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60 लाख नए सदस्य जोड़े, भाजपा नेताओं को मिला सम्मान, सीएम हाउस बना मेगा इवेंट का गवाह

रायपुर भारतीय जनता पार्टी में छत्तीसगढ़ से 60 लाख नए सदस्यों को जोड़ने पर भाजपा रायपुर में विशेष कार्यक्रम करने जा रही है। इस अभियान में सक्रिय रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं का CM साय सम्मान करेंगे। यह समारोह नवा रायपुर स्थित CM हाउस में होगा। इतनी बड़ी संख्या में नए सदस्य जुड़ने पर पार्टी इसे जश्न की तरह मनाएगी। पार्टी के आला नेताओं ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। सम्मान पाने वालों की लिस्ट में सांसद, विधायक, पार्षद, जिला संयोजक और कार्यकर्ता शामिल हैं। अब पढ़े किस विधायक ने सदस्य बनाने में किया टॉप, किस जिलों से कितने सदस्यों का सम्मान होगा। बीजेपी ने नवंबर में इसे अपने सोशल मीडिया पेज में शेयर किया था। बीजेपी ने नवंबर में इसे अपने सोशल मीडिया पेज में शेयर किया था। सबसे पहले पढ़े सदस्यता अभियान कब शुरू हुआ छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने 3 सितंबर 2024 को सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी। अध्यक्ष ने सीएम विष्णुदेव साय को पहली सदस्यता दिलाई थी। सीएम के बाद प्रदेश स्तर पर अभियान चला। कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों ने मिलकर 60 लाख नए सदस्यों को जोड़ा। इस अभियान को लेकर किरण सिंहदेव ने भाजपा के सभी नगर अध्यक्षों, जिलाध्यक्षों और सदस्यता अभियान प्रभारियों को निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों में स्पष्ट था, कि पार्टी का सदस्य बनाते वक्त पूरी सावधानी बरतें। सदस्यता अभियान के दौरान बीजेपी नेताओं ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों और मंडलों में बैठक लेकर केंद्र प्रभारी, बूथ प्रभारी और मंडल स्तर के पदाधिकारियों की लिस्ट जारी की थी। सदस्य बनाने में टॉप-3 में आए ये MLA संगठन के पदाधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, संगठन में नए सदस्य जोड़ने पर बीजेपी विधायक रिकेश सेन, भावना बोहरा और अजय चंद्राकर टॉप 3 श्रेणी में आए है। वहीं रायपुर शहर से 12 नेता हैं, जिन्होंने 3 हजार से अधिक सदस्य बनाए हैं। इनमें विधायक पुरंदर मिश्रा, राजेश मूणत, मोतीलाल साहू, सहित अन्य लोग शामिल हैं। कार्यकर्ताओं के तप को हम सबका प्रणाम- किरण सिंह देव किरण सिंहदेव ने किया कार्यकर्ताओं का अभिनंदन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह ने कहा कि, प्रदेशभर के सभी कार्यकर्ताओं ने निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा सदस्य बनाकर भाजपा के सांगठनिक आधार को दृढ़ करके कमाल कर दिखाया है। सदस्यता अभियान के लक्ष्य को आसानी से निर्धारित समय में हासिल करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि 60 लाख के लक्ष्य से भी अधिक सदस्य बनाने वाले सभी कार्यकर्ताओं का सम्मान समारोह कार्यकर्ताओं की ऊर्जा और उत्साह को कई गुना बढ़ाएगा। इस तरह बीजेपी ने बनाए सदस्य भारतीय जनता पार्टी ने सदस्यता अभियान को सफल बनाने के लिए 2 सितंबर से ऑनलाइन माध्यम से काम शुरू कर दिया था। अभियान के तहत नए सदस्यों को जोड़ने के लिए मिस्ड कॉल, नमो एप, वेबसाइट और क्यूआर कोड स्कैन जैसे डिजिटल तरीकों का सहारा लिया गया। पार्टी के नियमों के मुताबिक, बीजेपी की सदस्यता की अवधि 5 साल होती है। इस अवधि के बाद सदस्यता समाप्त हो जाती है, और व्यक्ति को दोबारा सदस्यता लेनी होती है। इसी प्रक्रिया के तहत पार्टी हर पांच सालों में सदस्यता अभियान चलाकर पुराने सदस्यों का नवीनीकरण और नए सदस्यों को जोड़ने का कार्य करती है। इन जिलों में भी अलग-अलग नेताओं को दी गई थी जिम्मेदारी     सुकमा में ओजस्वी मंडावी, अरुण सिंह भदौरिया और हूंगाराम मरकाम, जी. वेंकट और सुखलाल पुजारी।     दंतेवाड़ा में श्रीनिवास राव मद्दी, विजय तिवारी, कुमार सिंह भदौरिया।     नारायणपुर में दिनेश कश्यप, बृजमोहन देवांगन और गौतम गोलछा।     कोंडागांव में महेश कश्यप, प्रवीण सिंह बदेशा और मनोज जैन, महावीर सिंह राठौर, निरंजन सिन्हा और सुमित्रा मारकोले।     बालोद में भोजराज नाग, प्रीतम साहू और यशवंत जैन।     बलौदाबाजार में पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा और श्याम बाई साहू।     महासमुंद में सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा, पूनम चंद्राकर और डॉ विमल चोपड़ा को जिम्मेदारी दी गई है।     जांजगीर-चांपा में विधायक धरमलाल कौशिक, कमला देवी पाटले, सौरभ सिंह और अंबेश जांगड़े।     सक्ती में प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, मेघाराम साहू और जगन्नाथ पाणिग्रही।     मुंगेली में सांसद कमलेश जांगड़े और विधायक पुन्नूलाल मोहले।     कोरबा में कृषि मंत्री रामविचार नेताम और ननकीराम कंवर।     सारंगढ़-बिलाईगढ़ में मंत्री टंकराम वर्मा और निर्मल सिन्हा।     जशपुर में राधेश्याम राठिया और रणविजय सिंह जूदेव।     बलरामपुर में मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े और उद्धेश्वरी पैकरा।     सूरजपुर में सांसद चिंतामणि महाराज और रामसेवक पैकरा।     ​​​​​​कोरिया में विधायक रेणुका सिंह और भैयालाल राजवाड़े।     मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और चंपादेवी पावले।     खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, प्रदेश महामंत्री रामजी भारती, कोमल जंघेल और विक्रांत सिंह।     मोहला-मानपुर- अंबागढ़ चौकी में प्रदेश उपाध्यक्ष मधुसूदन यादव, प्रदेश महामंत्री भरतलाल वर्मा और संजीव शाह     राजनांदगांव में विधायक अमर अग्रवाल, खूबचंद पारख और अशोक शर्मा।     बेमेतरा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडे, विधायक ईश्वर साहू, लाभचंद बाफना, विधायक दीपेश साहू और प्रदेश मंत्री अवधेश चंदेल को को जिम्मेदारी दी गई है।

‘2020 में जेटली ने धमकाया?’ राहुल गांधी के बयान पर उठा सवाल, BJP ने याद दिलाई मौत की तारीख

 नई दिल्ली कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हालिया बयान ने एक बार फिर सियासी भूचाल ला दिया है. शनिवार को कांग्रेस के वार्षिक लीगल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को लेकर ऐसा दावा कर दिया, जिसे भाजपा ने 'फेक न्यूज' करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि जब अरुण जेटली का निधन 2019 में हो गया तो वह राहुल गांधी से मिलने 2020 में कैसे आ गए? लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के इस दावे पर कि दिवंगत पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था, डीडीसीए प्रमुख रोहन जेटली ने शनिवार को कांग्रेस नेता को याद दिलाया कि उनके पिता का निधन इन कानूनों के लागू होने से पहले ही हो गया था। उन्होंने कहा, "मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का निधन 2019 में हो गया था। कृषि कानून 2020 में लागू हुए थे।" एक्स पर एक पोस्ट में, रोहन जेटली ने लिखा, "राहुल गांधी अब दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था। मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का निधन 2019 में हो गया था। कृषि कानून 2020 में लागू हुए थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता के स्वभाव में किसी को भी विरोधी विचार के लिए धमकाना नहीं था। वह एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे और हमेशा आम सहमति बनाने में विश्वास रखते थे।" उन्होंने आगे लिखा, "अगर ऐसी कोई स्थिति आती, जैसा कि राजनीति में अक्सर होता है, तो वह सभी के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए स्वतंत्र और खुली चर्चा का आह्वान करते। वह ऐसे ही थे और आज भी उनकी यही विरासत है। मैं राहुल गांधी से कहता हूं वे उन लोगों के बारे में बोलते समय सचेत रहें जो हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने मनोहर पर्रिकर जी के साथ भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की, उनके अंतिम दिनों का राजनीतिकरण किया, जो भी उतना ही घटिया था। दिवंगत आत्मा को शांति मिले।'' इससे पहले दिन में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि एनडीए सरकार ने दिवंगत केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पहले लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ने की कोशिश करने पर उन्हें धमकाने के लिए भेजा था। राहुल गांधी ने कहा, "मुझे याद है कि जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, तो अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा था, 'अगर आप सरकार का विरोध करते रहेंगे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहेंगे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।' मैंने उनकी तरफ देखा और कहा, ''मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं।'' दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, "मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, वो (अरुण जेटली) अब नहीं हैं, इसलिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए लेकिन फिर भी कहूंगा, अरुण जेटली जी को मुझे मिलने और धमकी देने के लिए भेजा गया था." राहुल ने कहा कि जेटली जी ने मुझसे कहा, "अगर तुम इस रास्ते पर चलते रहे, सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों पर हमसे लड़ते रहे, तो हमें तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी. मैंने जवाब दिया कि मुझे नहीं लगता कि आपको अंदाजा है कि आप किससे बात कर रहे हैं. हम कांग्रेस वाले हैं, डरते नहीं हैं, झुकते नहीं हैं. हमें तो अंग्रेज नहीं झुका पाए." भाजपा का पलटवार: फर्जी बयानों से दूर रहें राहुल राहुल गांधी के इस बयान पर सबसे तीखा जवाब आया बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय की ओर से. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, 'Fake News Alert!' उन्होंने आगे लिखा, "राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि अरुण जेटली ने उन्हें 2020 में लाए गए कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था. लेकिन तथ्य यह है कि अरुण जेटली का निधन 24 अगस्त 2019 को हो गया था, जबकि कृषि कानूनों का मसौदा पहली बार 3 जून 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया गया था और ये कानून सितंबर 2020 में पास हुए." अमित मालवीय ने आगे कहा, "ऐसे में यह दावा सरासर झूठा और भ्रामक है कि जेटली जी ने उन्हें किसी बात के लिए संपर्क किया. यह साफ है कि राहुल गांधी एक बार फिर टाइमलाइन को तोड़-मरोड़ कर अपनी राजनीतिक कहानी गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं." पिता की आत्मा को शांति से रहने दें: रोहन जेटली अरुण जेटली के बेटे और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष रोहन जेटली ने भी राहुल गांधी की टिप्पणी पर तीखा पलटवार किया. उन्होंने एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी अब यह दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने कृषि कानूनों को लेकर उन्हें धमकी दी थी. मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि मेरे पिता का निधन 2019 में हो गया था, जबकि कृषि कानून 2020 में लाए गए थे. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता कभी किसी को किसी विचार के विरोध के लिए धमकाने वाले नहीं थे. वह एक सच्चे लोकतांत्रिक व्यक्ति थे जो हमेशा संवाद और सहमति में विश्वास रखते थे." उन्होंने आगे कहा, "मैं राहुल गांधी से आग्रह करता हूं कि जो अब हमारे बीच नहीं हैं, उनके बारे में बोलते समय थोड़ी संवेदनशीलता दिखाएं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर जी के अंतिम दिनों को भी राजनीति से जोड़कर अपमानजनक हरकत की थी." हर बात में झूठ, कांग्रेस कब सुधरेगी: अनुराग ठाकुर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी की हर बात झूठ है. हर साल झूठ बोलते हैं, वो सुधर नहीं सकते. रोज एक नया झूठ. कांग्रेस कब तक झूठ की राजनीति करेगी? अरुण जेटली बड़े नेता थे. उनका निधन 2019 में हुआ और कृषि कानून 2020 में संसद में आया. कितने झूठ बोलेंगे राहुल गांधी? जब जेटली जी 2019 में ही गुजर गए, तो वो उनसे 2020 में मिलने कैसे आ सकते हैं? राहुल गांधी को अरुण जेटली के परिवार … Read more

निगम-मंडलों में नियुक्तियों की तैयारी तेज, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण होंगे अहम

भोपाल   मध्यप्रदेश में ओबीसी आयोग के अध्यक्ष पद पर रामकृष्ण कुसमारिया की नियुक्ति के बाद अब निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर हलचल तेज हो गई है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के बीच संभावित नामों को लेकर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। इन नामों की सूची तैयार कर अनुमोदन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है। अनुमति मिलते ही नियुक्तियों के आदेश जारी किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नामों को अंतिम रूप दिया है। इसमें पूर्व मंत्री, संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद तथा विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रभावशाली चेहरों को शामिल किया गया है। फिलहाल राज्य में निगम-मंडल, बोर्ड और आयोगों के लगभग तीन दर्जन से अधिक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए यह कवायद की जा रही है। क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन पर फोकस  सरकार की मंशा है कि इन नियुक्तियों के माध्यम से सभी वर्गों और क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व मिले, जिससे आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में पार्टी को राजनीतिक लाभ मिल सके। बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले 45 निगम-मंडलों और बोर्डों में की गई पूर्ववर्ती नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। तब से अब तक इन संस्थाओं में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। 

यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए तैयार लिस्ट, 6 नामों में पूर्व उपमुख्यमंत्री भी शामिल

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में 2027 की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राज्य इकाई प्रमुख का चुनाव भाजपा के सामने प्रमुख फैसलों में से एक माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई ने राष्ट्रीय नेतृत्व को छह नामों की एक सूची भेजी है। इनमें दो ब्राह्मण, दो पिछड़े समुदाय से और दो दलित समुदाय से हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य इकाई के अगले प्रमुख का चयन और ऐलान हो जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने  यह जानकारी दी। सुझाए गए नामों में पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी (दोनों ब्राह्मण), उत्तर प्रदेश के वर्तमान मंत्री धर्मपाल सिंह और वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा (दोनों ओबीसी), और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया और वर्तमान एमएलसी विद्या सागर सोनकर (दोनों दलित) शामिल हैं। नेता ने कहा, ‘हमने अपनी ओर से केंद्रीय नेतृत्व को उपयुक्त नाम सुझाए हैं जिन पर उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए विचार किया जा सकता है और नेतृत्व सक्रिय रूप से उनका मूल्यांकन कर रहा है। अगले दो हफ़्तों में, संभवतः उससे भी पहले, कोई निर्णय होने की संभावना है।’ भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में 2027 की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं और राज्य इकाई प्रमुख का चुनाव भाजपा के सामने प्रमुख फैसलों में से एक माना जा रहा है। भाजपा, यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव की अपनी हार को पलटने और प्रदेश में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने की कोशिश करेगी। भाजपा ने पहले ही 37 संगठनात्मक इकाइयों में से 25 से अधिक में राज्य प्रमुखों का चयन कर लिया है। अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की भी तैयारी कर रही है। वर्तमान में यूपी भाजपा की कमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता भूपेन्द्र सिंह चौधरी संभाल रहे हैं। नए अध्यक्ष उनकी जगह लेंगे। लिस्ट में शामिल नामों की खासियत अपनी स्वच्छ छवि और शैक्षणिक योग्यता के लिए जाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा (ब्राह्मण) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शीर्ष नेतृत्व का विश्वास प्राप्त है। हरीश द्विवेदी भी ब्राह्मण हैं और अपने साथ संसदीय अनुभव लेकर आते हैं। वे बस्ती से सांसद और पार्टी में राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं। धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा दोनों ही प्रभावशाली लोध समुदाय से हैं। उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री सिंह को विधायी और मंत्री पद का दशकों का अनुभव है। वर्मा, जो वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं, एक अनुशासित और साधारण संगठनकर्ता माने जाते हैं जिनके आरएसएस से गहरे संबंध हैं। संगठन के भीतर उन्हें विश्वास प्राप्त है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष कठेरिया हिंदुत्व और दलित पहचान के अपने आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं। एमएलसी सोनकर एक साधारण लेकिन वफादार पार्टी कार्यकर्ता हैं जिनका पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रभाव है। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा, "हमने आलाकमान को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। अब, केंद्रीय नेतृत्व को राज्य के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा करनी है और हमें उम्मीद है कि यह बहुत जल्द हो जाएगा।"

जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक BJP दफ्तरों में नई व्यवस्था लागू, प्रदेशाध्यक्ष की तय हुई मिलने की तिथियां

भोपाल  मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने संगठन और सरकार के बीच समन्वय को मजबूत करने के उद्देश्य से एक अहम फैसला लिया है। अब भोपाल स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हर दिन एक मंत्री की ड्यूटी अनिवार्य रूप से लगाई जाएगी। इस दौरान संबंधित मंत्री प्रदेश कार्यालय में उपस्थित रहकर जनता और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करेंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे और सरकार का पक्ष भी प्रमुख मुद्दों पर स्पष्ट करेंगे। इसलिए उठाया ये कदम पार्टी के इस फैसले से न केवल कार्यालय में मंत्रियों की नियमित मौजूदगी सुनिश्चित होगी, बल्कि संगठन की जमीन पर सक्रियता भी बढ़ेगी।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल इस व्यवस्था में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने खुद सप्ताह में दो दिन सोमवार और मंगलवार प्रदेश कार्यालय में बैठने का शेड्यूल तय किया है। जिसमें वे कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे और जनता की शिकायतों पर सीधे फीडबैक लेंगे। बुधवार से लेकर रविवार तक प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल जिलों के प्रवास, बैठकें और पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होंगे। प्रदेश अध्यक्ष से भेंट-मुलाकात का दिन तय होने से प्रदेश कार्यालय में रोजाना नेताओं, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की लगने वाली भीड़ कम होगी। जिला कार्यालयों में भी व्यवस्था बदलेगी बीजेपी के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ने सभी जिला अध्यक्षों से कहा है कि वे कार्यालय में सातों दिन न बैठें। दो दिन जिला कार्यालय पर रहने के लिए तय करें और बाकी दिनों में जिले में आने वाले मंडलों और विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास के कार्यक्रम बनाएं। जिला कार्यालयों पर मिलेंगे विधायक, सांसद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने जिला अध्यक्षों को ये सलाह दी है कि वे विधायकों, सांसदों से चर्चा करके उनके साथ जिला कार्यालय पर बैठें। इससे कार्यकर्ताओं और आम जनता में अच्छा संदेश जाएगा। शनिवार-रविवार के दिन विधायकों, सांसदों को अपने जिले के भाजपा कार्यालय पर बैठकर कार्यकर्ताओं और आम जनता से मेल मुलाकात करने की सलाह है। प्रदेश कार्यालय में बैठेंगे मंत्री भोपाल में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में राज्य सरकार के एक मंत्री को रोज बैठने की व्यवस्था पर मंथन चल रहा है। राज्य सरकार के मंत्री पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठकर कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनेंगे।शिकायती आवेदनों को संबंधित विभागों में भेजकर निराकरण कराएंगे। इससे कार्यकर्ताओं की मंत्रियों से सहज मुलाकात भी हो सकेगी और समस्याएं भी आसानी से सुलझ जाएंगी। भोपाल ऑफिस के चक्कर लगाने वालों को दी नसीहत हेमंत खंडेलवाल ने पार्टी के जिला अध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में कहा था कई कार्यकर्ता ऐसे हैं, जो मुझे सातों दिन यहीं (प्रदेश भाजपा कार्यालय) में दिखते हैं। जिसको जहां दायित्व मिला है उन्हें वहां समय देना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष की इस टिप्पणी के बाद प्रदेश कार्यालय में रोजाना चक्कर लगाने वाले नेताओं का आना कम हो गया है। कार्यकर्ता और जनता के लिए बनेगा संवाद का मंच इस नई व्यवस्था से प्रदेश कार्यालय कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ मंच बन जाएगा। जो कार्यकर्ता या आमजन अपनी बात सरकार तक सीधे पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें अब मंत्रियों से मिलने के लिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं होगी। तय दिन पर वे सीधे कार्यालय पहुंचकर संवाद कर सकेंगे। संगठन-सरकार का तालमेल प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल पहले ही कार्यकर्ताओं को सलाह दे चुके हैं कि वे भोपाल में अनावश्यक समय न बिताएं और अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहें। अब जब मंत्री खुद राजधानी के प्रदेश कार्यालय में नियमित रूप से बैठेंगे, तो कार्यकर्ताओं को भी स्पष्ट मार्गदर्शन मिलेगा और निर्णय प्रक्रिया अधिक प्रभावी बन सकेगी। जल्द लागू होगी व्यवस्था यह नई प्रणाली जल्द ही अमल में लाई जाएगी, जिससे प्रदेश कार्यालय में नेताओं की उपस्थिति, जनता से सीधा संवाद और संगठन के स्तर पर स्पष्टता तीनों ही पहलुओं को एक नई धार मिलेगी। भाजपा इसे संगठन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा और सकारात्मक कदम मान रही है। मुख्य बिंदु     प्रदेश भाजपा कार्यालय भोपाल में हर दिन एक मंत्री की ड्यूटी अनिवार्य।     मंत्री जनता से संवाद करेंगे और सरकार का पक्ष रखेंगे।     प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सोमवार और मंगलवार को स्वयं बैठेंगे।     जन-संगठन संवाद को मजबूत करने की दिशा में यह एक नई पहल।     जल्द ही नई व्यवस्था लागू होने की संभावना।

भ्रष्टाचारियों को बचाने प्रदेश की जनता को परेशान किया जा रहा है इसे कहते है चोरी ऊपर से सीना जोरी: मंत्री जायसवाल

पुत्र मोह में भूपेश ने पूरी कांग्रेस को झोंका भूपेश के बेटे कांग्रेस के कौन से पद पर है जो कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है भ्रष्टाचारियों को बचाने प्रदेश की जनता को परेशान किया जा रहा है इसे कहते है चोरी ऊपर से सीना जोरी भाजपा ने पत्रकार वार्ता में किया कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश जारी किए,कोयला आबंटन और पेड़ों की कटाई के भूपेश बघेल सरकार के कई दस्तावेज भूपेश बघेल झूठ की फैक्ट्री, कोयला आबंटन के लिए कई पत्र लिखे ,परमिशन दिलवाई एमसीबी/चिरमिरी  श्यामबिहारी जायसवाल .ने आज चिरमिरी स्थित श्यामली गेस्ट हॉउस मे  आहूत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ शाशन के स्वास्थ्य मंत्री व स्थानीय विधायक माननीय श्याम बिहारी जायसवाल. ने कहा कि कांग्रेस बताएं कि भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल कांग्रेस के किस पद पर है जिस व्यक्ति का कांग्रेस में कोई पद नहीं उसे व्यक्ति के लिए पूरी कांग्रेस प्रदेश में प्रदर्शन कर रही है इसका साफ मतलब है भूपेश बघेल ने पूरी कांग्रेस को पुत्र मुंह में झोंक दिया है।  श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा हमने पहले भी बड़े-बड़े ऐसे उदाहरण देखें हैं जिसमें लोगों ने पुत्र मोह में खुद को भी बर्बाद किया और अपने पूरे साम्राज्य को भी बर्बाद किया भूपेश बघेल इस दिशा में काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। भूपेश बघेल और कांग्रेस भ्रष्टाचारियों को बचाने पूरे प्रदेश की जनता को परेशान कर रही है और साथ ही उनका आर्थिक रूप से नुकसान भी करने जा रही है जो की प्रदेश की जनता स्वीकार नहीं करेगी।   कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर कांग्रेस पार्टी और भूपेश बघेल के झूठ का पर्दापाश हो गया है। भाजपा ने पत्रकार वार्ता में तथ्यों एवं दस्तावेज प्रेजेंटेशन के माध्यम से कांग्रेस के झूठ को एक बार फिर बेनकाब किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चोरी और सीनाजोरी का उदाहरण बार-बार प्रस्तुत कर रही है। आप सबको पता होगा कि अपने शासनकाल के पाँच वर्ष में भूपेश बघेल जी ने छत्तीसगढ़ को दस जनपथ का चारागाह बना दिया था।   उन्होने  कहा कि शराब घोटाले, कोयला घोटाले, चावल घोटाले, गोठान घोटाले से लेकर पीएससी घोटाले तक में इसने प्रदेश के संसाधनों को जम कर लूटा था, आज इन घोटालों के आरोपी एक एक कर नप रहे हैं। सभी जेल जा रहे हैं। श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा कि बेवजह जिस तरह अपराधियों के विरुद्ध हो रही कानून सम्मत कार्रवाई को कहीं और मोड़ा जा रहा है, वह दुर्भाग्यजनक और कांग्रेस में हिप्पोक्रेसी का सबसे बड़ा नमूना है।   जायसवाल ने कहा कि जब भी आप सभी कॉल ब्लॉक आवंटन और पेड़ कटाई आदि पर सवाल उठाते थे, तो दस जनपथ के दबाव में सीधे तौर पर भूपेश बघेलजी बचाव में आ जाते थे। कहते थे कि कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध करने वाले अपने-अपने घरों की बिजली बंद कर दें। सवाल यह है कि अब जब झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा कर भूपेशजी अपनी कालिख धोने की कोशिश कर रहे हैं, तो क्या वह अपने घर और राजीव भवन की बिजली बंद करेंगे?   जायसवाल ने कहा कि यह तथ्य है कि न केवल भूपेश बघेल ने कोल ब्लॉक अशोक गहलोत को आवंटित किया था, बल्कि उससे पहले भी मनमोहन सिंह जी की सरकार में तमाम नियमों को धत्ता बताते हुए छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक आवंटन की राह आसान की थी। उन्होंने कहा कि साल 2010 में केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी, तब कोयला मंत्रालय और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हसदेव अरण्य को पूरी तरह से नो-गो जोन घोषित किया गया था। उसे कांग्रेस नीत सरकार के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ही सबसे पहले गो एरिया घोषित किया था।  श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि 23 जून 2011 को केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते ही तारा परसा ईस्ट और कांटे बेसन कोल ब्लॉक को खोलने का प्रस्ताव दिया गया। जब छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, उस वक्त अडानी को दो बड़ी खदानों गारे पेलमा सेक्टर-2 और राजस्थान में केते एक्सटेंशन ब्लॉक का ऑपरेटर बनाया गया। इसी तरह भूपेश बघेलजी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही 16 अक्टूबर 2019 को राज्य सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति के लिए सिफारिश भेजी।  और कहा कि 31 मार्च 2021 को ओपन कास्ट गारे पेलमा सेक्टर-2, मांड-रायगढ़ कोलफील्ड के लिए हुआ समझौता भी सबके सामने है। इसी क्रम में 19 अप्रैल 2022 को भूपेश बघेल जी के मुख्यमंत्री रहते ही कांग्रेस सरकार द्वारा वन स्वीकृति स्टेज-1 और 23 जनवरी 2023 को वन स्वीकृति स्टेज-2 के लिए सिफारिश भेजी गई।  और कहा कि महाजेंको कोल फील्ड की स्वीकृति में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संलिप्तता को लेकर तब अनेक अखबारों ने समाचार भी प्रकाशित किए थे। 25 मार्च 2022 को भूपेश सरकार ने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के रहते राजस्थान को कोल माइंस का आबंटन किया था।  भाजपा ने कांग्रेस से सवाल किया कि:- – क्या वह मनमोहन सिंह सरकार के समय हुए निर्णयों के लिए आज माफ़ी मांगेंगे? – क्या भूपेश बघेल यह घोषणा करेंगे कि अब कांग्रेस कभी बिजली का उपयोग नहीं करेगी, क्योंकि स्वयं यह कह चुके हैं कि विरोध करने वाले अपने घर की बिजली बंद कर दें।   – क्या कांग्रेस हर अपराधी के पक्ष में ऐसे ही खड़ी होगी, जैसे आज पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे के लिए हुई है?    श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रही तब राजस्थान के तत्कालीन मंत्री बी डी कल्ला ने भूपेश बघेल को पत्र लिखा और राजस्थान के तत्कालिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक सप्ताह के भीतर कई पत्र लिखे कोल ब्लॉक आंबटन के लिए। जिसे छत्तीसगढ़ और देश की जनता ने देखा है।

अन्नामलाई को BJP में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, अध्यक्ष के ऐलान के बाद होगा खुलासा

चेन्नई तमिलनाडु के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई को जल्द ही पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें बीजेपी के महासचिव पद पर प्रमोट किया जा सकता है। पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बताया कि अगले महीने बीजेपी अध्यक्ष के चयन के बाद अन्नामलाई से जुड़ा ऐलान किया जाएगा।  ''जब अप्रैल महीने में अन्नामलाई ने तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद छोड़ा था, तभी उन्हें आश्ववासन दिया गया था कि उन्हें पार्टी में बड़ा पद दिया जाएगा। उनके पद छोड़ने के बाद विधायक नैनार नागेंथ्रान को राज्य में भाजपा का प्रमुख बनाया गया है। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में भले ही बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत तीन फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी हो गया। और इसका क्रेडिट अन्नामलाई को ही जाता है।'' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौको पर साफ किया है कि अन्नामलाई राज्य की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाएंगे, जबकि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि, तमिलनाडु बीजेपी चीफ का पद छोड़ने के अगले दिन ही अन्नामलाई को बीजेपी के नेशनल काउंसिल का सदस्य बनाया गया था। हाल ही में अन्नामलाई ने तमिलनाडु में एआईएडीएमके गठबंधन के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराई और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का हवाला दिया कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो भाजपा सरकार का हिस्सा होगी। के अन्नामलाई ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "…केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि भाजपा सरकार का हिस्सा होगी… गठबंधन (अन्नाद्रमुक के साथ) जारी रहना चाहिए।" अन्नामलाई ने अमित शाह के उस आश्वासन पर जोर दिया जिसमें उन्होंने दोनों दलों को स्वीकार्य एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने का आश्वासन दिया था, जिसका उद्देश्य 2026 के विधानसभा चुनावों में द्रमुक को हराना है। उन्होंने आगे कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा है कि हमारा एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा जो दोनों दलों को स्वीकार्य होगा।"

राजनीतिक हलचल: 7 सांसद BJP के संपर्क में, मंत्री के दावे से सियासत गरमाई

मुंबई  महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने  दावा किया कि विपक्षी खेमे के कुछ सांसद, विशेषकर शिवसेना (UBT) के सांसद, भाजपा के संपर्क में हैं और संकेत दिया कि आने वाले दिनों में संसद में पार्टी का संख्याबल बढ़ेगा। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में ‘ठाकरे ब्रांड’ अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। महाजन ने सोलापुर जिले के प्रसिद्ध पंढरपुर मंदिर में दर्शन करने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'भाजपा के सांसदों की संख्या और बढ़ेगी। पहले चार सांसद हमारे संपर्क में थे, अब तीन और के जुड़ने की संभावना है। ये सांसद विभिन्न दलों के हैं, लेकिन अधिकतर शिवसेना (UBT) गुट से हैं।' ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत के साथ एक साक्षात्कार में, उद्धव ने कहा है कि ठाकरे केवल एक ‘ब्रांड’ नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र, मराठी मानुस और हिंदू गौरव की पहचान है। महाजन ने कहा, 'ठाकरे ब्रांड बहुत पहले ही अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। बालासाहेब ठाकरे असली शिवसेना के नेता थे, लेकिन 2019 में उद्धव ठाकरे के कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद स्थिति बदल गई। उन्होंने बालासाहेब की विचारधारा को त्याग दिया। तभी ठाकरे ब्रांड का अस्तित्व समाप्त हो गया।' एकनाथ शिंदे ने कसा तंज महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए रोम के सम्राट नीरो का जिक्र किया। शिवसेना प्रमुख शिंदे ने उद्धव का नाम लिए बिना कहा, 'यह अजीब बात है कि कुछ लोग तब भी जश्न मना रहे हैं, जब लोग उनकी पार्टी (शिवसेना-उबाठा) छोड़ रहे हैं। हमने इस तरह का व्यवहार पहले कभी नहीं देखा। ‘जब रोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था’।' उन्होंने विपक्ष के चुनाव हारने पर निर्वाचन आयोग की 'चुनिंदा' आलोचना पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आत्मनिरीक्षण करने के बजाय, कुछ नेता सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं और दूसरों को कोस रहे हैं।

मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल? भाजपा नेता श्यामलाल धाकड़ की हत्या से हड़कंप

 मंदसौर मंदसौर जिले के नाहरगढ़ थाने के गांव हिंगोरिया बड़ा में गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात में भाजपा नेता पूर्व मंडल उपाध्यक्ष 45 वर्षीय श्यामलाल धाकड़ पुत्र दौलतराम धाकड़ की हत्या कर दी गई। शुक्रवार सुबह खून से सनी लाश मकान की दूसरी मंजिल पर कमरे में मिली। रात में धाकड़ अपने कमरे में अकेले ही सोए थे। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का विधानसभा क्षेत्र होने से उन्होंने भी मामले में जल्द ही हत्यारों को पकड़ने को कहा। एसपी अभिषेक आनंद व एफएसएल टीम ने भी मौके पर पहुंचकर जांच की। स्वजनों और ग्रामीणों से बातचीत भी की गई है। पुलिस को हत्यारे की तलाश है। धारदार हथियार से गले पर वार मिली जानकारी के अनुसार श्यामलाल धाकड़ गुरुवार रात में घर की ऊपरी मंजिल पर अकेले सो रहे थे, जबकि उनके स्वजन नीचे के कमरों में थे। रात के अंधेरे में किसी ने धारदार हथियार से हमला कर गले पर वार कर हत्या कर दी। गले में गहरी चोट होने से घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई। शुक्रवार सुबह स्वजनों ने रक्त रंजित शव देखा। इसके बाद नाहरगढ़ थाना प्रभारी प्रभातसिंह गौड़ पुलिस बल के साथ पहुंचे। इधर पुलिस अधीक्षक अभिषेक आनंद एवं एफएसएल टीम भी मौके पर पहुंची। प्रारंभिक जांच में हत्या के कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। श्यामलाल धाकड़ भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे और मंडल उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। श्यामलाल का एक बेटा और बेटी है। हत्या की खबर मिलते ही भाजपा कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई थी। दोपहर 3 बजे शव को पोस्ट मार्टम के लिए मंदसौर ले जाया गया। एसपी अभिषेक आनंद ने बताया कि पुलिस कई एंगल पर जांच कर रही है। जब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचते कुछ भी कहना संभव नहीं है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने तेजी से जांच करने को कहा उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सोशल मीडिया पर एक्स व फेसबुक पर पोस्ट की, जिसमें लिखा है कि नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के हमारे पार्टी समर्थित कार्यकर्ता श्यामलाल धाकड़ का शव घर में मिला। कार्यकर्ताओं ने हत्या उनकी आशंका व्यक्त की है। मैंने एसपी अभिषेक आनंद व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। घटना का जल्द से जल्द खुलासा हो। परिवार को न्याय दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी चल रही, पार्टी ने कई राज्यों में संगठन चुनाव पूरे कर लिए

नई दिल्ली मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है। इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी योजना बन रही है। सूत्रों के अनुसार नए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव और राज्यपालों में बदलाव (सोमवार को तीन नए राज्यपालों की नियुक्ति) के बाद मंत्रिमंडल में फेर बदल हो सकता है। बीजेपी के कई राज्यों के भी अध्यक्ष के चुनाव हो रहे हैं। माना जा रहा है इसके पूरा होने के बाद मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। हरियाणा और गोवा के लिए नए राज्यपाल नियुक्त किए जा चुके हैं जबकि लद्दाख को भी नया उपराज्यपाल मिल चुका है। वहीं मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों (एडवोकेट उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन, हर्षवर्धन श्रृंगला और सी सदानंदन मास्टर) के नामांकन की घोषणा की घोषणा भी हो चुकी है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इन बदलावों के जरिए कैबिनेट फेरबदल के लिए जमीन तैयार की जा रही है। हाल ही में हरियाणा, गोवा के लिए राज्यपाल और लद्दाख के लिए उपराज्यपालों की नियुक्ति की है। इससे एक दिन पहले ही एडवोकेट उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन, हर्षवर्दन श्रृंगला और सी सदानंद मास्टर को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया है। अखबार से बातचीत में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'बड़े मंत्रालय वाले अधिकांश मंत्रियों को पिछली मोदी सरकार से रिपीट किया गया है…। अब तक इस बात पर जोर दिया जाता था कि निरंतरता बनी रही, लेकिन अब कैबिनेट को विदेश मामलों जैसी नई प्राथमिकताओं के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ के चलते वाणिज्य मंत्रालय फिर संतुलित किया जा सकता है।' रिपोर्ट में भाजपा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कैबिनेट में राज्यसभा सांसद बदले जा सकते हैं, जिनका कार्यकाल अंतिम दौर में है और उन्हें संगठन में जगह दी जा सकती है। वहीं, अन्य का कहना है कि भाजपा जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी से नेताओं को देख सकती है। खास बात है कि बिहार में विधानसभा चुनाव हैं और लोजपा और जदयू बिहार आधारित पार्टियां हैं। एक भाजपा नेता ने अखबार से कहा, 'चीजें चल रही हैं और सवाल एक ही है कि अब आगे क्या होगा, गवर्नर में फेरबदल, अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य नेताओं की पार्टी संघठन में नियुक्ति की घोषणा या कैबिनेट फेरबदल।' कहा जा रहा है कि भाजपा 37 इकाइयों में से आधे से ज्यादा में अध्यक्षों का चुनाव कर चुकी है। साथ ही जल्द राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। फिलहाल, भाजपा की कमान केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के हाथों में है। अध्यक्ष पद के लिए कई दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं. कुछ प्रमुख संभावित उम्मीदवार के नाम सामने आ रहे हैं, जिनमें धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर शामिल हैं. धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय शिक्षा मंत्री और ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले धर्मेंद्र प्रधान को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है. उनकी संगठनात्मक क्षमता और केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका की वजह से उन्हें इस दौड़ में आगे रखा जा रहा है. साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संघ दोनों से ही उनके संबंध भी सामान्य हैं. भूपेंद्र यादव: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में है. राजस्थान से आने वाले यादव को संघ का करीबी माना जाता है, और उनकी शांत और रणनीतिक कार्यशैली पार्टी के लिए फायदेमंद भी रही है. साथ ही उन्हें संगठन का भी काफी लंबा अनुभव है, और पार्टी ने कई राज्यों में उन्हें चुनाव प्रभार भी दिया था. शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता और संगठन में गहरी पकड़ उन्हें भी एक मजबूत दावेदार बना रही है. मगर सूत्रों का मानना है कि उनके नाम पर मुहर तभी लग पाएगी जब संघ की तरफ से दबाव डाले जाएगा. मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम भी बीजेपी अध्यक्ष की रेस में शुरू से ही रहा है. हालांकि बीच में सूत्रों से ये भी खबर आई थी कि खट्टर ने उम्र की वजह से अपनी तबीयत का हवाला देते हुए ऐसे किसी पद को लेने से मना किया. मगर इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं हुई. इसके अलावा, सूत्रों की मानें तो पार्टी इस संभावना पर भी चर्चा कर रही है कि बीजेपी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर विचार कर सकती है, जिससे संगठन में एक नया संदेश जाए. पार्टी का कोर वोटर वर्तमान में महिलाओं का वोट बैंक ही है, इसलिए पार्टी मुख्य पदों पर भी महिलाओं को आगे लाना चाह रही है. जुलाई में हो सकता है नए अध्यक्ष का ऐलान सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा जुलाई 2025 में होने की संभावना है, क्योंकि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है. पार्टी के आंतरिक संगठनात्मक चुनाव लगभग अंतिम चरण में हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में होने वाली प्रांत प्रचारकों की बैठक में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है. इस बैठक के बाद बीजेपी राष्ट्रीय परिषद की मुहर के साथ नए अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और आरएसएस के बीच नए अध्यक्ष के चयन को लेकर सहमति फिलहाल नहीं बन पाई है. सूत्रों के अनुसार, दोनों संगठन किसी एक नाम पर पूरी तरह सहमत नहीं हो पा रहे हैं. संघ अपनी वैचारिक दृष्टि और दीर्घकालिक रणनीति को ध्यान में रखते हुए ऐसे नेता को प्राथमिकता देना चाहता है, जो संगठन की जड़ों को मजबूत करे और हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाए. वहीं, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं, एक ऐसे नेता की तलाश में हैं जो सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सके. संघ की 4-6 जुलाई की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला होने की संभावना है. यह बैठक न केवल नए बीजेपी अध्यक्ष के चयन पर केंद्रित होगी, बल्कि संघ की शताब्दी समारोह की तैयारियों और संगठनात्मक गतिविधियों की … Read more