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नेपाल में बड़ा राजनीतिक बदलाव: सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री, कर्फ्यू और निषेधाज्ञा खत्म

 काठमांडू  हिंसा, उपद्रव और आगजनी के बाद अब नेपाल में शांति लौट रही है. राजधानी काठमांडू में सेना की ओर से लगाया गया कर्फ्यू और निषेधाज्ञा आज सुबह 5 बजे से हटा दिया गया है. अंतरिम सरकार बनने के बाद सुरक्षा बलों ने हालात को देखते हुए यह फैसला लिया. हालांकि सड़कों पर सेना की मौजूदगी अभी कुछ दिन और रहने की उम्मीद है. अंतरिम सरकार की कमान पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने संभाली है. उन्होंने कल प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. राजधानी की सड़कों पर अब धीरे-धीरे सामान्य माहौल लौटता दिख रहा है. स्थानीय निवासी सुमन सिवाकोटी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि सुशीला कार्की नेपाल के लिए एक नए युग की शुरुआत करेंगी. देश को और सुरक्षित रखने के साथ विकास को आगे बढ़ाना जरूरी है.' सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाल के बीरगंज में भी लोगों को उम्मीद है कि एक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बनेगी और प्रधानमंत्री समेत तमाम मंत्री जो भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त हैं सब की संपत्ति की जांच होगी और नेपाल भ्रष्टाचार मुक्त होगा. होटल इंडस्ट्री को 25 अरब का घाटा पिछले दिनों हुए भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा के चलते हालात बिगड़ गए थे. पुलिस के मुताबिक, इन प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है. इसमें 21 प्रदर्शनकारी, 9 कैदी, 3 पुलिसकर्मी और 18 अन्य लोग शामिल हैं. हिंसा का सबसे ज्यादा असर नेपाल की होटल इंडस्ट्री पर पड़ा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब दो दर्जन होटलों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटनाओं से इस सेक्टर को 25 अरब नेपाली रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. पुलिस मांग रही उपद्रवियों के वीडियो नेपाल पुलिस ने देशभर में हुई हिंसा, आगजनी और लूटपाट की घटनाओं को लेकर जनता से सहयोग की अपील की है. पुलिस ने कहा है कि जिनके पास भी इन घटनाओं से जुड़े वीडियो या सबूत हैं, वे उन्हें साझा करें ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. इसके लिए पुलिस ने एक आधिकारिक ईमेल जारी कर ऐसे सभी वीडियो भेजने की अपील की है. हुआ क्या था? बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था. सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके दफ्तर में घुस गए थे और सोमवार के प्रदर्शन में हुई मौतों को लेकर उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध सोमवार रात को ही हटा लिया गया था. ओली के इस्तीफे के बाद भी हिंसा थमी नहीं और प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी दफ्तरों, राजनीतिक दलों के दफ्तरों और वरिष्ठ नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया. 1700 लोगों को आई चोटें शुक्रवार दोपहर कई मृतकों का अंतिम संस्कार काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर परिसर स्थित आर्यघाट पर बागमती नदी के किनारे किया गया. पुलिस के मुताबिक, इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 1,700 लोग घायल हुए. इनमें से लगभग 1,000 लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. अधिकारियों के मुताबिक, काठमांडू घाटी में नेपाल पुलिस की गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं और जिन थानों व पुलिस चौकियों को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ा-फोड़ा या आग के हवाले कर दिया था, वे फिर से संचालन में आ रही हैं.

पोखरा में फंसी भारतीय टीम की आपबीती वायरल, उपासना गिल ने भावुक होकर मांगी मदद

काठमांडू  नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारतीय दूतावास ने एक बड़ी राहत भरी कार्रवाई करते हुए फंसी हुई भारतीय वॉलीबॉल टीम को सुरक्षित निकाला. यह कदम उस समय उठाया गया, जब टीवी प्रेजेंटर उपासना गिल का एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया. गिल नेपाल में एक वॉलीबॉल लीग के लिए गई थीं, लेकिन अचानक फैली हिंसा में फंस गईं. उनके वीडियो अपील ने ही भारतीय दूतावास को सक्रिय किया और पूरी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी. वीडियो अपील बनी सहारा उपासना गिल ने पोखरा से वीडियो जारी कर मदद की गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा, 'मेरा नाम उपासना गिल है और मैं यह वीडियो प्रफुल्ल गर्ग को भेज रही हूं. मैं भारतीय दूतावास से मदद की अपील करती हूं. जो भी मदद कर सकते हैं, कृपया करें. मैं पोखरा, नेपाल में फंसी हुई हूं.'  गिल ने अपने होटल पर हुए हमले का भी जिक्र किया.उन्होंने बताया कि जिस होटल में वह ठहरी थीं, उसे प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. उन्होंने कहा, 'मेरे सारे सामान और सामान से भरा कमरा जल गया. मैं उस समय स्पा में थी और प्रदर्शनकारी बड़े-बड़े डंडों के साथ पीछा कर रहे थे. मैं मुश्किल से अपनी जान बचा पाई.' दूतावास की त्वरित कार्रवाई वीडियो सामने आते ही भारतीय दूतावास ने तुरंत हरकत में आते हुए वॉलीबॉल टीम को काठमांडू स्थित सुरक्षित घर में शिफ्ट किया. सूत्रों के मुताबिक टीम के अधिकांश सदस्य पहले ही भारत लौट चुके हैं और बाकी की वापसी की तैयारी की जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि दूतावास लगातार टीम के सभी सदस्यों से संपर्क बनाए हुए है और उनकी सुरक्षा पर नजर रखे हुए है. नेपाल में क्यों भड़के प्रदर्शन? नेपाल में सोमवार को सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. लेकिन ये प्रदर्शन जल्दी ही भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन में बदल गए. हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा. राजधानी काठमांडू से लेकर पोखरा तक प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों और होटलों को निशाना बनाया, जिससे आम लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. फंसे भारतीयों के लिए हेल्पलाइन भारतीय दूतावास ने न सिर्फ टीम को बचाया, बल्कि नेपाल में फंसे अन्य भारतीयों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं. काठमांडू स्थित कंट्रोल रूम लगातार सक्रिय है और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध करा रहा है. दूतावास के इस प्रयास ने एक बार फिर यह साबित किया कि संकट की घड़ी में विदेशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना सरकार की प्राथमिकता रहती है. राहत की सांस वॉलीबॉल टीम के सुरक्षित निकलने के बाद उनके परिवारों ने राहत की सांस ली है. जिन खिलाड़ियों की वापसी अभी बाकी है, उनके लिए भी जल्द इंतजाम किए जा रहे हैं. उपासना गिल ने भी भारतीय दूतावास का धन्यवाद करते हुए कहा कि अगर समय रहते मदद न मिलती, तो हालात बेहद गंभीर हो सकते थे. नेपाल में भले ही हालात अभी सामान्य नहीं हैं, लेकिन भारतीय दूतावास की त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई ने न सिर्फ खिलाड़ियों की जान बचाई, बल्कि संकट में फंसे लोगों को भरोसा भी दिलाया कि भारत हमेशा अपने नागरिकों के साथ खड़ा है.

PM ओली के बाद राष्ट्रपति ने भी दिया इस्तीफा, काठमांडू में प्रदर्शनकारियों की जीत परेड

काठमांडू  नेपाल में बीते 30 घंटे के समय में सब कुछ बदल चुका है. युवाओं के प्रदर्शन के सामने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ने घुटने टेक दिए और इस्तीफा देने को मजबूर हुए. सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ युवाओं के आक्रोश से ज्यादातर शहरों में हिंसा हुई. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से लेकर गृहमंत्री के घर तक जला दिए. नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आग लगा दी। इसके अलावा, पीएम ओली, राष्ट्रपति, गृहमंत्री के निजी आवास पर तोड़फोड़ के बाद आगजनी की।प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा को घर में घुसकर पीटा। वहीं, वित्त मंत्री विष्णु पोडौल को काठमांडू में उनके घर के नजदीक दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसका वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक प्रदर्शनकारी उनके सीने पर लात मारता दिख रहा है। इन हिंसक घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। उन्हें सेना हेलिकॉप्टर से अ‍ज्ञात स्थान पर ले गई है। इस हिंसा में अब तक 22 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हैं।प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के निजी आवासों को भी आग के हवाले कर दिया। इस्तीफे के बाद भी क्यों शांत नहीं हो रहा है नेपाल? नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा तक राष्ट्रपति की ओर से स्वीकार कर लिया गया है. हालांकि, राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारी शांत क्यों नहीं हो रहे हैं.  दिल्ली में नेपाल दूतावास की बढ़ाई गई सुरक्षा नेपाल में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. प्रदर्शनकारियों और विपक्षी दलों की ओर से बालेन शाह को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग तेज होते जा रही है. इस बीच भारत में नेपाल दूतावास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली में नेपाल का दूतावास बाराखंभा रोड पर स्थित है.  चार साल में भारत के 4 पड़ोसी देशों में 'तख्तापलट' बीते चार सालों में भारत के कई पड़ोसी मुल्कों में तख्तापलट हुआ है. इनमें अफगानिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद अब नेपाल भी शामिल हो गया है. पड़ोसी मुल्कों की तख्तापलट की कहानी आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं – भारत के चार पड़ोसी देशों में जन आक्रोश के आगे झुकी सरकार  बीरगंज में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया बिहार में पूर्वी चंपारण के रक्सौल शहर से सटे नेपाल के बीरगंज में आज सुबह से ही प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. स्थिति तनावपूर्ण बना हुआ है. प्रशासन ने हिंसक प्रदर्शन पर लगाम लगाने के लिए पूरे शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया. काठमांडू ने प्रदर्शनकारियों ने निकाला जुलूस मार्च नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.  राजधानी काठमांडू की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है. पुतलीसडक में जुलूस मार्च निकाला गया. प्रदर्शनकारी पुलिस के दंगा निरोधक उपकरण के साथ मार्च करते नज़र आए. युवाओं के आंदोलन की 7 प्रमुख वजहें 1. नेपोटिज्म: जेन-जी को भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी ने निराश किया। भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) और चहेतों को कुर्सी पर बैठाने से नेताओं के बच्चों की विदेशी यात्राएं, ब्रांडेड सामान, शानो शौकत की पार्टियां सोशल मीडिया पर चर्चित होने लगीं। 2. सोशल मीडिया बैन: लोगों को लगा कि उनकी आवाज दबा दी गई है। कई युवा इसके जरिए कमाई भी कर रहे थे। इससे गुस्सा भड़का। 3. तीन बड़े घोटाले: 4 साल में 3 बड़े घोटाले सामने आए। 2021 में 54,600 करोड़ रुपए का गिरी बंधु भूमि स्वैप घोटाला, 2023 में 13,600 करोड़ रुपए का ओरिएंटल कोऑपरेटिव घोटाला और 2024 में 69,600 करोड़ रुपए का कोऑपरेटिव घोटाला। इससे युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था। 4. सियासी अस्थिरता: 5 साल में 3 सरकारें आईं। जुलाई 2021 में शेर बहादुर देउबा पीएम। दिसंबर 2022 में प्रचंड पीएम बने। जुलाई 2024 से ओली आए। 5. बेरोजगारी-आर्थिक असमानता: बेरोजगारी दर 2019 में 10.39% थी, अभी 10.71% है। महंगाई दर 2019 में 4.6% थी। अब 5.2% है। आर्थिक असमानता हावी। 20% लोगों के पास 56% संपत्ति। 6. विदेशी दबाव: ओली सत्ता में आए तो चीन की ओर झुकाव बढ़ा। पहले सरकारों ने कई फैसले अमेरिकी प्रभाव में लिए। सोशल मीडिया बैन के बीच सिर्फ चीनी ऐप टिक-टॉक चलता रहा। युवाओं को लगता है कि बड़े देशों के दबाव में नेपाल मोहरे जैसा इस्तेमाल हो रहा है। 7. भारत से बढ़ती दूरी: ओली पीएम बने तो लिपुलेख दर्रे को नेपाल के नक्शे में दिखाया। चीन से नजदीकी बढ़ाई। दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हुए तो नेपाल पर आर्थिक दबाव पड़ा। इससे भी युवाओं में बेचैनी।

बड़ा राजनीतिक संकट: नेपाल के PM ओली ने छोड़ी कुर्सी, प्रदर्शनकारियों ने संसद को बनाया निशाना

काठमांडू  नेपाल में छात्रों का भारी लगातार दूसरे दिन भी बवाल जारी है। नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म से बैन हटा लिया है। यह फैसला सोमवार देर रात देश भर में युवाओं के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए बाद लिया गया। इसके बाद भी युवा मान नहीं रहे थे। छात्रों के भारी दबाव के बाद नेपाल के पीएम ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। नेपाली युवाओं ने पीएम प्रचंड और पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा के घर पर हमला करने की कोशिश की है। जेन-ज़ी प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हुए हैं। नेपाल में जेन-ज़ी प्रदर्शनकारी लगातार दूसरे दिन भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नेपाल के पीएम केपी ओली के इस्‍तीफे की मांग कर रहे थे। नेपाली सेना प्रमुख की चेतावनी के बाद ओली ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया। नेपाल के 10 से ज्‍यादा मंत्रियों ने पहले ही इस्‍तीफा दे दिया था। नेपाल के संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने देर रात घोषणा की कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगान का फैसला वापस ले लिया गया है।  इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के नेता रघुवीर महासेठ और माओवादी अध्यक्ष प्रचंड के घरों पर भी हमला हुआ. गृहमंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री समेत पांच मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं. लगातार बढ़ते दबाव के बीच पीएम ओली इलाज के नाम पर दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं और उन्होंने उपप्रधानमंत्री को कार्यवाहक जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है. कर्फ्यू और सुरक्षा के सख्त इंतजामों के बावजूद विरोध प्रदर्शनों का दायरा बढ़ता जा रहा है और राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. हालात बिगड़ते देख नेपाल अब तक कैबिनेट के तीन मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और खुद पीएम ओली के बारे में कहा जा रहा है कि वे देश छोड़कर दुबई जाने की तैयारी में हैं. बेकाबू हो रहे प्रदर्शनकारियों को देखते हुए काठमांडू की सड़कों पर सेनाओं को तैनात कर दिया गया है. सोमवार को दोपहर तक कुछ इलाकों में मौजूद ये बवाल अब काठमांडू के अलावा पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटहरी और दमक जैसे शहरों में भी फैल गया. बताया जा रहा है कि सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी उनके दफ्तर में घुस गए थे, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है. पीएम ओली ने अपने इस्तीफे वाली चिट्ठी राष्ट्रपति को सौंपी है. देश में लगातार चल रही हिंसा और विद्रोह की वजह से उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा है. उनके 4 कैबिनेट मंत्री पहले ही इस्तीफा दे चुके थे. सूत्रों के हवाले से खबर है कि ओली इसके बाद दुबई जा सकते हैं. सुबह ही सोमवार को 19 प्रदर्शनकारियों की मौत से गुस्साई भीड़ ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निजी आवास फूंक दिए और मंत्रियों को उनके घर में ही बंधक बना डाला जिसके बाद उन्हें चॉपर से रेस्क्यू किया गया. पड़ोसी देश नेपाल में सिर्फ सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने से शुरू हुई विद्रोह की चिंगारी अब पूरे नेपाल में लहक रही है. स्थिति ये है कि नेपाल के तमाम इलाकों में नई पीढ़ी के युवा हाथों में पत्थर और लाठी-डंडे लेकर घूम रहे हैं. उन्हें नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए हैं. उन्होंने संसद भवन में घुसकर इसमें आग लगा दी और बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे हाई प्रोफाइल लोगों के घरों में तोड़फोड़ की है.  वित्त मंत्री को जनता ने सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर लात-घूसे से पीटा नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक तनाव की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सरेआम सड़क पर घेर लिया और उन पर बेरहमी से लात-घूसे बरसाए। इस हिंसक घटना ने देश में विरोध प्रदर्शन की तीव्रता और गहराई को बयां किया है, जहां जनता की नाराजगी ने अब सीधे तौर पर उच्च राजनैतिक नेताओं तक को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। मंगलवार को राजधानी काठमांडू समेत कई अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने भारी तोड़फोड़ और आगजनी की, जिससे पूरे देश की राजनीति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर हमला किया, जिसे देखकर हालात की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस व्यापक आंदोलन ने सरकार के ढांचे को हिला कर रख दिया है। पहले ही कई मंत्रियों – गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव – ने इस्तीफा दिया था, और अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी अपना पद छोड़ दिया है। यह साफ संकेत है कि बढ़ते जनाक्रोश को रोक पाना अब सरकार के लिए बेहद कठिन हो गया है। वित्त मंत्री विष्णु पौडेल कौन हैं? विष्णुप्रसाद पौडेल नेपाल के प्रमुख कम्युनिस्ट नेताओं में से एक हैं और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने नेपाल सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जिनमें उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के पद प्रमुख हैं। पौडेल ने कई मौकों पर गृह, उद्योग, जल और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली है। उनकी व्यापक प्रशासनिक अनुभव की वजह से वे नेपाली राजनीति में एक प्रभावशाली शख्सियत माने जाते हैं।  ओली के इस्तीफे के बाद प्रदर्शनकारियों का जश्न नेपाल में चल रहे प्रदर्शन के बाद जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दिया, तो सड़कों पर जश्न मनाया गया. आगजनी और बवाल के बीच प्रदर्शनकारियों ने नाचना शुरू कर दिया.

फेसबुक-यूट्यूब बैन के विरोध में नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, गोलीबारी में 1 की मौत, 80 घायल

काठमांडू  सोमवार को नेपाल की राजधानी काठमांडू के न्यू बानेश्वर में मौजूद संसद भवन परिसर में उस समय तनाव फैल गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए और गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश की कोशिश की. ये प्रदर्शनकारी नई जेनरेशन के वो युवा हैं, जो देश में सोशल मीडिया पर बैन लगने के बाद काफी नाराज हैं. इन युवाओं ने पहले शांतिपूर्ण विरोध की बात कही थी लेकिन प्रदर्शन के उग्र हो गया और वे संसद भवन तक पहुंच गए. नेपाल में हो रहे इन प्रदर्शनों के पीछे वजह मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध है. इस प्रदर्शन में मौजूद ज्यादातर प्रदर्शनकारी वही युवा हैं, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं. जब प्रदर्शनकारी बेकाबू होकर संसद परिसर तक पहुंचने लगे तो काठमांडू डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस की ओर से पूरे न्यू बानेश्वर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. मुख्य जिला अधिकारी छाबीलाल रिजाल ने सेक्शन 6 के तहत दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से कर्फ्यू लगाया है, जो रात 10 बजे तक लगा रहेगा.  हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद परिसर में घुस गए. इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की.  ये प्रदर्शनकारी नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. इसके मद्देनजर काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है. सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.  इस घटना से जुड़ी पल-पल की अपडेट यहां पढ़ें:- – काठमांडू में Gen-Z प्रोटेस्ट के उग्र होने के बाद नेपाली सेना की तैनाती के आदेश दिए गए हैं. – नेपाल सरकार ने मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिए इमरजेंसी सुरक्षा बैठक बुलाई है. पुलिस ने रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है.  – काठमांडू में कर्फ्यू का आदेश जारी कर दिया गया है. इसके तहत चार जिलों में किसी के भी प्रवेश या निकास, किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, प्रदर्शन, सभा, बैठक या घेराबंदी करने पर प्रतिबंध है. – इस प्रोटेस्ट में एक शख्स की मौत हो गई जबकि 80 घायल हो गए. – नेपाल में वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि SSB ने भारत नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा में SSB तैनात है. SSB ने सुरक्षाकर्मियों और सर्विलांस बढ़ा दिया है.  – यह प्रोटेस्ट लगातार उग्र होता जा रहा है. दमाक में पुलिस फायरिंग में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं. घायलों को अस्पताल ले जाया गया है. – प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हो रही है. प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ काठमांडू के विभिन्न शहरों में यह Gen-Z रिवोल्यूशन शुरू हुआ है. इस दौरान प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुए गए. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. देश की नई युवा पीढ़ी के द्वारा सरकार के द्वारा सोशल मीडिया बैन किए जाने से लेकर भ्रष्टाचार तक के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है.  इस प्रदर्शन में हजारों युवा सड़क पर यात्रा सरकार के खिलाफ नाराबाजी करते दिखाई दे रहे हैं. प्रदर्शन के दौरान सरकार ने घंटों तक फोन और इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी थी.  काठमांडू के मेयर ने युवाओं के इस प्रोटेस्ट को अपना समर्थन पहले ही दे दिया है. वहीं, प्रधानमंत्री ओली का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि युवाओं को ये पता होगा कि कानून का उल्लंघन करने का क्या खामियाजा भुगतना पड़ता है.  नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? नेपाल सरकार ने चार सितंबर को फेसबुक, X, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया है क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था. सरकार ने 2024 में एक नया कानून लागू किया था, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में ऑपरेशन के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी है और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य था. इस नियम का पालन नहीं करने पर सरकार ने यह कदम उठाया है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर अनियंत्रित कंटेंट जैसे फर्जी खबरें, उकसाने वाले कंटेंट और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी था. हालांकि, इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई है क्योंकि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है. कई लोगों का मानना है कि यह प्रतिबंध राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने का प्रयास हो सकता है, जो हाल के महीनों में बढ़े हैं. नेपाल सरकार के द्वारा फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने से नाराज युवाओं ने आठ सितंबर से Gen-Z रिवोल्यूशन के नाम से प्रदर्शन शुरू किया है. बता दें कि प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार ने चार सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, रेडिट और X जैसे 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगा दिया था. सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पर लगा ये बैन तभी हटेगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोल लें, सरकार के समक्ष पंजीकरण कराएं और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाएं. नेपाल में अब तक सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव ने ही कंपनी रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराया है.