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ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने वाले 3 असरदार योगासन: नसों की ब्लॉकेज होगी दूर, शरीर रहेगा लचीला

सेहतमंद रहने के लिए आपको फ‍िज‍िकली और मेंटली फ‍िट रहना जरूरी है। रोजाना एक्सरसाइज और योग करने से आप कई तरह की समस्याओं से खुद का बचाव कर सकते हैं। हेल्‍दी रहने के ल‍िए ब्लड सर्कुलेशन का सही होना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि यही हमारे अंगों तक ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व पहुंचाने का काम करता है। जब ब्‍लड सर्कुलेशन हमारे शरीर में सही रहता है, तो न सिर्फ दिल और दिमाग हेल्‍दी रहते हैं, बल्कि थकान, सिरदर्द, हाथ-पैरों में सुन्नपन जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। आपको बता दें क‍ि कुछ योगासन हैं ज‍िन्‍हें करने से ब्लड सर्कुलेशन को नेचुरल तरीके से बेहतर किया जा सकता है। रोजाना कुछ योगाभ्यास करने से Blood Circulation संतुलित रहता है। इससे हमारे शरीर में एनर्जी भी बनी रहती है। आज का हमारा लेख भी इसी व‍िषय पर है। हम आपको कुछ असरदार योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं जो ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में मदद कर सकते हैं। आइए उनके बारे में व‍िस्‍तार से जानते हैं – अधोमुख श्वानासन ये योगासन ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने के ल‍िए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें आपको अपने दोनों हाथों और पैरों को सीधा करते हुए ह‍िप्‍स को ऊपर की तरफ उठाना होता है। ताक‍ि त्र‍िकोण बन सके। इससे आपके द‍िमाग में सही तरीके से खून का प्रवाह होता है। आपके पैर तो मजबूत बनते ही हैं, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी सुधरता है। हलासन इस योगासन को करते समय आपको पीठ के बल लेटकर अपने पैरों को ऊपर उठाना होता है। इस दौरान आपको अपने हाथों से पीठ को सपोर्ट देना होता है। इसके बाद शरीर को स्थिर रखें। पैरों को घुमाते हुए सिर की तरफ लाएं। बाद में पंंजों को जमीन से लगाएं। अब दोनों हाथों को खोलकर जमीन पर फैला लें। ये भी ब्‍लड सर्कुलेशन को सुधारने में कारगर है। आपको बता दें क‍ि इससे स्‍ट्रेस को भी कम क‍िया जा सकता है। विपरीत करणी आसन विपरीत करणी आसन का रोजाना अभ्‍यास करने से न स‍िर्फ ब्‍लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, बल्‍क‍ि आपके शरीर को और भी कई फायदे म‍िलते हैं। इसको करने के ल‍िए आप पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने ह‍िप्‍स को दीवार से छूने दें। इसके बाद पैरों को दीवार के साथ ही ऊपर उठाएं। इससे ब्लड सर्कुलेशन दिल की तरफ बढ़ता है। इन बातों का रखें ध्‍यान     प्रेग्‍नेंसी में इन योगासनों को करने से बचना चाह‍िए।     कोई चोट या बीमारी है तो न करें। या डॉक्‍टर से कंसल्‍ट करें।     दिल की बीमारी होने पर भी इसे करने से बचें। योग के अन्‍य फायदे     शरीर को बनाए लचीला।     पोश्चर सुधारे।     ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करे।     वजन कम करने में फायदेमंद।     मसल्‍स पेन से द‍िलाए राहत।     शरीर की अकड़न दूर करे।     तनाव और चिंता कम करे।     नींद की क्‍वाल‍िटी सुधारे।  

भाग्य के राज़: जिन खुशकिस्मत लोगों को मिलती हैं ये चीजें, वे छूते हैं सफलता की ऊंचाइयां

अक्सर हम किसी इंसान से मिलते हैं और हमारे मन में यही आता है कि ये इंसान वाकई कितना भाग्यशाली है। दरअसल हम सभी की भाग्यशाली होने की परिभाषा बड़ी अलग-अलग होती है। किसी को एक अच्छी नौकरी होना भाग्यशाली होने की निशानी लगता है तो किसी को पुश्तैनी धन-दौलत होना या शानदार लव लाइफ होना। खैर, ये लोगों के अपने-अपने पैमाने हैं। हालांकि महान विद्वान और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीति में कुछ ऐसे व्यक्तियों का जिक्र किया था, जो उनकी नजरों में वाकई बेहद भाग्यशाली होते हैं। आचार्य कहते हैं कि जिन लोगों के पास ये कुछ चीजें मौजूद हैं उन्हें तो खुद को किस्मत वाला ही समझना चाहिए क्योंकि हर इंसान के नसीब में यह नहीं होता। तो चलिए जानते हैं आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को भाग्यवान बनाने वाली ये चीजें कौन सी हैं। जिसके पास हो दान-पुण्य करने का सामर्थ्य आचार्य चाणक्य अपने एक श्लोक में इस बात का जिक्र करते हैं कि जिस व्यक्ति में दान-पुण्य करने का सामर्थ्य है, वो भी बहुत किस्मतवाला ही होता है। दरअसल कोई भी व्यक्ति दान-पुण्य करने में सामर्थ्य तब होता है, जब उसके पास पर्याप्त धन होता है और उसे खर्च करते हुए, व्यक्ति को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता। आचार्य कहते हैं कि पिछले कई जन्मों के पुण्य के कारण ही मनुष्य को ये सौभाग्य प्राप्त होता है। जिसका साथ दे उसकी सेहत आचार्य चाणक्य के अनुसार जिन लोगों की सेहत उनका साथ देती है, उनसे ज्यादा भाग्यशाली भी दूसरा कोई नहीं। इस दुनिया में सबसे बड़ी दौलत इंसान की सेहत ही होती है। यदि व्यक्ति स्वास्थ्य ना हो और कोई ना कोई रोग उसे घेरे रहे, तो लाखों की धन संपदा भी बेकार ही जान पड़ती है। आचार्य कहते हैं कि अगर आप भरपेट भोजन कर पा रहे हैं और उसे पचाने में आपको कोई परेशानी भी हो रही है; तो आपको खुद को किस्मतवाला ही समझना चाहिए। अच्छे जीवनसाथी का होना है सौभाग्य की निशानी आचार्य चाणक्य के अनुसार एक अच्छे जीवनसाथी का मिलना भी सौभाग्य की निशानी है, जो हर किसी की किस्मत में नहीं होता। एक अच्छा जीवनसाथी आपके हर सुख-दुख में साथ खड़ा मिलता है और उसके साथ जीवनयात्रा थोड़ी आसान हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति के जीवन में एक अच्छा पार्टनर है और उसका दांपत्य जीवन सुखी है, तो वो इंसान यकीनन ही बेहद भाग्यशाली हैं। मेहनत से बना सकते हैं अपना भाग्य इन सभी बातों के साथ ही आचार्य चाणक्य का कहना यह भी है कि अगर किसी इंसान को किस्मत का साथ ना भी मिले, तो वो अपनी मेहनत के बल पर खुद को भाग्यवान बना सकते है। अपनी नीति में आचार्य कहते हैं कि मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है और जो व्यक्ति मेहनत करने से पीछे नहीं हटता, वो अपनी किस्मत खुद चमका देता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में कुछ बहुत बड़ा करते हैं, जो शायद सिर्फ भगवशाली लोगों के बस की भी बात नहीं।  

WHO ने HIV की रोकथाम के लिए लेनाकापाविर के इस्तेमाल को मंजूरी दी

नई दिल्ली विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ह्यूमन इम्युनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (HIV) की रोकथाम के लिए लेनाकापाविर (Lenacapavir) के इस्तेमाल को मंदूरी दे दी है. यह दवा HIV की रोकथाम की दिशा में एक मील की पत्थर की तरह साबित हो सकती है. यह दवा उन लोगों के लिए खासतौर पर जीवनरक्षक है जिन्हें HIV एक्सपोजर का रिस्क ज्यादा होता है, यानी सेक्स वर्कर या ऐसे लोग एचआईवी मरीजों के इलाज या देखरेख के काम से जुड़े हैं. WHO ने वैश्विक एचआईवी रोकथाम के प्रयासों को मजबूत करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए और इस दौरान उन्होंने लॉन्ग टर्म सुरक्षा देने वाली इस एंटीरेट्रोवायरल दवाई को मंजूरी दी. लेनाकापाविर को मंजूरी घोषणा 14 जुलाई को पूर्व अफ्रीकी देश रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित 13वें अंतर्राष्ट्रीय एड्स सोसाइटी सम्मेलन में की गई. अमेरिका पहले ही दे चुका है मंजूरी हालांकि अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने लेनाकापाविर को पहले ही मंजूरी दे दी थी. एचआईवी की रोकथाम के लिए ये इंजेक्शन साल में दो बार प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PrEP) उपचार की स्थिति में दिया जाता है. इस इंजेक्शन को 2022 में एचआईवी के इलाज के लिए मंजूरी मिली थी. यह ट्रायल के दौरान एचआईवी संक्रमण से बचाने में असरदार साबित हुआ है. Theweek.in की रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक Tedros Adhanom Ghebreyesus ने कहा कि हालांकि एचआईवी का टीका अभी तक नहीं बन पाया है लेकिन यह नई दवा, जिसे साल में केवल दो बार बस लेने की जरूरत होती है, अभी की सबसे अच्छी नई दवा है. बढ़ता बोझ, घटती सुरक्षा यह कदम दुनिया भर में एचआईवी रोकथाम के वित्तपोषण में आ रही कमी के कारण उठाया गया है.  केवल 2024 में ही लगभग 13 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए. इनमें से ज्यादातर लोग सेक्स वर्कर, पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुष, ट्रांसजेंडर, नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाने वाले लोग, जेल में बंद लोग और बच्चे व किशोर थे. लेनाकापाविर क्या है? लेनाकापाविर (LEN) अमेरिकी दवा को कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है. यह Capsid Inhibitor नामक दवाओं के एक नए समूह से संबंधित है जो HIV Replication Cycle के कई चरणों को बाधित करके एचआईवी से सुरक्षा देने का काम करता है. LEN पहला PrEP इंजेक्शन है जिसे साल में केवल दो बार दिया जा सकता है.  लंबे समय तक मानव शरीर में असरदार रहने वाला यह इंजेक्शन गोलियों और बाकी ट्रीटमेंट्स की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली है इसलिए यह उन लोगों के लिए काफी मददगार है जिन्हें एचआईवी संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है.

2026 से बंद होंगे नए फीचर्स: Microsoft ने इन यूजर्स को दी चेतावनी

नई दिल्ली Microsoft ने घोषणा की है कि वह अगस्त 2026 से Windows 10 यूजर्स के लिए Office ऐप्स में नए फीचर्स देना बंद कर देगा। यह कंपनी का एक और बड़ा कदम है जिसका मकसद यूजर्स को Windows 11 पर ले जाना है। कंपनी चाहती है कि यूजर्स विंडोज 10 के बजाए विंडोज 11 इस्तेमाल करें। हालांकि, सिक्योरिटी अपडेट अक्टूबर 2028 तक मिलते रहेंगे, लेकिन नए फीचर्स का मिलना बंद होने का मतलब है कि लेटेस्ट Office के लिए यूजर्स को अपना ऑपरेटिंग सिस्टम अपग्रेड करना ही होगा। कब बंद होंगे फीचर्स? फीचर्स कब बंद होंगे, यह समय-सीमा यूजर्स के सब्सक्रिप्शनके हिसाब से अलग-अलग है। माइक्रोसॉफ्ट365 पर्सनल और फैमिली यूजर्स को अगस्त 2026 में वर्जन 2608 के साथ नए फीचर्स मिलने बंद हो जाएंगे। वहीं, एंटरप्राइज कस्टमर्स को अक्टूबर 2026 से जनवरी 2027 के बीच उनके अपडेट चैनल के आधार पर फीचर्स मिलने बंद हो जाएंगे। सभी वर्जन 2608 फीचर सेट पर ही फ्रीज हो जाएंगे, चाहे आपका सब्सक्रिप्शन कोई भी हो। सिक्योरिटी अपडेट जारी, पर नए फीचर मिलना बंद Microsoft का यह फैसला उनकी पिछली घोषणाओं से काफी अलग है। कंपनी ने पहले Office सपोर्ट को Windows 10 की अक्टूबर 2025 की एंड-ऑफ-लाइफ तारीख के साथ ही खत्म करने की योजना बनाई थी, लेकिन यूजर्स के विरोध के बाद इस साल की शुरुआत में उन्होंने यह फैसला बदल दिया था। हालांकि, द वर्ज ने सबसे पहले बताया था कि कंपनी ने शुरुआत में यह नहीं बताया था कि नए फीचर्स 2026 से बंद हो जाएंगे। करना होगा ये काम इस बदलाव का मतलब है कि Windows 10 यूजर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर Office से जुड़ी समस्याओं के लिए सीमित सपोर्ट मिलेगा। माइक्रोसॉफ्ट का आधिकारिक निर्देश है कि ऐसे यूजर्स Windows 11 में अपग्रेड करें। सपोर्ट स्टाफ केवल ट्रबलशूटिंग असिस्टेंस देगा और चेतावनी देगा कि "तकनीकी समाधान सीमित या अनुपलब्ध हो सकते हैं।" नए फीचर्स एक्सेस करने के लिए यूजर्स को विंडोज 11 में अपग्रेड करना होगा। लेटेस्ट Office टूल्स के लिए Windows 11 जरूरी इस कदम से कंपनी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा यूजर्स Windows 11 का इस्तेमाल करें। भले ही Windows 11 हाल ही में Windows 10 को सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले डेस्कटॉप OS के तौर पर पीछे छोड़ चुका है, फिर भी लाखों डिवाइस अभी भी पुराने सिस्टम पर चल रहे हैं। कंपनी ने अपग्रेड करने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दिए हैं, जैसे विंडोज बैकअप को इनेबल करने वाले या प्रति डिवाइस $30 का पेमेंट करने वाले Windows 10 यूजर्स के लिए फ्री एक्सटेंडेड सिक्योरिटी अपडेट। जो यूजर्स अपग्रेड नहीं करना चाहते या नहीं कर सकते, उनके लिए Office वेब ऐप्स नए फीचर्स एक्सेस करने का एक ऑप्शन बने रहेंगे। हालांकि, डेस्कटॉप एक्सपीरियंस अगस्त 2026 के बाद स्थिर रहेगा, जिससे एक ऐसा सिस्टम बनेगा जहां आधुनिक Office क्षमताओं के लिए Windows 11 की जरूरत होगी।

Acer का नया AI लैपटॉप भारत में लॉन्च, 62,999 रुपए से शुरू, मिलेगा खास ‘AI बटन’

नई दिल्ली अगर आप नया लैपटॉप खरीदना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है. Acer कंपनी ने भारत में अपना नया लैपटॉप लॉन्च किया है, जिसका नाम Swift Lite 14 AI PC है। यह लैपटॉप Acer की Lite सीरीज का हिस्सा है, जो अपने हल्के डिजाइन के लिए जानी जाती है। Swift Lite 14 लैपटॉप में एल्यूमीनियम अलॉय बॉडी है और इसमें प्राइवेसी शटर वाला फुल HD वेबकैम, सटीक टचपैड, फुल-साइज कीबोर्ड और माइक्रोसॉफ्ट के AI असिस्टेंट Copilot को एक्सेस करने के लिए एक खास Copilot बटन भी दिया गया है। आइए आपको इस लैपटॉप के बारे में डिटेल में बताते हैं। कीमत और उपलब्धता सबसे पहले कीमत की बात कर लेते हैं। Acer Swift Lite 14 AI PC लैपटॉप की शुरुआती कीमत ₹62,999 है। यह एसर के एक्सक्लूसिव आउटलेट्स, एसर के ऑफिशियल ऑनलाइन स्टोर, क्रोमा, रिलायंस डिजिटल और विजय सेल्स पर उपलब्ध है। आप इसे इन स्टोर्स से खरीद सकते हैं। डिजाइन और डिस्प्ले आप इस लैपटॉप को आसानी से कैरी कर सकते हैं। यह लैपटॉप सिर्फ 15.9mm मोटा है और इसका वजन 1.1 किलोग्राम है। इसमें 14 इंच का OLED डिस्प्ले है, जिसका रेजोल्यूशन WUXGA (1920 × 1200) और आस्पेक्ट रेशियो 16:10 है। यह डिस्प्ले 100% DCI-P3 कलर कवरेज को सपोर्ट करता है और इसमें 87% स्क्रीन-टू-बॉडी रेशियो मिलता है। लैपटॉप का डिस्प्ले 180-डिग्री हिंज का इस्तेमाल करके पूरी तरह से फ्लैट मोड़ा जा सकता है। इसका IPS डिस्प्ले वेरिएंट भी उपलब्ध है। परफॉर्मेंस और AI फीचर्स एसर का यह लैपटॉप Intel Core Ultra प्रोसेसर और Intel AI Boost NPU से पावर्ड है। यह AI फीचर्स जैसे विंडोज स्टूडियो इफेक्ट्स, बैकग्राउंड ब्लर और नॉइज कैंसिलेशन को बैटरी परफॉर्मेंस को प्रभावित किए बिना सपोर्ट करता है। कंपनी का कहना है कि इसके डिजाइन से बैटरी का ज्यादा देर तक इस्तेमाल हो पाता है। यह Windows 11 होम पर चलता है और इसमें Copilot का इंटीग्रेटेड एक्सेस मिलता है। कनेक्टिविटी कनेक्टिविटी के लिए लैपटॉप में 32 GB तक LPDDR5 RAM और 1 TB PCIe Gen 4 SSD स्टोरेज मिलती है, जो 50Wh की बैटरी से चलती है। कनेक्टिविटी के लिए इसमें पावर डिलीवरी और डिस्प्लेपोर्ट के साथ USB 3.2 Gen 2 Type-C पोर्ट, एक USB 3.2 Gen 1 Type-A पोर्ट, HDMI, 3.5mm ऑडियो जैक और एक केंसिंग्टन लॉक स्लॉट शामिल हैं। इसे Type-C चार्जर से चार्ज किया जाता है। लैपटॉप Wi-Fi 6 और ब्लूटूथ 5.1 या उससे ऊपर को सपोर्ट करता है।

Apple यूज़र्स के लिए खुशखबरी: iPhone और Watch अब करेंगे पहले से कहीं ज़्यादा सिंक और स्मार्ट काम

टेक्नोलॉजी दिनों-दिन आगे बढ़ रही है। आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) काफी चलन में है। ऐसा तय माना जा रहा है कि भविष्य में एआई का खूब इस्तेमाल किया जाएगा। कई कंपनियों ने एआई का इस्तेमाल करना शुरू भी कर दिया है। अभी तक AI का इस्तेमाल बीमारियों का पता लगाने, बीमारियों का इलाज करने या पढ़ाई-लिखाई में मदद करने के लिए किया जाता है। आने वाले वक्‍त में एआई का इस्तेमाल प्रेग्‍नेंसी का पता लगाने के लिए भी किया जाएगा। दुनिया की जानी मानी कंपनी Apple ने ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई है। आइए आपको इसके बारे में डिटेल में बताते हैं। iPhone और Apple Watch से पता चलेगी प्रेग्नेंसी ऐपल के प्रोडक्ट्स जैसे iPhone, iPad, Apple Watch आदि को सबसे बेहतरीन प्रोडक्ट्स माना जाता है। इनमें कई ऐसे फीचर्स होते हैं जो इन्हें दूसरे डिवाइस से अलग बनाते हैं। एक नई रिसर्च के मुताबिक Apple ने एक कमाल का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल बनाया है जो अब iPhone और Apple Watch से मिली जानकारी (व्यवहारिक डेटा) का इस्तेमाल करके 92% सटीकता के साथ प्रेग्नेंसी का पता लगा सकता है। कैसे काम करती है यह नई टेक्नोलॉजी? इस रिसर्च का नाम "Beyond Sensor Data: Foundation Models of Behavioral Data from Wearables Improve Health Predictions" है। इस रिसर्च में बताया गया है कि यह नया AI मॉडल कुछ खास स्वास्थ्य संकेतों जैसे नींद की गुणवत्ता, दिल की धड़कन में बदलाव (हार्ट रेट वेरिएबिलिटी), चलने-फिरने की आदतें (मोबिलिटी) और अन्य महत्वपूर्ण बातों को पहचान सकता है। यह वियरेबल बिहेवियर मॉडल (WBM) प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य में होने वाले बदलावों को भी ट्रैक कर सकता है। इस नए फाउंडेशन मॉडल को बनाने के लिए 2.5 बिलियन घंटे से भी ज्यादा वियरेबल डेटा का इस्तेमाल किया गया, जिससे यह पिछले मॉडल्स से बेहतर या उनके बराबर काम कर सके। हालां‍क‍ि अभी यह पता नहीं है क‍ि यह टेक्‍नोलॉजी कबतक ड‍िवाइसेज में ले आएगी जाएगी। रिसर्च में क्या-क्या शामिल था? रिसर्चर्स ने 430 प्रेग्नेंट महिलाओं के डेटा का इस्तेमाल करके एक प्रेग्नेंसी डेटासेट बनाया, जिनकी डिलीवरी नॉर्मल या सिजेरियन हुई थी। WBM ने ऐप्पल हेल्थ ऐप, हेल्थकिट और हार्ट रेट सेंसर डेटा (PPG) से जानकारी इकट्ठा की। रिसर्च में बताया गया है कि डेटा से पता चला कि बच्चे के जन्म से पहले के नौ महीने और डिलीवरी के बाद का एक महीना "पॉजिटिव" हफ्ते थे, क्योंकि महिलाएं प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के बाद ठीक होने के दौरान शारीरिक बदलावों से गुजर रही थीं। बाकी समय को "नेगेटिव" हफ्ते के तौर पर चिन्हित किया गया। नतीजों को ज्यादा सटीक बनाने के लिए रिसर्चर्स ने 24,000 से ज्यादा उन महिलाओं का डेटा भी इकट्ठा किया जिनकी उम्र 50 साल से कम थी और जो प्रेग्नेंट नहीं थीं।  

दुनियाभर में ChatGPT का सर्वर डाउन, जिसने हड़कंप मचा दिया …

मुंबई  16 जुलाई 2025 को सुबह एक बार फिर OpenAI की सर्विसेस पूरी दुनिया में ठप हो गई हैं. ChatGPT, Sora और GPT API का इस्तेमाल कर रहे लाखों यूजर्स को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह इस महीने की दूसरी बड़ी आउटेज है, जिससे यूजर्स के मन में OpenAI की सर्विस की भरोसेमंदी को लेकर सवाल उठने लगे हैं. क्या हो रहा है? Downdetector वेबसाइट के अनुसार, 16 जुलाई को सुबह 6:10 बजे (भारतीय समयानुसार) यूजर्स की शिकायतों में अचानक तेजी आई. रिपोर्ट्स में बताया गया: • 88% यूजर्स ChatGPT का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं कर पा रहे. • बाकी शिकायतें API, Sora और Codex से जुड़ी हैं. OpenAI के ऑफिशियल स्टेटस पेज पर कहा गया है कि सभी सर्विस में 'degraded performance' हो रही है. कंपनी ने कहा है: 'हमने एरर रेट्स में वृद्धि देखी है और समाधान पर काम कर रहे हैं.' सोशल मीडिया पर हड़कंप X (पहले Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म पर यूजर्स लगातार शिकायतें पोस्ट कर रहे हैं. कुछ प्रमुख समस्याएं: • चैट स्क्रीन खाली दिखाई दे रही है या अधूरी प्रतिक्रिया मिल रही है. • लॉगिन करने में परेशानी, कई यूजर्स वेरिफिकेशन में अटक रहे हैं. • अचानक डिस्कनेक्शन होने से यूजर्स का काम अधूरा छूट रहा है. Dev यूजर्स को Codex में कोडिंग सपोर्ट नहीं मिल रहा और कंटेंट क्रिएटर्स को Sora से वीडियो बनाने में काफी देरी हो रही है. OpenAI की प्रतिक्रिया OpenAI ने इस परेशानी को स्वीकार किया है, लेकिन अभी तक: • न तो समस्या की असली वजह (जैसे सर्वर ओवरलोड, सॉफ्टवेयर बग आदि) बताई है, • और न ही सर्विस पूरी तरह से कब ठीक होगी, इसकी जानकारी दी है. यूजर्स क्या करें? जब तक सर्विस पूरी तरह से ठीक नहीं होती, OpenAI की तरफ से कुछ सुझाव दिए गए हैं: 1. बार-बार लॉगिन करने की कोशिश न करें, इससे सिक्योरिटी लॉक लग सकता है. 2. OpenAI Status Page पर जाकर अपडेट चेक करते रहें. 3. अपने काम को किसी बाहरी सिस्टम में सेव करते रहें, ताकि डाटा लॉस से बचा जा सके. 

Google ला रहा नया प्लेटफॉर्म, Android और ChromeOS का होगा मर्जर

Google एक बड़ी प्लानिंग तैयार कर रहा है और आने वाले दिनों में Android और ChromeOS को मिलाकर एक पावरफुल सिंगल ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) को तैयार किया जाएगा. यहां आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि इसके कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे और अब कंपनी ने टेक रडार को दिए गए इंटरव्यू में बताया है कि दोनों को मिलाकर एक सिंगल प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में काम हो रहा है.   जानकारी के मुताबिक, Android Ecosystem के प्रेसिडेंट Sameer Samat ने कहा कि हम Chrome OS और Android की खूबियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर शामिल करने जा रहे हैं. इसके लिए एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार किया जाएगा, हालांकि किसी टाइमलाइन का जिक्र नहीं किया है.  यूजर्स को मिलेगा एक जैसा एक्सपीरियंस  Chrome OS और Android दोनों प्लेटफॉर्म का मर्जर करके एक प्लेटफॉर्म बनाने से यूजर्स को काफी फायदा देखने को मिलेगा. इस मर्जर की मदद से यूजर्स को मोबाइल, टैबलेट, और Chromebook का यूज करने पर एक जैसा एक्सपीरियंस मिल सकता है. Google अपने दो ऑपरेटिंग सिस्टम को मिलाकर एक प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में काम कर रहा है.      ChromeOS को लेकर बताते देते हैं कि यह Chromebook लैपटॉप के लिए तैयार किया है. यह कई मामलों में अच्छा है, जिसके साथ Android Apps का भी सपोर्ट मिलता है. इसके बावजूद इसमें कुछ लिमिटेशन भी हैं.      Android ऑपरेटिंग सिस्टम की पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. Google Pixel, Samsung, OnePlus, Redmi, Realme समेत दुनियाभर में ढेरों ब्रांड हैं, जिनमें Android OS का यूज किया जाता है.    Chrome OS और Android से क्या होगा फायदा? Android और Chrome OS प्लेटफॉर्म का मर्जर होने के बाद यूजर्स को काफी नया एक्सपीरियंस देखने को मिल सकता है. इसमें दोनों प्लेटफॉर्म अपने फीचर्स और ऐप्स को शेयर कर सकेंगे. आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि Android Apps पहले से ही Chromebook पर चलते हैं और इस न्यू मर्जर के बाद यूजर्स को बेहतर यूजर एक्सपीरियंस देखने को मिलेगा.  क्रोम और एंड्रॉयड का मर्जर से मिलेगी क्रॉस डिवाइस कनेक्टिविटी  Google भी Apple जैसा ईकोसिस्टम तैयार करने की कोशिश में लगा है. जहां सभी डिवाइस आसानी से कनेक्ट हो जाते हैं और इससे यूजर्स को बेहतर एक्सपीरियंस भी मिलता है. यहां यूजर्स को बेहतर क्रॉस डिवाइस कनेक्टिविटी का फायदा मिलेगा.

भारत में लॉन्च हुआ LG का AI Smart TV, लगभग 25 लाख रुपये है कीमत, जानिए फीचर्स

LG ने भारतीय बाजार में अपने नए स्मार्ट टीवी को लॉन्च कर दिया है. कंपनी ने OLED evo और QNED evo सीरीज को पेश किया है. इस लाइन-अप में आपको ज्यादा प्रीमियम फीचर्स मिलेंगे. इसमें AI फीचर्स दिए गए हैं, जो इन स्मार्ट टीवी को दूसरों से अलग बनाते हैं. कंपनी ने सिर्फ स्मार्ट फीचर्स को नहीं जोड़ा है, बल्कि TV को इंटेलिजेंस बनाने पर काम किया है.  यूजर किस तरह से इंटरैक्ट करता है, टीवी इसका ध्यान रखता है और फ्यूचर में वैसे ही कंटेंट को सजेस्ट करता है. दोनों ही वेरिएंट्स में कंपनी ने AI एन्हांसमेंट, एडवांस डिस्प्ले टेक्नोलॉजी और अपडेटेड WebOS दिया है. आइए जानते हैं इन स्मार्ट टीवी की कीमत और दूसरी खास बातें.  क्या है इन Smart TV में खास? 2025 OLED evo और QNED evo TV में कंपनी ने Alpha AI Gen 2 प्रोसेसर दिया है. इसकी वजह से आपको बेहतर कस्टमाइजेशन और स्मार्ट कंट्रोल्स मिलेंगे. AI मैजिक रिमोट में अब कंपनी ने अलग से AI बटन दिया गया है, जिसका इस्तेमाल वॉयस कंट्रोल और नेविगेशन के लिए किया जा सकता है.  यूजर्स के इस्तेमाल करने के तरीके पर टीवी उन्हें पर्सनलाइज्ड कंटेंट ऑफर करेगा और कीवर्ड्स पर सजेस्ट करेगा. AI सर्च का फीचर जोड़ा गया है जो लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर बना है. टीवी में दिया गया AI चैटबॉट रियल टाइम में इशू को डिटेक्ट करता है और उसका समाधान प्रदान करता है.  लेटेस्ट टीवी में ने नया webOS दिया है, जो अपग्रेडेड और फास्ट यूजर एक्सपीरियंस ऑफर करता है. इसमें आपको रिडिजाइन होम स्क्रीन मिलेगी, जो मल्टीपल यूजर प्रोफाइल सपोर्ट करती है. इसमें बिल्ट-इन Apple AirPlay और गूगल कास्ट मिलता है, जिसकी मदद से आप अपने फोन के कंटेंट को टीवी पर शेयर कर सकते हैं.  कितनी है कीमत? QNED AI TV को कंपनी ने 74,990 रुपये (QNED8BA सीरीज) की शुरुआती कीमत पर लॉन्च किया है. ये टीवी 43-inch से 75-inch तक के स्क्रीन साइज का ऑप्शन मिलता है. वहीं QNED evo सीरीज (QNED8GA/XA) 1,19,990 रुपये की शुरुआती कीमत पर मिलेगी. OLED स्मार्ट टीवी 1,93,900 रुपये (B5 सीरीज) की शुरुआती कीमत पर आता है.  OLED evo के C5 सीरीज को आप 1,49,990 रुपये की कीमत, G5 सीरीज को 2,67,990 रुपये में और G5 Ultra-Large टीवी सीरीज को 24,99,990 रुपये में खरीद पाएंगे. ये कीमत 97-inch के स्मार्ट टीवी की है.

स्वाद में मीठा, सेहत में जानलेवा – जलेबी और समोसा सिगरेट जितने खतरनाक!

नागपुर  भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसा, जलेबी और लड्डू जैसे लोकप्रिय भारतीय नाश्तों को लेकर एक निर्देश जारी किया है। मंत्रालय ने अब सिगरेट की तरह इन नाश्तों को भी एक स्वास्थ्य चेतावनी के साथ परोसने की योजना बनाई है। इस कदम का उद्देश्य देश में बढ़ते मोटापे और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर लगाम लगाना है। मोटापे की बढ़ती समस्या स्वास्थ्य मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार, भारत में मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य बीमारी बनती जा रही है। मंत्रालय की मानें तो साल 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हो जाएंगे। जिससे भारत अमेरिका के बाद इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित देश बन सकता है। वर्तमान में, हर पांच में से एक शहरी वयस्क मोटापे का शिकार है। बच्चों में मोटापे की बढ़ती दर, गलत खानपान की आदतें और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने इस चिंता को और भी बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के केंद्रीय संस्थानों जैसे कि नागपुर के AIIMS, को निर्देश दिया है कि वे 'तेल और शुगर बोर्ड' (Oil and Sugar Boards) लगाएं। इन बोर्डों पर खाद्य पदार्थों में मौजूद छिपे हुए फैट और चीनी की मात्रा की स्पष्ट जानकारी लिखें। समोसा, जलेबी, लड्डू, वड़ा पाव, पकोड़ा जैसे तले हुए और चीनी से भरपूर नाश्तों को इस सूची में शामिल किया गया है। मंत्रालय का मानना है कि इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में ट्रांस-फैट, संतृप्त वसा और चीनी की अधिक मात्रा होती है। जो मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण हैं। ऐसे में सरकार कैफे, रेस्तरां और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मेन्यू कार्ड्स और पैकेजिंग पर स्वास्थ्य चेतावनी छापने की योजना बना रही है।  क्या बोले कार्डियॉलजिस्ट AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें यह आदेश मिल गया है और वे कैंटीन और सार्वजनिक जगहों पर ये बोर्ड लगाने की तैयारी कर रहे हैं। कार्डियॉलजिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की नागपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. अमर अमाले ने कहा, 'यह खाने की चीज़ों पर लेबल लगाने की शुरुआत है, जो सिगरेट की चेतावनी जितनी ही ज़रूरी होगी।' उन्होंने आगे कहा कि हम सालों से कह रहे हैं कि चीनी और ट्रांस फैट अब नए तंबाकू हैं। लोगों को यह जानने का हक है कि वे क्या खा रहे हैं। भारत बनने वाला है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोटापा का केंद्र सरकार की चिट्ठी में कुछ डराने वाले आंकड़े दिए गए हैं। इसमें बताया गया है कि 2050 तक 44.9 करोड़ से ज़्यादा भारतीय या तो ज़्यादा वज़न वाले होंगे या मोटापे का शिकार हो जाएंगे। इससे भारत दुनिया में मोटापे का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा। शहरों में पहले से ही हर पांच में से एक वयस्क ज़्यादा वज़न वाला है। बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या भी चिंता का विषय है, जिसका कारण खराब खानपान और सुस्त जीवनशैली है। 'चीनी और तला भोजन दे रहा बीमारियां' अधिकारियों का कहना है कि यह पहल गैर-संचारी रोगों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से लड़ने का एक हिस्सा है। इन बीमारियों का सीधा संबंध ज़्यादा चीनी और तेल वाले भोजन से है। एक बार लगने के बाद, ये बोर्ड सरकारी दफ्तरों और संस्थानों में चुपचाप खड़े संतरी की तरह काम करेंगे। ये लोगों को याद दिलाएंगे कि दिखने में मासूम लड्डू में इतनी चीनी हो सकती है कि वह आपकी सेहत के लक्ष्यों को बर्बाद कर दे। पीएम के फिट इंडिया अभियान का हिस्सा वरिष्ठ मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा कि यह खाने पर पाबंदी लगाने के बारे में नहीं है। लेकिन अगर लोगों को पता चले कि एक गुलाब जामुन में पांच चम्मच चीनी हो सकती है, तो वे दूसरी बार खाने से पहले सोच सकते हैं। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'फिट इंडिया' अभियान को आगे बढ़ाता है। इसमें उन्होंने तेल के इस्तेमाल में 10% की कटौती करने की बात कही थी। अब नागपुर उस संदेश को सबसे आगे रखने के लिए तैयार है, भले ही इसका मतलब ऑफिस के स्नैक काउंटर पर कुछ अजीब नज़रों का सामना करना पड़े। इसलिए, अगली बार जब आप किसी सरकारी कैंटीन में समोसे के लिए हाथ बढ़ाएं, तो हैरान न हों अगर पास में एक रंगीन बोर्ड धीरे से कहे, समझदारी से खाएं। आपका भविष्य आपको धन्यवाद देगा। यह पहल लोगों को स्वस्थ रहने के लिए जागरूक करने की एक कोशिश है। सरकार चाहती है कि लोग खाने-पीने की चीज़ों में मौजूद चीनी और तेल की मात्रा के बारे में जानें और अपनी सेहत का ख्याल रखें। समोसा, जलेबी और लड्डू ही क्यों चुने गए? अब सोचने वाली बात यह है कि सिर्फ समोसा, जलेबी और लड्डू को ही क्यों चुना गया। तो बताते चले समोसा, जलेबी और लड्डू भारतीय संस्कृति में लोकप्रिय खाद्य पदार्थ हैं। चाय के साथ यग घर पर आए मेहमानों के लिए अक्सर समोसा परोसा जाता है। कोई भी शुभ अवसर हो तो मुंह मीठा करने के लिए लड्डू और जलेबी खाई जाती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन सभी खाद्य पदार्थों में मौजूद उच्च कैलोरी, तेल, और चीनी इन्हें स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा बनाती है। समोसा: तेल में तला हुआ, जिसमें मैदा और आलू या मांस की स्टफिंग होती है, जो ट्रांस-फैट और कैलोरी से भरपूर होता है। जलेबी: चीनी की चाशनी में डूबी जलेबी में अत्यधिक शुगर होती है, जो मधुमेह और वजन बढ़ने का कारण बन सकती है। लड्डू: घी और चीनी से बने लड्डू में संतृप्त वसा और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता और रोजमर्रा के खानपान में इनका व्यापक उपयोग इन्हें चेतावनी सूची में शामिल करने का प्रमुख कारण है।