samacharsecretary.com

मध्य प्रदेश भाजपा की कमान हेमंत खंडेलवाल को मिली, चुने गए निर्विरोध अध्यक्ष

भोपाल मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष का भी ऐलान हो गया है। इस बार एमपी भाजपा की कमान हेमंत खंडेलवाल को दी गई है। इसकी औपचारिक घोषणा बुधवार को की जाएगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव, वर्तमान के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत तमाम बड़े नेताओं ने उनके नाम का नामांकन पत्र दिया था। इस तरह बैतुल से विधायक खंडेलवाल को निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया है। हेमंत खंडेलवाल उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्मे हैं। पेशे से व्यवसायी और नेता रहे खंडेलवाल ने बी कॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है। साल 2008-09 में पिता विजय खंडेलवाल की मौत होने के बाद हुए उपचुनाव में सांसद बने थे। इसके बाद 2013 से 2018 तक बैतुल से विधायक भी रहे। साल 2023 में फिर से एमएलए का चुनाव लड़ा और बैतुल से विधायकी अपने नाम की। सीएम मोहन हाथ पकड़कर मंच पर ले गए  हेमंत खंडेलवाल ने सबसे पहले अपना नामांकन जमा किया, उसके बाद सीएम मोहन यादव उन्हें हाथ पकड़कर मंच पर ले गए। वहीं डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल के साथ-साथ वीडी शर्मा भी उनके प्रस्तावक बने। हेमंत खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विवेक शेजवलकर और सरोज पांडे के सामने अपना नामांकन दाखिल किया है। कल विधिवत उनके नाम का औपचारिक रूप से ऐलान कर दिया जाएगा। हेमंत खंडेलवाल बैतूल से बीजेपी के विधायक हैं। पार्टी ने सर्वसम्मति से हेमंत खंडेलवाल को प्रदेशाध्यक्ष चुन लिया शाम 4.30 बजे से 6.30 बजे तक का समय नामांकन जमा करने के लिए निर्धारित था। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार स्क्रूटनी के बाद रात 8 बजे तक नामांकन की वापसी और 8.30 बजे प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी करना तय है। एक से ज्यादा नामांकन जमा होने की स्थिति में बुधवार सुबह 11 से 2 बजे तक मतदान किया जाना है। हालांकि इसकी नौबत ही नहीं आएगी, पार्टी ने सर्वसम्मति से हेमंत खंडेलवाल को प्रदेशाध्यक्ष चुन लिया है। यानि वे निर्विरोध चुने गए हैं। नए अध्यक्ष के रूप में बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल के नाम पर सीएम मोहन यादव समेत प्रदेश के अधिकांश वरिष्ठ नेता सहमत थे। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही रायशुमारी कर उनके नाम पर सहमति बना ली थी।  खंडेलवाल पहली पंक्ति में मंत्री वीरेंद्र खटीक और गोपाल भार्गव के बीच में बैठे थे। सीएम मोहन यादव इशारा मिलते ही उनको पीठ पर हाथ रखकर मंच की ओर बढ़े। चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, निर्वाचन अधिकारी विवेक शेजवलकर और पर्यवेक्षक सरोज पांडे के सामने उन्होंने नामांकन दाखिल कराया। हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक सफर      हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश में बीजेपी और आरएसएस से जुडे़ हैं।     2008 के उपचुनाव में पहली बार बैतूल से लोकसभा सांसद चुने गए थे।     2013 के विधानसभा चुनाव में बैतूल से विधायक चुने गए थे।      बैतूल में बीजेपी के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।     मध्य प्रदेश बीजेपी के कोष्याध्यक्ष भी रह चुके हैं।     हेमंत खंडेलवाल 2023 के विधानसभा चुनाव में दूसरी बार बैतूल से विधायक चुने गए हैं। मालवा-निमाड़ से 8 बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 बार संगठन को नेतृत्व दिया। भाजपा के पहले प्रदेशाध्यक्ष रहे सुंदरलाल पटवा (सामान्य) मंदसौर के थे। इस पद पर वे दो बार रहे। पहली बार 1980 से 1983 तक और दूसरी बार 1986 से 1990 तक। इसके बाद रतलाम के लक्ष्मीनारायण पाण्डे (सामान्य) 1994 से 1997 तके प्रदेशाध्यक्ष रहे।मालवा क्षेत्र से धार के विक्रम वर्मा (ओबीसी) 2000 से 2002 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसी तरह देवास से पूर्व सीएम कैलाश जोशी (सामान्य) ने 2002 से 2005 तक संगठन का नेतृत्व किया। उज्जैन के सत्यनारायण जटिया (एससी) फरवरी 2006 से नवंबर 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। खंडवा सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान (सामान्य) इस पद पर 2016 से 2018 तक रहे। ग्वालियर-चंबल से 4 बार प्रदेशाध्यक्ष चुने गए  ग्वालियर-चंबल से संगठन को 4 बार नेतृत्व मिला। नरेंद्र सिंह तोमर (सामान्य) को दो बार कमान सौंपी गई। पहली बार वे 2006 से 2010 तक और दूसरी बार 2012 से 2014 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। 2014 में वो मोदी कैबिनेट में शामिल हुए। इसके बाद कमान प्रभात झा (सामान्य) को मिली, वे 2010 से 2013 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (सामान्य) भी चंबल से हैं। उन्हें 2020 में संगठन की कमान सौंपी गई थी। महाकौशल क्षेत्र से दो बार संगठन को नेतृत्व मिला इसी तरह महाकौशल क्षेत्र से दो बार प्रदेशाध्यक्ष मिला। पहली बार शिवप्रसाद चनपुरिया (सामान्य) 1985 से 1986 से तक अध्यक्ष रहे। दूसरी बार राकेश सिंह (सामान्य) को मौका मिला। वे 2018 से 2020 तक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रहे। वर्तमान में राकेश सिंह पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं। मध्य क्षेत्र से शिवराज के बाद हेमंत दूसरे नेता मध्य क्षेत्र से दूसरी बार किसी नेता को प्रदेश भाजपा संगठन के नेतृत्व का मौका मिला है। हेमंत खंडेलवाल (सामान्य) शिवराज के बाद दूसरे नेता हैं। प्रदेश का सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान (ओबीसी) मई 2005 से फरवरी 2006 तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ के दो नेता भी एमपी संगठन की कमान संभाल चुके अविभाजित मध्य प्रदेश के समय छत्तीसगढ़ के दो नेता भी एमपी भाजपा अध्यक्ष रहे। रायगढ़ से लखीराम अग्रवाल (सामान्य) ने 1990 से 1994 तक और नंदकुमार साय (एसटी) ने 1997 से 2000 तक प्रदेश संगठन की कमान संभाली थी।  

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय भोपाल में स्थापित किए जाने पर सैंद्धातिक स्वीकृति

ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना का अनुमोदन क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण योजना के क्रियान्वयन के लिए 4 हजार 572 करोड़ रूपये की सैद्धांतिक स्वीकृति राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय भोपाल में स्थापित किए जाने पर सैंद्धातिक स्वीकृति मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद के निर्णय भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना का अनुमोदन किया गया। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में एक ऐसे ग्राम का चयन किया जाएगा जिसकी वर्तमान जनसंख्या न्यूनतम 2000 हो एवं गौ-वंश की न्यूनतम संख्या 500 हो। ऐसे ग्रामों को मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। ये ग्राम आत्मनिर्भर होकर प्रदेश के अन्य ग्रामों के समक्ष विकास का आदर्श प्रस्तुत करेंगे। इस योजना के अंतर्गत गौ-पालन एवं डेयरी विकास, पर्यावरण संरक्षण, जैविक कृषि, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, चारागाह विकास, अधोसंरचना विकास, स्वरोजगार सहित ग्रामीण विकास के विषयगत दृष्टिकोणों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किये जाने का निर्णय लिया गया। राज्य शासन की अवधारणा है कि प्रदेश में कुछ ग्राम इस प्रकार विकसित किये जायें ताकि वे आत्मनिर्भर होकर प्रदेश के समस्त ग्रामों के लिए उदाहरण बनें तथा अन्य ग्राम इन चयनित ग्रामों से प्रेरित होकर स्वयं भी आत्मनिर्भरता और चहुँमुखी विकास की ओर अग्रसर हों। इन चयनित ग्रामों में विभिन्न विभागों के अन्य विकास कार्यों के साथ मुख्य रूप से गौवंशीय एवं अन्य दुधारू पशुओं के पालन, दुग्ध-उत्पादन एवं डेयरी विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। जहां स्वच्छता एवं हरियाली के साथ-साथ गौसेवा और आध्यात्मिकता से समन्वित आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रत्यक्षतः दृष्टिगोचर हो और ग्राम "वृन्दावन" के रूप में साकार हो सके। मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना के उद्देश्यों में गौपालन एवं डेयरी विकास को बढ़ावा देना। ग्राम को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के साथ सहकारिता के माध्यम से दुग्ध व्यवसाय का प्रसार करना, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके। पर्यावरण संरक्षण, जैविक कृषि, जल संरक्षण तथा सौर ऊर्जा संबंधी गतिविधियों को जनभागीदारी से क्रियान्वित करना, चारागाह विकास, ग्राम में अधोसंरचना विकास, ग्रामीण परिवारों का रोजगार/स्वरोजगार आधारित आर्थिक सुदृढ़ीकरण और ग्रामीण विकास के विषयगत दृष्टिकोणों को अपनाते हुए सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। चयनित वृन्दावन ग्राम में विभिन्न विभागों के माध्यम से जो सुविधाएं उपलब्ध करायी जाना है, वे 6 श्रेणियों में होगी। चयनित वृन्दावन ग्राम में अधोसरंचना के लिए गौशाला, ग्राम पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, आँगनबाड़ी भवन, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल भवन, यात्री प्रतीक्षालय, सोलर स्ट्रीट लाइट, पुस्तकालय, सर्वसुविधायुक्त आजिविका भवन/ग्रामीण आजीविका के लिए वर्कशेड, पशु चिकित्सालय, ग्राम तक कनेक्टिविटी, ग्राम के अंतर्गत आंतरिक सड़कें/नाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान एवं गोडाउन, हर घर जल (सोलर उर्जा आधारित पम्प के माध्यम से), ग्रामीण उद्योग आधारित आर्ट एण्ड क्राफ्ट सेंटर, बायोगैस सयंत्र, शांतिधाम निर्माण, गौ-समाधि स्थल, सेग्रीगेशन शेड, जल निकासी के लिए नाली, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, ग्राम में विद्युत प्रवाह के लिए सौर उर्जा एवं गैर परम्परागत उर्जा क्षेत्र में विकास, पात्र परिवारों के लिये जलवायु अनुकूल आवास तथा (व्यक्तिगत शौचालय), सार्वजनिक उद्यान (पार्क), सार्वजनिक शौचालय, सिंचाई स्रोत विकास एवं ड्रिप एरीगेशन की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। आजीविका संबंधी गतिविधियों में नंदन फलोद्यान, पोषण वाटिका, दुग्ध कलेक्शन सेंटर, लघु वनोपज आधारित लघु उद्योग, कृषि/फल उपज आधारित उद्योग, ग्राम में उपलब्ध कौशल आधारित सेवाओं के विकास की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। वाटर कनजर्वेशन संबंधी जल संचयन संरचनाएं, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग, नलकूप रिचार्ज, डगवेल रिचार्ज, स्टॉप डेम/चेकडेम, तालाबों का संरक्षण इसी प्रकार पंचायत सशक्तिकरण संबंधी में स्वयं की आय के स्रोत का विकास तथा ई-पंचायत /CSCकी सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। विशेष लक्ष्य में प्राकृतिक कृषि, धार्मिक स्थलों / भूमियों का संरक्षण, घर से कचरा उठाने स्वच्छता वाहन, ग्रे वाटर मैनेजमेंट, मल-कीचड प्रबंधन, राजस्व अभिलेखों को अद्यतन करना, शत प्रतिशत समग्र ईकेवाइसी, ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे, ग्राम के आर्ट एवं क्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए हस्तशिल्प कला केन्द्र, ग्राम की शालाओं/आंगनबाडियों में अध्यनरत बच्चों के लिये पौष्टिक भोजन, अतिक्रमण मुक्त ग्राम तथा ग्राम की स्थानिक योजना की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण योजना के क्रियान्वयन की सैद्धांतिक स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा राज्य मद अंतर्गत क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण की योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक 1766 पुलों के पुनर्निर्माण के लिए 4 हजार 572 करोड़ रूपये की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गयी। स्वीकृति अनुसार क्षतिग्रस्त पुलों का पुनर्निर्माण किया जाकर बारहमासी संपर्क सुविधा प्रदान की जायेगी। योजना के क्रियान्वयन एवं मॉनीटिरिंग के लिए मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की साधिकार समिति को समुचित निर्णय लिये जाने के लिए अधिकृत किये जाने की स्वीकृति दी गयी। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, की स्थापना भोपाल में किए जाने की सैंद्धातिक स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, गाँधीनगर के परिसर (Campus) की स्थापना भोपाल में किए जाने के लिए सैंद्धातिक स्वीकृति प्रदान की गई है। स्वीकृति अनुसार भोपाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्ववि‌द्यालय (आरआरयू) की स्थापना के लिए तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष एक करोड़ 5 लाख रूपये की राशि प्रदान की जायेगी। भोपाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्ववि‌द्यालय के स्थायी परिसर के लिए राजीव गांधी प्रौ‌द्योगिकी विश्ववि‌द्यालय (आरजीपीवी), भोपाल परिसर में उपलब्ध भूमि में से 10 एकड़ भूमि को विभाग स्तर से हस्तांतरित किया जायेगा। भोपाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्ववि‌द्यालय के स्थाई भवन का निर्माण पूर्ण होने तक राजीव गांधी प्रौ‌द्योगिकी विश्ववि‌द्यालय में उपलब्ध भवन को अस्थायी रूप से राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के संचालन के लिए उपलब्ध कराये जाने का अनुमोदन किया गया। इसके स्थापित होने से राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार एवं कौशल, विशिष्ट उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठा में वृद्धि, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के मध्य सहयोग में वृद्धि होगी। विभागीय छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थियों के लिए मेस संचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के विभागीय छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थियों के लिए मेस संचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। विभाग के छात्रावास की संख्या 108, विद्यार्थियों की संख्या 9050 है। इसके लिए 14 करोड़ अनावर्ती तथा 17 करोड़ आवर्ती व्यय कुल 31 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। नवीन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कुल 1266 नवीन पदों की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा नवीन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए … Read more

अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देशभर में बैन किया जाएगा

बेंगलुरु कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने ऐलान किया है कि अगर कांग्रेस फिर से केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS को देशभर में बैन किया जाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार RSS की आलोचना करते रहे हैं और संगठन पर देश को बांटने के आरोप लगा चुके हैं. लेकिन प्रियांक खड़गे ने RSS पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध की बात कहकर एक नई बहस शुरू कर दी है. 'RSS समाज में नफरत फैला रही' उन्होंने कहा कि देश में नफरत कौन फैला रहा है, कौन सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार है, कौन है जो संविधान बदलने की बात कर रहा है? प्रियांक खड़गे ने कहा कि RSS अपनी राजनीतिक शाखा बीजेपी से जरूरी सवाल क्यों नहीं पूछती कि देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है, पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हुआ? यह न पूछकर संघ के लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS को देश में बैन किया जाएगा.  कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक ने कहा कि ईडी, आईटी सभी जांच एजेंसियां क्या सिर्फ विपक्ष के लिए हैं, सरकार आरएसएस की जांच क्यों नहीं करती, आखिर उनके पास पैसा कहां से आ रहा है, उनकी इनकम का सोर्स क्या है. प्रियांक खड़गे ने कहा कि हर बार संघ के लोग हेटस्पीच और संविधान बदलने की बात कहकर बचकर कैसे निकल जाते हैं, आर्थिक अपराध करके कैसे बच जाते हैं, इन सभी विषयों की जांच होनी चाहिए.  प्रियांक ने एक्स पर किया पोस्ट  दरअसल, प्रियांक खड़गे ने बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसमें सूर्या ने कांग्रेस के हाईकमान को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे पर सवाल उठाए थे. प्रियांक ने पूछा, 'बीजेपी का हाईकमान कौन है? आपके ज़्यादातर कार्यकर्ता आपकी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का नाम तक नहीं बता सकते, उनके लिए मोदी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शायद पंचायत सचिव तीनों ही हैं.' प्रियांक खड़गे ने कहा, 'जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो प्रधानमंत्री संसद नहीं जाते, बल्कि आरएसएस को रिपोर्ट करने के लिए नागपुर चले जाते हैं.' उन्होंने तेजस्वी सूर्या को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि तुम इसे ऊंची आवाज में कहो- मुझे आरएसएस की ज़रूरत नहीं है, मैं चुनाव जीत सकता हूं क्योंकि मोदीजी और नड्डाजी ही मेरे एकमात्र हाईकमान हैं, अभी और हमेशा.' पहले भी कही थी बैन लगाने की बात यह पहली बार नहीं है जब प्रियांक खड़गे ने ऐसा बयान दिया है. दो साल पहले भी कर्नाटक के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि अगर कोई संगठन राज्य में शांति भंग करने या सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो सरकार उसपर बैन लगाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगी. कांग्रेस ने तो कर्नाटक में  अपने घोषणा पत्र में कहा था, राज्य में सरकार में आते ही वह बजरंग दल, पीएफआई समेत जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले सभी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए बैन लगाएगी.  प्रियांक खड़गे ने इसी घोषणापत्र पर कहा था कि हम सिर्फ कानून के मुताबिक और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं जो कानून तोड़ेंगे. जब प्रियांक से पूछा गया कि क्या सरकार RSS और बजरंग दल को भी बैन करेगी? तो इस पर उन्होंने कहा, 'शांति भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी संगठन या व्यक्ति पर कार्रवाई होगी. चाहे वह मैं ही क्यों न रहूं?' केशव बलराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना की थी. लेकिन अब तक अलग-अलग वजहों से तीन बार इस संगठन पर बैन लग चुका है. साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर 18 महीने तक प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि बापू की हत्या को RSS से जोड़कर देखा गया. इसके बाद साल 1975 में इमरजेंसी का विरोध करने पर इंदिरा गांधी की सरकार ने RSS को बैन कर दिया, जो दो साल तक जारी रहा. तीसरी बार RSS पर पाबंदी 1992 में लगाई गई, क्योंकि अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने में संघ की भूमिका थी. लेकिन 6 महीने बाद इस बैन को हटा दिया गया था.  

रायसेन रोड स्थिति पटेल नगर कालोनी के कॉलोनाईजर के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा

राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने पटेल नगर कॉलोनाईजर के विरूद्ध एफआईआर कराने के निर्देश सर्वोदय गृह निर्माण समिति के आवंटियों की समस्या का करें निराकरण :राज्यमंत्री श्रीमती गौर रायसेन रोड स्थिति पटेल नगर कालोनी के कॉलोनाईजर के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा भोपाल  रायसेन रोड स्थिति पटेल नगर कालोनी के कॉलोनाईजर के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा। प्रकरण दर्ज कराने के लिए पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए। राज्यमंत्री श्रीमती गौर मंगलवार को मंत्रालय में गोविंदपुरा क्षेत्र की सर्वोदय गृह निर्माण सहकारी संस्था, अग्रोहा गृह निर्माण समिति, कुंजन गृह निर्माण समिति, पटेल नगर कॉलोनी और रहवासियों की समस्याओं के निराकरण के लिए संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर रहीं थी। राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने पटेल नगर कॉलोनी में स्कूल, खेल मैदान, पार्क आदि के लिए छोड़े गए भू-खंडों को नगर निगम के लिए सौपने के स्थान पर कॉलोनाईजर ने इस कॉलोनी के प्राईमरी स्कूल के एक भू-खंड को निजी तौर पर विक्रय कर दिया। नगर निगम के स्वामित्व के इन भू-खंड को विक्रय करने का अधिकार कॉलोनाईजर को नहीं है। कॉलोनाईजर द्वारा किया गया यह कृत्य आपराधिक है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्यमंत्री गौर ने नगर निगम के अधिकारियों को कॉलोनाईजर के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कॉलोनाईजर द्वारा विक्रय किए गए भू-खंड की रजिस्ट्री को शून्य कराने की प्रक्रिया भी शुरू करें। इसके साथ ही कॉलोनाईजर अन्य ओपन एरिया को विक्रय नहीं कर सके इसकी व्यवस्था भी सुनिश्चित करें। बैठक में बताया गया कि पटेल नगर कॉलोनी 1960 के दशक में विकसित की गई थी। इसमें 700 से अधिक प्लाट हैं। राज्यमंत्री श्रीमती गौर ने सर्वोदय गृह निर्माण सहकारी संस्था खजूरी भोपाल में आवंटियों और सहकारी संस्था के पदाधिकारियों के बीच कॉलोनी के विकास कार्यो को लेकर आ रही समस्या के निराकरण के लिए और समिति में पिछले वर्षों में हुई कार्यवाही से आवंटियों को उनका वास्तविक हक दिलाने के लिए संयुक्त आयुक्त, सहकारिता भोपाल को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने उप आयुक्त सहकारिता से कहा कि वह आवंटियों और सहकारी संस्था के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का निराकरण कराना सुनिश्चित करें। बैठक में अग्रोहा गृह निर्माण समिति नर्मदापुरम रोड की सीवेज और सड़क निर्माण के लिए रहवासियों के साथ समन्वय कर अधिकारियों को कार्य करने के लिए कहा। इसी प्रकार कुंजन गृह निर्माण संस्था नर्मदापुरम रोड में फेस-1 और फेस-2 में सीवेज और रोड के विकास के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी, कॉलोनियों के रहवासी और सहकारी समितियों के पदाधिकारी मौजूद थे।  

बेंगलुरु भगदड़ पर ट्रिब्यूनल सख्त, RCB को बताया जिम्मेदार, पुलिस कोई जादूगर या भगवान नहीं’

 बेंगलुरु  केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी विकास कुमार विकास के खिलाफ कर्नाटक सरकार के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है, जिन पर पिछले महीने यहां हुई भीषण भगदड़ के मद्देनजर कार्रवाई की गई थी। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने चार जून को मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई थी। मामले में योजना और भीड़ प्रबंधन को लेकर तीखी आलोचना हुई थी। कैट ने स्टेडियम में भगदड़ के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को ही जिम्मेदार माना है।  कोर्ट ने पुलिसकर्मियों का किया बचाव कैट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरसीबी क्रिकेट टीम 4 जून को बेंगलुरु में एकत्रित हुई भारी भीड़ के लिए जिम्मेदार है। जिसके कारण मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। कैट ने स्टेडियम में तैनात पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि वह कोई जादूगर या भगवान नहीं हैं। बिना अनुमति किया गया जश्न का ऐलान एनडीटीवी के मुताबिक, न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि RCB ने न तो पुलिस से कोई पूर्व अनुमति ली और न ही उन्हें सूचित किया. टीम ने अचानक सोशल मीडिया पर सूचना शेयर की, जिससे लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. आदेश में यह भी कहा गया कि पुलिस के पास मात्र 12 घंटे का समय था, जो इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता. CAT ने किया पुलिस का बचाव CAT ने पुलिस की आलोचना को अनुचित बताया और कहा, "पुलिसकर्मी भी इंसान होते हैं. वे न भगवान हैं, न जादूगर, और न ही उनके पास अलादीन का चिराग है जिससे किसी भी काम को तुरंत पूरा किया जा सके." ट्रिब्यूनल ने माना कि अचानक जानकारी के कारण पुलिस के पास पर्याप्त समय नहीं था, इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता. आईपीएस अधिकारी विकास कुमार को राहत इस आदेश में CAT ने आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास के निलंबन को भी रद्द कर दिया. केंद्र सरकार ने हादसे के दो दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन न्यायाधिकरण ने इसे गलत करार देते हुए कहा कि यह निलंबन अवधि उनकी सेवा में जोड़ी जाएगी. विकास कुमार उस समय बेंगलुरु वेस्ट जोन के इंस्पेक्टर जनरल और एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस थे और स्टेडियम की सुरक्षा के प्रभारी थे. 3 से 5 लाख की भीड़ के लिए जिम्मेदार है RCB अपनी टिप्पणी में ट्रिब्यूनल ने कहा, 'प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरसीबी लगभग तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ के लिए जिम्मेदार है। आरसीबी ने पुलिस से उचित अनुमति या सहमति नहीं ली। अचानक, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और उपरोक्त जानकारी के परिणामस्वरूप जनता एकत्र हो गई।' 12 घंटे के कम समय में पुलिस से ये उम्मीद नहीं की जा सकती ट्रिब्यूनल ने आरसीबी द्वारा जश्न मनाने की अंतिम समय में की गई घोषणा की आलोचना की और इसे उपद्रव भी बताया है। कोर्ट ने आदेश में कहा, 'अचानक, आरसीबी ने बिना किसी पूर्व अनुमति के उपरोक्त प्रकार का उपद्रव किया। पुलिस से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लगभग 12 घंटे के कम समय में पुलिस, पुलिस अधिनियम या अन्य नियमों आदि में आवश्यक सभी व्यवस्थाएं कर लेगी।' पुलिस के पास 'अलाद्दीन का चिराग' नहीं- ट्रिब्यूनल आईपीएल फ्रैंचाइजी ने अपनी पहली आईपीएल जीत के अगले दिन 4 जून को विजय परेड समारोह के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। ट्रिब्यूनल ने पुलिस की भूमिका का भी बचाव करते हुए कहा, 'पुलिस कर्मी भी इंसान हैं। वे न तो 'भगवान' हैं और न ही जादूगर और न ही उनके पास 'अलाद्दीन के चिराग' जैसी जादुई शक्तियाँ हैं जो केवल उंगली रगड़ने से किसी भी इच्छा को पूरा कर सकती हैं।'

धार को 2,100 करोड़ रुपये की पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क सौगात, PM मोदी करेंगे शुभारंभ

धार  मध्यप्रदेश के धार जिले में विकसित किए जा रहे प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क का शुभारंभ अगस्त में होगा। इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथ से कराने की तैयारी चल रही है। इस पार्क के शुरू होने के पहले ही 10 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं।   फिलहाल यहां पर तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं। यह टेक्सटाइल पार्क प्लग एंड प्ले सुविधा, सोलर प्लांट, सेंट्रलाइज्ड स्टीम बॉयलर के साथ स्थापित किया जा रहा है। जो यहां पर उद्योग शुरू करने वाले निवेशकों के लिए काफी सुविधाजनक होगा। 2100 एकड़ क्षेत्र में बन रहा पार्क औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह के अनुसार अगले दो माह में पीएम मित्रा पार्क का शुभारंभ कराने की तैयारी चल रही है। गुजरात के सूरत में हुए इंटरैक्टिव सेशन में भी उन्होंने इसकी जानकारी दी और निवेशकों को आमंत्रित किया है। अप्रेल माह में ही केन्द्र सरकार ने धार के इस पार्क के लिए 2100 करोड़ रुपए की विकास योजना को मंजूरी दी है। इसके बाद यहां पर तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं। अगले साल के अंत तक यहां उत्पादन शुरू होने की संभावना है। यह देश भर में केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए सात टेक्सटाइल पार्कों में से एक है। यह पार्क धार के भैंसोला गांव में लगभग 2100 एकड़ क्षेत्र में बन रहा है। आवास की सुविधा टेक्सटाइल मंत्रालय द्वारा स्वीकृत विकास योजना में यहां पर प्लग एंड प्ले यूनिट्स का विकास किया जाएगा। कंपनियों को सभी जरूरी सुविधाएं तैयार मिलेंगी, वे आकर तुरंत काम शुरू कर सकते हैं। यहां काम करने वालों के लिए औद्योगिक पार्क परिसर में ही रहने की व्यवस्था की जाएगी। 20 एमएलडी का जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट लगाया जाएगा। इससे लिक्विड वेस्ट नहीं निकलेगा। गंदे पानी को उपचारित कर वहीं उपयोग किया जाएगा। सोलर पावर प्लांट भी बनाया जाएगा।

1 अगस्त से छत्तीसगढ़ में 30 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं जमीनों के भाव

रायपुर प्रदेश में अचल संपत्ति और जमीन की सरकारी कीमतों यानी कलेक्टर गाइडलाइन दरों में एक अगस्त से बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। राज्य सरकार बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में मौजूद अंतर को न्यूनतम करने की दिशा में सक्रिय हो गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि गाइडलाइन दर 30 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसके लिए 30 जून से सात जुलाई तक प्रदेशभर में प्रचलित बाजार दरों का भौतिक सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद एक अगस्त से नई दरें लागू की जा सकती हैं। बनाई गई है विशेष टीम साल 2025-26 के लिए अचल संपत्ति की गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसके तहत पांचों संभागों (रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा) के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों में उप महानिरीक्षक पंजीयन मदन कोर्पे, उषा साहू तथा संबंधित जिला पंजीयक और वरिष्ठ उप पंजीयक शामिल हैं। जमीनी हकीकत को परखेंगी टीमें राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि गाइडलाइन दरों को यथासंभव बाजार मूल्य के निकट लाने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण दस्तावेजों और क्षेत्रीय निरीक्षण के आधार पर किया जाएगा। पटवारियों और तहसीलदारों के माध्यम से हर इलाके की रिहायशी कॉलोनियों, व्यावसायिक परिसरों और अन्य अचल संपत्तियों की जानकारी जुटाई गई है। नए मापदंड से तय होंगी दरें प्रस्तावित गाइडलाइन दरों के निर्धारण में स्पष्ट मापदंड अपनाए जा रहे हैं। रोड से लगी हुई संपत्तियों की दरें केवल रोड के आधार पर निर्धारित होंगी, रोड से अंदर की दरें तय नहीं की जाएंगी ताकि भ्रम की स्थिति न बने। वहीं 40 फीट से अधिक चौड़ाई वाली सड़कें 'मुख्य मार्ग' मानी जाएंगी। कम चौड़ाई की सड़कें, यदि वे दो इलाकों को जोड़ती हैं, तो उन्हें भी मुख्य मार्ग की श्रेणी में रखा जाएगा। सात साल बाद बदलाव की तैयारी गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में साल 2017 के बाद से गाइडलाइन दरों में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जबकि नियमानुसार यह प्रक्रिया हर साल की जानी चाहिए। इस बार राज्य सरकार ने गाइडलाइन पुनरीक्षण के लिए सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। बाजार मूल्य की वास्तविकता को पकड़ने के लिए बैंकिंग संस्थाओं से भी संबंधित क्षेत्रों की संपत्ति दरों की जानकारी ली जा रही है।    

केंद्रीय कैबिनेट ने एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इन्सेंटिव योजना को मंजूरी दी, एक लाख करोड़ की रिसर्च स्कीम को भी हरी झंडी

नई दिल्ली केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) की तर्ज पर एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इन्सेंटिव (ELI) योजना को मंजूरी दे दी। इसके तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में संगठित और स्थायी रोजगार को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना के तहत, सरकार कुल 1.07 लाख करोड़ रुपए का प्रोत्साहन देगी। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी दी।   इसके अलावा सरकार ने रिसर्च डेवलपमेंट एंड इन्नोवेशन (DRI) स्कीम का भी ऐलान किया है। इस स्कीम के तहत सरकार एनर्जी सिक्युरिटी, डीप टेक, एआई, फार्मा, डिजिटल एग्रीकल्चर समेत 17 सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का प्रोत्साहन देगी। केंद्र सरकार ने युवाओं को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को सरकार की ओर से 15,000 रुपये मिलेंगे। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ( Employment Linked Incentive Scheme ) को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है। ELI योजना का उद्देश्य युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करना है। साथ ही उन्हें एक सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना है। इस योजना का मुख्य फोकस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर होगा। योजना के अंतर्गत पहली बार नौकरी करने वालों को 15,000 रुपये तक की एक महीने की सैलरी मिलेगी। यह पैसा दो किस्तों में मिलेगा। यही नहीं जो कंपनियां युवाओं को नौकरी देंगी, उन्हें भी सरकार की ओर से दो साल तक प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार के मुताबिक इस योजना के माध्यम से 3.5 करोड़ से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना है। केंद्र सरकार की ओर से इस पर 99,446 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बजट में किया गया था ऐलान ELI योजना को लेकर सरकार ने पिछले बजट में ऐलान किया था। यह प्रधानमंत्री के 2 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा है। इस पैकेज का मकसद 4.1 करोड़ युवाओं को नौकरी, ट्रेनिंग और दूसरी तरह के मौके देना है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल में 3.5 करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे, जिनमें 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी पाने वाले होंगे। किन युवाओं को मिलेगा लाभ जो भी युवा पहली बार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्टर होंगे, उन्हें एक महीने की एक EPF सैलरी मिलेगी। यह अधिकतम 15,000 रुपये तक होंगे। हालांकि यह पैसा एक साथ नहीं मिलेगा बल्कि दो किस्तों में दिया जाएगा। वे कर्मचारी जिनकी सैलरी 1 लाख रुपये तक या उससे कम हैं, वही इस योजना के लिए पात्र होंगे। कंपनियों हर कर्मचारी पर मिलेंगे 3000 रुपये इस योजना के तहत सरकार कंपनियों को भी आर्थिक प्रोत्साहन देगी। योजना में कंपनियों को उन कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिनकी सैलरी 1 लाख रुपये तक है। सरकार कंपनियों को प्रति कर्मचारी के लिए 3000 रुपये हर महीने देगी। हर नए कर्मचारी के लिए यह पैसा दो साल तक मिलेगा। हालांकि इसके लिए शर्त है कि वह कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक काम करे। जो कंपनियां EPFO में रजिस्टर हैं, उन्हें कम से कम दो नए कर्मचारी (जिन कंपनियों में 50 से कम कर्मचारी हैं) या 5 नए कर्मचारी (जिन कंपनियों में 50 या उससे ज़्यादा कर्मचारी हैं) रखने होंगे। EPF सैलरी स्लैब                                                 कंपनी को फायदा (हर महीने, हर नए कर्मचारी पर) 10,000 रुपये तक                                                  1,000 रुपये 10,000 रुपये से ज्‍यादा और 20,000 रुपये तक           2,000 रुपये 20,000 रुपये से ज्‍यादा (1 लाख रुपये तक)                3,000 रुपये कब-कब मिलेगा पैसा ईएलआई योजना के तहत पहली किस्त नौकरी लगने के 6 महीने बाद मिलेगी। जबकि दूसरी किस्त का भुगतान 12 महीने की नौकरी पूरी होने और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में भाग लेने के बाद ही होगा। इस प्रोत्साहन राशि का कुछ हिस्सा FD अकाउंट में रखा जाएगा। युवा बाद में इस फंड से पैसा निकाल सकते हैं। पैसा कैसे मिलेगा पहली बार नौकरी करने वालों को पैसा सीधे उनके खाते में DBT के जरिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा। बस खाता आधार कार्ड से जुड़ा होना चाहिए। कंपनियों को प्रोत्साहन राशि सीधे उनके PAN से जुड़े अकाउंट में मिलेगी।

भाजपा ने हिमाचल में भी चुन लिया अध्यक्ष, राजीव बिंदल को क्यों मिला फिर से मौका?

नई दिल्ली हिमाचल प्रदेश में डॉ राजीव बिंदल को एक बार फिर बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसकी घोषणा की है. ये तीसरी बार है जब बिंदल को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. चुनाव अधिकारी राजीव भारद्वाज के मुताबिक विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक दल के नेता जयराम ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सभी भाजपा सांसदों और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और अन्य प्रदेश पदाधिकारियों की ओर से बिंदल के नाम के तीन नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तेलंगाना, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अपने प्रदेश अध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी है. उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट को लगातार दूसरी बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल को पार्टी की कमान सौंपी गई है तो एन. रामचंद्र राव को तेलंगाना बीजेपी प्रमुख घोषित किया गया है. वहीं, आज शाम तक मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए 3 जुलाई को चुनाव होगा. राजीव बिंदल 2002 से 2022 के बीच सोलन से तीन और नाहन से दो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक रहे. उन्होंने 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उन्हें 10 जनवरी 2018 को सर्वसम्मति से 13वीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था और वे जनवरी 2020 तक इस पद पर रहे और कुछ समय के लिए राज्य भाजपा प्रमुख का पदभार संभाला और अप्रैल 2023 में उन्हें फिर से पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. हिमाचल बीजेपी प्रमुख के रूप में उनका नया कार्यकाल मंगलवार (1 जुलाई) से शुरू होगा राजीव बिंदल को क्यों मिला फिर से मौका? राजनीतिक विशेषज्ञों ने इसके पीछे की बड़ी वजह सामाजिक समीकरण साधना बताया है। राजीव बिंदल वैश्य समुदाय से आते हैं। उन्हें भाजपा ने सामाजिक समीकरण साधने के लिए फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दरअसल नेता विपक्ष जयराम ठाकुर राजपूत बिरादरी के हैं। इसके अलावा ब्राह्मण समाज के जेपी नड्डा केंद्र में मंत्री हैं। ऐसे में संतुलन बनाने के लिए बिंदल को मौका दिया गया है। जानिए बिंदल का राजनीतिक सफर राजीव बिंदल 2002 से 2022 तक पांच बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने सोलन से तीन और नाहन से दो विधानसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी काम किया। उन्हें 10 जनवरी, 2018 को सर्वसम्मति से 13वीं विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया और वे जनवरी 2020 तक इस पद पर रहे। अप्रैल 2023 में फिर से नियुक्त होने से पहले उन्होंने राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और पदेन सदस्य पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और पार्टी महासचिव बिहारी लाल शर्मा, त्रिलोक कपूर, पवन काजल, रश्मि धर सूद, पायल वैद्य, राजीव सैजल और संजीव कटवाल को राष्ट्रीय परिषद का सदस्य चुना गया। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, लोकसभा सदस्य सुरेश कश्यप, कंगना रनौत और राजीव भारद्वाज और राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी, सिकंदर कुमार और हर्ष महाजन को राष्ट्रीय परिषद का पदेन सदस्य चुना गया।

GST : पिछले 5 साल में डबल हो गया कलेक्शन, 2024-25 में रिकॉर्ड ₹22.08 लाख करोड़ आया टैक्स

नई दिल्ली देश में 1 जुलाई 2025 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू हुए 8 साल हो जाएंगे। यह 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल में GST कलेक्शन दोगुना हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। यह एक साल पहले के कलेक्शन के मुकाबले 9.4 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2020-21 में GST कलेक्शन का आंकड़ा 11.37 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में GST का एवरेज मंथली कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था। 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कुल GST कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान GST कलेक्शन बढ़कर 14.83 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 18.08 लाख करोड़ रुपये, 2023-24 में 20.18 लाख करोड़ रुपये और 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। GST ने देश में इनडायरेक्ट टैक्सेज के मकड़जाल को हटाकर उसकी जगह एक सिंगल इंटीग्रेटेड सिस्टम को स्थापित किया। हाल ही में आई डेलॉइट की ‘GST@8’ टाइटल वाली रिपोर्ट में GST के लिहाज से पिछले वर्ष को बेहद ही सफल करार दिया गया है। GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर बढ़कर 1.51 करोड़ GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 2017 में 65 लाख थी। 8 साल में यह बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘लागू होने के बाद से, जीएसटी ने रेवेन्यू कलेक्शन और टैक्स बेस को बढ़ाने में मजबूत वृद्धि दिखाई है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और इनडायरेक्ट टैक्सेशन को अधिक एफिशिएंट और पारदर्शी बनाया है।’’ GST परिषद तय करती है दरें भारत में GST की दरें GST परिषद तय करती है। इस परिषद में केंद्र और राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। GST में रेट के वर्तमान में 4 स्लैब हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देशभर में ज्यादातर सामान और सेवाओं पर लागू होती हैं। इन स्लैब्स के अलावा 3 विशेष दरें भी हैं- – सोना, चांदी, हीरे और ज्वैलरी पर 3 प्रतिशत – कटे और पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत – कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत। तंबाकू प्रोडक्ट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और मोटर व्हीकल जैसे चुनिंदा सामानों पर GST की अलग-अलग दरों के साथ GST कंपंजेशन सेस भी लगाया जाता है। इस सेस का इस्तेमाल राज्यों को GST सिस्टम को अपनाने के चलते रेवेन्यू में होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। खर्च में 4% बचत सरकारी बयान में कहा गया, 'GST कंस्यूमर फ्रेडली रिफॉर्म है। कई टैक्सेज को हटाने और नियमों का पालन आसान बनाए जाने से ऐवरेज टैक्स रेट घटे हैं। इससे टैक्स बेस बढ़ा है और सरकार को कई जरूरी चीजों पर रेट घटाने में मदद मिली है।' इसके मुताबिक, 'अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाइयों पर अब कम टैक्स रेट लग रहा है। फाइनैंस मिनिस्ट्री की एक स्टडी के मुताबिक, जीएसटी से परिवारों को अपने नासिक खर्च में कम से कम 4% बचत करने में मदद मिली है। उपभोक्ता अब दैनिक जरूरतों पर कम खर्च करते हैं।" लगातार सेंटिमेंट में सुधार सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'डेलॉयट की हाल में आई GST@8 रिपोर्ट में पिछले साल को जीएसटी के लिए ब्लॉकबस्टर बताया गया। इसमें कहा गया कि सरकार के समय पर किए गए सुधारों, टैक्सपेयर्स के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों और जीएसटी पोर्टल को अपग्रेड किए जाने से यह सफलता मिली।' डेलॉयट के इसी सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया कि उद्योग जगत के 85% लोगों ने अपने सकारात्मक अनुभव की जानकारी दी है। बयान में कहा गया, 'लगातार चौथे साल सेंटिमेंट में सुधार हुआ है। जीएसटी के 8 साल पूरे जीएसटी लागू होने के 8 साल पूरे हो गए हैं. 1 जुलाई 2017 को इसे लॉन्च किया गया था. इसके तहत 17 अलग-अलग स्थानीय टैक्स और 13 उपकरों (cesses) को मिलाकर पांच टैक्स स्लैब बनाए गए, जिससे टैक्स सिस्टम सरल हुआ और व्यापारियों को भी राहत मिली. अप्रैल 2025 में जीएसटी वसूली ₹2.37 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, जो किसी भी महीने में अब तक की सबसे अधिक वसूली थी. मई 2025 में यह आंकड़ा ₹2.01 लाख करोड़ रहा. जून के आंकड़े 1 जुलाई को जारी किए जाएंगे. सरकार का कहना है कि जीएसटी ने भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया है और अब यह एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी टैक्स सिस्टम का उदाहरण बन चुका है.