samacharsecretary.com

एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा

 एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा  भोपाल में हुई मीडिया वर्कशाप भोपाल मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (एमपीयूवीएनएल) के एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशन में “प्रधानमत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली” योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को दिलाने के लिये शासन प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाने पर शासन द्वारा 78 हजार रूपये की सब्सिडी का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। एमडी बैंस ने जनता से अपील की है कि पीएम सूर्य घर पोर्टल पर अधिक से अधिक आवेदन करें। प्रदेश में लगभग 850 वेंडर इस कार्य में संलग्न किये गये हैं, आवेदक स्वयं उसमें से आप वेंडर का चयन कर सकते हैं। इस प्रकार प्रदेश के क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) के क्षेत्र में सहभागिता सुनिश्चित कर प्रदेश को अव्वल बनाने में अपना योगदान दें। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और नॉलेज पार्टनर काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर ने साथ मिलकर मंगलवार को पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के तहत मध्यप्रदेश में रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें मीडिया को राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने वाले प्रावधानों, इसमें मौजूद संभावनाओं और मध्यप्रदेश को सौर ऊर्जा संपन्न बनाने के प्रयासों की जानकारी दी गई। एमडी बैंस ने कार्यशाला में सौर ऊर्जा को लेकर सरकार के विजन, प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति, पीएम सूर्य घर पोर्टल पर आवेदन की प्रक्रिया और प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में MPUVNL की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि "पीएम सूर्य घर योजना के तहत आवासीय घरों की छतों पर सोलर लगाने का प्रावधान किया गया है। इसमें पहले दो किलोवॉट के लिए प्रति किलोवाट 30 हजार रुपये और तीसरे किलोवॉट के लिए 18 हजार रुपये सब्सिडी केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है। इस तरह से तीन किलोवाट के रूफटॉप सोलर के लिए कुल 78 हजार रुपये की सब्सिडी उपलब्ध हैं।" पीएम सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर के लाभों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, "इस योजना के बहुत सारे लाभ हैं। इस प्रोजेक्ट से ग्रिड पर उपभोक्ता की निर्भरता कम होती है। इससे दिन के समय उपभोक्ता के इस्तेमाल के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध होती है। छतों पर सोलर सिस्टम को लगाने में उपभोक्ताओं की जितनी राशि व्यय होती है, वह पांच से छह वर्ष में रिकवर हो जाएगी। उसके बाद सोलर सिस्टम से बाकी समय में बिजली की बचत के माध्यम से लाभ होगा। इन तीन लाभों के अलावा एक नागरिक होने के नाते उपभोक्ता एक स्वच्छ पर्यावरण, एक क्लीन सस्टेनेबल इको सिस्टम के लिए योगदान कर पाएंगे। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा नीति 2025 के तहत 2030 तक प्रदेश की कुल बिजली खपत में अक्षय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसमें राज्य सरकार के हरित ऊर्जा अनुपालन वाले विभागों, मॉडल अक्षय ऊर्जा शहरों और हरित क्षेत्रों के लिए चरणबद्ध विकास का लक्ष्य रखा गया है, जो 2024 में 20 प्रतिशत, 2027 में 50 प्रतिशत और 2030 में 100 प्रतिशत है। इसके अलावा, 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 50,000 से अधिक नौकरियां पैदा करने का भी लक्ष्य है। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए CEEW सक्रियता से काम कर रहा है। प्रदेश के विभागों के सहयोग से, लक्षित आउटरीच पहलों की एक सीरीज के माध्यम से पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम जैसी प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में भी सहयोग कर रहा है। इसमें MPUVNL और नॉलेज पार्टनर CEEW मिलकर मध्यप्रदेश के संभागीय कार्यालयों में पीएम सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम योजनाओं पर जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कर रहे हैं। इनका उद्देश्य जिला स्तरीय अधिकारियों और प्रमुख हितधारकों को वर्तमान योजनाओं के बारे में प्रशिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना है। इन कार्यशालाओं में बिजली के अंतिम उपयोग वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को अपनाने के विभिन्न अवसरों को रेखांकित किया जाता है। अब तक पांच संभागों में इन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा चुका है। जुलाई व अगस्त महीने में भी कुछ अतिरिक्त सत्र आयोजित किये जायेंगे। एमडी बैंस ने बताया कि MPUVNL के साथ मिलकर CEEW ने स्थानीय समुदायों तक इन योजनाओं के लाभों, प्रक्रियाओं और अवसरों की जानकारी पहुंचाने के लिए एक सोलर जागरूकता वैन अभियान भी शुरू किया है। यह अभियान पिछले 110 दिनों से सफलतापूर्वक चल रहा है, जिसमें प्रदेश के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है और विभिन्न हितधारकों को जोड़ा गया है।  

अपात्र एवं अस्तित्वहीन हितग्राहियों का मौके पर सत्यापन, नाम हटाने के लिये 1 से 15 जुलाई तक विशेष अभियान

भोपाल  खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत सम्मिलित पात्र हितग्राहियों की पहचान सुनिश्चित कर वास्तविक हितग्राहियों को राशन वितरण करने के लिये हितग्राहियों की ई-केवायसी करने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया है कि शेष हितग्राहियों की ई-केवायसी कराने तथा मृत तथा अपात्र एवं अस्तित्वहीन हितग्राहियों का मौके पर सत्यापन के बाद उनका नाम हटाने के लिये 1 से 15 जुलाई तक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये गये हैं। गौरतलब है कि अभी तक कुल पात्र हितग्राही 5 करोड़ 32 लाख 42 हजार में से 4 करोड़ 75 लाख 66 हजार हितग्राहियों के ई-केवायसी किये जा चुके हैं। इनमें 2 लाख 36 हजार हिताग्राहियों के नाम विलोपित किये गये हैं। इनमें से 54 लाख 40 हजार की ई-केवायसी किया जाना शेष है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित समय-सीमा में ई-केवायसी कराने के लिये जून माह में ई-केवायसी से शेष परिवारों को ई-केवायसी के बाद राशन वितरण की व्यवस्था की गई है। ई-केवायसी से शेष हितग्राहियों का घर-घर जाकर सत्यापन करने के लिये वार्ड प्रभारी/पंचायत सचिव/रोजगार सहायक की ड्यूटी लगाने के निर्देश कलेक्टर्स को दिये गये हैं। ई-केवायसी से शेष हितग्राहियों की सूची उचित मूल्य दुकान/ग्राम पंचायत/वार्ड कार्यालय पर चस्पा की जाएगी। मौके पर उपलब्ध एवं पात्र हितग्राहियों को उचित मूल्य दुकान पर जाकर अथवा “मेरा राशन” एप पर फेस एथेंटिकेशन के माध्यम से ई-केवायसी करने के लिये अवगत कराने और हितग्राही के आधार नंबर में दर्ज नाम, मोबाइल नंबर त्रुटिपूर्ण होने एवं बायोमेट्रिक डाटा अपडेट न होने पर आधार केम्प में जाकर डाटा अपडेट कराने के निर्देश दिये गये हैं। पात्र हितग्राही द्वारा उचित मूल्य दुकान पर ई-केवायसी कराने पर आगामी दिवस में पात्रतानुसार राशन प्राप्त किया जा सकेगा। कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये हैं कि ग्राम/वार्ड में सत्यापन के लिये नियत दिनांक की सूचना एक दिन पूर्व हितग्राहियों को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराई जाए। ई-केवायसी की मॉनीटरिंग के लिये अनुभाग एवं जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए, जिसमें सत्यापन दल द्वारा प्रतिदिन की कार्यवाही की जानकारी ली जाए। साथ ही पात्र ई-केवायसी करने में आने वाली समस्याओं का निराकरण किया जाए। शेष हितग्राहियों के ई-केवायसी करने एवं अपात्र/मृत/स्थाई पलायन/दोहरे हितग्राहियों का विलोपन घर-घर जाकर सत्यापन अभियान के संबंध में स्थानीय जन-प्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जाए। शेष हितग्राहियों के ई-केवायसी कराने का अभियान समाप्त होने तक भी ई-केवायसी नहीं होती है, तो यह समझा जाएगा कि या तो व्यक्ति अस्तित्व में नहीं है या फिर उसे राशन की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में उनके नाम को सूची से विलोपन की कार्यवाही पर विचार किया जा सकेगा।  

जुलाई में लाडली बहना योजना के 1500 रुपये आएगे खाते में, 250 रुपये रक्षाबंधन पर देंगे

भोपाल मध्य प्रदेश सरकार लाडली बहनों (MP Ladli Behan Yojana) को दीपावली से हर महीने 1500 रुपये देने जा रही है. फिलहाल उन्हें 1250 रुपये महीने मिलते हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ये ऐलान किया है. हालांकि विपक्ष का मनना है कि इस खर्च से पहले से ही लाखों करोड़ के कर्ज में डूबी सरकार का वित्तीय प्रबंधन और गड़बड़ हो जाएगा. दीवाली से लाडली बहनों को मिलेंगे 1500 रुपये मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि 3000 रुपये देने का ऐलान बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में किया था. हमने कहा है डंके की चोट पर कहा है और इसे पूरा करेंगे. यह योजना पहले 1000 रुपए प्रति माह से शुरू हुई थी. फिर हमने इसे 1250 रुपए किया, 250 रुपये रक्षाबंधन पर देंगे, दीवाली से 1500 चालू कर देंगे. बहुत सी लाभार्थियों को लेकर यह भी संशय है कि जुलाई में आने वाली लाडली बहना योजना की 26वीं किस्त में कितना पैसा खाते में आएगा? क्या 25वीं किस्त की तरह इस बार भी 1250 रुपये ही खाते में आएंगे? क्या 250 रुपये के शगुन के लिए महिलाओं को अगस्त तक का इंतजार करना होगा? चलिए आप ज्यादा परेशान न हों, हम आपके लिए इन सवालों के जवाब लेकर आए हैं। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक लाभार्थियों को जुलाई में ही गुड न्यूज मिल जाएगी। इस वजह से जुलाई में आएंगे 1500 रुपये लाडली बहना योजना की 26वीं किस्त में महिलाओं को 1250 नहीं बल्कि 1500 रुपये मिलेंगे। मतलब जुलाई में ही रक्षा बंधन का शगुन मिल जाएगा। दरअसल यह पैसा जुलाई में इसलिए आ रहा है क्योंकि रक्षा बंधन 9 अगस्त को है। जबकि लाडली बहना योजना का पैसा खाते में 10 से 15 तारीख के बीच में ही ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे में अगर अतिरिक्त 250 रुपये का भुगतान अगस्त में करने की योजना बनाई जाती तो लाडली बहनों को यह लाभ रक्षा बंधन के बाद ही मिल पाता। इसलिए सरकार ने यह एक्स्ट्रा पैसा जुलाई में ही देने का फैसला कर लिया है। अक्टूबर से हर महीने मिलेंगे 1500 रुपये मध्य प्रदेश की महिलाओं को महज दो महीने ही 1250 रुपये की किस्त से संतोष करना पड़ेगा। इसके बाद उन्हें हर महीने 1500 रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे। सीएम ने ऐलान किया है कि दिवाली से महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे। इसका मतलब हुआ कि जुलाई में 1500 रुपये मिलने के बाद सिर्फ अगस्त और सितंबर में ही 1250 रुपये मिलेंगे। अक्टूबर से हर महीने 1500 रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे। मुख्यमंत्री के मुताबिक हर साल पैसा बढ़ाकर 2028 तक लाभार्थी महिलाओं को 3000 रुपये हर महीने मिलने शुरू हो जाएंगे। कब शुरू होंगे नए रजिस्ट्रेशन हालांकि लाडली बहना योजना के नए रजिस्ट्रेशन को लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई अपडेट नहीं दी जा रही है। 2023 के बाद से ही नए रजिस्ट्रेशन बंद पड़े हैं। ऐसे में लाखों महिलाएं लिस्ट में अपना नाम नहीं जुड़वा पा रही हैं। अभी जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक फिलहाल सरकार की नए रजिस्ट्रेशन खोलने की योजना नहीं है। लाडली बहनों को दिवाली पर तोहफा     अब हर महीने मिलेंगे1500 रुपये     राज्य पर पड़ेगा 310 करोड़ मासिक भार     सालाना खर्च 22 हजार करोड़ के पार     योजना की शुरुआत 1000 से हुई थी     2023 में बढ़कर हुई 1250 रुपये     अब दिवाली से मिलेंगे1500 रुपये     योजना में 1.27 करोड़ लाभार्थी     कर्ज़ में डूबी सरकार पर सवाल     राज्य पर कुल कर्ज़ 4.31 लाख करोड़ रुपये     5 साल में कर्ज़ 115% बढ़ा      संकल्प पत्र में 3000 रुपये प्रति माह का वादा पूरा होगा  3,000 रुपये देने का वादा मध्यप्रदेश सरकार दीपावली से लाडली बहनों को 1250 रुपये की जगह 1500 रुपये महीना देगी. इस बढ़ोतरी से राज्य पर हर महीने करीब 310 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा, जिससे सालाना खर्च 22,000 करोड़ के पार पहुंच जाएगा. ये योजना 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई थी और इसे बीजेपी की सत्ता वापसी का सबसे बड़ा चुनावी दांव माना गया. योजना की शुरुआत 1,000 प्रति माह से हुई थी, जिसे बाद में अक्टूबर 2023 में 1,250 कर दिया गया था. अब इसे दिवाली से 1,500 रुपये करने की घोषणा हुई है. सरकार का वादा है इस राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह तक पहुंचाया जाएगा.     योजना की शुरूआत में 1.29 करोड़ महिलाओं को योजना का लाभ मिला     अक्तूबर 2023 में संख्या 1.31 करोड़ तक पहुंच गई     अब ये संख्या 1.27 करोड़ है, सरकार ने खुद विधानसभा में माना है कि योजना में फिलहाल नए नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं,  हालांकि उम्र और दूसरी शर्तों के आधार पर नाम कट रहे हैं 5 साल में बढ़ा 115 फीसदी कर्ज मध्यप्रदेश सरकार का बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपए है. सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान अब तक 9500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. कुल कर्ज की राशि बढ़कर लगभग 4 लाख 31 हजार 740 करोड़ रुपए हो गई है. पांच साल पहले राज्य पर करीब 2 लाख करोड़ का कर्ज था यानी 5 साल में राज्य का कर्ज लगभग 115 फीसदी बढ़ चुका है.

चार्जिंग अधोसंरचना के लिये केन्द्र सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत राशि

प्रदेश के शहरी मार्गों पर 582 इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना ई-बस सेवा योजना के अंतर्गत 6 शहरों  में 582 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिये प्रस्ताव तैयार  चार्जिंग अधोसंरचना के लिये केन्द्र सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत राशि भोपाल  प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को बढ़ावा देने के लिये मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2025 तैयार की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा परिवहन कर में छूट और अनुदान दिये जाने की भी व्यवस्था की गई है। प्रदेश के बड़े शहरों में सार्वजनिक परिवहन सेवा के अंतर्गत इलेक्ट्रिक बस सेवा को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में इंदौर में शहरी मार्गों पर 80 इलेक्ट्रिक बसों को संचालन किया जा रहा है। फेम योजना के अंतर्गत 40 और अमृत योजना 1.0 में 40 बसें संचालित हो रही हैं। 582 इलेक्ट्रिक बसों के चलाने का प्रस्ताव ई-बस सेवा योजना के अंतर्गत 6 शहरों  में 582 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिये प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया था, जिसे केन्द्रीय शहरी मंत्रालय नई दिल्ली से स्वीकृति मिल गयी है। इंदौर में 150, भोपाल में 100, ग्वालियर में 100, जबलपुर में 100, सागर में 32 एवं उज्जैन में 100 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का प्रस्ताव है। प्रदेश के 6 शहरों में बस संचालन के लिये नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा निविदा जारी कर बस संचालकों का चयन किया जा चुका है। पीएम ई-बस सेवा के अंतर्गत बस डिपो अधोसंरचना निर्माण के लिये भी प्रस्ताव तैयार किया गया है, इसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा और शेष 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा प्रदाय की जायेगी। इलेक्ट्रिक बसों के चार्जिंग अधोसंरचना निर्माण के लिये केन्द्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत राशि प्रदान की जायेगी। नगरीय निकायों द्वारा बस डिपो एवं चार्जिंग स्टेशन निर्माण के लिये प्राक्कलन तैयार कर राज्य स्तरीय संचालन समिति से अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है। अनुमोदन के बाद प्रस्ताव केन्द्रीय शहरी कार्य मंत्रालय को भेजा गया है। भोपाल एवं जबलपुर शहर द्वारा बस डिपो अधोसंरचना निर्माण के लिये निविदा जारी की जा चुकी है। प्रदेश के शहरों में लाइट इलेक्ट्रिक व्हीकल के संचालन को बढ़ावा देने के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर शहर में 34 चार्जिंग स्टेशन पर 190 चार्जिंग पाइंट लगाये गये हैं।    

उत्तर प्रदेश में नेपियर घास किसानों की बदलेगी किस्मत, लाभार्थी किसानाें को मुफ्त मिलेंगी घास की जड़ें

लखनऊ  घास लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को हजारों रुपये दे रही है. केवल रुपये ही नहीं, बल्कि घास लगाने के लिए घास की जड़ें भी उपलब्ध कराई जा रही है. घास भी कोई सामान्य घास नहीं है, बल्कि अफ़्रीकन प्रजाति की है. अगर आपके पास भी घास लगाने के लिए जमीन है तो सरकार आपको आर्थिक मदद करेगी. दरअसल, योगी सरकार द्वारा नेपियर घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की जा रही है. इस घास से बिजली उत्पादन होगा. अगर आप घास को लगाते हैं तो सरकारी मदद मिलने के साथ-साथ मोटी कमाई भी कर सकते हैं. नेपियर घास अफ्रीकन प्रजाति की घास है. नेपियर घास का वैज्ञानिक नाम Pennisetum purpureum है. नेपियर घास पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. विशेषकर दूध देने वाले पशुओं के लिए यह घास बेहद लाभदायक होती है. इस घास में प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. यदि पशू नेपियर घास का सेवन करते हैं तो पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है. साथ ही तेज़ी के साथ शारीरिक विकास होता है. मार्केट में नेपियर घास की काफी डिमांड बतायी जाती है. उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए एक और खास योजना लाने की तैयारी है। इस योजना के लागू होने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। यूपी सरकार की इस योजना के तहत हाइब्रिड नेपियर घास (इसे हाथी घास भी कहा जाता है) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की ओर से इसके लिए अनुदान भी मिलेगा। इस योजना का मकसद है कि प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़े और जानवरों को साल भर हरा चारा मिलता रहे। यूपी सरकार किसानों के साथ चारा बनाने वाली संस्थाओं को भी हाइब्रिड नेपियर घास उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अभी इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सिर्फ प्रयागराज में शुरू किया गया है। यह एक 'Buy Back' योजना है, जिसमें किसानों को 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ग्रांट मिलेगी। इस योजना के तहत सरकार की ओर से हाइब्रिड नेपियर घास की जड़ किसानों को मुहैया कराई जाएगी और उसके बाद सरकार ही दोगुने दाम पर किसानों से घास खरीदेगी। अभी इतने लोगों को मिलेगा लाभ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एन. यादव ने बताया कि सरकार ने पहली बार प्रयागराज में यह योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को नेपियर घास उगाने के लिए 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की ग्रांट दी जाएगी। जिले में 10 लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा। ये लाभार्थी किसान, किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह या गौशाला चलाने वाले लोग हो सकते हैं। चारे की कमी नहीं होगी नेपियर घास को किसान इसे अपने जानवरों को हरे चारे के रूप में खिला सकते हैं। यह घास दूध देने वाले जानवरों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह प्रोटीन सेभरपूर हरा चारा है। इससे जानवरों का दूध बढ़ता है। डेयरी मालिक आमतौर पर 12 रुपये प्रति किलो की दर से सूखा भूसा खरीदते हैं। जबकि इस हरे चारे को उगाने का खर्च सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो है। इन योजनाओं से किसान हर महीने हजारों रुपये कमा सकते हैं। वे यह घास डेयरी फार्म मालिकों को बेच सकते हैं। नेपियर चारा बैंक योजना: बता दें कि पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों के दुधारू पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर चारा बैंक की योजना चलायी गई है. किसान, स्वयं सहायता समूह, पंजीकृत गौशाला, गो आश्रयस्थल, FPO और स्वयंसेवी संस्था इसका लाभ ले सकते हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास 0.2 हेक्टेयर सिंचित भूमि होना आवश्यक है. गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एस पी पांडे के मुताबिक, इस योजना के तहत गाजियाबाद में 10 लाभार्थियों का चयन किया जाएगा. भारतीय चयनित लाभार्थी को खेत की तैयारी के लिए 4 हज़ार रुपए भुगतान किए जाएंगे. लाभार्थी को नैपी और घास की जड़ें उपलब्ध कराई जाएंगी. एक साल के बाद लाभार्थी से दोगुनी जड़ें ली जाएंगी, जो अगले साल चयनित लाभार्थियों को वितरित की जाएगी. यदि योजना के लिए 10 से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं तो मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा. इसके बाद पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 10 योग्य लाभार्थियों का चयन होगा. नेपियर घास केवल पशुओं के चारे के तौर पर ही नहीं बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी इसका प्रयोग किया. नेपियर घास की खासियत: एक बार नेपियर घास लगाने पर कई सालों तक उपज देती है. नेपियर घास काफी तेजी के साथ बढ़ती है. जिससे साल में 5-7 बार कटाई की जा सकती है. नेपियर घास को लगाने के बाद खाद या फिर बार-बार पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है. एक एकड़ भूमि में नेपियर घास लगाने से सालाना 300 टन से अधिक की पैदावार होती है. क्या है नेपियर घास नेपियर घास गन्ने की तरह दिखती है। मूल रूप से थाईलैंड में पाई जाने वाली इस घास की खास बात है कि इसे बंजर जमीन और खेतों की सीमाओं पर भी उगाया जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह सिर्फ 20-25 दिनों में पानी की मदद से तैयार हो जाती है। एक एकड़ में लगभग 300-400 क्विंटल घास का उत्पादन होता है। कटाई के बाद इसकी शाखाएं अपने आप फिर से बढ़ने लगती हैं। इस तरह, एक बार लगाने के बाद इसे दस साल तक उगाया जा सकता है। यही मुख्य कारण है कि इसे कम लागत में अधिक आय वाली फसल कहा जाता है। यह किसानों और पशुपालकों दोनों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है।

मोहन सरकार का एक जगह सभी ऑफिस की योजना, अरेरा हिल्स को सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर डेवलप किया जाएगा

भोपाल  करीब 43 साल पहले 9.56 करोड़ रुपए खर्च कर बनाए गए सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोड़कर अरेरा हिल्स क्षेत्र को दिल्ली के सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर डेवलप किया जाएगा। री-डेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत यह जिम्मेदारी मप्र हाउसिंग बोर्ड को सौंपी गई है। करीब 4 महीने में बोर्ड ने इसका कंप्रेहेंसिव प्लान तैयार कर लिया है। हालांकि, इस प्लान पर अंतिम मुहर आज  बुधवार को वल्लभ भवन में होने वाली मुख्य सचिव की बैठक में लगेगी। फिलहाल बोर्ड का प्लान है कि वल्लभ भवन के इर्द-गिर्द अलग-अलग खंडों में कई भवन बनाए जाएंगे और इन्हीं में भोपाल के सभी एचओडी स्तर के दफ्तर संचालित किए जाएंगे। इससे पहले सतपुड़ा-विंध्याचल भवन को तोड़कर दोगुने क्षेत्र में बनाने की योजना भोपाल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (बीडीसी) ने बनाई थी। जिसे मुख्यमंत्री ने नामंजूर कर दिया था। 43 साल पहले… 9.56 करोड़ खर्च कर बनाए गए थे सतपुड़ा-विंध्याचल भवन     नगरीय विकास एवं आवास विभाग के एसीएस संजय शुक्ला ने बताया कि सतपुड़ा- विंध्याचल भवनों को तोड़कर वहां नए भवनों के निर्माण का एक समग्र (कंप्रेहेंसिव) प्लान मप्र हाउसिंग बोर्ड ने तैयार किया है। प्रस्तावित योजना पर अंतिम निर्णय आगामी बैठक के बाद लिया जाएगा।     मेट्रो का रूट भी: इस क्षेत्र को दो तरफ से ऑरेंज और ब्लू मेट्रो का रूट भी मिलेगा।     वल्लभ भवन और इसके आसपास 8 ऐसी झुग्गी बस्तियां हैं, जिनमें 32 हजार लोग रहते हैं। इनमें पत्रकार कॉलोनी के पास मालवीय नगर, ओम नगर-2,3, भीम नगर, वल्लभ नगर-1,2, राजीव नगर व अर्जुन नगर शामिल हैं। यहां 9197 हाउस होल्ड हैं।

CM डॉ. यादव की मौजूदगी में विजन@2047 के लक्ष्यों हेतु हुआ अहम समझौता

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में प्रदेश के योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग और आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था के व्यक्तित्व विकास केंद्र के बीच मंत्रालय में एमओयू का आदान-प्रदान हुआ। इस साझेदारी के अंतर्गत दोनों संस्थान जल संरक्षण, सतत् कृषि और ग्रामीण आजीविका सृजन, ग्राम विकास, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, गौधन संवर्धन, नशामुक्ति, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग करेंगे। यह समझौता सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में राज्य सरकार की पहलों को सशक्त्‍करने, पीपीपी मॉडल (सार्वजनिक निजी भागीदारी) को बढ़ावा देने, नीतिगत निर्णयों में सहयोग, योजनाओं के प्रभावी मूल्यांकन और व्यापक सर्वेक्षण के माध्यम से प्रदेश की दीर्घकालिक विकास योजना विजन@2047 के लक्ष्यों को पूर्ण करने में सहायक होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की उपस्थिति में हुए समझौता पत्र के आदान-प्रदान के अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी श्री संजय शुक्ला, म.प्र. राज्य नीति आयोग के श्री ऋषि गर्ग, आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के श्री रोहन जैन, श्री अजित भास्कर तथा अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे। पद्म विभूषण श्री श्री रविशंकर जी द्वारा स्थापित आर्ट ऑफ लिविंग संस्था समग्र विकास सहित क्षमता विकास के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। आर्ट ऑफ लिविंग के विभिन्न कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों, वैज्ञानिकों, सशस्त्र बलों, पंचायती राज प्रतिनिधियों, युवाओं, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों हेतु विशेष रूप से बनाए गए हैं। संस्था जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती, कौशल विकास, ग्रामीण विकास, वनीकरण, नशामुक्ति, जेल सुधार, सीमावर्ती गाँव विकास जैसे क्षेत्रों में भी कार्य कर रही है। साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग की विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों के साथ सक्रिय भागीदारी है। भारत सरकार (DoPT) 'कर्मयोगी भारत' के साथ संस्था का समझौता सरकारी अधिकारियों के लिए क्षमता विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु भी प्रभावी है।  

प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर सेवारत 50 से अधिक गाइड्स हुए सम्मिलित

भोपाल मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड द्वारा आयोजित गाइड प्रशिक्षण कार्यशाला का मंगलवार को समापन हुआ। इस दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन सुबह हैरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। इस वॉक में प्रदेश भर से आए गाइड्स ने धरोहरों से भोपाल के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त की। राजधानी की समृद्ध विरासत से परिचय कराने के उद्देश्य से यह वॉक प्रातः 7 बजे कमला पार्क से शुरू होकर गौहर महल, इकबाल मैदान और सदर मंजिल तक आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश भर के 50 से अधिक गाइड्स सम्मिलित हुए। मिरांडा हाउस-भोपाल की इतिहासविद् मिस अरुणिका माथुर ने प्रतिभागियों को शहर की ऐतिहासिक धरोहर, स्थापत्य कला और गौरवशाली अतीत से परिचित कराया। इस अनूठे अनुभव ने गाइड्स को न केवल पर्यटन स्थलों की ऐतिहासिक जानकारी दी बल्कि यह भी सिखाया कि कैसे इन स्थलों को पर्यटकों के समक्ष प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। हैरीटेज वॉक के बाद विशेषज्ञों द्वारा गाइड नीति, दिशा-निर्देश एवं लाभ, तकनीक व पर्यटन विपणन, पर्यटन की नवीनतम प्रवृत्तियां, आपातकालीन स्थितियों में गाइड की भूमिका व शिकायत प्रबंधन आदि विषय पर महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दिया।   उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कार्यरत लाइसेंसधारी राज्य स्तरीय एवं स्थानीय गाइड्स के प्रशिक्षण, कार्यकुशलता में वृद्धि एवं व्यवहारिक दक्षता को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा दो दिवसीय आवासीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राज्य पुरातत्व संग्रहालय एवं अभिलेखागार भोपाल, मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, IITTM ग्वालियर एवं विषय विशेषज्ञों के सहयोग से किया गया। इस दौरान विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों में पर्यटन स्थलों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रस्तुतिकरण कौशल, नई तकनीक, पर्यटकों के साथ संवाद शैली तथा पर्यटन संबंधी विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी।

31 जुलाई तक करें आवेदन! धान और मक्का पर अब ₹98,400 तक मिलेगा बीमा लाभ

कन्नौज प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2025 की फसलों के लिए बीमा प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इस योजना के तहत धान, मक्का, बाजरा, तिल फसलों का बीमा किया जाएगा। फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा याेजना के तहत खरीफ फसलों का बीमा शुरू हो गया है। कृषि विभाग ने जनपद के सभी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारकों से कहा कि अपने संबंधित बैंक शाखा से संपर्क कर नियत प्रीमियम की राशि कटवा लें। रसीद प्राप्त करें। यदि कोई किसान फसल बीमा का लाभ नहीं लेना चाहता है, तो उसे 24 जुलाई तक अपनी बैंक शाखा को लिखित सूचना देनी होगी। गैर-ऋणी (नान-केसीसी) किसान भी करा सकते हैं। ऐसे किसान जो किसान क्रेडिट कार्ड धारक नहीं हैं, वे कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से बीमा योजना से जुड़ सकते हैं। बटाईदार किसान यानी जो किराये या बटाई पर खेती कर रहे हैं, वे भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं।   बशर्ते उनके पास भूमि स्वामी द्वारा जारी प्रमाणपत्र हो जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि उस भूमि का खेती का लाभ बटाईदार को दिया गया है। एचडीएफसी एरगो कंपनी के जिला प्रतिनिधि मयंक ने बताया कि 31 जुलाई तक किसान बीमा करा सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी संत लाल गुप्ता ने बताया कि किसान फसल बीमा योजना का लाभ लें। इन फसलों का इतना प्रीमियम धान की प्रीमियम राशि 1968, बीमित राशि 98400, मक्का 1404 प्रीमियम, 67600 बीमित राशि, बाजरा 874 प्रीमियम, 43700 बीमित, तिल 544 प्रीमियम और 27200 प्रति हेक्टेयर बीमित राशि निर्धारित की गई है। इस बार मिर्च की फसल पर भी मिलेगा बीमा धान की प्रीमियम राशि 1968, बीमित राशि 98400, मक्का 1404 प्रीमियम, 67600 बीमित राशि, बाजरा 874 प्रीमियम, 43700 बीमित, तिल 544 प्रीमियम और 27200 प्रति हेक्टेयर बीमित राशि निर्धारित की गई है। इस बार मिर्च की फसल पर भी मिलेगा बीमा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत मिर्च फसल पर बीमा दिया जाएगा। विभाग के अनुसार 2500 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रीमियम राशि पड़ेगी। 50 हजार रुपये बीमित राशि प्रति हेक्टेयर होगी। तीन ब्लाक के किसानों को ही इसका लाभ मिलेगा। इसमें उमर्दा, सदर और हसेरन ब्लाक को लिया गया है।

कलेक्टर नेहा ने मारव्या पत्रकारों के बिना अनुमति कलेक्ट्रेट में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था, अब लिया यू-टर्न

डिंडौरी कलेक्टर नेहा मारव्या ने सोमवार की देर रात एक आदेश जारी किया जिसमें पत्रकारों के बिना अनुमति कलेक्ट्रेट में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। यह आदेश इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो गया और पत्रकारों समेत तमाम लोग विरोध करने लगे। कांग्रेस ने तो इसे अघोषित आपातकाल बता दिया। इसके बाद कलेक्टर को 12 घंटे के अंदर ही यू टर्न तो लेना पड़ा। लेकिन जो संशोधित आदेश जारी हुआ है, उस पर भी राजनीतिक दल के पदाधिकारी सवाल उठा रहे हैं।   आदेश के बाद भारी विरोध का शुरू हुआ कलेक्टर द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत कलेक्ट्रेट परिसर में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। आदेश में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि परिसर में चार या उससे अधिक व्यक्तियों का एक साथ प्रवेश नहीं हो पाएगा। एक साथ एकत्रित होने, सभा, धरना, घेराव, नारेबाजी करने के साथ पत्रकारों द्वारा आगंतुक से साक्षात्कार भी नहीं लिया जा सकेगा। बिना अनुमति पत्रकारों का कार्यालय में प्रवेश के साथ साक्षात्कार भी प्रतिबंधित रहेगा। इस आदेश के बाद भारी विरोध का शुरू हुआ।   कांग्रेसी विधायक ने इसे आपात कालीन स्थिति बताई डिंडौरी से कांग्रेसी विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने इसे आपातकालीन स्थिति बताई। उन्होंने कहा कि यह तुगलकी फरमान है। इससे प्रदेश सरकार की मंशा जाहिर होती है। इस आदेश को लेकर लोगों ने इंटरनेट मीडिया में जमकर भड़ास निकाली। कलेक्टर को तुरंत बैकफुट में आना पड़ा और उन्होंने मंगलवार की सुबह 10 बजे से पहले ही दूसरा संशोधित आदेश जारी कर दिया। लेकिन पत्रकार संगठनों में अभी भी नाराजगी देखी जा रही है। वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हुआ बताया गया कि डिप्टी कलेक्टर वैद्यनाथ वासनिक द्वारा पिछले मंगलवार को जन सुनवाई के दौरान आदिवासी महिलाओं के साथ अभद्रता की गई थी। उसका वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हुआ। इससे प्रशासन की जमकर फजीहत हुई थी। इसी के चलते इस तरह का आदेश कलेक्टर ने जारी किया। इस आदेश को लेकर जिला प्रशासन ने भोपाल स्तर से निर्देश मिलने की बात जारी करना बताया, लेकिन जिले में विरोध का क्रम जारी है। इंडियन नेशनल कांग्रेस सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी संबंधित आदेश को बहु प्रसारित कर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।