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बड़े पैमाने पर माइक्रोसॉफ्ट में होगी छंटनी, 9000 से अधिक कर्मचारियों के लिए झटका

वाशिंगटन  टेक्नोलॉजी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट (MSFT.O) ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर छंटनी का ऐलान किया है। Seattle Times की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अपने कुल वैश्विक कार्यबल के लगभग 4% यानी कि 9000 के पास कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। यह 2023 के बाद कंपनी की सबसे बड़ी छंटनी मानी जा रही है। जून 2024 तक माइक्रोसॉफ्ट में करीब 2,28,000 कर्मचारी कार्यरत थे। हालांकि, इस नई छंटनी की पुष्टि के लिए कंपनी ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। बिक्री विभाग पर पड़ेगा मुख्य असर जून में Bloomberg News की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि माइक्रोसॉफ्ट विशेष रूप से सेल्स (बिक्री) विभाग में हजारों कर्मचारियों की कटौती की योजना बना रही है। इससे पहले, मई 2025 में भी कंपनी ने करीब 6,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। 2023 के बाद सबसे बड़ी छंटनी रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 जुलाई को पुष्टि की गई Microsoft Lay Off का ये चरण साल 2023 के बाद से टेक दिग्गज कंपनी द्वारा की जाने वाली छंटनी का सबसे बड़ा दौर है. ऐसा माना जा रहा है कि ये छंटनी माइक्रोसॉफ्ट में संगठनात्मक परिवर्तन का हिस्सा है. फिलहाल, कंपनी में इस छंटनी का असर सबसे ज्यादा किस सेक्शन पर पड़ने वाला है इसके बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन तमाम रिपोर्टों के आधार पर ये पता चलता है कि कोडिंग असिस्टेंट जैसे AI ऑपरेटेड उपकरणों का तेजी से इस्तेमाल इससे जुड़े कर्मचारियों को प्रभावित कर सकता है.  Microsoft अपने वर्कफ्लो में एआई को शामिल करने पर अधिक फोकस कर रही है और इस साल की शुरुआत में, Microsoft CEO सत्य नडेला ने साफ किया था कि किस तरह लगभग सभी कोड का 20-30 फीसदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किया गया था. इस बीच हाल ही सामने आया था कि माइक्रोसॉफ्ट के कुछ सेक्शन में अब AI के इस्तेमाल को अनिवार्य बना दिया गया है और इसे सीधे तौर पर उस सेक्शन में काम करने वाले कर्मचारियों की परफॉर्मेंस समीक्षा से जोड़ा गया है.  साल-दर-साल तेज हो रही छंटनी दुनिया भर में माइक्रोसॉफ्ट के साथ करीब 2,28,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और छंटनी की बात करें, तो ये साल-दर-साल बढ़ती जा रही है. इस साल की बात करें, तो मई 2025 में, Microsoft ने लगभग 6,000 नौकरियों में कटौती की थी और जून में 300 कर्मचारी निकाले थे. इससे पहले जनवरी महीने में कंपनी ने अपने कर्मचारियों के 1% की प्रदर्शन-आधारित कटौती की घोषणा की थी. कंपनी में सबसे बड़ी छंटनी साल 2023 में देखने को मिली थी, जब 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था.  हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट में सबसे बड़ी छंटनी साल 2014 में की गई थी, जबकि कंपनी ने अपने ग्लोबल वर्कफोर्स में से 18000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था. ये छंटनी कंपनी द्लारा Nokia के डिवाइस और सर्विस बिजनेस के अधिग्रहण के बाद की थी.  क्या बोले माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता?  एएफपी की रिपोर्ट की मानें तो माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता की ओर से बताया गया है कि कंपनी में आवश्यक संगठनात्मक परिवर्तनों को लागू करना जारी है और इस तरह के कदम उसके नियमित कार्यबल मूल्यांकन का हिस्सा हैं. Microsoft प्रवक्ता के मुताबिक, सबसे अच्छे समय में भी, हमने व्यवसाय की रणनीतिक मांगों को पूरा करने के लिए अपने कार्यबल को नियमित रूप से समायोजित किया है. माइक्रोसॉफ्ट अकेली ऐसी कंपनी नहीं है जो इस तरह के फैसले ले रही है। अमेरिका में कई बड़ी कंपनियों ने आर्थिक अनिश्चितता और संचालन लागत में कटौती के चलते 2025 में छंटनियों का सिलसिला तेज किया है। कंपनियां अपनी संरचना को दुबारा व्यवस्थित कर अधिक कुशल बनने की कोशिश कर रही हैं। 

₹2 लाख की FD पर 2 साल में मिलेगा ₹2.29 लाख से ज्यादा, पोस्ट ऑफिस की स्कीम में जबरदस्त फायदा

नई दिल्ली  बाजार में भले ही बैंकों की एफडी (Fixed Deposit) पर ब्याज दरें घट रही हों, लेकिन पोस्ट ऑफिस की सेविंग स्कीम्स आज भी छोटे निवेशकों को स्थिर और भरोसेमंद रिटर्न दे रही हैं। खास बात ये है कि जहां बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद एफडी की ब्याज दरों में कमी कर दी है, वहीं पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट (TD) स्कीम पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। RBI ने रेपो रेट घटाया, लेकिन पोस्ट ऑफिस ब्याज दरों पर टस से मस नहीं इस साल फरवरी से जून तक RBI ने रेपो रेट में 1.00% तक की कटौती की है। इसका असर बैंकों की लोन और एफडी स्कीम्स पर साफ दिखा – लोन सस्ते हुए और FD पर ब्याज दरें गिरीं। मगर पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट स्कीम अभी भी वही आकर्षक रिटर्न दे रही है, जो पहले मिल रहा था। पोस्ट ऑफिस TD पर कितना ब्याज? पोस्ट ऑफिस TD स्कीम को आप बैंक की एफडी जैसा समझ सकते हैं, लेकिन एक बड़ा फर्क है – यहां ब्याज सरकारी गारंटी के साथ तय होता है और बाजार में उतार-चढ़ाव का इस पर असर नहीं होता। ब्याज दरें इस प्रकार हैं: – 1 साल की TD: 6.9% – 2 साल की TD: 7.0% – 3 साल की TD: 7.1% – 5 साल की TD: 7.5% वाइफ के नाम 2 लाख रुपये की TD करें, जानिए 2 साल में क्या मिलेगा? अगर आप अपनी पत्नी के नाम पर पोस्ट ऑफिस की 2 साल की टाइम डिपॉजिट स्कीम में ₹2,00,000 जमा करते हैं, तो मैच्योरिटी पर कुल ₹2,29,776 मिलेंगे। -इसमें ₹29,776 की कमाई सिर्फ ब्याज से होगी। -निवेश राशि: ₹2,00,000 -अवधि: 2 साल -ब्याज दर: 7.0% प्रति वर्ष (कंपाउंडिंग के साथ) -मैच्योरिटी अमाउंट: ₹2,29,776    क्यों बेहतर है पोस्ट ऑफिस TD? -फिक्स और गारंटीड रिटर्न -सरकारी योजना, मतलब जोखिम नहीं -किसी भी उम्र और वर्ग के निवेशकों को एक जैसा ब्याज -न्यूनतम ₹1000 से शुरू कर सकते हैं -कोई अधिकतम सीमा नहीं  

फुल चार्ज पर 142Km तक दौड़ेगा हीरो का सबसे सस्ता इलेक्ट्रिक स्कूटर

नई दिल्ली हीरो मोटोकॉर्प की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ब्रांड विडा ने अपना सबसे सस्ता इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने इसका नाम विडा VX2 रखा है। कंपनी के दावे के मुताबिक, ये फुल चार्ज पर 142 किलोमीटर तक दौड़ेगा। खास बात ये है कि इसे बैटरी रेंटल प्रोग्राम 'बैटरी एज ए स​र्विस' (BAAS) के साथ पेश किया है। इसकी शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत 99,490 रुपए है। वहीं, BAAS प्रोग्राम (बैटरी की कीमत शामिल नहीं) के साथ इसकी शुरुआती कीमत सिर्फ 59,490 रुपए है। ये इलेक्ट्रिक स्कूटर TVS आईक्यूब, बजाज चेतक, ओला S1 और एथर रिज्टा को टक्कर देगा। बैटरी एज ए स​र्विस (BAAS) एक बैटरी रेंटल प्रोग्राम है। इसकी शुरुआती सबसे पहले MG मोटर इंडिया ने विंडसर ईवी के साथ की थी। इसमें आपसे बैटरी के इस्तेमाल (प्रति किलोमीटर) के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं। कंपनी का कहना है कि VX2 को बैटरी रेंटल प्रोग्राम के साथ खरीदने पर आपको 96 पैसे/किलोमीटर चार्ज देना होगा। इसमें बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम हो जाता है तो, कंपनी इसे फ्री में बदलकर देगी। इसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। विडा VX2 के फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस इस स्कूटर के डिजाइन की बात करें तो ये मॉडर्न, प्रैक्टिकल और फैमिली-फ्रेंडली है, जो इसे सिटी राइडर्स और घरेलू इस्तेमाल के लिए परफेक्ट बनाता है। ई-स्कूटर EICMA-2024 में पेश किए गए विडा Z कॉन्सेप्ट का प्रोडक्शन वर्जन है। ये विडा V2 से मिलता-जुलता है। इसे 7 कलर ऑप्शन नेक्सस ब्लू, मैट वाइट, ऑरेंज, मैट लाइम, पर्ल ब्लैक और पर्ल रेड में खरीद पाएंगे है। मेटैलिक ग्रे और ऑरेंज सिर्फ प्लस वैरिएंट में ही मिलेंगे। इसमें दोनों तरफ 12-इंच के एलॉय व्हील दिए है। सेफ्टी के लिए इसमें डुअल टेलिस्कोपिक फोर्क्स और रियर में एडजस्टेबल सिंगल मोनोशॉक एब्जॉर्वर दिया गया है। ब्रेकिंग के लिए प्लस वैरिएंट के फ्रंट में डिस्क और रियर में ड्रम ब्रेक दिए गए हैं। गो वैरिएंट में दोनों ओर ड्रम ब्रेक मिलते हैं। प्लस वैरिएंट में सीट के नीचे 27.2-लीटर और गो में 33.2-लीटर का स्पेस मिलता है। इलेक्ट्रिक स्कूटर में LED हेडलैम्प, LED टेललाइट और LED DRLs इसे प्रीमियम लुक देते हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटर में परफॉर्मेंस के लिए परमानेंट मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर दी गई है, जो 6kWh की पावर और 25Nm का टॉर्क जनरेट करती है। प्लस वैरिएंट में 3 राइड मोड- इको, राइड और स्पोर्ट्स मिलते हैं। वहीं, गो में स्पोर्ट्स मोड नहीं है। ये सिर्फ 4.2 सेकेंड में 0 से 40kmph की स्पीड पकड़ सकता है। वहीं, प्लस में 3.1 सेकेंड लगते हैं। इसकी टॉप स्पीड 80kmph है। इलेक्ट्रिक स्कूटर की मोटर को पावर देने के लिए गो वैरिएंट में 2.2kWh का सिंगल रिमूवेबल बैटरी पैक दिया गया है, जिसे फुल चार्ज करने पर 92km की IDC रेंज मिलती है। कंपनी के अनुसार, रियल वर्ल्ड कंडीशन में इको मोड में 64km और राइड मोड में 48km की रेंज मिलेगी। प्लस वैरिएंट में 3.4kWh के दो रिमूवेबल बैटरी पैक दिए गए हैं, जिन्हें फुल चार्ज करने पर 142km की IDC रेंज मिलती है। फास्ट चार्जर से 0-100% चार्ज होने में 120 मिनट लगते हैं।  

देश का सबसे बड़ा बैंक 1 जुलाई को ही शुरू हुआ था, जानिए क्या था मकसद और अब कहां-कहां तक फैल गया

नईदिल्ली  आज 1 जुलाई है और ये दिन देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का फाउंडेशन-डे (SBI Foundation Day) भी है. जी हां, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना है और इसकी शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है. इसकी नींव उस समय पड़ी थी, जब देश में अंग्रेजों का शासन यानी ब्रिटिश रूल था और अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में शामिल होने के साथ ही फॉर्च्यून-500 कंपनियों में एक है. सबसे खास बात ये कि इसकी शुरुआत के समय इसका नाम एसबीआई नहीं बल्कि कुछ और था. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई?  कब पड़ी SBI की नींव?  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी पर गौर करें, तो SBI की नींव 19वीं शताब्दी के पहले दशक में पड़ी थी, लेकिन किसी और नाम से. तारीख थी 2 जून 1806 और इसी दिन कोलकाता (पहले कलकत्ता) में बैंक ऑफ कलकत्ता (Bank of Calcutta) अस्तित्व में आया था. उस समय देश में ब्रिटिश राज था. इसकी शुरुआत के करीब 3 साल बाद बैंक को अपना चार्टर प्राप्त हुआ और 2 जनवरी 1809 में इसका नाम बदलकर Bank of Bengal कर दिया गया. बदलाव का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा और इसका नाम आगे भी बदलता रहा.  ऐसे बना 'इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया' 1809 में 'बैंक ऑफ बंगाल' नाम मिलने के बाद देश में आगे के कुछ सालों में उस समय के हिसाब से बैंकिंग सेक्टर्स में तेजी आने लगी. ये तारीख थी 15 अप्रैल 1840, जब बंबई (अब मुंबई) में बैंक ऑफ बॉम्बे (Bank Of Bombay) की नींव पड़ी थी और इसके बाद तीन साल बाद 1 जुलाई 1843 को बैंक ऑफ मद्रास (Bank Of Madras) अस्तित्व में आया था. इतिहास को खंगालें, तो देश के इन तीनों ही बैंकों को दरअसल, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के फाइनेंशियल काम-काज की देखरेख के लिए खोला गया था. लेकिन इनमें प्राइवेट सेक्टर्स के लोगों की रकम भी जमा रहती थी. लंबे समय तक ये बैंक काम करते रहे और फिर 27 जनवरी 1921 में बैंक ऑफ मुंबई और बैंक ऑफ मद्रास का विलय बैंक ऑफ बंगाल में हो गया. इस बड़े मर्जर के बाद भारत में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) का उदय हुआ.  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी. वर्तमान में एसबीआई के पास देश में 22,000 से अधिक शाखाएं और 62,000 से ज्यादा ATM हैं इसकी स्थापना के पीछे मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों की बैंकिंग सेवाओं को दुरुस्त करना था गांवों में निजी बैंकों की पहुंच बहुत कम थी. हर साल 1 जुलाई को SBI अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अपने कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें कर्मचारी, ग्राहक और समुदाय हिस्सा लेते हैं. यह दिन बैंक की उपलब्धियों, ग्राहक सेवा और सामाजिक योगदान को सेलिब्रेट करने का अवसर होता है SBI की कहानी सिर्फ 1955 से शुरू नहीं होती है, औपनिवेशिक काल से शुरू होती है, जब 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना हुई, जो बाद में बैंक ऑफ बंगाल बन गया. इसके बाद, बैंक ऑफ बॉम्बे (1840) और बैंक ऑफ मद्रास (1843) की स्थापना हुई.  इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को 1921 में मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस की. साल 1955 में 1 जुलाई को इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसे भारतीय स्टेट बैंक के रूप में पुनर्गठित किया गया. यह कदम भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए उठाया गया था. आजादी के बाद ऐसे बना SBI गौरतलब है कि बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास, इन तीनों ही बैंकों को 1861 में करेंसी छापने और जारी करने का अधिकार मिल गया था और विलय के बाद भी इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के जरिए ये काम जारी रहा. फिर जब देश को आजादी मिली, तो ब्रिटिशों की गुलामी से निकलने के बाद भी Imperial Bank Of India का काम जारी रहा, बल्कि इसमें विस्तार भी होता नजर आया. साल 1955 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया को पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत अधिग्रहित किय और इसके नाम में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला. 30 अप्रैल 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) यानी एसबीआई (SBI) कर दिया गया. आरबीआई द्वारा नया नाम दिए जाने के बाद 1 जुलाई 1955 को आधिकारिक रूप से SBI की स्थापना की गई. इसी दिन एसबीआई में पहला बैंक अकाउंट भी खोला गया था. इसके तहत देश में संचालित इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के 480 ऑफिस SBI Office में बदल गए. इनमें ब्रांच ऑफिस, सब ब्रांच ऑफिस और तीन लोकल हेडक्वाटर मौजूद थे. इसके बाद से देश में बैंकिंग सेक्टर लगातार ग्रोथ करता चला गया. 1955 में बी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट को पारित किया गया था और अक्टूबर में एसबीआई के पहले सहयोगी बैंक के रूप में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद सामने आया. इसके बाद 10 सितंबर 1959 को THE STATE BANK OF INDIA (SUBSIDIARY BANKS) ACT, 1959 लाया गया.  https://indiaedgenews.com/sbis-balance-sheet-is-amazing-the-size-of-the-bank-is-more-than-the-gdp-of-175-countries/ आज Top-10 कंपनियों में SBI शामिल  आजादी से पहले हुई शुरुआत और आजादी के बाद मिले नाम के साथ एसबीआई का दायरा समय के साथ बढ़ता ही चला गया. साल 2017 में एसबीआई में स्‍टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्‍टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH) का विलय कर दिया गया. यह विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ. विलय के बाद SBI एक ग्लोबल बैंक के रूप में उभरा. इसकी ब्रांचों की संख्या 22,500 हो चुकी थी. आज मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Top-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल है और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन (SBI Market Cap) 7.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है.  SBI की स्थापना के पीछे उद्देश्य था देश के कोने-कोने में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना. … Read more

रूस से सस्ता कच्चा तेल मगाया तो पांच सौ फीसदी टैक्स, डोनाल्ड सीनेट में नया बिल लाने की तयारी में

नई दिल्ली  अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाले मुल्कों पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। रूस की यूक्रेन के खिलाफ जंग के तीन साल बाद भी कुछ देश, खासकर भारत और चीन, रूस से तेल खरीद रहे हैं। इसके बाद अब अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक बिल को पेश किया है। इसमें रूस से व्यापार करने वाले मुल्कों पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही गई है। इस बिल को खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन हासिल है। इस खबर ने भारत जैसे मुल्कों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, जो रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। आइए जानते हैं, ये बिल क्या है और भारत पर इसका क्या असर पड़ सकता है। रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम ने एबीसी न्यूज के साथ बातचीत में ये जानकारी दी है.  एबीसी न्यूज के अनुसार ग्राहम ने कहा, "यदि आप रूस से प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके द्वारा अमेरिका में आने वाले उत्पादों पर 500% टैरिफ लगेगा. भारत और चीन पुतिन के तेल का 70% खरीदते हैं. वे रूस के वॉर सिस्टम को चालू रखते हैं." माना जा रहा है कि इस विधेयक को अगस्त में पेश किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो इसे रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के अमेरिकी प्रयास में बड़ा स्टेप माना जाएगा. अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे भारत और चीन पर गंभीर असर पड़ सकता है. क्योंकि ये दोनों ही देश छूट वाले रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं. इस अमेरिकी कदम से भारत के लिए फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और आईटी सेवाओं जैसे निर्यात पर टैरिफ का भी जोखिम है. भारत रूसी तेल का एक प्रमुख खरीदार है. यूक्रेन पर आक्रमण के तीसरे वर्ष में भारत ने 49 बिलियन यूरो का कच्चा तेल आयात किया. परंपरागत रूप से भारत अपना तेल मध्य पूर्व से प्राप्त करता है, लेकिन फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया. अमेरिका द्वारा इस बिल की चर्चा तब हो रही है जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (Indo-US Trade deal) होने जा रहा है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने मंगलवार को कहा कि व्यापार समझौता "बहुत करीब" है. जबकि भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार चर्चा कर रहे हैं.  इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच कृषि संबंधी प्रमुख मांगों को लेकर ट्रेड डील वार्ता में गतिरोध आ गया था.  ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल द्वारा सह-प्रायोजित प्रस्तावित विधेयक को कथित तौर पर 84 दूसरे सीनेटर भी सपोर्ट कर रहे हैं.  आपके बिल को आगे बढ़ाने का समय आ गया है इस बिल का उद्देश्य दुनिया के देशों पर रूसी तेल की खरीद को रोकने, "मॉस्को की युद्ध अर्थव्यवस्था" को कमजोर करने और रूस को यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करने के लिए दबाव डालना है. ग्राहम ने एबीसी न्यूज को बताया कि जब वो कल ट्रंप के साथ गोल्फ खेल रहे थे तो उन्होंने इस बिल को हरी झंडी दे दी. लिंडसे ग्राहम ने कहा, "कल पहली बार उन्होंने कहा- अब आपके बिल को आगे बढ़ाने का समय आ गया है, तब मैं उनके साथ गोल्फ़ खेल रहा था." मूल रूप से इस बिल को मार्च में ही प्रस्तावित किया गया था. यानी कि इस बिल को तब ही आना था. लेकिन व्हाइट हाउस द्वारा विरोध के संकेत दिए जाने के बाद ये बिल अटक गया.  वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस बिल पर रिपोर्ट जारी कर कहा था कि तब ट्रंप ने इस बिल की भाषा में बदलाव करने के लिए चुपचाप दबाव डाला था. इसमें 'करेगा' (Shall) की जगह 'हो सकता है' (May) का इस्तेमाल करने को कहा गया था.  बाद में ग्राहम ने कथित तौर पर यूक्रेन का समर्थन करने वाले देशों के लिए एक अलग प्रस्ताव रखा, ताकि संभवतः अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों के बीच चिंता कम हो सके. ग्राहम ने कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रम्प को एक उपाय देने जा रहा है." अगर यह विधेयक कानून बन जाता है, तो इससे चीन और भारत दोनों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में व्यापक बदलाव आ सकता है. चूंकि अमेरिका भारत का मुख्य निर्यात बाजार है, इसलिए यह नीति बड़े पैमाने पर कूटनीतिक तनावों को भी जन्म दे सकती है. अमेरिका द्वारा भारत पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने से अमेरिकी बाजार में जाने वाले भारत के उत्पादों के दाम बेतहाशा बढ़ जाएंगे. इससे वहां भारतीय प्रोडक्ट की बिक्री कम हो सकती है. इस कदम का फर्मास्यूटिक्ल और ऑटोमोबिल इंडस्ट्री पर व्यापक असर पड़ सकता है. राहत लेकर आया है रूस का तेल रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल बेचा. रूस से कच्चे तेल के आयात ने भारत को आर्थिक, रणनीतिक और एनर्जी सिक्योरिटी के लिहाज से कई लाभ पहुंचाए हैं. सस्ते तेल ने आयात बिल को कम किया, रिफाइंड उत्पादों के निर्यात को बढ़ाया और वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित करने में मदद की. रूस के तेल की वजह से ही भारत मध्य पूर्व संकट, यूक्रेन वॉर के समय अपने देश कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर रख सका.  यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से 24 फरवरी 2022 से 2 मार्च 2025 तक भारत ने रूस से लगभग 112.5 अरब यूरो (लगभग 118 अरब डॉलर, 1 यूरो = 1.05 डॉलर के हिसाब से) मूल्य का कच्चा तेल आयात किया है. यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक रिपोर्ट के आधार पर है. रूस से कच्चे तेल की हिस्सेदारी युद्ध से पहले 1% से भी कम थी जो 2023-24 में बढ़कर 35-45% हो गई.  रूस का तेल भारत को सऊदी अरब और इराक जैसे देशों की तुलना में सस्ता मिला. इससे देश का आयात बिल कम हो गया. रूस से कच्चे तेल के आयात से भारत को 25 अरब डॉलर तक की आर्थिक बचत हुई.  CREA और अन्य स्रोतों के अनुसार भारत ने 2022-2025 के बीच रूसी तेल आयात पर 10.5 से 25 अरब डॉलर तक की बचत की.   

सेंसेक्स ओपन होने के साथ ही 200 अंकों से ज्यादा की छलांग लगा गया और 84000 के करीब पहुंच गया

मुंबई  सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार को शेयर बाजार (Stock Market) में कारोबार की शुरुआत तेजी के साथ हुई और दोनों इंडेक्स ग्रीन जोन में ओपन हुए. बॉम्बे स्टॉक एक्सचें का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) ओपन होने के साथ ही करीब 200 अंकों से ज्यादा की छलांग लगा गया और 84000 के करीब पहुंच गया, तो वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (Nifty) भी अपने पिछले बंद के मुकाबले बढ़त के साथ हरे निशान पर ओपन हुआ. शुरुआती कारोबार में Infosys और Tata Communication के शेयर जोरदार तेजी पकड़े हुए नजर आए.  सेंसेक्स-निफ्टी ने ऐसे की शुरुआत बीते कारोबारी दिन मंगलवार को शेयर बाजार की चाल शुरुआत से अंत तक सुस्त नजर आई थी, लेकिन बुधवार को बीएसई का सेंसेक्स (BSE Sensex) अपने पिछले बंद 83,697 के मुकाबले मामूली बढ़त लेकर 83,790 पर खुला, लेकिन मिनटों में ही ये 200 अंकों से ज्यादा चढ़कर 83,935 के लेवल पर ट्रेड करता नजर आने लगा. सेंसेक्स की तरह ही निफ्टी की भी चाल देखने को मिली और NSE Nifty ने अपने पिछले बंद 25,541.80 की तुलना में चढ़कर 25,588 पर कारोबार शुरू किया और फिर अचानक 25,608 तक उछल गया. चढ़ने और गिरने वाले शेयर मिले-जुले ग्लोबल संकेतों के बीच बाजार ने बढ़त के साथ शुरुआत की. मार्केट ओपन होते समय 229 शेयरों ने तेजी के साथ ओपनिंग की, जबकि करीब 100 कंपनियों के शेयर ऐसे थे, जो अपने पिछले बंद के मुकाबले गिरावट के साथ लाल निशान पर ओपन हुए. इसके अलावा 20 शेयरों की स्थिति में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला. शुरुआती कारोबार में Infosys, Hero MotoCorp, ICICI Bank, TCS और Grasim Industries सबसे ज्यादा चढ़ने वाले स्टॉक्स में आगे रहे. तो वहीं  IndusInd Bank, Asian Paints, Trent, Bharat Electronics और Nestle India के शेयर गिरावट के साथ ओपन हुए. ये 10 शेयर खुलते ही उछले बुधवार को सबसे तेज ओपनिंग करने वाले स्टॉक्स पर नजर डालें, तो टेक कंपनियां इस मामले में आगे रहीं. Infosys Share करीब 2 फीसदी उछलकर खुला, तो वहीं Tata Group की आईटी कंपनी TCS का शेयर भी 1 फीसदी के आस-पास चढ़ गया. बात मिडकैप कैटेगरी की करें, तो Tata Communication Share (2.20%), Escorts Share (2.10%), GMR Airports Share (1.90%) और IGL Share (1.70%) की तेजी लेकर ट्रेड कर रहा था. स्मॉलकैप कंपनियों पर नजर डालें, तो Gabriel Share (20%), Venus Pipes Share (7.39%), IRM Energy Share (7.25%) और Rites Share (7.06%) की तेजी लेकर कारोबार कर रहे था.  

जून में GST राजस्व में गिरावट दर्ज, पिछले महीने के मुकाबले घटा कलेक्शन

नई दिल्ली  बीते जून महीने में एक बार फिर ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन में उछाल आया। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन जून में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। एक साल पहले इसी महीने में यह 1,73,813 करोड़ रुपये था। हालांकि, मई 2025 में कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये के पार था। इस लिहाज से कलेक्शन में गिरावट आई है। क्या कहते हैं आंकड़े मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक घरेलू लेनदेन से ग्रॉस रेवेन्यू जून में 4.6 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से जीएसटी राजस्व 11.4 प्रतिशत बढ़कर 45,690 करोड़ रुपये रहा। ग्रॉस सेंट्रल जीएसटी यानी सीजीएसटी जून में 34,558 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी राजस्व 43,268 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी राजस्व करीब 93,280 लाख करोड़ रुपये रहा। इसी तरह, उपकर से राजस्व 13,491 करोड़ रुपये रहा। इस बीच, जून में कुल रिफंड 28.4 प्रतिशत बढ़कर 25,491 करोड़ रुपये हो गया। अप्रैल में बना था रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन पिछले महीने यानी मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा। इस वर्ष अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। कहने का मतलब है कि लगातार दो महीने तक कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा था। जीएसटी के 8 साल यह भी दिलचस्प है कि आज यानी एक जुलाई 2025 को जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे हो गए हैं। वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा है कि जीएसटी लागू होने के पहले वर्ष (नौ महीने) में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 7.40 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस कलेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि है। सालाना जीएसटी राजस्व लगभग तीन गुना हो गया है। यह वित्त वर्ष 2017-18 के सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।  

SBI की ताकत बढ़ी, बैलेंस शीट ने पीछे छोड़े 175 देश, जानें कितना पहुंचा आंकड़ा

नई दिल्ली देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में उसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 1.1 प्रतिशत और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 16 प्रतिशत योगदान है। साथ ही, बैंक ने बताया कि सभी सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के कार्यान्वयन में अब बैंक की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है। बैंक ने बताया कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) में एसबीआई ने 15 करोड़ खाते खोले हैं, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत 14.6 करोड़ लोगों का पंजीकरण किया है। वहीं, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत 6.7 करोड़ और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में 1.73 करोड़ लोगों को नामांकित किया है। एसबीआई के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में बैंक का सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लाभ में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। वहीं, कॉर्पोरेट आयकर (वित्त वर्ष 2026) में 2.53 प्रतिशत का योगदान था। बैंक ने कहा कि अगर एसबीआई देश होता तो 52 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों के साथ अमेरिका की आबादी से भी बड़ा और पृथ्वी पर तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होता। वहीं, एसबीआई की बैलेंस शीट का आकार 175 देशों की जीडीपी से भी अधिक है। देश के सबसे बड़े वित्तीय संस्थान की बैलेंस शीट अपने संचालन के 70वें वर्ष में 66 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। बैंक के अनुसार, एसबीआई योनो ऐप पर ग्राहकों के पंजीकरण की संख्या 8.8 करोड़ तक पहुंच गई है और यह संख्या बढ़ती जा रही है। एसबीआई के 70 साल पूरा होने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक को बधाई देते हुए कहा, "23,000 से अधिक ब्रांच, 78,000 कस्टमर सर्विस पॉइंट्स (सीएसपी) और 64,000 एटीएम के साथ आज एसबीआई की स्थिति बहुत अच्छी है और यह वास्तव में हर भारतीय का बैंक है।" वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में बैंक द्वारा डिजिटल परिवर्तन ग्राहकों के लिए बेहद फायदेमंद रहा है। बैंक ने 1.5 करोड़ किसानों, महिलाओं द्वारा संचालित 1.3 करोड़ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), पीएम स्वनिधि योजना के तहत 32 लाख स्ट्रीट वेंडर्स, 23 लाख एमएसएमई और विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों कारीगरों को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैंक के पास 15 करोड़ से अधिक जन धन खाते, 14.65 करोड़ पीएम सुरक्षा बीमा योजना, 1.73 करोड़ अटल पेंशन योजना और 7 करोड़ पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना के लाभार्थी हैं।"

हर हफ्ते 70 घंटे काम की बहस के बीच इंफोसिस का ऐलान, जानें क्या है नए आदेश में

बेंगलुरु एक तरफ नारायण मूर्ति हफ्ते में 70 घंटे काम की वकालत कर रहे हैं। दूसरी तरफ उनकी कंपनी इंफोसिस इसके ठीक उलट काम कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक टेक कंपनी ने एक आंतरिक अभियान शुरू किया गया है। इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं कोई कर्मचारी तय घंटों से ज्यादा काम तो नहीं कर रहा है। इंफोसिस के कर्मचारियों से लगातार कहा जा रहा है कि वह वर्क फ्रॉम होम के दौरान भी तय समय से ज्यादा काम न करें। इसको लेकर कर्मचारियों को निजी तौर पर ई-मेल भी भेजा जा रहा है। बता दें कि नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम के बयान को लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर में बहस शुरू हो गई थी। लगाया गया है नया मॉनिटरिंग सिस्टम जानकारी के मुताबिक इंफोसिस ने एक नया मॉनिटिरिंग सिस्टम भी लगाया है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक इससे वर्क फ्रॉम होम के दौरान काम के घंटों की निगरानी की जा रही है। इंफोसिस कर्मचारियों को हफ्ते के पांच दिन, नौ घंटे 15 मिनट काम करना होता है। यह टाइम लिमिट पार होते ही यह सिस्टम अलर्ट का मैसेज भेजेगा। रिपोर्ट में एक इंफोसिस कर्मचारी ने कहाकि हमारे लिए हफ्ते में पांच दिन सवा नौ घंटे काम अनिवार्य है। अगर हम इस टाइम लिमिट को क्रॉस करते हैं तो फिर हमारे पास मैसेज आ जाएगा। तय समय से ज्यादा काम तो आएगा अलर्ट इंफोसिस के एचआर डिपार्टमेंट द्वारा भेजे गए ईमेल में यह भी लिखा है कि कर्मचारियों को हर महीने औसतन कितने घंटे काम करना है। इसमें बताया गया है कि अगर वह इस तय लिमिट को पार करते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है। हाइब्रिड काम के मॉडल को लागू करने के दौरान यह सिस्टम लाया गया था। नए प्रोटोकॉल के तहत इंफोसिस की एचआर टीम हर कर्मचारी के रिमोट वर्किंग ऑवर्स को हर घंटे जांचेगी। अगर कर्मचारी इस समय सीमा को पार करता पाया जाता है तो कर्मचारी को इस बारे में रिपोर्ट दी जाएगी। हेल्दी वर्क-लाइफ बैलेंस करने पर जोर एचआर की तरफ से जारी ई-मेल में कर्मचारियों को हेल्दी वर्क-लाइफ बैलेंस मेंटेन करने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि वह अपने पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ पर ध्यान दें। यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब टेक प्रोफेशनल्स के सामने हेल्थ चैलेंजेज आ रहे हैं। इसमें हेक्टिक वर्क शिड्यूल, खराब डायट और पर्याप्त आराम न मिलने से कार्डियक अरेस्ट के मामले हैं।

गुड न्यूज! लगातार चौथी बार घटी LPG गैस सिलेंडर की कीमत, आपके शहर में अब कितने में मिलेगा सिलेंडर

मुंबई  कोलकाता में अब कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत अब 1826 रुपये से घटकर 1767.50 रुपये हो गई। वहीं, मुंबई में नई कीमत 1674.50 से घटकर 1616 रुपये हो गई। जबकि चेन्नई में कमर्शियल सिलेंडर की कीमत 1881 रुपये से घटकर 1822.50 रुपये हो गई। बता दें कि इससे पहले पिछले महीने जून में भी कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में 24 रुपये की कटौती की गई थी। जून में राजधानी दिल्ली में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1723.50 रुपये में उपलब्ध था, जबकि मई में इसी की कीमत 1747.50 रुपये थी। वहीं, इससे पहले अप्रैल में 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत घटाकर ₹1,762 कर दी गई थी। फरवरी में भी कीमतों में ₹7 की कटौती की गई थी। लेकिन बीते मार्च 2025 में कीमतों में फिर से ₹6 की बढ़ोतरी की गई थी। बता दें कि कमर्शियल सिलेंडर के सस्ता होने से होटल, रेस्टोरेंट एवं अन्य कारोबारियों को राहत मिल गई है। साथ ही उन लोगों को राहत मिली है जिनका व्यवसाय कमर्शियल सिलेंडर पर ज्यादा निर्भर है। लगातार चौथे महीने सस्ता हुआ सिलेंडर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने जुलाई की पहली तारीख को कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में 58 रुपये की कटौती की है। यह एलपीजी सिलेंडर लगातार चौथे महीने सस्ता हुआ है। इससे पहले भी तेल कंपनियों ने इस सिलेंडर के दाम घटाए है। अब इतने रुपये में मिलेगा कमर्शियल सिलेंडर आईओसीएल के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई के पहले दिन दिल्ली में कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत में 58.5 रुपये की कटौती की है। जबकि कोलकाता में 57 रुपये, मुंबई में 58 रुपये और चेन्नई में 57.5 रुपये कमर्शियल गैस सिलेंडर सस्ता हुआ है। नए कितने लागू होने के बाद चारों महानगरों में कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम क्रमश: 1665 रुपये, 1769 रुपये, 1616.50 रुपये और 1823.50 रुपये प्रति गैस सिलेंडर हो गए हैं। घरेलू LPG की कीमतों में कोई बदलाव नहीं घरेलू गैस सिलेंडर की बात करें तो तेल कंपनियों ने इसकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली बार आठ अप्रैल को घरेलू गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा हुआ था। इस प्रकार बीते तीन महीनों से घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतें स्थिर है। वर्तमान में दिल्ली में घरेलू एलपीजी 853 रुपये बिक रहा है। वहीं, कोलकाता में इसकी कीमत 879 रुपये है। मुंबई में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 852.50 रुपये है। जबकि चेन्नई में घरेलू गैस सिलेंडर 868.50 रुपये ​में मिल रहा है। आपको बता दें कि तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव करती है। इसके साथ ही क्रूड ऑयल की इंटरनेशनल कीमतों, भारतीय करेंसी रुपयेे की स्थिति के अलावा अन्य बाजार स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसकी कीमत तय करती है।