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4 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों पर एंटी रैगिंग सेल में शिकायत, पीजी स्टूडेंट का प्रताड़ना का दावा

 इंदौर इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग मामले में पीजी फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने चार सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्टूडेंट ने एंटी रैगिंग सेल को की शिकायत में बताया कि इन डॉक्टर्स द्वारा प्रताड़ित करने से मेरा चार महीने में 22 किलो वजन कम हो गया। वे मुझे ऑपरेशन थिएटर (OT) की पोस्टिंग से बेदखल करने की धमकी देते हैं। इन्होंने मेरी मेडिकल लीव को लेकर झूठी अफवाहें फैलाईं। मैं लगातार परेशानी झेल रही हूं। इनकी वजह से ही मेरी तबीयत खराब हुई और एमवाय अस्पताल में एडमिट रही। यह गंभीर आरोप इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज की पीजी फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने लगाए हैं। प्रसूति एवं स्त्री रोग (Obstetrics and Gynaecology) विभाग में पढ़ रही इस जूनियर डॉक्टर ने यूजीसी की राष्ट्रीय एंटी रैगिंग सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। उसने आरोप लगाया है कि सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों ने मुझे अत्यधिक और रात की ड्यूटी करने को मजबूर किया। मुझे ऑपरेशन थिएटर की पोस्टिंग से बेदखल करने की धमकी दी और मेरे अवकाश को लेकर झूठी अफवाहें फैलाईं जिससे वह गहरी मानसिक परेशानी में चली गई। छात्रा ने बताया कि दबाव सहन न कर पाने के कारण उसे लंबी मेडिकल लीव लेनी पड़ी। खास बात यह कि जूनियर स्टूडेंट के परिवार ने भी माना कि मानसिक रूप से टूट चुकी थी और वर्तमान में उसका इलाज चल रहा है। एंटी रैगिंग कमेटी को की गई शिकायत में यह भी बताया कि बात काम के बोझ की नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से किए गए अत्याचार की है। उसे बुरी तरह अपमानित किया गया। जिससे उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई है। शिकायत में चार सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों के नाम एंटी रैगिंग सेल में दर्ज शिकायत में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों के नाम हैं। इन पर उसे डराने और उसके खिलाफ अपमानजनक माहौल बनाने का आरोप है। पीड़िता स्टूडेंट कहना है कि उसके सीनियरों ने एक वाट्सएप ग्रुप पर उसके बारे में गलत मैसेज चलाए गए और उसे “झूठी” बताया और लिखा कि उसकी मेडिकल लीव फर्जी है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि वापसी के बाद उसे छह महीने तक ओटी ड्यूटी नहीं दी जाएगी और सजा के तौर पर अलग से नाइट शिफ्ट करनी होगी। स्टूडेंट का आरोप है कि लगातार प्रताड़ना के कारण मेरी तबीयत तेजी से बिगड़ी और चार महीनों में उसका वजन 22 किलो से अधिक घट गया। उसे चार दिनों तक एमवाय अस्पताल में एडमिट रहना पड़ा और हालत बिगड़ने पर वह घर लौट गई। एंटी रैगिंग कमेटी ने शुरू की जांच मेल के माध्यम से शिकायत मिलने के बाद एंटी रैगिंग कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। समिति की अध्यक्ष डॉ. पूनम देयसरकार ने पुष्टि की कि जूनियर स्टूडेंट ने शिकायत की है। कमेटी ने जांच प्रारंभ कर दी है। कमेटी पीड़िता और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की पहचान कर उनके बयान दर्ज करेगी। इसके साथ जल्द ही अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय एंटी रैगिंग सेल और कॉलेज प्रशासन को सौंपेगी। उधर, डॉ. निलेश दलाल (HOD, प्रसूति व स्त्री रोग विभाग) का कहना है का मामला एंटी रैगिंग कमेटी के पास है। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले भी आ चुकी हैं शिकायतें     जुलाई 2022 में जूनियर छात्रों ने दिल्ली के एंटी रैगिंग कमेटी को मेल भेजकर सीनियर छात्रों द्वारा रैंगिग की शिकायत की थी। मामले में एंटी रैगिंग कमेटी ने जांच करते हुए एक मेल एमजीएम मेडिकल कॉलेज को भेजा और पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई के निर्देश दिए। कॉलेज ने दोषी छात्रों के खिलाफ संयोगितागंज थाने पर केस दर्ज किया। इसमें आरोप सीनियर छात्रों पर लगे थे। हैरानी की बात यह थी कि छात्रों ने अपने कॉलेज में शिकायत करने के बजाए रैगिंग कमेटी दिल्ली में शिकायत की और मेडिकल कॉलेज के डीन ने इस मामले में सख्त कदम उठाने की बात कही थी। मामले में रैगिंग कमेटी एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया।     जनवरी 2023 सीनियर्स द्वारा आधी रात जूनियरों को फोन कर अपने कमरे में बुलाकर प्रताड़ित करने का मामला सामने आया था। पहले कॉलेज प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की। दरअसल छात्रों द्वारा पुलिस के एक सीनियर अधिकारी से इसकी शिकायत भी की गई है। इसमें बताया गया है कि रात को सीनियरों द्वारा उनको फोन किया जाता है। अपने रूम में बुलाकर प्रताड़ित किया जाता है। इस तरह की शिकायत मिलने के बाद इसकी जानकारी पुलिस द्वारा एमजीएम के तत्कालीन डीन डॉ. संजय दीक्षित को दी गई। इस पर डीन ने चीफ वार्डन डॉ. वीएस पाल और वार्डन मनीष पुरोहित को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच के दौरान इनके द्वारा अलग-अलग ब्लॉक में रह रहे तकरीबन 40 छात्रों से पूछताछ की गई किंतु छात्रों ने मामले में चुप्पी साध ली थी। इनके अलग-अलग बुलाकर पूछताछ करने के बाद भी छात्रों ने इस संबंध में कुछ कहने से इनकार कर दिया। कॉलेज प्रबंधन द्वारा मामले को लेकर बैठक भी हुई। जिसमें वास्तविकता का पता लगाने के लिए जोर दिया गया। डीन का कहना था कि जूनियर छात्रों से चर्चा की गई है किंतु उन्होंने चुप्पी साध ली। उनका कहना है कि जो भी सीनियर इसमें लिप्त पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले की लिखित शिकायत भी थाने में दर्ज नहीं कराई गई थी।     साल 2024 में जूनियर छात्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से शिकायत की थी। छात्रों ने लिखा कि रात 10.30 बजे उन्हें बुलाया व सिर झुकाकर खड़ा कर दिया जाता है। सुबह 5-6 बजे नशा उतरने तक सीनियर उन्हें पीटते हैं। 6-6 घंटे तक रूफटॉप पर सिर झुकाकर खड़ा रखा जाता है। वे उन्हें आते-जाते पीटते हैं। असहज कपड़ों में छत पर बुलाते हैं। इन्हीं कारणों से इस 30 छात्रों ने हॉस्टल छोड़ दिया था। मामले में तब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और वार्डन से भी किसी तरह की शिकायत नहीं करने की बात कही थी। फिर रैगिंग के शिकायत के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम और तहसीलदार की टीम ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर मामले की जांच शुरू की। इसमें पीड़ित ने अपनी पहचान छुपाई थी। मौके पर कोई आइडेंटिफिकेशन नहीं दिया था। होस्टल में सब स्टूडेंट ठीक मिले। किसी … Read more

कार्बाइड गन पर रोक: भोपाल-इंदौर-ग्वालियर में आदेश जारी, 300 से ज्यादा लोगों की आंखें झुलसीं

भोपाल/ इंदौर /ग्वालियर  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और ग्वालियर और इंदौर जिले में घातक कैल्शियम कार्बाइड गन के कारण बच्चों की आंखों को हुए नुकसान के बाद दोनों जिलों के कलेक्टरों ने कार्बाइड गन पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है.  भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश में जारी किया है कि कोई भी प्रतिबंधनात्मक पटाखा, आतिशबाजी, लोहा स्टील या पीवीसी पाइपों में विस्फोटक पदार्थ भरकर तेज आवाज  करने वाले अवैध पटाखे (कार्बाइड गन) नहीं बनाएगा. इकट्ठा नहीं करेगा और खरीद बेच भी नहीं सकेगा.  कलेक्टर ने कहा है कि यह अवैध संशोधित पटाखा आम नागरिकों की सुरक्षा, शांति और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, इसलिए इसके वितरण या प्रदर्शन पर भी पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. एसडीएम, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी इस आदेश का सख्ती से पालन करवाएंगे.  दिवाली 2025 में नए पटाखे की खोज में सोशल मीडिया ने बंदर भगाने के देसी जुगाड़ को वायरल कर दिया। इसी जुगाड़ सिस्टम “कार्बाइड गन” को लेकर दो साल पहले यानी 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस 'एसिटिलीन' सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग इस कार्बाइड गन से घायल होकर आ चुके हैं। इन सभी मरीजों की आंखें जली हैं। उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। देसी कार्बाइड गन से प्रदेशभर में अब तक 300 लोगों की आंखों में जलन के मामले सामने आ चुके हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला दिख रहा करीब 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। अब एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है। डिप्टी सीएम घायल बच्चों से मिलने पहुंचे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे। डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही। ग्वालियर में भी कलेक्टर ने लगाई रोक  ग्वालियर जिले में भी कलेक्टर रुचिका चौहान ने भी कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. उन्होंने अपने आदेश में जिक्र किया कि कार्बाइड गन में उपयोग होने वाला कार्बाइड और पानी का मिश्रण एसिटिलीन गैस पैदा करता है, जो आंखों के साथ-साथ दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए घातक होता है. आदेश के बाद जिला प्रशासन की टीमों ने भितरवार, लोहिया बाजार, नया बाजार बाड़ा, हीरा वेल्डिंग सेंटर एरिया में कार्बाइड गन की जांच शुरू कर दी है.  आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 और अन्य एक्ट के तहत एक्शन लिया जाएगा. ग्वालियर प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अवैध रूप से कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और इस्तेमाल की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम के फोन नं 0751-7049101029, 0751-2363636 व 0751-2445333 पर दें.  

रीवा : पत्नी बोली- फ्लोर खून से सन गया, तो धो दिया; हेडकांस्टेबल की बर्बरता का सच सामने आया

रीवा  एक ऐसा मामला जिसने रीवा पुलिस विभाग और पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। हेड कॉन्स्टेबल राजीव वर्मा पर अपनी पत्नी सावित्री बर्मन के खिलाफ गंभीर घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के आरोप लगे हैं। आरोप है कि दीपावली से ठीक पहले, राजीव ने सावित्री को जानवरों जैसी बर्बरता से पीटा और दो बार गर्भपात भी कराया। इसके साथ ही, उसने घर के सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर सबूत मिटाने की कोशिश की। आखिर क्यों पीड़िता ने पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज कराई? सावित्री बर्मन ने बताया कि पति राजीव वर्मा ने आए दिन उसे डंडों और बेल्ट से पीटा। गंभीर चोट लगने के बावजूद उसे अस्पताल जाने नहीं दिया। पीड़िता ने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। डर और चोट से जूझते हुए उसने आखिरकार 22 अक्टूबर को एसपी के पास जाकर पूरी कहानी बताई। क्या सच में पुलिसकर्मी ने पत्नी को बांधकर पीटा? सावित्री के अनुसार, दीपावली से एक दिन पहले ही राजीव ने उन्हें और उनके परिवार को धमकाया। घर में पूजन सामग्री नहीं थी और उसने पूजन के लिए सामान मांगने पर सावित्री को बेरहमी से पीटा। उसने गाल पर चांटे मारे, पीठ और कमर पर डंडों से हमला किया और पैरों में इतनी मार की कि चलना मुश्किल हो गया। सिर पर डंडा लगने से खून बहने लगा। दीपावली के एक दिन पहले डंडे से पीटा पीड़िता ने बताया- दीपावली के एक दिन पहले पति राजीव वर्मा, मेरी सास के साथ सतना शहर स्थित अपने घर जा रहे थे। घर में दीपावली के लिए न तो कोई पूजन सामग्री थी और न ही राशन। मैंने कहा कि मुझे भी अपने साथ सतना ले चलिए। भले फिर वहां से पन्ना अपने मायके चली जाऊंगी। यदि साथ नहीं ले जाना चाहते तो यहीं पर पूजन और खाने-पीने की सामग्री की व्यवस्था कर दो। इतना सुनते ही राजीव आगबबूला हो गया। उसने कहा कि इस घर में पूजा पाठ करना या मुझसे इस तरह की बात करना तेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। तूने इतनी बात करने की हिम्मत कैसे की। इतना कहकर मुझे पीटने लगा। पहले गाल पर चांटे मारे और फिर डंडे पीठ पर बरसाए। इसके बाद कमर पर ऐसे डंडे मारे, जैसे पुलिस किसी अपराधी को मारती है। पीड़िता बोली- धोखा देकर गर्भ को नष्ट कराया सावित्री बोली- राजीव आदमी के वेश में दरिंदा है। उसने मेरे पेट में पल रहे ढाई माह के गर्भ को भी नहीं छोड़ा। झूठ बोलकर गलत दवाइयां खिलाईं। मेरा गर्भ नष्ट करवा दिया। यह बात अभी अक्टूबर माह की ही है। इसके पहले भी जब शादी के कुछ महीनों बाद मैं गर्भवती हुई तो उसने इसी तरह धोखा देकर मेरे गर्भ को नष्ट करवा दिया था। एक औरत के लिए मां बनना बहुत बड़ी बात होती है, पर इसने मुझसे वह सम्मान भी दो बार छीन लिया। उसे लात भी मारनी होती थी तो पेट पर मारता था। इसे पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भले माफ कर दें, लेकिन भगवान कभी माफ नहीं करेंगे। इतना ही नहीं, बाल खींचे और फिर पैरों में भी इतनी बुरी तरह मारा कि मैं चल तक न पाऊं। अचानक सिर पर डंडा मारा, जिससे सिर फट गया और खून की धार निकलने लगी। कुछ ही देर में मैं बेहोश हो गई। पति ने मुझे जिस तरीके से पीटा, वैसा सलूक तो कोई जानवर के साथ भी नहीं करता है। क्यों हुआ दो बार गर्भपात? सावित्री ने बताया कि राजीव ने दो बार धोखे से उसका गर्भपात करवाया। पहली बार जब शादी के कुछ महीने बाद वह गर्भवती हुई और दूसरी बार अभी अक्टूबर में। राजीव ने उसे गलत दवाइयां देकर गर्भ नष्ट करवा दिया। पीड़िता ने कहा, "एक औरत के लिए मां बनना बहुत बड़ी बात होती है, पर इसने मुझसे वह सम्मान भी दो बार छीन लिया।" CCTV फुटेज और खून से सने फ्लोर की कहानी राजीव ने घर में हॉल से लेकर कमरे तक सीसीटीवी कैमरे लगवाए, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके। सावित्री ने बताया कि मारपीट के समय फर्श खून से सना था। राजीव ने सीसीटीवी मेमोरी कार्ड निकालकर फुटेज डिलीट कर दिए और फर्श को साफ कर दिया। क्या पुलिस विभाग अब कार्रवाई करेगा? सावित्री ने बताया कि FIR दर्ज होने के बाद भी विभाग ने राजीव वर्मा के निलंबन या सेवा से पृथक करने का कोई आदेश नहीं दिया। पीड़िता का कहना है कि यदि वह पुलिसकर्मी नहीं होता, तो क्या यह सब होता? सावित्री ने डर के साथ कहा, "शायद कल मेरी हत्या के बाद ही पुलिस जागेगी,"  क्या डर से महिला ने शहर छोड़ दिया? सावित्री ने पुलिस में FIR दर्ज कराने के बाद डर के मारे रातों-रात पन्ना अपने मायके चली गई। उसने बताया कि राजीव धमकाते थे कि अगर शिकायत की तो परिवार को भी नुकसान होगा। कई दिनों तक उसे बंधक बनाकर भूखा रखा गया। क्या सावित्री को न्याय मिलेगा? सावित्री का कहना है कि राजीव ने शादी से पहले एक टीचर से शादी की थी और तलाक के बाद यह बात छिपाई। उसने धमकाया कि अगर वह शिकायत करेगी, तो परिवार को नुकसान होगा। पीड़िता अब पन्ना अपने मायके में सुरक्षित है। न्यायालय ने पहले भी उसके पक्ष में फैसला दिया था और उसे 7 हजार रुपए महीना खर्चा देने का आदेश दिया गया था। राजीव का पक्ष: क्या पत्नी ने भी कुछ गलत किया? राजीव वर्मा का दावा है कि सावित्री का पहले अफेयर था। उन्होंने कहा कि शादी के समय इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी गई। उनका आरोप है कि पत्नी उनके माता-पिता के साथ गलत व्यवहार करती थी। पुलिस विभाग की प्रतिक्रिया एडिशनल SP आरती सिंह ने कहा कि मामले की विभागीय जांच जारी है, FIR दर्ज हो चुकी है। अभी तक राजीव वर्मा का निलंबन नहीं हुआ। सावित्री का कहना है कि विभाग शायद महिला को न्याय देने में गंभीर

डॉ. रोहिणी का बड़ा बयान: समाज को दिखाएंगी सच्चाई, चंद्रशेखर ‘रावण’ को उजागर करने की तैयारी

इंदौर  उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद रावण पर गंभीर आरोप लगाने वाली इंदौर की डॉ. रोहिणी घावरी ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए उन पर निशाना साधा है। गुरुवार को की गई दो अलग-अलग पोस्ट में रोहिणी ने दावा किया कि वह जल्द ही कुछ "सच्चाई" सबके सामने लाएंगी। उन्होंने अपनी पोस्ट में एक करोड़ रुपये के ईनाम की घोषणा करते हुए चैलेंज दिया है कि उनके द्वारा पेश किए जाने वाले सबूतों को कोई AI या फेक (फर्जी) साबित करके दिखाए। सोशल मीडिया पर दी खुली चुनौती डॉ. रोहिणी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "कल जो सच्चाई मैं समाज को दिखाऊंगी, उसे AI या फेक साबित करने वाले को 1 करोड़ का इनाम। पूरी कोशिश कर लेना, लेकिन सच छुपा नहीं पाओगे। कल से उल्टी गिनती शुरू फर्जी नेता की।" अपनी एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा कि एक "गंदे आदमी" ने बहन मायावती और कांशीराम के पवित्र रिश्ते पर सवाल उठाए थे। रोहिणी पहले भी कई बार इन आरोपों को लेकर चंद्रशेखर आजाद को घेर चुकी हैं। "बसपा सुप्रीमो बनना चाहता था चंद्रशेखर" डॉ. रोहिणी ने स्पष्ट किया कि उनकी दोनों पोस्ट चंद्रशेखर आजाद रावण को लेकर ही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चंद्रशेखर, बहन मायावती के प्रति "गंदी सोच" रखता है और उसने मायावती व स्वर्गीय कांशीराम के रिश्ते पर कई बार अनर्गल टिप्पणियां की हैं। रोहिणी ने दावा किया, "वह (चंद्रशेखर) आजाद पार्टी का विलय बसपा में कर खुद बसपा सुप्रीमो बनना चाहता था। मेरे पास इसके वीडियो प्रूफ हैं। मैं जल्द ही लोगों के सामने रखूंगी।" तैयार कर रहीं 1000 महिलाओं की गैंग जनपावर मिशन की प्रमुख डॉ. रोहिणी घावरी ने यह भी बताया कि वह "धोखेबाजों से लड़ने और स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए" एक हजार महिलाओं की एक गैंग (समूह) तैयार कर रही हैं। उन्होंने अन्य महिलाओं से भी इस अभियान से जुड़ने की अपील की है। पहले दे चुकी हैं सुसाइड की धमकी यह पहली बार नहीं है जब रोहिणी ने सोशल मीडिया पर इस तरह की चेतावनी दी है। इससे पहले वह X (पूर्व में ट्विटर) पर सुसाइड की धमकी दे चुकी हैं। तब उन्होंने 4 घंटे के भीतर तीन पोस्ट किए थे, जिसमें एक पोस्ट में चंद्रशेखर, उनकी पत्नी और बच्चे की तस्वीर लगाकर उन्हें अपना जीवन बर्बाद करने का आरोपी बताया था और "जहर खाने" की बात कही थी। उस पोस्ट में उन्होंने पीएम मोदी और पीएमओ को टैग करते हुए लिखा था कि उनकी लाश भी भारत वापस न लाई जाए। क्या है पूरा विवाद? इंदौर के बीमा अस्पताल में काम करने वाली एक सफाईकर्मी की बेटी डॉ. रोहिणी घावरी 2019 में उच्च शिक्षा के लिए स्विट्जरलैंड गई थीं। पढ़ाई के दौरान वह चंद्रशेखर के संपर्क में आईं और दोनों कथित तौर पर तीन साल तक रिलेशनशिप में रहे। लगभग तीन महीने पहले रोहिणी ने सोशल मीडिया पर चंद्रशेखर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) में भी शिकायत दर्ज कराई थी। डॉ. रोहिणी घावरी वर्तमान में स्विट्जरलैंड में जॉब कर रही हैं और अपना एनजीओ भी चला रही हैं। 

दो आतंकी दबोचे गए, ISI कनेक्शन सामने आया, जानें उनका फिदायीन हमला का प्लान

भोपाल/ दिल्ली  देश में बड़े आईएसआई मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ है. आईएसआईएस से जुड़े 2 आतंकी पकड़े गए हैं. दिल्ली पुलिस ने साउथ दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक आतंकी को गिरफ्तार किया है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश के भोपाल से पकड़ा गया है. दोनों संदिग्ध आतंकी की उम्र 20-26 वर्ष के बीच बताई जा रही है. ये देश में फिदायीन हमले की फिराक में थे. इन दोनों आतंकियों के पाकिस्तानी आईएसआई से लिंक सामने आए हैं. गिरफ्तार आतंकियों के पास से कई संदिग्ध सामग्री बरामद हुई हैं. प्रारंभिक पूछताछ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हैंडलर्स से सीधे संपर्क का खुलासा हुआ है. ये आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में थे. सूत्रों के मुताबिक, ये आतंकी ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड थे. यह मॉड्यूल दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में किसी बड़ी वारदात की साजिश रच रहा था. फिलहाल मामले की पूरी जांच जारी है, और अन्य संदिग्धों की तलाश में छापेमारी की जा रही है. यह कार्रवाई भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, उन दोनों में से एक आतंकी का नाम अदनान है. दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से दोनों आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है. दोनों आतंकी फिदायीन अटैक करने की ट्रेनिंग भी ले रहे थे. विस्तृत जानकारी का इंतजार है.  

भारत की डिफेंस क्षमता का प्रदर्शन जबलपुर में, व्हीकल फैक्ट्री में होगा बड़ा कॉन्क्लेव, कॉरिडोर बनेगा गेमचेंजर

जबलपुर  7 से 9 नवंबर तक जबलपुर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री में होगा. इसमें भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अलावा निजी क्षेत्र की कंपनियां भी अपने उत्पादों की जानकारी देगी. जबलपुर के जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इस आयोजन से जबलपुर के आसपास डिफेंस कॉरिडोर पर भी चर्चा शुरू हो जाएगी. रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के जनसंपर्क अधिकारी गौरव दीक्षित ने बताया कि, ''7 नवंबर से 9 नवंबर तक जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री के परिसर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देशभर की रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा. यह आयोजन देश में बड़े शहरों में होता था, लेकिन इस बार यह मौका जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री को मिला है.'' जबलपुर में रक्षा मंत्रालय की कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं जिनमें भारतीय सेना की जरूरत के लिए उत्पाद तैयार किए जाते हैं.'' व्हीकल फैक्ट्री खमरिया व्हीकल फैक्ट्री खमरिया भारत की कुछ बड़ी फैक्ट्री में से एक है. इसमें सेना के उपयोग में आने वाले वाहन बनाए जाते हैं. जैसे सामान्य स्टाफ वाहन, लॉजिस्टिक्स वाहन, बुलेटप्रूफ वाहन, हल्के बख्तरबंद वाहन, माइन प्रोटेक्टेड वाहन और विशेषज्ञ भूमिका वाले वाहन जैसे रॉकेट लॉन्चर, स्व-चालित हॉवित्जर, वाटर बॉवर्स, ईंधन टैंकर, फील्ड एम्बुलेंस, टिपर, बैटरी कमांड पोस्ट, जनरेटर सेट, लाइट रिकवरी वाहन, फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर, किचन कंटेनर आदि का निर्माण और संयोजन करता है. इनके अलावा कुछ विशेष वहां भी तैयार किए जाते हैं जिनमें शहर की ही दूसरी फैक्ट्री का सहयोग भी लिया जाता है. गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर जबलपुर की फैक्ट्रियां एक दूसरे के सहयोग से चलती है, क्योंकि कुछ सामान एक फैक्ट्री में बनता है तो कुछ दूसरी फैक्ट्री में बनता है. गन कैरिज फैक्ट्री सेना के उपयोग में आने वाले 8/8 ट्रक बना रही है. इन ट्रक्स की खासियत यह होती है कि उनके आठों चकों में ताकत होती है और यह किसी भी विपरीत परिस्थिति में चल सकते हैं. 1. वीएफजे-जीसीएफ 105 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम, 6X6 और 4X4 कॉन्फ़िगरेशन में 2. वीएफजे-जीसीएफ शारंग टोड गन 3. धनुष हॉवित्जर का निर्माण जीसीएफ में और ट्रैक्टर का निर्माण वीएफजे में किया गया 4. वीएफजे-जीसीएफ 8X8 155 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम    ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया भारत में गोला बारूद बनाने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इसमें हजारों की तादाद में अभी भी कर्मचारी काम करते हैं. भारत की तीनों सेनाओं के लिए यहां पर गोला बारूद तैयार किया जाता है. ऑपरेशन सिंदूर में जी L-70 बम ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी. वह जबलपुर का ही बना हुआ था. रूस की मदद से भी पिकोरा बम बनाया जा रहा है. ग्रे आयरन फाउंड्री ग्रे आयरन फाउंड्री यह रक्षा मंत्रालय की एक छोटी फैक्ट्री है, लेकिन इसका काम बहुत महत्वपूर्ण है. रक्षा मंत्रालय में कई ऐसे लोहे के सामानों की जरूरत पड़ती है जो बाजार में नहीं मिलते, इसलिए इन्हें ढालकर बनाया जाता है. इसलिए इस यूनिट को अलग ही तैयार किया गया था. इनके अलावा जबलपुर में कुछ दूसरी छोटी फैक्ट्रियां भी हैं, जिनमें सेना के उपयोग के सामान बनाए जाते हैं. इस कॉन्क्लेव में इन सभी का प्रदर्शन किया जाएगा. जबलपुर केंट विधानसभा के विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि, ''इस कॉन्क्लेव के जरिए इस बात पर भी चर्चा होगी कि जबलपुर में एक डिफेंस कॉरिडोर बनाया जाए. जहां रक्षा मंत्रालय के उपयोग में आने वाले कल पुर्जे और हथियार तैयार किया जा सके और इसमें निजी निवेश भी आ सके. जबलपुर की बड़ी फैक्ट्रियां इन छोटे निवेशों के लिए एक अच्छा माहौल बनाती हैं. जबलपुर में उत्पादित होने वाले रक्षा उत्पादों का बाजार केवल भारत में ही है. इन कंपनियों में बनने वाले सामानों को भारत निर्यात भी करता है और दुनिया के कई देश भारत से यह सामान खरीदते हैं. रक्षा से जुड़ा हुआ सामान बनाना रोजगार का एक बड़ा अवसर बन सकता है. अब देखना है कि इस कॉन्क्लेव के जरिए मध्य प्रदेश क्या फायदा उठा पाता है.

प्रदेश में 45 रोड सेफ्टी एंड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट से होगी निगरानी, नागरिकों को मिलेगी फेसलेस सुविधा

प्रदेश में 45 रोड सेफ्टी एण्ड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट से निगरानी,  नागरिकों को फेसलेस सुविधा भोपाल  प्रदेश में वाहन चेकिंग की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने तथा सुशासन के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त परिवहन चेकपोस्टों को बंद कर दिया गया है। इनके स्थान पर परिवहन विभाग ने 45 "रोड सेफ्टी एण्ड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट" प्रारम्भ कर दिए हैं। इन पर पदस्थ प्रवर्तन बल द्वारा बॉडीवोर्न कैमरों की निगरानी में पीओएस मशीन के माध्यम से वाहनों के विरुद्ध ऑनलाइन चालानी कार्यवाही की जा रही है। "इज ऑफ डुइंग बिजनेस" के अंतर्गत इन प्वाइंट पर द्वारा अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा ई-चेकपोस्ट मॉड्यूल के माध्यम से ऑनलाइन मोटरयान कर जमा करने की सुविधा दी गई है। परिवहन विभाग ने इस वर्ष 5 हजार 693 करोड़ रूपये का राजस्व संग्रहण का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष 2024-25 में परिवहन विभाग ने करीब 4 हजार 875 करोड़ रूपये का राजस्व संग्रहण किया था। यह राजस्व वर्ष 2023-24 के मुकाबले 5.83 प्रतिशत अधिक रहा है। प्रदेश में बनाये गये सुविधा केन्द्र परिवहन विभाग की प्रक्रिया को सरल बनाने तथा आम जनता को सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वाहनों के रजिस्ट्रेशन, परमिट तथा ड्राइविंग लाइसेंस आदि से संबंधित अधिकतर सेवाओं को एनआईसी के पोर्टल "वाहन" तथा "सारथी" के माध्यम से फेसलेस प्रदान किया जाना प्रारम्भ किया गया है, जिसमें आवेदक को कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती। आमजन को परिवहन विभाग की सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में सहायता करने के लिए सीएससी सेंटर्स के अतिरिक्त एमपी ऑनलाइन सेंटर्स को भी राज्य सरकार द्वारा सुविधा केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। आम जनता की सुविधा के लिये वाहनों के पंजीयन प्रमाण पत्र एवं ड्राइविंग लाइसेंस डिजिटल रूप से रख सकने के उद्देश्य से परिवहन विभाग द्वारा आवेदकों को ड्राइ‌विंग लाईसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र इलेक्ट्रानिक रूप में जारी किया जाना प्रारंभ किया गया है। नकदी रहित उपचार सुविधा सड़क दुर्घटना में घायलों के त्वरित उपचार के लिये "सड़क दुर्घटना पीडितों का नगदी रहित उपचार स्कीम-2025" सुचारू रूप से क्रियान्वित की गई है, जिसके तहत पीड़ित ऐसी दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिन की अवधि के लिये किसी भी नाम निर्दिष्ट अस्पताल में प्रति पीड़ित एक लाख पचास हजार रूपये तक की रकम के नकदी रहित उपचार करा सकता है। इसके अलावा सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को गोल्डल आवर के अंदर अस्पताल तक में जाकर उन‌की सहायता करने वाले राह-वीरों को प्रोत्साहन स्वरूप 25 हजार रूपये एवं सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है।  

मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य, जहां भोपाल में स्थापित होगी एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट; जर्मन कंपनी से बातचीत जारी

भोपाल  पड़ोसी राज्यों में मप्र पहला ऐसा राज्य है जो एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट (टियरडाउन यूनिट) स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जर्मनी की एक कंपनी से इसके लिए बातचीत चल रही है। यह यूनिट देश में एयरोप्लेन की कमी को दूर करने में अहम रोल अदा करेगी। भविष्य में मप्र को एयरोप्लेन का रख-रखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) यूनिट भी मिल सकती है। जब किसी भी राज्य में ये दोनों यूनिट हो तो प्लेन का निर्माण करने वाली कंपनियां उत्पादन की दिशा में कदम रख सकती है। डिस्मेंटल यूनिट लगाने की इच्छुक जर्मनी कंपनी के प्रमुखों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दो दौर की बातचीत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री उक्त यूनिट की स्थापना को लेकर काफी प्रयासरत है। इसकी शुरुआत जर्मनी यात्रा के दौरान हुई थी। तभी मुख्यमंत्री से उक्त यूनिट में रूचि रखने वाली कंपनी के प्रमुखों की बातचीत हुई थी, इसके बाद जर्मनी का एक दल हाल में मध्यप्रदेश के भ्रमण पर आया था। अधिकारियों की माने तो सरकार कंपनी को जमीन और कई सुविधाएं देने को तैयार है। इस यूनिट को सरकार 70 से 100 एकड़ जमीन देने के लिए लगभग तैयार है। कंपनी की शर्त है कि उन्हें भोपाल के नजदीक जमीन दी जाए, ताकि उक्त यूनिट के लिए जरूरी अमले को आवागमन में आसानी हो। हालांकि सरकार के पास भोपाल के आसपास जमीन की उपलब्धता बहुत कम है। क्या होती है एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट यह हवाई जहाज को विघटित करने वाली इकाई अर्थात टियर डाउन इकाई कहलाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी विमान को व्यवस्थित रूप से अलग किया जाता है। इसमें सबसे अहम, उपयोगी पुर्जों अथवा उपकरणों को बचाना प्रमुख चुनौती होती है। इस प्रक्रिया में खतरनाक सामग्रियों को हटाना, इंजन और लैंडिंग गियर जैसे प्रमुख पुर्जों को अलग करना, फिर शेष संरचना को पुनर्चक्रण के लिए छोटे टुकड़ों में काटना शामिल होता है। प्लेन डिस्मेंटल यूनिट से प्रदेश को ये होंगे फायदे प्लेन एक बड़ा स्ट्रक्चर होता है, जिसे नष्ट करने की प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल होती है। इसमें कई महीने लगते हैं और सैंकड़ों कर्मचारियों की जरुरत होती है, जो कि प्रभावी तकनीकी से दक्ष होते हैं। यूनिट स्थापित की जाती है तो एयरोप्लेन के निर्माण से जुड़े कामों में दक्ष कर्मचारियों का मूवमेंट बढ़ेगा। प्लेन में कई कलपुर्जे होते हैं, जिनकी औसत आयु अलग-अलग होती है। ये बहुत महंगे और आसानी से उपल–ब्ध नहीं होने वाले उपकरणों में शामिल होते हैं। जब कई अलग-अलग कारणों से प्लेन को ऑपरेशन से बाहर किया जाता है तब भी उक्त प्लेन में उपयोग किए जाने योग्य कई उपकरण होते हैं, इन्हें सुरक्षित निकालना और उपयोग करना बड़ी चुनौती होता है।

मध्य प्रदेश के 9 जिलों में गधों का सफाया, चीन के प्रभाव पर सवाल

भोपाल  क्या मध्य प्रदेश में अब गधे दुर्लभ हो जाएंगे? ये सवाल इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि तीन दशक से भी कम समय में इनकी संख्या में 94% की कमी आई है। एमपी में गधों की जमसंख्या में तेजी से गिरावट देखी गई है। नई रिपोर्ट बताती है कि हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले इस प्रदेश में अब सिर्फ 3,052 गधे बचे हैं, जो कि 1997 में 49,289 की संख्या से एक बड़ी गिरावट है। राज्य के 55 में से नौ जिलों में एक भी गधा नहीं पाया गया है,जो इस बात का संकेत है कि यह जानवर,जो कभी ग्रामीण भारत में परिवहन और व्यापार का मुख्य आधार था,लगभग पूरी तरह से गायब हो चुका है। गधों के गायब होने का कारण टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार,गधों के गायब होने के पीछे अभी तक कोई खास अध्ययन नहीं हुआ है,लेकिन गुड़गांव के एक पशु अधिकार कार्यकर्ता नरेश कादियान ने केंद्र सरकार से गधों को लुप्तप्राय प्रजाति घोषित करने का आग्रह किया है। वह चेतावनी देते हैं कि चीन की गधों की खाल की मांग ही इस गिरावट का कारण बन रही है। वह चीन के एजियाओ उद्योग को इसके लिए दोषी मानते हैं। इस उद्योग में गधों की खाल को उबालकर एक जिलेटिन निकाला जाता है जिसका इस्तेमाल पारंपरिक टॉनिक,कामोत्तेजक और एंटी एजिंग क्रीम बनाने में किया जाता है। इसी वजह से यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही है। आधिकारिक आंकड़े आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार नर्मदापुरम में सबसे ज्यादा (332) गधे हैं। इसके बाद छतरपुर (232),रीवा (226) और मुरैना (228) का नंबर आता है। दूसरी ओर विदिशा में जहां कभी 6,400 से ज्यादा गधे थे,अब वहां सिर्फ 171 बचे हैं और भोपाल में केवल 56 । डिंडोरी, निवाड़ी, सिवनी, हरदा और उमरिया जैसे जिलों में एक भी गधा दर्ज नहीं हुआ है,जो स्थानीय रूप से उनके विलुप्त होने की पुष्टि करता है। अन्य पशुओं की स्थिति जनगणना से पशुधन की अन्य श्रेणियों में भी बड़े रुझान सामने आते हैं। मध्य प्रदेश में कुल 3.75 करोड़ जानवर हैं, जिनमें शामिल हैं:

राष्ट्रीय बालरंग भोपाल में 5 दिसम्बर को, व्यवस्थाओं को लेकर हुई बैठक

भोपाल भोपाल में राष्ट्रीय बालरंग-2025 इस वर्ष 5 दिसम्बर को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय परिसर, श्यामला हिल्स, भोपाल में आयोजित होगा। आयोजन की व्यवस्था एवं तैयारियों को लेकर संचालक श्री डी.एस. कुशवाह की अध्यक्षता में गुरूवार को लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल में बैठक हुई। बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय बालरंग में 20 से अधिक राज्यों के स्कूल के विद्यार्थी अपने राज्यों की लोक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियाँ देंगे। बालरंग में 500 से अधिक विद्यार्थी भागीदारी करेंगे। इसी के साथ बालरंग में 5 हजार विद्यार्थी सहभागिता कर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की थीम पर राज्यों की लोक कलाओं से परिचित हो सकेंगे। बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय बालरंग का आयोजन वर्ष 2005 से निरंतर भोपाल में हो रहा है। बैठक में विद्यार्थियों के आवास, परिवहन एवं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा की गयी। विभिन्न राज्यों से आये विद्यार्थियों को भोपाल के नजदीक पुरातत्व धरोहर भोजपुर, भीमबेटका और साँची का भ्रमण भी कराया जायेगा।