samacharsecretary.com

पहली बार इंदौर से नवी मुंबई की उड़ान, विंटर शेड्यूल में होगी शुरुआत

इंदौर  इंदौर एयरपोर्ट पर 26 अक्टूबर से 28 मार्च विंटर शेड्यूल लागू होगा। इस दौरान इंदौर को कुछ नए शहरों की एयर कनेक्टिविटी मिलेगी। इंदौर से मुंबई के लिए कई उड़ानें हैं, लेकिन नई उड़ान नवी मुंबई के लिए शुरू होगी। नवी मुबंई में नया इंटरनेश्नल एयरपोर्ट तैयार हो रहा है। जल्दी ही वहां से उड़ानों का संचालन शुरू होगा। इंदौर से नवी मुंबई जाने वाले यात्रियों को कनेक्टिंग फ्लाइट लेने में इस नए एयरपोर्ट से आसानी होगी। कई अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने नवी मुंबई एयरपोर्ट से संचालित होगी। इंदौर से रीवा के लिए के लिए भी उड़ान सेवा शुरू होगी। रीवा के लिए पहली बार इंदौर से उड़ान शुरू होगी। पहले बंद हो चुकी नासिक, जम्मू, उदयपुर उड़ान भी शुरू हो सकती है।विंटर शेड्यूल के दौरान नई उड़ान शुरू करने के लिए एयरलाइंस डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन के साथ एयरपोर्ट प्रबंधन से भी अनुमति लेता है। नवी मुंबई और रीवा की उड़ान की अनुमति की प्रक्रिया एयरलाइंस कंपनियों ने की थी। दोनो नई उड़ानों के लिए दोनों एयरपोर्ट से अनुमति मिल चुकी है। अब कंपनियां उड़ानों को शेड्यूल कर उसकी जानकारी एयरपोर्ट को देगी। आपको बता दें कि इंदौर से फिलहाल 84 उड़ानों का संचालन किया जा रहा है। इंदौर से सबसे ज्यादा उड़ानें दिल्ली, मुंबई, बेंगलरु शहर के लिए है। अक्टूबर में इंदौर से गोवा के लिए भी नई उड़ान शुरू होगी। फिलहाल इंदौर से अंतर्राष्ट्री उड़ान सिर्फ एक ही संचालित होती है। इंदौर से शारजाह के एक फ्लाइट है।

ICICI बैंक ग्राहकों के लिए जरूरी खबर, सेविंग अकाउंट में रखना होगा ₹50,000 बैलेंस

मुंबई  अगर आपका भी अकाउंट ICICI बैंक में है तो आपके लिए एक बड़ी खबर है. बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट्स के लिए मिनिमम एवरेज अमाउंट में भारी बढ़ोतरी की है. सेविंग अकाउंट में रखने वाले न्‍यूनतम राशि को 5 गुना तक बढ़ा दिया है. मिनिमम बैलेंस में बढ़ोतरी मेट्रो से लेकर गांव तक के कस्‍टमर्स के लिए किया गया है. प्राइवेट सेक्टर लेंडर ICICI बैंक के बचत खाते में अब मिनिमम बैलेंस ₹50000 बनाए रखना होगा. यह नियम 1 अगस्त 2025 से प्रभावी माना जाएगा. पहले यह अमाउंट 10 हजार रुपये था. अगर आप अपने सेविंग अकाउंंट में मिन‍िमम बैलेंस नहीं बनाए रखते हैं तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है.  कहां कितना जरूरी होगा मिनिमम बैलेंस रखना?  मेट्रो और शहरी इलाके में अब कम से कम ₹50 हजार, अर्द्ध-शहरी इलाकों में ₹25 हजार और ग्रामीण क्षेत्र वाले सेविंग अकाउंट में कम से कम ₹10 हजार मेंटेन करना होगा. पहले मेट्रो और शहरी इलाकों वाले सेविंग अकाउंट में कम से कम औसतन 10 हजार रुपये बनाए रखने की आवश्‍यकता थी. इस फैसले के साथ अब घरेलू बैंकों में सबसे अधिक मिनिमम अकाउंट बैलेंस (MAB) ICICI Bank का है.  बाकी बैंकों के बचत खाते में मिनिमम बैलेंस कितना?  अब इस फैसले के बाद ICICI बैंक के बचत खाते में सबसे ज्‍यादा न्यूनतम बैलेंस की सीमा 50 हजार रुपये हो चुकी है. वहीं पब्लिक सेक्‍टर के बैंक SBI ने साल 2020 में ही मिनिमम बैलेंस की लिमिट को हटा दिया था यानी ये नियम ही खत्‍म कर दिया था. दूसरी ओर, बाकी बैंकों ने ऑपरेशन कॉस्‍ट को मैनेज करने के लिए सेविंग अकाउंट में कम से कम 2000 रुपये से 10 हजार रुपये तक के मिन‍िमम बैलेंस की लिमिट रखी है.  HDFC बैंक में कितना है ये लिमिट  बात देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्‍टर बैंक की करें तो मेट्रो और शहरी इलाकों वाले ब्रांचेज के सेविंग अकाउंट में कम से कम 10 हजार रुपये, अर्द्ध शहरी क्षेत्र के बैंकों में 5000 रुपये और गांवों के ब्रांचेज के लिए 2500 रुपये रखने की अनिवार्यता है.  मिन‍िमम बैलेंस नहीं रखने पर क्‍या होगा? बैंक अपने डेली खर्च और निवेशों को पूरा करने के लिए न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता लागू करते हैं और अगर कोई कस्‍टमर न्‍यूनतम शेष राशि (Minimum Amount) बनाए नहीं रखता है तो उसपर जुर्माना लगाया जाता है. बैंक ने अपने ग्राहकों से कहा है कि वे अपने अकाउंट की जांच करें और अनुपालन सुनिश्चित करें.  ब्‍याज भी घटा चुका है बैंक अप्रैल में ICICI बैंक ने अपने बचत खातों पर ब्याज दर में 0.25% की कटौती की थी. यह फैसला एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक द्वारा भी ब्याज दरों में कटौती के तुरंत बाद आया था. ICICI बैंक के सेविंग अकाउंट पर 2.75% ब्याज मिलेगा. 50 लाख रुपये से अधिक के बैलेंस पर भी ब्याज दर में 0.25% की कटौती की गई है, जिससे यह घटकर 3.25% हो गई है. ये बदलाव 16 अप्रैल से प्रभावी है. 

MP Assistant Professor Recruitment :फिजिक्स शिक्षक इंटरव्यू फिक्स, पांच विषयों के लिए अभी इंतजार जारी

इंदौर  मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के खाली पदों को भरना है। सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2022 की प्रक्रिया ढाई साल बाद भी अधूरी है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 35 विषयों में सहायक प्राध्यापक के लिए परीक्षा करवाई थी, जिसमें 1669 पदों के लिए 40 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किए थे। लिखित परीक्षा के परिणाम आने के बाद अभी तक 29 विषयों में इंटरव्यू हो पाए हैं। अभी छह विषयों में चयनित उम्मीदवारों को इंटरव्यू का इंतजार है। अधिकारियों के मुताबिक अगस्त के अंतिम सप्ताह से प्रक्रिया रखी गई है। फिजिक्स, केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जूलॉजी, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र विषय में 692 पद हैं। आयोग ने सिर्फ फिजिक्स विषय में इंटरव्यू की तारीख निर्धारित की है। 28 अगस्त से चयनित उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया है, जिसमें 115 पद रहेंगे। यह प्रक्रिया सितंबर तक चलेगी। इस दौरान गणेश चतुर्थी और नवरात्र जैसे बड़े त्योहार भी है। ऐसे में इंटरव्यू में समय लग सकता है। जबकि पांच विषयों के इंटरव्यू की तारीख आयोग ने अभी घोषित नहीं की है। इस वजह से चयनित उम्मीदवार परेशान हो रहे हैं। ग्रंथपाल और खेल अधिकारी पद भी खाली आयोग ने ग्रंथपाल और खेल अधिकारी पद के लिए भी भर्ती परीक्षा करवाई है। रिजल्ट घोषित हुए आठ महीने बीत चुके हैं, मगर ग्रंथपाल और खेल अधिकारी (255 पद) के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया अटक गई है। आयोग की तरफ से साक्षात्कार की तारीख को लेकर अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। 977 पद पर हुए इंटरव्यू आयोग ने सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2022 करवाई है, जिसमें 35 विषयों में 1669 पद रखे हैं। लॉ, संस्कृत, गृह विज्ञान, इतिहास, गणित, हिंदी, अंग्रेजी, बॉटनी, कामर्स, जियोलॉजी, उर्दू, फिलासफी, म्यूजिक वोकल, सांख्यिकी, नृत्य सहित 29 विषयों में 977 पदों के लिए इंटरव्यू हुए हैं।

चुनाव आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को सूची से बाहर किया

 नई दिल्ली  भारतीय निर्वाचन आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पंजीकृत सूची से बाहर कर दिया। चुनाव आयोग के फैसले के बाद वर्तमान में सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जबकि 2,520 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हैं। 6 राष्ट्रीय पार्टियों में भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, बसपा, सीपीएमआई और एनपीपी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसे 67 प्रमुख दल चुनाव आयोग की सूची में क्षेत्रीय दलों के तौर पर पंजीकृत हैं। आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सूची से बाहर किए गए राजनीतिक दल आयकर अधिनियम-1961 और चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश-1968 के प्रासंगिक प्रावधानों के साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 की धारा 29बी और धारा 29सी के प्रावधानों के तहत कोई भी लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे। हालांकि, चुनाव आयोग ने सूची से बाहर किए गए राजनीतिक दलों को अपील के लिए 30 दिन का समय दिया है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जून 2025 में ईसीआई ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 345 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। इस प्रक्रिया के अंतर्गत अधिकारियों ने इन दलों की जांच की, उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किए और व्यक्तिगत सुनवाई के माध्यम से अपनी बात रखने का अवसर दिया। अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर, 345 में से 334 दलों ने शर्तों का पालन नहीं किया। आयोग ने सभी तथ्यों और अधिकारियों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद इन 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया है। चुनाव आयोग ने बताया कि अब कुल 2,854 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से 2,520 दल शेष रह गए हैं। निर्वाचन आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का पंजीकरण भारत निर्वाचन आयोग के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 29ए के अंतर्गत किया जाता है। राजनीतिक दलों के पंजीकरण को लेकर यह नियम है कि यदि कोई पार्टी लगातार 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ती, तो उसका नाम रजिस्ट्रेशन सूची से हटा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, धारा 29ए के तहत रजिस्ट्रेशन के समय राजनीतिक दलों को अपना नाम, पता, पदाधिकारियों की सूची आदि जैसी जानकारी देनी होती है और इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर तत्काल आयोग को सूचित करना होता है।"

टैरिफ बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को झटका, 23 अरब डॉलर तक घट सकती है GDP

नई दिल्ली अमेरिका भारत पर टैरिफ 25 फीसदी लगा चुका है और एक्‍स्‍ट्रा 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 27 अगस्‍त से प्रभावी है. अब इस टैरिफ को लेकर इकोनॉमिस्‍ट चिंता जाहिर कर रहे हैं. एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि इससे भारत की इकोनॉमी पर गहरा असर पड़ेगा. मार्केट एक्‍सपर्ट अजय बग्‍गा ने ट्रंप टैरिफ को लेकर भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर गंभीर परिणाम पड़ने की चेतावनी दी है.  उनका कहना है कि 50 फीसदी टैरिफ से भारत की GDP में करीब 23 अरब डॉलर का असर पड़ सकता है. सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखते हुए बग्‍गा ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ से भारतीय एक्‍सपोर्टर पर लागत का बोझ तेजी से बढ़ेगा. बग्‍गा ने कहा कि ऑटो इक्‍यूप्‍मेंट्स, कपड़ा, ज्‍वेलरी, कालीन, केमिकल और मेटल जैसे सबसे ज्‍यादा प्रभावित सेक्‍टर्स के एक्‍सपोर्टर्स को व्‍यस्‍त सीजन में नुकसान का सामना करना पड़ेगा.  टैरिफ से इतनी घट सकती है इकोनॉमी ग्रोथ उन्‍होंने कहा कि हैंडमेड टेक्‍सटाइल प्रोडक्‍ट्स, जो अमेरिका जाने वाले एक्‍सपोर्ट का 35 फीसदी हिस्‍सा है, पर प्रभावी टैरिफ 27 अगस्‍त से बढ़कर 63.9 फीसदी हो जाएगा. कालीनों के लिए ये टैरिफ बढ़कार 58.9 फीसदी हो जाएगा. बग्‍गा ने कहा कि इससे भारत के GDP पर 0.3 फीसदी से 0.6 फीसदी का असर पड़ेगा, जिससे 23 अरब डॉलर तक का नुकसान होगा. इसका असर नौकरियों पर भी पड़ सकता है.  गोल्‍डमैन सैक्‍स ने भी जताई चिंता!  गोल्‍डमैन सैक्‍स ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयातों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने से भारत की अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ सकता है. रूस से भारत द्वारा कच्‍चा तेल खरीदने से जुड़े इस फैसले से वास्तविक जीडीपी ग्रोथ में 0.3 प्रतिशत की वार्षिक कमी आ सकती है. नए टैरिफ से अमेरिका में भारतीय एक्‍सपोर्ट एवरेज टैरिफ रेट करीब 32 फीसदी तक होने की उम्‍मीद है.  भारत का US से एक्पोर्ट-इम्‍पोर्ट भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर वैल्‍यू की वस्तुओं का एक्‍सपोर्ट किया है, जबकि 45.7 अरब डॉलर का आयात किया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन, दवाइयां और कपड़े प्रमुख निर्यात थे. भारत में कच्चे तेल के आयात में अमेरिका का हिस्सा 4% था, जो अप्रैल और मई 2025 में बढ़कर 8% हो गया, फिर भी रूस के योगदान की तुलना में यह कम ही रहा है.  भारत के पास क्‍या है विकल्‍प?  अजय बग्‍गा ने भारत सरकार को कुछ सुझाव दिया है, जो भारत को अमेरिका के टैरिफ वॉर से बचा सकती है. उन्‍होंने कहा कि कंज्‍युमर वस्‍तुओं पर GST में भारी कटौती, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के लिए सब्सिडी, अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (STCG और LTCG) का अस्‍थायी निलंबन, व्‍यापार के लिए सुगमता बढ़ाना और इंफ्रा के लिए स्‍मार्ट फंडिंग जैसे उपाय करके टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सकता है.  बग्गा ने यह भी कहा कि भारत का 150 मिलियन कंज्‍यूमर वर्ग विश्व स्तर पर सबसे ज्‍यादा टैक्‍स पे करने वाला वर्ग है और खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें तत्काल टैक्‍स राहत की आवश्यकता है.  किन सेक्‍टर पर टैरिफ पर ज्‍यादा होगा असर?    सेक्‍टर्स                        पिछला टैरिफ             नया टैरिफ                  भारत पर असर बुना हुआ कपड़ा (वस्त्र)        13.9%                   63.9%        वियतनाम की तुलना में ज्‍यादा नुकसान परिधान                              10.3%                  60.3%        ग्‍लोबल मार्केट में पहुंच खोने की आशंका  निर्मित वस्त्र                       9%                        59%     कालीन, घरेलू वस्त्र उद्योग प्रभावित होंगे  कालीन                            2.9%                     52.9%     1.2 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित रत्न और आभूषण               2.1%                     52.1%        10 अरब डॉलर का सेक्टर, एमएसएमई सबसे ज्यादा प्रभावित झींगा/समुद्री भोजन           33.26%                औसत    58%      एक्‍सपोर्ट कम होगा दवाइयां                          0%                       50% तक     वर्तमान में छूट प्राप्त, लेकिन असुरक्षित टेक्सटाइल: टैरिफ 60% के करीब पहुंचने से वैल्‍यू कंप्‍टीशन के हिसाब से कम हो रही है. निटवियर, बुने हुए परिधान और घरेलू वस्त्रों में MSME का अस्तित्व खतरे में है.   जेम्‍स एंड ज्‍वेलरी: 2% से 52% तक टैरिफ बढ़ने से अमेरिका को एक्‍सपोर्ट आर्थिक रूप से होना संभव नहीं दिख रहा है.  झींगा और सी फूड: पहले से ही उच्च टैरिफ से जूझ रहे भारतीय निर्यातकों को अब 58% का बोझ उठाना पड़ रहा है.  फार्मास्यूटिकल्स: वर्तमान में छूट प्राप्त है, लेकिन भविष्य में टैरिफ के दौर में शामिल होने से अमेरिका को भारत के 8-11 बिलियन डॉलर के फार्मा निर्यात में रुकावट पैदा हो सकती है. 

शिक्षा में संकट: मध्य प्रदेश में 6.70 लाख बच्चों ने बीच में छोड़ी पढ़ाई, हर साल बढ़ रही इनकी संख्या

 भोपाल  मध्य प्रदेश के स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार प्रयार हो रहे हैं, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। सरकारी व निजी स्कूलों के इस साल 6.70 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ दी है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 5.70 लाख था। वहीं सरकारी स्कूलों में इस साल करीब 4.67 लाख बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है। पिछले साल 3.99 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ी थी। इसमें निजी स्कूलों के करीब दो लाख विद्यार्थी शामिल हैं। यह आंकड़ा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन (यूडाईस) रिपोर्ट में सामने आई है। इसके अनुसार, वर्ष 2024-25 में प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों में पहली से 12वीं तक में करीब 1.50 करोड़ विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ था। वहीं 2025-26 में करीब एक करोड़ 41 हजार बच्चों का 13 जुलाई तक प्रोग्रेसिंग पेंडिंग है। वहीं 6.70 लाख बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थियों के प्रोग्रेशन को पूर्ण करें और ड्रापबाक्स के बच्चों को खोजकर स्कूल में नामांकन कराएं तथा नामांकित विद्यार्थियों का मैपिंग कराएं। इंदौर की स्थिति ज्यादा खराब प्रदेश के कुछ जिलों में अधिक संख्या में बच्चों ने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। इसमें इंदौर में सर्वाधिक 38 हजार, शिवपुरी में 25 हजार, धार व बड़वानी में 21 हजार, छिंदवाड़ा में 20 हजार, छतरपुर में 19 हजार, खरगोन में 18 हजार, बालाघाट में 17 हजार और खंडवा में 16 हजार बच्चों ने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया। यहां के सरकारी स्कूलों में सबसे अधिक बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले सत्र में 79.75 लाख बच्चों का नामांकन दर्ज हुआ था। इस सत्र में अब तक 53.81 लाख का प्रोग्रेशन पेडिंग है। वहीं 4.67 लाख बच्चों ने किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। इसमें सबसे अधिक बड़वानी में 17 हजार, छिंदवाड़ा व छतरपुर में 16 हजार, बालाघाट में 13 हजार, भिंड में 10 हजार, शहरी क्षेत्र ग्वालियर व भोपाल में चार-चार हजार, जबलपुर में छह हजार और इंदौर में 11 हजार विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ी है। विभाग ने ये कारण गिनाए     बच्चों का अपने माता-पिता के साथ दूसरी जगह जाना।     समग्र आईडी से मैपिंग नहीं होने के कारण ऐसे हालात बने।     जगह बदलने के कारण बच्चे का ठीक से मैपिंग नहीं होना।     अब ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग से सही संख्या सामने आ रही है। ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग से सामने आ रही संख्या     ऐसा भी हो सकता है कि कई जगहों पर सरकारी व निजी स्कूलों में एक ही बच्चों के नाम दर्ज होते हैं। अब ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग के कारण वास्तविक संख्या सामने आ रही है। – डॉ. दामोदर जैन, शिक्षाविद्  

भोपाल में साइबर ठगी के 70 केस, करोड़ों की रिश्वत देकर बचे आरोपी

भोपाल  साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ने के बावजूद भोपाल में अब भी हर सप्ताह कम से कम एक ‘डिजिटल अरेस्ट’ का मामला सामने आ रहा है। बीते डेढ़ साल में क्राइम ब्रांच की साइबर सेल में ऐसे 70 मामले दर्ज हुए हैं, यानी औसतन हर सात से आठ दिन में एक पीड़ित पुलिस तक पहुंच रहा है। इस दौरान ठगों ने पीड़ितों से करीब ढाई करोड़ रुपये हड़पे हैं। साल 2024 में डिजिटल अरेस्ट के 53 मामलों में लगभग 1 करोड़ 82 लाख रुपये की ठगी हुई, जबकि वर्ष 2025 में जून तक 17 लोगों से 77 लाख 57 हजार रुपये वसूले जा चुके हैं। ऐसे फंसाते हैं ठग साइबर ठग पहले विभिन्न माध्यमों से पीड़ितों के डाटा आधार, पैन, बैंक डिटेल, मोबाइल नंबर से लेकर सोशल मीडिया गतिविधियां तक पर नजर रखते हैं। इन जानकारियों के आधार पर वे पीड़ित की वर्चुअल प्रोफाइल बनाते हैं, ताकि उसे यह भरोसा हो कि काल करने वाला कोई सरकारी अधिकारी है। इसके बाद शुरू होता है डराने-धमकाने का सिलसिला। पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उसका नाम मनी लांड्रिंग, ड्रग तस्करी या अवैध लेनदेन के मामले में आ गया है। दावा किया जाता है कि ईडी, सीबीआई या कोर्ट में मामला दर्ज है और तुरंत वेरिफिकेशन जरूरी है। पीड़ित को किसी ऐप के जरिए वीडियो कॉल पर जोड़ा जाता है, जहां ठग पुलिस अधिकारी के वेश में, पुलिस कार्यालय जैसी पृष्ठभूमि के साथ बैठा दिखता है। पीड़ित को परिवार या किसी अन्य से बात करने की मनाही होती है। सामान्य पूछताछ के बाद वीडियो काल में ‘अन्य एजेंसियों’ के अफसर के रूप में और लोग जुड़ते हैं, जो सख्ती से पूछताछ कर आरोप ‘सिद्ध’ कर देते हैं और फिर ‘क्लीन चिट’ के नाम पर रकम की मांग करते हैं। यह रकम सीधे ठगों के खातों में जमा कराई जाती है। जज बनकर सुनाई सजा सितंबर 2024 में भोपाल के श्यामला हिल्स क्षेत्र में साइबर ठगों ने एक गैस संचालक की मां को डिजिटल अरेस्ट कर 80 लाख रुपये ठग लिए थे। आरोपियों ने उन्हें फर्जी मनी लांड्रिंग केस में फंसाया। करीब दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और ‘अदालत’ में पेश कर दिया। यहां नकली कोर्ट, फर्जी वकील और जज की भूमिका निभाई गई। महिला को ‘सजा’ सुनाने के बाद समझौते के नाम पर 80 लाख रुपये ले लिए गए। यह मामला क्राइम ब्रांच साइबर सेल में दर्ज हुआ था। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में कमी आई     साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता के लिए भोपाल और प्रदेशभर में पुलिस लगातार अभियान चला रही है, जिससे डिजिटल अरेस्ट के मामलों में कमी आई है। मप्र स्टेट साइबर ने पहली बार डिजिटल अरेस्ट में लाइव रेस्क्यू किया था। वहीं भोपाल क्राइम ब्रांच ने पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया। इसके बाद से साइबर ठगों पर लगातार कार्रवाई जारी है। – शैलेंद्र सिंह चौहान एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच  

गोवंश सुरक्षा के नए प्रयास, गोसेवकों के लिए मानदेय योजना लागू

रायपुर  राज्य सरकार ने गोवंशों की सुरक्षा के लिए ‘गौधाम’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसमें बेसहारा गोवंश के लिए चारा-पानी की व्यवस्था की जाएगी। चरवाहों और गोसेवकों को मासिक मानदेय मिलेगा, चारा-पानी की व्यवस्था की जाएगी और बेहतर संचालन करने वाली संस्थाओं को रैंकिंग के साथ ईनाम भी दिया जाएगा। वित्त विभाग ने ‘गौधाम योजना’ को मंजूरी दे दी है और पशुधन विकास विभाग ने कलेक्टरों और फील्ड अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है। गोवंशों की लगातार हो रही मौतों पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरकार में आने के बाद गो अभ्यारण बनाने की बात कही थी। बता दें कि दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री साय ने एक कार्यक्रम में कहा था कि गो माता हमारी समृद्धि का प्रतीक हैं और माना जाता है कि उनमें 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। उन्होंने कहा था कि गो अभ्यारण्य को ‘गौधाम’ कहना अधिक उचित है। बेमेतरा में 50 एकड़ में ‘गौधाम’ तैयार बेमेतरा के झालम में 50 एकड़ में गौधाम तैयार है। इसी तरह कवर्धा में 120 एकड़ में गौधाम निर्माण तेजी से जारी है। बता दें कि हाल ही में हाई कोर्ट ने सड़कों पर मृत पड़ी गायों की घटनाओं पर गंभीर टिप्पणी की थी। पिछले सप्ताह तीन अलग-अलग हादसों में 90 गायों की मौत और बिलासपुर रोड पर 18 गायों की दर्दनाक मौत के बाद मुख्य सचिव ने अफसरों को फटकार लगाई थी। क्या होगा ‘गौधाम’ में     गौधाम शासकीय भूमि पर बनाए जाएंगे, जहां सुरक्षित बाड़ा, पशु-शेड, पर्याप्त पानी, बिजली और चारागाह की सुविधा होगी।     इनका संचालन निकटस्थ पंजीकृत गौशाला समितियों को प्राथमिकता देकर किया जाएगा।     योग्य एनजीओ, ट्रस्ट, सहकारी समितियां या किसान उत्पादक कंपनियां भी जिम्मेदारी संभाल सकेंगी।     चयन का मापदंड गोसेवा, नस्ल सुधार, जैविक खाद निर्माण और पशुपालन प्रशिक्षण का अनुभव होगा।     गोधाम में वैज्ञानिक पद्धति से पशुओं का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा।     गो- उत्पादों को बढ़ावा देना, चारा विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास, नस्ल सुधार, गौसेवा के प्रति जन-जागरण और रोजगार सृजन योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं।     प्रत्येक गो-धाम में अधिकतम 200 पशु रखे जा सकेंगे। ये हैं कानूनी प्रविधान छत्तीसगढ़ की सीमाएं सात राज्यों से जुड़ी हैं और यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, जिससे अंतर्राज्यीय पशु परिवहन की संभावना रहती है। राज्य में कृषि पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011) और छत्तीसगढ़ कृषि पशु परिरक्षण नियम 2014 लागू हैं, जिनमें अवैध पशु परिवहन व तस्करी पर सख्ती से रोक है। प्रदेश में बड़ी संख्या में निराश्रित और जब्त गोवंश पाए जाते हैं, जो फसलों को नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। राज्य सरकार का मानना है कि ‘गौधाम योजना’ से न केवल निराश्रित पशुओं की मौत पर रोक लगेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नए अवसर पैदा होंगे। बेहतर प्रबंधन करने वाली संस्थाएं राज्य में माडल गौधाम के रूप में पहचान बनाएंगी।  

CM मोहन का ‘मेक इन MP’ विजन साकार, राज्य में शुरू होगा प्रीमियम रेल कोच निर्माण

भोपाल  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव राज्य को लगातार विकास के पथ पर ले जा रहे हैं। सीएम डॉ. यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' मंत्र को साकार कर रहे हैं। वे 'मेक इन मध्यप्रदेश' की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव लगातार उद्योगपतियों से मुलाकात कर रहे हैं। वे लगातार इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित कर प्रदेश में निवेश और रोजगार को आकर्षित कर रहे हैं। दरअसल, भारत सरकार की बड़ी कंपनियों में से एक भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) प्रदेश में बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश की प्रीमियम ट्रेनों वंदे भारत, अमृत भारत और मेट्रो कोच का निर्माण किया जाएगा।  इस परियोजना की लागत 1800 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट को ब्रह्मा (BRAHMA) नाम दिया गया है। इस कंपनी से प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। यह प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा और अहम कदम है।   गौरतलब है कि बीईएमएल इस प्रोजेक्ट की स्थापना रायसेन जिले के गांव उमरिया में कर रही है। इस प्रोजेक्ट में 5000 लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। खास बात है कि यह पहला मौका है जब इस प्रकार के रेलवे कोच निर्माण की सुविधा मध्यप्रदेश को मिलने जा रही है। यह राज्य को देश के रेलवे प्रोडक्शन मैप पर अहम स्थान दिलाएगा। जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए उमरिया गांव की तहसील गौहरगंज में 148 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका है। इस प्रोजेक्ट की दूरी ओबैदुल्लागंज से 4 किमी, एनएच-46 से एक किमी और भोपाल एयरपोर्ट से 50 किमी है।  लगातार बढ़ेगा रोजगार बता दें, बीईएमएल इस क्षेत्र में 1800 करोड़ रुपये की लागत से वंदे भारत, अमृत भारत, मेट्रो कोच का निर्माण करेगी। शुरुआत में कंपनी सालाना 125-200 कोचों का निर्माण करेगी। 5 साल के अंदर इनकी संख्या 1100 कोच होगी। इस प्रोजेक्ट से भोपाल और रायसेन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छोटे उद्योगों का निर्माण होगा। ये उद्योग आने वाले समय में बीईएमएल को प्रोडक्शन का मटेरियल बनाकर सप्लाई करेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। इससे स्थानीय युवाओं के कौशल विकास और प्रशिक्षण के अवसर उत्पन्न होंगे। मिशन ज्ञान और पीम मोदी के मंत्र पर सीएम डॉ. यादव का फोकस गौरतलब है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस मेक इन इंडिया पर है। राज्य सरकार भी लगातार पीएम मोदी के मंत्र पर चल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के विकास और मिशन ज्ञान की पूर्ति के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव अब मेक इन मध्यप्रदेश की ओर बढ़ चले हैं। इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही उद्योग स्थापित होंगे और समाज के अंतिम व्यक्ति का भी कल्याण होगा। बता दें, मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश का सबसे विकसित राज्य बनाने की ओर अग्रसर हैं। इसके लिए वे देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने एक ओर जहां देश के कई राज्यों में इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की, वहीं जापान-दुबई-स्पेन में उद्योगपतियों से संपर्क कर निवेश को राज्य तक ले लाए।  आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वैश्विक कदम गौरतलब है कि, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) का यह नया प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम है। इस कंपनी का प्रोजेक्ट ब्रह्मा (BRAHMA) भारत का नेक्स्ट-जेन रेल मैन्युफैक्चरिंग हब है। यह केवल एक संयंत्र नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है। यह आत्मनिर्भर भविष्य के लिए तैयार और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोजेक्ट है। बता दें, बीईएमएल लिमिटेड रक्षा मंत्रालय के तहत ‘शेड्यूल ए’ की कंपनी है। य रक्षा, रेल, खनन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बीईएमएल तीन क्षेत्रों में रक्षा-एयरोस्पेस, खनन-निर्माण और रेल-मेट्रो क्षेत्रों में काम करती है।