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ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिखाई ताकत, बिहार की कई सीटों पर उतरेगी मैदान में

पटना  बिहार चुनाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसको लेकर शनिवार को पहली लिस्ट जारी कर दी गई है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी जिन सीटों पर पार्टी लड़ेगी उसकी प्रथम सूची की है। जिसमें 16 जिलों की 32 विधानसभा सीटों का ऐलान किया है। पहली लिस्ट देखे- जिला किशनगंज: बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन और किशनगंज विधानसभा जिला पूर्णिया: अमौर, बायसी और क़स्बा विधानसभा जिला कटिहार: बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी और कदवा विधानसभा जिला अररिया: जोकीहाट और अररिया विधानसभा जिला गया: शेरघाटी और बेला विधानसभा जिला मोतिहारी: ढाका और नरकटिया विधानसभा जिला नवादा: नवादा शहर विधानसभा जिला जमुई: सिकंदरा विधानसभा जिला भागलपुर: भागलपुर और नाथनगर विधानसभा जिला सिवान: सिवान विधानसभा जिला दरभंगा: जाले, केवटी, दरभंगा ग्रामीण और गौरा बौराम विधानसभा जिला समस्तीपुर: कल्याणपुर विधानसभा जिला सीतामढ़ी: बाजपट्टी विधानसभा जिला मधुबनी: बिस्फी विधानसभा जिला वैशाली: महुआ विधानसभा जिला गोपालगंज: गोपालगंज विधानसभा आपको बात दें पिछली बार 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी उपेंद्र कुशवाहा के थर्ड फ्रंट के बैनर तले 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जिसमें मायावती की बीएसपी भी शामिल थी। एआईएमआआईएम के 5 विधायक जीते थे। जिसमें खुद अमौर से अख्तरूल ईमान भी शामिल हैं। लेकिन इस बार लग रहा है कि ओवैसी की पार्टी सीमांचल के अलावा मिथिलांचल, मगध और शाहबाद के इलाकों में भी दांव लगा रही है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने कहा कि महागठबंधन में शामिल नहीं होने के चलते हम लोगों को थर्ड फ्रंट (तीसरा मोर्चा ) बनाना पड़ रहा है। जिसका जल्द ही ऐलान कर दिया जाएगा। तीसरे मोर्चे में कौन-कौन से दल होंगे। इसकी भी जानकारी आपको दे दी जाएगी। हमारी कई दलों के नेताओं के साथ बातचीत जारी है।  

दिग्गी की रणनीति: पार्टी फंडिंग में साथ दें सभी नेता, बूथ स्तर पर निकालें जनजागरूकता यात्रा

भोपाल  भारत जोड़ों यात्रा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में पदयात्रा होगी. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिला प्रभारियों की बैठक में प्रस्ताव दिया. मध्य प्रदेश में पदयात्रा निकालने का प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव के बाद बैठक में दिग्विजय पदयात्रा को लेकर प्लानिंग करेंगे. जनता से जुड़े मुद्दे पदयात्रा में उठाए जाएंगे. भारत जोड़ो यात्रा का ब्लूप्रिंट भी दिग्विजय सिंह ने तैयार किया था. कांग्रेस को उम्मीद पदयात्रा के जरिए एमपी कांग्रेस मजबूत होगी. मध्य प्रदेश कांग्रेस की नई रणनीति: बूथों के बीच यात्रा और हस्ताक्षर अभियान हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और सह प्रभारी संजय दत्त मौजूद थे। इस बैठक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में बूथों के बीच यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा गया। यह यात्रा कांग्रेस पार्टी के स्थापना दिवस, जो कि 28 दिसंबर को है, से शुरू होकर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि तक चलेगी। यह कदम पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति मानी जा रही है। बैठक में दिग्विजय सिंह ने कहा कि पिछले कुछ समय से पार्टी ने बूथ स्तर पर संगठनात्मक काम नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि अब बिहार की तरह मध्य प्रदेश में एसआईआर (सर्वे इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) कराने की योजना बनाई जा रही है। उनके अनुसार, पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कांग्रेस का समर्थक मतदाता वोटर लिस्ट से न हटाया जाए और कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रहे। इसके लिए वोटर लिस्ट में होने वाली गड़बड़ी पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है। बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वोट चोर गद्दी छोड़ अभियान के तहत हस्ताक्षर किए। बूथ से बूथ तक यात्रा का प्रस्ताव दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया कि पार्टी को भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर एक बूथ से दूसरे बूथ तक पदयात्रा निकालनी चाहिए। इस यात्रा के दौरान बूथ की बैठकें आयोजित की जाएंगी, जहां बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) के काम की समीक्षा की जाएगी और वोट चोर गद्दी छोड़ अभियान को गति दी जाएगी। यह यात्रा न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करेगी, बल्कि मतदाताओं के बीच पार्टी की उपस्थिति भी बढ़ाएगी। इसके अलावा, उन्होंने जिला और ब्लॉक अध्यक्षों को यह भी कहा कि उन्हें संगठन का काम करने के लिए किसी नेता की तरफ पैसे के लिए नहीं देखना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने यह सुझाव दिया कि सक्षम कार्यकर्ताओं को खुद पार्टी की मदद करनी चाहिए। इसमें ऐसे कार्यकर्ताओं को बीएलए बनाया जाना चाहिए जो बूथ पर मजबूती और सक्रियता से काम कर सकें। हस्ताक्षर अभियान का लक्ष्य बैठक में जीतू पटवारी ने भी अपनी बात रखी और कहा कि हमें पूरे मध्य प्रदेश से 5 करोड़ मतदाताओं के हस्ताक्षर कराने हैं। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से 20 हजार मतदाताओं के हस्ताक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान वोट चोर गद्दी छोड़ मुहिम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पार्टी की रणनीतिक दिशा को मजबूत बनाने में सहायक साबित होगा। कांग्रेस पार्टी का यह नया कदम मध्य प्रदेश में आगामी चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार तैयार कर रहा है। बूथ स्तर पर सक्रियता बढ़ाने और मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यह यात्रा और हस्ताक्षर अभियान, पार्टी की संगठनात्मक मजबूती के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार के प्रयासों से कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है, ताकि आगामी चुनावों में सफलता हासिल की जा सके। कुल मिलाकर, यह बैठक और उसके परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए एक नई दिशा दिखाने वाले हैं। पार्टी के नेता अब बूथ स्तर पर अधिक सक्रियता और जागरूकता लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो कि आने वाले चुनावों में उनकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आपको बता दें कि इस रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के साथ-साथ मतदाताओं के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रही है। यह अभियान न केवल कांग्रेस के नेताओं के लिए, बल्कि पार्टी के समर्थकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।

सीएम की रणनीति: इस राज्य में मंत्रियों की कटौती, जानें कौन रहेगा और कौन जाएगा

कर्नाटक  कांग्रेस शासित कर्नाटक में जल्द ही बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल के आसार हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कैबिनेट से करीब आधे मंत्रियों को हटाने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा है कि सिद्धारमैया ने ने 13 अक्तूबर को सभी कैबिनेट मंत्रियों के लिए रात्रिभोज पर बुलाया है। सूत्रों ने बताया है कि मुखअयमंत्री मौजूदा मंत्रियों में से 50 प्रतिशत को हटाकर नए चेहरों को लाने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि करीब 15 नए मंत्रियों के शामिल होने से आलाकमान को तत्काल बदलना मुश्किल हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, AICC यानी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से साथ हुई चर्चा में सिद्धारमैया ने नवंबर में कैबिनेट फेरबदल के संकेत दिए थे। खास बात है कि नवंबर में सिद्धारमैया के सीएम के तौर पर ढाई साल पूरे हो रहे हैं। माना जा रहा है कि फेरबदल बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हो सकता है। इधर, डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा, 'मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यह काम मुख्यमंत्री का है। हम सी पार्टी के लिए काम करते हैं। मैं इसमें कोई दखल नहीं दूंगा। यह मुख्यमंत्री और पार्टी पर छोड़ा गया है। मैं सिर्फ सुझाव दे सकता हूं। किसी को भी कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए।' दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया सरकार के गठन के बाद से ही कथित ढाई साल फॉर्मूले को लेकर चर्चाएं जारी थी। हालांकि, किसी भी नेता ने इसपर खुलकर बात नहीं की है। दलित नेता मिले रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन घटनाक्रमों के बीच तीन दलित मंत्रियों की मुलाकात हुई थी। इनमें जी परमेश्वरा, सतीश जरकिहोली और महादेवप्पा का नाम शामिल है। कथित तौर पर इन नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा की है कि अगर मुख्यमंत्री बदला जाता है, तो दलित नेताओं का कदम क्या होगा। कहा जा रहा है कि दलित मंत्री सीएम पद के लिए परमेश्वरा का नाम आगे बढ़ा सकते हैं।  

लोकसभा चुनाव 2025: BJP-JDU की सीटों की पहली फेज में कौन-कौन करेंगे तालमेल?

पटना  बात-मुलाकात से सीटों पर समझौता नहीं होता देख भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने सीट शेयरिंग की रणनीति बदल ली है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों के नेताओं चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को मनाने का काम भाजपा को दिया है। बीजेपी और जेडीयू की अब रणनीति है कि पहले चिराग, मांझी और कुशवाहा की सीट तय कर ली जाए और फिर बची सीटों को भाजपा और जदयू आपस में बांट ले। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों दल 100 से कम सीट लड़ना चाहते हैं। तीनों नेताओं ने कुल 75 सीटें मांगी हैं, जिन्हें समझाने-मनाने में धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े, नित्यानंद राय, मंगल पांडेय और सम्राट चौधरी मिशन मोड में जुटे हैं। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा से कहा है कि पहले वो सहयोगी दलों के मसले सुलझा ले, फिर वो दोनों सीट बांट लेंगे। दोनों के बीच इस बात पर सहमति है कि बची हुई सीटों में दोनों आधा-आधा रख लेंगे। जदयू की चाहत है कि वो भाजपा से कम से कम एक सीट ज्यादा लड़े। चिराग, मांझी और कुशवाहा के तेवर ने नीतीश और बीजेपी को नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। अब दोनों प्रमुख दल सहयोगियों का मामला पहले निपटा लेंगे, तब वो अपनी-अपनी देखेंगे। 20 महीने में हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देंगे, कानून बनेगा: तेजस्वी यादव का बड़ा चुनावी वादा चिराग पासवान की लोजपा-आर 40 सीट, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 20 सीट और जीतन राम मांझी की हम 15 सीट मांग रही है। बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की इन नेताओं से पहले राउंड की बातचीत में कोई नीचे उतरने को तैयार नहीं है। तीनों नेता अपनी-अपनी सीटों की डिमांड पर अड़े हुए हैं जो नंबर 75 हो जाता है। सबकी बात मान ली जाए तो 168 सीटें बचती हैं, जिसमें जेडीयू या बीजेपी का गुजारा नहीं होगा। दोनों दलों ने 101-103 सीटें लड़ने का टारगेट बना रखा है। कोशिश है कि 38-40 सीट में तीनों सहयोगी दलों को मना लिया जाए।  

मोदी का कांग्रेस पर वार: 26/11 के बाद पाकिस्तान पर हमला किसने रोका?

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  कांग्रेस से कहा कि उसे देश को बताना चाहिए कि पाकिस्तान से जुड़े 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद भारत को जवाबी सैन्य कार्रवाई करने से किसने रोका था. साथ ही उन्होंने पार्टी पर सत्ता में रहते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का आरोप लगाया.   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार (2004-14) ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया, जिसके कारण देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. पीएम मोदी ने मुंबई में लोगों को संबोधित करते हुए कहा- ‘‘एक कांग्रेस नेता, जो केंद्रीय गृह मंत्री भी रह चुके हैं, ने कहा है कि एक देश ने 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद भारत को जवाबी सैन्य कार्रवाई से रोका था. पार्टी को स्पष्टीकरण देना चाहिए’’.  सेना पाकिस्तान पर हमला करने के लिए तैयार थी, लेकिन कांग्रेस सरकार पीछे हट गई: पीएम मोदी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘अगर कांग्रेस के एक शीर्ष नेता, जो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, की बात पर यकीन किया जाए, तो तत्कालीन UPA सरकार एक देश के दबाव में पाकिस्तान पर हमला करने से पीछे हट गई, जबकि हमारे रक्षा बल तैयार थे और देश की भावना (पड़ोसी देश पर) हमला करने की थी.’’ मोदी ने आरोप लगाया कि आतंकवाद से डटकर मुकाबला करने में कांग्रेस की कमजोरी ने आतंकवादियों के हाथ मजबूत किए. उन्होंने कहा कि देश को यह जानने का अधिकार है कि 26/11 के हमलों के बाद भारत को जवाबी सैन्य कार्रवाई करने से किसने रोका था. पी चिदंबरम ने मुंबई हमले पर की थी टिप्पणी, पीएम मोदी ने इशारों-इशारों में किया जिक्र पीएम मोदी स्पष्ट रूप से पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की उस टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि वह हमलों के बाद व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई के पक्षधर थे, लेकिन संप्रग सरकार ने विदेश मंत्रालय के विचार के अनुसार इस्लामाबाद के खिलाफ कूटनीतिक कदम उठाने का फैसला किया. चिदंबरम ने कहा था कि अमेरिका सहित वैश्विक शक्तियां चाहती थीं कि भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू न करे.

महिला कांग्रेस में भी संगठन सृजन अभियान शुरू, MP में नवंबर तक पूरी होगी टीम गठन प्रक्रिया

भोपाल  मध्य प्रदेश कांग्रेस की तरह ही मध्य प्रदेश में महिला कांग्रेस में भी संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जिला अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। नवंबर तक सभी जिला इकाइयों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जाएगी। यह निर्णय मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भवन में आयोजित महिला कांग्रेस की कार्यकारिणी में लिया गया। मध्य प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल के मुताबिक, बैठक में तय किया गया कि अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस मिलकर पर्यवेक्षक नियुक्त करेंगे, जो पूरे प्रदेश के जिलों का दौरा करेंगे। ये पर्यवेक्षक जिला स्तर पर महिला कांग्रेस की वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद करके उनकी राय के आधार पर जिला अध्यक्ष पद के लिए पैनल तैयार करेंगे। जन आंदोलन शुरू करेगी इसमें से सक्रिय और नेतृत्व क्षमता वाली महिला को जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाएगा। यह प्रक्रिया अक्टूबर अंत तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि नवंबर के पहले सप्ताह में नए जिला अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। इसके बाद महिला कांग्रेस राज्यभर में भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के विरोध में राज्यव्यापी जन आंदोलन शुरू करेगी। इसमें महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, महिला अपराध, महिलाओं का लापता होना, महंगाई, लाड़ली बहनों के साथ तीन रुपये प्रतिमाह देने के नाम पर वादा खिलाफी और स्वास्थ्य, शिक्षा सेवाओं में गिरावट जैसे मुद्दे रहेंगे। नेतृत्व विकास को लेकर होगा प्रशिक्षण- महिला कांग्रेस एक संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगी। इसमें नई जिला अध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों को संगठन प्रबंधन, नेतृत्व विकास और जनसंपर्क कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

वोटर लिस्ट अपडेट पर कांग्रेस की नजर, नए-पुराने वोटर्स तक पहुंच बनाएगी पार्टी, BJP के पन्ना मॉडल को चुनौती

भोपाल  एमपी के चुनावों में लगातार हार के बाद कांग्रेस अब वोटर लिस्ट सुधार को लेकर तेजी से काम कर रही है। बीजेपी के पन्ना प्रमुखों के मुकाबले कांग्रेस अब हर बूथ पर बीएलए तैनात कर रही है। 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने प्रदेशभर में मतदाता सूची की करेगी जाँच।  ऐसे में कांग्रेस अब ज्यादा नंबर वाले वोटर्स के घर जाएगी, जो भी नए नाम जुड़ेंगे-कटेंगे उन तक भी पहुंचेगी। कांग्रेस अब केवल प्रचार तक सीमित नहीं रहना चाहती बल्कि मतदाता सूची के हर पन्ने और हर नाम पर अपनी निगरानी रखने पर तेजी से काम करेगी। नाम जुड़वाने, कटवाने की ट्रेनिंग देंगे कांग्रेस सभी बीएलए को निर्वाचन आयोग की प्रक्रियाओं जैसे फॉर्म-6 (नाम जोड़ना), फॉर्म-7 (नाम हटाना), फॉर्म-8 (सुधार) और फॉर्म-8A (स्थानांतरण) की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। BLO के सीधे संपर्क में होंगे कांग्रेस के BLA कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (BLA) सीधे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO)के संपर्क में रहेंगे। आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार बीएलओ घर-घर जाकर एनेक्सचर-C भरवाएंगे, जो मतदाता की पात्रता प्रमाणित करने का दस्तावेज होगा। कांग्रेस ने अपने बीएलए को यह जिम्मेदारी दी है कि वे इस सर्वे में शामिल होकर हर वोटर का विवरण सही तरीके से दर्ज करवाएं। हर विधानसभा में बनेगा कांग्रेस कंट्रोल रूम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में ‘मतदाता सूची नियंत्रण कक्ष’ बनाएगी। जो निर्वाचन आयोग की वेबसाइट और ऑफलाइन मतदाता सूची दोनों से डेटा एकत्र करेगा। इस कंट्रोल रूम से वोटर लिस्ट में छूटे नामों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कंट्रोल रूम पार्टी के हर बीएलए से फीडबैक लेगा। और स्थानीय स्तर पर शिकायतों का समाधान कराने पार्टी स्तर पर सूचित करेगा। कांग्रेस के समर्थक वोटर्स के काटे गए थे नाम कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में समर्थक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटे पाए गए थे। इस बार कांग्रेस ने उस गलती को न दोहराने का संकल्प लिया है। SIR को लेकर कांग्रेस की तैयारी     हर मतदान केंद्र पर कम से कम एक प्रशिक्षित बीएलए की नियुक्ति।     मतदाता सूची के संशोधन और दावे-आपत्ति अवधि में सक्रिय भागीदारी।     पात्र युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों को पंजीकृत कराने का अभियान।     मृत मतदाताओं या स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटवाने के लिए साक्ष्य आधारित आपत्तियाँ।     महिला मतदाताओं के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम। एमपी के 5 करोड लोगों के हस्ताक्षर कराने चलेगा अभियान वोट चोर-गद्दी छोड़ कार्यक्रम के तहत एमपी में 5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराने एक अभियान चलाया जाएगा। इस हस्ताक्षर अभियान के लिए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एमपी की सभी 230 विधानसभाओं के प्रभारी नियुक्त किए हैं।

वीडी के हटाए गए संगठन मंत्री वापसी के संकेत, MP भाजपा कार्यकारिणी में बड़ा बदलाव संभव

भोपाल  मध्यप्रदेश बीजेपी की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा का काम अब लगभग पूरा हो चुका है। अब जल्द टीम का ऐलान होगा। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ मिलकर प्रदेश पदाधिकारियों के नामों पर चर्चा की और लिस्ट तैयार की। अब यह लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि जल्द इस लिस्ट पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से फाइनल मुहर लग जाएगी।  हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बने लगभग 100 दिन पूरे होने वाले हैं। उन्हें 2 जुलाई को अध्यक्ष बनाया गया था और तब से वे पूर्व अध्यक्ष वीडी शर्मा की टीम के साथ काम कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों से वे लगातार कार्यकर्ताओं से मिलकर संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी दिवाली से पहले घोषित हो सकती है। इसके बाद एमपी बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी बैठक होगी।  हेमंत खंडेलवाल की टीम में होंगे 60 फीसदी नए चेहरे वीडी शर्मा मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और उन्होंने 5 साल 4 महीने 17 दिन तक इस पद पर काम किया। उन्हें 15 फरवरी 2020 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। कोरोना के कारण उनका कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया गया था, फिर संगठन चुनाव में देरी के कारण उनका कार्यकाल बढ़ता गया। वीडी शर्मा की टीम में रहे 8 पदाधिकारी अब सांसद बन चुके हैं, जबकि 8 अन्य विधायक बन चुके हैं।  वीडी की टीम में रहे 60% चेहरे बाहर होंगे वीडी शर्मा मध्य प्रदेश भाजपा के 5 साल 4 महीने 17 दिन तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्हें 15 फरवरी 2020 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। कोरोना संकट के चलते उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था। फिर संगठन चुनाव में हुई देरी के कारण उनका कार्यकाल अघोषित रूप से बढ़ता गया। वीडी शर्मा के साथ प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल रहे 8 पदाधिकारी सांसद और 8 पदाधिकारी विधायक बन चुके हैं। किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी सांसद और मंत्री बन गए हैं। नई कार्यकारिणी में टीम वीडी में शामिल रहे पदाधिकारियों में से 60% चेहरे बदले जाएंगे। पुराने संगठन मंत्रियों की वापसी संभव सितंबर 2021 में बीजेपी ने संभागीय संगठन मंत्रियों को हटा दिया था। बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शैलेंद्र बरुआ (जबलपुर और होशंगाबाद), आशुतोष तिवारी (भोपाल और ग्वालियर), जितेंद्र लिटोरिया (उज्जैन), श्याम महाजन (रीवा और शहडोल), जयपाल चावड़ा (इंदौर) और केशव सिंह भदौरिया (सागर और चंबल) को संभागीय संगठन मंत्री पद से हटाकर प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बनाया था। इन संगठन मंत्रियों में केशव भदौरिया को छोड़कर 5 नेताओं को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा देकर निगम मंडलों में एडजस्ट किया था। अब बीजेपी की नई प्रदेश कार्यकारिणी में इन पुराने संगठन मंत्रियों की वापसी हो सकती है। इस बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की टीम में करीब 60% नए चेहरे होंगे। इसके अलावा किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा और महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी अब सांसद और मंत्री बन गए हैं। सितंबर 2021 में बीजेपी ने अपने संभागीय संगठन मंत्रियों को हटा दिया था। उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शैलेंद्र बरुआ (जबलपुर और होशंगाबाद), आशुतोष तिवारी (भोपाल और ग्वालियर), जितेंद्र लिटोरिया (उज्जैन), श्याम महाजन (रीवा और शहडोल), जयपाल चावड़ा (इंदौर) और केशव सिंह भदौरिया (सागर और चंबल) को हटाकर उन्हें प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बना दिया था। इनमें से पांच नेताओं को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा देकर निगम मंडलों में जगह दी थी, लेकिन केशव भदौरिया को इसमें शामिल नहीं किया गया था। अब बीजेपी की नई टीम में इन पुराने मंत्रियों की फिर से वापसी हो सकती है। मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी में इतने नेता मध्यप्रदेश बीजेपी की मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी के प्रदेश उपाध्यक्ष में एक मंत्री, तीन सांसद और दो विधायक हैं। वहीं, प्रदेश महामंत्री में दो विधायक और एक सांसद हैं। साथ ही, प्रदेश मंत्री में दो सांसद और एक विधायक है। वहीं, संयुक्त कोषाध्यक्ष में अनिल जैन कालूहेड़ा से विधायक हैं।    पद (Post) नाम (Name) पद/कार्यक्षेत्र (Designation/Field) प्रदेश उपाध्यक्ष (State Vice President) नागर सिंह चौहान कैबिनेट मंत्री   आलोक शर्मा सांसद (भोपाल)   संध्या राय सांसद (भिंड)   सुमित्रा वाल्मीकि राज्यसभा सांसद   ललिता यादव विधायक   चिंतामणि मालवीय विधायक   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी पूर्व विधायक (मेहगांव)   कांत देव सिंह     सीमा सिंह जादौन     जीतू जिराती पूर्व विधायक   बहादुर सिंह चौहान पूर्व विधायक   पंकज जोशी     श्याम महाजन     बृजराज सिंह चौहान पूर्व विधायक — — — प्रदेश महामंत्री (State General Secretary) कविता पाटीदार राज्यसभा सांसद   भगवानदास सबनानी विधायक   हरिशंकर खटीक विधायक   शरलेन्दु तिवारी पूर्व विधायक   रणवीर सिंह रावत पूर्व विधायक — — — प्रदेश मंत्री (State Secretary) लता वानखेड़े सांसद (सागर)   आशीष दुबे सांसद (जबलपुर)   मनीषा सिंह विधायक   रजनीश अग्रवाल     प्रभुदयाल कुशवाहा     राजेश पांडेय     नंदिनी मरावी पूर्व विधायक   राहुल कोठारी     संगीता सोनी     जयदीप पटेल     केशव सिंह भदौरिया     क्षितिज भट्ट     योगेश पाराशर   — — — कोषाध्यक्ष (Treasurer) अखिलेश जैन CA संयुक्त कोषाध्यक्ष (Joint Treasurer) अनिल जैन कालूहेड़ा विधायक प्रदेश कार्यालय मंत्री (State Office Secretary) राघवेन्द्र शर्मा   कार्यकारिणी के साथ-साथ मोर्चों के भी बदलेंगे अध्यक्ष  बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी में जगह पाने के लिए नेताओं ने बड़े नेताओं से सिफारिशें करवाई हैं। सबसे ज्यादा कोशिश प्रदेश महामंत्री बनने के लिए की गई है। इसके अलावा, प्रदेश कार्यालय प्रभारी और कार्यालय मंत्री के लिए भी नेताओं ने नए प्रदेश अध्यक्ष से कई बार मुलाकात की है। बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी के साथ-साथ मोर्चों के अध्यक्ष भी बदलेंगे। ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह अब मध्यप्रदेश सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री बन गए हैं। किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी दर्शन सिंह होशंगाबाद से सांसद बन गए हैं। महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष माया नारोलिया राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं। इन बदलावों के साथ-साथ युवा मोर्चा, एससी मोर्चा और एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे।      

बिहार चुनाव में अक्षरा सिंह की एंट्री? गिरिराज सिंह से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल

पटना  बिहार में जैसे-जैसे चुनावी माहौल गर्म हो रहा है, वैसे-वैसे सियासी गलियारों में नए चेहरे सुर्खियों में आ रहे हैं. अब भोजपुरी फिल्मों की मशहूर एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने भी राजनीति में कदम रखने के संकेत दे दिए हैं. दरअसल, अक्षरा सिंह ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की है.  इस मुलाकात की तस्वीर उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा- 'गिरिराज सिंह जी से आशीर्वाद मिला.' इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि क्या अक्षरा सिंह भी इस बार बिहार के चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रही हैं?  विनोद तावड़े से मिलीं मैथिली ठाकुर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई नाम राजनीति में एंट्री कर चुके हैं. एक दिन पहले ही लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने विनोद तावड़े और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी.   मैथिली ने कहा कि उनकी बातचीत बेहद सकारात्मक रही और वह एनडीए के समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि मेरी आत्मा बिहार से जुड़ी है और मैं बिहार में रहकर लोगों की सेवा करना चाहती हूं. कई बड़े चेहरों की राजनीति में एंट्री   इससे पहले भोजपुरी फिल्मों के एक्टर पवन सिंह की भी बीजेपी में वापसी हो चुकी है. गायक और अभिनेता रितेश पांडे भी प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज जॉइन कर चुके हैं. चर्चा है कि मशहूर गायक राधेश्याम रसिया भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.  इस लिस्ट में एक नाम भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव का भी है जिन्होंने पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. हालांकि उनके राजनीति में आने या चुनाव लड़ने को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

केजरीवाल को सरकारी बंगला मिला, बिना पद के आवंटन पर उठे सवाल

नई दिल्ली आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार एक साल की लंबी प्रतीक्षा और दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने लोधी एस्टेट में टाइप-VII श्रेणी का बंगला आवंटित कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को आवंटित हुए 95, लोधी एस्टेट के इस भव्य निवास ने केजरीवाल की दिक्कत दूर कर दी है. यह आवंटन राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक के तौर पर केजरीवाल के हक को मान्यता देता है, लेकिन इसकी प्रक्रिया ने राजनीतिक विवादों और न्यायिक हस्तक्षेप को जन्म दिया. केजरीवाल ने सितंबर 2024 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद अक्टूबर में वे अपने आधिकारिक निवास 6, फ्लैगस्टाफ रोड से बाहर निकल आए. तब से वे आप के राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल के सरकारी बंगले पर रह रहे थे. फ्लैगस्टाफ रोड वाले बंगले के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं को लेकर भाजपा ने आप पर शीश महल बनाने का आरोप लगाया था, जो राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बिंदु बना. क्यों मिला बंगला? राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक के रूप में केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी आवास का अधिकार था, लेकिन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के भूमि निदेशालय (डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स) की ओर से देरी के कारण मामला अदालत पहुंच गया. जुलाई 2014 की डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स की नीति स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों या संयोजकों को आवास का प्रावधान करती है, लेकिन प्रकार निर्दिष्ट नहीं है. केजरीवाल के वकील सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि ऐतिहासिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्षों को टाइप-VII बंगला मिलता रहा है. उन्होंने कहा कि आज वे मुझे टाइप-VI में नहीं धकेल सकते. क्या उचित है? मुझे स्पष्ट निर्देश चाहिए. मैं कोई चहेता नहीं हूं, बीएसपी की तरह नहीं. लेकिन नीति में निष्पक्षता होनी चाहिए. उनका इशारा बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती की ओर था, जिन्हें 35, लोधी एस्टेट आवंटित किया गया था. मायावती ने मई 2025 में यह बंगला खाली कर दिया, जबकि फरवरी 2024 में 29, लोधी एस्टेट को बीएसपी कार्यालय के रूप में बदल दिया गया था. हाईकोर्ट में चला केस दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की इस देरी पर कड़ी नाराजगी जताई. 16 सितंबर 2025 को जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि आवंटन किसी की मनमानी पर नहीं हो सकता, बल्कि पारदर्शी नीति पर आधारित होना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र से नीति, वर्तमान वेटिंग लिस्ट और आवंटनों का हलफनामा मांगा. 18 सितंबर को सुनवाई के दौरान पता चला कि आप द्वारा सुझाए गए 35, लोधी एस्टेट को जुलाई में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित कर दिया गया था. कोर्ट ने इसे “स्वतंत्र प्रणाली” करार दिया और चेतावनी दी कि आवंटन चुनिंदा नहीं हो सकता. 25 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया कि 10 दिनों में “उचित” आवास आवंटित हो जाएगा. सोमवार को यह वादा पूरा हुआ.यह मामला केवल केजरीवाल की व्यक्तिगत सुविधा का नहीं, बल्कि राजनीतिक आवास नीति की पारदर्शिता का प्रतीक बन गया. विपक्ष ने इसे केंद्र की “राजनीतिक बदले की भावना” बताया, जबकि भाजपा ने आप की “विलासिता” पर सवाल उठाए. आप नेता ने इसे “न्याय की जीत” कहा, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं की. लोधी एस्टेट, दिल्ली का प्रतिष्ठित इलाका, जहां टाइप-वीआईआई बंगला सरकारी आवासों की दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी है, अब केजरीवाल का नया ठिकाना बनेगा. यह घटना राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं के लिए आवास नीति में सुधार की मांग को तेज कर सकती है.