samacharsecretary.com

दिवाली से पहले खुशखबरी! जल्द आएगी PM किसान की अगली किस्त, गलती से न चूके ये प्रक्रिया

नई दिल्ली  देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan Yojana) की 21वीं किश्त का इंतजार अब खत्म होने वाला है. सरकार दिवाली से पहले किसानों को बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रही है. लेकिन इस बार कुछ किसानों के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है. यदि किसान वेरिफिकेशन नहीं कराते हैं, तो उनकी 21वीं किश्त रोक दी जाएगी और वेरिफिकेशन पूरी होने तक उन्हें लाभ नहीं मिलेगा. नया अपडेट क्या है? सरकार ने योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर अपडेट जारी किया है. इसके अनुसार, 1 फरवरी 2019 के बाद जमीन खरीदने या अधिकार लेने वाले किसान, साथ ही जिन परिवारों में पति-पत्नी या 18 वर्ष से अधिक के युवा सदस्य योजना का लाभ ले रहे हैं, उन्हें फिजिकल वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य है. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि योजना का लाभ वास्तविक किसानों तक ही पहुंचे और गलत लाभ लेने वालों पर रोक लगाई जा सके. पिछली किश्त और राशि पिछली 20वीं किश्त 2 अगस्त 2025 को जारी की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से इस किश्त का शुभारंभ किया था. इस दौरान 9.71 करोड़ किसानों के खातों में ₹20,500 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की गई थी. इस बार 21वीं किश्त की राशि भी इसी तर्ज पर किसानों के खातों में भेजी जा सकती है. अगले महीने की संभावना पिछले वर्षों के आंकड़ों को देखें तो सरकार अगस्त से नवंबर के बीच किश्त जारी करती रही है. 2024 में 18वीं किश्त 5 अक्टूबर, 2023 में 19वीं किश्त 15 नवंबर और 2022 में 17वीं किश्त 17 अक्टूबर को जारी हुई थी. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को है, इसलिए विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार 21वीं किश्त अक्टूबर के पहले या मध्य सप्ताह में जारी कर सकती है. बिहार चुनाव और संभावित तारीख इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव आयोग सितंबर के अंत तक तारीखें घोषित कर सकता है. ऐसे में केंद्र सरकार कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने से पहले किसानों के खातों में राशि भेज सकती है. इसका मतलब है कि 21वीं किश्त अक्टूबर के पहले या मध्य में किसानों के खातों में जमा हो सकती है, जिससे किसानों को समय पर लाभ मिल सके. किसानों से आग्रह सरकार ने किसानों से आग्रह किया है कि यदि उनका वेरिफिकेशन अभी बाकी है, तो वे जल्द से जल्द इसे पूरा कर लें. इससे न केवल उनकी किश्त समय पर आएगी बल्कि योजना का लाभ सही और वास्तविक किसानों तक सुनिश्चित होगा. कुल मिलाकर, दिवाली से पहले किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित हो सकती है. फिजिकल वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करने वाले किसान 21वीं किश्त का लाभ समय पर प्राप्त करेंगे, जबकि बाकी किसानों के लिए यह किश्त तब तक रोकी जाएगी जब तक उनकी जानकारी का सत्यापन नहीं हो जाता.

ड्रग्स और शराब की लत बन रही एक्सीडेंट की बड़ी वजह, ड्राइवरों का नियंत्रण खोना चिंताजनक

नई दिल्ली भारत में सड़क हादसे हर साल लाखों लोगों की जान ले रहे हैं. अक्सर कहा जाता है कि तेज रफ्तार, खराब सड़कें हैं या ओवरलोडिंग के कारण ये हादसे हो रहे हैं. लेकिन एम्स ऋषिकेश की नई स्टडी ने कुछ और कारण खोज निकाले हैं, जिस पर गंभीरता से सोचना होगा. इस स्टडी में सामने आया है कि सड़क पर होने वाले आधे से ज्यादा हादसों में शराब जिम्मेदार होती है, वहीं हर पांचवें हादसे में गांजा या ड्रग्स और हर चौथे हादसे में थकान या नींद की झपकी का रोल होता है. क्या कहते हैं आंकड़े एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हुए 383 ड्राइवर पीड़ितों पर रिसर्च में सामने आया कि 57.7% ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चला रहे थे. वहीं 18.6% ने गांजा और दूसरी साइकोट्रॉपिक दवाएं ली थीं. इसके अलावा 14.6% ड्राइवर शराब और ड्रग्स दोनों के असर में थे. 21.7% को दिन में जरूरत से ज्यादा नींद (EDS) की समस्या थी. बाकी 26.6% को थकान और नींद से जुड़ी दिक्कतें थीं. कैसे हुई स्टडी एम्स के न्यूरोसाइकेट्री विभाग के विशेषज्ञ डॉ. रवि गुप्ता बताते हैं कि एम्स में हमने हर मरीज का ब्लड और यूरिन टेस्ट किया और validated sleep tools से उनकी नींद का पैटर्न समझा. इससे जो नतीजे वो बताते हैं कि भारत में सड़क हादसे केवल सड़क और ट्रैफिक नियमों से जुड़े मुद्दे नहीं हैं बल्कि नशा और नींद की दिक्कतें भी इसमें सीधे जिम्मेदार हैं. झपकी बनी मौत की वजह एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लाखों हादसे ऐसे होते हैं जिनमें ड्राइवर का झपकी लेना एक बड़ी वजह होती है. परिवहन मंत्रालय के अनुसार 27% एक्सीडेंट ड्राइवर की नींद आने से होते हैं. कई हादसों में ड्राइवर ने खुद माना कि लंबी ड्यूटी और नींद न मिलने से कंट्रोल खो गया. आपको बता दें कि ड्राइवरों ने बातचीत में खुद माना कि ट्रक और बस ड्राइवर कई बार 24–30 घंटे लगातार गाड़ी चलाते हैं, जबकि नियम है कि एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं होनी चाहिए. देखा जाए तो नियम-कानून तो हैं, लेकिन जमीनी सच अलग है. नहीं हो रहा नियमों का पालन? परिवहन नियम कहते हैं कि एक ड्राइवर सप्ताह में 45 घंटे से ज्यादा गाड़ी नहीं चला सकता लेकिन निजी कंपनियां इन नियमों का कितना पालन करती हैं, ये किसी से छुपा नहीं है. सच्चाई ये है कि बस और ट्रक मालिक ड्राइवरों से कम से कम 220 से 250 किलोमीटर प्रतिदिन गाड़ी चलवाते हैं. सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़े बताते हैं कि 40 से 45% हादसे थकान और नींद की वजह से होते हैं. नशा और नींद का खतरनाक मेल एम्स ऋषिकेश की स्टडी से स्पष्ट है कि सड़क पर उतरने वाला ड्राइवर अगर नशे में है और थका हुआ है तो हादसा लगभग तय है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार कह चुके हैं कि ड्राइवरों की थकान और नींद को लेकर कंपनियों और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इन नियमों का सड़कों पर कितना पालन हो रहा, ये सोचने वाली बात है. क्यों खास है ये रिसर्च भारत में हर साल 1.35 लाख मौतें और 50 लाख से ज्यादा चोटें सड़क हादसों से होती हैं. WHO के अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में सड़क हादसों से मौत का खतरा हाई-इनकम देशों से तीन गुना ज्यादा है. रिसर्च में शामिल रहे डॉ. रवि गुप्ता (AIIMS ऋषिकेश) का कहना है कि नींद और नशे को नजरअंदाज करना, सड़क सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. ट्रक-बस में ड्राइवर अलर्ट सिस्टम लगाना चाहिए. नशे में गाड़ी चलाने पर लाइसेंस तुरंत रद्द हो. ये कदम उठाने जरूरी व्यावसायिक वाहनों में ड्राइवर ड्यूटी घंटों पर सख्त निगरानी हो. ट्रक और बस ड्राइवरों की नियमित हेल्थ और स्लीप टेस्टिंग भी की जाए. नशे की हालत में ड्राइविंग पर फौरन टेस्ट और कठोर सजा तय हो. कंपनियों की जवाबदेही तय करना, ओवरटाइम कराने पर उन्हें भी दंड मिले.जागरूकता अभियान चले कि नशे या नींद में गाड़ी चलाना हत्या जैसा अपराध है. क्या है ड्राइवरों की असली हालत, कब सोते हैं, कब खाते हैं? लंबे रूट्स पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर कई बार 30 से 35 घंटे लगातार गाड़ी चलाते हैं. ढाबों पर झपकी ही उनका आराम है, घर जाने का वक्त साल में मुश्किल से 20–25 दिन मिलता है. कई ड्राइवर खुद मानते हैं कि गांजा पीकर नींद कम आती है, इसलिए गाड़ी चला पाते हैं. लेकिन यही 'जुगाड़' उन्हें एक्सीडेंट की तरफ धकेल देता है.

हरियाणा को मिल सकती है पहली इंटरनेशनल फ्लाइट, हिसार से दुबई तक सीधी कनेक्टिविटी की तैयारी

हिसार   हरियाणा के महाराजा अग्रसेन हवाई अड्डा हिसार से जल्द ही अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएं शुरू हो सकती हैं। दुबई के लिए कार्गो सेवा शुरू करने को लेकर हरियाणा सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। नागरिक उड्डयन विभाग की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि दुबई के लिए प्रस्तावित उड़ान, हिसार हवाई अड्डे से हरियाणा की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान होगी। फिलहाल राज्य सरकार इस विषय पर केंद्र सरकार से दिल्ली में बातचीत कर रही है। गौरतलब है कि 12 सितंबर को हिसार से जयपुर के लिए घरेलू उड़ान सेवा की शुरुआत मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा की गई थी।  इसी बीच, मध्य प्रदेश सरकार ने भी नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में सक्रियता दिखाई है। मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने दिल्ली में एलायंस एयर के चेयरमैन अमित कुमार और सीईओ राजर्षि सेन से मुलाकात की है। एलायंस एयर वही कंपनी है, जिसने हरियाणा सरकार के साथ समझौता किया हुआ है। 

17 सितंबर को राजभवन में लगेगा रक्तदान शिविर, नेत्र व स्त्री रोगों की होगी निशुल्क जांच

भोपाल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस पर राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने रक्तदान और स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाने के निर्देश दिए है। रक्तदान और नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन राजभवन के सांदीपनि सभागार में किया जाएगा। शिविर का संचालन प्रातः 11 बजे से अपराह्न 1:30 बजे तक होगा। राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने बताया कि शिविर का आयोजन राजभवन और रेडक्रॉस के संयुक्त तत्वाधान में किया गया है। शिविर अवधि में आमजन स्वेच्छा से रक्तदान कर मानवता के महादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। शिविर में आमजन की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच स्त्रीरोग और नेत्ररोग विशेषज्ञ करेंगे। श्री कोठारी ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि 17 सितंबर को राजभवन में आयोजित होने वाले शिविर में बड़ी संख्या में भाग लें। शिविर में रक्तदान कर मानवता के सेवा संकल्प में सहयोगी बने। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का लाभ प्राप्त करें।  

इंदौर में 22 सितंबर को कार फ्री डे? महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने लोगों से की खास अपील

 इंदौर  स्वच्छता में देश भर में अपनी पहचान बना चुका इंदौर अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और बड़ी मिसाल कायम करने जा रहा है। शहर में 22 सितंबर को तीसरी बार 'नो कार डे' का आयोजन किया जाएगा। इस दिन, शहरवासियों से स्वेच्छा से अपनी कारों का उपयोग न कर सार्वजनिक परिवहन, साइकिल, दोपहिया वाहन या ई-रिक्शा का इस्तेमाल करने की अपील की गई है। महापौर ने की जनता से अपील महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एक सोशल मीडिया वीडियो जारी कर इंदौर की जागरूक जनता से इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, "इंदौर की जनता ने हमेशा हर पहल को सफल बनाया है। पिछले दो वर्षों के 'नो कार डे' के अनुभव ने यह साबित कर दिया है कि एक दिन के सामूहिक प्रयास से हम ईंधन की खपत और प्रदूषण के स्तर में महत्वपूर्ण कमी ला सकते हैं।" पिछले दो आयोजनों की सफलता बनी प्रेरणा महापौर भार्गव ने बताया कि पिछले दो 'नो कार डे' के आयोजन बेहद सफल रहे और इनकी चर्चा पूरे देश में हुई। इन दिनों में शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम हुआ, पेट्रोल-डीजल की खपत में लगभग 15% की गिरावट आई और प्रदूषण के स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया। इसी सफलता से प्रेरणा लेकर इस परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है। केवल एक प्रतीकात्मक कार्यक्रम नहीं महापौर ने इस बात पर जोर दिया कि 'नो कार डे' सिर्फ एक प्रतीकात्मक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भविष्य के इंदौर को पर्यावरण के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनाने की एक ठोस पहल है। इसका उद्देश्य लोगों की सोच में बदलाव लाना है, ताकि वे नियमित जीवन में भी निजी वाहनों की जगह साइकिल, ई-रिक्शा और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें। इंदौर इस तरह की पहल को एक परंपरा बनाने वाला देश का पहला शहर है। साइकिल, टू-व्हीलर और ई-रिक्शा का करें उपयोग महापौर ने सभी नागरिकों से आग्रह किया है कि 22 सितंबर को अपनी कारों को घर पर छोड़कर शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। उन्होंने कहा, "आइए, हम सब मिलकर साइकिल, दोपहिया वाहन या ई-रिक्शा से यात्रा करें। यह प्रयास न केवल ट्रैफिक को सुगम बनाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव लाएगा।" उन्होंने विश्वास जताया कि इंदौर की जनता पिछले दो बार की तरह इस बार भी 'नो कार डे' को सफल बनाकर एक नई मिसाल कायम करेगी।  

PM मित्रा पार्क से खुलेगा रोजगार का रास्ता, कंपनियां करेंगी 20,000 करोड़ का निवेश

धार  धार जिले के बदनावर क्षेत्र के भैंसोला गांव में स्थापति हो रहे देश के पहले पीएम मित्रा पार्क में अपनी इकाइयां लगाने के लिए टेक्सटाइल क्षेत्र की कपंनियां उत्साहित हैं। अभी तक वर्धमान, ट्रांइडेट सहित 91 कंपनियों को 1,294 एकड़ भूमि आवंटित भी कर दी है। ये कंपनियां 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश करेंगी, जिससे 72 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। पार्क में निवेश करने के लिए 114 कंपनियों के प्रस्ताव अभी तक प्राप्त हुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि देश की बड़ी टेक्सटाइल कंपनियां पीएम मित्रा पार्क में अपनी इकाइयां लगानी चाहती हैं। सरकार निवेशकों को हर तरह की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्क के पूर्ण विकसित होने पर रोजगार का आंकड़ा तीन लाख तक पहुंचने का अनुमान है। यह केवल संख्या नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन में आने वाला ठोस बदलाव है। अभी तक 23 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव कपंनियां दे चुकी हैं। इन प्राप्त निवेशों से यार्न, फैब्रिक और गारमेंट उत्पादन की संपूर्ण वैल्यू चेन यहीं विकसित होगी, जिससे प्रदेश का टेक्सटाइल उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। यहां कुल 2158 एकड़ भूमि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 17 सितंबर को भूमिपूजन करने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। किसान मेले किए जाएंगे आयोजित उधर, मुख्यमंत्री ने कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिए कि कृषि आधारित उद्योगों के प्रचार-प्रसार के लिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग बहुउद्देशीय कृषि मेले आयोजित करें। इनमें किसानों को उनकी फसल सहित अन्य सहायक उत्पादों के विक्रय एवं मार्केटिंग की जानकारियां भी जाएं। पीएम मित्रा पार्क से प्रदेश के कपास और रेशम उत्पादक किसानों की जीवन रेखा बदल जाएगी। छह लाख से अधिक कपास उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। कपास की खपत स्थानीय स्तर पर ही हो जाएगी। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और रॉ-मैटेरियल सप्लाई की एक पूरी चैन तैयार होगी।

राज्य सरकार किसानों सहित सभी से संवाद करते हुए लैंड पूलिंग और विकास कार्यों के मार्ग पर है अग्रसर: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सिंहस्थ : 2028 के विकास कार्यों के लिए सभी का मिल रहा है समर्थन: मुख्यमंत्री डॉ. यादव राज्य सरकार किसानों सहित सभी से संवाद करते हुए लैंड पूलिंग और विकास कार्यों के मार्ग पर है अग्रसर हम किसी को नाराज नहीं करना चाहते, राज्य सरकार सभी को साथ लेकर चलने के लिये प्रतिबद्ध किसान हित को सर्वोपरि रखते हुये सबकी सहमति के आधार पर होगा अधोसंरचना विकास सिंहस्थ : 2028 के लिए उज्जैन को ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित करने की संकल्पना वर्षा-आंधी हो या सुरक्षा का प्रबंध, हर स्थिति में व्यवस्था बनाए रखना राज्य शासन का दायित्व भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सिंहस्थ : 2028 के विकास कार्यों के लिए हमें सभी का समर्थन मिल रहा है। विकास के क्रम को बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सबके हितों का ध्यान रखते हुए और सभी से संवाद करते हुए राज्य सरकार लैंड पूलिंग सहित सभी प्रकार के विकास कार्यों के मार्ग पर अग्रसर हो रही है। प्रयागराज महाकुंभ के ऐतिहासिक आयोजन में करोड़ों लोगों के आगमन, व्यवस्था और उनके सुरक्षा प्रबंधन के दृष्टिगत केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने स्थायी संरचनाओं के विकास पर बल दिया, इससे क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिला। उज्जैन में सिंहस्थ-2028 के लिए स्थायी निर्माण के संबंध में किसानों से संवाद जारी है, हम किसी को नाराज नहीं करना चाहते, राज्य सरकार सभी को साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। विकास का क्रम निरंतर जारी रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह विचार कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मीडिया से चर्चा में व्यक्त किए। सिंहस्थ का आयोजन प्रदेश के लिए गौरव का विषय मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इतिहास में अब तक के सबसे बड़े सिंहस्थ मेले का आयोजन उज्जैन में वर्ष-2028 में होने जा रहा है। वर्तमान में उज्जैन की अर्थव्यवस्था में महाकाल लोक बनने से भारी वृद्धि हुई है। सिंहस्थ के आयोजन से उज्जैन का आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकास होने से पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उज्जैन सिंहस्थ में 30 करोड़ श्रद्धालुओं के सम्मिलित होने की आशा है। सिंहस्थ आयोजन का गौरवशाली इतिहास रहा है, राज्य शासन वर्ष 2028 के सिंहस्थ का आयोजन आस्था, गरिमा और भव्यता के साथ करने के लिये कृत संकल्पित है। यह आयोजन उज्जैन सहित समूचे प्रदेश के लिये अत्यंत गौरव का विषय है। सिंहस्थ आयोजन में, स्थानीय किसान बंधुओं का सदैव मिला सहयोग मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य शासन का कर्तव्य है कि हज़ारों साधु-संतों और करोड़ों श्रद्धालुओं को सिंहस्थ के दौरान उच्च स्तरीय सुविधाएं मिलें और उन्हें कोई परेशानी न हो। पिछले अनुभवों के आधार पर इस प्रकार की अधोसंरचना बनानी आवश्यक है, जिससे वर्षा-आंधी की स्थिति में भी मेले में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। भव्य और विशाल आयोजन में सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित करते हुए संपूर्ण व्यवस्था बनाए रखना शासन का दायित्व है। इस वृहद आयोजन के लिये हज़ारों एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है। सिंहस्थ के आयोजन में, स्थानीय किसान बंधु शासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते आये हैं। सिंहस्थ : 2016 के दौरान लगभग 650 करोड़ रूपए की लागत से 3000 हेक्टेयर भूमि पर अस्थाई अधोसंरचना निर्माण कार्य किए गए थे, जिन्हें आयोजन उपरांत हटा दिया गया था। सिंहस्थ : 2028 के लिए उज्जैन को ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित करने की संकल्पना की गई है। जिसके तहत किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुये सबकी सहमति के आधार पर अस्थायी के स्थान पर स्थायी अधोसंरचना का विकास किया जायेगा।  

सस्ता होगा सोना? जानिए क्यों US फेड की बैठक बन सकती है गेमचेंजर

नई दिल्‍ली  सोने की चमक ने सबको चकाचौंध कर रखा है। इसने एक साल में ताबड़तोड़ तेजी दर्ज की है। इस दौरान यह करीब 53% तक चढ़ा है। दूसरे किसी भी एसेट क्‍लास में ऐसी बंपर तेजी देखने को नहीं मिली है। हालांकि, 17 सितंबर से पहले सोने की कीमतों में तेजी पर कुछ अंकुश लग सकता है। अगले हफ्ते बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर फैसला लेने वाला है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि आगे चलकर सोने की चमक बनी रहेगी। वे टैर‍िफ के असर, ब्रिटेन और यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों और बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान की बैठकों पर नजर रखेंगे। सोने की कीमतों में तेजी आई है। लेकिन, अब यह रफ्तार धीमी हो सकती है। जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रणव मेर का कहना है कि निवेशक अब सतर्क हो गए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में सोने के दाम काफी बढ़ गए हैं। इसलिए, वे अब और ज्यादा पैसा लगाने से डर रहे हैं। 17 सितंबर पर दुन‍िया की नजर मेर ने कहा कि पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण सोने के दाम बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सोने और चांदी के दाम बढ़ सकते हैं। लेकिन, निवेशकों को फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों का इंतजार है। ऐसे में कीमतों में कुछ बदलाव हो सकता है। फेडरल रिजर्व की दो दिन की बैठक 16 सितंबर को शुरू होगी। नीतिगत फैसले की घोषणा 17 सितंबर को की जाएगी। एंजल वन के प्रथमेश माल्या ने कहा कि अमेरिका में भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगने और रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई बढ़ने से सोने के दाम में तेजी आना कोई हैरानी की बात नहीं है। सोने के दाम में तेजी क्यों आई? भू-राजनीतिक तनाव पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन में बढ़ते तनाव के कारण निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश मानकर इसमें पैसा लगा रहे हैं। व्यापार शुल्क (टैरिफ) अमेरिका में भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगने से भी सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।   आगे क्या हो सकता है? कीमतों में स्थिरता फेडरल रिजर्व के आगामी फैसले तक सोने के दाम स्थिर रह सकते हैं। तेजी जारी रह सकती है जानकारों के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव और अन्य वैश्विक कारकों के कारण आगे भी सोने के दाम बढ़ सकते हैं।   निवेशकों को क्या करना चाहिए? सतर्क रहें सोने में निवेश करते समय सावधानी बरतें और बाज़ार के उतार-चढ़ाव पर नज़र रखें। फेडरल रिजर्व के फैसले का इंतजार करें कोई भी बड़ा निवेश करने से पहले फेडरल रिजर्व के 17 सितंबर के फैसले का इंतजार करें, क्योंकि यह सोने के भविष्य के दाम तय कर सकता है। प्रणव मेर ने कहा, 'सोने की कीमतों में सकारात्मक रफ्तार जारी रही और यह लगातार चौथे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुआ। हालांकि, सप्ताह के मध्य में बढ़त की रफ्तार कुछ धीमी हो गई। पिछले चार हफ्तों में कीमतों में 10 फीसदी से ज्‍यादा की बढ़ोतरी के बाद निवेशक और कारोबारी अब सतर्क हो गए हैं। मौजूदा कीमतों पर नए तेजी के सौदे जोड़ने से हिचक रहे हैं।'    

दुर्गा पूजा से पहले बड़ी राहत, मइया सम्मान योजना के तहत खाते में आ सकते हैं 2500 रुपये

रांची   झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी मंईयां सम्मान योजना की लाभुकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. सभी लाभुक महिलाओं को सितंबर माह की राशि 2500 रुपये दुर्गा पूजा से पहले मिल जायेगी. जानकारी के अनुसार आज 15 सितंबर के बाद जिला स्तर से राशि ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं अक्तूबर माह की राशि भी दीपावली से पहले मिल जायेगी. नवंबर माह तक के लिए राशि आवंटित सामाजिक सुरक्षा निदेशालय द्वारा सभी जिलों को नवंबर माह तक के लिए राशि आवंटित कर दी गयी है. विभिन्न जिलों को 9600 करोड़ रुपये मिले हैं. 15 सितंबर के बाद यानी कल 16 सितंबर से महिलाओं के खाते में 2500 रुपये ट्रांसफर करने की संभावना है. अगर कल 16 सितंबर से राशि ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू होती है, तो लगभग 1 सप्ताह के भीतर सभी लाभुकों को योजना की राशि मिल जायेगी. एक माह में मिलेगी दोहरी खुशियां मालूम हो इसी माह के शुरुआत में 3 सितंबर को लाभुक महिलाओं के खाते में अगस्त माह की राशि 2500 रुपये भेजे गये थे. और अब दुर्गा पूजा से पहले महिलाओं को सितंबर माह की राशि मिलने वाली है. ऐसे में इस माह महिलाओं को दोहरी खुशियां मिलने वाली है. राज्य की करीब 50 लाख महिलाओं को हर माह योजना का लाभ दिया जाता है. अगर आप झारखंड की मंईयां सम्मान योजना की लाभार्थी हैं और यह जानना चाहती हैं कि आपके खाते में 2500 रुपये आए हैं या नहीं. तो इसके कई आसान तरीके हैं. सबसे पहले अपने बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर पर SMS अलर्ट चेक करें. इसके अलावा पासबुक अपडेट कराने से भी पता चल जाएगा. अगर आपके पास इंटरनेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग ऐप है. तो ट्रांजैक्शन हिस्ट्री से तुरंत जानकारी मिल सकती है. वहीं जिन महिलाओं के पास यह सुविधाएं नहीं हैं. वह नजदीकी बैंक शाखा जाकर मिनी स्टेटमेंट निकलवा सकती हैं. योजना का पैसा सीधे लाभार्थी के नाम से जुड़े बैंक खाते में DBT के जरिए आता है. अगर आपके पास इंटरनेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग ऐप है. तो ट्रांजैक्शन हिस्ट्री से तुरंत जानकारी मिल सकती है. वहीं जिन महिलाओं के पास यह सुविधाएं नहीं हैं. वह नजदीकी बैंक शाखा जाकर मिनी स्टेटमेंट निकलवा सकती हैं. योजना का पैसा सीधे लाभार्थी के नाम से जुड़े बैंक खाते में DBT के जरिए आता है. अगर कहीं को जानकारी नहीं है तो फिर आपको अपने नजदीकी सीएससी सेंटर जाना होगा. वहां जाकर आप योजना में अपनी किस्त का स्टेटस चेक करवा सकती है. ऑपरेटर को आपको अपना आधार कार्ड या रजिस्ट्रेशन नंबर बताना होगा. अगर कहीं को जानकारी नहीं है तो फिर आपको अपने नजदीकी सीएससी सेंटर जाना होगा. वहां जाकर आप योजना में अपनी किस्त का स्टेटस चेक करवा सकती है. ऑपरेटर को आपको अपना आधार कार्ड या रजिस्ट्रेशन नंबर बताना होगा. इसके बाद वह योजना में आपकी किस्त का स्टेटस आपको बता देगा किस्त अटक गई है या जारी हो गई है. अगर पूरी जानकारी सही होने के बाद भी आपकी किस्त के पैसे आपके खाते में नहीं आते हैं. तो फिर आप इस बारे में नजदीकी कार्यालय जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं. इसके बाद वह योजना में आपकी किस्त का स्टेटस आपको बता देगा किस्त अटक गई है या जारी हो गई है. अगर पूरी जानकारी सही होने के बाद भी आपकी किस्त के पैसे आपके खाते में नहीं आते हैं. तो फिर आप इस बारे में नजदीकी कार्यालय जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं.

मध्यप्रदेश विधानसभा में बदलाव की आहट, प्रमुख सचिव पद के लिए अरविंद शर्मा का नाम सबसे आगे

भोपाल  मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रशासनिक बदलाव की आहट तेज हो गई है। मौजूदा प्रमुख सचिव एपी सिंह 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनके कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाने के संकेत पहले ही मिल चुके हैं। ऐसे में विधानसभा सचिव के रूप में कार्यरत अरविंद शर्मा को अगला प्रमुख सचिव बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई है। वर्तमान प्रमुख सचिव एपी सिंह के कार्यकाल में विस्तार की संभावना नहीं है। ऐसे में 1 अक्टूबर से नए प्रमुख सचिव की नियुक्ति तय मानी जा रही है। अरविंद शर्मा सबसे मजबूत दावेदार  नरेंद्र सिंह तोमर ने अध्यक्ष बनने के बाद अरविंद शर्मा को लोकसभा से प्रतिनियुक्ति पर मध्य प्रदेश पर लाया और  विधानसभा सचिव बनाया था। बाद में उनका संविलियन भी विधानसभा में हो गया। वर्तमान में वे 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं और नियमों के मुताबिक 62 साल तक सेवा में रह सकते हैं। यदि उन्हें प्रमुख सचिव नियुक्त किया जाता है, तो वे आगामी दो साल तक इस जिम्मेदारी को निभा पाएंगे। सूत्रों के अनुसार, स्पीकर की पसंद होने के कारण उनकी नियुक्ति लगभग तय मानी जा रही है। एपी सिंह का लंबा कार्यकाल अब होगा समाप्त एपी सिंह पहले ही 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो चुके थे। उसके बाद उन्हें दो साल का सेवा विस्तार और फिर 6 महीने का संविदा कार्यकाल दिया गया। अब वे 64 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में उनका कार्यकाल बढ़ाने की कोई संभावना नहीं रह गई है। हालांकि विधानसभा अधिनियम के मुताबिक अध्यक्ष चाहें तो जिला न्यायाधीश स्तर के अधिकारी को भी प्रमुख सचिव नियुक्त कर सकते हैं। फिलहाल इस पर विचार की संभावना कम है क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में अरविंद शर्मा ही सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। सचिव पद की मौजूदा स्थिति विधानसभा में सचिव के दो पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में एक पद पर अरविंद शर्मा कार्यरत हैं, जबकि दूसरा पद रिक्त है। प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े मामले कोर्ट में लंबित हैं, इसलिए यदि शर्मा प्रमुख सचिव बनते हैं, तो सचिव के दोनों पद अस्थायी तौर पर खाली रह सकते हैं और जिम्मेदारियां प्रभार के आधार पर सौंपी जा सकती हैं।