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रेलवे का बड़ा फैसला: भीड़ नियंत्रण के लिए कई स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म टिकट बिक्री पर रोक

नई दिल्ली  त्योहारों के मौसम में यात्रियों की बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उत्तरी रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है। नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन, आनंद विहार टर्मिनल और गाजियाबाद रेलवे स्टेशनों पर 15 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री रोक दी गई है। यह फैसला दिवाली (20 अक्टूबर) और छठ पर्व (25 से 28 अक्टूबर) के दौरान संभावित भारी भीड़ को देखते हुए लिया गया है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस अवधि में स्टेशनों पर यात्रियों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी की संभावना है। ऐसे में भीड़-भाड़ से होने वाली अव्यवस्था और हादसों से बचने के लिए केवल टिकटधारी यात्रियों को ही स्टेशन परिसर में प्रवेश की अनुमति होगी। हालांकि, रेलवे ने कुछ श्रेणियों के लोगों को छूट दी है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग यात्रियों, अशिक्षित या महिला यात्रियों के साथ आने वाले परिजनों या सहायकों को प्लेटफॉर्म टिकट प्राप्त करने की अनुमति होगी। ऐसे लोगों को स्टेशन के पूछताछ काउंटर पर जाकर अपनी आवश्यकता बतानी होगी, जिसके बाद उन्हें विशेष अनुमति के तहत प्लेटफॉर्म टिकट जारी किया जाएगा। रेलवे सूत्रों ने बताया कि यह कदम सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिहाज से आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष फरवरी में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के आने की अफवाह के बाद प्लेटफॉर्म पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। उसी के बाद से रेलवे ने भीड़ नियंत्रण के उपायों को और कड़ा कर दिया है। इसी तर्ज पर पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे ने भी मुंबई और गुजरात के कई स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म टिकट बिक्री पर अस्थायी रोक लगाने का निर्णय लिया है। पश्चिम रेलवे के बयान के अनुसार, 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मुंबई बांद्रा टर्मिनस, वापी, उधना और सूरत स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म टिकट नहीं बेचे जाएंगे। वहीं, मध्य रेलवे ने भी मुंबई डिवीजन के प्रमुख स्टेशनों- छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT), दादर, लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT), ठाणे, कल्याण और पनवेल पर इसी अवधि में यह प्रतिबंध लागू करने की घोषणा की है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि त्योहारों के दौरान ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा रही है, लेकिन भीड़ प्रबंधन के लिए स्टेशन परिसर में केवल यात्रियों को प्रवेश देना ही सबसे प्रभावी उपाय है। इससे न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी की घटनाओं को भी रोका जा सकेगा।

प्रदूषण का ‘बम’ फूटा दिल्ली में! दिवाली से पहले ही लागू हुआ GRAP-1 अलर्ट

नई दिल्ली  दिवाली आने से पहले ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब श्रेणी में पहुंच गई है.  सुबह 6 बजे आनंद विहार की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सबसे ज्यादा दर्ज किया है. वहीं, सबसे कम AQI श्री ऑरोबिंदो मार्ग का रिकॉर्ड किया गया है. आज दिन भर मौसम साफ बना रहेगा. बढ़ते AQI के कारण दिल्ली में GRAP-1 नियम लागू कर दिया गया है. जिसके चलते कई कामों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. दिल्ली-NCR में AQI खतरनाक स्तर की तरफ बढ़ रहा है. हवा की गुणवत्ता बिगड़ने के कारण दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-1 को लागू कर दिया है. मंगलवार को दिल्ली का ओवरऑल AQI 211 दर्ज किए जाने के बाद इसे लागू किया गया है. वहीं, बुधवार सुबह 6 बजे ओवरऑल AQI 204 रिकॉर्ड किया गया, जो कि खराब श्रेणी में आता है. खराब श्रेणी में पहुंचा AQI दिल्ली के 18 इलाकों में AQI खराब श्रेणी में पहुंच गया है. अलीपुर में 211, शादीपुर में 235, सिरी फोर्ट में 223, आरके पुरम में 209, मथुरा रोड़ में 298, आईजीआई एयरपोर्ट में 238, द्वारका सेक्टर 8 में 273, पपड़गंज में 230, अशोक विहार में 215, जहांगीरपुरी में 257, रोहिणी में 223, विवेक विहार में 226, नरेला में 209, ओखला फेस-2 में 225, बवाना में 251, मुंडका में 220, चांदनी चौक में 256 और बुराड़ी क्रॉसिंग में 201 AQI दर्ज किया गया है. इन इलाकों स्थिति खराब श्रेणी दर्ज की गई है. आनंद विहार की स्थिति हुई गंभीर वहीं, दिल्ली के 2 इलाकों में AQI बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है. आनंद विहार का AQI सबसे ज्यादा 351, जबकि वजीरपुर का AQI 303 दर्ज किया गया है. प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए दिल्ली के लोगों ने एक बार फिर मास्क का इस्तेमाल शुरू कर दिया. आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता की स्थिति और भी भयावह हो सकती है. GRAP-1 लागू होने के बाद दिल्ली में कई चीजों पर प्रतिबंध लग गया है. GRAP-1 लागू होने से इन नियमों को मानना होगा.     कंस्ट्रक्शन साइट पर धूल उड़ने से रोकने के उपाय होने चाहिए. यानी स्मोक गन होना चाहिए.     500 SQM से ऊपर भी नई कंस्ट्रक्शन साइट को अनुमति नहीं दी जाएगी.     सड़को की मशीन से सफाई की जाएगी.     खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगेगा.     गाड़ियों में PUC मेंडेटरी को सख्ती से लागू किया जायेगा.     सड़क पर जाम ना लगे इसके लिए अधिक से अधिक ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की जाएगी.     स्मोक गन का ज्यादा के ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा. कैसा रहेगा वेदर? दिल्ली का मौसम आज दिनभर साफ बना रहेगा. इस दौरान अधिकतम तापमान 33, जबकि न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है. 2 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं. वहीं, हवा में 85 प्रतिशत ह्यूमिडिटी रहने की संभावना है. आने वाले 3 से 4 दिनों तक लगभग यहीं स्थिति बनी रहेगी.  

दिल्ली के LG का बड़ा फैसला: जनप्रतिनिधियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई का रास्ता साफ

नई दिल्ली सीपीसीआर अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतें अब पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों के खिलाफ भी मामलों की सुनवाई कर सकेंगी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों को इसके दायरे में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे राउज एवेन्यू स्थित इन विशेष अदालतों का दायरा बढ़ गया है।   इससे पहले, जुलाई 2023 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों से निपटने के लिए राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में तीन नामित/विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि यह अधिसूचना दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 2020 में जारी की गई थी। हालाँकि, केजरीवाल सरकार ने बिना किसी कारण के इस अधिसूचना को तीन साल से ज़्यादा समय तक लंबित रखा। सीपीसीआर अधिनियम की धारा 25 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 28 के तहत इन नामित/विशेष अदालतों के गठन के लिए उपराज्यपाल की मंज़ूरी हेतु प्रस्ताव दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रस्तुत किया गया था और विधि विभाग द्वारा इसकी जाँच की गई थी। ये तीन अदालतें बच्चों के विरुद्ध अपराधों, बाल अधिकारों के उल्लंघन और पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए पहले से अधिसूचित आठ अदालतों के अतिरिक्त हैं। पॉक्सो अधिनियम की धारा 28(1) में कहा गया है कि त्वरित सुनवाई के लिए, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए प्रत्येक ज़िले के लिए एक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करेगी। सीपीसीआर अधिनियम की धारा 25 में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराध या बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से, अधिसूचना द्वारा, राज्य में कम से कम एक न्यायालय या प्रत्येक जिले के लिए, उक्त अपराधों की सुनवाई के लिए एक सत्र न्यायालय को बाल न्यायालय के रूप में निर्दिष्ट कर सकती है। बशर्ते कि इस धारा की कोई भी बात लागू नहीं होगी यदि – (क) सत्र न्यायालय को पहले से ही एक विशेष न्यायालय के रूप में नामित किया गया है या (ख) किसी अन्य कानून के तहत ऐसे अपराधों के लिए पहले से ही एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है। इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से नामित न्यायालय 1. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय – 09, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर 2. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय – 23, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर 3. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय – 24, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर

दिल्ली में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, तय किए इतने दिन का समय

नई दिल्ली दिवाली के त्योहार से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट  ने दिल्ली-एनसीआर  के निवासियों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने क्षेत्र में ग्रीन पटाखों की बिक्री पर लगी रोक को 25 अक्टूबर तक के लिए हटा दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सुझावों पर विचार करने के बाद लिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से सिफारिश की थी कि पटाखों के उत्पादकों और त्योहार के मद्देनजर लोगों को यह अस्थायी राहत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने उनकी सिफारिश को मानते हुए यह आदेश जारी किया है। यह छूट विशेष रूप से ग्रीन पटाखों के लिए दी गई है जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। यह आदेश 25 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा जिससे दिवाली के दौरान लोग ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण की चिंताओं और त्योहार के मौके पर लोगों की भावनाओं के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।  

रेखा गुप्ता की बड़ी घोषणा: दिल्लीवासियों को अब देना होगा सिर्फ ₹1,000, पहले लगता था ₹25,000

नई दिल्ली दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पानी बिल पर लेट पेमेंट सरचार्ज माफी योजना की शुरुआत करते हुए बड़ा राहत दी है। 31 दिसंबर तक बिल जमा करने पर लेट पेमेंट सरचार्ज में 100 फीसदी की छूट दी गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री ने एक और बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अब महज एक हजार रुपये में घरेलू कनेक्शन को वैध कराया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि अवैध कनेक्शन काटे जाएंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में हजारों अवैध कनेक्शन हैं। ऐसा नहीं हो सकता है कि 2.5 करोड़ की आबादी में केवल 29 लाख कनेक्शन हो। उन्होंने कनेक्शन नियमित कराने पर भारी छूट का ऐलान करते हुए कहा, 'अभी तक अवैध कनेक्शन को नियमित कराने पर 25 हजार रुपये लिया जाता था। अब इसे महज एक हजार रुपये में रेग्युलराइज किया जाएगा। गैर घरेलू कनेक्शन में पेनल्टी 61 हजार रुपये थी, इन्हें महज 5 हजार में नियमित किया जाएगा।' कनेक्शन नियमित नहीं कराने पर इसे काटा जाएगा। पिछली सरकारों ने दिल्ली जल बोर्ड को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने सॉफ्टवेर अपडेट नहीं किया जिसके चलते नए कनेक्शन नहीं दिए। जल विभाग ने इसे अपडेट किया है और अब यह बेहतर तरीके से काम करेगा। जल बोर्ड की सभी आर्थिक शक्ति को उन्होंने जल बोर्ड की जगह अपने पास रखें थे। सीएम ने कहा किआज आधी दिल्ली बिना पानी की पाइपलाइन और अवैध कनेक्शन पर चल रही है। भाजपा सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को आर्थिक शक्ति दी जिससे काम तेज हुआ। इसके अलावा काम को कर्मचारियों में बराबर बांटा गया है। प्रत्येक दो विधानसभा पर एक दफ्तर होगा ताकि बेहतर काम हो सके।

राजधानी में अवैध प्रवासियों पर शिकंजा, पुलिस ने पकड़े छह अफ्रीकी नागरिक

नई दिल्ली   दिल्ली के निहाल विहार इलाके में पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे छह अफ्रीकी नागरिकों को हिरासत में लिया है। यह कार्रवाई बाहरी जिला पुलिस के विशेष अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अवैध प्रवास पर रोक लगाना और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 10 अक्टूबर को निहाल विहार पुलिस थाने की गश्ती टीम को चंदर विहार में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी की सूचना मिली। हेड कांस्टेबल गजानंद, दलवीर, जगपाल, सरदार मल और कांस्टेबल महेंद्र की टीम ने तुरंत कार्रवाई की। मौके पर पहुंचने पर छह विदेशी नागरिकों ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। पूछताछ में इनकी पहचान फ्रैंक फॉचिंग (कैमरून), रोमियो लुसिएन (कैमरून), सैमुनेल (नाइजीरिया), माल्क फैराडे (नाइजीरिया), इवांस डांसो (घाना), और इनौसा (नाइजीरिया) के रूप में हुई। सत्यापन के दौरान पता चला कि इनके पास वैध वीजा या पासपोर्ट नहीं थे और ये सभी वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे थे। पुलिस ने विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 की धारा 14(सी) के तहत मकान मालिक के खिलाफ अवैध शरण देने का मामला दर्ज किया। इसके बाद विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय के सहयोग से निर्वासन प्रक्रिया शुरू की गई। वर्तमान में सभी छह व्यक्तियों को लामपुर, नरेला के हिरासत केंद्र में रखा गया है, जहां से उनकी निर्वासन प्रक्रिया पूरी होगी। बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त सचिन शर्मा (आईपीएस) ने बताया कि दिल्ली में अवैध प्रवास के खिलाफ सख्त नीति अपनाई जा रही है। पुलिस नियमित गश्त, सत्यापन और खुफिया जानकारी के आधार पर ऐसे मामलों पर नजर रख रही है। यह अभियान स्थानीय लोगों की सुरक्षा और आव्रजन नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत दें। अवैध प्रवासियों की पहचान और कार्रवाई के लिए पुलिस का अभियान आगे भी जारी रहेगा।

घर की सफाई में लगा जैकपॉट! पुराने डिब्बे से निकला नोटों का खजाना

नई दिल्ली दिवाली नजदीक आते ही देशभर में लोग अपने घरों की सफाई और सजावट में जुटे हैं। ऐसा माना जाता है कि साफ-सुथरे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और वे धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसी परंपरा के बीच एक परिवार की दिवाली सफाई ने उन्हें सच में लक्ष्मीप्राप्ति करवा दी। एक Reddit यूजर ने पोस्ट कर बताया कि उनकी मां को दिवाली सफाई के दौरान घर के पुराने DTH बॉक्स में 2 लाख के पुराने 2000 रुपये के नोट मिले। उन्होंने लिखा, "शायद ये पैसे मेरे पापा ने नोटबंदी के वक्त रख दिए होंगे और भूल गए होंगे। अभी तकलहमने उन्हें बताया भी नहीं है।"   कहां एक्सचेंज किया जा सकता है नोट यह पोस्ट Reddit पर 'Biggest Diwali Safai of 2025' टाइटल से शेयर की गई और देखते ही देखते वायरल हो गई। कई यूजर्स ने मजेदाक कमेंट्स किए। एक यूजर ने लिखा, "भगवान करे मुझे भी इतना पैसा मिले कि रखकर भूल जाऊं।" दूसरे ने कहा, "इन नोटों को भी RBI में एक्सचेंज किया जा सकता है, बस लिमिट 20 हजार रुपये तक है।" किसी ने सलाह दी, "RBI जाने से पहले अपने चार्ट्ड अकाउंट (CA) से सलाह जरूर लें और सही कारण बताएं।" इस बात एक अन्य यूजर ने कहा, नोट बंद नहीं हुए हैं, बस चलन से बाहर हैं, इसलिए आप इन्हें 5-10 बार में जाकर बदल सकते हैं। RBI में भी बदले जा सकते हैं 2000 रुपये के नोट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 19 मई 2023 को 2000 के नोटों को चलन से वाापस लेने का एलान किया था। हालांकि, ये अभी भी कानूनी मुद्रा हैं और RBI के 19 दफ्तरों में बदले जा सकते हैं। RBI के अनुसार, 2000 के नोटों की कुल वैल्यू 3.56 लाख करोड़ थी, जिसमें से 98.35% नोट वापस आ चुके हैं, जबकि करीब 5884 करोड़ के नोट अभी भी प्रचलन में हैं। नोट बदलने की सुविधा अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़. चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, बेलापुर और तिरुवनंतपुरम के RBI दफ्तरों में उपलब्ध है।  

सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत FIR को, नेहा सिंह राठौर की मुश्किलें बढ़ीं

नई दिल्ली लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद उनके एक एक्स पोस्ट को लेकर दर्ज एफआईआर के मामले में शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप करने से साफ मना कर दिया। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे इस मामले में दखल नहीं देना चाहते। बेंच ने नेहा की याचिका को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का निर्देश दिया है। पूरा मामला क्या है? दरअसल, पूरा मामला पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े एक सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है। नेहा पर आरोप लगाया गया है कि उनके पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। नेहा ने एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। बता दें कि लखनऊ के गुडंबा के रहने वाले कवि अभय प्रताप सिंह ने नेहा के खिलाफ यह एफआईआर दर्ज कराई है। नेहा के वकील की दलीलें और कोर्ट का फैसला अदालत ने कहा कि यह केवल एफआईआर रद्द करने से इनकार है, अब नेहा को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आरोपों में कोई सच्चाई न हो, तो निचली अदालत में अपनी सफाई पेश कर सकती हैं। नेहा के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि वे ट्रायल का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन पर विद्रोह जैसी गंभीर धाराएं नहीं लगाई जा सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ये दलीलें ट्रायल या आरोप तय करने के दौरान दी जा सकती हैं। गौरतलब है कि इससे पहले नेहा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने और निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। नेहा पर लगाए गए आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस ने नेहा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 196 (देश के विरुद्ध षड्यंत्र), 197 (राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 152 (राज्य के विरुद्ध युद्ध की तैयारी), 353 (सार्वजनिक शांति भंग करने का उद्देश्य) और आईटी एक्ट की धारा 69ए (राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सूचना अवरोध) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया। बाद में इसमें देशद्रोह से जुड़ी धाराएं भी शामिल कर ली गईं।  

ब्रह्मपुत्र पर शक्ति का खेल: भारत का विशाल हाइड्रो प्रोजेक्ट चीन के लिए बड़ा संदेश

नई दिल्ली  भारत की बिजली योजना बनाने वाली संस्था, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) ने सोमवार को बताया कि ब्रह्मपुत्र बेसिन से 2047 तक 76 गीगावॉट से अधिक बिजली ट्रांसमिट करने के लिए एक योजना बनाई गई है. इस हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की कीमत 6.4 लाख करोड़ रुपये (77 अरब डॉलर) है. इसके जरिए देश में बढ़ती बिजली की मांगें पूरी की जाएंगी. इस योजना में पूर्वोत्तर के 12 छोटे-छोटे इलाकों में 208 बड़े जल विद्युत प्रोजेक्ट्स शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट्स की कुल क्षमता 64.9 गीगावॉट है. साथ ही 11.1 गीगावॉट की पंप्ड-स्टोरेज बिजली बनाने वाली प्लांट्स भी इस योजना में हैं, जो जरूरत के समय बिजली स्टोर कर सकती हैं. ये प्रोजेक्ट भारत के लिए अहम क्यों है? ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत (चीन) से निकलती है और भारत-बांग्लादेश से होकर गुजरती है. इस नदी से भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश में बहुत ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है. यह इलाका चीन की सीमा के पास है. इसलिए इस क्षेत्र की जल और बिजली योजनाएं सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं. दरअसल, चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है. इस प्रोजेक्ट की कीमत लगभग 167 अरब डॉलर (लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपये) है. डैम साल भर में 300 अरब यूनिट बिजली बनाएगा. भारत को डर है कि चीन के यारलुंग ज़ांग्बो नदी पर बने बांध से शुष्क मौसम में भारत में पानी की आपूर्ति 85% तक कम हो सकती है. ब्रह्मपुत्र बेसिन में अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और पश्चिम बंगाल के हिस्से आते हैं. भारत के कुल जल विद्युत संसाधन का 80% से ज्यादा इसी क्षेत्र में है. इसमें अरुणाचल प्रदेश अकेला 52.2 गीगावॉट क्षमता रखता है. पहला फेज 2035 तक पूरा होगा इस योजना की पहली चरण 2035 तक पूरी होगी, जिसकी लागत लगभग 1.91 लाख करोड़ रुपये है. दूसरे चरण पर 4.52 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. योजना में NHPC, NEEPCO और SJVN जैसी केंद्रीय कंपनियां भी शामिल हैं. भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. यह योजना देश को स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा देगी.  

महिला वकीलों की आवाज़ बुलंद: कोर्ट में चेंबर और बैठने की जगह की मांग पर दिया ज्ञापन

नई दिल्ली 15 से 25 साल हो गए और देख‍ि‍ए, इसके बाद भी देश भर के न्यायालयों-बार काउंस‍िल्स में मह‍िला वकीलों के लिए आज बैठने तक के लिए जगह नहीं है. बरसों से हम हर तरह से सह रहे हैं. 90 के दशक तक तो कभी ये हालात थे कि ज्यूड‍िशरी में मह‍िलाओं का आना ही बहुत अच्छा नहीं माना जाता था. आज जब मह‍िलाओं की संख्या यहां बढ़ी है तो उन्हें सुव‍िधाएं नहीं मिल रहीं. कई पीपल के पेड़ के नीचे बैठ रही हैं तो कई बस एक सही जगह के इंतजार में रहती हैं…सुप्रीम कोर्ट महिला अधिवक्ता एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी एडवोकेट प्रेरणा सिंह कहती हैं कि अब हम सुप्रीम कोर्ट से अपने लिए बराबरी से ज्यादा व्यवहार‍िक जरूरत पूरी करने की मांग कर रहे हैं.  मह‍िला अध‍िवक्ताओं की याच‍िका में क्या है?  गौरतलब है कि देश की वरिष्ठ महिला अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याच‍िकाकर्ताओं में 15 से 25 साल अनुभव वाली इन वकीलों ने अदालत से देश भर की अदालतों और बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों को प्रोफेशनल चैंबर या केबिन देने के लिए एक समान और लैंगिक रूप से संवेदनशील नीति बनाने की मांग की है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर नोटिस जारी कर प्रतिवादियों से जवाब मांगा है.  याचिका में महिला अधिवक्ताओं ने कहा है कि बरसों से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की चैम्बर वेटिंग लिस्ट में होने के बावजूद उन्हें प्रोफेशनल कामों के लिए उचित जगह नहीं मिली. याचिका में ये भी कहा गया है कि भविष्य में होने वाले चैंबर या केबिन आवंटन में महिला वकीलों को प्राथमिकता दी जाए या उनके लिए सीटें आरक्षित हों.  इसके अलावा याचिका में उन महिला वकीलों के लिए भी चैंबर बनाने और प्राथमिकता देने की बात की गई है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 25 साल से ज्यादा प्रैक्टिस की है और जो अभी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की प्रतीक्षा सूची में हैं पेड़ के नीचे बैठकर प्रैक्ट‍िस… एडवोकेट प्रेरणा महिला वकीलों की प्रैक्ट‍िकल समस्या का जिक्र करती हैं. वो कहती हैं कि इतने सालों की प्रैक्टिस होने के बाद भी हमें बैठने के लिए कोई जगह नहीं मिलती. कंसल्टेशन रूम हमेशा बुक रहता है. लोग दिन भर वहीं बैठे रहते हैं. तमाम अदालतों में महिला वकीलों को अक्सर पेड़ के नीचे बैठकर क्लाइंट से मिलने या काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. कल्पना कीजिए आप पेड़ के नीचे बैठकर काम कर रही हैं, चाय वाला आता है और कहता है ‘चाय ले लो मैडम’. आप जवाब देती हैं, ‘नहीं, आगे जाएं’. चायवाला आगे कहेगा कि कोई नहीं क्लाइंट को पिला दो. बताओ आपकी उस समय क्या इज्जत रह जाती है.  कहने का अर्थ ये है कि ऐसी बहुत सारे हालात हम लोगों ने देखा और महसूस किया है. तभी हमें लगा कि ये जरूरी है कि हमें एक सम्मानजनक स्थान दिया जाए. हमारी मांग रिजर्वेशन के लिए नहीं बल्कि हमें बेसिक सुविधाएं चाहिए. हमारा मकसद केवल ये है कि महिलाओं को काम करने के लिए सुविधाजनक चेम्बर मिले. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया और उन्होंने सकारात्मक संकेत दिया कि महिलाओं, दिव्यांगों और अन्य जरूरतमंदों को कार्य और सुविधा के लिए जगह दी जानी चाहिए. हमें उम्मीद है कि जल्द ही कुछ सकारात्मक आदेश और निर्देश मिलेंगे. कार्यक्षमता पर पड़ रहा असर  याच‍िकाकर्ता और सुप्रीम कोर्ट महिला वकील संघ की उपाध्यक्ष एडवोकेट भक्ति पासरिजा का कहना है कि महिला वकीलों को चेंबर की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है. महिला वकील लंबे समय से चेंबर के लिए आवेदन कर रही हैं, लेकिन उन्हें कोई पॉजिट‍ि रेस्पांस नहीं मिल रहा है. वो कहती हैं कि हम कभी भी रिजर्वेशन की बात नहीं करते. यहां मुद्दा समान अवसर और कार्यक्षमता का है. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सकारात्मक कदम उठाएगा. मेरा मानना है कि महिला वकीलों के लिए कार्यस्थल होंगे तो पेशेवर संरचना में सुधार होगा.  मांगें पूरी हुई तो क्या बदलेगा  सुप्रीम कोर्ट की सीन‍ियर एडवोकेट सोन‍िया माथुर कहती हैं कि आज लड़क‍ियां ज्यूड‍िशरी में करियर बनाने का सपना देखने लगी हैं. कोर्ट पर‍िसरों में मह‍िला अध‍िवक्ताओं की संख्या बढ़ी है. ऐसे में न्यायालय पर‍िसर भी जेंडर सेंसेट‍िव होने चाहिए. मह‍िलाएं न्याय के क्षेत्र में आती हैं तो उन्हें यहां का माहौल भी उनके अनुरूप मिलना चाहिए. ठीक यही बात दिव्यांगों के लिए भी लागू होती है. उन्हें भी अदालतों में चेंबर के अलावा हर सहूल‍ियत मिलनी चाहिए. न्यायालय में समय समय पर महिलाओं के लिए आवाज उठाई जाती है. देश भर के न्यायालयों में न स‍िर्फ चेंबर बल्क‍ि महिलाओं के ल‍िए क्रेच की सुव‍िधा, साफ टॉयलेट और भेदभाव रहित माहौल मिलना चाहिए. इससे उनकी प्रोफेशनल कार्यक्षमता बढ़ेगी. साथ ही ज्यूड‍िशरी में मह‍िलाओं की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी.