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मोहन यादव बोले—गाय का दूध बीमारियों से सुरक्षा कवच, फिर खुद को अंडे खाने पर क्यों मजबूर करते हो?

इंदौर  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अंडों को पौष्टिक आहार के रूप में प्रचारित किए जाने पर तीखा सवाल उठाया और जनता को गाय का दूध पीने की सलाह दी. इस बयान से राज्य में स्कूली बच्चों के भोजन में अंडों को शामिल करने के पुराने राजनीतिक विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है.  CM यादव इंदौर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर हातोद स्थित गौशाला में 'गोवर्धन पूजा' कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य और पौष्टिकता को लेकर गाय के महत्व पर जोर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा, "जिसके घर में गाय होती है, उसके बच्चों समेत परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ रहते हैं. यह ईश्वर की लीला है."  इसके बाद मुख्यमंत्री ने देश में अंडों की खपत को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रसिद्ध विज्ञापन जिंगल "संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे" पर सीधे निशाना साधा. CM यादव ने कहा, "क्यों संडे हो या मंडे… ये बेकार की बातें हैं. खुद को अंडे खाने के लिए क्यों मजबूर करते हो? जो अंडे-डंडे खाना चाहते हैं, उन्हें अंडे खिलाते रहो." उन्होंने दृढ़ता से कहा, "गाय का दूध पियो और खुश रहो."  मुख्यमंत्री ने आगे स्पष्ट किया कि  गाय का दूध अमृत है. उसमें सबसे अधिक पोषक तत्व होते हैं. गाय के दूध के सेवन से बीमारियां दूर होती हैं और व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ और आनंदित पाता है. गौ-माता दोहरा पोषण करती है. वह अपने बछड़े के पालन के साथ-साथ मानव जाति का भी पोषण करती हैं हर युग में हर आश्रम में गौ-माता पाली जाती थी और जगह-जगह गौ-पालन होता था. परम्परागत रूप से घरों में पहली रोटी गाय के लिये बनाई जाती है. स्कूली बच्चों के लिए पौष्टिक आहार के रूप में अंडों को बढ़ावा देना मध्य प्रदेश में लंबे समय से विवाद का विषय रहा है. साल 2019 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडे परोसने के प्रस्ताव पर विचार किया था.  BJP के नेताओं ने उस समय इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था और सरकार पर लोगों की धार्मिक मान्यताओं की अवहेलना करने का आरोप लगाया था.   मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस दौरान गौ-संरक्षण के लिए राज्य सरकार की योजनाओं पर भी बात की. उन्होंने कहा कि बीमार और लावारिस गायों की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में 10 हजार से ज्यादा पशुओं को रखने की क्षमता वाली गौशालाएं बनाई जा रही हैं.

सीएम निवास में भाई दूज के अवसर पर 250 रुपए का शगुन, सीएम ने श्रीकृष्ण-सुभद्रा के स्नेह को याद किया

भोपाल  मध्य प्रदेश की 1.26 करोड़ महिलाओं के खाते में भाई दूज के शगुन का पैसा आएगा? मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की 29वीं किस्त के तौर पर महिलाओं के खाते में 1250-1250 रुपये तो आ चुके हैं, लेकिन उन्हें रक्षाबंधन और भाई दूज के मौके पर मिलने वाले 250 रुपये के शगुन का इंतजार है। आज गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास में भाई दूज का कार्यक्रम है, जिसमें लाडली बहनें शामिल होंगी। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने लाडली बहनों को दिए संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुभद्रा का रिश्ता भाई-बहन के प्रेम और संरक्षण की सबसे सुंदर मिसाल है , जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने हर परिस्थिति में बहन सुभद्रा की सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रखा, उसी भावना से हमारी सरकार भी प्रदेश की हर लाड़ली बहन के सुख, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की साथी है। श्रीकृष्ण और सुभद्रा का संबंध इस बात की याद दिलाता है कि भाई का स्नेह केवल वचन निभाना ही नहीं, कर्म से निभाई जाने वाली जिम्मेदारी भी है। हमारी सरकार इसी दृष्टि से सांस्कृतिक परंपरा को निभाते हुए आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारे लिये बहनों की खुशी, उनकी सुरक्षा और आत्मविश्वास सर्वोपरि है। यह राशि ट्रांसफर करने के पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण और सुभद्रा का रिश्ता भाई-बहन के प्रेम और संरक्षण की सबसे सुंदर मिसाल है, जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने हर परिस्थिति में बहन सुभद्रा की सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रखा, उसी भावना से हमारी सरकार भी प्रदेश की हर लाड़ली बहन के सुख, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की साथी है। श्रीकृष्ण और सुभद्रा का संबंध इस बात की याद दिलाता है कि भाई का स्नेह केवल वचन निभाना ही नहीं, कर्म से निभाई जाने वाली जिम्मेदारी भी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरुवार को भाईदूज के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में आयोजित होने वाले भाईदूज कार्यक्रम में सम्मलित होने वाली लाड़ली बहनों को यह संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाईदूज का पर्व भारतीय संस्कृति में प्रेम, स्नेह और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि उस रिश्ते का उत्सव है, जिसमें भाई अपनी बहन के सुख-दुख, सुरक्षा और सम्मान का वचन निभाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बहनों की मुस्कान ही समाज की समृद्धि का आधार है। लाड़ली बहनों के खाते में जमा हुए 44917.92 करोड़ मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की लाड़ली बहनें केवल योजनाओं की लाभार्थी नहीं, बल्कि परिवार और समाज की आत्मा हैं। अब तक इस योजना के अंतर्गत 44,917.92 करोड़ रुपए सीधे बहनों के खातों में भेजे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री निवास पर आने वाली लाड़ली बहनों का मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया जाएगा। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर और प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी हेमंत खण्डेलवाल भी उपस्थित रहेंगे।

प्रदेश के 23.81 लाख से अधिक किसानों को 1802 करोड़ रुपए की राहत राशि वितरित

किसानों को राहत राशि देने में कोई कमी नहीं करेंगे : मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश के 23.81 लाख से अधिक किसानों को 1802 करोड़ रुपए की राहत राशि वितरित अतिवृष्टि, बाढ़, पीला मोजैक, कीट व्याधि से फसल क्षति और प्राकृतिक आपदा प्रभावित किसानों को दी गई राहत राशि गत वर्ष की तुलना में तीन गुना राहत राशि का हुआ वितरण भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस साल अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण किसानों की फसल को नुकसान हुआ। पीला मोजैक और कीट प्रकोप ने भी किसानों को परेशानी में डाला। इसी तरह बारिश के कारण जनहानि, पशुहानि और मकान क्षति से भी किसानों को पीड़ा हुई। ऐसे कठिन हालातों में सरकार ने किसानों को संबल देने में कोई कमी नहीं रखी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि अतिवृष्टि, बाढ़, कीट प्रकोप से फसल/ मकान क्षति की परेशानियों से जूझ रहे प्रदेश के 23 लाख 81 हजार से अधिक प्रभावित किसानों को अब तक लगभग 1802 करोड़ रुपए की राहत राशि वितरित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि आरबीसी 6(4) के तहत दी गई इस राहत राशि से किसानों को फिर से खड़ा होने में बेहद मदद मिली है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह राशि गत वित्त वर्ष 2024-25 में बांटी गई 660.57 करोड़ रुपए राहत राशि से करीब तीन गुना अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अन्नदाता किसानों के लिए सरकार के खजाने में धन की कोई कमी नहीं है। प्रदेश के हर जरूरतमंद किसान को तत्परतापूर्वक सरकार का साथ, सहयोग और संबल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में 1590.74 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022-23 में 726.15 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2023-24 में 758.62 करोड़ रुपए राहत राशि सरकार द्वारा वितरित की गई थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि अतिवृष्टि /बाढ़ एवं पीला मोजैक/कीट व्याधि से फसल हानि के लिए 23 लाख 81 हजार 104 प्रभावित किसानों को 1623.51 करोड़ रुपए राहत राशि दी गई है। प्राकृतिक आपदा से हुई विभिन्न प्रकार की क्षतियों की पूर्ति के लिए राहत के रूप में 178.45 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। इस प्रकार प्रदेश में अतिवृष्टि/बाढ़, पीला मोजैक/ कीट व्याधि से फसल हानि और विभिन्न प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को लगभग 1802 करोड़ रुपए की राहत राशि सरकार द्वारा वितरित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि अतिवृष्टि हो या बाढ़, कीट व्याधि हो या कोई और प्राकृतिक आपदा, किसान हर मौसम में फसल नुकसानी का जोखिम उठाते हैं। फसल नुकसानी हुई, तो घर की साल भर की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है। हमारी सरकार किसानों को ऐसे हालात में कभी अकेला नहीं रहने देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की हर कठिनाई में सरकार उनके साथ है। हमारी सरकार किसानों की सरकार है। किसानों का दु:ख पूरे प्रदेश का दु:ख है और किसानों के सुख से ही प्रदेश का सुख है। किसानों को हर जरूरी मदद और राहत राशि देने में हम कभी कोई कमी नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए सभी कदम उठाए हैं। हमारी सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी, बिजली, शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, फसलों पर समर्थन मूल्य और फसल बीमा की राशि का समय पर अंतरण किया है। इससे प्रदेश के किसान भाइयों के मन में एक नया विश्वास, एक नई उम्मीद जागी है।  

फैशन डिजाइनिंग आधारित स्टार्टअप प्रशिक्षण 30 अक्टूबर से

28 तक कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन भोपाल मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) द्वारा युवाओं को फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप, उद्योग, और स्वरोजगार स्थापित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। छह सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम 30 अक्टूबर से महिला पॉलीटेक्निक के सहयोग से भोपाल में निःशुल्क होगा। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रवर्तित इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशिक्षणार्थियों को फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में उपयुक्त प्रोजेक्ट का चयन करने और उसे सफलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम बनाना है। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया जाएगा जिससे वे अपने स्टार्टअप को प्रभावी ढंग से शुरू और संचालित कर सकें। प्रशिक्षण में विभिन्न विषयों पर सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक जानकारी भी दी जाएगी। प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए आवेदक की योग्यता विज्ञान या इंजीनियरिंग में स्नातक, पॉलीटेक्निक डिप्लोमा या पीजीडीसीए होना अनिवार्य है। आवेदक की अधिकतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई है।महिलाओं को आयु में विशेष छूट दी जाएगी। इच्छुक युवक और युवतियां 28 अक्टूबर तक मेपकास्ट की आधिकारिक वेबसाइट www.mpcost.gov.in पर उपलब्ध आवेदन पत्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। प्रशिक्षण से संबंधित किसी भी स्पष्टीकरण या अतिरिक्त जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति मोबाइल नंबर 9926923001 पर संपर्क कर सकते हैं।प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं के लिए फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में अपने करियर को नई दिशा देने और स्वरोजगार के अवसरों को तलाशने का अवसर प्रदान करेगा।  

मध्यप्रदेश में महिला नेतृत्व के स्टार्टअप 47 प्रतिशत तक बढ़े

विशेष समाचार विनिर्माण इकाइयों की संख्या 4 लाख 26 हजार पहुंची महिला नेतृत्व के स्टार्टअप 47 प्रतिशत तक बढ़े एमएसएमई सेक्टर जीडीपी में दे रहा 30% का योगदान भोपाल मध्यप्रदेश में निवेश मित्र नीतियों और उद्योग समर्थित प्रावधानों के परिणाम स्वरूप पिछले तीन वर्षों में विनिर्माण इकाइयों की संख्या बढ़कर 4,26,230 तक पहुंच गई है। वर्ष 2022-23 में 67332 विनिर्माण एमएसएमई पंजीकृत हुई थी 2023-24 में 89,317 और 2024-25 में 1,13,696 हुई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश में विनिर्माण क्षेत्र में नई इकाइयों की स्थापना को हर प्रकार से प्रोत्साहित कर रहे है। प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की संख्या भी बढ़ रही है। वर्तमान में प्रदेश में 20.43 लाख एमएसएमई इकाइयाँ है। इसमें 20.22 लाख सूक्ष्म उद्यम है, 19508 लघु उद्योग और 1178 मध्यम उद्यम हैं। एमएसएमई सेक्टर में 21% विनिर्माण श्रेणी की, 29% सेवा श्रेणी और 50% व्यवसाय श्रेणी की इकाइयां हैं। इस प्रकार एमएसएमई सेक्टर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 30% का योगदान दे रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 66 हजार करोड रुपए से अधिक का निवेश वर्तमान में है। इनमें एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। बढ़ते स्टार्टअप मध्यप्रदेश की स्टार्टअप नीति के परिणामस्वरूप अब अधिमान्य स्टार्टअप की संख्या 6000 से अधिक हो गई है। इनमें से लगभग 2900 यानी 47% स्टार्टअप महिला उद्यमियों के हैं। इसके अलावा कुल इनक्यूबेटर की संख्या 100 से ज्यादा है। स्पष्ट है कि प्रदेश में स्टार्टअप परिस्थिति तंत्र में बहुत तेजी से सुधार हो रहा है। प्रदेश में स्मार्ट सिटी इनक्यूबेटर 7, अटल इनक्यूबेटर सेंटर 4, टेक्नोलॉजी बिजनेस इंटर इनक्यूबेटर दो, एक एपेरल इनक्यूबेटर ग्वालियर में, दो एग्री इनक्यूबेटर सेंटर ग्वालियर और जबलपुर में, तीन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ग्वालियर, भोपाल और इंदौर में स्थापित है। RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) योजनांतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर स्‍थापित करने की योजना है। इनमें से 7 जिलों नर्मदापुरम्, विदिशा, हरदा, राजगढ़, रायसेन, अशोकनगर एवं भोपाल में एमएसएमई इन्‍नोवेशन-सह-इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर की स्‍थापना की स्‍वीकृति प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि स्टार्ट-अप को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दें जिससे भारत के युवा नौकरी देने वाले बनें। मध्यप्रदेश में इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्टार्टअप अधोसंरचना को मजबूत बनाकर कार्य कर रहे हैं। नई स्टार्ट-अप नीति बन जाने से प्रदेश ग्लोबल स्टार्ट-अप हब बनने की ओर बढ़ रहा है। भविष्य में युवा उद्यमियों को ग्लोबल मंच मिलेगा और लाखों रोजगार सृजित होंगे। स्टार्टअप ईको सिस्टम राज्य की आर्थिक प्रगति और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। मध्यप्रदेश स्टार्टअप सीड फंड सहायता तथा 100 करोड़ रुपए का कैपिटल फंड स्टार्टअप्स के युवा उद्यमियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रारंभिक पूंजी की व्यवस्था करना होती है। इस बाधा को दूर करने के लिए प्रदेश के नए स्टार्टअप्स के लिये 30 लाख रुपये तक का सीड फंड अनुदान तथा 100 करोड़ रुपए के कैपिटल फंड का मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2025 में प्रावधान किया गया है। यह कोष उभरते स्टार्ट-अप्स को उनके शुरुआती चरणों में वित्तीय सहायता प्रदान करेगा तथा उन्हें अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा। इससे वे अपने स्टार्टअप का विस्तार कर सकेंगे साथ ही विस्तार की चुनौतियों का सामना कर सकेंगे। मेगा इनक्यूबेशन सेंटर और नवाचार को बढ़ावा राज्य में मेगा इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिसके सेटेलाइट सेंटर प्रदेश के अन्य उपयुक्त स्थानों में स्थापित किए जायेंगे। इनसे स्टार्टअप्स को आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन और ग्लोबल बाजार तक पहुंचने में मदद मिलेगी। बौद्धिक संपदा सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी गई है। इसके लिये घरेलू पेटेंट के लिए 5 लाख रुपये और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए 20 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इससे स्टार्टअप्स को नवाचार करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने में मदद मिलेगी। महिला उद्यमिता को बढ़ावा नई नीति के अनुसार राज्य में 47% महिला-नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स है तथा प्रदेश के स्टार्टअप ईकोसिस्टसम में महिलाओं का योगदान बढ़-चढ़ कर आ रहा है। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति में महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को विशेष सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। स्टार्टअप परिचालन हेतु वित्तीय सहायता स्टार्ट-अप्स संचालन के खर्चों को कम करने के लिए किराया सहायता योजना भी लागू की गई है। स्टार्ट-अप्स को 50 प्रतिशत तक किराया भत्ता अधिकतम 10 हजार रुपए प्रति माह दिया जाएगा। साथ ही प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, ऑनलाइन विज्ञापन आदि हेतु भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। नये क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स को प्राथमिकता नीति में कृषि, फूड प्रोसेसिंग, डीप टेक, बॉयोटेक और नवीनतम तकनीकों के क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इससे राज्य में विविध और सशक्त स्टार्ट-अप ईको सिस्टम विकसित होगा, जिससे प्रदेश के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस ईआईआर प्रोग्राम और कौशल विकास सहायता राज्य में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस ईआईआर प्रोग्राम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत नए स्टार्टअप्स को 10 हजार रुपए प्रति माह (अधिकतम एक वर्ष के लिए) की वित्तीय सहायता दी जाती है। स्टार्ट-अप एडवाइजरी कॉउंसिल और ऑन लाइन पोर्टल नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए "स्टार्ट-अप एडवाइजरी काउंसिल" का गठन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसके साथ ही स्टार्ट-अप्स के लिए एक समर्पित ऑन लाइन पोर्टल और हेल्प लाइन भी बनाई गई है। इससे उन्हें वित्तीय सहायता, सरकारी योजनाओं और अन्य संसाधनों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति में उत्पाद आधारित स्टार्टअप के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था है। इसके अलावा वित्तीय सहायता, पेटेंट, लीज रेंट, ईआईआर और आयोजनों में सहभागिता के लिए भी सहायता का प्रावधान है। मध्यप्रदेश स्टार्टअप सेंटर में एक समर्पित टीम कार्य कर रही है। राज्य स्टार्टअप पोर्टल को स्टार्टअप इंडिया पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है और वित्तीय सहायता के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई है।  

इंदौर-खंडवा सड़क परियोजना में तेजी: मार्च तक पूरा काम, सुरंगें और पुल 4 महीने में होंगे तैयार

खरगोन निमाड़-मालवा वालों के लिए खुशखबर यह है कि इंदौर-खंडवा रोड का काम मार्च तक पूरा हो जाएगा। इस रोड पर अक्टूबर तक मोरटक्का के नर्मदा ब्रिज और सिमरोल के वायडक्ट पर गर्डर लान्चिंग का काम आखिरी स्टेज में पहुंच गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुताबिक अगले चार महीने के भीतर तीनों सुरंग, नर्मदा पुल और वायडक्ट बनकर तैयार हो जाएंगे। एनएचएआई के मुताबिक, इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर के तहत तेजाजी नगर से बलवाड़ा तक छह लेन हाईवे बन रहा है। इसी हिस्से में सिमरोल टनल के बाद बनाए जा रहे वाया डक्ट पर 160 गर्डर की लॉन्चिंग पूरी हो चुकी है। यह कुल 450 मीटर का वायाडक्ट है, जिसमें 30-30 मीटर का एक-एक स्पान (हिस्सा) है। यहां 80 से 100 टन वजनी प्रत्येक गर्डर को दो क्रेन की मदद से खाई से 30 मीटर ऊपर बने दो पियर के बीच रखा गया। यह पूरी प्रक्रिया मार्च में शुरू हुई थी और पिछले सप्ताह ही पूरी हुई है। मार्च तक ट्रैफिक शुरू करने का दावा निर्माण कंपनी मेघा इंजीनियरिंग ने अगले साल मार्च तक इस हिस्से से ट्रैफिक शुरू करने का दावा किया है। इधर, नर्मदा नदी पर मोरटक्का में बन रहे ब्रिज का कार्य भी मार्च तक पूरा कराने का दावा किया गया है। इस ब्रिज के साथ ही बलवाड़ा से धनगांव के बीच बन रहा 45 किलोमीटर का फोरलेन भी कम्प्लीट होगा। खंडवा एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आशुतोष सोनी के मुताबिक, बलवाड़ा-धनगांव प्रोजेक्ट 45 किलोमीटर का है, जिस पर सड़क निर्माण लगभग पूरा हो गया है। एक रेलवे ब्रिज का काम अधूरा है और बाकी नर्मदा नदी का ब्रिज है। नर्मदा नदी पर चार स्पान बाकी हैं, जो पांचवां स्पान था, उसे पिछले महीने कम्प्लीट किया है। इंदौर-हैदराबाद के सफर में आठ घंटे बचेंगे 713 किमी की इस सड़क में अभी कई जगह स्टेट हाईवे हैं, जिन्हें एनएचएआई द्वारा नेशनल हाईवे की तर्ज पर बनाया जा रहा है। मौजूदा सड़क से अभी इंदौर-हैदराबाद के बीच 876 किमी का रास्ता है, जो हाईवे बन जाने के बाद 157 किमी कम हो जाएगा। इससे 18 घंटे का रास्ता 8 घंटे कम हो जाएगा और 10 घंटों में इंदौर से हैदराबाद पहुंचा जा सकेगा।

कई करोड़ खर्च के बाद भी कान्ह नदी प्रदूषित, अब 250 करोड़ के बॉन्ड से सुधार की कोशिश

इंदौर  इंदौर की कान्ह नदी को साफ करने के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन कान्ह अभी भी प्रदूषित ही है। कान्ह को साफ करने के लिए जनभागीदारी के अलावा स्मार्ट सिटी, नमामि गंगे, अमृत प्रोजेक्ट के तहत 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ को देखते हुए इसके पानी को टनल से निकालकर शिप्रा की जगह गंभीर नदी में शिफ्ट करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। वहीं इंदौर में कान्ह नदी के रीवर फ्रंट डेवलपमेंट पर भी काम होगा। इसकी डीपीआर को मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है। 19.385 किलोमीटर लंबी कान्ह नदी के लिए रीवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 510.32 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह पैसा आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अर्बन चैलेंज फंड के तहत बाॅन्ड से पैसा जुटाया जाएगा। इसमें 25 फीसदी राशि केन्द्र और इतनी ही स्थानीय निकाय का प्राधिकरण को खर्च करना है। शेष 50 प्रतिशत पैसा बाॅन्ड या अन्य वित्तीय प्रावधानों से जुटाया जाएगा। इस योजना का मकसद शहरों में जल और स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियों के लिए फंड उपलब्ध करवाना है। संजय सेतु तक आते-आते गुजरने पर कान्ह नदी की गंदगी और बढ़ जाती है। कृष्णपुरा छत्री के नजदीक होने के कारण यहां बने घाटों पर लोगों का बैठना मुश्किल हो जाता है। रीवर फ्रंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में यह सब होगा अब जो रिवर फ्रंट कॉरिडोर बनाया जाएगा। उसमें बाउंण्ड्रीवॉल, फाउंटेन, पार्किंग के साथ-साथ लैंड स्कैपिंग, हाट बाजार, फुट ओवरब्रिज, टॉयलेट, वॉल पेंटिंग, पाथ-वे सहित अन्य कार्य होंगे, ताकि नदी शुद्धिकरण के साथ-साथ उसके दोनों किनारों पर सौंदर्यीकरण के कार्य भी हो सकें। कृष्णपुरा छत्री पर होता है कान्ह-सरस्वती संगम सरस्वती नदी का एक हिस्सा राजीव गांधी स्थित नहर भंडार से होते हुए बद्री बाग तो दूसरा हिस्सा तेजपुर गड़बड़ी से अमितेश नगर होते हुए बद्री बाग में मिलता है। यह लालबाग पैलेस के पीछे छत्रीबाग, हरसिद्धि, कृष्णपुरा छत्री तक पहुंचता है। वहीं, कान्ह नदी तीन इमली से छावनी होते हुए कृष्णपुरा छत्री पर पहुंचती है, जहां दोनों का संगम होता है और फिर कबीटखेड़ी पहुंचती है।

लाड़ली बहनों के खातों में जल्द आएंगे ₹1500, सीएम मोहन यादव ने दी बड़ी सौगात

भोपाल  मध्यप्रदेश की लाड़ली बहनों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने योजना की राशि में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। अब लाड़ली बहना योजना के तहत हर पात्र बहन को 1250 नहीं, बल्कि 1500 रुपए हर महीने मिलेंगे। हालांकि, इस बार भाईदूज पर 250 रुपए अलग से ट्रांसफर नहीं किए जाएंगे। दरअसल, सरकार ने तय किया है कि अब से यह पूरी बढ़ी हुई राशि नवंबर माह से एकमुश्त दी जाएगी। यानी आने वाले महीने में ही सीएम मोहन यादव करोड़ों बहनों के खातों में 1500 रुपए ट्रांसफर करेंगे। 250 रुपये की बढ़ोतरी, नया पड़ाव पहले लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1250 रुपये मिलते थे। अब भाईदूज से यह राशि बढ़कर 1500 रुपये हो गई है। सीएम ने कहा, "यह हमारी बहनों के लिए सम्मान और सशक्तिकरण का कदम है।" यह बढ़ोतरी लाखों महिलाओं के लिए आर्थिक सहारा मजबूत करेगी। भाईदूज की विशेष किस्त त्योहार को और खास बनाने के लिए सीएम ने लाड़ली बहनों के खातों में 1500 रुपये की अतिरिक्त राशि ट्रांसफर करने का ऐलान किया। यह राशि तत्काल प्रभाव से लाभार्थियों तक पहुंचेगी। सीएम ने भाईदूज की शुभकामनाएं देते हुए कहा, "यह योजना बहनों के आत्मविश्वास को बढ़ाने का हमारा वादा है।" भविष्य की योजना मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि सरकार का लक्ष्य इस राशि को भविष्य में 3000 रुपये तक ले जाना है। यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से और सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा। सूत्रों के मुताबिक, पहले की तरह यह भुगतान 10 से 15 नवंबर के बीच होगा। वहीं, 60 साल से अधिक आयु की महिलाएं इस बढ़ी हुई राशि का लाभ नहीं ले सकेंगी।सीएम मोहन यादव गुरुवार को सीएम हाउस में लाड़ली बहनों के साथ भाईदूज मनाएंगे। कार्यक्रम की जिम्मेदारी मंत्री निर्मला भूरिया और कृष्णा गौर को दी गई है। इस मौके पर मुख्यमंत्री बहनों को बढ़ी हुई राशि को भाईदूज का विशेष तोहफा बताएंगे। नवंबर से खाते में एक साथ आएंगे 1500 रुपए बता दें कि सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने ऐलान किया था कि लाड़ली बहना योजना के तहत जल्द ही लाड़ली बहनों को 1500 रुपए की राशि दी जाएगी। अपना वादा निभाते हुए सीएम ने अकटूबर से ही इस बढ़ी हुई राशि को देना शुरू कर दिया है। हालांकि इस महीने ये राशि दो बार में लाड़ली बहनों के खातों में भेजी गई है। जिसका एक हिस्सा 1250 रुपए दिया जा चुका है।  वहीं दूसरा हिस्सा 23 अक्टूबर को प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते (Ladli Behna Yojana 2025) में आएगा। वहीं नवंबर महीने से 1500 रुपए की राशि एक साथ लाड़ली बहना योजना के खातों में आएगी। 29वीं किस्त जारी करते हुए सीएम मोहन यादव ने घोषणा की थी कि अब धीरे-धीरे ये राशि बढ़ाई जाएगी। सिंहस्थ 2028 तक इस राशि को बढ़ाकर 3000 रुपए किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू की थी Ladli Behna Yojana लाड़ली बहना योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू की थी।  कहां से हुआ शुभारंभ –शुरुआत- 5 मार्च 2023, भोपाल से –क्यों शुरू की गई थी लाड़ली बहना योजना- महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना, परिवार में सम्मान दिलाना तथा पोषण सुधारना –पूर्व सीएम शिवराज की योजना को आगे बढ़ा रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मासिक आर्थिक सहायता — शुरुआत- 1000 रुपए –2023 अक्टूबर से – 1250 रुपए — 2025 नवंबर- 1500 रुपए का ऐलान — रक्षाबंधन पर बोनस- जुलाई 2025 की किस्त के साथ 250 रुपए का शगुन, पिछले साल भी मिला था बोनस, इस बोनस की शुरुआत भी शिवराज सिंह ने अपने शासनकाल में ही की थी। — दीपावली 2025 की भाईदूज पर भी 250 रुपए का शगुन: अब दीपावली की भाईदूज पर भी मोहन यादव ने लाड़ली बहनों (Ladli Behna Yojana 2025) को बोनस और शगुन के रूप में 250 रुपए भेजने की तैयारी कर ली है। — नवंबर 2025 से लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़कर हुई 1500 रुपए- खाते में एक साथ आएगी ये राशि। लाड़ली बहना योजना की पात्र कौन? उम्र- 21-60 साल स्थिति- विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता निवास- मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना अनिवार्य आय सीमा- सालाना पारिवारिक आय 2.5 लाख से कम परिवार में कोई आयकरदाता, सरकारी कर्मचारी या पेंशनर नहीं होना चाहिए। परिवार के नाम पर पांच एकड़ जमीन से कम कृषि भूमि और निजी चार पहिया वाहन नहीं होना चाहिए। महिला का खाता आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए। कब आती है लाडली बहना योजना की किस्त? लाड़ली बहना योजना की किस्त हर महीने की 10-15 तारीख के बीच पात्र महिला के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर की जाती है।  

अलीराजपुर कलेक्टर के सोशल मीडिया अकाउंट पर बड़ा हमला, हैकरों ने मांगे पैसे

अलीराजपुर कलेक्टर नीतू माथुर का सोशल मीडिया अकाउंट किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हैक कर लिया गया है। इस गंभीर घटना की जानकारी स्वयं कलेक्टर ने सार्वजनिक रूप से साझा करते हुए आमजन से सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने बताया कि उनके नाम से सोशल मीडिया पर संदेश या काल के माध्यम से आर्थिक मदद की मांग की जा रही है, जो कि पूर्णतः फर्जी और अवैधानिक है। इस पूरे मामले का खुलासा उस समय हुआ जब मंगलवार की शाम लगभग सवा सात बजे जिला सूचना विज्ञान केंद्र के तूफानसिंह को कलेक्टर के नाम से एक संदिग्ध मैसेज प्राप्त हुआ। संदेश की भाषा और मांग को देखकर उन्होंने बिना देर किए इसकी सूचना कलेक्टर नीतू माथुर को दी। तत्पश्चात कलेक्टर ने तुरंत साइबर सेल को पूरे मामले से अवगत कराया, जहां से जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।   इस तरह के संदेशों से रहें सावधान हैकर्स द्वारा भेजे जा रहे संदेशों में किसी निजी और आपातकालीन परिस्थिति का हवाला देते हुए एक ग्राहक के खाते में तत्काल पैसे भेजने की अपील की जा रही है। संदेश में लिखा जा रहा है कि मुझे एक जरूरी काम के लिए आपकी मदद चाहिए। मैं मीटिंग में हूं, ऑनलाइन बैंकिंग काम नहीं कर रही। कृपया एक ग्राहक के खाते में थोड़ी राशि ट्रांसफर कर दें, शाम तक लौटा दूंगा। यह संदेश पूरी तरह भ्रामक और धोखाधड़ी का हिस्सा है। आमजन से अपील की गई है कि वे इस प्रकार के किसी भी संदेश, काल या अनुरोध पर विश्वास न करें और न ही किसी प्रकार का आर्थिक लेनदेन करें। पहले भी हो चुका है ऐसा मामला गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब अलीराजपुर में इस प्रकार की साइबर धोखाधड़ी हुई हो। पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अभय अरविंद बेडेकर का भी सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुआ था और उसी तरह के संदेशों के माध्यम से लोगों से पैसे मांगे गए थे। कलेक्टर नीतू माथुर ने आमजन से अपील करते हुए कहा है कि, मेरे नाम से किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता की मांग की जा रही हो, तो कृपया उसे नजरअंदाज करें। यह एक गंभीर साइबर अपराध है और इसकी जांच की जा रही है। सभी से निवेदन है कि ऐसे किसी भी काल या मैसेज पर विश्वास न करें और न ही किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग करें।   प्रशासन और पुलिस सतर्क जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर अपराधियों की तलाश में जुट गया है। संबंधित एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है और आमजन से अपील की गई है कि किसी भी प्रकार की संदेहास्पद गतिविधि की तत्काल सूचना प्रशासन या पुलिस को दें।

प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा मिलेगी अतिरिक्त राशि

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि समाज और सरकार के सहयोग से प्रदेश की गौ-शालाओं को गौ-मंदिर के रूप में विकसित किया जायेगा। गौ-शालाओं में सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेंगी। गौ-शालाओं के विकास और उनके स्वावलंबन के लिये हर संभव मदद दी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को भी प्रोत्साहित किया जायेगा। प्राकृतिक रूप से तैयार उपज पर किसानों को समर्थन मूल्य के साथ ही अतिरिक्त राशि भी प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि प्रदेश में गौ-शालाओं का संचालन नगरीय निकायों द्वारा सुव्यवस्थित रूप से किया जायेगा। प्रदेश में खुले में विचरण करने वाली निराश्रित गायों को पिंजरे में नहीं बल्कि गौ-शालाओं में सुरक्षित रूप से रखने के प्रबंध कर उनकी बेहतर देखभाल की जायेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुधवार को इंदौर जिले के हातोद तहसील के खजूरिया में नगर निगम इंदौर द्वारा स्थापित रेशम केन्द्र गौशाला में आयोजित गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गोवर्धन पूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गाय का दूध अमृत है। उसमें सबसे अधिक पोषक तत्व होते हैं। गाय के दूध के सेवन से बीमारियां दूर होती हैं और व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ और आनंदित पाता है। गौ-माता दोहरा पोषण करती है। वह अपने बछड़े के पालन के साथ-साथ मानव जाति का भी पोषण करती हैं हर युग में हर आश्रम में गौ-माता पाली जाती थी और जगह-जगह गौ-पालन होता था। परम्परागत रूप से घरों में पहली रोटी गाय के लिये बनाई जाती है। बालिका महक को किया सम्मानित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम स्थल पर निर्मित किये गए गोवर्धन पर्वत की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने गोवर्धन पर्वत की साज-सज्जा कर आकर्षक स्वरूप देने वाली बालिका महक शर्मा को सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप उसे 5 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी। साथ ही उन्होंने बालिका को 11 हजार रुपये देने की घोषणा भी की। गौ-शाला के अखाड़े का किया अवलोकन मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौ-शाला में बने अखाड़े का अवलोकन किया। उन्होंने अखाड़े में कुश्ती देखी और पहलवानों का हौसला बढ़ाया और उनके साथ संवाद किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अखाड़ों से हमारे पहलवान कृष्ण और बलराम जैसे बनेंगे। आधुनिक दौर में मेट पर कुश्तियां भी हो रही हैं, इस अखाड़े में भी मेट की व्यवस्था की जायेगी। नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि गौ-शालाओं के विकास के लिये सभी जनप्रतिनिधि भी आर्थिक सहयोग दें। उन्होंने कहा कि गौ-माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गौ-माता की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। हम अपने बच्चों का जन्मदिन केक काटने की बजाय गौ-शालाओं की सेवा करके मनायें। उन्होंने कहा कि गोबर और गोमूत्र से गौ-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किये जाने की जरूरत है। जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि राज्य शासन द्वारा पहले प्रति गाय के पोषण के लिये जो राशि प्रदान की जाती थी अब उसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। इससे गौ-पालन और गौ-संवर्धन दोनों बढ़ेंगे। उन्होंने आगे कहा कि गौ-माता हमारी संस्कृति का प्रतीक है। रेशम केन्द्र की गौशाला को आदर्श गौशाला के रूप में स्थापित किया जायेगा। महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नगर निगम गौ-शाला को बढ़ाने के लिये सतत प्रयासरत है। पहले यहां पर मात्र 630 गाय थी जो आज बढ़कर 2300 से अधिक हो गई है। इस सेवा कार्य में जनता की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि गौ-शाला में नवनिर्मित हॉस्पिटल में आईसीयू सेंटर बनाया गया है, जहां बीमार गाय का ठीक से उपचार किया जाता है। स्वामी अच्युतानंद जी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गौवंश के प्रति बढ़ते प्रेम की वजह से आज प्रदेश में उज्जैन सहित ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर आदि गौ-शालाओं में जनभागीदारी के माध्यम से हजारों गायों का पालन हो रहा है। रेशम केन्द्र गौ-शाला में बाहरी प्रदेशों से आई गायों का बेहतर तरीके से पोषण किया जा रहा है। गौ-शाला में गोवंश से प्रतिदिन सौ से ड़ेढ सौ लीटर दूध उत्पादित हो रहा है। गोबर से निर्मित स्वदेशी दीयों के प्रकल्प की सराहना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम स्थल पर गोबर से स्वदेशी दीये बनाने के स्टॉल का अवलोकन किया। उन्होंने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा कि यह पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में सराहनीय कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस प्रकल्प की सराहना की। उल्लेखनीय है कि गाय के गोबर से बने स्वदेशी दीयों को दीपावली पर्व पर इंदौरवासियों का व्यापक समर्थन मिला। इस पहल के अंतर्गत लगभग दो लाख दीयों का विक्रय किया गया, जिससे स्थानीय स्वावलंबन को प्रोत्साहन मिला है। इस अवसर पर नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, सांसद श्री शंकर लालवानी और सुश्री कविता पाटीदार, विधायक श्री मधु वर्मा, श्री रमेश मेंदोला, श्री गोलू शुक्ला, अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष श्री सावन सोनकर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रीना सतीश मालवीय, श्री चिंटू वर्मा, श्री श्रवण चावड़ा, श्री सुमित मिश्र, स्वामी अच्युतानंद जी महाराज आदि मौजूद थे।