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कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की तैयारी: हरियाणा के बाद दो और राज्यों पर नजर

हरियाणा हरियाणा प्रदेश में अध्यक्ष बदलने के बाद कांग्रेस पार्टी अब दो और राज्यों, राजस्थान और गोवा में प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव कर सकती है और इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के नेतृत्व को अवसर मिल सकता है। पार्टी ने हाल ही में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान वरिष्ठ नेता राव नरेंद्र सिंह को सौंपी है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया है। अब पार्टी राजस्थान और गोवा के नए प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्तियों पर गहराई से विचार कर रही है। राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों पर चर्चा हो रही है उसमें छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी प्रभारी महासचिव सचिन पायलट, मध्य प्रदेश के प्रभारी हरीश चौधरी और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके और हिंडोली से पार्टी विधायक अशोक चांदना का नाम शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो पायलट इस रेस में अभी सबसे आगे हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले पायलट पहले भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गोवा में गिरीश चोडणकर को पार्टी अपना नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। चोडणकर अभी पार्टी के तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रभारी हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले चोडणकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। उल्लेखनीय हैं कांग्रेस पार्टी अपने संगठन में लगातार बदलाव कर रही है। राज्यों के चुनाव को देखते हुए नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में संगठन सृजन अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें प्रदेशों में नए जिला अध्यक्ष नियुक्त किए जा रहे हैं। हरियाणा में चुनाव के एक साल बाद नियुक्तियां हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के करीब एक साल बाद ये नियुक्तियां की गई हैं। पिछले साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 90-सदस्यीय विधानसभा में 48 सीट के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही तो कांग्रेस को 37 सीट मिलीं। कांग्रेस ने इन नियुक्तियों के माध्यम से जाट और ओबीसी गठजोड़ को भी लक्ष्य बनाया है। राव नरेंद्र सिंह ने उदय भान का स्थान लिया है। अहीर जाति से ताल्लुक रखने वाले राव नरेंद्र सिंह तीन बार विधायक और हुड्डा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। विधायक दल का नेता होने के चलते हुड्डा राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। पिछली विधानसभा में भी उन्होंने यह भूमिका निभाई थी। हरियाणा की राजनीति में दिग्गज जाट नेता की हैसियत रखने वाले हुड्डा दो बार मुख्यमंत्री, चार बार नेता प्रतिपक्ष, चार बार सांसद और छह बार विधायक रहे हैं। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। हरियाणा में करीब दो दशक बाद किसी गैर-दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले भजन लाल वैसे प्रदेश अध्यक्ष थे, जो गैर-दलित थे। उन्हें 2006 में इस भूमिका से मुक्त कर दिया गया था। भजन लाल के बाद फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और उदय भान अध्यक्ष रहे, जो सभी दलित हैं।

दिग्विजय बोले- NSA एक्शन आपत्तिजनक, पूरी कांग्रेस पार्टी सोनम वांगचुक के साथ खड़ी

भोपाल  MP के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की कड़ी निंदा की है. सिंह ने इसे बेहद आपत्तिजनक बताया और कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी वांगचुक के साथ खड़ी है. 24 सितंबर को लद्दाख के लेह में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा आहूत बंद के दौरान लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांगों पर केंद्र के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई. इस घटना में 40 पुलिसकर्मियों सहित 80 अन्य लोग घायल हुए. इसी हिंसा के बाद वांगचुक को गिरफ्तार किया गया था. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने हिंदी में X पर एक पोस्ट में कहा, "सोनम वांगचुक जी के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करना बेहद आपत्तिजनक है. हम इसकी निंदा करते हैं. पूरी कांग्रेस पार्टी सोनम वांगचुक जी के साथ खड़ी है." सोनम  वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था और वह वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर की एक जेल में बंद हैं.

गठबंधन की सियासत में कांग्रेस की चाल बदलती, विवादित बिल पर अचानक बदला रुख

नई दिल्ली बिहार चुनाव से पहले विपक्षी एकता बनाने की कोशिश और इंडिया गठबंधन की एकजुटता का संदेश देने की कोशिशों के तहत मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपने पुराने रुख में बदलाव किया है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के अंदर सभी साथी दलों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश में पीएम-सीएम को हटाने संबंधी 130वें संविधान संसशोधन बिल समेत कुल तीन विधेयकों पर बनी संयुक्त संसदीय समिति का बहिषाकार करने का फैसला किया है। यह वही बिल है, जिसमें प्रावधान किया गया है कि 30 दिनों की जेल की सज़ा काट रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को स्वतः बर्खास्त कर दिया जाएगा। हालाँकि, कांग्रेस का यह फैसला तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप और शिवसेना द्वारा जेपीसी के बहिष्कार की घोषणा के बाद आया है। दरअसल, कांग्रेस भ्रष्टाचार का ठप्पा लगाए जाने के डर से अब तक जेपीसी से बाहर रहने के फैसले से हिचकिचा रही थी। कांग्रेस के अलावा दूसरे प्रमुख विपक्षी दलों यानी डीएमके, एनसीपी और वाम दलों की भी JPC में भागीदारी भी संदिग्ध है। इससे इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि अब पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट हो गया है और जेपीसी का बहिष्कार करने जा रहा है। बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को संसद में पेश किया था, जिसे बाद में सदन ने संयुक्त संसदीय समिति को जांच के लिए भेज दिया था। कांग्रेस का क्या तर्क था? कांग्रेस सूत्रों के हवाले से TOI की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी ने जेपीसी से दूर रहने का औपचारिक फैसला ले लिया है और जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष को इस बारे में सूचित किया जाएगा। पहले कांग्रेस इस तर्क के साथ जेपीसी में शामिल होने को तैयार हुई थी कि सरकार को इस समिति में मनमानी करने की पूरी छूट नहीं दी जा सकती लेकिन इस विचार पर विपक्षी एकता भारी पड़ी और अब कांग्रेस ने उन चारों दलों का साथ देने का फैसला किया, जो पहले ही दिन से JPC का बहिष्कार कर रहे थे। केसी वेणुगोपाल ने दिए थे संकेत कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इससे पहले इस बात के संकेत दिए थे कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथी दलों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी और मिलकर ही सामूहिक फैसला लेगी। बता दें कि जब 30 अगस्त को लोकसभा में यह बिल पेश किया गया था, तब विपक्षी दलों ने सदन में खूब हंगामा मचाया था। बड़ी बात यह भी है कि तीनों विधेयकों को जेपीसी को सौंपे जाने के फैसले की घोषणा के लगभग एक महीने बाद भी लोकसभा अध्यक्ष जेपीसी की घोषणा नहीं कर पाए हैं।

जितनराम मांझी ने किया बड़ा राजनीतिक कदम, गिरिराज सिंह को दिया समर्थन, मची हलचल

पटना आई लव मोहम्मद स्लोगन और पोस्टरबाजी पर बिहार में सियासी घमासान जारी है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह(Giriraj Singh) के साथ हम प्रमुख जीतनराम मांझी(Jitan Ram Manjhi) खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पोस्टर से सांप्रदायकिता की बू आ रही है। मांझी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बीजेपी को खुश करने के लिए मांझी ऐसी बात बोल रहे हैं ताकि कुछ ज्यादा सीट मिल जाए। यूपी से चली आई लव मोहम्मद  की हवा बिहार में भी जोर पकड़ रही है। ओवैसी के बयान पर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने जवाब दिया तो तपिश और बढ़ गई है।अब जीतनराम मांझी भी गिरिराज सिंह के साथ खड़े दिख रहे हैं। गयाजी में पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कहा कि यह ठीक नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि आई लव मोहम्मद की बात कही जा रही है उसमें कहीं न कहीं सांप्रदायिकता है। इसी के चलते विरोध हो रहा है। पूजा करना सबका अधिकार है। सांप्रदायिकता फैलाना गलत बात है। धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए ऐसा किया जा रहा है तो इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह गलत नहीं कह रहे हैं। कोई आई लव मोहम्मद की बात करता है तो गिरिराज भी लव महादेव कहकर गलत नहीं करते हैं। इससे उनको जवाब मिलता है। इससे भी वे लोग सीख लें कि आई लव मोहम्मद कहकर संसार में प्रचारित नहीं करना चाहिए। धर्म धारण करने की चीज है। कुछ लोग प्रचार करके उन्माद फैलाना चाहते हैं। उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई का जिक्र किया। कहा, "विनय न माने जलधि जब गए तीन तीन बीत, बोले राम सकोप तब भय बिनु होई ना प्रीत। तो उनलोगों को भय तो देना होगा। गिरिराज सिंह उन्हीं के लहजे में बात करते हैं तो कोई गलत नहीं बोलते।" मांझी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तंज कसते हुए कहा है कि बीजेपी को खुश करने के लिए मांझी जी ऐसा बोल रहे हैं। स्पष्ट कर चुके हैं कि उन्हें पार्टी की मान्यता के लिए अधिक सीट चाहिए। लोजपा, जदयू और बीजेपी नेताओं ने मांझी के बयान का सपोर्ट का किया है।  

क्या सच में कांग्रेस की वजह से बनी ‘आप’? सांसद संजय सिंह ने बताई पूरी कहानी

नई दिल्ली साल 2011 में लोकपाल जनआंदोलन हुआ। आंदोलन से निकलकर आम आदमी पार्टी का गठन हुआ। आंदोलन का केंद्रीय चेहरा रहे अन्ना हजारे नई गठित पार्टी से ओझल हो गए। सांसद संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी बातचीत के दौरान आप के राजनीतिक दल बनने की एक वजह कांग्रेस को भी बताया। उन्होंने अन्ना हजारे द्वारा पार्टी न ज्वाइन करने और इसे एक राजनीतिक दल न बनाने की सलाह पर भी अपनी बात रखी। जानिए संजय सिंह के मुताबिक कांग्रेस की किस खामी के कारण आप का गठन हुआ? संजय सिंह ने आप के गठन की क्या वजह बताई? संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी कहानी को बताते हुए कहा- “पार्टी का गठन करना उस वक्त की जरूरत हो गई थी। अगर उस समय की कांग्रेस सरकार लोकपाल कानून पास कर देती तो शायद ये जरूरत ही नहीं पड़ती। और फिर कोई बहाना भी नहीं था कि आप इंडिया अगेंस्ट करप्शन को किसी राजनीतिक पार्टी में तब्दील कर दें।” कांग्रेस ने मिस हैंडल किया, इसलिए आप बनी राजनीतिक पार्टी भारत समाचार से बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा- “अगर उस समय की कांग्रेस सरकार इस आंदोलन को ठीक से हैंडल करती तो शायद हम लोगों को राजनीतिक पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोकपाल कानून पास कर देते तो सब लोग अपने-अपने काम में लग जाते। कोई संस्था चला रहा था, कोई कुछ और काम कर रहा था।” आगे बातचीत के दौरान कहा- "कांग्रेस ने मिस हैंडल किया। उन्होंने वादा करके बिल पास नहीं किया। इसी कारण आम आदमी पार्टी एक राजनीतिक पार्टी बनी"। अन्ना द्वारा आप न ज्वाइन करने पर संजय सिंह अन्ना हजारे द्वारा आम आदमी पार्टी में शामिल न होने वाले सवाल पर संजय सिंह ने बताया- "डेमोक्रेसी के अंदर हर व्यक्ति का निर्णय लेने का तरीका होता है, जिसका सम्मान करना चाहिए। अन्ना जी ने जो फैसला लिया उसका हम सम्मान करते हैं।" लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बनाते अन्ना हजारे पर बोलते हुए कहा, “अगर अन्ना जी ने शायद उस समय चुनावी राजनीति में आने का निर्णय लिया होता, तो परिणाम कुछ और होते। जिस तरह से लोगों का उनके प्रति उल्लास, उत्साह और जुनून था; हो सकता है लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बना देते।” संजय सिंह ने ये भी दावा किया- “मुझे लगता है कि उनसे राजनीतिक पार्टी बनाने की सहमति पहले ली गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने जो भी निर्णय लिया, हम उसका सम्मान करते हैं।”

हिमंत बिस्वा सरमा के घर में BJP को लगा बड़ा झटका, 10 साल का रिकॉर्ड टूट गया!

नई दिल्ली  BTC यानी बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ाने वाले हो सकते हैं। चुनाव में NDA के ही दल बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने आधे से ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा के दबदबे को चुनौती दी है। हालांकि, भाजपा इसे एनडीए की जीत के रूप में ही देख रही है, लेकिन एक ओर जहां BTC में पार्टी की सीटों की संख्या घटी है। वहीं, बीते करीब एक दशक से चला आ रहा विजय रथ भी थम गया है। क्यों अहम थे चुनाव दरअसल, बीटीसी चुनावों को साल 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसके अलावा खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा चुनावों में आक्रामक प्रचार अभियान चलाते नजर आए थे। चुनाव से पहले ही सीएम सरमा ने बीपीएफ के साथ गठबंधन का विकल्प खुला रखा था। कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा विरोधी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। सरमा ने कहा, मैं हाग्रामा मोहिलरी और बीपीएफ को बीटीसी चुनावों में जीत की बधाई देता हूं। बीपीएफ भी एनडीए का हिस्सा है और अब बीटीसी की सभी 40 सीटें एनडीए घटकों के पास हैं। हाग्रामा मोहिलरी मुझसे सुबह मिलने आए थे और वह एनडीए के साथ ही रहेंगे। गठबंधन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है और हम साथ मिलकर काम जारी रखेंगे। साल 2016 से अब तक विधानसभा, लोकसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा को जमकर सफलता मिली थी, लेकिन बीटीसी चुनाव ने भाजपा की सीटों का ग्राफ नीचे गिरा दिया है। क्या रहे नतीजे हाग्रामा मोहिलरी के नेतृत्व वाले BPF ने 40 में से 28 सीट पर जीत दर्ज की। UPPL यानी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल को 7 और भाजपा को 5 सीटें मिलीं। खास बात है कि पिछले चुनाव में UPPL को 12 और भाजपा को 9 पर जीत मिली थी। बीपीएफ 2020 के चुनावों में 17 सीट पर जीत दर्ज करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन यूपीपीएल ने भाजपा और गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) के साथ मिलकर परिषद का गठन किया था। कौन हैं हाग्रामा मोहिलरी बीपीएफ प्रमुख मोहिलरी पूर्व विद्रोही नेता हैं। वह विद्रोही समूह बोडोलैंड लिबरेशन टाइगर के चीफ थे। हालांकि, साल 2003 में बोडो समझौते के बाद बीटीसी की स्थापना हुई थी और तब उन्होंने राजनीति में एंट्री ली थी। साल 2003 में हथियार छोड़ने के बाद उन्होंने 2005 में बीपीएफ की स्थापना की। वह बीटीसी के पहले CEM यानी चीफ एग्जिक्यूटिव मेंबर भी बने थे। साल 2005 और 2020 के बीच उन्होंने पद पर तीन कार्यकाल पूरे किए। 2010 और 2016 विधानसभा चुनाव बीपीएफ के लिए अच्छे साबित हुए। हालांकि, साल 2020 में नेताओं के टूटकर भाजपा और UPPL में शामिल होने के चलते उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी थी। मोहिलरी ने कहा कि बीपीएफ किसी भी पार्टी, चाहे वह यूपीपीएल हो या भाजपा के समर्थन को अस्वीकार नहीं करेगा, अगर वे आगे आते हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने सुना है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम राजग के सहयोगी के रूप में साथ मिलकर काम करेंगे। हम इसका स्वागत करते हैं।' दावा पेश किया बीपीएफ ने रविवार को असम में अगली BTC के गठन का दावा पेश किया। मोहिलरी के नेतृत्व में बीपीएफ के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों ने राजभवन में राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से मुलाकात की थी। मोहिलरी को शनिवार को पार्टी की नीति-निर्धारक संस्था द्वारा सर्वसम्मति से अगली परिषद का अध्यक्ष चुना गया।  

प्रशांत किशोर ने दी चेतावनी, सरकार पर दबाव: सम्राट चौधरी को मर्डर केस में तुरंत गिरफ्तार किया जाए

पटना  जन सुराज पार्टी के सुप्रीमो प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बड़े नेता सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम पद से बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की मांग की है। प्रशांत किशोर ने 1995 में तारापुर में छह लोगों की सामूहिक हत्या के केस में अभियुक्त रहे सम्राट चौधरी पर गलत उम्र का दस्तावेज देकर कोर्ट से राहत लेने का आरोप लगाया है। प्रशांत ने कहा कि सम्राट ने 1995 में अपनी उम्र 14-15 साल दिखाने और बतौर नाबालिग राहत पाने के लिए बिहार बोर्ड की परीक्षा का प्रवेश पत्र कोर्ट को दिया था। प्रशांत ने बताया कि सम्राट ने 2020 के चुनाव में जो शपथ पत्र दिया है, उसके मुताबिक वो 51 साल के थे और इस हिसाब से 1995 में 26 साल उम्र बनती है, इसलिए उन्हें बर्खास्त करके जेल भेजना चाहिए। प्रशांत किशोर ने पटना में सोमवार को पत्रकार सम्मेलन बुलाकर सम्राट चौधरी पर ताजा हमला बोला है। उन्होंने पहले भी सम्राट पर इसी मर्डर केस को लेकर आरोप लगाए थे। सम्राट ने अपने जवाब में कहा था कि उनकी उम्र और नाम को लेकर विवाद पहले से सार्वजनिक है। प्रशांत के ताजा हमले पर सम्राट ने तंज में कहा कि पीके खोजी पत्रकार बन गए हैं। प्रशांत ने सोमवार को पटना में कहा कि वो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि सम्राट को हत्या के आरोप में तुरंत पद से बर्खास्त करके अरेस्ट किया जाए। प्रशांत किशोर ने कहा- “तारापुर में 1995 में छह लोगों की जो हत्या हुई, सातों कुशवाहा समाज के थे।… छह लोगों की हत्या के अभियुक्त हैं, आरोप नहीं है, अभियुक्त हैं, राकेश कुमार उर्फ सम्राट कुमार मौर्य उर्फ सम्राट चौधरी। तारापुर केस नंबर 44/1995। 24 अप्रैल 1995 को इन लोगों ने सीजेएम कोर्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) का प्रवेश पत्र जमा किया। एडमिट कार्ड में नाम- सम्राट चंद्र मौर्य। पिता का नाम- शकुनी चौधरी। जन्मतिथि- 1 मई 1981। रिजल्ट- फेल। नंबर आया 268। कैटेगरी प्राइवेट है।” प्रशांत ने कहा- “ये सुप्रीम कोर्ट का दस्तावेज है, जो सम्राट चौधरी ने जमा किया है। जिसमें यह बताया है कि उनका जन्म वर्ष 1981 है, उसके हिसाब से सीजीएम कोर्ट ने उनको 15 साल उम्र का नाबालिग मानकर राहत दिया। इनको जेल से निकाला गया। कानूनन 18 साल से कम उम्र के बच्चे को जेल में नहीं रखा जा सकता। यह बात तो सब जानते हैं। लेकिन आज क्यों कह रहा हूं कि उनको गिरफ्तार करना चाहिए।” 1995 में सम्राट चौधरी के उम्र पर सवाल खड़ा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा- “2020 का, जो सम्राट चौधरी ने चुनाव घोषणा पत्र दिया है, इसमें अपना उम्र बताया है 51 साल। इसका मतलब 2020 में उससे 25 साल कम करने पर उनकी उम्र 26 साल बनती है। 26 साल के आदमी को कोर्ट ने गलती से, गलत प्रमाण पत्र के आधार नाबालिग होने के नाम पर अभियुक्त रहते जेल से बरी कर दिया गया था कि ये 15 साल के हैं। इनका अपना दस्तावेज बता रहा है कि ये उस समय 26 साल के थे। 26 साल के आदमी पर अगर 6 लोगों की हत्या का आरोप है तो जब तक कोर्ट से बरी नहीं होते, तब तक उनको जेल में होना चाहिए। और ये आदमी यहां का डिप्टी सीएम बनकर बैठा हुआ है।” प्रशांत किशोर ने कहा कि हत्या के आरोपी सम्राट चौधरी संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं। ये देश के संविधान का अपमान है। जिस आदमी को जेल में होना चाहिए, वो यहां का उपमुख्यमंत्री बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्रवाई नहीं करेंगे तो जन सुराज पार्टी राज्यपाल के पास जाएगी और सम्राट की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग करेगी। प्रशांत ने कहा कि वो सम्राट के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखेंगे। उन्होंने कहा कि ऐक्शन नहीं होता है तो जन सुराज पार्टी इस केस को लेकर अदालत भी जाएगी।  

जानिए कैसे प्रशांत किशोर ने 3 साल में कमाए 241 करोड़ और चंदा में दिए 98 करोड़

पटना  जन सुराज पार्टी के सुप्रीमो प्रशांत किशोर ने तीन साल में अपनी खुद की कमाई और जन सुराज पार्टी को मिल रहे पैसे के स्रोत का हिसाब दिया है। पीके के निशाने पर रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने प्रशांत और जन सुराज पार्टी के पैसे के स्रोत पर सवाल उठाया था। प्रशांत किशोर ने कहा कि सलाह देने के काम से पिछले तीन साल में उन्होंने 241 करोड़ रुपये कमाए। प्रशांत किशोर ने कहा कि अपनी कमाई से 98 करोड़ रुपए उन्होंने खुद के बैंक खाते से जन सुराज पार्टी को दान में दिया है। प्रशांत किशोर ने पटना में सोमवार को डिप्टी सीएम व भाजपा नेता सम्राट चौधरी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता अशोक चौधरी पर आरोप लगाने के लिए पत्रकार सम्मेलन बुला रखा था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं पर बोलने से पहले प्रशांत ने कहा कि कुछ छुटभैया नेताओं ने उनकी और जन सुराज पार्टी की आय के स्रोत पर सवाल उठाया है, इसलिए वो सबसे पहले बिहार की जनता को उसका जवाब देंगे। प्रशांत किशोर ने तंज भरे लहजे में कहा कि जिस तरह सावन के अंधे को सब चीज हरा दिखता है, उसी तरह बिहार के चोर नेताओं को सब चोर ही दिखता है। प्रशांत किशोर ने कहा- “पैसा सरस्वती से आता है। पैसा उन लोगों से आता है, जिनकी मदद की है। किसी बालू माफिया, भ्रष्ट आदमी से मदद ना लेनी लड़े, इसके लिए जन सुराज पार्टी के पास साधन होना चाहिए। हमको पैसा दो जगह से मिलता है। एक जिसको हम सलाह देते हैं। आदमी हो या कंपनी, जिसने भी हमसे सलाह लिया, उससे फीस लिए। 2021-22 से पिछले तीन साल में मेरे खाते या मुझसे जुड़े लोगों के खातों में 241 करोड़ रुपया फीस के तौर पर आया है। इस पर हमने 30.95 करोड़ जीएसटी जमा किया है। 20 करोड़ इनकम टैक्स दिया। 98.75 करोड़ रुपये जन सुराज पार्टी को दान दिया है, अपने पर्सनल खाते से”।  

MP में कांग्रेस की नई रणनीति, कार्यकारिणी में फेरबदल की तैयारी, होगी पदाधिकारियों की छंटनी

जबलपुर  मध्यप्रदेश में कांग्रेस अब संगठन को नई मजबूती देने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी जबलपुर से अपने कलेवर को बदलने जा रही है। सबसे बड़ा बदलाव कार्यकारिणी को लेकर होगा। माना जा रहा है कि नए चेहरे लाकर पार्टी कार्यकर्ताओं को ऊर्जा देने की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस में बड़े फेरबदल की आहट सुनाई देने लगी है। सूत्रों के मुताबिक जिला कार्यकारिणी में व्यापक बदलाव की तैयारी चल रही है। पार्टी का मानना है कि नई टीम के जरिए संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत किया जा सकेगा। प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी लगातार जिलों का दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रहे हैं। इसी आधार पर जल्द ही कार्यकारिणी में बदलाव की घोषणा हो सकती है। माना जा रहा है कि युवा और जमीनी कार्यकर्ताओं को अधिक मौका मिलेगा। वहीं लंबे समय से निष्क्रिय नेताओं की छुट्टी भी हो सकती है। अभी तक जिला कार्यकारिणी ‘जम्बो’ आकार की होती थी। इसमें 300 से ज्यादा पदाधिकारी और सदस्य होते थे लेकिन अब इसमें संख्या को कम करके  अधिकतम 75 तक रखने की कवायद है । पहले 100 उपाध्यक्ष तो 100 मंत्री और सचिव होते थे लेकिन  अब 10 उपाध्यक्ष, 15 महामंत्री, 20 सचिव तक संख्या को समटेने की तैयारी है । ब्लॉक अध्यक्षों को लेकर रायशुमारी शुरू हो चुकी है। कुछ ब्लॉक ऐसे हैं, जहां नए नाम जुडे़ंगे लेकिन कुछ में पूर्व अध्यक्ष ही संगठन चलाएंगे वैसे दिवाली तक अध्यक्षों के नामों का ऐलान हो सकता है कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। अब वे ही स्थानीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं से चर्चा करके रिपोर्ट जिला अध्यक्ष को देंगे। कहा जा सकता है कि कांग्रेस संगठन में बदलाव लाकर प्रभावी बनाने की कोशिश में जुट गया है। 

प्रदेश प्रभारी और संगठन महामंत्री को बिहार के 12 जिलों में 58 विधानसभा क्षेत्रों की देखरेख

भोपाल  बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने कमर कस ली है। ⁠मध्य प्रदेश बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा को बिहार चुनाव में बड़ी ज़िम्मेदारी मिली है। वीडी शर्मा पटना जोन की 8 लोकसभा और 42 विधानसभा सीट का कमान संभालेंगे। पटना में वीडी शर्मा को मिली बड़ी जिम्मेदारी दरअसल, बीजेपी ने एमपी की तर्ज पर बिहार में बूथ मैनेजमेंट का प्लान बनाया है। जिसमें वीडी शर्मा की भूमिका अहम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद वीडी शर्मा ने पटना में मोर्चा संभाल लिया है। उनका बूथ मैनेजमेंट और शक्ति केंद्रों पर फोकस रहेगा। बेगूसराय सीट पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक ⁠विष्णुदत्त शर्मा ने जिम्मेदारी मिलते ही बिहार की मुंगेर और बेगूसराय लोकसभा सीट के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक ली। जिसमें विधानसभा का हाल जाना। वहीं वीडी शर्मा ने ⁠बेगूसराय से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से भी बिहार चुनाव पर चर्चा की। वीडी शर्मा ने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने के लिये प्रोत्साहित किया। बैठक में महिला कार्यकर्ता भी मौजूद रहीं। देवरिया के विधायक साथ में मौजूद कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के दौरान विष्णुदत्त शर्मा के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा, हरियाणा के पूर्व मंत्री हसीन जी यूपी से देवरिया के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी भी मौजूद रहे। बता दें कि वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी ने एमपी विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 29 सीटों पर बाजी मार ली। अब वे सिर्फ सांसद हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मप्र के दिग्गज नेताओं की बीजेपी ने तैनाती की है। मप्र भाजपा के प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह को बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए बिहार को 5 जोन में बांटा है। महेन्द्र और हितानंद 12 जिलों की 58 सीटें कवर करेंगे एमपी बीजेपी के प्रदेश प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा मिथिला और तिरहुत जोन में करीब 12 जिलों की 58 विधानसभा सीटें और 10 लोकसभाएं शामिल हैं। इन इलाकों में यूपी के दिग्गज नेताओं को एक-एक लोकसभा में तैनात किया गया है। जामवाल की सारण और चंपारण में ड्यूटी बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल को सारण और चंपारण क्षेत्र की करीब 45 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। एमपी के 6 दिग्गजों की इन क्षेत्रों में तैनाती बीजेपी ने मप्र के 6 बडे़ नेताओं को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग इलाकों में तैनाती की है। इनमें बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा को पटना और बेगूसराय क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। खेल मंत्री विश्वास सारंग को सिवान, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया को गोपालगंज, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया को गया, खरगोन सांसद गजेन्द्र पटेल को खगड़िया, पूर्व सांसद डॉ केपी यादव को समस्तीपुर में भेजा गया है।