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पश्चिम बंगाल में SIR का श्रीगणेश, भर्ती प्रक्रिया शुरू, तैयारियों में तेजी

कलकत्ता पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की तीखी आलोचना करने के बावजूद राज्य में यह कवायद जल्द ही शुरू हो रही है. निर्वाचन आयोग ने इसका श्रीगणेश कर दिया है. आयोग के निर्देश पर राज्य प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (एईआरओएस) की नियुक्ति का निर्देश दिया है. बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की लंबित नियुक्ति को भी निश्चित समय सीमा में भरने को कहा गया है. राज्य प्रशासन को यह निर्देश पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ मनोज अग्रवाल के पत्र के जरिए दिया गया है. इसमें राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को ईआरओएस और एईआरओएस के सभी रिक्त पदों को भरने के लिए कहा गया है. सीईओ अग्रवाल ने इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) या डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) को भी इस बाबत पत्र भेजा है. राज्य में बूथ लेवल ऑफिसर्स यानी बीएलओ की भर्ती प्रक्रिया पहले से ही चल रही है. इसे शुक्रवार तक पूरा करना है. 'एसआईआर के लिए तैयार रहें' अगले चुनाव के लिए बनाई जा रही व्यवस्था के मुताबिक पश्चिम बंगाल में लगभग 80,000 मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 95,000 से अधिक हो जाएगी. निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इन पत्रों का उद्देश्य बंगाल में एसआईआर शुरू करने के लिए तैयार रहना है. जब भी निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी कर इसकी घोषणा करे काम तत्काल आगे बढ़े. इसीलिए मुख्य सचिव ने सभी डीएम के साथ बैठक में सभी ईआरओ और एईआरओ को नियुक्त करने का आदेश दिया है. शुक्रवार तक पूरी करनी होगी बीएलओ भर्ती की प्रक्रिया राज्य के सभी जिलाधिकारियों को कहा गया है कि ईआरओ पदों पर डिप्टी मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए. आमतौर पर एसडीओ (उप-विभागीय अधिकारी) स्तर के अधिकारियों को ईआरओएस के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए. हालांकि, यदि उस स्तर का कोई अधिकारी उपलब्ध न हो, तो वरिष्ठ डब्ल्यूबीसीएस अधिकारियों को ईआरओ को भी ये जिम्मेदारी दी जा सकती है. वर्तमान में राज्य भर में एईआरओ के 610 पद रिक्त हैं. इनके लिए भर्ती प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी की जानी है. बीएलओ भर्ती की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है. इसे शुक्रवार तक पूरा करना है. उसके बाद 95,000 मतदान केंद्रों, बीएलओ पर्यवेक्षकों के इन पदों पर भर्ती और 'रिजर्व' की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.  बिहार में दूसरे चरण के सिर्फ चार दिन बाकी इस बीच, बिहार में मतदाता सूची के दूसरे चरण के समापन में केवल चार दिन शेष रह गए हैं. राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल राजद ने तीन शिकायतें दर्ज कराकर इस प्रक्रिया में प्रवेश कर लिया है. निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि कुल 1.95 लाख आवेदन मतदाताओं से प्राप्त हुए हैं, जिनमें सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के 79 आवेदन शामिल हैं.  उन्होंने बताया कि ईसीआई को व्यक्तिगत मतदाताओं से प्राप्त कुल 1,95,802 आवेदनों में से 24,991 का निपटारा ईआरओ द्वारा किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि दावे और आपत्तियां की अवधि, जो 1 अगस्त को शुरू हुई थी, 1 सितंबर तक सक्रिय रहेगी. सिर्फ सीपीआई (एमएल) लिबरेशन और आरजेडी ने दर्ज कराईं शिकायतें   अधिकारियों ने बताया कि सीपीआई (एमएल) लिबरेशन और आरजेडी ही दो राजनीतिक दल हैं जिन्होंने अब तक मसौदा सूची से संबंधित 82 शिकायतें दर्ज करते हुए आपत्तियां दर्ज कराई हैं. उन्होंने आगे बताया कि बार-बार अपील के बावजूद, अन्य राजनीतिक दलों ने संशोधन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया है.  उन्होंने बताया कि 1 अगस्त से अब तक 8,51,788 नए मतदाताओं ने, जो एसआईआर के शुरू होने के बाद 18 वर्ष के हो गए हैं, नामावलियों में शामिल होने के लिए आवेदन किया है और उनमें से 37,050 फार्मों का निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा निपटारा किया जा चुका है.

संसद के बाद सड़क पर जुटे 300 सांसद, 25 दलों का SIR विरोधी मेगा मार्च

नई दिल्ली बिहार में विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR), मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनावों में कथित धांधली के खिलाफ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी इंडिया अलायंस के करीब 300 सांसद आज संसद भवन से चुनाव आयोग तक पैदल मेगा मार्च करने जा रहे हैं। इसमें विपक्ष के 25 दलों के सांसद शामिल होंगे। बड़ी बात ये है कि दिल्ली पुलिस ने अभी तक इस मार्च की इजाजत नहीं दी है। दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, किसी सांसद ने ऐसी अनुमति मांगी ही नहीं है। ऐसे में अब विपक्षी सांसद संसद के बाद सड़क पर भी संग्राम करते नजर आ सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि पुलिस की अनुमति के लिए कोई औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत नहीं किया गया है। हालांकि, निर्वाचन आयोग सचिवालय ने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को जवाबी पत्र लिखकर आज दोपहर 12 बजे मुलाकात और बातचीत का समय तय किया है। इस चिट्ठी में कहा गया है कि चूंकि जगह कम है और पार्किंग स्पेस की दिक्कत है, इसलिए अधिकतम 30 लोग ही चर्चा करने के लिए बैठक में शामिल हों। इस बीच दिल्ली पुलिस ने चुनाव आयोग के बाहर बैरिकेड्स लगा दिए हैं। ट्रांसपोर्ट भवन होते हुए मार्च इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का सीधा आरोप है कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर वोट चोरी करवा रहा है और भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है। गांधी के आवास पर पिछले सप्ताह आयोजित डिनर में इस विषय पर चर्चा के बाद तय हुआ था कि गठबंधन दलों के सांसद इस मुद्दे पर संसद भवन के मकर द्वार से चुनाव आयोग के कार्यालय तक ट्रांसपोर्ट भवन होते हुए मार्च करेंगे। इसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य भाग लेंगे। मार्च से पहले गठबंधन नेताओं की बैठक मार्च का आयोजन आज (सोमवार 11 अगस्त को) हो रहा है। इससे पहले संसद की कार्यवाही शुरू होने से पूर्व सुबह संसद भवन परिसर में विपक्ष के नेता के कक्ष में गठबंधन के नेताओं की बैठक होगी, जिसमें संसद से चुनाव आयोग तक मार्च करने को लेकर चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के नेता संसद भवन परिसर में पिछले सप्ताह की तरह प्रदर्शन भी करेंगे। करीब 11:30 बजे निकलेगा मार्च इस मार्च में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी समेत कई सांसद शामिल होंगे। सुबह करीब 11:30 बजे ये मार्च निकाला जा सकता है। इस दौरान ये सांसद 2024 के लोकसभा चुनावों में कथित "वोट चोरी" और चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध करेंगे।

बंगाल में वोटर वेरिफिकेशन का नया चरण, चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया का आदेश जारी किया

नई दिल्ली बिहार के बाद अब बंगाल में भी चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है. चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस बारे में सूचित किया है और राज्य के निर्वाचन अधिकारियों से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. बता दें कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम अपने अंतिम चरण में है. एसआईआर प्रक्रिया के तहत राज्य में 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दी गई. इस प्रक्रिया के बाद बिहार में करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटेंगे. इनमें ज्यादातर वे मतदाता हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे. बाकी ऐसे वोटर हैं जो स्थायी रूप से किसी दूसरे राज्य में स्थानांतरित हो चुके हैं. कुछ ऐसे मतदाता भी हैं, जिनके नाम एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज था. हालांकि, विपक्ष चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध कर रहा है और इसे बीजेपी के इशारे पर वोटों की चोरी करार दे रहा है.  बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) का पहला चरण पूरा बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) का पहला चरण पूरा हो चुका है, लेकिन इस दौरान राजनीतिक दलों की ओर से एक भी आपत्ति दर्ज या सुझाव नहीं मिला है. दूसरी ओर आम वोटरों ने मतदाता सूची को दुरुस्त करने में सक्रियता दिखाई और 1,927 मामले निर्वाचन आयोग के समक्ष दाखिल किए. ये मामले योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने से संबंधित हैं. जबकि 10,977 आवेदन फॉर्म-6 के तहत नए वोटर जोड़ने, हटाने और अन्य घोषणा पत्र से जुड़े हैं. बिहार में आम वोटरों ने मतदाता सूची को साफ-सुथरा करने में निभाई भूमिका बिहार में, राजनीतिक दलों की निष्क्रियता के बीच आम वोटरों ने मतदाता सूची को साफ-सुथरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आयोग को प्राप्त 1,927 शिकायतें और 10,977 आवेदन इस बात का प्रमाण हैं कि आम लोग अपने मताधिकार को लेकर सजग हैं. ये आवेदन मुख्य रूप से नए मतदाताओं को जोड़ने, गलत नाम हटाने और मतदाता सूची में सुधार से संबंधित हैं. राजनीतिक दलों की इस चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्षी दलों के करीब 60,000 बूथ लेवल एजेंट्स शायद अब तक मतदाता सूची में आपत्तिजनक नाम ढूंढ नहीं पाए हैं. वहीं, चुनाव आयोग ने सभी दलों और नागरिकों से अपील की है कि वे मतदाता सूची को और सटीक बनाने में सहयोग करें. आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची को अंतिम रूप देने से पहले सभी पक्षों को पर्याप्त वक्त दिया जाएगा.