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भोपाल में दीवाली तक सख्त पहरा, लाइव मॉनिटरिंग और ट्रैफिक डायवर्जन से होगा नियंत्रण

भोपाल  दीवाली त्योहार को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। शहर में प्रमुख स्थानों और मुख्य बाजार जैसे न्यू मार्केट, चौक बाजार, बिट्टन मार्केट, 10 नंबर मार्केट, न्यू मार्केट, मंगल वारा सहित शहर के मॉल और प्रमुख इलाके चिह्नित कर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में किसी भी तरह की चोरी, झपटमारी और लूट की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस लगातार गश्त पर रहेंगी। प्लान तैयार कर विशेष निगरानी पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि त्योहार के दौरान सुरक्षा के लिए विशेष प्लान तैयार किया गया है। शहर भर में 500 पुरुष पुलिसकर्मी, 200 महिला पुलिसकर्मी और 75 दुर्गा शक्ति टीम सिविल ड्रेस में तैनात की गई हैं, ताकि भीड़ वाले बाजारों में किसी भी तरह के संदिग्ध गतिविधि पर तैनात टीम तुरंत कार्रवाई करेंगी। महिला सुरक्षा है पहली प्राथमिकता महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मॉल, मंदिर और मार्केट इलाकों में महिला पुलिसकर्मी विशेष निगरानी कर रही हैं। इसके अलावा सिविल ड्रेस में दुर्गा शक्ति टीम बाजारों में गश्त पर रहेंगी। किसी भी आपत्तिजनक स्थिति होने पर तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार रहेंगी। कंट्रोल रूम से लाइव निगरानी पुलिस ने बताया कि बाजारों में लगे सीसीटीवी कैमरों की लाइव फीड कंट्रोल रूम से मॉनिटर की जा रही है। संदिग्ध व्यक्तियों पर कैमरे से नजर रखी जा रही है। संदिग्ध गतिविधि होने पर डायल 112 करें शिकायत: पुलिस कमिश्नर ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की जानकारी तुरंत डायल 100 व नजदीकी पुलिस थाने को दें। आज से पुराने भोपाल में नहीं जा सकेंगे चार पहिया और लोडिंग वाहन — जनकपुरी, जुमेराती, छोटे भैया चौराहा, घोड़ा नक्कास, हनुमानगंज और आजाद मार्केट जैसे इलाकों में लोडिंग वाहन, ऑटो और चारपहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा — करोंद, डीआईजी बंगला, सिंधी कॉलोनी और शाहजहांनाबाद से आने वाले वाहन भोपाल टॉकीज चौराहे से आगे नहीं जा सकेंगे, उन्हें अपने वाहन बाल विहार ग्राउंड में पार्क करना होगा — भारत टॉकीज से आने वाले दोपहिया वाहन अपने वाहन सेंट्रल लाइब्रेरी मैदान में पार्क करने होंगे — संगम टॉकीज और सब्जी मंडी परिसर में अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था की गई है। — लखेरापुरा, इतवारा, मारवाड़ी रोड, इब्राहिमपुरा से तीन और चार पहिया वाहन चौक बाजार की ओर नहीं जा सकेंगे, इन्हें सरस्वती स्कूल के पास बनी मल्टीलेवल पार्किंग या सदर मंजिल पार्किंग का उपयोग करना होगा — भीड़ अधिक होने पर दोपहिया वाहन भी इन्हीं पार्किंग स्थलों पर वाहन पार्क कर सकेंगे 10 नंबर मार्केट में वन-वे ट्रैफिक 13 अक्टूबर से 10 नंबर मार्केट में भी दिवाली तक ट्रैफिक व्यवस्था बदली गई है। यहां वन वे ट्रैफिक किया गया है। वाहन वंदे मातरम चौराहे से एंट्री करेंगे और 10 नंबर मार्केट तिराहे से होते हुए नेशनल अस्पताल की ओर जा सकेंगे। वहीं नेशनल अस्पताल वंदे मातरम चौराहे की दिशा में आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। न्यू मार्केट में मल्टीलेवल पार्किंग का करें यूज न्यू मार्केट में भीड़ बढ़ने पर टीटी नगर थाना चौराहे के पास स्थित मल्टीलेवल पार्किंग का यूज करना होगा। यहां रंगमहल चौराहे से थाना चौराहे की दिशा में आवागमन को बदला जा सकता है। एमपी नगर में निर्धारित वाहन पार्किंग में करनी होगी पार्किंग इधर एमपी नगर जोन 1 के व्यापारी और खरीदार स्थानीय मल्टीलेवल पार्किंग और निर्धारित स्थलों पर ही वाहन पार्क कर सकेंगे। बैरागढ़ में चंचल चौराहे के पास मल्टीलेवल पार्किंग व्यवस्था भोपाल के बैरागढ़ यानी संत हिरदाराम नगर के चंचल चौराहे के पास मल्टीलेवल पार्किंग तैयार है। इसके साथ ही नए ब्रिज निर्माण के दौरान पीडब्ल्यूडी की ओर से छोटे अस्थायी पार्किंग स्थल भी बनाए जा रहे हैं। जहां ग्राहक थोड़े समय के लिए अपने वाहन खड़े कर सकेंगे। ट्रैफिक पुलिस ने की अपील इस दौरान ट्रैफिक पुलिस ने अपील की है कि सभी व्यापारी और दुकानदार रात 12 बजे से सुबह 7 बजे के बीज ही सामान की लोडिंग और अनलोडिंग का काम करें, ताकि जाम की स्थिति न बने।

मौसम अपडेट: इन जिलों में आज होगी झमाझम बारिश, सावधान रहें

भोपाल अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय मौसम प्रणालियों के प्रभाव से मध्य प्रदेश में कहीं-कहीं वर्षा हो रही है। इसी क्रम में शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक उमरिया में 15, रीवा में नौ, भोपाल में छह, सतना में चार, बैतूल एवं दतिया में तीन और सीधी में एक मिलीमीटर वर्षा हुई। प्रदेश में सबसे अधिक 34 डिग्री सेल्सियस तापमान श्योपुर में दर्ज किया गया। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक रविवार को भी रीवा, शहडोल, जबलपुर, भोपाल, इंदौर, उज्जैन संभाग के जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। हालांकि एक सप्ताह बाद मानसून के वापस लौटने की भी संभावना बन रही है। कब होगा मौसम साफ मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी पीके रायकवार ने बताया कि वर्तमान में गहरा कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी छत्तीसगढ़ और उससे लगे पश्चिमी झारखंड, दक्षिणी बिहार एवं दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना है। इसके रविवार तक बिहार में पहुंचने की संभावना है। इस मौसम प्रणाली से लेकर विदर्भ तक एक द्रोणिका बनी हुई है। अरब सागर में बना गहरा अवदाब चक्रवाती तूफान शक्ति में परिवर्तित हो गया है। यह पश्चिम-मध्य अरब सागर की तरफ बढ़ रहा है। इन मौसम प्रणालियों के असर से प्रदेश में कहीं-कहीं वर्षा हो रही है। इस तरह की स्थिति तीन-चार दिन तक बनी रह सकती है। उसके बाद मौसम के साफ होने के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने बताया कि अरब सागर में बना तूफान काफी दूर जा रहा है। उधर, गहरा कम दबाव का क्षेत्र भी बिहार की तरफ बढ़ रहा है। इस वजह से अब धीरे-धीरे वर्षा की गतिविधियों में कमी आने लगेगी। हालांकि अभी तीन-चार दिन तक बादल बने रहने और कहीं-कहीं हल्की वर्षा भी हो सकती है। 10 अक्टूबर के आसपास राजस्थान में एक प्रति चक्रवात के बनने के संकेत मिले हैं। इस वजह से 10 अक्टूबर से दक्षिण-पश्चिम मानसून के वापस लौटने की भी संभावना बन रही है। इंदौर में 24 घंटे में चार इंच से अधिक वर्षा उधर पिछले 24 घंटों के दौरान शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक इंदौर में 114.6 (4.48 इंच), सीधी में 68.2, रीवा में 40, सतना में 27, जबलपुर में 19.8, उज्जैन में 10.6 मिमी. वर्षा हुई।

नया टीएंडसीपी नियम: अब कॉलोनी प्लानिंग में खुला क्षेत्र छोड़ना अनिवार्य

भोपाल   भोपाल शहर की हरियाली अब और बढ़ेगी। मप्र भूमि विकास अधिनियम और कालोनी विकास की शर्तो में संशोधन के बाद ऐसा हो सकेगा। टीएंडसीपी ने शहर में ग्रीन कॉलोनी बनाने के लिए नए नियम जारी किए जा रहे हैं। अब नयी कॉलोनियों के कुल क्षेत्रफल का दस फीसदी ग्रीन व खुला स्पेस रखना होगा। यानी दस हेक्टेयर की कॉलोनी है तो वहां एक हेक्टेयर क्षेत्रफल सिर्फ पार्क व मैदान के तौर पर होगा। इसके लिए नई पॉलिसी में प्रावधान किए जा रहे हैं। अक्टूबर में ये पॉलिसी लागू होगी। कोई भी डेवलपर सिर्फ मकान, सड़क बनाकर काम पूरा नहीं कर पाएगा। कॉलोनी विकास की अनुमति देते समय ही ग्रीन एरिया का क्षेत्रफल आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। यह नियम 10 हेक्टेयर की कॉलोनी में लागू किया जाएगा। – श्रीकांत बानोट, संचालक टीएंडसीपी ऐसे समझें नए नियम -10 से 40 हेक्टेयर की कॉलोनी है तो 60 फीसदी विकसित किया जा सकेगा। -60 फीसदी विकसित किए जाने वाले क्षेत्र का 80 फीसदी आवासीय विक्रय होगा। -20 फीसदी वर्क सेंटर यानि दुकानों के तौर पर विक्रय किया जाएगा। -10 फीसदी कुल क्षेत्र का कम से कम पार्क व खुला क्षेत्र रखना होगा। -25 फीसदी क्षेत्र वनीकरण के तौर पर यानी छायादार पेड़ लगाने होंगे। -5 फीसदी क्षेत्र में सामाजिक अधोसंरचनाएं विकसित करनी होंगी। -15 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आवासीय इकाईयों में आरक्षित होंगी। शहर में अभी यह स्थिति इस समय राजधानी में 1200 से अधिक कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनमें लोगों को खुला क्षेत्र नहीं दिया गया है। गुलमोहर में ही 30 से अधिक ऐसी कॉलोनियां हैं। कोलार में सबसे अधिक परेशानी है। यहां 600 से अधिक कॉलोनियों में पार्क और खुला क्षेत्र नहीं है। बच्चों को पार्क के लिए स्वर्ण जयंती या फिर शाहपुरा जाना पड़ता है।

सफर होगा आसान: भोपाल-इंदौर हाईस्पीड एक्सप्रेसवे का रूट तय, दूरी घटेगी, रफ्तार बढ़ेगी

इंदौर   मध्य प्रदेश के इंदौर से राजधानी भोपाल की सड़क यात्रा की दूरी तय करने में फिलहाल साढ़े 3 से 4 घंटे का समय लगता है। इसे कम करने की कवायद शुरू हो चुकी है। दोनों शहरों के बीच हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर बनने जा रहा है। जिससे दोनों शहरों के बीच का सफर 50 किलोमीटर तक कम होगा और दो घंटे में भोपाल से इंदौर का सफर पूरा किया जा सकेगा। इसका मार्ग फाइनल हो चुका है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) इसे भारत माला हाईवे की तर्ज पर विकसित करेगी। जिसके लिए मध्य प्रदेश सरकार की जरूरी सैद्धांतिक सहमति के बाद एनएचएआई ने इसकी अलाइनमेंट डीपीआर की मंजूरी के लिए सड़क परिवहन विभाग को भेज दी है। सिंहस्थ 2028 से पहले इस हाइस्पीड एक्सप्रेस-वे को शुरू करने की योजना है।  नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इसे भारत माला हाईवे की तर्ज पर डेवलप करेगी। राज्य सरकार की सैद्धांतिक सहमति के बाद NHAI ने इसकी अलाइनमेंट डीपीआर मंजूरी के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय को भेज दी है। मंजूरी मिलने के बाद एक्सप्रेस वे का मैदानी काम शुरू होगा। बता दे इस समय भोपाल इंदौर के बीच मौजूदा एक्सप्रेसवे में कई गाड़ियों की आवाजाही होती है। जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। एनएचएआई ने ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण किया तो पता चला कि यहां से रोज़ाना 30 हज़ार से ज्यादा गाड़ियां गुजरती हैं। जिसमें मेहतवाड़ा से लेकर डोडी तक जाम लगता है यहां कई वाहन खड़े होते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की जरूरत क्यों, 4 कारण 1. मौजूदा हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव इंदौर-भोपाल के बीच जो मौजूदा सड़क है, उस पर ट्रैफिक का दबाव ज्यादा है। NHAI ने ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि यहां से रोजाना 30 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। आने वाले समय में जैसे- जैसे आबादी बढ़ेगी, ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जाएगा। ऐसे में दोनों शहरों के बीच नया कॉरिडोर बनाने की जरूरत है। 2. कई हिस्सों में जाम के हालात मौजूद हाईवे पर कई स्पॉट पर जाम के हालात बनते हैं। मेहतवाड़ा से लेकर डोडी तक जाम लगता है। यहां कई वाहन खड़े रहते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती है। जावर जोड़ से होकर निकलने वाली बसें यहां रुकती है। यात्रियों को यहीं से बैठाया जाता है। सीहोर के पास कुबेरेश्वर धाम की वजह से भी आए दिन जाम के हालात बनते हैं। इसी साल सावन के महीने में कुबेरेश्वर धाम की कांवड़ यात्रा में 5 लाख श्रद्धालु जुटे थे। हाईवे पर 72 घंटे तक जाम लगा रहा। 3. हाईवे से सटे कस्बे ट्रैफिक में रुकावट भोपाल-इंदौर हाईवे सीहोर, आष्टा और सोनकच्छ कस्बों के लिए बायपास रोड है। इन कस्बों में रहने वाले लोग इंदौर या भोपाल जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं। किसान भी अपने खेतों पर जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से यहां टू व्हीलर, ट्रैक्टर की आवाजाही भी रहती है। 4. ढाबा-रेस्टोरेंट और टोल नाके हाईवे के दोनों तरफ की जमीनों का व्यवसायिक इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है। इस समय इंदौर- भोपाल रोड पर 50 से ज्यादा ढाबे और रेस्टोरेंट हैं। कमर्शियल एक्टिविटी बढ़ने से वाहनों की आवाजाही बढ़ती जा रही है। एमपीआरडीसी के यहां 4 और एनएचएआई का एक टोल है। भोपाल वेस्टर्न बायपास से इंदौर के एमआर-10 तक बनेगा प्रस्तावित एक्सप्रेस वे भोपाल के वेस्टर्न रिंग रोड से शुरू होगा और इंदौर के एमआर 10 से जुड़ेगा। इसके बीच में तीन जिले भोपाल, सीहोर, देवास की 7 तहसीलें आएंगी। ये पूरी तरह से नया रोड बनेगा। भोपाल से सीहोर इछावर होते हुए आष्टा के इलाही और देवास जिले के हाटपिपल्या और बागली तहसील को जोड़ेगा। एनएचएआई की डीपीआर के मुताबिक, भोपाल वेस्टर्न बाइपास से इंदौर एमआर 10 तक की दूरी 148–150 किमी है। वर्तमान हाईवे से देवास होकर इंदौर तक की दूसरी 195 किमी है। भोपाल-इंदौर के बीच एक्सप्रेस-वे का सफर करीब 50 किमी कम हो जाएगा और यह 2 घंटे में पूरा हो जाएगा। प्रस्तावित कॉरिडोर देवास शहर से होकर नहीं गुजरेगा। 7 तहसील के 59 गांव जुड़ेंगे     भोपाल, हुजूर तहसील: अमरपुरा, समसपुरा, आमला।     सीहोर तहसील: डेहरिया खुर्द, गडिया, रत्नखेरी, पाटनी, गेरूखान, इमलीखेड़ा।     इछावर तहसील: मुबादा, सेमली जादीद, मोहनपुर नौबाद, बावड़िया, सेंधोखेड़ी, लसुड़िया कांगड़, पोंगराखाती, कस्बा इछावर, सेवनियां, निपानिया, नयापुरा, जुझारपुरा, दिवारिया, हिम्मतपुर, मुंडला, बिजोरी, चैनपुरा।     आष्टा तहसील: भऊनरा, भटोनी, अरनिया जोहरी, मगरखेड़ी, दल्लूपुरा, लाखापुरा, झारखेड़ी, कामखेड़ाजबा, कन्नौदमिर्जा, गंगलखोटरी, झानपुरा, पगरियाहट, इलाही।     जावर तहसील: देहमत, उमरदाद, जहांजनपुरा, धुराड़ाकलां।     हाटपिपल्या तहसील: साप्ती, भवरड़ा, कनेरिया, बारोली, दोकरखेड़ा, कंझार, कावड़ी, हमीरखेड़ी, बरहानपुर, पिटावली, रेहली।     बागली तहसील: बिलावली, देवपिपल्या, बावड़ीखेड़ा, गाराखेड़ी, बिजूखेड़ा। डिजाइन से तय होती है गाड़ियों की स्पीड इंडियन रोड कांग्रेस-2013 की गाइडलाइन के मुताबिक, एक्सप्रेस वे की डिजाइन स्पीड 120 किमी प्रतिघंटा तय की गई है। इस स्पीड से गाड़ी चलने पर 180 किलोमीटर की दूरी दो से ढाई घंटे में पूरी होती है। ऐसे ही सिक्स लेन की डिजाइन स्पीड 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है। इस स्पीड में 180 किमी की दूरी तीन घंटे में तय होती है। 1100 हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण एनएचएआई अफसरों के मुताबिक, अलाइनमेंट को इस तरह से तैयार किया है कि हाईवे ज्यादातर सरकारी और वन भूमि से होकर गुजर रहा है। हालांकि, इसके दायरे में करीब 1100 हेक्टेयर निजी जमीन भी आ रही है। ये पूरे प्रोजेक्ट का करीब 30 से 40 फीसदी हिस्सा है। अफसरों के मुताबिक जैसे ही अलाइनमेंट डीपीआर को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलेगी, उसके बाद जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की जाएगी। एनएचएआई के अफसरों का कहना है कि निजी जमीन का एरिया ज्यादा नहीं है इसलिए भूमि अधिग्रहण में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ये प्रक्रिया 6 से 8 महीने के बीच पूरी कर ली जाएगी। भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार पूरी प्रक्रिया करेगी। इसके बाद जो भी नियम के अनुसार मुआवजा बनेगा, वो निजी भूमि मालिक को दिया जाएगा। मुआवजा की राशि केंद्र सरकार देगी।

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण: मंत्री का सख्त ऐलान, होगी सख्त कार्रवाई

भोपाल  शहर में शासकीय भूमि पर पक्के स्थायी निर्माण कर लाभ कमाने वाले भूमाफिया तो जेल जाएंगे ही, साथ ही जिन अधिकारियों के संरक्षण में ये पनप रहे हैं वह भी नपेंगे।पिछले दिनों कोकता ट्रांसपोर्ट नगर और हथाईखेड़ा डैम के आसपास स्थित पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन के सीमांकन में 80 से अधिक पक्के अतिक्रमण मिले थे। यदि समय रहते विभाग सीमांकन करवाता और प्रशासन, नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी खसरा, खतौनी, बंटान आदि दस्तावेजों की जांच करवाते तो करोड़ों की जमीन पर कब्जे नहीं होते।ऐसे में इन अवैध कब्जों के लिए SDM, तहसीलदार, आरआइ, पटवारी सहित अन्य अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। अब उनकी जांच होनी चाहिए और दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई की जानी चाहिए। यह बात प्रदेश के पशुपालन मंत्री लखन पटेल और भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने कही है। गोविंदपुरा तहसीलदार सौरभ वर्मा की टीम द्वारा पशुपालन विभाग की 99 एकड़ जमीन का सीमांकन किया गया तो यहां पर करीब सात एकड़ से अधिक जमीन पर अतिक्रमण निकला।इसमें नगर निगम की 50 दुकानें, एसटीपी प्लांट आदि भी विभाग की जमीन पर बनाए गए हैं। ये दुकानें तत्कालीन निगमायुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी के समय पर बनवाई गईं थीं। तब तत्कालीन भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया थे और प्रशासन ने सीमांकन कर जमीन नगर निगम को सौंपी थीं। विभाग की जमीन पर निगम की दुकानें आने के बाद से सवाल खड़े हो रहे हैं कि रिकार्ड में जब पशुपालन का रकबा था तो आरआइ, पटवारी ने किस आधार पर यह जमीन निगम की बता दी। ऐसे में अब दोनों विभागों के बीच नोकझोंक की स्थिति बनी हुई है। यही कारण है कि पशुपालन विभाग ने जिला प्रशासन को जमीन अतिक्रमणमुक्त करवाकर सौंपने के लिए कहा है। सभी अतिक्रमणकारियों को जारी होंगे नोटिस विभाग की जमीन पर पेट्रोल पंप, स्कूल, रिसार्ट, शादी हाल, फार्म हाउस, 20 मकान, 50 दुकान, एसटीपी प्लांट, डायमंड सिटी, कोर्टयार्ड प्राइम, कोर्टयार्ड कस्तूरी, राजधानी परिसर आदि का अतिक्रमण है। इन सभी को तहसीलदार द्वारा संभवत: प्रकरण बनाकर सोमवार से नोटिस जारी किए जाएंगे। नोटिस सीमा के दौरान यदि ठोस दस्तावेज न्यायालय में नहीं दिए गए तो पक्के निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा की जाएगी। निगम की 100 एकड़ से ज्यादा जमीन तत्कालीन निगमायुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी ने बताया कि मेरे समय दुकानों का निर्माण कराया गया था, यह निगम की जमीन है। इसी से लगी हुई पशुपालन विभाग की जमीन है। अब सीमांकन में दुकानें उनकी जमीन में बताई गई हैं जो समझ नहीं आ रहा है। कोकता ट्रांसपोर्ट नगर में नगर निगम भोपाल के पास 100 एकड़ से अधिक जमीन और कई दुकानें हैं। आलोक शर्मा (भाजपा सांसद) ने कहा, वर्जन राजधानी में शासकीय जमीनों पर भूमाफिया ने जमकर कब्जे किए हैं और यह एक दो नहीं बल्कि 50 से 100 एकड़ में कब्जे हैं। मछली हो या मगरमच्छ सभी के कब्जे से शासकीय भूमि मुक्त करवाई जाएगी। वहीं, जिन एसडीएम, तहसीलदार, आरआइ, पटवारी के रहते यह सब अतिक्रमण हुए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। लखन पटेल (राज्यमंत्री, पशुपालन एवं डेयरी विभाग) ने बताया, कोकता ट्रांसपोर्ट नगर के पास स्थित पशुपालन विभाग की जमीन का सीमांकन पूरा कर लिया गया है। मुझे जानकारी मिली है यहां पर लोगों ने अतिक्रमण किए हैं। उनके दस्तावेज तक बनाए गए हैं। सभी बिंदुओं पर जांच कराई जा रही है। भूमाफिया पर कार्रवाई होगी, साथ ही अधिकारियों पर भी सख्ती बरती जाएगी।

CM मोहन का ‘मेक इन MP’ विजन साकार, राज्य में शुरू होगा प्रीमियम रेल कोच निर्माण

भोपाल  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव राज्य को लगातार विकास के पथ पर ले जा रहे हैं। सीएम डॉ. यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' मंत्र को साकार कर रहे हैं। वे 'मेक इन मध्यप्रदेश' की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव लगातार उद्योगपतियों से मुलाकात कर रहे हैं। वे लगातार इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित कर प्रदेश में निवेश और रोजगार को आकर्षित कर रहे हैं। दरअसल, भारत सरकार की बड़ी कंपनियों में से एक भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) प्रदेश में बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश की प्रीमियम ट्रेनों वंदे भारत, अमृत भारत और मेट्रो कोच का निर्माण किया जाएगा।  इस परियोजना की लागत 1800 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट को ब्रह्मा (BRAHMA) नाम दिया गया है। इस कंपनी से प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। यह प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा और अहम कदम है।   गौरतलब है कि बीईएमएल इस प्रोजेक्ट की स्थापना रायसेन जिले के गांव उमरिया में कर रही है। इस प्रोजेक्ट में 5000 लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। खास बात है कि यह पहला मौका है जब इस प्रकार के रेलवे कोच निर्माण की सुविधा मध्यप्रदेश को मिलने जा रही है। यह राज्य को देश के रेलवे प्रोडक्शन मैप पर अहम स्थान दिलाएगा। जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए उमरिया गांव की तहसील गौहरगंज में 148 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका है। इस प्रोजेक्ट की दूरी ओबैदुल्लागंज से 4 किमी, एनएच-46 से एक किमी और भोपाल एयरपोर्ट से 50 किमी है।  लगातार बढ़ेगा रोजगार बता दें, बीईएमएल इस क्षेत्र में 1800 करोड़ रुपये की लागत से वंदे भारत, अमृत भारत, मेट्रो कोच का निर्माण करेगी। शुरुआत में कंपनी सालाना 125-200 कोचों का निर्माण करेगी। 5 साल के अंदर इनकी संख्या 1100 कोच होगी। इस प्रोजेक्ट से भोपाल और रायसेन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छोटे उद्योगों का निर्माण होगा। ये उद्योग आने वाले समय में बीईएमएल को प्रोडक्शन का मटेरियल बनाकर सप्लाई करेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। इससे स्थानीय युवाओं के कौशल विकास और प्रशिक्षण के अवसर उत्पन्न होंगे। मिशन ज्ञान और पीम मोदी के मंत्र पर सीएम डॉ. यादव का फोकस गौरतलब है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस मेक इन इंडिया पर है। राज्य सरकार भी लगातार पीएम मोदी के मंत्र पर चल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के विकास और मिशन ज्ञान की पूर्ति के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव अब मेक इन मध्यप्रदेश की ओर बढ़ चले हैं। इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही उद्योग स्थापित होंगे और समाज के अंतिम व्यक्ति का भी कल्याण होगा। बता दें, मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश का सबसे विकसित राज्य बनाने की ओर अग्रसर हैं। इसके लिए वे देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने एक ओर जहां देश के कई राज्यों में इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की, वहीं जापान-दुबई-स्पेन में उद्योगपतियों से संपर्क कर निवेश को राज्य तक ले लाए।  आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वैश्विक कदम गौरतलब है कि, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) का यह नया प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम है। इस कंपनी का प्रोजेक्ट ब्रह्मा (BRAHMA) भारत का नेक्स्ट-जेन रेल मैन्युफैक्चरिंग हब है। यह केवल एक संयंत्र नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है। यह आत्मनिर्भर भविष्य के लिए तैयार और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोजेक्ट है। बता दें, बीईएमएल लिमिटेड रक्षा मंत्रालय के तहत ‘शेड्यूल ए’ की कंपनी है। य रक्षा, रेल, खनन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बीईएमएल तीन क्षेत्रों में रक्षा-एयरोस्पेस, खनन-निर्माण और रेल-मेट्रो क्षेत्रों में काम करती है।

मानसून की बेरुखी: बड़ा तालाब अधूरा, कलियासोत को चाहिए आधे से ज्यादा पानी

भोपाल  भोपाल में अब तक 15.8 इंच बारिश हो चुकी है, जो अब तक की औसत बारिश 13 इंच से पौने तीन इंच ज्यादा है। बावजूद अब तक डैम या तालाब नहीं छलके हैं। बड़ा तालाब 6.6 फीट है। कलियासोत डैम को पूरा भरने में साढ़े 10 फीट पानी की जरूरत है। पिछले साल जुलाई में ही 3 डैम- कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम ओवरफ्लो हो गए थे। वहीं, बड़ा तालाब भी लबालब भर गया था। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार भोपाल में बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम की एक्टिविटी कम रही है। इस वजह से तालाब और डैम में ज्यादा पानी नहीं बढ़ा, लेकिन अगले सप्ताह से फिर से बारिश का दौर शुरू होगा। जिससे अगस्त के पहले सप्ताह तक अच्छा पानी आ सकता है। सीहोर में भी तेज बारिश की दरकार सीहोर में तेज बारिश होने से कोलांस नदी उफान पर आएगी, जिससे बड़ा तालाब में पानी और बढ़ेगा। यहां भी तेज बारिश की दरकार है। सीहोर में अब तक औसत साढ़े 17 इंच पानी गिर चुका है। बड़ा तालाब: इसकी जलभराव क्षमता 1666.80 फीट है। अभी इसमें 1660.20 फीट पानी है। इसे पूरा भरने में अभी 6.60 फीट पानी की और जरूरत है। पिछली बार बड़ा तालाब जुलाई में ही भर गया था, लेकिन इस बार अभी भी खाली है। बड़ा तालाब पूरा भरने के बाद भदभदा डैम के गेट खुलते हैं। इस बार कैचमेंट एरिया में कम बारिश हुई है। जिससे कोलांस नदी लबालब होकर नहीं कही। कोलार डैम: इसका वॉटर लेवल 1516.40 फीट है। अभी इसमें 1490.74 फीट पानी जमा है। इस हिसाब से यह काफी खाली है। कोलार डैम से ही भोपाल शहर के 40% हिस्से में पानी की सप्लाई की जाती है। पिछली बार जुलाई में इसके गेट खोलने पड़े थे। केरवा डैम: कुल 1673 फीट वाले केरवा डैम में अब तक 1653.08 फीट पानी आ चुका है। बारिश नहीं होने से आवक फिलहाल थमी हुई है। कलियासोत डैम: डैम का वॉटर लेवल 1648.62 फीट है। इसकी कुल जलभराव क्षमता 1659 फीट है। इसके चलते डैम अभी भी साढ़े 10 फीट खाली है। बड़ा तालाब के गेट खुलने पर कलियासोत डैम में पानी आएगा और गेट खुल जाएंगे। पिछले साल जुलाई में ही 3 डैम- कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम ओवरफ्लो हो गए थे। वहीं, बड़ा तालाब भी लबालब भर गया था। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार भोपाल में बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम की एक्टिविटी कम रही है। इस वजह से तालाब और डैम में ज्यादा पानी नहीं बढ़ा, लेकिन अगले सप्ताह से फिर से बारिश का दौर शुरू होगा। जिससे अगस्त के पहले सप्ताह तक अच्छा पानी आ सकता है।  

मानसून की बेरुखी: बड़ा तालाब अधूरा, कलियासोत को चाहिए आधे से ज्यादा पानी

भोपाल  भोपाल में अब तक 15.8 इंच बारिश हो चुकी है, जो अब तक की औसत बारिश 13 इंच से पौने तीन इंच ज्यादा है। बावजूद अब तक डैम या तालाब नहीं छलके हैं। बड़ा तालाब 6.6 फीट है। कलियासोत डैम को पूरा भरने में साढ़े 10 फीट पानी की जरूरत है। पिछले साल जुलाई में ही 3 डैम- कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम ओवरफ्लो हो गए थे। वहीं, बड़ा तालाब भी लबालब भर गया था। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार भोपाल में बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम की एक्टिविटी कम रही है। इस वजह से तालाब और डैम में ज्यादा पानी नहीं बढ़ा, लेकिन अगले सप्ताह से फिर से बारिश का दौर शुरू होगा। जिससे अगस्त के पहले सप्ताह तक अच्छा पानी आ सकता है। सीहोर में भी तेज बारिश की दरकार सीहोर में तेज बारिश होने से कोलांस नदी उफान पर आएगी, जिससे बड़ा तालाब में पानी और बढ़ेगा। यहां भी तेज बारिश की दरकार है। सीहोर में अब तक औसत साढ़े 17 इंच पानी गिर चुका है। बड़ा तालाब: इसकी जलभराव क्षमता 1666.80 फीट है। अभी इसमें 1660.20 फीट पानी है। इसे पूरा भरने में अभी 6.60 फीट पानी की और जरूरत है। पिछली बार बड़ा तालाब जुलाई में ही भर गया था, लेकिन इस बार अभी भी खाली है। बड़ा तालाब पूरा भरने के बाद भदभदा डैम के गेट खुलते हैं। इस बार कैचमेंट एरिया में कम बारिश हुई है। जिससे कोलांस नदी लबालब होकर नहीं कही। कोलार डैम: इसका वॉटर लेवल 1516.40 फीट है। अभी इसमें 1490.74 फीट पानी जमा है। इस हिसाब से यह काफी खाली है। कोलार डैम से ही भोपाल शहर के 40% हिस्से में पानी की सप्लाई की जाती है। पिछली बार जुलाई में इसके गेट खोलने पड़े थे। केरवा डैम: कुल 1673 फीट वाले केरवा डैम में अब तक 1653.08 फीट पानी आ चुका है। बारिश नहीं होने से आवक फिलहाल थमी हुई है। कलियासोत डैम: डैम का वॉटर लेवल 1648.62 फीट है। इसकी कुल जलभराव क्षमता 1659 फीट है। इसके चलते डैम अभी भी साढ़े 10 फीट खाली है। बड़ा तालाब के गेट खुलने पर कलियासोत डैम में पानी आएगा और गेट खुल जाएंगे। पिछले साल जुलाई में ही 3 डैम- कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम ओवरफ्लो हो गए थे। वहीं, बड़ा तालाब भी लबालब भर गया था। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार भोपाल में बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम की एक्टिविटी कम रही है। इस वजह से तालाब और डैम में ज्यादा पानी नहीं बढ़ा, लेकिन अगले सप्ताह से फिर से बारिश का दौर शुरू होगा। जिससे अगस्त के पहले सप्ताह तक अच्छा पानी आ सकता है।  

राजधानी भोपाल में नाम बदलने की शुरुआत, ‘राम बाग’ बना अशोका गार्डन, अन्य क्षेत्रों की सूची तैयार

भोपाल  राजधानी शहर के प्रमुख जगहों के नाम बदलकर शहर सरकार 'शुद्धिकरण अभियान' चला रही है। दावा किया जा रहा है कि, अब गुलामी और विदेशी आंक्राताओं के नाम से नहीं, बल्कि भोपाल की पहचान भारतीय संस्कृति के नामों से होगी। इसी के चलते नगर निगम द्वारा हमीदिया कॉलेज, हमीदिया अस्पताल, हबीबगंज के साथ-साथ शहर के कई प्रमुख इलाकों के नाम बदलने के लिए शासन से मांग की है। इसी के तहत मेयर इन काउंसिल (MIC) ने शहर के बड़े और प्रमुख इलाके में शामिल अशोका गार्डन का नाम बदल भी दिया है। इस इलाको को अब 'राम बाग' नाम से जाना जाएगा। मीडिया से बातचीत के दौरान नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि, गुलामी और विदेशी आक्रांताओं के नामों को बदलना जरूरी है। भारतीय संस्कृति के नामों से भोपाल को राजा भोजपाल की पहचान मिले। कई सड़कों और संस्थानों के नाम बदलने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। शहर सरकार की शक्तियों का उपयोग कर अशोका गार्डन का नाम बदलकर राम बाग का प्रस्ताव पारित हुआ है। निगम अद्यक्ष ने कहा कि, भोपाल का नवाब रहा हमीदुल्लाह खान के नाम की सड़कों के नाम बदले। भोपाल का हमीदुल्लाह खान पाकिस्तान में विलय चाहता था। इसलिए ये शुद्धिकरण का अभियान है। विपक्ष के मति में भ्रम और अशुद्धि है।

बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी सौगात, कंपनियों में 50 हजार से अधिक नए स्थायी पद मिलेंगे

भोपाल   बिजली कंपनियों में 50 हजार से अधिक नए स्थायी पद मिलेंगे। मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों में कर्मचारी-अधिकारियों की भर्ती होगी। इसका फायदा 1.78 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा। दावा है, बिजली गुल होने या बिल में गड़बड़ी जैसी शिकायतों पर कम समय में सुनवाई होगी। अभी तीनों कंपनियां कर्मचारियों की कमी झेल रही है। इसका असर उपभोक्ता सेवा पर पड़ रहा है। समय पर सुनवाई नहीं होती। बार-बार टोल फ्री नंबरों पर गुहार लगानी पड़ती है। 14 साल बाद… सब ठीक रहा तो मोहन सरकार बुधवार को होने वाली कैबिनेट में ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर (ओएस) के प्रस्ताव को स्वीकृत कर दे सकती है। ऐसा हुआ तो कंपनियों को 14 साल बाद नए पद मिलेंगे। इससे पहले 2011 में 48 हजार पदों को स्वीकृति दी थी। तब 91 लाख उपभोक्ता थे। ऊर्जा मंत्री ने रखी बात तो मुख्यमंत्री दे दी सहमति कंपनियों में पुराने अधिकारी-कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं। ऐसे में नियमित कर्मचारियों की कमी है। जिस अनुपात में उपभोक्ता बढ़े, पद स्वीकृत नहीं हुए। 75त्न काम आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे है। सूत्र बताते हैं, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इन विषयों को अफसरों के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव के सामने रखा था। इसे देखते हुए उन्होंने ओएस के प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने पर सहमति दे दी थी। ये प्रस्ताव भी आएंगे कैबिनेट के सामने     जल संसाधन विभाग के अंतर्गत कृषि सिंचाई जलकर की ब्याज माफी के प्रस्ताव पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।     ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की साधिकार समिति की 63वीं बैठक में लिए गए निर्णयों का प्रजेंटेशन कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।     वन विभाग की प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि (कैम्पा फंड) की वार्षिक कार्ययोजना को भी मंजूरी दी जाएगी।     प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की खरीदी के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सिक्योरिटी, हानि की प्रतिपूर्ति और रबी सीजन 2024-25 में टारगेट से अधिक की गई खरीदी को स्वीकृति देने पर भी विचार होगा। नियमों और विधेयकों में संशोधन पर भी चर्चा     भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के अनुच्छेद 1क के तहत भारतीय स्टांप (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2025 को कैबिनेट मंजूरी देगी।     स्थानीय निधि संपरीक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 1991 में संशोधन को भी मंजूरी दी जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर हो सकता है फैसला     महिला और बाल विकास विभाग के अंतर्गत धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 66 नए आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की स्वीकृति दी जाएगी।     इन केंद्रों के लिए पदों की स्वीकृति और आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण का प्रस्ताव भी मंजूरी के लिए रखा जाएगा।