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बुध के गोचर के बाद इन 3 राशियों की किस्मत खुलेगी, होगी मालामाल!

ज्योतिश शास्त्र में बुध के गोचर या कहें राशि परिवर्तन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है. बुध वाणी, वाणिज्य-व्यापार के स्वामी माने जाते हैं. फिलहाल बुध तुला राशि में गोचर कर रहे हैं. 24 अक्टूबर यानी दिवाली के महापर्व के बाद बुध का राशि परिवर्तन होगा. 24 अक्टूबर को बुध तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. द्रिक पंचांग के अनुसार, बुध शुक्रवार 24 अक्टूबर को दोपहर के समय 12:39 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. ये अग्नि तत्व वाली राशि है. बुध का इस प्रवेश व्यक्ति की सोच, संवाद शैली, निर्णय क्षमता को साहसी और गहरा करता है. मंगल की राशि में बुध ग्रह का यह गोचर तीन राशि के जातकों के लिए विशेष लाभकारी हो सकता है. तीन राशि वालों के करियर, निवेश और व्यापार में चमत्कारी बदलाव आ सकते हैं, तो आइए जानते हैं भाग्यशाली राशियां कौन-सी हैं. वृश्चिक राशि बुध का वृश्चिक राशि में गोचर इस राशि के जातकों के संपूर्ण व्यक्तित्व को निखार सकता है. वाणी में प्रभाव बढ़ सकता है. विचारों को महत्व दिया जा सकता है. आत्मविश्वास के साथ फैसले लेने पर करियर और कारोबार को ऊंचाई मिल सकती है. मिथुन राशि बुध का वृश्चिक राशि में गोचर मिथुन राशि वाले जातकों को रणनीतिक लाभ दे सकता है. नई योजनाएं बना सकते हैं. कोई पुराना अटका हुआ पैसा मिल सकता है. निवेश से लाभ के योग बन रहे हैं. जो जातक विदेश से आायात-निर्यात के काम में करते हैं उनको खास सफलता मिल सकती है. मेष राशि वृश्चिक राशि बुध का यह गोचर मेष राशि वालों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है. निवेश, बीमा, शेयर बाजार या पारिवारिक संपत्ति से जुड़े मामलों में लाभ के योग हैं. करियर में नई संभावनाएं बन सकती हैं. प्रमोशन मिल सकता है.

नई कार लेने जा रहे हैं इस दिवाली? शोरूम से निकलने से पहले करें ये अहम जांचें

नई दिल्ली दिवाली का मौका भारत में नई कार खरीदने का सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान ऑटोमोबाइल कंपनियां जबरदस्त डिस्काउंट और ऑफर लाती हैं, जिससे खरीदारी का उत्साह और भी बढ़ जाता है। लेकिन नई कार खरीदना सिर्फ एक लेनदेन नहीं होता, बल्कि यह महीनों से बनाई गई योजना, बचत और इंतजार का नतीजा होता है। इसलिए, जब आप शोरूम से अपनी नई कार लेकर निकलें, तो उससे पहले एक बार पूरी तरह प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन (PDI) जरूर कर लें। यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी कार बिल्कुल सही हालत में है, और सब कुछ वैसा ही है जैसा वादा किया गया था। सबसे पहले बाहरी बॉडी को ध्यान से जांचें दिन की रोशनी में कार के चारों ओर धीरे-धीरे चलकर उसे गौर से देखें। देखें कि कहीं पेंट पर खरोंच, डेंट या असमान रंग तो नहीं है। दरवाजे, बोनट और डिक्की आसानी से खुल और बंद हो रहे हों, यह भी जांचें। यह छोटी-सी जांच आपको बाद में बड़ी परेशानी या बॉडी रिपेयर खर्चों से बचा सकती है। सोशल मीडिया पर कई मामलों में देखा गया है कि कुछ डीलर डिलीवरी से पहले कार में हुए नुकसान को छिपाने की कोशिश करते हैं, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। टायर, लाइट्स और शीशों पर ध्यान दें सभी टायर नए और बिना किसी कट या घिसावट के होने चाहिए। चारों टायर और स्पेयर टायर (स्टेपनी) एक ही ब्रांड और साइज के हों, यह भी चेक करें। अब लाइट्स पर ध्यान दें कि हेडलाइट, टेललाइट, इंडिकेटर और फॉग लाइट सब ठीक से जल रहे हैं या नहीं। किसी लाइट में नमी या क्रैक न हो। विंडशील्ड और खिड़कियों के शीशे साफ-सुथरे और खरोंच-रहित होने चाहिए। अंदर बैठकर करें पूरी केबिन जांच कार का इंटीरियर नई गाड़ी जैसी खुशबू दे और साफ-सुथरा लगे। पावर विंडो, सेंट्रल लॉकिंग, एसी, म्यूजिक सिस्टम, हॉर्न, वाइपर, और स्टीयरिंग कंट्रोल, हर बटन दबाकर जांचें कि सब कुछ सही तरह से काम कर रहा है। सीटों और मिरर को एडजस्ट करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे आसानी से काम कर रहे हैं। आखिर में, ओडोमीटर जरूर देखें। नई कार में किलोमीटर रीडिंग 30 किमी से कम होनी चाहिए। इससे ज्यादा दिखने पर डीलर से सफाई मांगें। बोनट खोलकर इंजन और नीचे का हिस्सा देखें भले ही आप टेक्निकल न हों, फिर भी बोनट के नीचे एक नजर जरूर डालें। कोई तेल रिसाव, ढीली वायरिंग या अलग हुआ पार्ट तो नहीं दिख रहा, यह देखें। इंजन ऑयल, ब्रेक फ्लूइड और कूलेंट का स्तर सही है या नहीं, यह भी जांचें। कार के नीचे देखें कि कहीं जंग, खरोंच या कोई टूटा हिस्सा तो नहीं है। इससे पता चलता है कि कार को स्टोरेज या ट्रांसपोर्ट के दौरान सही से संभाला गया या नहीं। दस्तावेज और एक्सेसरी की जांच करें यहीं ज्यादातर लोग गलती करते हैं। डिलीवरी लेते वक्त हर डॉक्युमेंट को ध्यान से चेक करें- इनवॉयस, इंश्योरेंस, आरसी पेपर, और ओनर मैनुअल। इंजन नंबर और व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN) को कार के नंबर से मिलाएं। साथ ही देखें कि आपको सभी वादा किए गए एक्सेसरी मिले हैं या नहीं। जैसे फ्लोर मैट, मड फ्लैप, टूल किट और स्पेयर व्हील। कभी-कभी डीलर बाद में लगवाने का वादा करते हैं, तो पहले ही सुनिश्चित करें कि सब सही से इंस्टॉल हुआ है। डिलीवरी नोट पर साइन करने से पहले कार को शोरूम या पार्किंग एरिया में थोड़ा चलाकर देखें। गियर शिफ्ट, ब्रेक और स्टीयरिंग सब स्मूद चल रहे हैं या नहीं, और कोई अजीब आवाज तो नहीं आ रही। डैशबोर्ड पर कोई वॉर्निंग लाइट दिखे तो तुरंत पूछें। अगर कुछ भी असामान्य लगे, तो कागजों पर साइन करने से पहले ही डीलर से समाधान करवाएं। एक बार साइन कर देने के बाद वॉरंटी के तहत समस्या सुलझाना मुश्किल हो सकता है। दिवाली पर नई कार की डिलीवरी लेना एक यादगार पल होता है। लेकिन इस खुशी के बीच यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी गाड़ी बिल्कुल परफेक्ट हालत में हो। थोड़ी सी सावधानी से न सिर्फ आपकी सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि आने वाले वर्षों तक आपकी ड्राइविंग का अनुभव बेफिक्र और मजेदार रहेगा। 

लक्ष्मीजी का आशीर्वाद चाहते हैं? इस दीपावली मेहमानों को परोसें उनका प्रिय भोग

यदि दीपावली की रात आप लक्ष्मी जी का पूजन कर इन सात्विक भोगों को श्रद्धापूर्वक अर्पित करते हैं, भोजन नियमों का पालन करते हैं और मन में प्रेम व कृतज्ञता रखते हैं, तो महालक्ष्मी दोनों हाथों से धन-समृद्धि का वरदान देती हैं। यह साधारण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का आरंभ होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी को अर्पित करें ये शुभ भोग महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भोजन में सात्विकता और पवित्रता का होना आवश्यक है। नीचे दिए गए भोग पहले माता लक्ष्मी को अर्पित करें, फिर परिवार व मेहमानों को परोसें- बताशा – लक्ष्मी का प्रिय भोग, पवित्रता का प्रतीक। शहद से भरा पान – सौभाग्य व मधुरता बढ़ाने वाला। जल सिंघारा – शुद्धता और जल तत्व का प्रतिनिधि। खीर – चंद्रमा और शांति का प्रतीक, जो सुख-समृद्धि प्रदान करती है। मखाने – लक्ष्मी जी का स्वरूप माने जाते हैं, धनवृद्धि के लिए। नारियल या नारियल की मिठाई – पवित्रता और समर्पण का प्रतीक। चीनी के खिलौने – बालकों में आनंद व उल्लास लाते हैं। दूध से बनी मिठाईयां – सात्त्विकता और स्वास्थ्य की द्योतक। चावल – अन्नपूर्णा का आशीर्वाद, समृद्धि का प्रतीक। दही – स्थिरता और शीतलता प्रदान करता है। खील-बताशे – पारंपरिक लक्ष्मी पूजन का आवश्यक भाग।  भोजन ग्रहण करने के शास्त्रीय नियम भोजन से पूर्व हाथ, पैर और मुख धोना चाहिए। विशेष रूप से भीगे हुए पैरों से भोजन करना शुभ माना गया है, क्योंकि इससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है और पाचन क्रिया मजबूत होती है। शास्त्रों के अनुसार भोजन का भी दिशा और स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना अत्यंत शुभ है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन अशुभ फल देता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करने से रोगों की संभावना बढ़ती है। भोजन बनाने वालों के लिए धार्मिक निर्देश भोजन बनाने वाला व्यक्ति स्नान करके, शुद्ध वस्त्र धारण कर, मन शांत रखे। क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार से भोजन बनाना या खाना वर्जित है। भोजन बनाते समय मंत्र जप या स्तोत्र पाठ करने से भोजन में दिव्यता बढ़ती है। कहा गया है- यथा भोजनं तथाचित्तं, यथा चित्तं तथाऽचरः अर्थात जैसे विचार होंगे, वैसा ही आचरण और भाग्य बनेगा।

दिवाली की रात दरवाजे क्यों खुले रखे जाते हैं? जाने पौराणिक कहानी में छिपा रहस्य

हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाने वाली है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साल भर खुशहाल जीवन देती हैं. माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सार भर आर्थिक तंगी नहीं आती. दिवाली के दिन रात को लोगों के घरों का दरवाजा खुला रहता है. दिवाली की रात लोग दरवाजा क्यों खुला रखते हैं? इसके बारे में एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में. इसलिए दिवाली की रात दरवाजे खुले रखे जाते हैं दिवाली की रात लोग अपने घरों का दरवाजा इसलिए खोलकर रखते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता और श्रद्धा पाती हैं, उन घरों में वो वास करती हैं, इसलिए घर में उनका स्वागत करने और उन्हें अंदर आने देने के लिए दरवाजों को खुला छोड़ा जाता है. यह भी माना जाता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत किया जाता है. पौराणिक कथा एक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी कार्तिक मास की अमावस्या की रात में भ्रमण पर निकलीं, लेकिन संसार में अंधेरा छाया हुआ था. ऐसे में माता लक्ष्मी रास्ता भटक गईं. इसके बाद उन्होंने ये तय किया ये रात मृत्यु लोक में गुजारी जाए और सुबह बैकुंठ धाम लौटा जाएगा, लेकिन माता को हर घर का दरवाजा बंद मिला. एक द्वार खुला था. उस द्वार पर दीपक जल रहा था. इस पर माता लक्ष्मी दीपक की रौशनी की ओर चली गईं. वहां जाकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बुजुर्ग महिला काम कर रही थी. इसके बाद माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि उनको रात में रुकने के लिए स्थान चाहिए. फिर बुजुर्ग महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और बिस्तर प्रदान किया. इसके बाद वो अपने काम में लग गई. काम करते-करते बुजुर्ग महिला की आंख लग गई. सुबह जब वो उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी थीं, लोकिन उसका घर महल में बदल चुका था. चारों और हीरे-जेवरात धन दौलत रखी हुई थी, तब उस बुजुर्ग महिला को पता चला कि रात में जो अतिथि उसके घर आईं थीं वो कोई और नहीं, बल्कि स्वंय माता लक्ष्मी थीं. इसके बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या की रात घर में दीपक जलाने और घर को खुला रखने की पंरपरा शुरू हो गई. इस रात लोग घर का दरवाजा खोलकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं.

दिवाली पर बड़वानी में हिंगोट पर पाबंदी, ड्रोन से चेकिंग, पुलिस मुस्तैद

बड़वानी  दिवाली की रात कुछ जगहों पर 'आग के गोले' बरसने की पुरानी परंपरा देखने को मिलती है. इस बार बड़वानी प्रशासन और पुलिस ने इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. जिले में हिंगोट के निर्माण, भंडारण, क्रय-विक्रय और चलाने पर दो माह के लिए रोक लगा दी गई है. पुलिस को आदेश दिए गए हैं कि नियमों का कड़ाई से पालन कराए जाए. शहर-गांव की सड़कों पर जगह-जगह तैनात पुलिस अब हिंगोट चलाने वालों की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती. कई जगह डंडे लेकर खड़ी टीमें नजर आ रही हैं और निगरानी के लिए सीसीटीवी व ड्रोन कैमरों का उपयोग भी किया जा रहा है. क्यों उठाया यह कदम, चोटें और जान-माल की आशंका हिंगोट जिसे कुछ स्थानों पर 'दीपावली युद्ध' का हिस्सा माना जाता है, असल में एक फल होता है, जिसे खाली करके उसमें बारूद और विस्फोटक सामग्री भरी जाती है. युद्ध की तरह खेले जाने पर यह तेज रफ्तार से उड़ता हुआ किसी के भी शरीर में घातक चोट पहुंचा सकता है. पिछले कुछ वर्षों में बड़वानी जिले में हिंगोट खेलने के दौरान कई गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं. पिछले साल एमजी रोड पर एक 8 वर्षीय बच्चे को गंभीर सिर की चोट लगी. अस्पताल में जांच में उसकी खोपड़ी में फ्रैक्चर व दिमाग पर असर पाया गया और लाखों रुपये खर्च कर उसकी जान बचाई गई थी. इसी तरह दर्ज घटनाओं व संभावित जान-माल के जोखिम को देखते हुए प्रशासन ने आपात कदम उठाने का निर्णय लिया. प्रशासनिक आदेश, दो माह का पूर्ण प्रतिबंध कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी जयति सिंह ने हिंगोट के निर्माण, भंडारण, विक्रय और उपयोग पर दो माह के लिए प्रतिबंध आदेशित किया है. एसडीएम भूपेंद्र रावत ने निर्देशों का पालन कराने और उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. आदेश में उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम 1884, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908, विस्फोटक नियम 2008 तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 208 समेत अन्य प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई है. पुलिस की तैयारी, पेट्रोलिंग, ड्रोन, सीसीटीवी और मुकदमे एडिशनल एसपी धीरज सिंह बबर ने बताया कि, ''एसपी के निर्देशानुसार पुलिस हिंगोट चलाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर रही है. जिलेभर में कई संदिग्धों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं. दिन-रात पेट्रोलिंग, संदिग्ध व्यक्तियों व विक्रेताओं की निगरानी, मुखबिर नेटवर्क को सक्रिय करने के साथ-साथ जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है. मुहल्लों में जाकर टीमों द्वारा लोगों को समझाया जा रहा है कि यह खतरनाक प्रथा क्यों बंद होनी चाहिए और इसे रोकना किस तरह समुदाय की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. पुलिस ने स्पष्ट किया है कि प्रतिबंध के उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती होगी. न केवल एफआईआर दर्ज की जाएगी, बल्कि आवश्यकतानुसार संपत्तियों व भंडारण पर भी कार्रवाई की जाएगी. जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की तुरंत सूचना पुलिस कंट्रोल रूम पर दें.      समाज का समर्थन और चेतावनी कई वार्डों व मोहल्लों के लोगों ने प्रशासन के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में हुई दुर्घटनाओं ने सबको हिलाया है और युवा वर्ग को इस तरह की खतरनाक रस्मों से दूर रखना चाहिए. वहीं कुछ परंपरावादी समुदायों में अभी भी यह रस्म जारी रखने की जिद दिखाई देती है, जिससे प्रशासन चौकन्ना है. एसडीएम भूपेंद्र रावत ने कहा, 'हमारा लक्ष्य केवल कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि इस खतरनाक कुप्रथा को जड़ों से खत्म करना है ताकि आने वाले वर्षों में कोई भी परिवार इस तरह की त्रासदी का सामना न करे.'' हिंगोट क्या है, जानें खतरनाक प्रक्रिया हिंगोट मूल रूप से जंगलों से कच्चा तोड़ा जाने वाला फल है. इसे भीतर से खोखा कर लिया जाता है और फिर उसमें बारूद व विस्फोटक सामग्री भर दी जाती है. दीपावली के दिन ग्रामीण व युवा इसे एक खेल की तरह आपस में उछालते हैं, इस दौरान तेज धमाके व उड़ान के कारण गंभीर चोटें, आँखों व चेहरे पर आघात, हाथ-पैर कटने व यहाँ तक कि जान जाने तक की घटनाएं देखने को मिली हैं. इसलिए प्रशासन के लिए इसे नियंत्रित करना अनिवार्य हो गया है.

मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने बुजुर्गों के साथ मनाई खुशियों भरी दीवाली

ममता और स्नेह के दीपों से झिलमिलाया वृद्धाश्रम, बुजुर्गों के चेहरों पर लौटी मुस्कान रायपुर, दीपावली के अवसर पर महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने माना रायपुर स्थित  वृद्धाश्रम पहुँचकर वहाँ निवासरत वरिष्ठ नागरिकों के साथ दीवाली पर्व की खुशियाँ साझा कीं। उन्होंने स्वयं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की और बुजुर्गों को मिठाई, नए वस्त्र एवं उपहार प्रदान किए। वृद्धजनों के बीच बैठकर उन्होंने आत्मीय संवाद किया और उनके स्वास्थ्य तथा आवश्यकताओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि हमारे ये वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज की अमूल्य धरोहर हैं। इनके अनुभव और आशीर्वाद से ही समाज की नींव मजबूत होती है। शासन का प्रयास है कि वृद्धजन सम्मानपूर्वक और आत्मसम्मान के साथ जीवन व्यतीत करें। कार्यक्रम के दौरान वृद्धाश्रम परिसर को दीपों और रंगोलियों से सजाया गया था। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने मिलकर बुजुर्गों के साथ दीप जलाए।      मंत्री राजवाड़े ने वृद्धाश्रम में उपलब्ध सुविधाओं का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि बुजुर्गों की देखभाल में किसी प्रकार की कमी न रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार वृद्धजनों के कल्याण हेतु वृद्धजन सेवा योजना, पेंशन सुविधा, स्वास्थ्य जांच शिविर, मानसिक-सामाजिक परामर्श केंद्र जैसी योजनाओं का प्रभावी संचालन कर रही है। राजवाड़े ने कहा कि दीवाली केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि संवेदनाओं को साझा करने का अवसर है। उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे इस पावन पर्व पर अपने आसपास के बुजुर्गों से मिलें, उनका आशीर्वाद लें और उन्हें अपनत्व का अहसास कराएँ।

वास्तु के अनुसार सजाएं घर का हर कोना, दिवाली पर मिलेगी सुख-समृद्धि

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जब लोग अपने घरों को सजाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के विभिन्न कोनों को सजाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। दिवाली पर घर सजाने के लिए वास्तु के अनुसार प्रत्येक दिशा का महत्व है। सही दिशा में सजावट से न केवल घर की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है। ध्यान रखें कि सजावट के साथ-साथ सफाई और व्यवस्था भी महत्वपूर्ण हैं। इस दिवाली अपने घर को सकारात्मकता और खुशियों से भरपूर बनाएं और अपने परिवार के साथ खुशहाल समय बिताएं। आइए जानें कि दिवाली से पहले घर के किस कोने को सजाना चाहिए और इसके पीछे के वास्तु सिद्धांतों के बारे में। मुख्य प्रवेश द्वार मुख्य प्रवेश द्वार को सजाना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे स्वच्छ और आकर्षक रखना चाहिए। आप यहां रंगोली बना सकते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। प्रवेश द्वार पर दीपक या मोमबत्तियां रखना भी शुभ माना जाता है। इससे घर में आने वाले हर व्यक्ति का स्वागत होता है। उत्तर-पूर्व दिशा उत्तर-पूर्व दिशा को ‘ईशान कोण’ कहा जाता है और इसे आध्यात्मिकता और सकारात्मकता का केंद्र माना जाता है। यहां पर सफेद और हल्के रंगों का उपयोग करें। इस क्षेत्र में पौधों या फूलों के गुलदस्ते रखने से ऊर्जा का संचार बढ़ता है। आप इस दिशा में पूजा का स्थान भी स्थापित कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा को धन की दिशा माना जाता है। इसे सजाने के लिए आप यहां पर दीपक और सजावटी वस्त्र रख सकते हैं। इस दिशा में बर्तन या धातु की वस्तुएं रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। आप यहां पर ताजे फूल भी रख सकते हैं, जिससे सकारात्मकता बनी रहे। दक्षिण दिशा दक्षिण दिशा को शक्ति और स्थिरता का स्थान माना जाता है। इस दिशा में काले, भूरे और नीले रंग का उपयोग करें। यहाँ पर मजबूत और सुंदर सजावटी सामान रखें। यह दिशा घर में सुरक्षा और स्थिरता लाने में मदद करती है। पश्चिम दिशा पश्चिम दिशा को संतान सुख की दिशा माना जाता है। इस दिशा में तस्वीरें, स्मृति चिन्ह या सजावटी सामान रखकर सजाएं। यहां पर रंगीन कैंडल या मोमबत्तियां रखना भी शुभ है। यह दिशा घर के सदस्यों के बीच प्यार और सामंजस्य को बढ़ाती है। कमरे का केंद्र घर के केंद्र को ‘ब्रह्मस्थान’ कहा जाता है। इसे खाली और स्वच्छ रखना चाहिए। यहां पर सजावट करते समय हल्के रंगों का प्रयोग करें। इस स्थान को रोशनी से भरपूर रखें। इससे पूरे घर में सकारात्मकता और ऊर्जा बनी रहती है। बाथरूम और शौचालय दिवाली पर इन जगहों को भी सजाने का ध्यान रखें। यहां पर सफाई और सुव्यवस्था बनाए रखें। इन स्थानों को खुशबूदार तेल या अगरबत्ती से सुगंधित करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा।

दुबई ने भी मनाई दिवाली! लाइट्स और जश्न का नज़ारा देख यूजर्स बोले – ये तो मिनी इंडिया है

दुबई जहां का नाम लेते ही चमकते गगनचुंबी टावर, लक्जरी कारें और सोने की गलियां याद आती हैं. लेकिन इस बार कुछ अलग है. सोशल मीडिया पर एक भारतीय इंफ्लुएंसर का वीडियो वायरल हो गया है जिसमें दुबई की सड़कों पर दीवाली का नजारा देखने को मिल रहा है. शाम के वक्त शूट किए गए इस वीडियो में हर तरफ जगमग रोशनी है. इमारतें दीपोत्सव की तरह सजी हुई हैं. और शहर की हवा में भारतीय त्योहार की महक घुली हुई है. वीडियो देखकर ऐसा लगता है जैसे ये दुबई नहीं बल्कि मुंबई, दिल्ली या जयपुर की कोई जगमगाती सड़क है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लोग इसे देखकर कह रहे हैं.."दुबई में भी अब दीवाली के रंग दिखने लगे हैं." दुबई में दिखा दिल्ली जैसा नजारा, दीवाली की चौतरफा धूम इस वीडियो में भारतीय कंटेंट क्रिएटर अपनी कार में बैठकर दुबई की गलियों का नजारा दिखा रही हैं. वीडियो में ऊंची ऊंची इमारतों से लेकर डाउनटाउन तक की बिल्डिंग्स चमचमाती लाइट्स में नहाई नजर आ रही हैं. दुबई के मॉल्स, होटेल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दीवाली की थीम पर सजे हुए दिख रहे हैं. कई जगह “Happy Diwali” और “Festival of Lights” के बोर्ड भी चमकते नजर आ रहे हैं. खास बात यह है कि यह सब ऐसे देश में हो रहा है जहां करीब 75 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय से जुड़ी है. ऐसे में भारतीय संस्कृति के त्योहार को इतनी शिद्दत से मनाया जाना लोगों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं. यूजर्स भी हो गए हैरान वीडियो सामने आते ही इंटरनेट पर धूम मच गई. हजारों लोग इस क्लिप को शेयर कर रहे हैं और कमेंट सेक्शन में अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. कोई लिख रहा है..“दुबई में रहकर भी भारत जैसा एहसास.” तो कोई कह रहा है कि “ये है असली ग्लोबल इंडिया की झलक.” कई यूजर्स ने यह भी कहा कि यह दृश्य इस बात का सबूत है कि भारतीय संस्कृति अब सीमाओं से परे पहुंच चुकी है. वहीं कुछ लोगों ने इसे भारत और यूएई के मजबूत रिश्तों का प्रतीक बताया है. वीडियो को lifebetweensweetandsalt नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है.

रांची में त्योहारों की तैयारी तेज़, DC ने दिए विशेष दिशा-निर्देश

रांची झारखंड की राजधानी रांची में आगामी दीपावली, काली पूजा और छठ पर्व के सफल एवं सुरक्षित आयोजन को लेकर उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में बैठक आयोजित की गई। बैठक में नगर निगम, पुलिस प्रशासन, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, परिवहन, अग्निशमन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता एवं अन्य संबंधित विभागों के पदाधिकारियों ने भाग लिया। भजंत्री ने निर्देश दिया कि सभी छठ घाटों की सुरक्षा, स्वच्छता एवं प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने रांची नगर निगम को सभी प्रमुख घाटों की सफाई, चूना छिड़काव और अस्थायी शौचालयों की व्यवस्था समय पर पूर्ण करने का निर्देश दिया। दीपावली, काली पूजा एवं छठ पूजा को लेकर सभी घाटों पर पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। महिला पुलिस की भी उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। नगर निगम द्वारा घाटों की सफाई, कचरा निस्तारण और रोशनी की व्यवस्था करने के निर्देश। प्रत्येक प्रमुख घाट पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राथमिक उपचार केंद्र स्थापित किए जाएंगे। विद्युत विभाग को निर्बाध बिजली आपूर्ति और पेयजल विभाग को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। ट्रैफिक पुलिस द्वारा घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर विशेष यातायात योजना लागू की जाएगी। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीम को सतकर् मोड में रखा जाएगा ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके। सभी छठ तालाबों और घाटों में सुरक्षित गहराई में बैरिकेड करने के निर्देश दिए। छठ पूजा को सौहार्दपूर्ण एवं शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकता भजंत्री ने दीपावली, काली पूजा एवं छठ पूजा को लेकर ट्रैफिक व्यवस्था, विधि व्यवस्था को लेकर कई निर्देश दिए। छठ घाटों में अस्थाई चेंजिंग रूम बनाने को लेकर निर्देश। इन पूजा के दौरान वालंटियर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। बिजली विभाग के सभी पदाधिकारी/कर्मी सभी फोन उठाएं ताकि किसी भी आपात स्थिति होने पर लोग उनसे संपर्क कर पाए। सभी प्रमुख स्थानों में सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए गए। पर्व के दौरान असामाजिक तत्वों पर पैनी नजर बनाए रखने एवं लोकल थाना द्वारा लगातार पेट्रोलिंग करने का निर्देश दिया गया। सभी काली पूजा पंडालों एवं छठ घाटों की साफ सफाई करने के निर्देश दिए गए। छठ, काली पूजा समिति के सदस्यों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का निर्देश दिया गया। भजंत्री ने कहा कि छठ पूजा लोक आस्था का महापर्व है, इसे सौहार्दपूर्ण एवं शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने स्तर से लगातार निगरानी रखें और जनसहभागिता को बढ़ावा दें। साथ ही विशेष रूप से कहा की इन पर्व के दौरान ध्वनि प्रदूषण को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सभी मानकों का पालन सुनिश्चित रूप से हो। टीम बना कर मानकों का पालन करने का निर्देश दिया गया। पर्व के दौरान बेहतर विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार एंटी क्राइम चेकिंग चलाने का निर्देश वरीय पुलिस अधीक्षक द्वारा दिया गया। इस दौरान वरीय पुलिस अधीक्षक, राकेश रंजन, अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था रांची, राजेश्वर नाथ आलोक, पुलिस अधीक्षक शहर, ग्रामीण एवं ट्रैफिक, अनुमंडल पदाधिकारी सदर रांची, उत्कर्ष कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी बुंडू, किस्टो बेसरा, जिला नजारत उप समाहर्ता रांची, डॉ. सुदेश कुमार, कार्यपालक अभियंता (पेयजल एवं स्वच्छता), सभी सम्बंधित डीएसपी, विद्युत विभाग के पदाधिकारी, अग्निशमन विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।  

नीना गुप्ता पर्व की खुशियाँ पहाड़ों में मनाएंगी, सुनीता बोलीं– ‘पटाखे नहीं जलाएंगी’

मुंबई दिवाली का त्योहार बस कुछ दिनों में दस्तक देने वाला है। इस त्योहार की तैयारियों में पूरा भारत व्यस्त है। इस कड़ी बॉलीवुड के सितारे भी बिल्कुल पीछे नहीं हैं। अभिनेत्री नीना गुप्ता ने बताया कि वह इसबार पहाड़ों में जाएंगी। वहीं सुनीता आहूजा ने परिवार के साथ दिवाली मनाने की बात कही है। पढ़िए पूरी खबर। पहाड़ों में मनाएंगी दिवाली एएनआई से बात करते हुए नीना गुप्ता ने अपने दिवाली योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘मैं दिवाली बहुत खास तरीके से मना रही हूं, क्योंकि मैं पहाड़ों में मुक्तेश्वर स्थित अपने घर जा रही हूं। वहां हमारे पांच-छह पड़ोसी एक छोटी सी पार्टी में होंगे। हम साथ में खाएंगे, पिएंगे और खूब मस्ती करेंगे।" बिना पटाखों के दिवाली मनाएंगी गोविंदा की पत्नी बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा की पत्नी ने कहा, ‘हम घर पर दीये जलाएंगे और देवी लक्ष्मी की पूजा करेंगे। हम परिवार के साथ खुशी से जश्न मनाएंगे। हम आतिशबाजी नहीं जलाएंगे क्योंकि मुझे कुत्ते बहुत पसंद हैं।’ गोविंदा की बेटी ने भी बताया दिवाली का प्लान सुनीता आहूजा की बेटी टीना आहूज ने परिवार की दिवाली की परंपराओं के बारे में बात करते हुए कहा कि आहूजा परिवार हमेशा देवी लक्ष्मी की पूजा करके त्योहार की शुरुआत करता है। इस साल वह रंग-बिरंगी रंगोली बनाने वाली हैं। यह बताते हुए उन्होंने कहा, "हमारे परिवार की परंपरा है कि घर पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और हम ढेर सारी मिठाइयां लाते हैं। कई दोस्त आते हैं। पटाखे नहीं जलाएँगे, इस साल मैं रंगोली और दीयों के डिजाइन बनाऊंगी।" नीना गुप्ता का वर्कफ्रंट नीना गुप्ता की फिल्मों की बात करें, तो उन्हें आखिरी बार अनुराग बसु द्वारा निर्देशित फिल्म 'मेट्रो इन दिनों' में देखा गया था। यह फिल्म 4 जुलाई को रिलीज हुई थी। यह फिल्म एक मेट्रो शहर में रहने वाले युवा, वृद्ध और मध्यम आयु वर्ग के जोड़ों की प्रेम कहानियों पर आधारित है। इसमें कोंकणा सेन शर्मा, पंकज त्रिपाठी, अली फजल, फातिमा सना शेख और अनुपम खेर भी हैं।