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10 महीने की कवायद के बाद भी काम अधूरा: हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट केवल 10 लाख वाहनों में लगी, अब पुलिस करेगी चालानिंग

रायपुर  छत्तीसगढ़ सरकार की सुरक्षा के मद्देनजर सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने की कवायद पर ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ वाली कहावत सटीक बैठती है. छत्तीसगढ़ शासन के निर्देश के 10 महीने बाद तक प्रदेश के करीबन 80 फीसदी वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) नहीं लगा है. इस बीच पुलिस ने एक अक्टूबर से चालान काटने की तैयारी कर ली है. मिली जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 52 लाख 48 हजार 478 वाहन हैं. इनमें से अब तक सिर्फ 7 लाख 31 हजार वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाए जा सके हैं. वहीं 3 लाख 40 हजार नंबर प्लेट बनाने का ऑर्डर हुआ है. इस तरह से 45 लाख से ज्यादा वाहनों में HSRP नंबर प्लेट नहीं लगाए जा सके हैं. जानकार बताते हैं कि जिन 7.31 लाख वाहनों में नंबर प्लेट लगे हैं, इनमें से 30 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की टीम ने सड़क पर रोक-रोक फार्म भरवाया था. आरटीओ की ओर से 30 सितंबर तक हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने लोगों को अल्टीमेटम दिया गया है. अब अक्टूबर से जिन वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगा होगा इनका 1000 रुपए का चालान कटेगा, इसके साथ ही मौके पर एचएसआरपी के लिए फार्म भी भरवाया जाएगा. रायपुर जिले की बात करें तो यहां 13 लाख 34 हजार पंजीकृत गाड़ियां हैं. इनमें से सिर्फ 2 लाख 36 हजार गाड़ियों में नंबर प्लेट लगाए जा सके हैं. वह करीब एक लाख लोगों ने नंबर प्लेट बनवाने के लिए आवेदन किया है. 10 महीने में सिर्फ 17 फीसदी वाहनों में नंबर प्लेट लगाए जा सके हैं. छत्तीसगढ़ में 6 हजार से ज्यादा पंजीकृत वाहन ऐसे हैं, जो 15 साल पुराने हैं. इन वाहनों को स्क्रैप करने के निर्देश हैं. इन 6 हजार वाहनों में से 1200 दोपहिया हैं. 3 हजार से ज्यादा चारपहिया और शेष 1800 मालवाहक गाड़ियां हैं. रायपुर जिले की बात करें तो 300 से ज्यादा पंजीकृत वाहन 15 से ज्यादा पुराने हैं. वहीं शहर में ऐसे वाहन भी घूम रहे हैं, जो अपंजीकृत हैं. वाहनों को स्क्रेप करने में भी पिछड़ा विभाग रायपुर शहर में 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करने दो करोड़ की लागत से धनेली में प्लांट बनाया गया है. अब तक यहां सिर्फ 1 हजार वाहनों को स्क्रैप किया जा सका है. जबकि यहां 600 से ज्यादा वाहन स्क्रैप होने के लिए खड़े हैं. यानी की परिवहन विभाग पुराने वाहनों को स्क्रैप करवाने और एचएसआरपी लगवाने दोनों में पिछड़ता दिख रहा है. चालकों को रोक-रोककर भरवाया फार्म परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस की टीम ने मिलकर दो महीने तक एचएसआरपी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया था. वाहन चालकों को सड़कों पर रोक-रोक कर एचएसआरपी के लिए फार्म भरवाया गया था. तब जाकर प्रदेशभर में 7 लाख लोगों ने वाहनों में एचएसआरपी लगवाया है.

चित्त की आज़ादी: बंधनों से मुक्ति का मार्ग

मनुष्य के मन पर शब्दों का बोझ है। यही बोझ उसकी मानसिक गुलामी का कारण भी है। जब तक यह दीवार टूट नहीं जाती, तब तक न सत्य जाना जा सकता है, न आनंद, न आत्मा। जीवन की असली खोज सत्य की खोज है और उसकी पहली शर्त है स्वतंत्रता। जिसके मन का स्वभाव दासता से बंधा है, उसके लिए परमात्मा तक पहुंचने की संभावना भी समाप्त हो जाती है। केवल वही आत्माएं सत्य को जान पाती हैं, जिन्होंने अपने मन को हर बंधन से मुक्त कर लिया हो। इस विषय पर एक मित्र ने प्रश्न किया-यदि हम शब्दों से मौन हो जाएं, मन शून्य हो जाए, तो संसार का व्यवहार कैसे चलेगा? यह भ्रम है कि अशांत मन ही जीवन को चलाता है। यह वैसा ही प्रश्न है, जैसे बीमार पूछें-यदि हम स्वस्थ हो जाएं, तो जीवन कैसे चलेगा? या पागल पूछें-यदि हम सामान्य हो जाएं, तो व्यवहार कैसे संभव होगा? वास्तविकता यह है कि संसार का अधिकतर कष्ट और अराजकता अशांत मन के कारण है। फिर भी यदि अशांति के बीच जीवन चल रहा है, तो यह आश्चर्य है। दरअसल शांत और स्थिर मन समाज को बाधित नहीं करता, बल्कि उसे स्वर्ग में बदलने की क्षमता रखता है। जितना मन शब्दों से मुक्त होकर शांत होता है, उतनी ही गहरी दृष्टि विकसित होती है। जीवन का क्रम चलते रहेगा-मनुष्य बोलेगा, चलेगा, कार्य करेगा-परंतु वह सब एक नई गुणवत्ता से भरा होगा। ऐसे व्यक्ति का जीवन दूसरों में अशांति पैदा नहीं करेगा, और दूसरे की अशांति उसकी शांति को भंग नहीं कर पाएगी। यहां तक कि अप्रिय व्यवहार भी उसे फूल के समान प्रतीत होगा, और वह स्वयं किसी पर विष की वर्षा करने में असमर्थ रहेगा। समस्या यह है कि मानव समाज ने सामूहिक रूप से मन को शांत करने का मार्ग नहीं अपनाया। इसी कारण हमें स्वर्ग आकाश में कल्पना करना पड़ा, जबकि यह धरती भी पूर्णत: स्वर्ग बन सकती है। स्वर्ग का असल अर्थ है-जहां शांत और भले लोग हों। सुकरात से मृत्यु से पहले एक प्रश्न पूछा गया कि क्या वे स्वर्ग में जाना चाहेंगे या नरक में। उन्होंने उत्तर दिया-"इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे कहां भेजा जाएगा, क्योंकि मैं जहां भी रहूंगा, अपना स्वर्ग अपने साथ ले जाऊंगा।"  

रेल हादसों की रोकथाम को बड़ा कदम, धौलपुर-बीना रूट पर लगेगा ‘कवच 4.0’ सिस्टम

ग्वालियर  उत्तर मध्य रेलवे के धौलपुर-बीना के 321 किमी लंबे रेल खंड को रेल दुर्घटना रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से लैस आधुनिक टक्कररोधी तकनीक कवच 4.0 से लैस किया जाएगा। इसके लिए 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी, जिसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी कर कार्यादेश जारी कर दिया गया है। संबंधित कंपनी ने प्राथमिक कार्य भी शुरू कर दिया है। आधुनिक उपकरण इंस्टाल किए जाएंगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित कवच 4.0 के लिए ट्रैक किनारे व रेल स्लीपर में आधुनिक उपकरण भी इंस्टाल किए जाएंगे। कवच 4.0 को इंटरनेट से जोड़ने के लिए धौलपुर से मुरैना-ग्वालियर-झांसी होते हुए बीना के बीच 38 नए टावर लगाए जाएंगे। इसमें हर दस किलोमीटर की दूरी पर एक लांग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) टावर स्थापित किया जाएगा। इससे ट्रेन की हर गतिविधि पर नजर भी रखी जाएगी। एआई कवच से जोड़ने के लिए ट्रेन के इंजन पर भी एक टावर लगाया जाएगा। इसके साथ ही AI डिवाइस भी इंजन की कैब में लगाई जाएगी। एक किलोमीटर के फासले पर डिवाइस लगेंगे एआई कवच 4.0 का संपर्क ट्रेन से न टूटे, इसके लिए जिन सीमेंट के स्लीपर पर पटरी को बिछाया जाता है, उस पर भी हर एक किलोमीटर के फासले पर डिवाइस लगाई जाएगी। जब भी ट्रेन उस स्लीपर के ऊपर से निकलेगी, तो उसकी जानकारी कंट्रोल रूम तक अपने आप पहुंच जाएगी। कवच 4.0 ट्रेन को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही क्रासिंग पर होने वाले हादसों को रोकने में भी मददगार होगा। हर रेलवे क्रासिंग पर कवच के जरिए अपने आप हॉर्न बजने लगेगा। यदि सिग्नल लाल है और ट्रेन नहीं रुकती है, तो सिग्नल से 50 मीटर पहले ही AI ट्रेन को रोक देगा। क्या है कवच 4.0? रेलवे का कवच 4.0 पूरी तरह आटोमेटेड प्रोटेक्शन सिस्टम है। यह नई आधुनिक तकनीक पर आधारित है। यह सिस्टम ट्रेन की निर्धारित गति से दो किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की स्पीड होने पर ओवर स्पीड अलार्म बजा देगा। अगर ट्रेन की निर्धारित स्पीड से पांच किमी प्रतिघंटा से ज्यादा होगी तो फिर आटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। अगर ट्रेन निर्धारित स्पीड से नौ किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की स्पीड पर पहुंचेगी तो फिर ऐसा होने पर खुद इमरजेंसी ब्रेक लग जाएंगे। कवच सिस्टम 4.0 पर इंटरलाकिंग लगाई गई है, जिससे अगले सिग्नल रेडियो वेव व इंटरनेट के जरिए से सीधे इंजन तक पहुंचेगी। कवच 4.0 का कार्य अक्टूबर से शुरू किया जाएगा और वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे अधिकारियों ने क्या कहा? रेलवे अधिकारियों के मुताबिक अब तक कवच तकनीक मुख्य रूप से रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की टक्कर को रोकने पर केंद्रित रही है, लेकिन कवच 4.0 मानवीय भूल-चूक पर भी अंकुश लगाएगा। रेल मंडल झांसी के जनसंपर्क अधिकारी मनोज सिंह ने कहा कि धौलपुर से ग्वालियर-झांसी होते हुए बीना रेल खंड पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से युक्त कवच 4.0 प्रणाली स्थापित की जाएगी। इस पर 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी कर दी गई है और काम अक्टूबर माह में शुरू हो जाएगा।

महिला वर्ल्ड कप में चमक रही स्मृति मंधाना, बन सकती हैं 6 बड़े रिकॉर्ड की मालिक

नई दिल्ली स्मृति मंधाना इन दिनों जोरदार फॉर्म में हैं. 30 सितंबर से शुरू हो रहे महिला वनडे वर्ल्ड कप में उनका बल्ला चला तो कई कीर्तिमान बन सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई ODI सीरीज में 29 साल की मंधाना ने 3 पारियों में 300 रन (58, 117 और 125) बनाए और साबित किया कि दबाव की परिस्थितियों में भी वह बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती हैं. तीसरे ODI में अरुण जेटली स्टेडियम में उन्होंने 50 गेंदों में शतक जड़ा, जो महिला ODI में भारतीय खिलाड़ी द्वारा सबसे तेज और कुल मिलाकर मेग लैनिंग (45 गेंद) के बाद दूसरी सबसे तेज पारी है. यह मुकाबला रिकॉर्ड-ब्रेकिंग साबित हुआ, जिसमें 781 रन बने, महिला ODI का अब तक का सबसे अधिक स्कोर, और 99 चौके और 12 छक्के भी शामिल थे. मंधाना अब 13 ODI शतक के साथ सूजी बेट्स के बराबर हैं, जबकि मेग लैनिंग 15 शतकों के साथ पहले स्थान पर हैं. 2025 में उन्होंने पहले ही चार शतक जड़ दिए हैं, जो किसी कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा शतकों के रिकॉर्ड के बराबर है. वर्ल्ड कप में मंधाना के बड़े लक्ष्य – 5000 रन: महिला ODI में मंधाना को 5000 रन पूरे करने के लिए केवल 112 रन चाहिए. इस सूची में मिताली राज, शार्लोट एडवर्ड्स, सूजी बेट्स और स्टेफनी टेलर शामिल हैं. – सबसे तेज 5000 रन: मंधाना इस रिकॉर्ड को सबसे तेज बनाने वाली बल्लेबाज बनने के करीब हैं. स्टेफनी टेलर ने इसे 129 पारियों में हासिल किया था. – ओपनर के रूप में 5000 रन: मंधाना को यह रिकॉर्ड पूरा करने के लिए 137 रन चाहिए. सूज़ी बेट्स ही पहले बल्लेबाज हैं, जिन्होंने ओपनर के रूप में 5000 रन बनाए. – कैलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा रन: मंधाना को साल में सबसे ज्यादा महिला ODI रन बनाने के लिए 42 रन चाहिए. यह रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया की बेलिंडा क्लार्क के नाम है, जिन्होंने 1997 में 16 मैचों में 970 रन बनाए थे. – कैलेंडर ईयर में 1000 रन: मंधाना को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए 72 रन चाहिए. – कैलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा शतक: मंधाना को यह रिकॉर्ड बनाने के लिए सिर्फ एक शतक की जरूरत है. 2024 में उन्होंने पहले ही चार शतक जड़े थे. स्मृति मंधाना की यह शानदार फॉर्म और उनकी निगाहें महिला क्रिकेट के इतिहास में नाम दर्ज कराने पर हैं. विश्व कप में उनका प्रदर्शन सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे महिला क्रिकेट जगत के लिए रोमांचक होगा.

₹2.99 लाख में BMW की नई बाइक! सिर्फ 310 खुशकिस्मत लोग ही खरीद सकेंगे

मुंबई  बीएमडब्ल्यू मोटोराड ने भारत में अपनी लोकप्रिय एंट्री-लेवल स्पोर्ट्स बाइक BMW G 310 RR का लिमिटेड एडिशन लॉन्च किया है. यह लॉन्चिंग कंपनी के लिए बेहद खास मौके पर हुई है क्योंकि बीएमडब्ल्यू ने भारत में इस बाइक की 10,000 यूनिट्स की बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है. ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में यह उपलब्धि छोटी नहीं मानी जाती, खासकर तब जब कम्यूटर सेग्मेंट से पटे बाजार में कोई प्रीमियम ब्रांड ये आंकड़ा छुए और अपनी पकड़ बनाए रखे. बता दें कि, BMW G 310 RR भारतीय बाजार में कंपनी के पोर्टफोलियो की सबसे सस्ती बाइक है. इसके लिमिटेड एडिशन मॉडल कीमत 2.99 लाख रुपये रखी गई है. यह बाइक आज से यानी 26 सितंबर 2025 से सभी बीएमडब्ल्यू मोटोराड इंडिया डीलरशिप्स पर उपलब्ध है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका एक्सक्लूसिव डिज़ाइन है. कैसी है बाइक?  लिमिटेड एडिशन में पूरे बॉडी किट पर खास डेकल्स दिए गए हैं, जिनमें व्हील रिम्स तक को शामिल किया गया है. इसके अलावा फ्यूल टैंक पर '1/310' की खास बैजिंग भी है, जो इसे कलेक्टर्स आइटम जैसा अहसास दिलाती है. एक और ख़ास बात ये है कि, कंपनी इस बाइक के केवल 310 यूनिट्स ही बनाएगी और यह दो रंगों, कॉस्मिक ब्लैक और पोलर व्हाइट कलर में उपलब्ध होगी. यानी केवल 310 लोग ही ये स्पेशल बाइक खरीद सकेंगे.  इंजन, पावर और परफॉर्मेंस टेक्निकल स्पेसिफिकेशन्स की बात करें तो लिमिटेड एडिशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह स्टैंडर्ड वर्ज़न की तरह ही 312 सीसी वॉटर-कूल्ड, सिंगल-सिलेंडर, फोर-स्ट्रोक इंजन से लैस है. जो 34 बीएचपी की पावर और 27 न्यूटन मीटर (Nm) का टॉर्क जेनरेट करता है. इस इंजन को 6-स्पीड गियरबॉक्स से जोड़ा गया है. मिलते हैं 4 राइडिंग मोड इस बाइक में चार राइडिंग मोड्स दिए गए हैं, जिसमें ट्रैक, अर्बन, स्पोर्ट और रेन मोड शामिल हैं. ट्रैक मोड में ABS को लेट ब्रेकिंग के लिए ट्यून किया गया है, अर्बन मोड शहर के ट्रैफिक में बैलेंस्ड एक्सेलेरेशन और ब्रेकिंग देता है, स्पोर्ट मोड फुल परफॉर्मेंस और मैक्स एक्सेलेरेशन ऑफर करता है. जबकि रेन मोड गीली सड़कों पर बेहतर स्टेबिलिटी और कंट्रोल प्रदान करता है. फीचर्स भी हैं ख़ास फीचर्स की लिस्ट भी काफी प्रीमियम है. इसमें राइड-बाय-वायर सिस्टम (E-Gas), रेस-ट्यून एंटी-हॉपिंग क्लच और टू-चैनल ABS दिया गया है, जो रियर-व्हील लिफ्ट-ऑफ प्रोटेक्शन के साथ आता है. बाइक में 5-इंच TFT डिस्प्ले दिया गया है, जो सभी जरूरी जानकारी जैसे राइडिंग मोड्स, स्पीड और टेम्परेचर दिखाता है. बाइक का हार्डवेयर सस्पेंशन सेटअप में आगे अपसाइड-डाउन (USD) फोर्क और पीछे डायरेक्ट माउंटेड स्प्रिंग स्ट्रट वाला एल्यूमिनियम स्विंग आर्म मिलता है. ग्रिप और कंट्रोल के लिए स्टैंडर्ड मिशलिन पायलट स्ट्रीट रेडियल टायर्स दिए गए हैं. ग्राहकों की सुविधा के लिए कंपनी आकर्षक फाइनेंसिंग सॉल्यूशंस भी ऑफर कर रही है, जिसमें बाइक के साथ-साथ राइडर गियर और एक्सेसरीज़ भी शामिल हैं. इस बाइक पर कंपनी 3 साल की अनलिमिटेड किलोमीटर वारंटी दे रही है.  

9 साल बाद मध्य प्रदेश में प्रमोशन का रास्ता साफ, नए साल से पहले कर्मचारियों को मिलेगा तोहफा

भोपाल  मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए प्रमोशन के नए नियमों को लेकर मामला हाईकोर्ट में उलझा हुआ है. राज्य सरकार द्वारा 17 जून 2025 को जारी लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 जारी करते हुए कहा था कि पिछले 9 सालों से प्रमोशन बंद होने से सभी वर्गों के कर्मचारियों पर इसका विपरीत असर पड़ा है. कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर्ड हो रहे हैं. हाईकोर्ट में भी सरकार इस तथ्य को मजबूती से रख रही है, हालांकि इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई अब 16 अक्टूबर को होगी. माना जा रहा है कि हाईकोर्ट में इस मामले में फैसला अगले 3 माह में सुना सकती है. ऐसे में दिसंबर माह तक प्रदेश के कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिल सकता है. 2 दिन बाद कर दिए थे नियम जारी प्रदेश की मोहन सरकार ने 17 जून को प्रमोशन के नए नियमों को जारी किया और इसके 2 दिन बाद नए नियम बनाकर इसे लागू भी कर दिया. लेकिन नियम जारी करने के पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस नहीं लिया साथ ही पुराने पदोन्नति नियम का लाभ ले चुके कर्मचारियों का प्रमोशन वापस नहीं लिया गया. इसलिए सरकार के नियम लागू करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. सुनवाई के दौरान सरकार से कहा गया कि वे प्रमोशन में आरक्षण के 2002 के पुराने नियम और 2025 के नए नियमों का अंतर स्पष्ट करें. यही वजह है कि अब इस मामले को लेकर सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था यानी सपाक्स सवाल उठा रही है कि नए नियम जारी करने का मतलब है कि पुराने नियम गलत थे. तो ऐसे में इसके तहत जिन कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है, उनका डिमोशन किया जाए और फिर सीनियरटी लिस्ट तैयार करें और इसके आधार पर प्रमोशन किया जाए. सरकार नहीं रख सकी थी अपना पक्ष हालांकि मामले में 12 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान सरकार अपना पक्ष ठीक से प्रस्तुत नहीं कर सकी थी. सरकार के वकील महाधिवक्ता यह नहीं बता पाए थे कि प्रमोशन में आरक्षण के पुराने और नए नियमों में क्या अंतर है. इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएम वैद्यनाथन की सेवाएं ली हैं, लेकिन 25 सितंबर को वे कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए और इस वजह से अब कोर्ट की सुनवाई को 16 अक्टूबर तक आगे बढ़ा दिया गया है. सरकार की कोशिश है कि 9 सालों से बंद प्रमोशन जल्द शुरू हो जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है ऐसे में यदि प्रमोशन का लाभ दिया भी गया तो वह कोर्ट के अंतिम फैसले पर ही निर्भर करेगा. विभागों को अंतिम आदेश का इंतजार उधर कोर्ट का फैसला अभी नहीं आया हो, लेकिन विभागों ने प्रमोशन को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. माना जा रहा है कि प्रमोशन का लाभ प्रदेश के करीबन साढ़े 4 लाख कर्मचारियों को मिलेगा. इसके लिए कर्मचारियों की सीआर के आधार पर प्रस्ताव तैयार कर लिए हैं. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद ही इस पर कदम आगे बढ़ाए जाएंगे. माना जा रहा है कि अगले 3 माह में इस पर कोर्ट से मामला सुलझ सकता है और ऐसे में दिसंबर में कर्मचारियों को प्रमोशन मिल सकता है.  

नया टीएंडसीपी नियम: अब कॉलोनी प्लानिंग में खुला क्षेत्र छोड़ना अनिवार्य

भोपाल   भोपाल शहर की हरियाली अब और बढ़ेगी। मप्र भूमि विकास अधिनियम और कालोनी विकास की शर्तो में संशोधन के बाद ऐसा हो सकेगा। टीएंडसीपी ने शहर में ग्रीन कॉलोनी बनाने के लिए नए नियम जारी किए जा रहे हैं। अब नयी कॉलोनियों के कुल क्षेत्रफल का दस फीसदी ग्रीन व खुला स्पेस रखना होगा। यानी दस हेक्टेयर की कॉलोनी है तो वहां एक हेक्टेयर क्षेत्रफल सिर्फ पार्क व मैदान के तौर पर होगा। इसके लिए नई पॉलिसी में प्रावधान किए जा रहे हैं। अक्टूबर में ये पॉलिसी लागू होगी। कोई भी डेवलपर सिर्फ मकान, सड़क बनाकर काम पूरा नहीं कर पाएगा। कॉलोनी विकास की अनुमति देते समय ही ग्रीन एरिया का क्षेत्रफल आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। यह नियम 10 हेक्टेयर की कॉलोनी में लागू किया जाएगा। – श्रीकांत बानोट, संचालक टीएंडसीपी ऐसे समझें नए नियम -10 से 40 हेक्टेयर की कॉलोनी है तो 60 फीसदी विकसित किया जा सकेगा। -60 फीसदी विकसित किए जाने वाले क्षेत्र का 80 फीसदी आवासीय विक्रय होगा। -20 फीसदी वर्क सेंटर यानि दुकानों के तौर पर विक्रय किया जाएगा। -10 फीसदी कुल क्षेत्र का कम से कम पार्क व खुला क्षेत्र रखना होगा। -25 फीसदी क्षेत्र वनीकरण के तौर पर यानी छायादार पेड़ लगाने होंगे। -5 फीसदी क्षेत्र में सामाजिक अधोसंरचनाएं विकसित करनी होंगी। -15 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आवासीय इकाईयों में आरक्षित होंगी। शहर में अभी यह स्थिति इस समय राजधानी में 1200 से अधिक कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनमें लोगों को खुला क्षेत्र नहीं दिया गया है। गुलमोहर में ही 30 से अधिक ऐसी कॉलोनियां हैं। कोलार में सबसे अधिक परेशानी है। यहां 600 से अधिक कॉलोनियों में पार्क और खुला क्षेत्र नहीं है। बच्चों को पार्क के लिए स्वर्ण जयंती या फिर शाहपुरा जाना पड़ता है।

महाकाल मंदिर में डिजिटल बदलाव, प्रोटोकॉल दर्शनार्थियों को मोबाइल लिंक से मिलेगी दर्शन की सुविधा

उज्जैन  श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए नई ऑनलाइन व्यवस्था जल्द शुरू होने जा रही है। दर्शनार्थियों को पारंपरिक टोकन नंबर लेने की जरूरत नहीं होगी। मंदिर प्रबंध समिति प्रोटोकॉल दर्शनार्थी के मोबाइल पर लिंक भेजगी, जिसके माध्यम से वे दर्शन के लिए स्लॉट बुकिंग कर सकेंगे। नई व्यवस्था भस्म आरती की बुकिंग प्रक्रिया की तर्ज पर होगी, जिसका उद्देश्य व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और श्रद्धालुओं के लिए प्रक्रिया को सुगम बनाना है। पंजीकृत मोबाइल नंबर पर मिलेगी लिंक प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया नई व्यवस्था के तहत, प्रोटोकॉल के माध्यम से दर्शन करने के इच्छुक श्रद्धालुओं को विवरण दर्ज कराना होगा, जिसके बाद उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर लिंक प्राप्त होगी। लिंक पर क्लिक करके श्रद्धालु 250 रुपए का निर्धारित शुल्क ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। भुगतान सफल होने पर, उन्हें दर्शन के लिए तिथि और समय स्लॉट आवंटित किया जाएगा, जिसकी जानकारी भी उन्हें मोबाइल पर प्राप्त होगी। मंदिर समिति के अनुसार, इस कदम से प्रोटोकॉल दर्शन प्रणाली में हो रही अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा। पहले यह थी व्यवस्था अब तक प्रोटोकॉल के जरिए नंदी हॉल से दर्शन के लिए प्रोटोकॉल अधिकारी के मोबाइल पर सभी के नाम और फोन नंबर देना होते थे। अधिकारी उक्त नंबर पर एक टोकन नंबर भेजते थे। जब श्रद्धालु दर्शन करने मंदिर पहुंचते, तो पहले प्रोटोकॉल ऑफिस जाकर उन्हें प्रति व्यक्ति 250 की रसीद कटाना होती थी, लेकिन कुछ दिनों से टोकन प्रणाली में शिकायतें मिल रही थीं, जिनसे व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठते थे। नई लिंक-आधारित प्रणाली से प्रत्येक बुकिंग का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा, जिससे पूरी प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित और जवाबदेह बनेगी। अब भस्म आरती की तरह होगी दर्शन व्यवस्था महाकाल मंदिर में जिस तरह से भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग व्यवस्था है, जिसमें भक्तों को उनके मोबाइल पर पुष्टिकरण और लिंक प्राप्त होती है। इसी सफलता को देखते हुए अब प्रोटोकॉल दर्शन के लिए भी यही तकनीक सुविधा अपनाई जा रही है। इस नई व्यवस्था से न केवल श्रद्धालुओं का समय बचेगा, बल्कि मंदिर प्रबंधन के लिए भी दर्शनार्थियों की संख्या का प्रबंधन करना अधिक आसान हो जाएगा।

मैहर को मिलेगी सीवरेज समस्या से राहत, जल्द पूरी होगी परियोजना, 75 हजार लोग होंगे लाभान्वित

 मैहर नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी द्वारा एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से माता शारदा की नगरी मैहर में सीवरेज परियोजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। यह परियोजना शहर के समग्र विकास के साथ जनस्वास्थ्य में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। परियोजना के अंतर्गत 15 हजार से अधिक घरों को सीवरेज नेटवर्क से जोड़े जाने का कार्यक्रम है, जिससे लगभग 75 हजार से अधिक की आबादी को सीधा लाभ पहुंचेगा। इसके साथ ही मैहर में माता शारदा दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुजन भी इस सुविधा से लाभान्वित होंगे। इस परियोजना से शहर की स्वच्छता और पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव आएगा। एशियन डेवलपमेंट बैंक की 160 करोड़ 34 लाख रुपये लागत वाली परियोजना में 10 वर्षों के संचालन और संधारण की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। शहर में करीब 130 किलोमीटर सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है, इसमें से अब तक 104 किलोमीटर लाइन का कार्य पूरा हो चुका है। कार्य की तेज गति को देखते हुए यह अनुमान है कि शेष कार्य भी तय समय-सीमा में पूरा होगा। परियोजना के पूर्ण होने पर न सिर्फ मल-जल के शोधन की आधुनिक व्यवस्था सुदृढ़ होगी, बल्कि इससे जल जनित बीमारियों में कमी, स्वास्थ्य में सुधार और सड़कों व नालियों की स्वच्छता सुनिश्चित होगी। नालियों में गंदा पानी बहने की समस्या समाप्त होगी और वातावरण अधिक स्वच्छ व सुरक्षित बन सकेगा। यह सीवरेज परियोजना स्वच्छ भारत मिशन और सतत नगरीय विकास की दिशा में एक ठोस पहल है, जो मैहर को एक आधुनिक, स्वच्छ और स्वस्थ नगरी के रूप में विकसित करने में सहायक सिद्ध होगी।  

बाघों की छठी गिनती में मध्य प्रदेश करेगा कमाल, अन्य राज्यों के एक्सपर्ट्स ने दिया उच्च दर्जा

भोपाल  टाइगर स्टेट मप्र अब 6वीं बार बाघों की गिनती (अखिल भारतीय बाघ आकलन) के लिए तैयार है। उसके पहले विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदेश में 1000 से अधिक बाघ है। यदि अनुमान सही साबित होता है तो मप्र टाइगर स्टेट का दर्जा बचाने में सफल होगा और कर्नाटक जैसे राज्यों को और मेहनत करनी पड़ सकती है। अभी प्रदेश में 785 बाघ है, यह संया वर्ष 2022 में हुए अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट में सामने आई थी। अब यह आकलन वर्ष 2026 में होना है। पांच राज्यों के विशेषज्ञों ने पेंच में किया मंथन बाघों का आकलन करने से पहले देशभर में इसकी तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण इसका नेतृत्व कर रहा है। उसी के नेतृत्व में वन्यजीव संस्थान देहरादून में बीते महीने राष्ट्रीय स्तर की बैठक हो चुकी है। इसके बाद मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में कार्यशाला हुई है, जिसमें पांच राज्यों के विशेषज्ञ जुटे थे। इनके बीच बाघों के आकलन से जुड़ी तैयारियों को लेकर बिंदुवार चर्चा हुई और तैयारियों में की जाने वाली सुधारात्मक प्रक्रिया पर बातचीत हुई। 2026 में शुरू होगी बाघों की गिनती बाघों (Tigers in MP) का आकलन 2026 में होगा। यह रिपोर्ट काफी अध्ययन व सत्यापन के बाद ही जारी होती है। ताकि आंकड़ों में कोई दोहरा व छूट न हो। इस पूरी प्रक्रिया को करने में लंबा समय लग जाता है। साक्ष्यों से मिलान के बाद ही फाइनल रिपोर्ट का प्रकाशन शासन के द्वारा किया जाता है। 2027 में आएगी रिपोर्ट बाघ आकलन 2026 की रिपोर्ट एक साल बाद जुलाई 2027 में आएगी, जो विश्व बाघ दिवस पर जारी की जाएगी। हर बार इस दिन रिपोर्ट जारी की जाती रही है। हालांकि तब प्राथमिक रिपोर्ट ही जारी होगी, विस्तृत रिपोर्ट आने में और एक से डेढ़ वर्ष लग जाएंगे। वनाधिकारियों का कहना है कि बाघ आंकलन की प्रक्रिया बहुत जटली है, इसमें कई स्तर पर साक्ष्य जुटाने पड़ते हैं। सभी साक्ष्यों का अध्ययन बड़ी चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है, फिर उसे दूसरे अन्य साक्ष्यों से मिलान करना पड़ता है। मप्र में सबसे अच्छे रहवास स्थल प्रदेश में बाघों के लिए सबसे अच्छे और अनुकूल रहवास स्थल है। इसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगल सबसे आगे रहे हैं, जिसकी पुष्टि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भी अपनी विभिन्न रिपोर्टों में कर चुका है। रिजर्व की संया भी बढ़ी है। कुछ सामान्य वन क्षेत्रों में भी बाघों की मौजूदगी दिखाई दे रही है। इन सबकुछ आधार पर कहा जा सकता है कि 2022 में जब 785 बाघ थे तो इनकी संया अब तक बढ़कर 1000 तक पहुंच जानी चाहिए। – आरके दीक्षित, वन्यप्राणी विशेषज्ञ