samacharsecretary.com

शनि वक्री का असर: दिवाली पर इन 4 राशियों की बढ़ेगी आर्थिक स्थिति

दिवाली 2025 पर शनि देव की वक्री चाल एक दुर्लभ खगोलीय घटना है। वृषभ, मिथुन, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह समय विशेष रूप से धन, करियर, निवेश और सामाजिक मान-सम्मान लाने वाला होगा। इस अवसर पर अपने कर्म, पूजा और उपाय को सही दिशा में केंद्रित करें, ताकि शनि देव की कृपा से अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। दिवाली पर शनि देव वक्री क्यों हैं खास ? साल 2025 की दिवाली 20 अक्टूबर को ग्रहों की चाल में एक दुर्लभ योग बन रहा है। शनि देव वक्री होंगे और वह मीन राशि में स्थित होंगे। शनि देव न्याय और कर्मफल के देवता हैं और उनकी उल्टी चाल यानी वक्री स्थिति जीवन में पुराने अटके मामलों को सुलझाने, आर्थिक लाभ और करियर में तरक्की के संकेत देती है। जब यह ग्रह दिवाली जैसे बड़े पर्व के दिन वक्री होते हैं, तो इसका प्रभाव और भी गहरा माना जाता है। यह दुर्लभ योग कुछ राशियों के लिए धन, यात्रा और सामाजिक मान-सम्मान के नए अवसर लेकर आ सकता है। वृषभ राशि – आर्थिक लाभ और सुख-सुविधा इस दिवाली वृषभ राशि वालों के लिए अचानक धन लाभ के योग बन रहे हैं। पुराना अटका पैसा वापस मिल सकता है या नए स्त्रोतों से आय के मार्ग खुलेंगे। करियर: प्रमोशन, नई जिम्मेदारी या बड़ा प्रोजेक्ट मिल सकता है। घर-परिवार: कोई पुरानी इच्छा पूरी होगी, जिससे घर में सुख और संतोष बढ़ेगा। मिथुन राशि – व्यापार और नौकरी में अवसर मिथुन राशि के जातकों के लिए यह दिवाली व्यापार और नौकरी दोनों में लाभकारी रहेगी। लाभ: नई डील, निवेश या व्यापार में मुनाफा। नौकरी: बेरोजगारों को नौकरी मिल सकती है, कार्यरत लोग बेहतर अवसर पाएंगे। विशेष: प्रॉपर्टी, लोहा, तेल, खनिज या काली वस्तुओं से जुड़े व्यवसाय में लाभ। मकर राशि – संपत्ति, सम्मान और सुख चूंकि मकर राशि के स्वामी स्वयं शनि देव हैं, उनकी वक्री स्थिति सकारात्मक परिणाम देगी। धन: नई प्रॉपर्टी, गाड़ी या घर की खरीदारी में सफलता। संबंध: विवाहित जीवन में मधुरता और नई ऊर्जा। सामाजिक जीवन: मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि। कुंभ राशि – आर्थिक वृद्धि और सामाजिक सम्मान कुंभ राशि वालों को इस दिवाली धन आगमन के नए स्रोत मिल सकते हैं। वित्त: आय में वृद्धि, निवेश के लिए अनुकूल समय। सुख और संतुलन: जीवन में खुशियां, आत्मविश्वास और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। 

धनतेरस: खरीदारी के साथ करें ये 5 उपाय, बढ़ेगी मां लक्ष्मी की शुभता

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है और इसी दिन से दिवाली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस शुभ दिन मां लक्ष्मी, कुबेर और यमराज की पूजा की जाती है। धनतेरस पर नई वस्तुएं खरीदने के साथ ही कुछ विशेष उपाय करने से धन-धान्य की वृद्धि, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। आइए जानते हैं धनतेरस पर किए जाने वाले 5 अचूक उपाय, जो मां लक्ष्मी की कृपा दिला सकते हैं। कुबेर और लक्ष्मी पूजन धनतेरस पर सूर्यास्त के बाद 13 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद कुबेर देव और तिजोरी की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा में धूप, दीप, चंदन, नैवेद्य, फूल और फल अर्पित करें। फिर श्रद्धापूर्वक मंत्र जपें: ‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय दापय स्वाहा।’ यह मंत्र धन की वृद्धि और आर्थिक स्थिरता लाता है। तिजोरी में चांदी का सिक्का या लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखना भी शुभ है। लौंग का जोड़ा अर्पित करें धनतेरस से दिवाली तक मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान रोज एक जोड़ा लौंग अर्पित करना चाहिए। यह छोटा सा उपाय आर्थिक तंगी को दूर करता है। मान्यता है कि लौंग की सुगंध मां लक्ष्मी को आकर्षित करती है, जिससे घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती। लौंग को पूजा के बाद तिजोरी में रखने से धन का प्रवाह बना रहता है। तिजोरी में मां लक्ष्मी की तस्वीर धनतेरस पर तिजोरी या गल्ले में मां लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर लगाएं, जिसमें वे कमल पर विराजमान होकर धन की वर्षा कर रही हों। यह तस्वीर समृद्धि और स्थायी सुख का प्रतीक मानी जाती है। तस्वीर के पास एक घी का दीपक जलाएं और लाल फूल अर्पित करें। इस उपाय से घर में धन की बरकत होती है और आर्थिक समस्याएं कम होती हैं। मुख्य द्वार पर शुभ प्रतीक घर का मुख्य द्वार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है। धनतेरस पर हल्दी और चावल को पीसकर पेस्ट बनाएं और इससे मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ का चिन्ह बनाएं। यह मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक है। इसके साथ, द्वार पर रंगोली बनाना और तोरण लगाना भी शुभ माना जाता है। यह उपाय घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता लाता है। शंख से शुद्धिकरण धनतेरस पर कार्यों में बाधाओं या धन की कमी को दूर करने के लिए दक्षिणावर्ती शंख में स्वच्छ जल भरकर घर के चारों ओर छिड़कें। पूजा से पहले और बाद में यह प्रक्रिया करें। साथ ही, चीनी, बताशा, खीर और चावल का दान करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है और मां लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त करता है। शंख की ध्वनि घर को शुद्ध करती है। धनतेरस केवल खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि का अवसर है। कुबेर-लक्ष्मी पूजन, लौंग अर्पण, लक्ष्मी तस्वीर, शुभ प्रतीक और शंख शुद्धिकरण – नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। इन उपायों को श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और घर में धन-धान्य, सुख-शांति का वास होता है।

धनतेरस पर क्या खरीदें? ज्योतिषी ने बताई शुभ और अशुभ वस्तुओं की पूरी लिस्ट

अक्टूबर का महीना चल रहा है और अक्टूबर के इसी महीने में दिवाली का त्यौहार भी है जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. बाजार पूरी तरह से गुलजार हैं, एक अलग ही रौनक देखने को मिल रही है. सारे व्यापारी तैयारी करके बैठे हुए हैं कि इस बार दिवाली के त्यौहार में अच्छा खासा व्यापार किया जाएगा. धनतेरस में लोग तरह-तरह के सामान की खरीदी करते हैं लेकिन इस बार कुछ लोग कंफ्यूजन में भी हैं कि इस बार के धनतेरस में वो लोहे से जुड़ी सामग्री खरीदें या न खरीदें क्योंकि धनतेरस इस बार शनिवार को पड़ रही है. ऐसी मान्यता है कि शनिवार को लोहा नहीं खरीदा जाता. ज्योतिषाचार्य दूर कर रहे हैं कंफ्यूजन. धनतेरस में बड़ा कन्फ्यूजन धनतेरस की तैयारी इन दिनों जोर-शोर से चल रही है, बाजार पूरी तरह से गुलजार हैं. व्यापारी भी धनतेरस को लेकर तैयारी कर चुके हैं लेकिन इस बार धनतेरस को लेकर लोगों में कंफ्यूजन भी है. क्योंकि इस बार की धनतेरस 18 अक्टूबर को पड़ रही है और 18 अक्टूबर को शनिवार का दिन भी पड़ रहा है, जिसके चलते लोग कंफ्यूज हैं कि शनिवार को लोहे से जुड़ी सामग्री वो खरीद सकते हैं या नहीं खरीद सकते हैं. ज्योतिषाचार्य से जानिए क्या लोहा खरीदना सही है? ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार उनके पास कई ऐसे लोग आ रहे हैं जो यह पूछ रहे हैं कि शनिवार के दिन धनतेरस है और ऐसे में लोहे से जुड़ी सामग्री की खरीदी वो कैसे करें. वे बताते हैं कि "जिस तरह से दशहरा के दिन पंचक रहता है लेकिन उस दिन दसों दिशाएं खुली रहती हैं सभी शुभ काम होते हैं, इसी तरह धनतेरस के दिन भी भले ही शनिवार पड़ रहा है, लेकिन शनि का कोई दोष नहीं लगेगा, उस दिन हर सामग्री पर लक्ष्मी जी का निवास होता है, फिर चाहे लोहा हो, सोना हो, चांदी हो, तांबा हो, पीतल हो.   'लोहा खरीदने पर नहीं लगेगा शनि का दोष' ऐसे में अगर धनतेरस के दिन आप लोहे से जुड़ी सामग्री खरीद रहे हैं, तो बिल्कुल चिंतित ना हों, शनि का कोई दोष नहीं लगेगा बल्कि मां लक्ष्मी का आपके घर में आगमन होगा. घर में बरक्कत होगी और जिस उद्देश्य के साथ आप धनतेरस में खरीदी कर रहे हैं, आपके उस उद्देश्य की पूर्ति होगी.

आज किसका दिन रहेगा शानदार? 15 अक्टूबर का राशिफल — मेष से मीन तक सभी राशियों का हाल

मेष राशि- आज मन प्रसन्न रहेगा, लेकिन बातचीत में बैलेंस बना रखें, किसी अपने को ठेस पहुंच सकती है। शैक्षिक कार्यों में परेशानियां आ सकती हैं। संतान की सेहत का ध्यान रखें। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। वृषभ राशि- आज आपके मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। भागदौड़ ज्यादा रहेगी। लाभ के अवसर मिलेंगे, लेकिन कारोबार के लिए किसी दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। व्यापारियों को उन्नति मिल सकती है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। मिथुन राशि- आज मिथुन राशि वालों के आत्मविश्वास में कमी रहेगी। मन अशांत भी रहेगा। धैर्यशीलता बनाए रखें। नौकरी में अफसरों से तालमेल बनाकर रखें। कुछ लोगों को स्थान परिवर्तन की संभावना है। कर्क राशि- आज आपका मन परेशान हो सकता है। जीवनसाथी की सेहत का ध्यान रखें। कारोबार में वृद्धि होगी। भागदौड़ ज्यादा रहेगी। आय में वृद्धि होगी। आर्थिक लाभ के संकेत हैं। आर्थिक बजट बनाकर चलें, वरना बाद में परेशानी हो सकती है। सिंह राशि- आज आपके मन में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। खर्च की अधिकता मन को परेशान कर सकती है। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ सकती है। परिवार का साथ मिलेगा। मित्रों का सहयोेग भी मिलेगा। सेहत का ध्यान रखें। कन्या राशि- आज आपको वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। क्रोध से बचें। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान पर जा सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा। भाई-बहन के सहयोग से किसी महत्वपूर्ण काम में सफलता मिल सकती है। यात्रा के योग हैं। तुला राशि- आज तुला राशि वालों की वाणी में मधुरता रहेगी। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। कारोबार में कठिनाई आ सकती है। नौकरी पेशा करने वालों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। लाइफस्टाइल में बदलाव करना पड़ सकता है। वृश्चिक राशि- आज वृश्चिक राशि वालों को गुस्से से बचना चाहिए। पिता का साथ मिलेगा। जीवनसाथी के साथ व स्वास्थ्य पर नजर रखें। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं, परंतु परिवार से दूर किसी स्थान पर जाना पड़ सकता है। धनु राशि- धनु राशि वालों के मन में शांति व प्रसन्नता रहेगी, लेकिन वाणी में कठोरता हो सकती है। सचेत रहें। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। धन से जुड़ी कुछ परेशानियां सामने आ सकती है। सेहत पर ध्यान दें। मकर राशि- आज आपको कार्यों को धैर्य के साथ पूरा करना चाहिए। पराक्रम रंग लाएगा। दूसरों के साथ तालमेल बनाए रखने का प्रयास करें। घर-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। खर्चों में वृद्धि होगी। कुंभ राशि- आज आपके भूमि, भवन व वाहन की खरीदारी के योग हैं। नौकरी कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है। ऑफिस में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। मित्रों का सहयोग मिलेगा। छात्रों व लेखकों के लिए अच्छा समय रहने वाला है। आर्थिक लाभ होने से मन प्रसन्न होगा। मीन राशि- मीन राशि वालों के आज दांपत्य सुख में वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती है। आय के साधन बनेंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता मिल सकती है। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

ये हैं दिवाली, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के शुभ समय

दीपावली 2025 केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि आस्था, परिवार और समृद्धि का प्रतीक है। इन 6 दिनों में प्रतिदिन का पूजा मुहूर्त जानना शुभ फल प्रदान करता है। हर दिन दीप जलाएं, ईश्वर का स्मरण करें और अपने जीवन में प्रकाश फैलाएं। दीपोत्सव 2025 का आरंभ 18 से 23 अक्टूबर तक रहेगा। 5 दिवसीय पर्व इस वर्ष दीपावली उत्सव 6 दिनों तक मनाया जाएगा 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2025 तक। पुष्य नक्षत्र में शुभ खरीदारी 14 से 15 अक्टूबर के बीच होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह काल धन, सौंदर्य और धार्मिक पुण्य का सर्वोत्तम समय माना गया है। धनतेरस 2025 – 18 अक्टूबर त्रयोदशी तिथि: दोपहर 12:18 से अगले दिन 01:51 बजे तक। पूजा मुहूर्त: शाम 07:15 से 08:19 बजे तक। प्रदोष काल: शाम 05:48 बजे से रात्रि 08:19 बजे तक। यम दीपम समय: प्रदोष काल में। धनतेरस खरीदारी का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:43 से दोपहर 12:29 तक। लाभ का चौघड़िया: अपराह्न 01:32 से 02:57 तक। अमृत का चौघड़िया: अपराह्न 02:57 से 04:23 तक। लाभ का चौघड़िया: शाम 05:48 से 07:23 तक। धनतेरस शुभ योग ब्रह्म- अक्टूबर 18 01:48 ए एम – अक्टूबर 19 01:47 ए एम इन्द्र- अक्टूबर 19 01:47 ए एम – अक्टूबर 20 02:04 ए एम इस दिन धन्वंतरि देव और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सोना, चांदी या बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है। उपाय: शाम के समय यम दीपक अवश्य जलाएं। नरक चतुर्दशी – 19 अक्टूबर चतुर्दशी तिथि की शुरुआत: 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे। चतुर्दशी तिथि का समापन: 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे। पूजा समय: शाम 05:47 से 08:57 बजे तक। अभ्यंग स्नान मुहूर्त: 20 अक्टूबर सुबह 05:09 से 06:25 तक। पूजा का गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:58 से 06:23 तक। पूजा का निशीथ काल मुहूर्त: मध्य रात्रि 11:41 से 12:31 बजे तक।   नरक चतुर्दशी पर शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन अमृत सिद्धि योग: शाम 05:49 बजे से अगले दिन सुबह 06:25 तक। यह दिन रूप चौदस कहलाता है। इस दिन स्नान, दीपदान और श्रीकृष्ण की आराधना करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। महालक्ष्मी पूजा – 20 अक्टूबर कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे से। अमावस्या तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे तक। अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर 03:44 से 21 अक्टूबर 05:54 तक। रूप चौदस का स्नान मुहूर्त: प्रात: 04:46 से 06:25 के बीच। अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:48 से 12:34 तक। विजय मुहूर्त: दोपहर 02:07 से 02:53 तक। गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:57 से 06:22 तक। संध्या पूजा: शाम 05:57 से 07:12 तक। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 07:23 से 08:27 तक। प्रदोष काल- शाम 05:57 से 08:27 के बीच। वृषभ काल- रात्रि 07:23 से 09:22 के बीच। निशीथ काल पूजा : रात्रि 11:47 से 12:36 तक। 20 अक्टूबर 2025 चौघड़िया मुहूर्त: अमृत: प्रात: 06:25 से 07:52 तक। शुभ: सुबह 09:18 से 10:45 तक। लाभ: दोपहर बाद 03:04 से 04:31 तक। अमृत: शाम 04:31 से 05:57 तक। चर: शाम 05:57 से रात्रि 07:31 तक। लाभ: मध्य रात्रि 10:38 से 12:11 तक। नोट: मुहूर्त और चौघड़िया के समय में 2 से 5 मिनट की घट-बढ़ रहती है। प्रदोष और वृषभ काल में की गई पूजा से अक्षय समृद्धि प्राप्त होती है। उपाय: महालक्ष्मी को कमल पुष्प और खीर का भोग लगाएं। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा – 22 अक्टूबर प्रतिपदा तिथि: 21 अक्टूबर शाम 05:54 से 22 अक्टूबर 08:16 तक। सुबह का मुहूर्त: 06:26 से 08:42 तक। गोवर्धन पूजा सायाह्न काल मुहूर्त- अपराह्न 03:29 से शाम 05:44 के बीच। गोवर्धन पूजा गोधूलि मुहूर्त- शाम को 05:44 से 06:10 के बीच। उदया तिथि के अनुसार 22 अक्टूबर 2025 को होगी गोवर्धन एवं अन्नकूट पूजा। इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के अभिमान को शांत किया था। अन्नकूट का भोग लगाने से वर्ष भर भोजन और सुख की वृद्धि होती है। भाई दूज – 23 अक्टूबर द्वितीया तिथि: 22 अक्टूबर रात 08:16 से 23 अक्टूबर रात 10:46 तक। उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर 2025 को मनाएंगे भाई दूज का पर्व। तिलक का शुभ समय: 01:13 से 03:28 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:43 से 12:28 के बीच। विजय मुहूर्त: अपराह्न 01:58 से 02:43 के बीच। बहनें अपने भाइयों की रक्षा और दीर्घायु के लिए तिलक लगाती हैं। उपाय: इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें और भाई को मिठाई खिलाएं।

धनतेरस 2025: गुरु ग्रह के गोचर से इन राशियों को होगा विशेष लाभ

इस साल धनतेरस के दिन यानी 18 अक्टूबर 2025 को एक खास ज्योतिषीय घटना घटने जा रही है। इस दिन देवगुरु बृहस्पति अपनी राशि बदलकर मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष में बृहस्पति को बेहद शुभ और प्रभावशाली ग्रह माना गया है। इसे ज्ञान, शिक्षा, संतान, भाग्य, संपत्ति और समृद्धि का कारक कहा जाता है। जब गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश करते हैं, तो इसका प्रभाव कई राशियों के जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव लाता है। यह गोचर धनतेरस के दिन होने से इसका प्रभाव और भी शुभ माना जा रहा है। इस समय ज्ञान, धर्म, दान और आस्था से जुड़ी गतिविधियाँ शुभ फल देंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, और कुछ लोगों को नई शुरुआत या प्रमोशन का अवसर मिलेगा। साथ ही, परिवार और रिश्तों में सामंजस्य भी बढ़ेगा। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, कर्क राशि में गुरु का गोचर विशेष रूप से इन राशियों के लिए बेहद लाभकारी रहेगा- वृषभ राशि: गुरु के गोचर से कम्युनिकेशन स्किल्स और आत्मविश्वास बढ़ेगा। कोई पुराना प्रयास सफल होगा। भाई-बहनों के साथ रिश्ते बेहतर होंगे और छोटी यात्राओं से लाभ के योग बन रहे हैं। जो लोग मीडिया, लेखन या शिक्षा से जुड़े हैं, उनके लिए समय शानदार रहेगा। सिंह राशि: गुरु का यह गोचर सिंह राशि वालों के धन और आत्मविश्वास दोनों में वृद्धि करेगा। निवेश से लाभ मिलेगा, और रुके हुए पैसे वापस मिल सकते हैं। करियर में भी नई जिम्मेदारियाँ और सम्मान बढ़ेगा। परिवार में खुशियां और धार्मिक वातावरण रहेगा। वृश्चिक राशि: आपकी राशि के भाग्य भाव में गुरु का गोचर होगा, जिससे भाग्य वृद्धि के योग बनेंगे। विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा या अध्यात्म से जुड़ी दिशा में प्रगति होगी। जो लोग सरकारी क्षेत्र में प्रयासरत हैं, उन्हें सफलता मिल सकती है। घर-परिवार में भी सौहार्द बना रहेगा। मीन राशि: आपके लिए यह गोचर बेहद शुभ है, क्योंकि गुरु आपके स्वामी ग्रह हैं। कर्क राशि में उनका प्रवेश रचनात्मकता, संतान सुख, और प्रेम जीवन को मजबूत करेगा। कलाकारों, शिक्षकों और स्टूडेंट्स के लिए यह समय सुनहरा रहेगा। धन लाभ और मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी।

14 अक्टूबर 2025 का राशिफल: कौन-सी राशि रहेगी लकी, किसे बरतनी होगी सावधानी?

मेष राशि- आज का दिन आपके लिए ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा रहेगा। पुराने अटके काम पूरे होंगे और किसी दोस्त या रिश्तेदार से सहयोग मिलेगा। नौकरी या बिज़नेस में नई योजना शुरू कर सकते हैं। किसी से अनबन चली आ रही थी तो सुलह के संकेत हैं। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा लेकिन ज्यादा सोच-विचार से बचें। शाम का समय परिवार के साथ अच्छा बीतेगा। वृषभ राशि- आज मेहनत का फल मिलेगा। कामकाज में स्थिरता आएगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। किसी जरूरी काम में परिवार या जीवनसाथी की सलाह फायदेमंद साबित होगी। यात्रा से लाभ मिल सकता है। विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा रहेगा। सेहत को लेकर थोड़ा ध्यान रखें, खासकर खानपान में लापरवाही न करें। मिथुन राशि- आज आप अपने काम में व्यस्त रहेंगे लेकिन मेहनत का पूरा परिणाम मिलेगा। किसी पुराने दोस्त से मुलाकात मन खुश कर देगी। नौकरी में पदोन्नति या प्रशंसा के योग हैं। व्यापारियों के लिए समय लाभकारी रहेगा। परिवार में खुशी का माहौल बनेगा। किसी नए संपर्क से भविष्य में फायदा मिल सकता है। कर्क राशि- परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिलेगा। मन की कोई पुरानी चिंता खत्म हो सकती है। नौकरी या व्यापार में कुछ नया करने की सोच बन सकती है। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई में मन लगाना जरूरी है। स्वास्थ्य को लेकर छोटी-मोटी दिक्कत हो सकती है, ध्यान रखें। सिंह राशि- आज का दिन आपके लिए सफलता लेकर आ सकता है। काम में सकारात्मक बदलाव होंगे और आपकी मेहनत की सराहना होगी। परिवार में कोई शुभ समाचार मिल सकता है। आत्मविश्वास बना रहेगा। धन से जुड़ा कोई फायदा हो सकता है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। कन्या राशि- आज दिन सामान्य रहेगा लेकिन काम में निरंतरता बनी रहेगी। किसी से बहस या गलतफहमी से बचें। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा। आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे सुधरेगी। नया निवेश सोच-समझकर करें। पुरानी मेहनत अब रंग ला सकती है। तुला राशि- आज दिन की शुरुआत थोड़ी धीमी हो सकती है लेकिन शाम तक हालात आपके पक्ष में रहेंगे। किसी पुराने विवाद का हल निकल सकता है। खर्च बढ़ेगा लेकिन साथ ही आय के नए साधन भी खुल सकते हैं। ऑफिस में मेहनत का फल मिलेगा। सेहत ठीक रहेगी लेकिन तनाव से दूर रहें। वृश्चिक राशि- मन में नई ऊर्जा और जोश रहेगा। पुराने रुके हुए पैसे मिल सकते हैं। किसी खास व्यक्ति से मुलाकात होगी जो आगे चलकर लाभदायक रहेगी। परिवार का पूरा साथ मिलेगा। काम में मन लगेगा। यात्रा के योग बन रहे हैं, जो शुभ परिणाम देंगे। धनु राशि- रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी। पार्टनर या परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिलेगा। काम में स्थिरता आएगी और कोई रुका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। नए लोगों से संपर्क बढ़ेगा जो आगे चलकर फायदेमंद रहेगा। सेहत सामान्य रहेगी, लेकिन आराम जरूर करें। मकर राशि- कामकाज में प्रगति के योग हैं। आज किसी नए प्रोजेक्ट या अवसर की शुरुआत हो सकती है। भाग्य आपका साथ देगा। परिवार में खुशी का माहौल रहेगा। आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। सेहत के मामलें में लापरवाही न करें। ध्यान और मेडिटेशन से मन शांत रहेगा। कुंभ राशि– आज भाग्य पूरी तरह आपका साथ देगा। कोई पुराना अधूरा काम पूरा हो सकता है। यात्राओं से फायदा मिलेगा। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन या नई जिम्मेदारी मिल सकती है। छात्रों के लिए समय अनुकूल रहेगा। सेहत में सुधार होगा। मीन राशि- भावनाओं में बहने से बचें। कोई महत्वपूर्ण फैसला सोच-समझकर लें। परिवार में किसी बड़े सदस्य की सलाह काम आ सकती है। नौकरी या बिजनेस में थोड़ा दबाव महसूस होगा लेकिन हिम्मत न हारें। दिन के अंत में कोई अच्छी खबर मिल सकती है। सेहत सामान्य रहेगी।

घर में करें वास्तु अनुसार बदलाव, रुक जाएगी पैसों की बर्बादी

अगर आप अपने घर में वास्तु नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। कई बार बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद भी व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार परिणाम नहीं मिल पाते, जिसका एक कारण वास्तु दोष का भी माना जाता है। दिशाओं का रखें ध्यान वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व माना गया है और इससे संबंधित कुछ नियम भी बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पानी से संबंधित चीजों को हमेशा घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए जैसे बोरिंग, फाउंटेन या फिर पानी की टंकी आदि। इसी के साथ उत्तर दिशा में धन या तिजोरी को रखने से भी आपको लाभ मिल सकता है। वहीं, वास्तु के मुताबिक घर की पूर्व दिशा को जितना हो सके हमेशा खाली रखना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा को भी खाली और साफ-सुथरा रखना चाहिए। इसके साथ ही पृथ्वी तत्व को मजबूत करने के लिए आप इस जगह पर भारी लकड़ी का फर्नीचर रख सकते हैं। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से फिजूल खर्चों पर रोक लग सकती है। इन दिशाओं में ये छोटे-छोटे बदलाव करने पर आपको काफी फायदा देखने को मिल सकता है। इन गलतियों लग सकता है वास्तु दोष अगर आप कुछ वास्तु नियमों की अनदेखी करते हैं, तो इससे भी धन की बर्बादी का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, किचन के ठीक सामने बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए। इसी के साथ घर में कभी भी खराब घड़ी नहीं लगानी चाहिए। यह भी धन खर्च का कारण बन सकती है। इन सभी नियमों की अनदेखी करने पर भी व्यक्ति को वास्तु दोष का सामना करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को पैसों से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।  

गोवत्स द्वादशी से शुरू हुआ दीपोत्सव का पंच पर्व, देखें पूजन विधि और शुभ समय

गोवत्स द्वादशी 2025 पर गौ माता और बछड़े की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत हर आयु वर्ग के लोगों के लिए आस्था और पुण्य का दिन है। गोवत्स द्वादशी या बछ बारस हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र पर्व है। यह पर्व गौ माता और उनके बछड़े (वत्स) के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे वासु बारस और गुजरात में वाघ बरस कहा जाता है। यह त्योहार दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और आमतौर पर धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे नंदिनी व्रत, वत्स द्वादशी और बछ बारस। महिलाएं इस दिन यह व्रत संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए करती हैं। इस दिन गाय के दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन वर्जित होता है। गोवत्स द्वादशी 2025 कब है? पंचांग अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को यह व्रत होता है। इस वर्ष, गोवत्स द्वादशी शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को है। गोवत्स द्वादशी तिथि विवरण: प्रारम्भ: 17 अक्टूबर 2025, सुबह 11:12 बजे समाप्ति: 18 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:18 बजे गोवत्स द्वादशी पूजा मुहूर्त पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में है: प्रारंभ: 17 अक्टूबर, शाम 05:49 बजे समाप्ति: 17 अक्टूबर, रात 08:20 बजे अवधि: 2 घंटे 31 मिनट पूजा के दौरान गौ माता और उनके बछड़े को हल्दी, दूर्वा और जल अर्पित करें। घर की स्वच्छता और पूजा स्थल का उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ माना गया है। गोवत्स द्वादशी पूजा विधि और महत्व इस दिन महिलाएं गाय और बछड़े की सेवा और पूजा करती हैं। कथा अनुसार, जो परिवार इस व्रत का पालन करता है, उसमें संतान सुख, धन-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की वृद्धि होती है। गोवत्स द्वादशी हमें गौ माता की पूजा और संरक्षण का महत्व सिखाती है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दायित्व का प्रतीक भी है।

अहोई अष्टमी: इन चीजों का दान करें और बच्चों के जीवन में लाएं सुख

अहोई अष्टमी का व्रत बहुत विशेष माना जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. महिलाएं हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ये व्रत रखती हैं. साथ ही माता अहोई की विधिवत पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महिलाएं अपनी संतान के लिए लंबी आयु और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इस व्रत को रखने से संतान से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. अहोई अष्टमी के दिन व्रत और पूजा-पाठ के साथ-साथ दान करने का भी बहुत महत्व होता है. इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा-पाठ के साथ-साथ दान करने से संतान के जीवन की सारी तकलीफें, दुख और मुसीबतें दूर हो जाती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए? अहोई अष्टमी कब है ? पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगी. जबकि 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर ये तिथि खत्म हो जाएगी. ऐसे में इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त अहोई अष्टमी के व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनट पर शुरू होकर 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. कुल मिलाकर पूजा के लिए महिलाओं को 1 घंटे 15 मिनट का समय मिलेगा. इस दिन आसमान में तारे शाम 6 बजकर 17 मिनट पर नजर आएंगे. वहीं चंद्र दर्शन रात के 11 बजकर 20 मिनट पर होगा. अहोई अष्टमी के दिन इन चीजों का करें दान     अनाज: इस दिन व्रती महिलाओं को चावल, गेहूं, दाल आदि का दान करना चाहिए.     वस्त्र: इस दिन व्रती महिलाओं को गरीबों को वस्त्र दान करना चाहिए.     धन: जरूरतमंदों को धन का दान करना चाहिए.     फल और मिठाई: इस दिन फल और मिठाई का दान करना चाहिए.     भोजन: व्रती महिलाएं इस दिन जरूरतमंदों को भोजन भी करा सकती हैं.