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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दिए निर्देश — कार्बाइड गन से घायल बच्चों और नागरिकों का उपचार सर्वोच्च प्राथमिकता पर हो

कार्बाइड गन से घायल बच्चों और नागरिकों का उपचार सर्वोच्च प्राथमिकता में हो : मुख्यमंत्री डॉ. यादव कार्बाइड गन पर जीरो टालरेंस से प्रदेशव्यापी सख्त कार्रवाई के निर्देश भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्बाइड गन से हुई दुर्घटनाओं को अत्यंत गंभीर से लेते हुए निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के किसी भी घायल बच्चे और नागरिक के उपचार में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि घायलों के उपचार, ऑपरेशन और नेत्र चिकित्सा सहित सभी चिकित्सीय सेवाएँ सर्वोच्च प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाएं। उपचार के लिये मरीजों को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से आवश्यक सहयोग दिया जाये। गंभीर मरीजों को उन्नत उपचार के लिए आवश्यकता पड़ने पर एयर एम्बुलेंस सेवा भी उपलब्ध कराई जाये। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी निर्देश दिए हैं कि सभी घायलों की स्थिति की सतत मॉनिटरिंग की जाए और आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीमों को तत्काल तैनात किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कार्बाइड गन घातक विस्फोटक उपकरण है, जो नागरिक सुरक्षा के लिए सीधा खतरा उत्पन्न करता है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश में इस यंत्र के अवैध निर्माण, विक्रय और उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए। जीरो टालरेंस के साथ सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह भी कहा कि भोपाल एवं अन्य जिलों में कार्बाइड गन के कारण घायलों—विशेषकर बच्चों—को हुई आँख, चेहरे और हाथ की गंभीर चोटें अत्यंत चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हर संभव कठोर कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में मुख्य सचिव  अनुराग जैन ने शुक्रवार को मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति की वृहद समीक्षा की। मुख्य सचिव  जैन ने निर्देश दिए कि कार्बाइड गन प्रतिबंधित श्रेणी का उपकरण है और इसके विरुद्ध कार्रवाई शस्त्र अधिनियम 1959, विस्फोटक अधिनियम 1884 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत की जाये। उन्होंने कहा कि यह उपकरण एसीटिलीन गैस के विस्फोट से तेज आवाज और दाब लहर उत्पन्न करता है, जिससे गंभीर शारीरिक चोटें, जलन और स्थायी नेत्र क्षति तक हो सकती है। मुख्य सचिव  जैन ने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में बीएनएसएस की धारा 163 के अंतर्गत आदेश पारित कर कार्बाइड गन के निर्माण, विक्रय, स्वामित्व और उपयोग पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए। किसी भी व्यक्ति द्वारा निर्माण या विक्रय करते पाए जाने पर उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कार्बाइड गन या उसके घटकों की बिक्री को रोकने हेतु साइबर शाखा से निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की जाए। नागरिकों, विशेषकर अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाकर बताया जाए कि यह "खिलौना" नहीं बल्कि एक "विस्फोटक यंत्र" है। मुख्य सचिव  जैन ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में मैदानी अधिकारी संदिग्ध दुकानों, विक्रेताओं और ऑनलाइन प्लेटफार्मों की जांच कर अवैध लिस्टिंग हटवाने, जब्ती, प्रमाण-संग्रह और फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करें। जब्त वस्तुओं की फोरेंसिक जांच, चेन ऑफ कस्टडी और पीईएसओ के समन्वय से विधिक निपटान किया जाए। पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण, नागरिक जागरूकता अभियान, स्कूलों और पंचायतों में चेतना सत्र तथा हेल्पलाइन व्यवस्था की जाये जिससे नागरिक इस खतरनाक प्रवृत्ति के प्रति सतर्क रहें और पुलिस को संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दे सकें। बैठक में अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन  संजय कुमार शुक्ल, अपर मुख्य सचिव  अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य  संदीप यादव, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सहित प्रशासनिक एवं पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। पुलिस मुख्यालय द्वारा इस विषय में विस्तृत परिपत्र जारी किया गया है, जिसमें कार्बाइड गन के वैज्ञानिक स्वरूप, कानूनी स्थिति, दंडात्मक प्रावधानों तथा कार्रवाई की चरणबद्ध प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। इसके अनुसार, कार्बाइड गन विस्फोटक अधिनियम 1884 की धारा 4(घ), 5, 6(क)(i) और शस्त्र अधिनियम 1959 की धारा 2(ख)(iii), 2(ग), 9(ख) के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। बिना लाइसेंस निर्माण, विक्रय या स्वामित्व की स्थिति में तीन से सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। बताया गया कि प्रदेश में कार्बाइड गान के अवैध व्यवसायिओं पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। अब तक भोपाल में 6, विदिशा में 8 और ग्वालियर में 1 एफआईआर दर्ज की गई हैं। अधिकांश मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज प्रदेश में दीपावली के अवसर पर पटाखों एवं अवैध कार्बाइड गन से घायल व्यक्तियों की स्थिति पर स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त रिपोर्ट अनुसार अधिकांश मरीज उपचार प्राप्त कर स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, चिकित्सालय में उपचाररत केवल 2 मरीज ऐसे हैं, जिनकी आंखों में गंभीर चोट है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी जिलों को गंभीर मामलों की सतत निगरानी करने तथा आवश्यकता पड़ने पर उच्च चिकित्सा संस्थानों में रेफर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।  

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्थल निरीक्षण कर तैयारियों का लिया जायजा

रायपुर : जनजातीय स्वतंत्रता विद्रोहों पर बने भव्य स्मारक सह-संग्रहालय जल्द लोगों के लिए होगा समर्पित मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्थल निरीक्षण कर तैयारियों का लिया जायजा राज्योत्सव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे देश के पहले डिजीटल संग्रहालय का लोकार्पण आदिवासियों के 14 विद्रोहों और जंगल सत्याग्रह एवं झंडा सत्याग्रह के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन रायपुर नवा रायपुर अटल नगर के आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विद्रोहों पर बन रहे स्मारक सह-संग्रहालय जल्द ही लोगों के लिए समर्पित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्योत्सव के मौके पर देश के पहले डिजीटल संग्रहालय का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने  निर्माणाधीन संग्रहालय स्थल का निरीक्षण कर लोकार्पण की तैयारियों का जायजा लिया एवं अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। गौरतलब है कि राज्य सरकार इस वर्ष छत्तीसगढ़ निर्माण के 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती के रूप में मना रहा हैं। नवा रायपुर में बन रहे शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय के निर्माण कार्यों का निरीक्षण के दौरान मुख्य मंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आगंतुकों एवं पर्यटकों के हिसाब से संग्रहालय में आडियो-विडीयो विजुवल की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आगंतुक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के संबंध में भंलिभांति परिचित हो सके। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना का परिणाम है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्गों के ऐतिहासिक गौरव गाथा, शौर्य और बलिदान का प्रतीक स्मारक सह-संग्रहालय धरातल पर दिखाई देगा। यह निर्माणाधीन संग्रहालय सदियों के लिए आने वाली नई पीढ़ियों को पुरखों का याद दिलाता रहेगा। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय न सिर्फ आदिवासी वर्गों के लिए बल्कि सभी वर्गों सहित देश-विदेश के लोगों के लिए भी प्रेरणाप्रद बनेगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस जीवंत संग्रहालय के माध्यम से लोगों में बड़ी से बड़ी ताकतों के अन्याय, अत्याचार के खिलाफ विद्रोह करने का साहस पैदा होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि सोच का परिणाम है कि आज प्रदेश का पहला संग्रहालय है जो छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शौर्य गाथा एवं बलिदान को समर्पित है। मुख्यमंत्री साय ने आगामी राज्योत्सव के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रस्तावित उद्घाटन के मद्देनजर सभी आवश्यक तैयारियां व निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने संग्रहालय में डिजीटलीकरण कार्य, पार्किंग व्यवस्था, सॉवेनियर शॉप, गार्डनिंग, वॉटर सप्लाई की स्थिति की जानकारी ली। प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को संग्रहालय में निर्माणाधीन 14 गैलरियों सहित झंडा सत्याग्रह, जंगल सत्याग्रह, जनजातीय संस्कृतियों पर बने गैलरियों आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। निरीक्षण के दौरान उनके साथ वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव विकासशील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, रायपुर संभाग के कमिश्नर महादेव कावरे, आदिम जाति विकास विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त डॉ रवि मित्तल, कलेक्टर गौरव सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह, टीआरटीआई संचालक मती हिना अनिमेष नेताम सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क से तैयार हो रहा है संग्रहालय गौरतलब है कि यह स्मारक सह- संग्रहालय छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बारिकी के साथ अध्ययन व रिसर्च के बाद वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क के साथ तैयार किया रहा है। संग्रहालय देखने वाले आगंतुकों को आदिवासी विद्रोह का वर्णन स्टैच्यू के पास ही लगे डिजिटल बोर्ड पर उपलब्ध रहेगा। आगंतुक संग्रहालय में आदिवासी विद्रोह को जीवंत महसूस कर सकेगा। वहीं आगंतुक प्रत्येक गैलरी में बनाई गई जीवंत प्रस्तुति के सामने स्कैनर से मोबाईल द्वारा स्कैन कर संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। 16 गैलेरियों में तैयार हो रहा है संग्रहालय उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय में स्वतंत्रता आंदोलन के समय छत्तीसगढ़ में हुए विभिन्न आदिवासी विद्रोहों जैसे – हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रेाह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस विद्रोह, भूमकाल विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, झण्डा सत्याग्रह एवं जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष एवं शौर्य के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन 14 गैलेरियों में किया जा रहा है। वहीं जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह पर एक-एक गैलेरियों का भी निर्माण किया जा रहा है।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश बना राष्ट्रीय मॉडल

नारी शक्ति से आत्मनिर्भर भारत का संकल्प साकार कर रहा है मध्यप्रदेश गांव से लेकर ग्लोबल मंच तक उभर रहीं महिलाएं भोपाल  जब किसी राज्य का नेतृत्व केवल योजनाएं नहीं बनाता, बल्कि स्वयं जनभावनाओं के साथ जुड़कर उन्हें सशक्त करता है, तब एक नई क्रांति जन्म लेती है। मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की यही क्रांति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आकार ले रही है। एक ओर जहां राज्य की महिलाएं आर्थिक, सामाजिक और डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश पूरे देश के लिए “महिला सशक्तिकरण मॉडल” के रूप में उभर कर सामने आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का स्पष्ट मानना है कि जब तक नारी सक्षम नहीं होगी, समाज समृद्ध नहीं हो सकता। यही सोच आज प्रदेश की नीतियों, योजनाओं और जमीनी बदलावों में साफ नजर आती है। उन्होंने ग्रामीण स्व-सहायता समूहों से लेकर शहरी महिला उद्यमिता, सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा तक, बहुआयामी हस्तक्षेपों के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाने की मजबूत आधारशिला रखी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शी सोच और समाज के हर वर्ग को जोड़ने की रणनीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो परिवर्तन संभव है। आज मध्यप्रदेश की महिलाएं घरेलू भूमिकाओं से निकलकर उद्यम, प्रशासन, शिक्षा, और नवाचार के हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। ‘लाड़ली बहना’ से आत्मनिर्भरता की ओर कदम मध्यप्रदेश में ‘लाड़ली बहना योजना’ सबसे प्रभावशाली पहल बन चुकी है। इस योजना के तहत अब तक 1.26 करोड़ महिलाओं को प्रतिमाह 1551.86 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लाड़ली बहनों को भाई दूज से 1500 रुपये की राशि देने का निर्णय लिया है। अब तक 43 हज़ार 376 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के साथ-साथ डिजिटल लेन-देन में दक्ष बन रही हैं। ‘लखपति दीदी’ से बदली गांव की तस्वीर मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा शुरू की गई ‘लखपति दीदी योजना’ के अंतर्गत प्रदेश की 1 लाख से अधिक महिलाएं प्रति वर्ष ₹1 लाख से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं। लक्ष्य है कि 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 62 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। ये महिलाएं अब लघु उद्योग, कृषि, हस्तशिल्प और सेवा क्षेत्र में नए अवसर सृजित कर रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता में महिला केंद्रित योजनाएं राज्य की लोकप्रिय ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ के तहत 2024-25 में 2.73 लाख बालिकाओं का पंजीकरण किया गया और 223 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियाँ वितरित की गईं। अब तक इस योजना से 50 लाख से अधिक बेटियाँ लाभान्वित हो चुकी हैं।  स्वच्छता क्षेत्र में, किशोरियों के लिए 19 लाख से अधिक सैनिटेशन किट्स वितरित की गईं और 57 करोड़ रुपये की सहायता दी गई, जिसे यूनिसेफ ने भी सराहा है। महिला सुरक्षा बनी प्राथमिकता राज्य में महिला हेल्पलाइन 181, 112 आपात सेवा, महिला पुलिस थाने, साइबर हेल्पलाइन, और महिला आरक्षी भर्ती जैसे कदमों ने महिला सुरक्षा की दिशा में ठोस बदलाव लाए हैं। अब तक 1.5 लाख से अधिक महिलाओं को समय पर सहायता प्रदान की जा चुकी है। राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिनिधित्व में बढ़त राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं में 35% और स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण देकर महिलाओं को निर्णयात्मक भूमिकाओं में आगे बढ़ाया है। वर्ष 2025-26 के जेंडर बजट में 19,021 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है और महिला कल्याण पर कुल 1.21 लाख करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन: परंपरा से भविष्य की दिशा लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आरंभ देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन महिलाओं को स्टार्टअप, निवेश, और कौशल विकास से जोड़ रहा है। अब तक 8.10 करोड़ रुपये के निवेश पत्र वितरित किए जा चुके हैं। उद्यमिता को मिली उड़ान एमएसएमई क्षेत्र में 850 से अधिक इकाइयों को 275 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, जिससे महिला उद्यमिता को मजबूत आधार मिला है। रेडीमेड गारमेंट उद्योग में कार्यरत महिलाओं को प्रतिमाह ₹5000 की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। मध्यप्रदेश अब केवल भूगोलिक दृष्टि से देश के हृदय में नहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की धड़कन भी यहीं से तेज़ हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मार्गदर्शन में यह राज्य आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में “नारी शक्ति” को केंद्र में रखते हुए नई इबारत लिख रहा है — जो आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय नहीं, वैश्विक मॉडल बन सकता है।  

महागठबंधन की ताकत दिखाएंगे ये 20 स्टार प्रचारक, सपा ने ब‍िहार चुनाव के लिए की ल‍िस्‍ट जारी

लखनऊ बिहार चुनाव में सीधे लड़ने के बजाय इंडी गठबंधन को समर्थन दे रही सपा अब प्रचार युद्ध में भागीदारी को भी तैयार है। पार्टी गठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार के लिए 20 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। सूची में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, उनकी पत्नी मैनपुरी सांसद डिंपल यादव के साथ हाल ही जेल से रिहा हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां का नाम भी शामिल है। नवंबर की शुरुआत में सपा प्रमुख की जनसभा का कार्यक्रम भी तय किया जा रहा है। सपा की ओर से जारी स्टार प्रचारकों की सूची में प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगाेपाल यादव और राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव का नाम शामिल रही है। परिवार के सदस्यों के मामले में अखिलेश व डिंपल के साथ केवल पूर्व सांसद एवं विधायक तेज प्रताप सिंह यादव को ही जगह दी गई है। सूची में ज्यादातर सांसद को जगह दी गई है और जातीय समीकरणों के हिसाब से नाम से तय किए गए हैं। सूची में दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा का नाम है। उनके अलावा सांसद अफजाल असांरी, अवधेश प्रसाद, बाबू सिंह कुशवाहा, नरेश उत्तम पटेल, रमाशंकर विद्यार्थी राजभर, लाल जी वर्मा, छोटेलाल खरवार, राजीव राय, सनातन पांडेय, इकरा हसन, प्रिया सरोज व लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद, विधायक ओम प्रकाश सिंह, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव और प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र सोलंकी का नाम भी शामिल हैं। वहीं सपा प्रमुख ने बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के लिए गठबंधन को बधाई दी। शुक्रवार को अजमेर में उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि बिहार की जनता तेजस्वी यादव और इंडी गठबंधन को बिहार का विकास करने और युवाओं का भविष्य संवारने का मौका देगी।  

हमीदिया हॉस्पिटल में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बच्चों व नागरिकों के स्वास्थ्य प्रबंधन का जायजा लिया

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हमीदिया हॉस्पिटल में बच्चों और नागरिकों के स्वास्थ्य का हाल-चाल जाना मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से सहायता के दिए निर्देश कार्बाइड गन प्रभावितों से मिले अस्पताल में भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्बाइड गन से प्रभावितों से भोपाल हमीदिया हॉस्पिटल के ब्लॉक 2 की 11वीं मंजिल स्थित नेत्र रोग वार्ड में भेंट की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने चिकित्सा विशेषज्ञों से रोगियों के उपचार के संबंध में जानकारी प्राप्त कर समुचित इलाज के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी कार्बाइड गन से प्रभावित बच्चों और नागरिकों के उचित इलाज के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से भी सहायता के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे प्रकरणों की निरंतर मॉनीटरिंग की जा रही है। घातक कार्बाइड गन के निर्माण और विक्रय को अवैध होने के नाते थाना स्तर पर छापामारी और जाँच की कार्यवाही भी सुनिश्चित की जा रही है। अधिकांश घायलों ने स्वयं उपयोग की कार्बाइड गन मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नारियलखेड़ा निवासी  प्रशांत मालवीय, गरीब नगर छोला के  करण पंथी, भानपुर के  आरिश और परवलिया सड़क के  अंश प्रजापति से भेंट की। इनमें अधिकांश किशोर हैं।  अंश प्रजापति ने बताया कि वे अन्य युवकों के कार्बाइड गन उपयोग करने से घायल हुए हैं। वहीं  प्रशांत,  करण और  आरिश ने स्वयं कार्बाइड गन का उपयोग करते हुए घायल होने की बात स्वीकार की। परिजन ने उपचार पर संतोष व्यक्त किया हमीदिया अस्पताल में दाखिल इन रोगियों के अभिभावकों ने भी परिवार के सदस्यों द्वारा कार्बाइड गन के उपयोग को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। रोगियों के परिजन ने हमीदिया अस्पताल में किए जा रहे उपचार पर संतोष व्यक्त किया।  करण पंथी के परिवार ने कहा कि उन्होंने गरीब नगर में अन्य परिवारों को भी कार्बाइड गन का उपयोग न करने का परामर्श दिया है। अब सभी जागरूक हो चुके हैं और बस्ती में कोई भी इसका उपयोग नहीं कर रहा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के हमीदिया अस्पताल के अवलोकन के अवसर पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग  संदीप यादव और आयुक्त जनसंपर्क  दीपक कुमार सक्सेना उपस्थित थे।  

स्टारलिंक का विस्तार: 9 शहरों में आ रहे अर्थ स्टेशन, इंटरनेट कनेक्टिविटी में बड़ी अपडेट

नई दिल्ली एलन मस्‍क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्‍टारलिंक (Starlink) की सेवाएं जल्‍द भारत में शुरू हो सकती हैं। भारत सरकार की ओर से स्‍टारलिंक को जरूरी अनुमत‍ि दी जा चुकी है। नई जानकारी यह है कि स्‍टारलिंक भारत के 9 शहरों में अर्थ स्‍टेशन यानी जमीन पर लगे स्‍टेशन बनाएगी। इन 9 शहरों में मुंबई, नोएडा, लखनऊ, चंडीगढ़ और कोलकाता जैसे शहर शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने Gen 1 सैटेलाइट के लिए 600 जीबीपीएस कैपिसिटी की डिमांड की है। स्‍टारलिंक के पास अलग-अलग जेनरेशन के सैटेलाइट हैं, जिनमें जेन 1 सबसे पुराना बैच है। इस इस पूरे मामले की बारीकियां समझते हैं। क्‍या होते हैं अर्थ स्‍टेशन रिपोर्टों के अनुसार, अर्थ स्‍टेशन जमीन पर बनाए गए ऐसे स्‍टेशन होते हैं, जो अंतरिक्ष से सैटेलाइट से मिलने वाले डेटा को एकत्र करते हैं। वैसे तो स्‍टारलिंक का इंटरनेट सीधे यूजर के घर या ऑफ‍िस पर आता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर अर्थ स्‍टेशनों से भी इंटरनेट को एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाया जा सकता है। कहा जाता है कि पहले स्‍टारलिंक भारत में अपने अर्थ स्‍टेशन नहीं बनाने वाली थी। सरकार के हस्‍तक्षेप के बाद अर्थ स्‍टेशन भारत में बनाने पर फैसला हुआ। जेनरेशन 1 सैटेलाइट क्‍या हैं जेनरेशन 1 उन सैटेलाइट को कहा जाता है, जिन्‍हें स्‍टारलिंक ने अपने शुरुआती समय में लॉन्‍च किया था। ये भी बाकी सैटेलाइट्स की तरह पृथ्‍वी की निचली कक्षा में चक्‍कर लगाते हैं। यह स्‍टारलिंक के सैटेलाइटों का सबसे पुराना बैच जरूर है, लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट देने के लिए पर्याप्‍त है। 100 से ज्‍यादा टर्मिनल को मंजूरी ईटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने स्‍टारलिंक को 100 से ज्‍यादा टर्मिनल आयात करने की अनुमति दे दी है। स्‍टारलिंक की सर्विस शुरू होने से पहले सरकार उसे हर कसौटी पर परख लेना चाहती है। गौरतलब है कि स्‍टारलिंक इस बात पर राजी हो चुकी है कि वह देश के डेटा को देश के बाहर स्‍टोर नहीं करेगी। स्‍टारलिंक से जुड़ी चिंताओं की वजह से ही कंपनी को लाइसेंस मिलने में 5 साल से ज्‍यादा समय लगा है। स्‍टारलिंक के साथ ही एयरटेल के समर्थन वाली वनवेब और जियो एसईएस जैसी कंपनियों को भी देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की मंजूरी दी गई है। कहा जाता है कि अगले साल की शुरुआत में स्‍टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट भारत में शुरू हो सकता है, जिसके बाद लोगों को इंटरनेट का एक नया विकल्‍प मिल जाएगा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गाजियाबाद पहुंचेंगी, जानें कौन-कौन से रास्ते रहेंगे बंद

साहिबाबाद रविवार को इंदिरापुरम स्थित यशोदा मेडिसिटी का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य वीवीआइपी शामिल रहेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर रविवार को ट्रांस हिंडन क्षेत्र में विभिन्न मार्गाें पर रूट डायवर्जन रहेगा। यातायात पुलिस ने रूट डायवर्जन का प्लान जारी कर दिया है। डीसीपी यातायात त्रिगुण बिसेन ने बताया कि रूट डायवर्जन सुबह सात बजे से लेकर कार्यक्रम समाप्ति तक रहेगा। इन मार्गाें पर रहेगा रूट डायवर्जन – भोपुरा, तुलसी निकेतन से हिंडन एयरफोर्स गोलचक्कर की तरफ सभी प्रकार के भारी वाणिज्यिक वाहनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा। यह वाहन करनगेट गोल चक्कर से बीकानेर गोल चक्कर का प्रयोग कर मोहननगर होते हुए अपने गंतव्य को जायेंगे। – सीआइएसएफ टी-प्वाइंट से वसुंधरा की ओर सभी प्रकार के भारी वाहनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा। यह वाहन सीआइएसएफ टी-प्वाइंट से एनएच-9 होते हुए आगे जाएंगे। – वसुंधरा से सीआइएसएफ टी-प्वाइंट की तरफ भी भारी वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। यह सभी वाहन वसुंधरा से डाबर होते हुए यूपी गेट व एनएच-9 की तरफ जाएंगे। – वीवीआइपी कार्यक्रम के चलते वसुंधरा से सीआइएसएफ टी-प्वाइंट तक हल्के व मध्यम वाहनों को आवश्यकता अनुसार रोका जाएगा और संचालन किया जाएगा।  

वैज्ञानिक अध्ययन में आश्चर्यजनक नतीजा, भारतीय पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी बनी स्थिर

मणिपाल पिछले कई सालों से वैश्विक स्तर पर बहुत से लोगों को माता-पिता बनने के लिए परेशान होते देखा गया है. इसकी एक बड़ी वजह पुरुषों में गिरती सीमन क्वालिटी को माना जाता है. वैश्विक स्तर पर कई देशों में सीमन क्वालिटी घट रही है, जिससे फर्टिलिटी यानी बच्चे होने की क्षमता पर असर पड़ रहा है. कमजोर या कम संख्या में स्पर्म होने से महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में परेशानी, आईवीएफ में असफलता और इन्फर्टिलिटी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि सीमन की गिरती क्वालिटी वैश्विक स्तर पर पुरुषों को परेशान कर रही है. हालांकि, दक्षिण भारतीय पुरुषों पर हुई नई स्टडी में बिल्कुल उल्टे नतीजे देखने को मिले हैं.  मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज द्वारा की गई नई स्टडी में पता चला है कि पिछले 17 सालों में दक्षिण भारतीय पुरुषों में सीमन की क्वालिटी में कोई गिरावट नहीं हुई है. ये दुनिया भर में घटते स्पर्म काउंट की चिंताओं के बीच राहत देने वाली खबर है. इस स्टडी में लगभग 12,000 पुरुषों का डेटा देखा गया. इससे पता चलता है कि भारत में, खासकर दक्षिण में, पुरुषों की फर्टिलिटी अब तक स्टेबल बनी हुई है.   स्टडी में क्या पाया गया? अमेरिकन जर्नल ऑफ मेंस हेल्थ में छपी इस स्टडी में 2006 से 2022 तक के दक्षिण भारतीय पुरुषों के स्पर्म के सैंपल्स टेस्ट किए गए. ये पुरुष कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज की एंड्रोलॉजी लैब में फर्टिलिटी की टेस्टिंग के लिए आए थे. स्टडी में स्पर्म की संख्या, उनकी स्पीड, सर्वाइवल रेट और स्ट्रक्चर जैसे गुणों को देखा गया. इन आंकड़ों पर स्टडी करने के बाद पाया गया कि 17 सालों में स्पर्म क्वालिटी में कोई खास बदलाव नहीं हुआ. इसका मतलब है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में जहां स्पर्म्स की क्वालिटी घटने की चिंता है, उस डर के दायरे से दक्षिण भारतीय पुरुष बाहर हैं. रिसर्च में क्या पाया गया? स्टडी करने वाले सतीश अडिगा ने कहा कि ये दिखाता है कि दक्षिण भारतीय पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी स्टेबल है. उन्होंने ये भी बताया कि पुरुषों में बांझपन बढ़ रहा है, लेकिन इसका कारण स्पर्म क्वालिटी में कमी नहीं, बल्कि अन्य कारण हो सकते हैं. जर्मनी के लेखक स्टीफन श्लाट ने कहा कि ये स्टडी ग्लोबल स्पर्म क्राइसिस के आइडिया को चुनौती देता है. साथ ही, उन्होंने बताया कि पुरुषों की फर्टिलिटी को समझने के लिए क्षेत्रीय आंकड़े बहुत जरूरी हैं.

नौरादेही में बनेगा तीसरा चीते का घर, केंद्र ने दिए 4 करोड़, कूनो और गांधी सागर के बाद नई पहल

भोपाल  चीता रीइंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत नमीबिया से लाए गए चीते अब भी एमपी की पहचान बने रहे रहेंगे। इनको एमपी के बाहर नहीं बसाया जा रहा है, बल्कि इनके लिए प्रदेश में ही नया ठिकाना तैयार किया जा रहा है। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व ( नौरादेही ) को चीतों का नया घर बनने जा रहा है। दरअसल, नौरादेही अभ्यारण को चीतों का नया ठिकाना बनाने की केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही एनटीसीए ( नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ) ने तैयारियों के लिए सेंट्रल कैंपा फंड से 4 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यह तैयारियों की पहली किस्त है। इसके बाद जल्दी ही 3 करोड़ की दूसरी किस्त जारी की जाएगी। तैयार होगा चीतों का ठिकाना एनटीसीए की तरफ से जारी किए गए फंड से नौरादेही में चीतों के लिए नया घर तैयार होगा। इसमें सागर और दमोह जिले में फैले नौरादेही अभ्यारण में 4 क्वारेंटाइन बोमा और एक सॉफ्ट रिलीज बोमा तैयार किया जाएगा। साथ ही फेंसिंग सहित इंफ्रास्ट्रक्चर के अन्य जरूरी काम जल्द शुरू होंगे। वहीं, दूसरे फंड मिलने के बाद 2339 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व नौरादेही में चीते बसाए जाएंगे। एनटीसीए की टीम करेगी दौरा केंद्र सरकार से नौरादेही अभ्यारण बनाने की मंजूरी मिलने के बाद यहां चीतों को बसाने की कवायद तेज हो गई है। 4 महीने पहले किए गए निरीक्षण में नौरादेही के सिंघपुर, मोहली और झापा फॉरेस्ट रेंज को चीतों के सबसे बेस्ट माना गया। जल्दी ही एनटीसीए की टीम इन तीनों इलाकों का दौरा करने के लिए आएगी। फॉरेस्ट रेंज से कई गांव होंगे विस्थापित नौरादेही में जिन तीन क्षेत्रों सिंघपुर, झापा और मोहली को चीतों को उपर्युक्त माना है। उसके अंदर 13 गांव आते हैं। चीतों को बसाने से पहले यहां के लोगों को पुनर्वासित किया जाएगा। चीतों को लाने से पहले 30 किमी के रेंज पर बाड़ेबंदी की जाएगी। राजस्थान और गुजरात नहीं जाएंगे चीते चीतों की अगली बसाहट राजस्थान या गुजरात में करने की तैयारी थी। हालांकि एनटीसीए ने स्पष्ट कर दिया है कि चीतों को कहीं और नहीं बसाया जाएगा। एमपी में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। ऐसी संभावना है कि नए साल 2026 में अफ्रीका से आने वाले चीतों की नई खेप को नौरादेही में बसाया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो कूनो में पले बढ़े और जवान हो चुके शावकों को शिफ्ट किया जाएगा। 1952 से विलुप्त हो गए थे चीते देश में चीतों को आखिरी बार 1952 में देखा गया था। इसके बाद से विलुप्त हो चुके चीतों को रीइंट्रोडक्शन करने के लिए साल 2022 में नामीबिया से 8 चीतों की पहली खेप लाई गई। इनको कूनो में बसाया गया। फिर फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया। इन्हें भी कूनो में ही रखा गया। दो खेप में कुल 20 चीतों को भारत में लाया गया। कूनो में पिछले दो सालों में इन चीतों ने कुल 26 शावकों को जन्म दिया। हालांकि बीमारी, हमलों और अन्य कारणों के चलते केवल 19 ही जीवित बच पाए हैं।

वैज्ञानिकों की अनोखी खोज: नाक नहीं, Butt से भी सांस लेना संभव – जापान में हुआ सफल प्रयोग

टोक्यो  क्या आपने कभी सोचा है कि सांस लेने का रास्ता नाक या मुंह ही क्यों हो? जापान के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया कि Butt से भी ऑक्सीजन ली जा सकती है. यह सुनने में मजाक लगता है, लेकिन यह एक गंभीर चिकित्सा खोज है. हाल ही में हुए एक क्लिनिकल ट्रायल से पता चला कि यह तरीका सुरक्षित है. अगर यह कामयाब रहा, तो सांस की नलियां बंद होने पर मरीजों के लिए यह एक वैकल्पिक रास्ता बन सकता है. यह तरीका कैसे काम करता है? इस प्रक्रिया का नाम है 'एंटरल वेंटिलेशन'. इसमें एक खास तरल पदार्थ, जिसे पर्फ्लोरोकार्बन कहते हैं, रेक्टम (मलद्वार) में डाला जाता है. इस तरल में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन भरी होती है. विचार यह है कि ऑक्सीजन आंतों की दीवारों से गुजरकर खून में चली जाए. इससे मरीज को नाक या मुंह से सांस लेने की जरूरत न पड़े. यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिनकी सांस की नलियां ब्लॉक हो गई हों, जैसे दम घुटने या चोट लगने पर. यह आइडिया नया नहीं है. जानवरों में यह पहले से होता है. सूअर, चूहे, कछुए और कुछ मछलियां मुसीबत के समय पीछे से ही ऑक्सीजन ले लेती हैं. इंसानों के लिए यह रिसर्च पिछले साल फिजियोलॉजी में इग्नोबेल प्राइज जीत चुकी है – जो मजाकिया लेकिन वैज्ञानिक खोजों को सम्मानित करता है. ट्रायल में क्या हुआ? यह पहला मानव ट्रायल था, जो सिर्फ सुरक्षा की जांच के लिए था. प्रभावशीलता की टेस्टिंग अभी बाकी है. जापान में 27 स्वस्थ पुरुष वॉलंटियर्स को चुना गया. उन्हें एक तरल पदार्थ दिया गया, जिसमें ऑक्सीजन नहीं थी (सुरक्षा के लिए). हर व्यक्ति को 25 मिलीलीटर से 1500 मिलीलीटर तक का तरल रेक्टम में रखना था. 60 मिनट तक होल्ड करना था. परिणाम सकारात्मक आए. कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ. हां, जिन्हें सबसे ज्यादा मात्रा (1500 मिलीलीटर) दी गई, उन्हें पेट में फूलना, असुविधा और हल्का दर्द महसूस हुआ. बाकी के महत्वपूर्ण संकेत जैसे ब्लड प्रेशर, हृदय गति सब सामान्य रहे. सिर्फ 7 लोगों को पूरे घंटे तक होल्ड करने में दिक्कत हुई. बाकी सबने अच्छे से सहन किया. वैज्ञानिकों की राय ओसाका यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंटिस्ट टाकानोरी टेकेबे कहते हैं कि यह पहली बार इंसानों पर डेटा आया है. नतीजे सिर्फ प्रक्रिया की सुरक्षा दिखाते हैं, प्रभावशीलता की नहीं. लेकिन अब सहनशक्ति साबित हो गई है, तो अगला कदम ऑक्सीजन वाली तरल से ब्लड में ऑक्सीजन पहुंचाने की जांच होगा. अगला ट्रायल ऑक्सीजन वाली तरल पर होगा. देखेंगे कि कितनी मात्रा और कितने समय तक रखने से मरीज का ब्लड ऑक्सीजन लेवल सुधरेगा. यह ट्रायल मरीजों पर होगा, जो असल में ऑक्सीजन की जरूरत में होंगे. क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज? सांस की समस्या दुनिया भर में बड़ी बीमारी है. कोविड जैसी महामारी में लाखों लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी. अगर यह तरीका काम कर गया, तो यह बैकअप ऑप्शन बनेगा. खासकर उन जगहों पर जहां पारंपरिक तरीके संभव न हों. लेकिन अभी यह शुरुआती स्टेज में है. ज्यादा ट्रायल्स में समय लगेगा. यह रिसर्च मेड जर्नल में छपी है.