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GST रेट कट का बड़ा ऐलान कल, रोजमर्रा की चीजें और इलेक्ट्रॉनिक्स हो सकते हैं सस्ते

नई दिल्ली देश में जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स में सुधार को लेकर तैयारियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते 15 अगस्त को लाल किले से किए गए ऐलान के बाद से ही तेज हैं, अब आज से जीएसटी काउंसिल की बैठक शुरू हो रही है और दो दिवसीय इस बैठक में जीएसटी रेट्स में बदलाव से लेकर चार की जगह दो टैक्स स्लैब को लेकर अंतिम मुहर लगेगी. जीएसटी रिफॉर्म के जरिए सरकार का लक्ष्य दरअसल, टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाना और उपभोक्ताओं को सीधा फायदा पहुंचाना है. उम्मीद है कि नए बदलाव के बाद रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले दूध-पनीर से लेकर टीवी-एसी और कार-बाइक तक की कीमतें कम हो सकती हैं.  जीएसटी सुधारों पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?  बता दें कि देश में तमाम अलग-अलग टैक्स को खत्म करते हुए जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. हालांकि, विपक्ष इस गुड्स एंड सर्विस टैक्स को हमेशा से ही 'गब्बर सिंह टैक्स' कहकर सरकार पर निशाना साधती रही है, लेकिन केंद्र सरकार इसे आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया अपना बड़ा कदम करार देती है. अब इसे और आसान बनाने की तैयारी के तहत इसमें शामिल टैक्स स्लैब की संख्या को घटाने और तमाम रेट्स को युक्तिसंगत बनाने के लिए आज से तमाम प्रस्तावों पर मंथन शुरू हो रहा है. बैठक शुरू होने से पहले मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधारों को लेकर बड़ा बयान दिया था और कहा कि इसका लक्ष्‍य अर्थव्‍यवस्‍था को पूरी तरह से खोलना और पारदर्शिता लाना है, जिससे छोटे उद्योगों की बड़ी मदद होगी. चार स्लैब नहीं, अब रहेंगे सिर्फ दो केंद्र सरकार ने जीएसटी के तहत आने वाले चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%)  को कम करके 12% और 28% टैक्स को हटाने की की तैयारी की है. मतलब सिर्फ 5% और 18% वाले जीएसटी स्लैब बचेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद हुई मंत्री समूह (GoM) की बैठक में भी 12% और 28% स्लैब को खत्म करने के प्रपोजल को मंजूरी दी जा चुकी है. प्रधानमंत्री ने इस जीएसटी सुधार को देशवासियों के लिए दिवाली गिफ्ट के तौर पर संबोधित किया है. हालांकि, सरकार द्वारा किए जाने वाले जीएसटी रेट्स में इन बदलाव से रेवेन्यू का करीब 40,000 करोड़ के नुकसान का अनुमान जताया गया है, लेकिन ये देश के आम आदमी के लिए बड़ी राहत भरे सुधार साबित होंगे.   क्या-क्या चीजें हो सकती हैं सस्ती?  जीएसटी रिफॉर्म से जुड़े प्रस्ताव लागू होते हैं, तो फिर रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले तमाम सामान सस्ते हो जाएंगे, जिनमें दूध-पनीर, से लेकर नमकीन, साबुन, तेल, कपड़े शामिल हैं, इसके साथ ही स्लैब चेंज होने पर जूते, TV, AC, मोबाइल और कार-बाइक्स के दाम में भी बड़ी कमी देखने को मिल सकती है. प्रस्ताव के तहत जिन सामानों पर जीएसटी स्लैब को 12 फीसदी से कम करते 5 फीसदी के दायरे में लाने की तैयारी यानी इन्हें सस्ता करने का प्लान है, उनमें पैकेज्ड फूड्स जैसे: नमकीन (भुजिया), चिप्स, पास्ता, नूडल्स, जैम, Ketchup, पैकेज्ड जूस, कंडेंस्ड मिल्क, घी, मक्खन, चीज और दूध से बने बेवरेजेस हैं.  जीएसटी की बैठक में  जीरो जीएसटी स्लैब के दायरे में भी सरकार द्वारा इजाफा करने की उम्मीद जताई जा रही है और ऐसे में इस लिस्ट में कई रोजमर्रा के जरूरी सामानों को शामिल किया जा सकता है, जो फिलहाल 5% और 18% जीएसटी के दायरे में आते हैं. बीते दिनों आई बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट की मानें, तो इन सामानों में खासतौर पर फूड प्रोडक्ट शामिल होंगे, जिनमें यूएचटी दूध, प्री-पैकेज्ड पनीर, पिज्जा ब्रेड और रोटी को Zero GST स्लैब में लाया जा सकता है. इसके अलावा पराठा भी शामिल हो सकता है, जिस पर 18% जीएसटी लागू है. कोको बेस्ड चॉकलेट, फ्लेक्स, पेस्ट्री से लेकर आइसक्रीम तक पर लागू जीएसटी स्लैब में बदलाव किया जा सकता है और ये 18% से कम करते हुए 5% हो सकता है.  GST Reforms में क्या-क्या बदलेगा? GST Reforms में होने वाले बदलावों को अगर कम शब्दों में बताए तो जीएसटी के तहत चार स्लैब कम होकर दो स्लैब रह जाएंगे। इसकी वजह से कई चीजों पर टैक्स कम हो जाएगा। ये टैक्स 10 फीसदी तक घट सकता है। वहीं कुछ वस्तु ऐसे भी होने वाले हैं, जिनमें कोई टैक्स नहीं देना होगा। अब उन वस्तुओं के बारे में बात करते हैं, जिनमें शून्य टैक्स लग सकता है। इसका मतलब है कि इन वस्तुओं के खरीद पर जल्द कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। GST Rate Cut किन वस्तुओं पर नहीं है कोई टैक्स? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार GST Reforms के बाद रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली जरूरी वस्तुओं पर शून्य टैक्स हो जाएगा। देश में बहुत जल्द जीएसटी के तहत चार टैक्स स्लैब की जगह अब दो टैक्स स्लैब ही रहने वाले हैं। अब 5% और 12% के दो टैक्स स्लैब होंगे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जरूरी वस्तुएं जैसे पनीर, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती और रोटी जैसी खाद्य वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा या फिर 5 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है। ऐसे ही स्टेशनरी, चिकित्सा उपकरण और दवाइयों पर कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा या फिर 5 फीसदी टैक्स लिया जा सकता है। किस पर कितना टैक्स, क्या-क्या सस्ता? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी टैक्स स्लैब में कुछ इस तरह से बदलाव हो सकता है-     12 फीसदी टैक्स स्लैब वाले 99 फीसदी प्रोडक्ट 5 फीसदी वाली कैटेगरी आ जाएंगे।     28 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तु 18 फीसदी टैक्स स्लैब में शामिल हो जाएंगे। इस तरह से 10 फीसदी तक टैक्स कम हो जाएगा। वहीं लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर 40 फीसदी टैक्स लगेगा। इसकी साथ ही पेट्रोलियम और सोने और हीरों जैसी वस्तु पर पहले जैसे ही टैक्स लगेगा। हालांकि सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। शिक्षा से जुड़े सामान भी हो सकते हैं जीएसटी फ्री   सरकार के पास शिक्षा से जुड़ी तमाम चीजों को भी जीएसटी से फ्री करने का भी प्रस्ताव है. काउंसिल की बैठक में  मानचित्र, वॉटर सर्वे चार्ट, एटलस, दीवार मानचित्रों, ग्लोब, मुद्रित शैक्षिक चार्ट, पेंसिल-शार्पनर के साथ ही प्रैक्टिस बुक, ग्राफ बुक और लैबोरेटरी नोटबुक को जीएसटी से छूट मिल सकती है, … Read more

GST सुधार से छोटे व्यवसाय होंगे मजबूत, अर्थव्यवस्था होगी और खुली – वित्त मंत्री

चेन्नई  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार एक खुली और पारदर्शी अर्थव्यवस्था का निर्माण करेंगे, अनुपालन बोझ को कम करेंगे और छोटे व्यवसायों को फायदा पहुंचाएंगे। तमिलनाडु में सिटी यूनियन बैंक के 120वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य नियमों को सरल बनाना, अनुपालन लागत कम करना और स्टार्टअप्स तथा एमएसएमई के लिए एक अधिक सक्षम इकोसिस्टम का निर्माण करना है। वस्तु एंव सेवा कर की दरों को कम करने के लिए जीएसटी परिषद की बैठक 3-4 सितंबर को होनी है। वित्त मंत्री ने सभी बैंकों से अपील की कि वे विकास को गति प्रदान करें और विश्वास का निर्माण करें। साथ ही कहा कि बैंकों को अपने ढांचे में अच्छा प्रशासन सुनिश्चित करना चाहिए और प्रत्येक रुपए को राष्ट्र निर्माण में लगाना चाहिए। वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अप्रैल-जून में हमारी वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है और हमारी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग 18 वर्षों में पहली बार अपग्रेड हुई है। पिछले 8 वर्षों में मुद्रास्फीति की दर में 1.15 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस साल राजकोषीय घाटा 4.42 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि पीएम जन धन जैसी योजनाओं ने बड़े स्तर पर बदलाव लाया है और इसमें 56 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए भाषण में जीएसटी व्यवस्था में व्यापक बदलावों का संकेत देते हुए कहा था, "इस दिवाली, मैं आपके लिए दोहरी दिवाली मनाने जा रहा हूं। देशवासियों को एक बड़ा तोहफा मिलने वाला है, आम घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी में भारी कटौती होगी।" प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी दरों की समीक्षा की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और इसे "समय की मांग" बताया। उन्होंने घोषणा की, "जीएसटी दरों में भारी कमी की जाएगी। आम लोगों के लिए कर कम किया जाएगा।" 

सरकार का खजाना भर गया, GST से आया ₹1.86 लाख करोड़ — अब तक का तगड़ा उछाल

नई दिल्ली सरकार ने सोमवार को जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े शेयर किए, जो राहत भरे हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें, तो अगस्त महीने में कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो बीते साल की समान अवधि की तुलना में 6.5 फीसदी ज्यादा है. बता दें कि अगस्त 2024 में 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं बात इससे पिछले महीने की करें, तो जुलाई 2025 में जीएसटी संग्रह से सरकार के खजाने में 1.96 लाख करोड़ रुपये आए थे.  रेवेन्यू में जोरदार उछाल का असर सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू राजस्व में उछाल की वजह से अगस्त में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक पर पहुंच गया. बीते महीने ये रेवेन्यू 9.6 फीसदी बढ़कर 1.37 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात कर 1.2 फीसदी की गिरावट के साथ 49,354 करोड़ रुपये रह गया. जीएसटी रिफंड पर नजर डालें, तो साल-दर-साल 20 फीसदी घटकर 19,359 करोड़ रुपये रह गया. अप्रैल 2025 में रिकॉर्ड कलेक्शन जीएसटी कलेक्शन के अब तक के सबसे बड़े आंकड़े पर नजर डालें, तो ये इस साल अप्रैल महीने में रहा था, जब सरकार के जीएसटी संग्रह से 2.37 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. ये जीएसटी के लागू होने के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा कलेक्शन था.  गौर करने वाली बात है कि जोरदार जीएसटी कलेक्शन का ये आंकड़ा ऐसे समय में आया है, जबकि दो दिन बाद जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. इसमें जीएसटी रिफॉर्म के तहत टैक्स स्लैब की संख्या को कम करने, जीएसटी रेट्स को युक्तिसंगत बनाने पर चर्चा होने वाली है.  देश में जीएसटी में बदलाव की तैयारी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म को लेकर ऐलान किया था. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लेकर आ रही है और इससे आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा. उन्होंने इसके दिवाली से पहले लागू होने की उम्मीद जताई थी. नई जीएसटी व्यवस्था में कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए सिर्फ दो दरें, 5% और 18%, लागू करने का प्रस्ताव है. जीओएम की मंजूरी, 3-4 सितंबर को बैठक  बीते 20 और 21 अगस्त को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की नई दिल्ली में हुई बैठक में दो टैक्स स्लैब के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 12% और 28% जीएसटी स्लैब को खत्म करने पर सहमति जताई गई. इसमें शामिल सदस्यों ने 5% और 18% जीएसटी स्लैब के प्रस्ताव को मंजूर किया. हालांकि, सरकार को इस जीएसटी रिफॉर्म ससे करीब 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान की आशंका है. अब जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे पर अंतिम मुहर लगेगी. 

31 अक्टूबर के बाद नहीं देना पड़ेगा सेस? GST काउंसिल ने दिए संकेत

नई दिल्ली वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक 3 सितंबर को होने जा रही है। इस बैठक में 31 अक्टूबर तक क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त करने पर चर्चा की जा सकती है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाला था। हालांकि, उपकर संग्रह को पहले ही समाप्त करने के लिए चर्चाएं शुरू हो गई हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान राज्यों को राजस्व की कमी की भरपाई के लिए, लिए गए ऋण पूरी तरह से चुकाने के करीब पहुंच रहे हैं। यह पुनर्भुगतान 18 अक्टूबर के आसपास पूरा होने की उम्मीद है, लेकिन सरकार सुचारू संचालन के लिए इसे अक्टूबर के अंत तक बढ़ा सकती है। सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि उपकर संग्रह से लगभग 2,000-3,000 करोड़ रुपए का अधिशेष प्राप्त हो सकता है, जिसे केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा। कानून में क्षतिपूर्ति के लिए उपकर को केवल पांच वर्षों के लिए अनिवार्य किया गया था, क्योंकि राज्यों को चिंता थी कि 2017 में जीएसटी लागू होने पर उन्हें कर राजस्व का नुकसान होगा। इसलिए राज्य के राजस्व में कमी की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति उपकर लगाया गया था। केंद्र ने राज्यों की ओर से 2.69 लाख करोड़ रुपए उधार लिए और वित्तीय प्रबंधन में सहायता के लिए उन्हें ऋण के रूप में प्रदान किए। हालांकि, महामारी के दौरान लिए गए ऋणों के भुगतान हेतु, जब राजस्व में तेज गिरावट आई थी, इस उपकर को जून 2022 से मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया था। वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के अनुसार, ऋणों का भुगतान पूरा होने के बाद उपकर संग्रह बंद हो जाएगा। वित्त मंत्रालय ने सभी वस्तुओं पर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो जीएसटी दरों के लिए जीएसटी परिषद को अपना प्रस्ताव भेजा है, जो मौजूदा चार स्लैब संरचना का स्थान लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुसार, गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को कम करने के उद्देश्य से एक नियोजित जीएसटी सुधार के माध्यम से नागरिकों को इस दिवाली दोहरा बोनस मिलेगा।

महंगाई से मिलेगी राहत? फूड और कपड़ों को 5% GST में लाने की तैयारी

नई दिल्ली  भारत सरकार की जीएसटी सुधार योजना (GST 2.0) के तहत यह प्रस्ताव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि सभी खाद्य और वस्त्र उत्पादों को समान रूप से 5% जीएसटी स्लैब में ले जाया जाए। इस कदम का उद्देश्य टैक्स संरचना को सरल बनाना, वर्गीकरण विवादों को समाप्त करना और आम जनता के लिए जरूरी वस्तुओं की लागत को कम करना है। यह प्रस्ताव 3–4 सितंबर 2025 को होने वाली अगली GST काउंसिल बैठक में विचाराधीन हो सकता है। क्या है डिटेल TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण क्षेत्र में उपयोग होने वाले सीमेंट पर करों में कटौती पर चर्चा की जा रही है। खासकर इस पर मौजूदा 28% स्लैब को 18% पर लाने की योजना है। यह कदम उपभोक्ताओं के लिए निर्माण लागत कम कर सकता है, बशर्ते निर्माण उद्योग (जो कई बार वर्चस्ववादी आरोप झेल चुका है) इन लाभों को खरीदारों तक पहुंचाए। यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो यह बदलाव निर्माण उद्योग में संतुलन और पारदर्शिता लाएगा। बता दें कि GST काउंसिल अगले महीने 3 और 4 सितंबर 2025 की बैठक में कई जरूरी प्रस्तावों पर विचार करेगी, जिनमें कई दैनिक और आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं पर GST की दरों में कटौती शामिल है, ताकि टैक्स संरचना को सरल बनाया जा सके। बीमा सेक्टर में भी राहत की उम्मीद GST काउंसिल यह भी प्रस्ताव रख रही है कि व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर GST शून्य प्रतिशत टैक्स लगा हो। इससे बीमा की पहुंच बढ़ेगी और लोगों के लिए यह किफायती विकल्प बन सकेगा, जिससे व्यापक स्वास्थ्य कवरेज को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।  

जीएसटी काउंसिल मीटिंग सितंबर में, दिवाली से पहले आम जनता को मिल सकता है तोहफा

नई दिल्ली  जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितम्बर को नई दिल्ली में आयोजित होगी। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। बैठक में जीएसटी से जुड़े अगली पीढ़ी के सुधारों का प्रस्ताव रखा जाएगा। खासकर, जीएसटी के मौजूदा चार कर स्लैब की जगह सिर्फ दो (पांच और 18 फीसदी) टैक्स स्लैब का प्रस्ताव शामिल है। साथ ही, जीएसटी रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और रिफंड से जुड़े सुधारात्मक प्रस्ताव भी शामिल है। मौजूदा समय में जीएसटी के अंदर 5,12,18 और 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब हैं जिसकी जगह पर भविष्य में सिर्फ दो स्लैब होंगे। 12 और 28 फ़ीसदी के कर स्लैब को खत्म करने संबंधी प्रस्ताव पर गुरुवार को ही मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने मंजूरी दी थी। इसके साथ ही, भविष्य में दो स्लैब रखने की सिफारिश भी जीएसटी काउंसिल से की थी। अब इन प्रस्तावों पर जीएसटी काउंसिल में चर्चा होनी है। इसी को ध्यान में रख जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाई गई है। परिषद की बैठक से पहले 2 सितम्बर को अधिकारियों की भी बैठक होगी। पीएम मोदी पहले ही दे चुके हैं संकेत ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि इस बार दिवाली से पहले आम लोगों को बड़ी सौग़ात मिलेगी। आम आदमी, गरीब, मध्यम वर्ग की जरूरत से जुड़ी खाने-पीने वस्तुएं व अन्य जरूरी सामान सस्ते होंगे। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से लगातार बैठकों का दौर जारी है । पहले मंत्री समूह की बैठकें हुई हैं और अब जीएसटी काउंसिल की बैठक को लेकर तारीख निर्धारित कर दी गई है। सभी राज्यों को दी गई सूचना जीएसटी काउंसिल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक के स्थान और एजेंडा से संबंधित विस्तृत जानकारी समय-समय पर उपलब्ध कराई जाएगी। परिषद ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने राज्य के वित्त/कराधान मंत्री या नामित मंत्री को इस बैठक में शामिल होने की सूचना दें। बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री, सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, सीबीआईसी अध्यक्ष और जीएसटी नेटवर्क के सीईओ भी शामिल होंगे।  

त्यौहारी सीजन से पहले सरकार ने दी आम जनता को राहत, 12% और 28% वाले GST स्लैब खत्म

नई दिल्ली  महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत देने की तैयारी है। जीएसटी स्लैब की संख्या घटाकर दो यानी 5% और 18% कर दी जाएगी।12% और 28% वाले स्लैब को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। बता दें कि आज 21 अगस्त 2025 को हुई बैठक में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, जिसमें मौजूदा चार GST स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को केवल दो—5% और 18% में बदलने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव में 12% और 28% स्लैब को पूरी तरह से समाप्त करने की सिफारिश की गई है। बता दें कि इससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। 12% स्लैब में आने वाले अधिकतर सामान और सेवाएं 5% में आ जाएंगी, जबकि 28% स्लैब की लगभग 90% वस्तुएं और सेवाएं 18% में आ जाएंगी। केवल तंबाकू, पान मसाला जैसे सिन गुड्स पर ऊंची दरें जारी रहेंगी। जीएसटी मीटिंग में ऐलान संभव केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंत्रिसमूह की बैठक में बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, "हमने भारत सरकार के 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को खत्म करने के दो प्रस्तावों का समर्थन किया है।" सम्राट चौधरी ने कहा कि सभी ने केंद्र द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर सुझाव दिए। कुछ राज्यों की टिप्पणियां भी थीं। इसे जीएसटी काउंसिल को भेज दिया गया है। अब आगे का फैसला काउंसिल करेगी। केंद्र सरकार द्वारा 2 स्लैब समाप्त करने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया और उसका समर्थन किया गया। हमने केंद्र सरकार द्वारा 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को समाप्त करने के दो प्रस्तावों का समर्थन किया है।" क्या होगा सस्ता – जानिए 12% स्लैब से 5% स्लैब में आने वाले सामान 12% वाले टैक्स स्लैब को खत्म करके उन्हें 5% में लाने का मतलब है कि इन पर लगने वाला टैक्स लगभग 7% कम हो जाएगा। इससे ये चीजें सस्ती हो जाएंगी- • कपड़े और रेडीमेड गारमेंट्स (₹1,000 से ऊपर के कपड़े भी अब सस्ते हो सकते हैं) • जूते-चप्पल • प्रिंटिंग और स्टेशनरी आइटम्स • काफी सारे प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स • होम अप्लायंसेज की कुछ कैटेगरी (जिन पर 12% लगता था) इस बदलाव का सीधा असर मध्यम वर्ग और आम उपभोक्ता पर पड़ेगा क्योंकि रोजाना इस्तेमाल वाली कई चीजें इस श्रेणी में आती हैं। 2. 28% स्लैब से 18% स्लैब में आने वाले सामान 28% स्लैब की लगभग 90% चीज़ों को 18% में लाने का मतलब है कि इनकी कीमत पर टैक्स का बोझ 10% कम हो जाएगा। इससे निम्न चीज़ें सस्ती हो सकती हैं- • टू-व्हीलर और कारें (खासकर छोटे वाहन और एंट्री-लेवल मॉडल) • सीमेंट और बिल्डिंग मटेरियल (हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा फायदा) • कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर, टीवी आदि • कुछ पैकेज्ड फूड और बेवरेजेस • पेंट्स और वार्निश इससे न केवल उपभोक्ता को राहत मिलेगी बल्कि रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर की बिक्री में भी तेजी आ सकती है।  

GST सुधार से छोटे वाहनों पर असर: कीमतें घटेंगी, राजस्व में 6 अरब डॉलर की कमी

नई दिल्ली स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री द्वारा जब गुड्स एंड सर्विस टैक्स में सुधार (GST Reforms) का ऐलान किया गया, जब से देश भर में कुछ ख़ास वस्तुओं और सर्विसेज के सस्ते होने की चर्चा हो रही है. पीएम मोदी ने लालकिले के प्राचरी से कहा कि, ये जीएसटी रिफॉर्म अक्टूबर में दिवाली से पहले किया जा सकता है, जो आम आदमी के लिए दिवाली गिफ्ट जैसा होगा. इस जीएसटी सुधार के दायरे में वाहन भी शामिल हैं, जिनकी कीमतों में भारी गिरावट की उम्मीद की जा रही है. एचएसबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वाहनों पर जीएसटी में संभावित कमी से छोटी कारों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगर छोटी कारों पर जीएसटी की दर मौजूदा 28% से घटाकर 18% कर दी जाए, तो इन वाहनों की कीमतों में लगभग 8% की कमी देखने को मिल सकती है.  बताया जा रहा है केंद्र सरकार ने जीएसटी स्लैब में सुधार के लिए प्रस्ताव दिया है और यदि यह प्रस्ताव माना जाता है तो छोटी कारों की कीमत में तगड़ी कमी आएगी. इससे फेस्टिव सीजन के मौके पर ऑटो सेक्टर को तगड़ा लाभ मिल सकता है. बशर्ते जीएसटी सुधार में ये ऐलान दिवाली के पहले घोषित किया जाए. इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. भारत में ज्यादातर लोग इस धनतेरस और दिवाली के मौके पर अपने घर में नए वाहन लाते हैं. मौजूदा समय में, पैसेंजर व्हीकल्स पर 28% से 50% तक जीएसटी टैक्स लगाया जाता है, जो वाहन के साइज, फ्यूल टाइप और इंजन क्षमता पर निर्भर करता है. जीएसटी के अलावा इन वाहनों पर सेस (Cess) भी लगाया जाता है, जो 1% से 5% है. इससे वाहनों की कीमत में और भी इजाफा हो जाता है. ख़बर है कि, छोटी कारें, जिन पर वर्तमान में 28 प्रतिशत जीएसटी और 1-3 प्रतिशत की सेस (Cess) दरें लागू होती हैं, नए बदलाव के बाद ये 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आ सकती हैं. रिपोर्ट में छोटी कारों की कीमतों में 8% की संभावित गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जबकि बड़ी कारों की कीमतों में 3% से 5% तक की कमी की उम्मीद है. रिपोर्ट में जीएसटी में एकसमान कटौती की संभावना पर भी विचार करने की बात कही गई है. अगर सभी वाहन श्रेणियों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया जाए, तो सभी कारों के लिए कीमतों में लगभग 6% से 8% का लाभ हो सकता है.  राजस्वर में 6 अरब डॉलर की कमी हालाँकि, वाहन के साइज के आधार पर मौजूदा उपकर यानी 'Cess' को बनाए रखने का मतलब है कि ऐसी स्थिति की संभावना कम है. रिपोर्ट में सरकार खजाने में होने वाले संभावित नुकसान की तरफ भी इशारा किया गया है. जिसके अनुसार इस तरह की किसी भी व्यापक टैक्स कटौती से सरकार को अनुमानित 5 अरब से 6 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच राजस्व में गिरावट का सामना करना पड़ेगा. रिपोर्ट में एक रिवाइज़्ड टैक्सेशन मैकेनिज़्म का भी सुझाव दिया गया है, जिसके तहत छोटी कारों पर 18% की कम दर से कर लगाया जा सकता है, जबकि बड़े वाहनों पर 40% की "स्पेशल रेट" लागू हो सकती है, और मौजूदा उपकर समाप्त कर दिया जाएगा. इस प्रस्ताव का उद्देश्य यह है कि, वाहनों के साइज और टाइप के अनुसार टैक्सेशन के तरीके को अनुकूलित करना है. जिससे बाजार में संतुलन बना रहे. इस सेग्मेंट में सबसे बड़े खरीदार भारत में 1000 सीसी से लेकर 1500 सीसी (1.0 लीटर से 1.5 लीटर इंजन) वाली कारों की डिमांड सबसे ज्यादा है. जिसमें सबसे सस्ती कार मारुति ऑटो के10 से लेकर हुंडई क्रेटा जैसी एसयूवी शामिल हैं. बीते जुलाई की टॉप 10 बेस्ट सेलिंग कारों की लिस्ट से यदि केवल महिंद्रा स्कॉर्पियो को बाहर कर दें तो कुल 10 में से 9 कारें 1.0 लीटर से 1.5 लीटर इंजन क्षमता के बीच आती हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, जीएसटी में इस सुधार का आम आदमी को किस कदर लाभ मिलेगा. इस समय कारों पर कितना लगता है GST नए वाहनों के लिए, जीएसटी दरें कार के कैटेगरी और साइज के आधार पर अलग-अलग हैं. 1200 सीसी तक की इंजन क्षमता और 4 मीटर से कम लंबाई वाली छोटी पेट्रोल कारों पर 28% जीएसटी और 1% उपकर लगता है. जबकि छोटी डीजल कारों (1500 सीसी तक, 4 मीटर से कम) पर 3% उपकर के साथ 28% जीएसटी लगता है.  वहीं मिड-साइज की कारों पर कुल 43%, लग्ज़री कारों पर 48% और एसयूवी पर सबसे ज़्यादा 50% तक का टैक्स लगता है. दूसरी ओर, इलेक्ट्रिक वाहनों पर केवल 5% जीएसटी टैक्स लागू होता है. जिससे वे अधिक किफायती हो जाते हैं. जीएसटी से पहले के दौर की तुलना में, छोटी कारों और लग्ज़री कारों पर कर का बोझ कम हुआ है, जबकि मिड-साइज की कारें थोड़ी महंगी हुई हैं. वाहन कैटेगरी इंजन क्षमता और लंबाई GST रेट उपकर  टोटल टैक्स छोटी पेट्रोल कारें 1200 सीसी तक, 4 मीटर से कम 28% 1% 29% छोटी डीजल कारें 1500 सीसी तक, 4 मीटर से कम 28% 3% 31% मिड-साइज कारें 1200 सीसी (पेट्रोल) और 1500 सीसी (डीजल) 28% 15% 43% लग्ज़री कारें 1500 सीसी तक   28% 20% 48% एसयूवी वाहन  1500 सीसी तक, 4 मीटर से ज्यादा  28% 22% 50% इलेक्ट्रिक वाहन  सभी क्षमता वाले  5% 0% 5% संभल जाएगा छोटी कारों का बाजार पिछले कुछ सालों में एंट्री लेवल छोटी कारों का बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है. 5 लाख रुपये से भी कम कीमत में आने वाली एंट्री लेवल कारें, जिनकी बिक्री वित्तीय वर्ष-16 में 10 लाख से ज्यादा यूनिट्स की थी वो वित्तीय वर्ष-25 में घटकर 25,402 यूनिट पर आ गिरी हैं. कुल कार बिक्री में हैचबैक कारों की हिस्सेदारी आधी रह गई है, जो 2020 में 47 प्रतिशत से घटकर 2024 में 24 प्रतिशत हो गई है. ऐसे में यदि छोटी कारों पर टैक्स का बोझ कम होता है तो लोग इन कारों की तरफ मुखर होंगे और इनकी बिक्री बढ़ने की उम्मीद है. 

दिवाली 2025: रोजमर्रा के सामान पर GST कटौती, टीवी-एसी की कीमत में बड़ा राहत

नई दिल्ली  इस त्‍योहारी सीजन में आम आदमी को बड़ी राहत मिलने वाली है. सरकार रोजमर्रा के उपयोग की चीजों पर जीएसटी घटाने का ऐलान कर चुकी है. जीएसटी की नई दरें दिवाली से पहले ही लागू होने की संभावना है. ऐसा होने से बहुत सी चीजों के दाम कम हो जाएंगे. सरकार  32 इंच से बड़े टीवी सेट, एसी और डिशवॉशर पर भी जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर सकती है. जीएसटी घटने से टीवी के रेट दस हजार रुपये तक कम हो जाएंगे. होम अप्लायंस बनाने वाली कंपनियों को इससे इस त्योहारी सीजन में अच्छी बिक्री की उम्मीद है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली जैसे बड़े त्योहार से पहले जीएसटी में यह कटौती मेगा फेस्टिव सेल्स को बढ़ावा देगी. जानकारों के मुताबिक, जीएसटी में यह कमी उपभोक्ता कीमतों में पिछले कई वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट साबित हो सकती है. खासकर उन खरीदारों के लिए राहत होगी, जिनकी आय शुरुआती श्रेणी के प्रोडक्ट्स की बढ़ती कीमतों के मुकाबले नहीं बढ़ पाई थी और यह बाजार लंबे समय से ठहराव का शिकार था. 2500 रुपये तक घटेगी एसी की कीमत एयर कंडीशनर (AC) पर लगने वाले जीएसटी स्लैब को मौजूदा 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है. सरकार के इस कदम से एसी की कीमत मॉडल के आधार पर करीब 1500 रुपये से 2500 रुपये तक कम होने की संभावना है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार Blue Star के मैनेजिंग डायरेक्टर बी थियागराजन ने इसे बेहतरीन कदम बताते हुए सरकार से इसे जल्दी लागू करने की अपील की है. ग्राहक को होने वाले लाभ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी कीमत पर करीब 10 फीसदी का असर होगा क्योंकि जीएसटी फाइनल प्राइस पर लगाया जाता है. पैनासोनिक लाइफ सॉल्यूशंस इंडिया के चेयरमैन मनीष शर्मा का कहना है कि अगर एसी और अन्य उपकरणों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया जाता है तो बाजार में सीधे 6-7 फीसदी तक की कीमत में कमी आएगी, क्योंकि जीएसटी सामान्यत: बेस प्राइस पर लगता है. यह सरकार का बहुत अच्‍छा कदम है. शर्मा ने कहा कि एसी की कीमत मॉडल के हिसाब से 1500 से 2500 रुपये तक घट जाएगी. गोदरेज अप्लायंसेस का कहना है कि टैक्स स्लैब में यह प्रस्तावित कमी कंजम्पशन को बढ़ाने और अप्लायंस डिमांड को बढ़ावा देने में अहम योगदान देगी. कारें भी होंगी सस्‍ती एंट्री-लेवल हैचबैक, छोटी सेडान और मिनी-एसयूवी को जीएसटी के 18 फीसदी टैक्‍स स्‍लैब में लाया जा सकता है. अभी इनपर 28% जीएसटी और 1-3% सेस लगता है जिससे देय कर 31 फीसदी तक पहुंच जाता है. अगर जीएसटी में कटौती होती है तो मारुति सुजुकी ऑल्टो K10,मारुति सुजुकी S-प्रेसो,रेनॉल्ट क्विड,मारुति सुजुकी वैगन,मारुति सुजुकी डिजायर,हुंडई औरा,टाटा टिगोर,टाटा पंच,हुंडई एक्स्टर और रेनॉल्ट काइगर जैसी गाडियां सस्‍ती हो जाएंगी.

दो-पहिया वाहन खरीदने वालों के लिए खुशखबरी: सरकार देगी बड़ा गिफ्ट, कीमतों में आएगी भारी गिरावट

नई दिल्ली  दोपहिया वाहन अब होंगे सस्ते! सरकार दिवाली तक बाइकों और स्कूटर्स पर GST दर घटाकर सिर्फ 18% करने जा रही है। इससे ग्राहकों को सस्ती गाड़ियां मिलेंगी और कंपनियों की बिक्री भी बढ़ेगी। यह फैसला ऑटो सेक्टर और आम जनता दोनों के लिए फायदेमंद होगा। बाइक और स्कूटर खरीदना अब और आसान हो सकता है। सरकार दिवाली तक टू-व्हीलर पर लगने वाला GST घटाकर 28-31% से केवल 18% करने की तैयारी कर रही है। इससे कीमतों में भारी गिरावट आएगी और आम जनता को जेब पर राहत का बड़ा तोहफा मिलेगा। दिवाली से पहले सरकार का बड़ा तोहफा भारत में दोपहिया वाहन आम आदमी के जीवन का अहम हिस्सा हैं। रोजाना ऑफिस, कॉलेज, स्कूल या छोटे-मोटे कामों के लिए लोग बाइकों और स्कूटर्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बढ़ती कीमतें लोगों की जेब पर भारी पड़ रही थीं। अब सरकार दिवाली तक जनता को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, टू-व्हीलर पर लगने वाला GST घटाकर 28-31% से सीधे 18% किया जा सकता है। वर्तमान स्थिति फिलहाल पेट्रोल से चलने वाले टू-व्हीलर पर 28% GST लगता है। वहीं 350cc से ज्यादा इंजन वाली बाइकों पर 3% अतिरिक्त सेस लगता है, जिससे कुल टैक्स 31% हो जाता है। इस वजह से बाइक और स्कूटर की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं और आम लोगों को इसे खरीदना महंगा पड़ता है। नया बदलाव क्या होगा? सरकार GST 2.0 के तहत पूरे टैक्स ढांचे को सरल बनाने की तैयारी कर रही है। मौजूदा 12% और 28% वाली दरें खत्म कर दी जाएंगी और सिर्फ दो टैक्स स्लैब रह जाएंगे। इनमें पहला होगा 5% (जरूरी सामान के लिए) और दूसरा होगा 18% (स्टैंडर्ड गुड्स के लिए)। यानी टू-व्हीलर पर सीधा 18% GST लागू होगा। क्यों जरूरी है यह कदम? दोपहिया वाहन भारत में सिर्फ सुविधा का साधन नहीं, बल्कि जरूरत हैं। गांवों और छोटे शहरों में यह लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। लंबे समय से ऑटोमोबाइल सेक्टर सरकार से मांग कर रहा था कि टू-व्हीलर को "लक्जरी आइटम" की बजाय "जरूरी साधन" माना जाए। SIAM (Society of Indian Automobile Manufacturers) ने कई बार सुझाव दिया था कि टू-व्हीलर पर GST दर को घटाकर 18% किया जाए। हीरो मोटोकॉर्प और होंडा जैसी बड़ी कंपनियों ने भी यह मांग उठाई थी। ग्राहकों को फायदा अगर यह फैसला लागू होता है, तो आम ग्राहकों को सबसे बड़ा फायदा होगा। बाइक और स्कूटर की कीमतें घट जाएंगी, जिससे मिडिल क्लास और ग्रामीण ग्राहकों के लिए गाड़ियां खरीदना आसान हो जाएगा। साथ ही, किश्तों पर भी कम बोझ पड़ेगा, जिससे ज्यादा लोग नई बाइक लेने के लिए प्रेरित होंगे। कंपनियों को लाभ कंपनियों के लिए भी यह कदम बेहद सकारात्मक साबित होगा। कम कीमतों के चलते बिक्री में बंपर उछाल आएगा। खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में, जहां अब तक महंगाई की वजह से लोग बाइक लेने से कतराते थे, वहां खरीदारी बढ़ जाएगी। इससे ऑटो सेक्टर में नई जान आएगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अर्थव्यवस्था पर असर बिक्री बढ़ने से बाजार में कैश फ्लो बढ़ेगा। इससे सरकार को भी अप्रत्यक्ष करों के जरिए राजस्व मिलेगा। जब कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी तो उत्पादन भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत होगा। ग्रामीण भारत को सबसे बड़ा लाभ भारत की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है और वहां दोपहिया वाहन सबसे भरोसेमंद साधन हैं। स्कूल, कॉलेज, खेत और बाजार जाने के लिए लोग स्कूटर और बाइक पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में अगर कीमतें कम होंगी तो ग्रामीण बाजार में बिक्री तेजी से बढ़ेगी। दिवाली पर डबल गिफ्ट अगर यह बदलाव दिवाली तक लागू हो गया, तो यह ग्राहकों के लिए डबल गिफ्ट साबित होगा। एक तरफ त्योहार पर नई बाइक खरीदने का मौका मिलेगा और दूसरी ओर जेब पर बोझ भी कम होगा। ऑटो कंपनियां भी दिवाली सेल्स के दौरान स्पेशल ऑफर और डिस्काउंट देती हैं। ऐसे में ग्राहकों को अतिरिक्त फायदा मिलेगा। चुनौतियां भी मौजूद हालांकि, सरकार को टैक्स दर घटाने से राजस्व में कमी का डर भी है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिक्री बढ़ने से यह घाटा पूरा हो जाएगा। साथ ही, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को पेट्रोल वाहनों पर टैक्स घटाकर बैलेंस बनाने की जरूरत है।