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रोड और एयर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही योगी सरकार

विकसित यूपी @2047: यूपी का नया अवतार : जमीन पर रफ्तार, आकाश में विस्तार  रोड और एयर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही योगी सरकार  2017 से पहले धीमी प्रगति, योगी सरकार ने दी रफ्तार – राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क दोगुना से ज्यादा बढ़ा – सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे के साथ यूपी बनेगा लॉजिस्टिक हब – 2047 तक हर मंडल को एक विश्वस्तरीय एयरपोर्ट देने का मुख्यमंत्री का संकल्प  – पीएमजीएसवाई से गांव-गांव तक पहुंची सड़क – जेवर एयरपोर्ट बनेगा एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा लखनऊ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश 'विकसित यूपी @2047' के विजन की ओर बढ़ते हुए परिवहन और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव का साक्षी बन रहा है। पिछले साढ़े आठ वर्षों में जिस तेजी से सड़क, एक्सप्रेसवे और एविएशन सेक्टर में प्रगति हुई है, उसने न केवल प्रदेश की रफ्तार बढ़ाई है बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश और विकास का नया केंद्र बना दिया है। 2017 से पहले की स्थिति : धीमी प्रगति, सीमित संसाधन वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में सड़क और एविएशन अवसंरचना विकास की रफ्तार बेहद धीमी थी। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सड़क लंबाई 2013-14 में 51,549 किलोमीटर से बढ़कर 2016-17 में मात्र 56,846 किलोमीटर हो सकी। हवाई कनेक्टिविटी भी सीमित थी और 17 वर्षों (1999 से 2016 तक) में विमान यात्रियों की संख्या में केवल 55 लाख की वृद्धि हुई थी। प्रदेश में उस समय मात्र तीन एक्सप्रेसवे और गिने-चुने हवाई अड्डे संचालित थे। साढ़े आठ साल में बड़ा बदलाव : जमीन से आकाश तक नई उड़ान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2017 के बाद सड़क, हवाई और जल परिवहन में समन्वित दृष्टिकोण के साथ ठोस कदम उठाए। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क लंबाई 2024-25 तक 77,425 किलोमीटर तक पहुंच गई। वहीं, एक्सप्रेसवे नेटवर्क में उत्तर प्रदेश ने देश में सबसे आगे निकलते हुए 22 एक्सप्रेसवे का जाल बिछाने के महाअभियान में जुटी हुई है। एविएशन सेक्टर में भी यूपी ने छलांग लगाई और 12 घरेलू तथा 4 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे संचालित हो चुके। एक्सप्रेसवे प्रदेश बना उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश अब 'एक्सप्रेसवे प्रदेश' के रूप में जाना जा रहा है। 1949-50 में जहां कोई एक्सप्रेसवे नहीं था, वहीं 2016-17 तक यह संख्या केवल 3 तक पहुंच सकी थी। लेकिन 2025-26 तक यह बढ़कर 22 हो गई है, इसमें संचालित और निर्माणाधीन दोनों शामिल हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे प्रोजेक्ट न केवल आंतरिक कनेक्टिविटी बढ़ा रहे हैं, बल्कि लॉजिस्टिक हब के रूप में यूपी की स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। प्रमुख निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे नेटवर्क को और व्यापक बनाने के लिए कई नए प्रोजेक्ट शुरू हो गये हैं। इनमें गंगा एक्सप्रेसवे के साथ ही चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे, लखनऊ लिंक एक्सप्रेसवे, फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे, जेवर लिंक एक्सप्रेसवे, झांसी लिंक एक्सप्रेसवे, विंध्य एक्सप्रेसवे, विंध्य-पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे, मेरठ-हरिद्वार लिंक एक्सप्रेसवे (मुजफ्फरनगर के रास्ते) और चित्रकूट-रीवा लिंक एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद प्रदेश का सड़क नेटवर्क न केवल और मजबूत होगा बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी कनेक्टिविटी बेहतर होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार 2004-05 में उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 5,599 किलोमीटर था, जो 2023-24 तक बढ़कर 12,292 किलोमीटर हो गया। इस दोगुनी से अधिक वृद्धि ने राज्य के भीतर व्यापार, माल ढुलाई और औद्योगिक विकास को नई गति दी है। इससे न केवल रसद लागत कम हुई है, बल्कि यूपी उत्तर भारत में एक रणनीतिक ट्रांजिट हब बन गया है। हवाई कनेक्टिविटी में आई क्रांति 1950 में जहां प्रदेश में एक भी हवाई अड्डा नहीं था, वहीं 2025 तक इनकी संख्या 16 (पांच निर्माणाधीन सहित) हो चुकी है। इसमें 12 घरेलू और 4 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट शामिल हैं। विशेष रूप से जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा आने वाले समय में एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में शुमार होगा और कार्गो तथा ट्रांजिट हब के रूप में उत्तर प्रदेश को नई पहचान देगा। विमान यात्रियों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि 2017 से पहले 17 वर्षों में हवाई यात्रियों की संख्या में 55 लाख की वृद्धि हुई थी, जबकि पिछले आठ वर्षों में यह वृद्धि 82 लाख तक पहुंच गई। 2025 में विमान यात्रियों की संख्या 1.42 करोड़ तक अनुमानित है। इस तेजी ने यूपी को विमानन क्षेत्र में नई उड़ान दी है। भविष्य की राह 2030 तक : कनेक्टिविटी का महाजाल प्रदेश में पूरब से पश्चिम की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव के बाद अब योगी सरकार 2030 तक उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी का विशाल नेटवर्क खड़ा करने की दिशा में काम कर रही है। सभी जिला मुख्यालयों को एक्सप्रेसवे से जोड़ने, नेपाल सीमा पर बहुउद्देशीय ट्रांजिट हब विकसित करने और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विश्वस्तरीय रोपवे निर्माण की योजना है। विजन 2047 : एक मंडल-एक एयरपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रमुख विजन है कि 2047 तक उत्तर प्रदेश में हर मंडल का अपना एक विश्वस्तरीय एयरपोर्ट हो। सभी 75 जिलों को एक्सप्रेसवे और एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही ग्रीन स्मार्ट हाईवे, एयर कार्गो हब, हेलिपोर्ट और आधुनिक एविएशन इकोसिस्टम से उत्तर प्रदेश को एक ग्लोबल कनेक्टिविटी सेंटर के रूप में स्थापित करने की योजना है।      

क्या बिहार में गेमचेंजर साबित होंगे MP के CM मोहन यादव? जानिए BJP का सियासी दांव

भोपाल  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सियासी जंग जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी ने नई रणनीति अपनाते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बिहार में उतारा है. जानकारों का मानना है कि इस कदम का मुख्य लक्ष्य यादव वोट बैंक पर सीधी पकड़ बनाना, लालू यादव की विरासत को चुनौती देना और एनडीए की पकड़ मजबूत करना है.  14 सितंबर को मोहन यादव पटना पहुंचे और यादव महासभा के बड़े आयोजन में शामिल हुए, जहां कई बड़े नेता भी मौजूद रहे. यह कदम BJP के “एमवाई समीकरण” (मुस्लिम-यादव) को तोड़ने और यादव समुदाय को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. यादव समाज को साधने की कोशिश! डॉ. मोहन यादव के पटना दौरे के दौरान BJP ने यादव समाज को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम किया. इस आयोजन में ओबीसी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरेसिया जैसे नेताओं ने मंच साझा किया. एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार, इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान कृष्ण पर केंद्रित प्रस्तुतियां हुईं, जिससे राजनीतिक संदेश भी दिया गया. बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर जोर अपने संबोधन में मोहन यादव ने बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बीजेपी के चुनावी एजेंडे से जोड़ा. उन्होंने सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, अवंतिका (उज्जैन) और भोजपुर भाषा के साझा रिश्ते का जिक्र कर बिहार- मध्यप्रदेश की कड़ी बताई. उन्होंने कहा कि बिहार भगवान कृष्ण से जुड़ा राज्य है और यहां भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्य मंदिर बनवाया था. साथ ही उन्होंने बुद्ध, जैन धर्म के तीर्थंकरों और चाणक्य-नालंदा-तक्षशिला की परंपरा का हवाला दिया. यह बयान स्पष्ट रूप से यादव समुदाय और बिहार की धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना से जुड़ाव दिखाने के लिए था. एमवाई वोट बैंक पर बीजेपी की नजर! भाजपा का यह कदम सीधे तौर पर यादव वोट बैंक को साधने के लिए है, जो अब तक लालू यादव के आरजेडी के प्रभाव में माना जाता रहा है. डॉ. मोहन यादव ने राम मंदिर के मुद्दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और खुद को “साधारण कार्यकर्ता” बताकर यादव परिवार की वंशवादी राजनीति पर हमला किया. इससे पहले भी उन्होंने निसादराज सम्मेलन कर मछुआरा समुदाय को जोड़ने की कोशिश की थी, जो बिहार की करीब 45 सीटों पर असर डालता है.

संघर्ष, उम्मीद और न्यायपालिका पर भरोसा—हर मुक़दमे की अपनी कहानी: CJI रमेश सिन्हा

रायपुर, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय संभागीय न्यायिक सेमिनार का आयोजन प्रेरणा हॉल, कलेक्टरेट भवन, जगदलपुर में किया गया। इस सेमिनार में बस्तर संभाग के चार जिलों जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव के 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी ने वर्चुअल माध्यम से सत्र का उद्घाटन किया। सेमिनार में श्री अमितेंद्र किशोर प्रसाद, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, पोर्टफोलियो न्यायाधीश, जिला कांकेर की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। मुख्य न्यायाधीश ने बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में न्यायपालिका से अपेक्षाएँ बहुत अधिक हैं। लोग हमसे अत्यधिक आशा रखते हैं। यह सेमिनार केवल सीखने का मंच ही नहीं, बल्कि न्याय, निष्पक्षता और विधि के शासन के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि भी है। मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायिक शिक्षा एक बार की प्रक्रिया नहीं है; बल्कि यह सतत प्रक्रिया है। आज के दौर में जहाँ कानून तेजी से विकसित हो रहे हैं और समाज नई चुनौतियों का सामना कर रहा है, वहाँ न्याय के संरक्षक होने के नाते हमें निरंतर अपने ज्ञान को समृद्ध करना और अपनी न्यायिक क्षमता को धार देना अनिवार्य है। सतत प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि हम अपने संवैधानिक दायित्वों को दक्षता, ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभा सकें। मुख्य न्यायाधीश ने आगे यह भी कहा कि बस्तर क्षेत्र अपने विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के साथ न्यायपालिका के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। हमारा दायित्व है कि न्याय समाज के हर कोने तक पहुँचे, विशेष रूप से वंचित और कमजोर वर्गों तक। यहाँ के न्यायिक अधिकारियों की भूमिका जनता के विश्वास को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है कि न्याय न केवल किया जाए, बल्कि होता हुआ भी दिखाई दे। मुख्य न्यायाधीश ने सभी न्यायिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सहानुभूति, धैर्य और निष्पक्षता के साथ न्यायिक कार्य करें। याद रखें, प्रत्येक मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है संघर्ष, आशा और न्यायपालिका में विश्वास की। हमें सदैव यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि न्याय समय पर, पारदर्शी और तर्कपूर्ण तरीके से दिया जाए। अंत में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार के सेमिनार समकालीन विधिक मुद्दों पर विचार-विमर्श, अनुभवों के आदान-प्रदान और श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को अपनाने का मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं। इस सेमिनार में हुई चर्चाएँ न्यायिक अधिकारियों की दक्षता को बढ़ाएँगी और उन्हें न्यायिक कार्य की जटिलताओं को और अधिक कुशलता से संभालने योग्य बनाएँगी। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे। कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर एवं दंतेवाड़ा के जिलों के न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा दिया गया, परिचयात्मक उद्बोधन छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा किया गया। सेमिनार में बस्तर संभाग के कुल 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के मामलों की कार्यवाही का अवलोकन तथा इनके निपटारे हेतु नवीन उपकरण और तकनीकें, मध्यस्थता में रेफरल जज की भूमिका, डिक्री का क्रियान्वयन गिरफ्तारी एवं सिविल कारागृह में निरुद्धि तथा संपत्ति की कुर्की द्वारा समयबद्ध और प्रभावी प्रवर्तन हेतु रणनीतियाँ, सलाखों के पीछे या स्वतंत्र रिमांड और जमानत के प्रावधानों का गहन विश्लेषण, माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णयों के विशेष संदर्भ के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिए गए।

MP में कांग्रेस का जनाधार परीक्षण, जानचे जाएंगे विधायकों और नेताओं के रिपोर्ट कार्ड

 भोपाल  विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों मिली करारी हार से सबक लेते हुए कांग्रेस पहली बार मध्य प्रदेश में अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का आकलन कराएगी। इसकी शुरुआत नगरीय निकायों से होगी और दूसरे चरण में विधायकों की लोकप्रियता का आकलन करवाया जाएगा। पहले चरण में नगरीय निकायों को इसलिए लिया गया है क्योंकि इसके चुनाव सबसे पहले वर्ष 2027 में प्रस्तावित हैं। इनके परिणाम के बाद प्रदेश में चुनावी वातावरण बनने लगेगा। पार्टी ने तय किया है कि कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनप्रतिनिधियों का मतदाताओं से संपर्क, संवाद और कामकाज के आधार पर पता लगाया जाएगा कि क्षेत्र में उनकी छवि कैसी है। यह भी आकलन किया जाएगा कि यदि वे लोकप्रिय या अलोकप्रिय हैं तो इसकी वजह क्या है। इसके आधार पर कांग्रेस संगठन निकायवार जनप्रतिनिधियों को बुलाएगा और उन्हें आगामी तैयारी के लिए सचेत करने के साथ मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। कांग्रेस के पांच महापौर जीतकर आए थे प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव वर्ष 2022 में हुए थे। पहली बार कांग्रेस के पांच महापौर (छिंदवाड़ा, ग्वालियर, मुरैना, रीवा और जबलपुर) जीतकर आए थे। हालांकि, नगर पालिका और नगर परिषद में अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण अधिकतर स्थानों पर भाजपा के अध्यक्ष चुने गए। पार्टी की उम्मीद थी कि इन परिणामों का लाभ विधानसभा चुनाव में मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 66 सीटों पर सिमटकर रह गई। लोकसभा चुनाव में तो पार्टी का खाता भी नहीं खुला। अब फिर 2027 से नगरीय निकायों के साथ चुनावों का क्रम प्रारंभ होना है। इसे देखते हुए पार्टी ने तय किया है कि वह अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की स्थिति का आकलन कराएगी। यही आगामी चुनाव में टिकट का आधार भी बनेगा। कार्यकर्ताओं के फीडबैक पर तैयार होगी रिपोर्ट प्रदेश संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि पहले चरण में नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों की जनता के बीच छवि, उनके कामकाज, मतदाताओं से संपर्क और संवाद, पार्टी की गतिविधियों में भागीदारी के आधार पर आकलन किया जाएगा। इसके लिए फीडबैक स्थानीय कार्यकर्ताओं से लिया जाएगा। इसके आधार पर बनी रिपोर्ट को सामने रखकर जनप्रतिनिधियों से बात होगी। ठीक इसी तरह विधायकों के कामकाज का आकलन होगा। जो प्रत्याशी चुनाव हार गए थे, उनसे भी फीडबैक लिया जाएगा। इसमें वर्तमान स्थिति के साथ-साथ सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर फोकस रहेगा।

संघर्ष से सफलता तक: मुस्कान सोनी ने पाई MPPSC में बड़ी कामयाबी, बनीं राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी

भोपाल   भोपाल के संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) निवासी मुस्कान सोनी ने साबित कर दिया है कि संकल्प को परिवार का प्रोत्साहन मिले तो सफलता मिलकर रहती है। पिता मोटर मैकेनिक थे तो बेटी ने इंजीनियरिंग की राह चुनी। इंजीनियर बनी तो समझ में आया कि उसे कुछ ऐसा करना है जिसका असर समाज पर भी पड़े। उसने राज्य सेवा परीक्षा की राह चुनी। अब मुस्कान का चयन उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) पद पर हुआ है। मुस्कान ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा में 23 वां स्थान हासिल किया है। हासिल किया 10वां स्थान राज्य पुलिस सेवा की रैंकिंग में उसका स्थान 10वां है। कस्बे के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की मुस्कान शुरू से ही मेधावी रही है। मुस्कान के पिता मोहन सोनी मैकेनिक हैं। मां ज्योति सोनी गृहिणी है। मध्यम वर्गीय परिवार के बावजूद माता, पिता ने मुस्कान की प्रतिभा को हमेशा प्रोत्साहित किया। उसकी प्रारंभिक शिक्षा साधु वासवानी स्कूल में हुई। वहां उसने 12वीं की प्रावीण्य सूची में अपना नाम दर्ज कराया था। बाद में उसने एमएसीटी से इंजीनियरिंग की। कुछ समय गुजरात की एक कंपनी में टीसीजी इंजीनियर के रूप में काम किया लेकिन उसकी इच्छा लोक सेवा की थी। उसने राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की राह चुनी। इस साल उसकी मेहनत सफल रही और उसे मुकाम मिल गया। मुस्कान के डीएसपी बनने की खबर से मां ज्योति, पिता मोहन सोनी, बहन महक, राधिका एवं भाई कमलेश सोनी बहुत खुश हैं। उनके परिवार का वह सपना पूरा हुआ है जो कभी मुस्कान की आंखों में उतरा था। 12 से 14 घंटे पढ़ाई, मोबाइल से दूरी मुस्कान सोनी ने कहा कि लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ा जाए तो सफलता निश्चित है। मैंने 12 से 14 घंटे पढ़ाई की। मोबाइल से सुरक्षित दूरी रखी। पहले मुझे इंजीनियर बनने की इच्छा थी वह पूरी हुई लेकिन मन में सिविल सेवा में बड़ा पद पाने की ठान ली थी। अब यह इच्छा पूरी हो गई।  

दिशा पाटनी हाउस शूटआउट: भिवानी कोर्ट मर्डर और पुर्तगाल लिंक से जांच में हलचल

बरेली हरियाणा के भिवानी कोर्ट परिसर में हाल ही में जिन शातिरों ने गोली मारकर युवक की हत्या की थी, अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर पर फायरिंग में भी उनका हाथ हो सकता है। दोनों मामलों में गोल्डी बरार और रोहित गोदारा गैंग का नाम सामने आया है। एक ही आईडी से सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर दोनों वारदातों की जिम्मेदारी भी ली गई है। दोनों वारदातों में समान आरोपियों के शामिल होने की आशंका में पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ रही है। जल्द ही पुलिस की एक टीम हरियाणा और दूसरी दिल्ली के लिए रवाना की जाएगी। जिस फेसबुक आईडी से अभिनेत्री के घर हुई फायरिंग की जिम्मेदारी ली गई थी, उसे उसी दिन शाम को बंद कर दिया गया। एक धमकी भरा ऑडियो डालने के बाद संबंधित अकाउंट भी डिलीट कर दिया गया। पुलिस ने आईडी को ट्रेस किया तो उसका जुड़ाव पुर्तगाल से मिला। अब बरेली व हरियाणा पुलिस की संयुक्त जांच में सामने आया है कि भिवानी कोर्ट परिसर में चार सितंबर को गैंगस्टर हरि उर्फ हरिया के साथी की हत्या कर दी गई थी। इसकी जिम्मेदारी रोहित गोदारा के गुर्गे वीरेंद्र चारण, नवीन बॉक्सर और सोनू उर्फ तिवारी जींद ने ली थी। अभिनेत्री के घर फायरिंग में भी वीरेंद्र चारण और उसके साथियों का नाम आ रहा है। दोनों मामलों में धमकी देने के लिए रोहित गोदारा गोल्डी बरार नाम की आईडी का प्रयोग किया गया है। सर्विलांस व साइबर सेल ने इस मामले में काफी इनपुट जुटाए हैं। अब इन पर दबिश की जरूरत है। जल्द ही बरेली पुलिस की टीम हरियाणा जाकर भिवानी में हुई वारदात में शामिल आरोपियों से बरेली में फायरिंग करने वाले आरोपियों की तस्दीक करेगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि दोनों ही मामलों में वीरेंद्र चारण के शूटर शामिल हो सकते हैं। हाई प्रोफाइल मामले का संज्ञान लेकर सीएम के ओएसडी राजभूषण सिंह ने फोन कॉल कर अभिनेत्री के पिता जगदीश चंद्र पाटनी से बात की। जगदीश चंद्र पाटनी ने बताया कि बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आरोपी बच नहीं सकेंगे। उप्र पुलिस उनको पाताल से भी निकाल लाएगी। आपके परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है, आप बिल्कुल निश्चिंत रहें।   पुलिस के मुताबिक कुछ अकाउंट चिह्नित भी किए गए हैं, जिनसे 29 जुलाई को खुशबू पाटनी के बयान वाले वीडियो पर खराब कमेंट किए गए हों। इनसे हमला करने वालों के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है।  मीडिया सेल को जिम्मेदारी दी गई है कि वह इस गिरोह के अलग-अलग प्रदेशों में गिरफ्तार सदस्यों के संबंध में दो साल पहले तक की न्यूज क्लिप जुटाकर उसमें से फैक्ट निकाले।  रात में खुलने वाली दुकानों की सूची तैयार कर पुलिस ने उन पर काम करने वालों से बात की है, ताकि घटना कर भागते आरोपियों के बारे में जानकारी मिल सके।

सफाई पर सवाल उठे तो कमिश्नर उतरे मैदान में, फुटपाथ पर बैठकर खाया खाना

बेंगलुरु सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के बाद ग्रेटर बेंगलुरु में फुटपाथ सुधार अभियान ने अनोखा मोड़ ले लिया. जिस जगह पर कुछ दिन पहले कनाडाई नागरिक ने फुटपाथ की बदहाल हालत पर शिकायत की थी, वहीं अब बेंगलुरु सेंट्रल बीबीएमपी कमिश्नर राजेंद्र चोलन बैठकर नाश्ता करते दिखे. क्या है पूरा मामला? दरअसल, कनाडा में रहने वाले एक शख्स ने हाल ही में एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि बेंगलुरु की सड़कों पर 1.5 किलोमीटर पैदल चलना भी मुश्किल है. यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा में आ गया. वॉलंटियर्स के साथ मिलकर साफ किया फुटपाथ वायरल वीडियो के बाद बीबीएमपी हरकत में आया. कमिश्नर राजेंद्र चोलन ने प्राइवेट वॉलंटियर्स के साथ मिलकर मैजेस्टिक इलाके में फुटपाथ साफ कराने का अभियान शुरू किया. सफाई के बाद उन्होंने खुद उसी जगह पर बैठकर स्नैक्स खाए, मानो यह संदेश देने के लिए कि अब यहां न केवल पैदल चला जा सकता है बल्कि बैठकर आराम से नाश्ता भी किया जा सकता है. यही नहीं, जिस कनाडाई नागरिक ने शुरुआत में वीडियो बनाया था, उसे भी वापस उसी जगह लाया गया. इस बार उसने एक और वीडियो रिकॉर्ड किया और फुटपाथ की सुधरी हुई हालत की तारीफ की.

दिल्ली यूनिवर्सिटी चुनाव: ABVP ने हरियाणा के वोटरों पर कसा फोकस, धनखड़ को उतारकर बनाई बड़ी रणनीति

बहादुरगढ़  दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव में बीजेपी की छात्र इकाई ABVP की जीत सुनिश्चित करने के लिए 35 हजार हरियाणवी वोटरों पर खास फोकस किया जा रहा है। इसी रणनीति के तहत हरियाणा बीजेपी के दिग्गज नेताओं को प्रचार की कमान सौंपी गई है। 14 सितंबर की रात रामजस कॉलेज में ‘कुणबा’ नाम से कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें ABVP प्रत्याशियों के समर्थन में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, हरियाणा के खेल राज्यमंत्री गौरव गौतम और कबड्डी प्लेयर व भाजपा नेता दीपक हुड्डा पहुंचे। प्रचार के दौरान ओपी धनखड़ ने कहा कि ABVP छात्रों में राष्ट्रभक्ति और व्यक्तित्व विकास पर जोर देती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कभी दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ की अध्यक्ष रह चुकीं हरियाणा की बेटी रेखा गुप्ता आज दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं, इससे बढ़कर व्यक्तित्व विकास का और क्या उदाहरण हो सकता है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री ABVP से रहे ABVP देश का वह छात्र संगठन है, जिसने कई राज्यों को मुख्यमंत्री दिए हैं। केंद्र और राज्यों में कई मंत्री भी ABVP से निकले हैं। राष्ट्रप्रेम का उदाहरण देते हुए नेताओं ने कहा कि जब वे ABVP में थे तो जेपी नड्डा के साथ लाल चौक पर झंडा फहराने गए थे। उस समय पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था। लेकिन आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने धारा 370 को खत्म कर दिया है और अब कश्मीर के लाल चौक पर शान से तिरंगा लहरा रहा है। हरियाणा से हैं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष प्रत्याशी दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) में BJP की छात्र इकाई, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने प्रेजिडेंट के लिए हरियाणा के बहादुरगढ़ के आर्यन मान और उपाध्यक्ष पद के लिए सोहना से विधायक तेजपाल तंवर के पौत्र गोविंद तंवर को प्रत्याशी बनाया गया है। हरियाणा के छात्रों की संख्या को देखते हुए ही ABVP ने ऐसा फैसला किया है। प्रेजिडेंट पद के प्रत्याशी आर्यन मान के दादा स्व. श्रीचंद मान लोवा सत्रह खाप के कई साल तक प्रधान रहे। बॉर्डर जिलों से ज्यादा स्टूडेंट DUSU चुनाव में कुल वोटरों की बात करें तो इनकी संख्या सवा लाख से डेढ़ लाख के बीच रहती है। इनमें से 30 से 35 हजार वोटर अकेले हरियाणा के हैं। यहां पढ़ने वाले नौजवानों में सबसे ज्यादा स्टूडेंट बॉर्डर जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, रोहतक, सोनीपत और महेंद्रगढ़ जिले के हैं। DUSU में 3 बार प्रेजिडेंट रह चुके हरियाणवी दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) में अब तक हरियाणा से जुड़े तीन नेता अध्यक्ष रह चुके हैं। 2011 में बहादुरगढ़ के अजय छिक्कारा NSUI के उम्मीदवार के रूप में प्रेजिडेंट बने। इसके बाद 2012 में रोहतक के आसन गांव के अरुण हुड्डा ने यह पद संभाला। अरुण, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते थे। 2019 में सोनीपत के अक्षित दहिया ABVP के प्रत्याशी के तौर पर DUSU अध्यक्ष बने। पिछले साल NSUI के रौनक खत्री ने जीत दर्ज की थी। इस बार ABVP ने मुकाबले के लिए हरियाणा से आने वाले आर्यन पर दांव लगाया है। 18 को वोटिंग, अगले दिन काउंटिंग आर्यन मान ने हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की है और फिलहाल दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) से लाइब्रेरी साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। डूसू चुनाव 18 सितंबर को होंगे और गिनती 19 सितंबर को होगी।

रांची में तेज बारिश और बिजली गिरने से हादसा, 2 की मौत

रांची झारखंड के रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र के हेसलपीरी गांव में रविवार शाम वज्रपात से दो लोगों की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे से गांव में मातम पसरा हुआ है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मिली जानकारी के अनुसार, मृतकों की पहचान 52 वर्षीय बालगोविंद महतो, पिता समल महतो और 60 वर्षीय उदयनाथ महतो, पिता रामलाल महतो के रूप में हुई है। ग्रामीणों के अनुसार, दोनों शाम लगभग 5 बजे मवेशी चराकर घर लौट रहे थे। इसी दौरान मौसम अचानक बिगड़ा और तेज बारिश के बीच आसमान से गिरी बिजली की चपेट में आकर दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जुट गए। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।         ग्रामीणों ने कहा कि वज्रपात की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे लोगों में भय का माहौल है। उन्होंने प्रशासन से मृतकों के परिजनों को त्वरित मुआवजा और सहयोग दिलाने की मांग की है। इधर, हादसे के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।

कलेक्टर का नंबर हैक! शहडोल में अफसरों को मिले फर्जी मैसेज, साइबर टीम एक्टिव

शहडोल  शहडोल जिले के कलेक्टर डॉ. केदार सिंह का आधिकारिक वॉट्सएप मोबाइल नंबर हैक हो गया है। सोमवार को इस नंबर से जिले के कई अधिकारियों व लोगों को संदिग्ध मै मैसेज भी भेजे गए हैं। जानकारी लगते ही कलेक्टर ने पुलिस अधिक्षक रामजी श्रीवास्वत को शिकायत की और जनसंपर्क विभाग के माध्यम से यह सूचना भी प्रसारित कराई गई कि कलेक्टर का नंबर हैक को गया है। सभी अधिकारी-कर्मचारी एवं नागरिक इस नंबर से आने वाले मैसेज का जबाव न दें। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि साइबर एक्सपर्ट को अलर्ट कर दिया है। टीम हैकिंग के तरीके और हैकर के लोकेशन की तकनीकी जांच कर रही है। पुलिस अधीक्षक ने भी सचेत किया है कि कलेक्टर के नंबर से कोई लिंक, मैसेज या कॉल आए तो उस पर भरोसा न करें। किसी को भी अपनी निजी जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। प्रशासन का कहना है कि जब तक नंबर पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाता, तब कोई भी व्यक्ति उस पर जवाब न दें। शहडोल जिले में यह पहला ऐसा साइबर मामल है, जिसकी साइबर टीम गंभीरता से जांच कर रही है। कलेक्टर डॉ. केदार सिंह भी अधिकारी-कर्मचारियों एवं जिले के नागरिकों से कहा है कि जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती है, किसी भी मैसेज का जबाव न दें।