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लक्ष्मीजी का आशीर्वाद चाहते हैं? इस दीपावली मेहमानों को परोसें उनका प्रिय भोग

यदि दीपावली की रात आप लक्ष्मी जी का पूजन कर इन सात्विक भोगों को श्रद्धापूर्वक अर्पित करते हैं, भोजन नियमों का पालन करते हैं और मन में प्रेम व कृतज्ञता रखते हैं, तो महालक्ष्मी दोनों हाथों से धन-समृद्धि का वरदान देती हैं। यह साधारण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का आरंभ होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी को अर्पित करें ये शुभ भोग महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भोजन में सात्विकता और पवित्रता का होना आवश्यक है। नीचे दिए गए भोग पहले माता लक्ष्मी को अर्पित करें, फिर परिवार व मेहमानों को परोसें- बताशा – लक्ष्मी का प्रिय भोग, पवित्रता का प्रतीक। शहद से भरा पान – सौभाग्य व मधुरता बढ़ाने वाला। जल सिंघारा – शुद्धता और जल तत्व का प्रतिनिधि। खीर – चंद्रमा और शांति का प्रतीक, जो सुख-समृद्धि प्रदान करती है। मखाने – लक्ष्मी जी का स्वरूप माने जाते हैं, धनवृद्धि के लिए। नारियल या नारियल की मिठाई – पवित्रता और समर्पण का प्रतीक। चीनी के खिलौने – बालकों में आनंद व उल्लास लाते हैं। दूध से बनी मिठाईयां – सात्त्विकता और स्वास्थ्य की द्योतक। चावल – अन्नपूर्णा का आशीर्वाद, समृद्धि का प्रतीक। दही – स्थिरता और शीतलता प्रदान करता है। खील-बताशे – पारंपरिक लक्ष्मी पूजन का आवश्यक भाग।  भोजन ग्रहण करने के शास्त्रीय नियम भोजन से पूर्व हाथ, पैर और मुख धोना चाहिए। विशेष रूप से भीगे हुए पैरों से भोजन करना शुभ माना गया है, क्योंकि इससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है और पाचन क्रिया मजबूत होती है। शास्त्रों के अनुसार भोजन का भी दिशा और स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना अत्यंत शुभ है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन अशुभ फल देता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करने से रोगों की संभावना बढ़ती है। भोजन बनाने वालों के लिए धार्मिक निर्देश भोजन बनाने वाला व्यक्ति स्नान करके, शुद्ध वस्त्र धारण कर, मन शांत रखे। क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार से भोजन बनाना या खाना वर्जित है। भोजन बनाते समय मंत्र जप या स्तोत्र पाठ करने से भोजन में दिव्यता बढ़ती है। कहा गया है- यथा भोजनं तथाचित्तं, यथा चित्तं तथाऽचरः अर्थात जैसे विचार होंगे, वैसा ही आचरण और भाग्य बनेगा।

वास्तु से बदलें अपने घर का माहौल: तनाव कम, प्रेम बढ़े

आजकल की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण घर में शांति और सुकून की कमी होना एक आम समस्या बन गई है। तनाव और उलझनों से भरी जिंदगी में घर का वातावरण बहुत मायने रखता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के वातावरण में बदलाव लाकर न सिर्फ शांति की अनुभूति की जा सकती है, बल्कि रिश्तों में भी सुधार हो सकता है। यदि आपके घर में तनाव बढ़ रहा है या रिश्तों में खटास आ रही है, तो कुछ वास्तु उपायों से आप घर में शांति और प्रेम ला सकते हैं। मुख्य द्वार का ध्यान रखें वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को घर की आत्मा माना जाता है। यदि यह स्थान सही नहीं है, तो घर के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है। घर का मुख्य द्वार हमेशा साफ और व्यवस्थित होना चाहिए क्योंकि यह आपके जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रवेश द्वार है। मुख्य द्वार पर कोई भी रुकावट न हो। यह हमेशा खुला और साफ रखें। द्वार के आसपास अंधेरा या गंदगी न हो। मुख्य द्वार को सिंगल डोर रखें और यदि द्वार का रंग हल्का हो, जैसे सफेद, हल्का नीला या क्रीम रंग, तो यह और भी अच्छा रहेगा। रसोई घर का स्थान सही रखें घर का रसोई घर स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोईघर का स्थान भी घर की ऊर्जा पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि रसोईघर सही दिशा में नहीं है, तो घर में तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। रसोई घर का स्थान घर के दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए। यह दिशा अग्नि से संबंधित है और रसोई के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। सोने के कमरे का वास्तु ध्यान रखें सोने का कमरा घर में शांति और आराम का स्थान होता है। यदि यह कमरा वास्तु के अनुसार नहीं है, तो इसका असर आपकी नींद, मानसिक स्थिति और रिश्तों पर पड़ सकता है। बेड का सिरहाना दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। यह दिशा मानसिक शांति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।बेड के नीचे कोई भी अव्यवस्था न हो, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है। पानी का सही प्रबंधन वास्तु शास्त्र में पानी का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि पानी का प्रवाह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। घर में पानी से संबंधित स्थानों पर ध्यान देने से शांति और प्रेम बढ़ सकता है। घर में पानी के स्रोत जैसे जल टंकी, बर्तन धोने का स्थान या पानी के बर्तन हमेशा साफ और व्यवस्थित रखने चाहिए। घर में कोई भी पानी की नलकी या पाइप लीक न हो। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कर सकता है। पानी का स्थान घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है। फूलों और पौधों का महत्व प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोत जैसे फूल और पौधे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। वास्तु के अनुसार, घर में पौधों और फूलों का होना शांति और खुशी को बढ़ाता है। घर में हरे पौधे रखें, विशेषकर तुलसी, बांस और मनी प्लांट जैसे पौधे। घर के अंदर मृत पौधे या मुरझाए फूल न रखें। कंटीली पौधों को घर के अंदर न रखें क्योंकि वे नकारात्मकता का प्रतीक होते हैं।

दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती: करनी चाहिए या नहीं? जानें सही तरीका

दिवाली, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास पूरा करने के बाद अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ अयोध्या लोटे थे. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. दिवाली को कुछ जगहों पर लक्ष्मी पूजन के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी और गणेश जी के साथ आराधना करने का विधान है. हालांकि, ऐसी मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की आरती नहीं करनी चाहिए. आइए हम आपको बताते हैं कि दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की आरती क्यों नहीं करनी चाहिए. दिवाली पर मां लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए? दिवाली पर मां लक्ष्मी की आरती करने के बारे में अलग-अलग मान्यताएं मिलती हैं. लेकिन ज्यादातर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती नहीं करनी चाहिए. इसके पीछे यह माना जाता है कि आरती के बाद लोग उठकर चले जाते हैं, जिससे मां लक्ष्मी को लगता है कि उन्हें विदा किया जा रहा है और वे घर से चली जाती हैं, जिससे धन की कमी हो सकती है. ऐसे में आप दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती के अलावा गणेश जी और भगवान विष्णु की आरती कर सकते हैं. आरती क्यों नहीं करनी चाहिए? मां लक्ष्मी का चले जाना:- यह मुख्य कारण है. मान्यता है कि आरती के बाद सभी लोग खड़े होकर चले जाते हैं और इसी तरह मां लक्ष्मी भी आपके घर से चली जाती हैं, जिसके कारण आर्थिक तंगी हो सकती है. शांति की कमी:- मां लक्ष्मी को शांति प्रिय है और आरती के दौरान घंटी और शंख की तेज आवाज होती है, जिससे वे अशांत महसूस कर सकती हैं. विदाई का संकेत:- आरती को विदाई का संकेत माना जाता है. चूंकि दिवाली पर मां लक्ष्मी को स्थायी निवास के लिए घर बुलाया जाता है, इसलिए उन्हें विदा करने वाली आरती करना शुभ नहीं माना जाता है. लक्ष्मी जी की आरती के बजाय क्या करें? दिवाली पूजा के दौरान आप गणेश जी और विष्णु जी की आरती कर सकते हैं. इसके अलावा, दिवाली पर आप मां लक्ष्मी की आरती के बजाय उनके जाप, मंत्रों का उच्चारण या चालीसा का पाठ कर सकते हैं. धनतेरस पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा कर उन्हें फल, फूल और अन्य प्रिय चीजें अर्पित करें.

पेन और डायरी रखें इस दिशा में, ऑफिस में मिलेगा सफलता और पॉजिटिव वाइब्स

कार्यक्षेत्र में हमारी उत्पादकता और मनोबल बढ़ाने के लिए ऑफिस डेस्क की स्थिति और उस पर रखे जाने वाले सामान का सही ढंग से चयन बहुत जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, डेस्क पर छोटी-छोटी चीजों की सही दिशा में रखने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कार्य में सफलता की संभावनाएं भी बढ़ती हैं। साथ ही कार्यक्षेत्र में सही वास्‍तु का पालन करना आपके काम में ऊर्जा और उत्साह बढ़ाने में मदद कर सकता है। तो आइए जानते हैं ऑफिस डेस्क पर पेन और डायरी रखने की सही दिशा के बारे में- डेस्क की दिशा डेस्क हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें। इससे मानसिक स्पष्टता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। अगर संभव हो तो कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठने से बचें, क्योंकि इससे थकान और नकारात्मक विचार बढ़ सकते हैं। पेन और डायरी का स्थान पेन और अन्य लेखन सामग्री को डेस्क के उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। यह रचनात्मकता और बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देता है। डायरी या नोटबुक को हमेशा हाथ में आसानी से पहुँचने वाली जगह पर रखें, ताकि योजनाएं और कार्य नियमित रूप से लिखे जा सकें। जरूरी चीजों की व्यवस्था कंप्यूटर और लैपटॉप को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। साथ ही डेस्क पर अव्यवस्था न होने दें। केवल जरूरी वस्तुएं ही रखें। सजावट और सकारात्मकता डेस्क पर छोटा पौधा, जैसे बांस का पौधा या सुख-संतान वाले पौधे, सकारात्मक ऊर्जा और ताजगी बनाए रखते हैं। अगर पसंद हो तो डेस्क पर प्रेरक कोट्स या फोटो भी रख सकते हैं।

जीवन में सही चुनाव करें: भगवद् गीता की 3 अनमोल सीखें

जीवन में हर व्यक्ति सफलता का स्वाद चखना चाहता है। जिसके लिए उसे कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। लेकिन कई बार ये दोनों ही गुण मौजूद होने के बावजूद व्यक्ति लक्ष्य की राह में आने वाली कठिनाइयों से घबराकर खुद के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है, जिसकी वजह से उसे कई बार निराशा का मुंह तक देखना पड़ता है। अगर आप भी लाइफ में कई बार ऐसी परिस्थिति से होकर गुजर चुके हैं तो आपको भगवद् गीता की ये 3 बातें जरूर याद रखनी चाहिए। ये बातें ना सिर्फ आपका सफलता का रास्ता आसान बनाएंगी बल्कि जीवन में अपने लिए सही निर्णय कैसे लिए जाते हैं, इसका ज्ञान भी देंगी। अच्छा और सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में खड़े थे, तो उनका सामना सिर्फ कौरवों की सेना से नहीं था बल्कि उनके सामने भी दो विकल्प मौजूद थे। पहला, विकल्प युद्ध, जो मुश्किल लेकिन सही था और दूसरा युद्ध से पीछे हट जाना, जो सुरक्षित लेकिन गलत था। अधिकांश लोगों की प्रवृत्ति असल जीवन में युद्ध जैसे कठिन निर्णयों का सामना करने से बचने की होती है। लेकिन गीता में कृष्ण कहते हैं कि कर्तव्य के स्थान पर आराम को चुनना बुद्धिमानी नहीं है। जो कठिन है उससे दूर नहीं भागा जा सकता है। व्यक्ति यह जानते हुए भी कि उसके लिए क्या सही है कोई कदम उठाने से झिझकता है क्योंकि यह उसके लिए असुविधा पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति किसी ऐसी नौकरी या रिश्ते में कई साल तक बना रहता है जो उसे कई समय पहले ही छोड़ देनी चाहिए थी। ऐसी चीजें व्यक्ति को स्थिर बनाए रखती हैं क्योंकि उसके लिए बदलाव कठिन है। लेकिन गीता व्यक्ति को ज्ञान देती है कि सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता और जो आसान है वह हमेशा सही नहीं होता। जीवन के फैसले अपनी भावनाओं को ना करने दें कुरुक्षेत्र में कौरवों से युद्ध से पहले अर्जुन का भावुक होना लाजमी था। वह परिवार के प्रति प्रेम और एक योद्धा के रूप में अपने कर्तव्यों के बीच उलझा हुआ था। शुरूआत में उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध को सिर्फ भावनाओं के नजरिए से देखा लेकिन कृष्ण ने उन्हें समझाया कि कभी भी अपनी भावनाओं को अपने निर्णयों पर हावी न होने दें। उन्हें महसूस करें, उन्हें स्वीकार करें, लेकिन कोई भी फैसला उनके आधार पर ना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि भावनाएं अस्थायी होती हैं, डर खत्म हो जाता है, उत्साह ठंडा हो जाता है और गुस्सा शांत हो जाता है। यदि आप भावनाओं के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं कि आप अभी क्या महसूस कर रहे हैं, तो आपका कोई भी फैसला भविष्य में टिक नहीं पाएगा। ऐसे में कोई भी कार्य करने से पहले थोड़ा रुकें और खुद से पहले यह सवाल करें कि अगर आप इन भावनाओं से दूर होकर किसी काम को करने की सोचते हैं तो उसका परिणाम क्या हो सकता है। गलत चुनाव करने का डर कृष्ण कहते हैं अगर आप कोई भी निर्णय लेने से पहले उसकी पूर्ण निश्चितता की प्रतीक्षा करते हैं, तो आप अपना जीवन प्रतीक्षा में ही बिता देंगे। मैं विफल हो गया तो क्या हुआ?, यदि यह मार्ग सही नहीं हुआ तो क्या होगा? अगर इस काम को करने के बाद मुझे बाद में पछताना पड़ा तो क्या होगा?, ऐसे प्रश्नों को सोचने से बचें। तभी जाकर आप कुछ सीखकर आगे बढ़ते हैं। याद रखें, सही या गलत, कोई भी निर्णय व्यर्थ नहीं जाता। अच्छा फैसला सफलता तो खराब निर्णय आपको सबक देकर जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि जब आप गलत मोड़ लेते हैं, तो यात्रा समाप्त नहीं होती है बल्कि मंजिल तक पहुंचने के आपको कई और रास्ते पता चलते हैं। गलत निर्णय लेना गलती नहीं है बल्कि असफलता के डर से कोई निर्णय ही ना लेना गलती है।

दिवाली की रात दरवाजे क्यों खुले रखे जाते हैं? जाने पौराणिक कहानी में छिपा रहस्य

हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाने वाली है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साल भर खुशहाल जीवन देती हैं. माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सार भर आर्थिक तंगी नहीं आती. दिवाली के दिन रात को लोगों के घरों का दरवाजा खुला रहता है. दिवाली की रात लोग दरवाजा क्यों खुला रखते हैं? इसके बारे में एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में. इसलिए दिवाली की रात दरवाजे खुले रखे जाते हैं दिवाली की रात लोग अपने घरों का दरवाजा इसलिए खोलकर रखते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता और श्रद्धा पाती हैं, उन घरों में वो वास करती हैं, इसलिए घर में उनका स्वागत करने और उन्हें अंदर आने देने के लिए दरवाजों को खुला छोड़ा जाता है. यह भी माना जाता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत किया जाता है. पौराणिक कथा एक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी कार्तिक मास की अमावस्या की रात में भ्रमण पर निकलीं, लेकिन संसार में अंधेरा छाया हुआ था. ऐसे में माता लक्ष्मी रास्ता भटक गईं. इसके बाद उन्होंने ये तय किया ये रात मृत्यु लोक में गुजारी जाए और सुबह बैकुंठ धाम लौटा जाएगा, लेकिन माता को हर घर का दरवाजा बंद मिला. एक द्वार खुला था. उस द्वार पर दीपक जल रहा था. इस पर माता लक्ष्मी दीपक की रौशनी की ओर चली गईं. वहां जाकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बुजुर्ग महिला काम कर रही थी. इसके बाद माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि उनको रात में रुकने के लिए स्थान चाहिए. फिर बुजुर्ग महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और बिस्तर प्रदान किया. इसके बाद वो अपने काम में लग गई. काम करते-करते बुजुर्ग महिला की आंख लग गई. सुबह जब वो उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी थीं, लोकिन उसका घर महल में बदल चुका था. चारों और हीरे-जेवरात धन दौलत रखी हुई थी, तब उस बुजुर्ग महिला को पता चला कि रात में जो अतिथि उसके घर आईं थीं वो कोई और नहीं, बल्कि स्वंय माता लक्ष्मी थीं. इसके बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या की रात घर में दीपक जलाने और घर को खुला रखने की पंरपरा शुरू हो गई. इस रात लोग घर का दरवाजा खोलकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं.

दीपावली 2025: 71 साल बाद आए ये खास पांच संयोग, शुभ मुहूर्त से करें धन की प्राप्ति

रुड़की दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति 125 वर्ष पूर्व 1900 और 1901 में बनी थी। वहीं 2024 के बाद अब लगातार दूसरे साल 2025 में भी ऐसी स्थिति बन रही है। उधर, इस बार दीपावली पर 71 वर्ष बाद पांच महासंयोग पड़ रहे हैं। जिनमें हंस राजयोग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा आदित्य मंगल योग शामिल है। ये योग पड़ने से दीपावली खास होगी। यह पर्व सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल बताते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस साल भी दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। हालांकि वाराणसी के सभी पंचांगों में 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अन्य पंचांग में सूर्यास्त के अनुसार 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश है। आचार्य शुक्ल ने बताया कि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर बाद 3:45 पर होगा। 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सायंकाल 5:55 तक व्याप्त रहेगी। 21 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी और निशीथ कालव्यापिनी अमावस्या न होने से 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मानने का निर्देश दिया गया है। जबकि निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार दीपावली पर्व 21 अक्टूबर को भी मनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दीपावली (20 अक्टूबर) पर पांच महासंयोग पड़ने से गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। घरों में पूजन को संध्या में 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम समय दीपावली पर सोमवार को व्यावसायिक पूजन का समय दोपहर लगभग 1:30 से सायंकाल 6:00 बजे के मध्य उचित रहेगा। इस दौरान चर लाभ, अमृत चौघड़िया तथा स्थिर लग्न विद्यमान होगा। इस अवधि में खरीदारी करना भी बहुत शुभ रहेगा। वहीं घरों में पूजन का समय प्रदोष काल के समय संध्या में लगभग 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम रहेगा। इस दौरान स्थिर लग्न एवं चर चौघड़िया रहेगी। निशीथ काल का समय रात्रि लगभग 8:20 से 10:55 के मध्य का होगा। इस दौरान साधना आदि के लिए उचित समय रहेगा। महानिशा काल का समय रात्रि लगभग 10:50 से 1:30 तक रहेगा। यह समय तांत्रिक क्रियाएं तथा सिद्धियां करने वालों के लिए उचित रहेगा। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा के बाद करें श्रृंगार अर्पण आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि दीपावली पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा इंद्र, वरुण, यम, कुबेर आदि की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा करने के बाद श्रृंगार अर्पण करना चाहिए। इसके बाद श्री लक्ष्मी सूक्त, श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र और पुरुष सूक्त का पाठ करके मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख-समृद्धि आती है।  

मकर राशि के लिए शुभ दिन, 20 अक्टूबर 2025 का सभी राशियों का राशिफल पढ़ें

मेष आज के दिन आपको पॉजिटिव बदलाव देखने को मिल सकते हैं। करियर में सफलता मिलेगी। घर के सदस्यों के साथ संबंध मजबूत होंगे। व्यवसायिक मुद्दों पर संयम बरतने की जरूरत है। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। वृषभ आज के दिन परिवार के कुछ सदस्यों से मतभेद होने की भी संभावना है। अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए आप प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट कर सकते हैं। कुछ लोग ट्रिप पर भी जा सकते हैं। मिथुन आज के दिन प्रॉपर्टी से जुड़ी कोई अच्छी खबर मिल सकती है। कोई सकारात्मक खबर मिल सकती है। दिन आपके लिए रोमांस से भरपूर रहने वाला है। आपको आपके पार्टनर का पूरा साथ मिलेगा। कर्क आज के दिन कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी साथ ही पार्टनर के साथ वैकेशन पर भी जाने की संभावना है। वहीं, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सिंह आज के दिन आपको स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रॉपर्टी के मसलों में ध्यान दें, हानि हो सकती है। छात्रों के लिए भी ये दिन अच्छा रहने वाला है। आपकी आय में वृद्धि होगी। कन्या आज कॉम्पीटीशन की कमी के चलते आपकी प्रोडक्टिविटी पर भी असर पड़ सकता है। आय में वृद्धि होगी। जहां पारिवारिक बंधन मजबूत होंगे वहीं, जीवनसाथी की तलाश में आपको निराशा झेलनी पड़ सकती है। तुला आज के दिन अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बेवजह की यात्रा से बचें। आपको करियर में सफलता मिलेगी। साथ ही आपकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर रहेगी। आपका पार्टनर आपके लिए सरप्राइज डेट प्लान कर सकता है। वृश्चिक आज के दिन स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए हेल्दी डाइट लें। नयी प्रॉपर्टी खरीदने के आसार नजर आ रहे हैं। छात्रों को मन लगाकर पढ़ाई करने की सलाह दी जाती है। तनाव कम लें। धनु आज के दिन करियर में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले सलाह जरूर लें। लव लाइफ में टेंशन का माहौल बन सकता है। मकर आज के दिन अपने फैमिली मेंबर्स के साथ वक्त बिताएं। आर्थिक स्थिति पर फोकस करें। सूझ-बुझ के साथ ही निर्णय लें। आपके लिए दिन रोमांस से भरपूर रहने वाला है और आपको अपने पार्टनर के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने का मौका मिलेगा। कुंभ आज के दिन कार्यक्षेत्र में नए अवसर मिल सकते हैं। प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करना आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। आपको खुद पर ध्यान देना चाहिए। सहपाठियों के साथ मेल-जोल बढ़ाना आपकी प्रोफेशनल लाइफ के लिए बेहतर साबित हो सकता है। मीन आज के दिन सोच-समझकर फाइनेंशियल डिसीजन लेना आपके लिए बेहतर रहेगा। अपने प्रेम-संबंधों को मजबूत बनाने के लिए पार्टनर से खुलकर बात-चीत करें और उन्हें समय दें।

कल की दिवाली: लक्ष्मी-गणेश पूजा कैसे करें? समय, भोग और आरती का संपूर्ण विवरण

दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान राम 14 वर्षों का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। प्रभु राम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरे नगर में दीये जलाए थे। एक अन्य मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का विधान है। जानें 20 अक्टूबर को दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, गणेश-लक्ष्मी पूजा विधि, मंत्र, भोग व आरती समेत सभी जरूरी बातें। अमावस्या तिथि कब से कब तक: अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पूजा मुहूर्त 2025: दिवाली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन प्रदोष व वृषभ काल में अत्यंत शुभ माना गया है। दिवाली पर प्रदोष काल शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक रहेगा। वृषभ काल शाम 07:08 बजे से रात 09:03 बजे तक रहेगा। दिवाली के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:44 बजे से सुबह 05:34 बजे तक। अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक। विजय मुहूर्त- दोपहर 01:59 बजे से दोपहर 02:45 बजे तक। गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:46 बजे से शाम 06:12 बजे तक। सायाह्न सन्ध्या- शाम 05:46 बजे से रात 07:02 बजे तक। अमृत काल- दोपहर 01:40 बजे से दोपहर 03:26 बजे तक। निशिता मुहूर्त- रात 11:41 बजे से अगले दिन देर रात 12:31 बजे तक। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के दिन शुभ चौघड़िया मुहूर्त: अमृत – सर्वोत्तम: 06:25 ए एम से 07:50 ए एम शुभ – उत्तम: 09:15 ए एम से 10:40 ए एम लाभ – उन्नति: 02:56 पी एम से 04:21 पी एम अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 03:44 पी एम से 05:46 पी एम सायाह्न मुहूर्त (चर) – 05:46 पी एम से 07:21 पी एम अमृत – सर्वोत्तम: 04:21 पी एम से 05:46 पी एम दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के रात के शुभ चौघड़िया मुहूर्त: लाभ – उन्नति: 10:31 पी एम से अगले दिन देर रात 12:06 बजे तक। राहुकाल का समय: दिवाली के दिन राहुकाल सुबह 07:50 बजे से सुबह 09:15 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल के दौरान पूजा-पाठ व शुभ मांगलिक कार्यों की मनाही है। देखें सिटीवाइज लक्ष्मी पूजन मुहूर्त- 07:38 पी एम से 08:37 पी एम – पुणे 07:08 पी एम से 08:18 पी एम – नई दिल्ली 07:20 पी एम से 08:14 पी एम – चेन्नई 07:17 पी एम से 08:25 पी एम – जयपुर 07:21 पी एम से 08:19 पी एम – हैदराबाद 07:09 पी एम से 08:19 पी एम – गुरुग्राम 07:06 पी एम से 08:19 पी एम – चंडीगढ़ 05:06 पी एम से 05:54 पी एम- कोलकाता 07:41 पी एम से 08:41 पी एम – मुंबई 07:31 पी एम से 08:25 पी एम – बेंगलूरु 07:36 पी एम से 08:40 पी एम – अहमदाबाद 07:07 पी एम से 08:18 पी एम – नोएडा दिवाली पूजन सामग्री: गणेश-लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र, कलश ढकने के लिए ढक्कन, चांदी का सिक्का, तांबूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), मिट्टी के दीये, गुलाब व कमल के फूल, चौकी, चौकी पूरने के लिए सूखा आटा, गंगाजल, घी, शक्कर, पंच मेवा, दूर्वा, गणेश-लक्ष्मी जी के वस्त्र, मिट्टी या पीतल का कलश, अगरबत्ती, कपूर, धूप, तुलसी दल, इत्र की शीशी, कलावा, छोटी इलाचयी, जल पात्र, गट्टे, खील-बताशे, मुरमुरे, कलम, नारियल, सिंदूर, कुमकुम, जनेऊ, केसर, सिंघाड़े, लौंग, सरसों का तेल, सप्तमृत्तिका, साबुत धनिया, रुई, 16 श्रृंगार व चंदन, लाल कपड़ा व कुबेर यंत्र आदि। दिवाली गणेश-लक्ष्मी पूजा विधि: दिवाली पूजन के लिए घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की साफ-सफाई करें। इसके बाद यहां एक चौकी में नया या साफ लाल कपड़ा बिछाएं। अब गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले गंगाजल से मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को स्नान कराएं। अब उन्हें वस्त्र, कमल या गुलाब के फूल व इत्र आदि अर्पित करें। इसके बाद भक्ति भाव के साथ एक-एक करके सभी सामग्री चढ़ाएं। अब गणेश-लक्ष्मी जी का तिलक करें और अक्षत लगाएं। अब भोग लगाने के बाद आरती उतारें और अंत में भूल चूक के लिए मांगी मांगें। भगवान गणेश व माता लक्ष्मी का प्रिय भोग: मां लक्ष्मी को खीर प्रिय है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा आप सिंघाड़ा, नारियल, पान का पत्ता, हलुआ व मखाने आदि का भी भोग लगा सकते हैं। भगवान गणेश को मोदक व बेसन का लड्डू भोग के रूप में प्रिय माना गया है। दिवाली पर करें मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप: ॐ लक्ष्मी नारायण नमः। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥ भगवान गणेश के मंत्र: मूल मंत्र: ऊँ गं गणपतये नमः गायत्री मंत्र: ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

वास्तु के अनुसार सजाएं घर का हर कोना, दिवाली पर मिलेगी सुख-समृद्धि

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जब लोग अपने घरों को सजाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के विभिन्न कोनों को सजाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। दिवाली पर घर सजाने के लिए वास्तु के अनुसार प्रत्येक दिशा का महत्व है। सही दिशा में सजावट से न केवल घर की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है। ध्यान रखें कि सजावट के साथ-साथ सफाई और व्यवस्था भी महत्वपूर्ण हैं। इस दिवाली अपने घर को सकारात्मकता और खुशियों से भरपूर बनाएं और अपने परिवार के साथ खुशहाल समय बिताएं। आइए जानें कि दिवाली से पहले घर के किस कोने को सजाना चाहिए और इसके पीछे के वास्तु सिद्धांतों के बारे में। मुख्य प्रवेश द्वार मुख्य प्रवेश द्वार को सजाना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे स्वच्छ और आकर्षक रखना चाहिए। आप यहां रंगोली बना सकते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। प्रवेश द्वार पर दीपक या मोमबत्तियां रखना भी शुभ माना जाता है। इससे घर में आने वाले हर व्यक्ति का स्वागत होता है। उत्तर-पूर्व दिशा उत्तर-पूर्व दिशा को ‘ईशान कोण’ कहा जाता है और इसे आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का केंद्र माना जाता है। यहां पर सफेद और हल्के रंगों का उपयोग करें। इस क्षेत्र में पौधों या फूलों के गुलदस्ते रखने से ऊर्जा का संचार बढ़ता है। आप इस दिशा में पूजा का स्थान भी स्थापित कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा को धन की दिशा माना जाता है। इसे सजाने के लिए आप यहां पर दीपक और सजावटी वस्त्र रख सकते हैं। इस दिशा में बर्तन या धातु की वस्तुएं रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। आप यहां पर ताजे फूल भी रख सकते हैं, जिससे सकारात्मकता बनी रहे। दक्षिण दिशा दक्षिण दिशा को शक्ति और स्थिरता का स्थान माना जाता है। इस दिशा में काले, भूरे और नीले रंग का उपयोग करें। यहाँ पर मजबूत और सुंदर सजावटी सामान रखें। यह दिशा घर में सुरक्षा और स्थिरता लाने में मदद करती है। पश्चिम दिशा पश्चिम दिशा को संतान सुख की दिशा माना जाता है। इस दिशा में तस्वीरें, स्मृति चिन्ह या सजावटी सामान रखकर सजाएं। यहां पर रंगीन कैंडल या मोमबत्तियां रखना भी शुभ है। यह दिशा घर के सदस्यों के बीच प्यार और सामंजस्य को बढ़ाती है। कमरे का केंद्र घर के केंद्र को ‘ब्रह्मस्थान’ कहा जाता है। इसे खाली और स्वच्छ रखना चाहिए। यहां पर सजावट करते समय हल्के रंगों का प्रयोग करें। इस स्थान को रोशनी से भरपूर रखें। इससे पूरे घर में सकारात्मकता और ऊर्जा बनी रहती है। बाथरूम और शौचालय दिवाली पर इन जगहों को भी सजाने का ध्यान रखें। यहां पर सफाई और सुव्यवस्था बनाए रखें। इन स्थानों को खुशबूदार तेल या अगरबत्ती से सुगंधित करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा।