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अल-गमारी की मौत पर इजराइल का कड़ा संदेश; हूती नेतृत्व पर बड़ा थप्पड़

सना/तेल अवीव  यमन के ईरान समर्थित हूती संगठन को बड़ा झटका लगा है. उसके चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की मौत हो गई है. हूती संगठन ने  बयान जारी कर कहा कि अल-गमारी ‘अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए शहीद हुए’. हालांकि हूतियों ने सीधे तौर पर इजरायल को जिम्मेदार नहीं ठहराया, लेकिन बयान में कहा गया कि ‘इजरायल को उसके अपराधों की सजा जरूर मिलेगी’. इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने पहले भी यमन में हूती ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी. अब माना जा रहा है कि अगस्त के अंत में सना में हुए एक हमले में अल-गमारी गंभीर रूप से घायल हुए थे और अब उनकी मौत हो गई है. इस हमले में हूती सरकार के प्रधानमंत्री और कई मंत्री भी मारे गए थे. इजरायल ने कहा, ‘जो हमें निशाना बनाते हैं, हम उन्हें ढूंढ कर खत्म करते हैं.’ अल-गमारी कौन था? हूती ताकत का एक बड़ा चेहरा     मोहम्मद अल-गमारी हूती संगठन के सबसे सीनियर मिलिट्री कमांडर्स में से एक था. 2016 में उसे चीफ ऑफ स्टाफ बनाया गया और 2021 में उसने अब्दुल खालिक अल-हूती की जगह कमांडर-इन-चीफ का पद संभाला.     संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अल-गमारी को यमन की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बताकर प्रतिबंधित किया था. अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भी उसके खिलाफ ‘एक्जीक्यूटिव ऑर्डर 13611’ के तहत सैंक्शन लगाए थे.     अमेरिकी बयान में कहा गया था, ‘अल-गमारी ने ऐसे कदम उठाए जो यमन की सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण और राजनीतिक प्रक्रिया में बाधा डालते हैं.’     वो ईरान समर्थित धड़े का सबसे भरोसेमंद चेहरा माना जाता था और हूती मिलिट्री ऑपरेशंस की रणनीति उसी के हाथों में थी. इजरायल का दावा, ‘आतंक की चेन को खत्म कर रहे हैं’ इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अल-गमारी की मौत पर कहा, ‘एक और आतंकी चीफ ऑफ स्टाफ मारा गया जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहता था. हम सबको खत्म करेंगे.’ इजरायली डिफेंस मिनिस्टर इस्राएल काट्ज ने भी X (पहले ट्विटर) पर लिखा – ‘गमारी अब अपने साथियों के साथ नरक में है. हमने उसके आतंक नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया.’ उन्होंने बताया कि हाल में इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट ने ‘हूती वॉर रूम’ पर टारगेटेड स्ट्राइक की थी, जिसमें हूती नेतृत्व का बड़ा हिस्सा खत्म हो गया. काट्ज ने कहा – ‘हमने हूतियों की खतरनाक क्षमताओं को मिटाने का काम शुरू किया है और ये आगे भी जारी रहेगा.’ हूतियों की धमकी- ‘जंग खत्म नहीं हुई, बदला लेंगे’ हूती संगठन ने बयान में कहा कि अल-गमारी और उसका 13 वर्षीय बेटा ‘इस्राइली दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में शहीद हुए’. उन्होंने कहा कि यह मौत ‘गौरव की निशानी’ है और वे ‘इसका बदला जरूर लेंगे’. बयान में लिखा गया, ‘संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. जियोनिस्ट दुश्मन को उसके अपराधों की सजा मिलेगी.’ हूतियों ने इजरायल की ओर कई बार मिसाइलें दागीं, जिन्हें ज्यादातर इंटरसेप्ट कर लिया गया. जवाब में इजरायल ने यमन के हूती कंट्रोल वाले इलाकों पर एयरस्ट्राइक की.  

इकलौते हिंदू बंधक बिपिन जोशी की हमास की कैद में मौत, लौटाया गया पार्थिव शरीर

तेल अवीव हमास की ओर से बंधक बनाए गए नेपाली हिंदू छात्र बिपिन जोशी का शव इजरायल को लौटा दिया गया है। 7 अक्टूबर, 2023 को दक्षिणी इजरायल पर किए गए हमले के दौरान उसका अपहरण कर लिया गया था। अटैक के वक्त जोशी ने अपनी बहादुरी से कई सहपाठियों की जान बचाई थी। सोमवार को गाजा में संघर्ष विराम समझौते के बाद उसकी मृत्यु की पुष्टि ऐसे समय हुई, जब 20 जीवित बंधकों की रिहाई पर उत्सव का माहौल था। बंधक बनाए जाने के कुछ दिनों बाद इजरायली सेना की ओर से वीडियो फुटेज जारी किया गया, जिसमें जोशी को गाजा के शिफा अस्पताल में घसीटते हुए दिखाया गया था। यह उनकी आखिरी ज्ञात जीवित झलक थी। हमास के लड़ाकों ने जब हमला किया, तब 22 वर्षीय बिपिन जोशी नेपाल से गाजा सीमा के पास किबुत्ज अलुमिम गए थे। यहां वह खेती-किसानी को लेकर ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए आए थे। जोशी गाजा में जीवित माने जाने वाले एकमात्र गैर-इजरायली और हिंदू बंधक थे। नेपाल के इजरायल में राजदूत धन प्रसाद पंडित ने रिपब्लिका को उनकी मौत की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि सोमवार देर रात हमास ने जोशी के शव को इजरयइली अधिकारियों को सौंप दिया। पंडित ने कहा, 'बिपिन जोशी का शव हमास ने इजरायली अधिकारियों को सौंपा है और इसे तेल अवीव ले जाया जा रहा है।' जिंदा ग्रेनेड को पकड़कर फेंका था बाहर इजरायली सैन्य प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने कहा कि हमास ने बिपिन जोशी सहित 4 बंधकों के शव लौटाए हैं। उनके शव को नेपाल भेजने से पहले डीएनए टेस्ट किया जाएगा। उम्मीद है कि उनका अंतिम संस्कार नेपाली दूतावास के सहयोग से इजरायल में किया जाएगा। जोशी की इजरायल यात्रा सितंबर 2023 में शुरू हुई, जब वह 16 अन्य छात्रों के साथ किबुत्ज अलुमिम गए थे। यह पहल नेपाली छात्रों को इजरायली कृषि तरीकों के बारे ट्रेनिंग देने के लिए की गई थी। 7 अक्टूबर की सुबह हमास आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया। छात्रों ने बम बंकर में शरण ली। जब बंकर के अंदर ग्रेनेड फेंके गए तो जोशी ने एक जिंदा ग्रेनेड को पकड़कर बाहर फेंक दिया, जिससे कई लोगों की जान बच गई। हालांकि, हमले में वह घायल हो गए और बाद में हमास के बंदूकधारियों ने उन्हें पकड़ लिया।

24 महीने बाद घर लौटे इजरायली बंधक, हमास ने छोड़े 7 लोग; रिहाई के बाद क्या बदलेगा हालात का रुख?

तेल अवीव अपने घर, धरती और लोगों के दूर, दुश्मनों के साये में रहना क्या होता है, ये हम और आप सिर्फ सोच ही सकते हैं. इस खौफ को महसूस करके 24 महीनों बाद इजरायल के उन बंधकों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है, जिनका इंतजार हर पल उनके परिवार ने किया. उनका ये इंतजार आखिरकार रंग लाया और अब तक उन बंधकों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है, जो दो साल के इस घातक युद्ध के बाद भी हमास की कैद में जिंदा बच गए. गाज़ा में इजरायली बंधकों की रिहाई आधिकारिक तौर पर शुरू हो गई है, जिसमें करीब 20 लोगों को आजाद किया जाना है. हमास ने पहले 7 बंधकों को छोड़ दिया है, जिनमें – एतान मोर, गली और जिव बर्मन, मतान अंगरेस्ट, ओमरी मिरान, गाइ गिलबोआ-दलाल, और अलोन ओहेल शामिल हैं. बंधकों को बंदूकों के साये में लेकर हमास के लड़ाके आए और उत्तर गाजा से अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस के हवाले किया है. दूसरा समूह जिसमें 13 बंधक हैं, उनके भी जल्द ही रिहा होने की उम्मीद है. संघर्ष विराम का पहला चरण इजरायल ने पुष्टि की है कि यह रिहाई हमास और इजरायल के बीच अमेरिकी समर्थन वाले युद्धविराम समझौते में एक महत्वपूर्ण कदम है. समझौते के पहले चरण के तहत बंधकों की रिहाई की जानी थी, जिस पर काम शुरू हो चुका है. हमास जहां इजरायल के बचे हुए बंधकों को जिंदा या मृत हालत में वापस करेगा. माना जा रहा है कि हमास की कैद में मौजूद सिर्फ 20 इजरायली बंधक ही जीवित हैं, जिनमें से 7 को उसने अभी वापस भेजा है. इसके बदले इजरायल फिलिस्तीन के 1966 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने वाला है. इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इजरायल और हमास ने बंधकों को छोड़ने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. इसका मकसद इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करना और शांति को मजबूत बनाना है. इजरायली सरकार की प्रवक्ता शोश बेड्रोसियन ने बताया कि सोमवार सुबह तीन अलग-अलग समूहों में 20 जिंदा बंधकों को आजाद किया जाएगा. साथ ही 28 मरे हुए बंधकों के शव भी वापस मिलेंगे. बदले में इजरायल 250 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा. हमास की कैद से छूटने वाले लोगों में जिव बर्मन, मातन अंगरेस्ट, एलन हेल, ओमरी मिरान, एटान मोर शामिल हैं। फिलहाल यह जानकारी नहीं मिली है कि रिहा हुए लोगों की क्या स्थिति है। उनकी तबीयत कैसी है या फिर अस्पताल में एडमिट कराने की जरूरत है या नहीं। इन लोगों की हमास की कैद से रिहाई को तेल अवीव पर लोगों ने बड़ी स्क्रीन्स पर देखा और जश्न मनाते नजर आए। इन लोगों को हमास ने रेड क्रॉस सोसायटी को सौंपा। इनके बदले में इजरायल भी सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने वाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनके दखल से यह सीजफायर डील हुई है। बता दें कि अब तक वह 8 जंगों को रुकवाने का क्रेडिट ले चुके हैं। अहम बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप खुद इजरायल पहुंच चुके हैं। इस दौरान वह कई नेताओं के साथ गाजा शांति प्रस्ताव पर बात करेंगे। इसके अलावा भुखमरी के शिकार गाजा के लिए मानवीय मदद बढ़ाने का भी प्रस्ताव है, जहां लाखों लोग फिलहाल बेघर हैं और खाने-पीने की चीजों की भी किल्लत है। फिलहाल सवाल यह भी है कि बंधकों की रिहाई और सीजफायर लागू होने के बाद हमास का भविष्य क्या होगा। क्यों बेंजामिन नेतन्याहू के लिए भी जरूरी यह सीजफायर दरअसल इजरायल की यह मांग रही है कि हमास को गाजा से बाहर किया जाए, तभी सीजफायर रह पाएगा। दरअसल यह सीजफायर बेंजामिन नेतन्याहू के लिए भी जरूरी है क्योंकि बंधकों की रिहाई को लेकर वे भी घिरे रहे हैं। बंधकों के परिजन सवाल उठाते रहे हैं कि अपने राजनीतिक फायदे की वजह से हमास के साथ किसी समझौते से नेतन्याहू बच रहे हैं। अब सीजफायर पर तो सहमति बन गई है, लेकिन नेतन्याहू चाहेंगे कि यह इजरायल की शर्तों पर ही लागू रहे। यह युद्ध 7 अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ था जब हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था. तब से दोनों तरफ बहुत नुकसान हुआ है. यह शांति समझौता अमेरिका, मिस्र, कतर और तुर्की की मदद से हुआ है.  – डोनाल्ड ट्रंप इजरायल की संसद में गए और वहां उन्होंने गेस्टबुक में अपना संदेश लिखा. उन्होंने इस दिन को 'महान और खूबसूरत' बताया क्योंकि उनकी शांति योजना सफल हो रही है और बंधक रिहा हो रहे हैं. – ओफर जेल वेस्ट बैंक में एक बड़ी इजरायली जेल है जहां फिलिस्तीनी कैदी रखे जाते हैं. आज गाजा शांति समझौते के तहत इजरायल लगभग 2000 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ रहा है, बदले में हमास ने 20 इजरायली बंधकों को रिहा किया है. इन कैदियों को लेकर बसें अब जेल से बाहर निकल रही हैं. इनमें से 250 कैदियों को वेस्ट बैंक, जेरूसलम और दूसरे देशों में भेजा जाएगा, जबकि 1,716 कैदियों को गाजा के नासिर अस्पताल में छोड़ा जाएगा. – हमास के पास जो 13 बंधक और बचे थे, उन्हें अब रेड क्रॉस को दे दिया गया है. ये रेड क्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो युद्ध में फंसे लोगों की मदद करती है. अब रेड क्रॉस इन 13 लोगों को सुरक्षित तरीके से इजरायली सेना को सौंप देगी. पहले 7 बंधकों को सुबह छोड़ा गया था, और अब बाकी के 13 भी छोड़ दिए गए हैं. इस तरह कुल 20 जिंदा बंधक आज रिहा हो गए. 24 महीने का इंतजार … आपको बता दें कि इजरायल के नोवा म्यूजिक फेस्टिवल पर 7 अक्तूबर, 2023 की सुबह हमास के लड़ाकों ने एक भीषण हमला किया था, जो इजरायल के इतिहास पर एक काला धब्बा बन गया. इस दौरान हजारों यहूदियों के नरसंहार के अलावा हमास अपने साथ 251 लोगों को किडनैप करके भी ले गया था. इसके बदले इजरायल ने गाजा पट्टी पर बम बरसाने शुरू कर दिए थे. शुरू में शांति के जो प्रयास हुए, उसमें इजरायली बंधकों को हमास ने छोड़ा भी था लेकिन उसकी कैद में करीब 50-60 बंधक बाकी रह गए थे. इनमें से बहुत से बंधकों को हमास ने मौत के घाट उतार … Read more

ऐक्टिविस्ट का दावा — इज़राइल में ग्रेटा थनबर्ग के साथ किया गया जानवरों जैसा बर्ताव

 फ्लोटिला गाजा में फिलिस्तीनियों के लिए राहत सामग्री ले जा रहे फ्लोटिला जहाज से हिरासत में ली गईं ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को लेकर बड़ा दावा किया गया है। मलेशिया की ऐक्टिविस्ट हाजवानी हेलमी और वाइंडफील्ड बेवर ने दावा किया है कि उन्होंने खुद देखा है कि ग्रेटा थनबर्ग के साथ बदसलूकी की गई। उन्होंने कहा, ग्रेटा को धक्का दिया गया और जबरन इजरायली झंडे में लपेटा गया। बता दें कि शनिवार को इजरायली नौसेना ने फ्लोटिला से लगभग 137 ऐक्टिविस्ट को गिरफ्तार कर लिया था। अब उन्हें डिपोर्ट करने की तैयारी है। एक अन्य ऐक्टिविस्ट एरसिन सीलिक ने कहा कि ग्रेटा के बाल पकड़कर घसीटा गया और गाली-गलौज की गई। उन्होंने कहा, हारी आंखों के सामने ग्रेटा को बाल पकड़कर घसीटा गया। उनसे जबरन इजरायली फ्लैग को किस करवाया गया। वहीं इरायली विदेश मंत्रालय का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों के साथ बदसलूकी की खबरें झूठी हैं। कम से कम 36 ऐक्टिविस्ट को अब तक डिपोर्ट कर दिया गया है। ये ऐक्टिविस्ट पहले इन्स्तांबुल एयरपोर्ट पहुंचे हैं। इसमें अमेरिका, यूएई, अल्जीरिया, मोरक्को, इटली, कुवैत, लीबिया, मलेशइया, मॉरिटानिया, स्विट्जरलैंड, ट्यूनीशिया और जॉर्डन के नागरिक शामिल हैं। हाजवानी हेलमी और वाइंडफील्ड बेवर ने बताया, ग्रेटा थनबर्ग से आतंकियों की तरह ऐक्ट करने को कहा गया। यह बड़ा ही भयावह था। उनके साथ जानवरों की तरह का बर्ताव किया गया। इजरायली सेना ने ऐक्टिविस्ट को साफ पानी और साफ खाना तक नहीं दिया। ‘द ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला’ नामक इस काफिले में लगभग 50 छोटे जहाज शामिल थे, जिन पर करीब 500 लोग सवार थे। यह काफिला गाजा के घेराबंदी वाले क्षेत्र में फंसे फलस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता ले जा रहा था, जिसमें मुख्य रूप से खाद्य सामग्री और दवाइयां शामिल हैं। इजराइल ने यह हमला ऐसे वक्त किया है जब हमास ने लगभग दो साल से जारी युद्ध को समाप्त कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव की कुछ शर्तें मानी हैं। ट्रंप ने जो योजना पेश की है उसके तहत हमास को सभी 48 बंधकों को वापस करना होगा और सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों की रिहाई और लड़ाई समाप्त करने के बदले में सत्ता छोड़नी होगी और निरस्त्रीकरण करना होगा। ट्रंप के इस प्रस्ताव को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्वीकार कर लिया है लेकिन इस प्रस्ताव में फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने के बारे में कोई बात नहीं कही गई है।  

आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत-इजराइल एकजुट, PM मोदी को कहा Thank You

इजराइल  इजराइल के भारत में नए कांसुल जनरल, यानिव रेवाच ने आतंकवाद के खिलाफ भारत और इज़राइल के साझा अनुभवों पर प्रकाश डाला।   उन्होंने इजराइल में बंधक मुक्ति प्रयासों में भारत के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। रेवाच ने व्यक्तिगत अनुभव साझा किया कि 7 अक्टूबर को उनके एक परिवार के सदस्य को आतंकवादियों ने अगवा कर हत्या कर दी थी, जिससे यह मामला उनके लिए और भी संवेदनशील है।    रेवाच ने कहा कि भारत और  इजराइल  अलग-अलग रूपों में आतंकवाद का सामना कर रहे हैं, लेकिन दोनों देश आतंकवाद को अस्वीकार करने और शांति स्थापित करने के समान मूल्यों को साझा करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद किया कि उन्होंने कठिन समय में इज़राइल का समर्थन किया।"हम जानते हैं कि हमारे दोनों देशों को अलग-अलग रूपों में आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है। हम आभारी हैं कि भारत ने पिछले दो वर्षों और उससे पहले भी इजराइल  का समर्थन किया, खासकर हमारे बंधकों को वापस लाने में। मेरा एक परिवार सदस्य वास्तव में अगवा और मारा गया था। इसलिए यह मेरे दिल के बहुत करीब है।" रेवाच ने भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत, स्थानीय भोजन, बाजार और पर्यटन स्थलों में गहरी रुचि जताई। वे मसाला चाय के लंबे समय से प्रशंसक हैं। उन्होंने कहा, "इजराइल  और भारत दोनों नवाचार और प्रौद्योगिकी के केंद्र हैं। मैं स्थानीय तकनीक और ऐप्स को सीखना और उपयोग करना चाहता हूँ। भारत एक विशाल बाज़ार है और इज़राइल एक छोटा देश। यह अनुभव सीखने और साझा करने के लिए उत्तम अवसर है।"रेवाच ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 29 सितंबर को घोषित गाजा शांति योजना का स्वागत किया, जिसमें सभी  इजराइली बंधकों की रिहाई और हमास के निरस्त्रीकरण को मुख्य शर्त बनाया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मध्यस्थ अरब देश हमास पर इस योजना को स्वीकार करने के लिए दबाव डालेंगे।    योजना के मुख्य बिंदु:     हमास द्वारा सभी बंधकों की 72 घंटे में रिहाई।     इज़राइल द्वारा 250 जीवन कैदियों और 1,700 अन्य गाजा बंदियों की रिहाई।     गाजा का असैन्यीकरण और हमास का शासन से बहिष्कार।     अस्थायी अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती।     हमास की सुरंगों, हथियारों और सैन्य ढांचे को नष्ट करना। योजना का उद्देश्य युद्ध समाप्त करना, विस्थापन रोकना और गाजा का पुनर्निर्माण करना है। कई देशों ने इस योजना का स्वागत किया है, जिनमें अमेरिका, इज़राइल और कुछ अरब देश शामिल हैं।    

इजरायल को लेकर सीरिया का खुला कबूलनामा, राष्ट्रपति बोले – डरते हैं, समझौते की जरूरत

न्यूयॉर्क संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में संबोधन के लिए अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने चेतावनी दी कि यदि इजरायल उनकी अंतरिम सरकार के साथ ऐसा सुरक्षा समझौता नहीं करता, जो सीरिया की संप्रभुता को सुरक्षित रखे, तो पूरा मध्य-पूर्व एक नए दौर की उथल-पुथल में घिर सकता है। हालांकि इस दौरान उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि उनके देश को इजरायल से डर लगता है और वे इजरायल के लिए कोई खतरा नहीं हैं। लंबे समय तक सत्ता में रहे बशर अल-असद को दिसंबर में उखाड़ फेंकने के बाद शरा ने सीरिया की सत्ता संभाली थी। पूर्व जिहादी रह चुके शरा ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता इजरायल के साथ सुरक्षा समझौता है, लेकिन उन्होंने यहूदी देश पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर बातचीत को टाल रहा है और सीरिया की हवाई और जमीनी सीमाओं का उल्लंघन जारी रखे हुए है। शरा ने मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक कार्यक्रम में कहा, “हम इजरायल के लिए कोई समस्या खड़ी नहीं कर रहे हैं। हमें इजरायल से डर है, नाकि इजरायल को हम से। इजरायल की तरफ से बातचीत में देरी और हमारी सीमाओं का उल्लंघन कई तरह के जोखिम खड़े कर रहे हैं।” उन्होंने सीरिया के बंटवारे की किसी भी चर्चा को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ड्रूज अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा कर रही है। शरा ने कहा ने कहा, “जॉर्डन दबाव में है, और सीरिया के बंटवारे की कोई भी बात इराक और तुर्की को भी नुकसान पहुंचाएगी। इससे हम सभी फिर से वहीं लौट जाएंगे, जहां से शुरुआत हुई थी।” उन्होंने याद दिलाया कि सीरिया अभी-अभी डेढ़ दशक लंबे युद्ध से निकला है। अमेरिका की मध्यस्थता और “डि-एस्केलेशन” समझौता अमेरिका के सीरिया मामलों के विशेष दूत टॉम बरैक ने संकेत दिया कि सीरिया और इजरायल एक “डि-एस्केलेशन” समझौते के करीब हैं। इस समझौते के तहत इजरायल सीरिया पर हवाई हमले और घुसपैठ रोक देगा, जबकि सीरिया इस बात पर सहमत होगा कि वह इजरायल सीमा के पास कोई भारी मशीनरी या सैन्य उपकरण नहीं तैनात करेगा। बरैक के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापक सुरक्षा समझौते की दिशा में पहला कदम होगा। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि सभी पक्ष अच्छे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” गोलान हाइट्स और ड्रूज समुदाय पर तनाव सीरिया की सरकार चाहती है कि इजरायल हवाई हमले रोके और उन सैनिकों को हटाए जो गोलान हाइट्स के बफर जोन पर काबिज हैं। असद के पतन के बाद इजरायल ने लगातार सैन्य ठिकानों पर हमले किए, ताकि सीरियाई क्षमताओं को कमजोर किया जा सके। साथ ही, दक्षिणी सीरिया में ड्रूज समुदाय पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए भी इजरायल ने हस्तक्षेप किया। ट्रंप प्रशासन की भूमिका और बाधाएं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच समझौते की घोषणा इसी हफ्ते करवाना चाहते थे, लेकिन अब तक पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है। साथ ही, यहूदी नववर्ष रोश हशाना के चलते प्रक्रिया धीमी हो गई है। ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने द टाइम्स ऑफ इजरायल को बताया कि उभरता हुआ सुरक्षा समझौता “99% तैयार” है और अगले दो हफ्तों में इसकी घोषणा की जा सकती है। इजरायल की सतर्क प्रतिक्रिया इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि सीरिया और लेबनान दोनों के साथ शांति की संभावना का नया अवसर पैदा हुआ है, खासकर इजरायल की सैन्य कार्रवाई के बाद जब लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह को भारी नुकसान हुआ। हालांकि नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि सीरिया के साथ किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने में अभी समय लगेगा।

युद्ध के साए में इज़राइल का हथियार निर्यात, गाजा-ईरान तनाव के बीच 14 अरब डॉलर की बिक्री

तेल अवीव इजरायल दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है, लेकिन वह जंग लड़ते हुए भी बड़ा व्यापार कर रहा है. गाजा में लंबी जंग और ईरान के साथ तनाव के बावजूद, 2024 में इजरायल ने रिकॉर्ड 14.7 अरब डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़ रुपये) के हथियार बेचे. सबसे हैरानी की बात ये है कि इनमें से आधे से ज्यादा यूरोपीय देशों ने खरीदे. इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने जून 2025 में यह आंकड़ा जारी किया. यह चौथा साल लगातार है जब इजरायल के हथियार निर्यात ने नया रिकॉर्ड बनाया.  2024 में हथियार बिक्री का रिकॉर्ड: आंकड़े क्या कहते हैं? इजरायल के रक्षा उद्योग ने 2024 में 13% की बढ़ोतरी के साथ 14.7 अरब डॉलर का टर्नओवर किया. यह 2023 की तुलना में 1.3 अरब डॉलर से ज्यादा है. मुख्य खरीदार यूरोप था, जिसने कुल निर्यात का 54% (करीब 8 अरब डॉलर) लिया. 2023 में यह हिस्सा सिर्फ 35% था. एशिया-पैसिफिक दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन यूरोप ने सबको पछाड़ दिया. सबसे ज्यादा बिके हवाई रक्षा सिस्टम, जैसे आयरन डोम के हिस्से. इनकी बिक्री 48% रही. इसके अलावा मिसाइलें, ड्रोन, रडार और साइबर हथियार भी लोकप्रिय रहे. इजरायल एयर इंडस्ट्रीज (आईएआई), राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स जैसी कंपनियों ने बड़ा योगदान दिया. जंग के बीच व्यापार कैसे फला-फूला? गाजा में 2023 से चल रही जंग ने इजरायल को भारी नुकसान दिया. हजारों सैनिक घायल हुए, लेकिन इसने इजरायली हथियारों की ताकत दिखाई. यूरोपीय देशों को लगा कि इजरायल के हथियार असली जंग में काम करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोप को हथियारों की भारी जरूरत पड़ी. इजरायल ने मौका लपका और तेजी से डिलीवरी दी. ईरान के साथ तनाव ने भी मदद की. ईरान ने अप्रैल 2024 में इजरायल पर मिसाइल हमला किया, लेकिन इजरायल ने उसे रोक लिया. इससे उसके डिफेंस सिस्टम की डिमांड बढ़ी. यूरोप में भी रूस का खतरा है, इसलिए वे इजरायली तकनीक चाहते हैं. बावजूद बॉयकॉट कॉल्स के (गाजा जंग पर निंदा के कारण) बिक्री बढ़ी. यूरोपीय देश क्यों खरीद रहे? यूरोप इजरायल का सबसे बड़ा पार्टनर बन गया. जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों ने बड़े ऑर्डर दिए. उदाहरण के लिए…     जर्मनी: आयरन डोम जैसे सिस्टम के लिए अरबों डॉलर खर्च.     पोलैंड: ड्रोन और मिसाइल सिस्टम.     रोमानिया: रडार और एयर डिफेंस. यूरोपीय संघ (ईयू) ने गाजा पर सख्त बातें कीं, लेकिन व्यापार जारी रहा. ईयू इजरायल का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है, जिसने 2024 में 45.5 अरब डॉलर का व्यापार किया. हथियारों पर दबाव है, लेकिन अभी कोई बड़ा प्रतिबंध नहीं. कुछ देशों ने कहा कि अगर गाजा जंग न रुकी, तो ट्रेड बेनिफिट्स काट देंगे. इजरायल के लिए फायदे और चुनौतियां यह बिक्री इजरायल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. रक्षा उद्योग 7% जीडीपी देता है. 50 हजार नौकरियां पैदा करता है. जंग के खर्च (करीब 60 अरब डॉलर) को पूरा करने में मदद मिलती है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय निंदा बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में 'नरसंहार' का आरोप लगाया. अमेरिका ने 18 अरब डॉलर की मदद दी, लेकिन यूरोप में बॉयकॉट मूवमेंट तेज हो रहा. नेतन्याहू सरकार ने कहा कि यह आत्मनिर्भरता का सबूत है. वे और निर्यात बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, खासकर एशिया और अफ्रीका में.  दुनिया पर असर: शांति या हथियार दौड़? यह खबर दिखाती है कि जंग के बीच भी पैसा कमाया जा सकता है. लेकिन गाजा में 40000 से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं. ईरान तनाव बढ़ रहा है. यूरोप के हथियार खरीदने से मिडिल ईस्ट में संतुलन बिगड़ सकता है. हथियार व्यापार को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक नियम सख्त करने चाहिए. इजरायल की यह सफलता तकनीकी ताकत दिखाती है, लेकिन नैतिक सवाल भी खड़े करती है. क्या जंग के बीच हथियार बेचना सही है?

इजरायल का UN पर निशाना, गाजा रिपोर्ट को खारिज किया; एक दिन में 150 हमले, हालात बिगड़े

तेल अवीव संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट को इजरायल ने खारिज कर दिया है, जिसमें 'फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार' का आरोप लगाया गया था। इजरायल ने इसे 'विकृत और झूठा' करार दिया और लेखकों को 'हमास प्रॉक्सी' बताकर खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र जांच आयोग की 72 पृष्ठों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायल गाजा में नरसंहारकारी कृत्य कर रहा है। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से हमास के झूठ पर आधारित है, जिसे दूसरों ने दोहराया और प्रचारित किया। इजरायल इस विकृत और झूठी रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और इस जांच आयोग को तत्काल समाप्त करने की मांग करता है। मंत्रालय ने आयोग के लेखकों पर यहूदी-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि तीनों सदस्यों ने जुलाई में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, जबकि अध्यक्ष नवी पिल्लै का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है। इजरायल विदेश मंत्रालय ने क्या कहा? विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इजरायल नागरिक हताहतों से बचने की कोशिश करता है और हमास पर गैर-लड़ाकों को खतरे में डालने का आरोप लगाया। मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट के झूठ के विपरीत, हमास ने ही इजरायल में नरसंहार की कोशिश की, 1200 लोगों की हत्या की, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, परिवारों को जिंदा जलाया और हर यहूदी को मारने के अपने लक्ष्य की खुलेआम घोषणा की। इजरायली विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को झूठे दावों की पुनरावृत्ति बताकर खारिज किया, जिन्हें स्वतंत्र शोध, जिसमें सितंबर की शुरुआत में जारी एक अध्ययन शामिल है, पहले ही खारिज किया जा चुका है। बार-इलान विश्वविद्यालय के बेगिन-सादात सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि नरसंहार के दावे त्रुटिपूर्ण आंकड़ों पर आधारित हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून को कमजोर करते हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र आयोग ने दावा किया कि 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल में हुए हमले क्रूर युद्ध अपराध थे, लेकिन इनसे इजरायल के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं था। इजरायल अपनी आबादी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इसके तरीकों में यह तथ्य ध्यान में रखना होगा कि उसने बलपूर्वक फिलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्जा किया है और अवैध रूप से बस रहा है, जिससे फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का हनन हो रहा है। गाजा में धमाकों के बीच गुजरी रात; 4 लाख भागे इजरायल की ओर से गाजा पर लगातार भीषण हमले जारी हैं।  रात को इजरायल ने कुल 50 हमले गाजा पर किए हैं। इसके साथ ही बीते एक दिन के अंदर इजरायल ने गाजा पर 150 से ज्यादा हमले किए हैं। हालात ऐसे हैं कि गाजा से कुछ दिनों के अंदर ही 4 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। गाजा की आबादी 10 लाख के करीब थी और वहां से लगभग 4 लाख लोग पलायन कर गए हैं। स्पष्ट है कि करीब 40 फीसदी आबादी गाजा से पलायन कर चुकी है। इजरायल डिफेंस फोर्सेज की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बीते दो दिनों के अंदर ही 150 ठिकानों पर गाजा में हमले किए गए हैं। बीती रात में ही 12 लोगों की इजरायली हमलों से मौत हो गई है। इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने अपने हमलों में सुरंगों को टारगेट किया है तो वहीं कई इमारतों को भी निशाना बनाया है। इजरायल का कहना है कि इन इमारतों में हमास के आतंकी छिपे हुए थे। इजरायली सेना ने कहा कि हमारे सुरक्षा बल लगातार आतंकियों को खत्म कर रहे हैं। अब तक आतंकी संगठन के कई ढांचों को ध्वस्त किया जा चुका है। गाजा को हमास का शक्ति केंद्र माना जाता है। ऐसे में इजरायल का कहना है कि हमास को खत्म करने के लिए गाजा को टारगेट करना होगा। सोमवार से ही इजरायल की सेना ने गाजा पर जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं। इससे पहले बीते सप्ताह इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमला कर दिया था। इस हमले के बाद से मुसलमान देशों में गुस्सा है। मंगलवार को दोहा में 60 मुसलमान देशों की मीटिंग थी, जिसमें इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। इस मीटिंग में आने वाले देशों में पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, तुर्की और बहरीन जैसे मुस्लिम देश शामिल थे। इस दौरान मौजूद नेताओं ने कहा कि इजरायल के खिलाफ एकजुट होना होगा। यही नहीं पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों ने तो इस्लामिक नाटो की स्थापना की भी बात की। हालांकि किसी चीज पर सहमति नहीं बनी है बल्कि एक निंदा प्रस्ताव ही पारित किया जा सका। आरोपों पर नई बहस आयोग के तीन सदस्यों (नवी पिल्लै, क्रिस सिडोटी और मिलून कोठारी) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरायल-विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों पर नई बहस छेड़ दी है। 2014 में अमेरिकी कांग्रेस के 100 से अधिक सदस्यों ने उनके नेतृत्व की निंदा करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि परिषद इजरायल के प्रति पूर्वाग्रह का पैटर्न दर्शाता है और इसे मानवाधिकार संगठन के रूप में गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। कोठारी 2022 में विवाद के केंद्र में थे, जब उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया 'काफी हद तक यहूदी लॉबी द्वारा नियंत्रित' है और इजरायल की संयुक्त राष्ट्र सदस्यता पर सवाल उठाया। उनके बयान की यहूदी-विरोधी बताकर निंदा की गई। पिल्लै ने इस प्रतिक्रिया को 'दिखावा' बताकर खारिज किया और यहूदी-विरोधी चिंताओं को 'झूठ' करार दिया। सिडोटी की भी यहूदी समूहों पर यहूदी-विरोधी आरोपों को 'शादी में चावल की तरह' उछालने के लिए आलोचना हुई। 2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित इस आयोग को इजरायल और फिलिस्तीनी पक्षों द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के कथित उल्लंघनों की जांच का कार्य सौंपा गया था। लेकिन इसके निष्कर्षों ने मुख्य रूप से इजरायल को निशाना बनाया, जिसके कारण यरुशलम, दुनिया भर के यहूदी संगठनों और कई पश्चिमी सरकारों ने इसकी निंदा की। यह आयोग अभूतपूर्व था, क्योंकि इसकी कोई निश्चित समाप्ति तिथि नहीं थी और यह परिषद की सर्वोच्च स्तर की जांच थी।

इजराइल-गाजा संघर्ष तेज़, नेतन्याहू ने जताया अमेरिका पर भरोसा, कतर ने उठाई सज़ा देने की मांग

यरूशलम: इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने  को कहा कि शीर्ष अमेरिकी राजनयिक मार्को रुबियो की इजराइल यात्रा ने सहयोगियों के बीच संबंधों की मजबूती को दिखाया है. यह बात कतर में हमास नेताओं पर हुए अभूतपूर्व इजराइली हमले की व्यापक आलोचना के कुछ दिनों बाद कही गई है. गाजा युद्ध विराम वार्ता में अमेरिकी सहयोगी और प्रमुख मध्यस्थ पर हुए हमले ने अरब और मुस्लिम नेताओं को दोहा में एकजुटता दिखाने के लिए इकट्ठा होने के लिए प्रेरित किया है. यहां कतर के प्रधानमंत्री ने दुनिया से "दोहरे मानदंडों" को त्यागने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. अमेरिकी नेता डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के लिए इजराइल की कड़ी आलोचना की, और रुबियो ने वॉशिंगटन रवाना होने से पहले पत्रकारों के सामने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति इससे "खुश नहीं" थे. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इस हमले से "इजराइलियों के साथ हमारे संबंधों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आएगा." फिर भी, इस हमले ने गाजा में युद्ध विराम सुनिश्चित करने के प्रयासों पर नए सिरे से दबाव डाला है, और रुबियो ने स्वीकार किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल को इसके प्रभाव के बारे में "बात करनी होगी." नेतन्याहू ने इस अभियान का बचाव किया है. इसमें हमास के अधिकारी एक नए अमेरिकी युद्ध विराम प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए थे. साथ ही ये कहा कि समूह के नेताओं को मारने से गाजा युद्ध को समाप्त करने में "मुख्य बाधा" दूर हो जाएगी. एएफपी संवाददाता के अनुसार,  को रुबियो ने नेतन्याहू और इजराइल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी के साथ यरुशलम की पवित्र पश्चिमी दीवार पर प्रार्थना की. नेतन्याहू ने बाद में कहा कि इस यात्रा से पता चलता है कि इजराइली-अमेरिकी गठबंधन "पश्चिमी दीवार के उन पत्थरों जितना ही मजबूत और टिकाऊ है जिन्हें हमने अभी छुआ है." उन्होंने आगे कहा कि रुबियो और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में, "यह गठबंधन पहले कभी इतना मजबूत नहीं रहा." रुबियो की नेतन्याहू सहित अधिकारियों के साथ मुख्य बैठकें आज सोमवार को होंगी, उसके बाद मंगलवार को रवाना होंगे. उनकी यह यात्रा  कतर में अरब और मुस्लिम नेताओं के आपातकालीन शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है, जिसके प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने  को एक तैयारी बैठक को संबोधित किया था. उन्होंने कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इज़राइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, इजराइल ने हाल के दिनों में इस क्षेत्र के सबसे बड़े शहरी केंद्र, गाजा शहर पर कब्जा करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. उसने निवासियों को शहर खाली करने के लिए कहा है और कई ऊंची इमारतों को उड़ा दिया है, जिनका इस्तेमाल हमास कर रहा है. अगस्त के अंत तक, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि शहर और उसके आसपास के इलाकों में लगभग 10 लाख लोग रह रहे थे, जहां उसने अकाल की घोषणा की है. इसके लिए इजराइली सहायता प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है. एएफपी की तस्वीरों में वाहनों और पैदल लोगों का एक समूह नष्ट इमारतों के वीरान परिदृश्य से होते हुए गाजा शहर से दक्षिण की ओर भागता हुआ दिखाई दे रहा है. गाजा शहर की निवासी 20 वर्षीय सारा अबू रमदान ने कहा, "हम लगातार गोलाबारी और शक्तिशाली विस्फोटों के बीच लगातार आतंक में जी रहे हैं. इन रॉकेटों में इतनी बड़ी मारक क्षमता क्यों है? उनका लक्ष्य क्या है? हम यहां मर रहे हैं, हमारे पास शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं है… और दुनिया बस देख रही है." गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि  सुबह से इस क्षेत्र के आसपास इज़राइली हमलों में कम से कम 45 लोग मारे गए हैं. गाजा में मीडिया पर प्रतिबंध और कई इलाकों तक पहुंचने में कठिनाइयों के कारण, एएफपी नागरिक सुरक्षा एजेंसी या इजराइली सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पा रहा है. कतर के पीएम की दुनिया से गुहार, इजराइल को दंडित करें, डबल स्टैंडर्ड छोड़ें कतर के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से "दोहरे मानदंडों" को खारिज करने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. यह बात उन्होंने दोहा में हमास सदस्यों पर अभूतपूर्व इजराइली हमले के जवाब में बुलाई गई एक आपातकालीन शिखर बैठक की पूर्व संध्या पर कही. अमेरिका के एक सहयोगी द्वारा दूसरे देश की धरती पर किए गए इस घातक हमले ने आलोचनाओं की लहर पैदा कर दी. इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फटकार भी शामिल है, जिन्होंने समर्थन जताने के लिए विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इजराइल भेजा. सोमवार को अरब और इस्लामी नेताओं की आपातकालीन बैठक खाड़ी देशों के बीच एकता का एक स्पष्ट प्रदर्शन होगी और इजराइल पर और दबाव बनाने की कोशिश करेगी, जो पहले से ही गाजा में युद्ध और मानवीय संकट को समाप्त करने के लिए बढ़ती मांगों का सामना कर रहा है. कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने रविवार को एक तैयारी बैठक में कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इजराइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." सोमवार के शिखर सम्मेलन में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के शामिल होने की उम्मीद है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास रविवार को दोहा पहुंचे. यह देखना बाकी है कि सऊदी अरब के वास्तविक शासक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं, हालांकि उन्होंने इस हफ़्ते की शुरुआत में पड़ोसी देशों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए कतर का दौरा किया था. कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी के अनुसार, … Read more