जिससे सकारात्मकता बनी रहे। दक्षिण दिशा दक्षिण दिशा को शक्ति और स्थिरता का स्थान माना जाता है। इस दिशा में काले, भूरे और नीले रंग का उपयोग करें। यहाँ पर मजबूत और सुंदर सजावटी सामान रखें। यह दिशा घर में सुरक्षा और स्थिरता लाने में मदद करती है। पश्चिम दिशा पश्चिम दिशा को संतान सुख की दिशा माना जाता है। इस दिशा में तस्वीरें, स्मृति चिन्ह या सजावटी सामान रखकर सजाएं। यहां पर रंगीन कैंडल या मोमबत्तियां रखना भी शुभ है। यह दिशा घर के सदस्यों के बीच प्यार और सामंजस्य को बढ़ाती है। कमरे का केंद्र घर के केंद्र को ‘ब्रह्मस्थान’ कहा जाता है। इसे खाली और स्वच्छ रखना चाहिए। यहां पर सजावट करते समय हल्के रंगों का प्रयोग करें। इस स्थान को रोशनी से भरपूर रखें। इससे पूरे घर में सकारात्मकता और ऊर्जा बनी रहती है। बाथरूम और शौचालय दिवाली पर इन जगहों को भी सजाने का ध्यान रखें। यहां पर सफाई और सुव्यवस्था बनाए रखें। इन स्थानों को खुशबूदार तेल या अगरबत्ती से सुगंधित करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा।

दिवाली के बाद 21 अक्टूबर को क्या होगा? जानिए त्योहारों की पूरी कहानी

 दिवाली के पंच दिवसीय त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो चुकी है. इस साल लोगों के बीच में दिवाली की तिथि 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर, को लेकर बहुत ही बड़ा कंफ्यूजन है, आखिर दीपावली का पर्व कब मनाया जाएगा? इसी वजह से इन तिथियों को लेकर देशभर के बड़े ज्योतिषियों में, पंडितों और ज्योतिर्विदों में बहस भी छिड़ी हुई है. जिसका समाधान निकलते हुए ये सामने आया है कि प्रदोष व्यापिनी तिथि के कारण दिवाली इस बार 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी. 20 अक्टूबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली? गाजियाबाद के दुर्गा मंदिर के जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित राम किशोर जी के मुताबिक, इस साल 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना उचित होगा. क्योंकि इसी दिन प्रदोष काल, वृषभ लग्न और महानिशीथ काल, सभी योग प्राप्त हो रहे हैं. दरअसल, इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट पर रहेगा. वहीं, वृषभ लग्न शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 3 मिनट रहेगा. इसके अलावा, महानिशीथ काल का समय मध्यरात्रि 11 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर की अर्धरात्रि 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. 20 अक्टूबर की शाम बनने जा रहे इन्हीं संयोगों में लक्ष्मी पूजन और काली पूजन करना उचित होता है, इसलिए इसी दिन दिवाली मनाई जाएगी.  20 अक्टूबर को है दिवाली तो 21 अक्टूबर को क्या है? आगे ज्योतिषाचार्य पंडित राम किशोर जी बताते हैं कि, 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट अमावस्या तिथि ही रहेगी. यानी 21 अक्टूबर को अमावस्या का समापन सूर्यास्त के साथ हो जाएगा. इसके बाद प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो जाएगी. इसका मतलब है कि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि ना तो प्रदोष काल में रहेगी और ना रात्रि में रहेगी. इसलिए, इस दिन कोई भी त्योहार नहीं है यानी यह दिन खाली रहेगा. हालांकि, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक अमावस्या का स्नान-दान होगा, जो कि बहुत ही विशेष अनुष्ठान माना जाता है.  20 अक्टूबर को ये रहेगा लक्ष्मी गणेश का पूजन मुहूर्त 20 अक्टूबर को दिवाली की पूजा के लिए 2 खास मुहूर्त प्राप्त होंगे. जिसमें पहला मुहूर्त प्रदोष काल है, इस दिन प्रदोष काल की शुरुआत शाम 5 बजकर 46 मिनट से होगी और इसका समापन रात 8 बजकर 18 मिनट पर होगा. इसके अलावा, स्थिर लग्न का वृषभ काल में भी मां लक्ष्मी के पूजन का अच्छा मुहूर्त माना जाता है जो कि शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगा.  इन दोनों मुहूर्तों के अलावा, मां लक्ष्मी की पूजा का खास मुहूर्त शाम 7 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 11 मिनट की रहेगी. इसके अलावा, इस दिन महानिशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अर्धरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

कपूर माचिस दिखते ही जल क्यों उठता है? किस पौधे से बनता है ये पवित्र पदार्थ, जानें पूरा विज्ञान

इस समय देश में त्योहारों का सीजन चल रहा है. ऐसे में हर घर में पूजा-पाठ से लेकर हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जरूर होते हैं. इसके लिए कपूर एक अनिवार्य सामग्री है। जैसे ही इसे माचिस की तीली दिखाई जाती है, यह तुरंत जल उठता है और चारों ओर एक मंद, सुगंधित महक फैल जाती है। क्या आपने कभी इस पर विचार किया है कि कपूर का निर्माण कैसे होता है, इसका पौधा कैसा दिखता है, और यह इतना अधिक ज्वलनशील क्यों होता है? आइए, इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानते हैं। कैसे बनता है कपूर? बाजार में मुख्य रूप से दो प्रकार के कपूर उपलब्ध होते हैं. पहला प्राकृतिक कपूर और दूसरा फैक्ट्रियों में कृत्रिम रूप से (आर्टिफिशियल) तैयार किया गया कपूर. प्राकृतिक कपूर ‘कैम्फूर ट्री’ नामक एक वृक्ष से प्राप्त होता है, जिसका वैज्ञानिक नाम Cinnamomum Camphora है. यह कैम्फूर वृक्ष लगभग 50 से 60 फीट तक ऊंचा हो सकता है और इसकी पत्तियां गोल आकार की तथा लगभग 4 इंच चौड़ी होती हैं. कपूर वास्तव में इस पेड़ की छाल से बनाया जाता है. जब कैम्फूर की छाल सूखने लगती है या उसका रंग भूरा (ग्रे) दिखने लगता है, तब इसे पेड़ से अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इस छाल को गर्म करके रिफाइन किया जाता है और फिर पीसकर पाउडर बनाया जाता है. अंत में, आवश्यकतानुसार इसे विभिन्न आकार दे दिए जाते हैं. कैम्फूर ट्री कहाँ से आया और इसका इतिहास कैम्फूर ट्री (Camphor Tree) की उत्पत्ति मुख्य रूप से पूर्वी एशिया विशेष रूप से चीन में मानी जाती है. हालांकि कुछ वनस्पति विज्ञानियों का मत है कि यह जापान का मूल वृक्ष है. चीन में तांग राजवंश (618-907 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान कैम्फूर ट्री का उपयोग करके एक प्रकार की आइसक्रीम तैयार की जाती थी जो काफी प्रसिद्ध थी. इसके अलावा इस वृक्ष को कई अन्य तरीकों से भी उपयोग में लाया जाता था. चीनी लोक चिकित्सा पद्धति में इस पेड़ का विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल होता था. नौवीं शताब्दी के आस-पास डिस्टिलेशन विधि का उपयोग करके कैम्फूर ट्री से कपूर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया. goya.in की एक रिपोर्ट के अनुसार 18वीं शताब्दी तक फार्मोसा गणराज्य (जो अब ताइवान के रूप में जाना जाता है) कैम्फूर ट्री का सबसे बड़ा उत्पादक था. उस समय फार्मोसा, क्विंग राजवंश (Qing Dynasty) के नियंत्रण में था. इस राजवंश ने फार्मोसा के जंगलों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर दिया, जिसमें कैम्फूर भी शामिल था. उनकी अनुमति के बिना पेड़ को छूना तक दंडनीय अपराध था, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान था. यहां तक कि वर्ष 1720 में नियम उल्लंघन के आरोप में लगभग 200 लोगों का सिर कलम कर दिया गया था. यह एकाधिकार वर्ष 1868 में समाप्त हुआ. हालांकि 1899 में जब जापान ने इस द्वीप पर कब्जा किया तो उन्होंने भी क्विंग राजवंश के समान ही एकाधिकार थोप दिया. यह वही अवधि थी जब पहली बार कृत्रिम (सिंथेटिक) कपूर का आविष्कार किया गया था. भारत में कपूर के पौधे का आगमन इसी समय भारत भी कपूर के उत्पादन पर कार्य करने का प्रयास कर रहा था. 1932 में प्रकाशित एक शोध पत्र में कलकत्ता के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के आर.एन. चोपड़ा और बी. मुखर्जी ने यह उल्लेख किया है कि 1882-83 के दौरान लखनऊ के हॉर्टिकल्चर गार्डन में कपूर उत्पादक वृक्षों की खेती में सफलता मिली थी. हालांकि, यह सफलता अधिक समय तक कायम नहीं रह पायी. फिर भी प्रयास जारी रहे और आगामी वर्षों में देश के कई क्षेत्रों में कैम्फूर ट्री की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी. कपूर के पेड़ को ब्लैक गोल्ड क्यों कहा जाता है कैम्फूर ट्री को ब्लैक गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है. इसकी गणना विश्व के सर्वाधिक मूल्यवान वृक्षों में होती है. इस पेड़ से केवल पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाला कपूर ही नहीं, बल्कि कई अन्य उपयोगी वस्तुएं भी बनाई जाती हैं, जैसे एसेंशियल ऑयल, विभिन्न प्रकार की दवाइयां, इत्र (परफ्यूम) और साबुन आदि. कपूर के पेड़ में छह विशिष्ट रसायन पाए जाते हैं, जिन्हें केमोटाइप्स कहा जाता है. ये केमोटाइप्स निम्नलिखित हैं: कपूर (Camphor), लिनालूल (Linalool), 1,8-सिनिओल (1,8-Cineole), नेरोलिडोल (Nerolidol), सैफ्रोल (Safrole), और बोर्नियोल (Borneol). कपूर तुरंत क्यों जल उठता है? कपूर में कार्बन और हाइड्रोजन की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसके कारण इसका ज्वलन तापमान (Ignition Temperature) बहुत कम होता है. इसका अर्थ है कि यह बहुत हल्की-सी ऊष्मा (हीट) मिलते ही जलना शुरू कर देता है. इसके अतिरिक्त कपूर एक अत्यंत वाष्पशील (Volatile) पदार्थ है. जब कपूर को थोड़ा-सा भी गर्म किया जाता है तो इसकी वाष्प (Vapor) बहुत तेजी से हवा में फैल जाती है और वातावरण की ऑक्सीजन के साथ मिलकर यह बेहद आसानी से जलने लगता है.

आज का राशिफल (19 अक्टूबर 2025): मकर को मिल सकती है खुशखबरी, बाकी राशियों की स्थिति कैसी रहेगी?

मेष आज आपको आराम करने की जरूरत है, वरना थकान महसूस हो सकती है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जरूरत के हिसाब से चीजें जीवन में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। सेहत अच्छी रहेगी। परिवार का साथ मिलेगा। धन की स्थिति को लेकर मन में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। वृषभ आज आपको अपने प्रिय व्यक्ति के साथ समय गुजारना चाहिए। आपके मन में पैसों को जल्दी कमाने का तीव्र इच्छा हो सकती है। मानसिक शांति प्राप्त करेंगे। यात्रा का योग हैं। व्यावसायिक रूप से आप अच्छे रहेंगे। ऑफिस में अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। मिथुन आज आपको ऑफिस व घर में कुछ तनाव का सामना करना पड़ सकता है। पैसों से जुड़ी परेशानी हो सकती है। आर्थिक रूप से आप खुद को बेहतर करने की कोशिश करेंगे और सफलता भी पाएंगे। व्यापार के लिहाज से दिन अनुकूल है। परिवार के सदस्यों का साथ मिलेगा और वे आपकी बात सुनेंगे। कर्क आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। किसी को भी धन उधार देने से बचना चाहिए, वरना वापसी में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय गुजारेंगे और आपको सरप्राइज भी मिल सकता है। ऑफिस में उच्चाधिकारियों का सहयोग मिलेगा। कारोबार के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। कन्या आज आपको अपनी सभी परेशानियों का हल मिल सकता है। निवेश फायदेमंद रहेगा। परिवार के सदस्यों पर आपका कंट्रोल रखने वाला स्वभाव बेवजह वाद-विवाद को जन्म देगा। किसी शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है। मेहनत का पूरा फल मिलेगा। हालांकि कार्यों को करते समय धैर्य से काम लें। सिंह आज आपकी प्रभावशाली लोगों से मुलाकात हो सकती है। जैसा आप चाहेंगे, वैसा पाएंगे। हालांकि आज धन की कमी का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन शाम तक स्थितियां आपके अनुकूल हो जाएंगी। ऑफिस में आपको लोगों के साथ गपशप करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें आपका ज्यादातर समय बर्बाद होता है। जीवनसाथी के सेहत की चिंता हो सकती है। तुला आज आपको कार्यों में सफलता मिलेगी। ऑफिस में आपके विचारों की तारीफ हो सकती है। व्यक्तित्व में निखार आएगा और मेहनत रंग लाएगी। आप अपना खाली समय धार्मिक कार्यों में बिताने का विचार बना सकते हैं। इस दौरान बेवजह के विवादों में न पड़ें। किसी भी तरह की प्लानिंग में जीवनसाथी के विचारों को जरूर शामिल करें। वृश्चिक आज आपको अपनी फीलिंग्स पर कंट्रोल रखना होगा। आर्थिक रूप से आप परेशानी का सामना कर सकते हैं। रोमांस के लिहाज से दिन अच्छा रहने वाला है। सेहत में सुधार होगा। व्यापारिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। धनु आज आप खरीदारी करने के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं। दिन की शुरुआत ध्यान और योग से करने से आपको लाभ होगा। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी, लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि ज्यादा खर्चा न करें। आज परिवार के साथ समय बिताना जरूरी है। मकर आज आप अपने शौक पूरे कर सकते हैं। किसी करीबी की सलाह से आर्थिक लाभ होने की संभावना है। जीवनसाथी के साथ रिश्तों में सुधार होगा। बहुत बड़े निवेश से दूरी बनाए रखें, वरना नुकसान हो सकता है। व्यापारियों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। आज आप तरोताज़ा महसूस कर सकते हैं। कुंभ आज आपके जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आपके विचारों को सीनियर्स समझेंगे और तारीफ भी करेंगे। ऑफिस में कलीग का सहयोग मिलेगा, जिससे काम जल्दी निपट सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो सकती है और बचत करने में सफल हो सकते हैं। हालांकि आज जीवनसाथी के विचारों को नजरअंदाज न करें, वरना अनबन हो सकती है। मीन आज दोस्तों का साथ मिलेगा। व्यापार में मुनाफा आज कई व्यापारियों के चेहरों पर खुशी ला सकता है। आज आप अपनों के बीच खुशियां बांटेंगे। यात्रा लाभकारी रहेगी। शिक्षा से जुड़े लोगों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। धन लाभ की संभावना है। व्यावसायिक रूप से स्थिति अच्छी रहेगी।

लक्ष्मी-कुबेर पूजन विधि: शुभ मुहूर्त, सामग्री और मंत्र – पूरी जानकारी एक जगह

दीपावली का त्योहार खुशियों और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिसका शुभारंभ धनतेरस या धनत्रयोदशी से होता है। यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस 18 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष विधि-विधान से माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति हो सके। धनतेरस की पूजा में कई तरह के पारंपरिक और शुभ सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो पूजा को सफल और फलदायी बनाते हैं। इस पूजा सामग्री की एक सूची तैयार की गई है, जिसमें उस दिन उपयोग होने वाले सभी जरूरी सामानों के नाम शामिल हैं। इससे पूजा करने वाले आसानी से तैयारी कर सकते हैं और इस पावन अवसर को विधिपूर्वक मना सकते हैं। धनतेरस पूजा सामग्री सूची     चौकी     स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत या आटा     चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र     मिट्टी के बड़े दीपक     सरसों का तेल     13 मिट्टी के दीपक और बाती     कौड़ी     माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की तस्वीर     पूजा की थाली     सुपारी     कुबेर यंत्र     कलश     मौली या कलावा     अक्षत     रोली या अबीर     गुलाल     सिक्का     गुड़ या शक्कर     चंदन     कुमकुम और हल्दी     चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल     सीजनल फल     मिष्ठान्न     ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची)     क्षमतानुसार दक्षिणा     लाल और पीले पुष्प     पुष्प माला     धुप     अगरबत्ती     चढ़ावा के लिए खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग     कपूर धनतेरस पूजा विधि     धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।     पूजा से पहले मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और घर के अंदर माता लक्ष्मी के पैर के निशान बनाएं।     माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार (16 प्रकार की पूजा सामग्री) से विधिपूर्वक पूजा करें।     भगवान धन्वंतरि को कुमकुम लगाएं, माला पहनाएं और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।     पूजा में भोग अर्पित करें, खासकर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और मक्खन चढ़ाएं।     धनतेरस के दिन पीतल की कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को समर्पित करें।     पूजा के दौरान धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें।     पूजा समाप्ति पर माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि की आरती करें।     आरती के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।     शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाएं, उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखें। धनतेरस के दिन मंत्र-जाप भगवान धन्वंतरि मंत्र ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोग निवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम: लक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः। कमलगट्टे की माला से 108 बार जप करें. लक्ष्मी-नारायण मंत्र ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः। श्री सूक्त (वैदिक मंत्र) ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥ लक्ष्मी गायत्री मंत्र ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥ कुबेर धन मंत्र ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः। कुबेर बीज मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्मीकुबेराय नमः॥ श्री गणेश जी के मंत्र गणेश बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नमः॥ गणेश गायत्री मंत्र ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥ सिद्धिविनायक मंत्र ॐ नमो सिद्धिविनायकाय सर्वकार्येषु सर्वदा॥