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जीरो पेंडेंसी माह में बेहतरीन दावा निस्तारण के लिए मप्र को बड़े राज्यों में पहला स्थान

जीरो पेंडेंसी माह में दावा निस्तारण में उत्कृष्ट कार्य पर मध्यप्रदेश को बड़े राज्यों की श्रेणी में मिला प्रथम पुरस्कार भोपाल में संपन्न हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2.0 और एबीडीएम 2.0 पर गहन विचार-विमर्श भोपाल  राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा 15 और 16 अक्टूबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और भविष्य की रणनीति निर्धारित करने पर विमर्श किया गया। इस अवसर पर एनएचए के सीईओ डॉ. सुनील कुमार बर्णवाल, मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव  अनुराग जैन, एबीडीएम मिशन निदेशक  किरण गोपाल वास्का, संयुक्त सचिव (पीएम-जेएवाई) सु ज्योति यादव, तथा विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे। बैठक में एनएचए की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की बेस्ट प्रैक्टिसेज बुकलेट जारी की गई। इस रिपोर्ट में पीएम-जेएवाई और एबीडीएम के अंतर्गत हुई उपलब्धियों, नवाचारों और डिजिटलीकरण के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में आए सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाया गया। एनएचए के सीईओ डॉ. बर्णवाल ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य एकीकरण भारत के स्वास्थ्य ढांचे को नई दिशा दे रहा है। आयुष्मान भारत अब तक 45 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर चुका है। पीएम-जेएवाई 2.0 और एबीडीएम 2.0 के माध्यम से राज्यों की सहभागिता इस अभियान को नई गति देगी।बैठक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित किया गया। ‘जीरो पेंडेंसी माह’ के दौरान दावा निस्तारण में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मध्यप्रदेश को बड़े राज्यों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ को दूसरा और उत्तराखंड को तीसरा स्थान मिला। मुख्य सचिव  अनुराग जैन ने कहा कि राज्यों को स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, मध्यप्रदेश के सीईओ डॉ. योगेश भरसट ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए राज्य की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश ने न केवल दावा निस्तारण में गति प्राप्त की है, बल्कि डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के सफल एकीकरण में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने एम्स भोपाल का दौरा कर वहां मरीजों की पूर्ण डिजिटल यात्रा — ऑनलाइन पंजीकरण, ई-प्रिस्क्रिप्शन, डिजिटल भुगतान आदि प्रक्रियाओं — का अनुभव किया। साथ ही, ‘सेहत सेतु’ कॉल सेंटर का निरीक्षण कर शिकायत निवारण और हेल्थ कोऑर्डिनेशन प्रणाली की सराहना की।   

डॉक्टर मरीजों से करें सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार, समय का करें पालन : उप मुख्यमंत्री शुक्ल

चिकित्सक समय का पालन और मरीजों से करें संवेदनशील व्यवहार : उप मुख्यमंत्री  शुक्ल अस्पतालों में स्वच्छता और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जिला चिकित्सालय सीधी का किया निरीक्षण भोपाल उप मुख्यमंत्री  राजेंद्र शुक्ल ने जिला चिकित्सालय सीधी का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सेवाओं एवं अस्पताल की व्यवस्थाओं का मुआयना किया। उन्होंने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से संवाद कर उपचार सेवाओं को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि समाज में चिकित्सकों को भगवान का दर्जा प्राप्त है, इसलिए मरीजों के प्रति उनका व्यवहार भी संवेदनशीलता एवं सेवा भाव से परिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी डॉक्टर एवं स्टाफ समय का पालन करते हुए मरीजों को समर्पित भाव से उपचार प्रदान करें। इमरजेंसी कक्ष में निर्धारित ड्यूटी के अनुसार डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की सतत उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीधी जिला चिकित्सालय में 100 बिस्तरीय एमसीएच विंग प्रारंभ होने से अस्पताल की क्षमता 300 से बढ़कर 400 बिस्तरों तक हो गई है, जिसके लिए पर्याप्त मानव संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि 16 करोड़ रुपये की लागत से क्रिटिकल केयर हेल्थ ब्लॉक का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है, वहीं आईपीएचएल लैब का निर्माण फरवरी 2026 तक पूर्ण होने की संभावना है, जिससे जिलेवासियों को 136 प्रकार की जांचों की सुविधा एक ही स्थान पर प्राप्त होगी। उन्होंने जिले में आउटसोर्स भर्ती प्रक्रिया की जटिलताओं को दूर कर इसे शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश भी दिए। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के निर्देश देते हुए कहा कि समय पर पंजीयन एवं नियमित जांचें अनिवार्य रूप से की जाएं जिससे हाई रिस्क गर्भवती माताओं की पहचान समय से हो सके। प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को आयोजित जांच शिविरों में महिला विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा समुचित परीक्षण सुनिश्चित किया जाए। उप मुख्यमंत्री ने अस्पताल परिसर में स्वच्छता व्यवस्था, साफ-सफाई तथा आवश्यक दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कमी शीघ्र पूरी की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश का प्रत्येक नागरिक समय पर गुणवत्तापूर्ण एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करे। उन्होंने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार निरंतर ठोस कदम उठा रही है। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने जिला चिकित्सालय में अधोसंरचना और उपकरणों के लिए अन्य मदो से राज्य शासन से प्राप्त राशि के उपयोग की पारदर्शी जांच के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिए। अस्पताल प्रबंधन में पाई गई कमियों पर आवश्यक सुधार तत्काल करने के निर्देश दिए। उन्होंने सिविल सर्जन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए कि उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए शासन की मंशानुसार उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं आमजन को उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही या उदासीनता स्वीकार नहीं की जाएगी। सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, विधायक मती रीती पाठक एवं  देवकुमार सिंह चौहान सहित उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए सुझाव भी प्रस्तुत किए।  

एक IPS अफसर के राज़: 50 से अधिक प्रॉपर्टी डीड, लॉकर की चाबियां और करोड़ों के दस्तावेज बरामद

पंजाब  पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के फार्महाउस से अकूत दौलत की बरामदगी और उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरा डिपार्टमेंट सवालों के घेरे में है। 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी ने आखिर इतनी दौलत कैसे जमा की? इसका एक ही जवाब है जबरदस्त भ्रष्टाचार। आईपीएस भुल्लर की कोठी से कम से कम 50 संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं जो कि उनके परिवार या फिर करीबियों के नाम पर हैं। इसके अलावा साढ़े सात करोड़ कैश, ढाई किलो सोना, 26 लग्जरी घड़ियां जिनमें रोलेक्स और राडो शामिल हैं। चार हथियार और 100 जिंदा कारतूस भी उनके ठिकाने से मिली हैं। कई बैंक अकाउंट और लॉकर की चाबियां आईपीएस भुल्लर के कई लॉकर की चाबियां और अकाउंट्स की डीटेल भी सीबीआई को मिली है। लुधियाना के पास समराला स्थिति भुल्लर के फार्महाउस से 5.7 लाख रुपये और शराब की 108 बोतलें मिलीं। इसके अलावा भुल्लर की मदद करने वाले और बिचौलिये का काम करने वाले किरशानू शारदा के पास से 21 लाख रुपये और कई संदिग्ध दस्तावेज पाए गए हैं। भुल्लर और किरशानू दोनों को 31 अक्टूबर तक की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। आईपीएस भुल्लर पर आरोप है कि उन्होंने एक शख्स की एफआईआर हटवाने के लिए 4 लाख रुपये रिश्वत और हर महीने निश्चित रकम देने की मांग की थी। इसके बाद उन्होंने ही यह रिश्वत बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी। 16 अक्टूबर को एक ऑडियो टेप के आधार पर भुल्लर और किरशानू को गिरफ्तार किया गया था। शारदा को पांच लाख रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। शारदा ने कबूल किया कि वह भुल्लर के लिए ही यह रिश्वत लेता है। एक कॉल रिकॉर्ड की गई थी जिसमें भुल्लर किरशानू से कह रहे थे कि बाकी की रकम भी लेकर उनके ऑफिस पहुंचा दें। भुल्लर ने वॉट्सऐप कॉ पर किरशानू से कहा, 8 फड़ने ने 8, जिना देंदा नाल नाल फड़ी चल, ओहनू केहदे 8 कर दे पूरा। बाद में शारदा ने शिकायतकर्ता से कहा, एद्दा कहना पता की है, कहंदा है अगस्त दा नहीं आया, सितंबर दा नहीं आया। बाद में वेरिफाई किया गया कि बातचीत के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल नंबर आईपीएस भुल्लर का ही है।  

मंत्री टेटवाल ने खरीदे स्थानीय दीये, दिया वोकल फॉर लोकल का सशक्त संदेश

मंत्री  टेटवाल ने स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए दियों को खरीद कर वोकल फॉर लोकल का दिया संदेश हर घर जले स्वदेशी दीप : मंत्री  टेटवाल भोपाल कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  गौतम टेटवाल ने राजगढ़ जिले के सारंगपुर में दीपावली के लिए स्थानीय बाजार से कुम्हारों द्वारा बनाए गए स्वदेशी दीयों और सजावटी सामग्री की खरीदारी की। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे दीपावली पर अपने घर में स्वदेशी दीप जलाएं। मंत्री  टेटवाल ने कहा कि वोकल फॉर लोकल अभियान आत्मनिर्भर भारत की दिशा में जन-आंदोलन का रूप ले चुका है और यह हर भारतीय को प्रेरित करता है कि वह स्वदेशी वस्तुओं को अपनाए और स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाए। मंत्री  टेटवाल ने कहा कि दीपावली हमारे खुशियों का पर्व है और इस अवसर पर स्थानीय व्यापारियों की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय दुकानदार सिर्फ व्यवसायी नहीं, बल्कि समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। वे हर त्यौहार, हर संकट और हर खुशी में हमारे साथ खड़े रहते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि उनकी दीपावली को प्रकाशोत्सव में बदलें और हर घर में स्वदेशी की पहचान कायम करें। मंत्री  टेटवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे स्थानीय कारीगर और व्यापारी मजबूती से अपनी कला और व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें। सारंगपुर जैसे नगरों में यह पहल वोकल फॉर लोकल के संदेश को और प्रभावी बनाएगी। हर घर को आत्मनिर्भर भारत की भावना को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ने की भावना को मजबूत करेगी।उन्होंने कहा कि स्वदेशी दीयों, सजावटी सामग्री और उपहारों की खरीदी से न केवल स्थानीय व्यापारियों को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। उन्होंने सभी से अपील की कि हर घर में स्वदेशी दीप जलाकर आत्मनिर्भर भारत की भावना को जीवंत करें और दीपावली के पर्व को खुशियों और समृद्धि से सजाएं। व्यापारियों ने मंत्री  टेटवाल के इस कदम का स्वागत किया।  

नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा क्यों की जाती है? पूरी जानकारी

सनातन धर्म में हर त्यौहार का खास धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है. साल भर में कई व्रत और त्यौहार पड़ते हैं. इन्हीं में शामिल है नरक चतुर्दशी. नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. ये त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाता है. यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक की विजय का माना जाता है. इतना ही नहीं यह दिन जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों को भी याद दिलाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इस दिन यमराज की पूजा का महत्व क्यों है? यमराज की पूजा का महत्व नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज विशेष रूप से पूज्यनीय होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा और उनका स्मरण करने से मृत्यु का भय कम होता है. साथ ही जीवन में दीर्घायु तथा समृद्धि आती है. नरक चतुर्दशी सिर्फ यमराज की पूजा करने तक सीमित नहीं है. यह त्यौहार जीवन की सुरक्षा, परिवार की रक्षा और मानसिक शांति का भी प्रतीक माना जाता है. आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है इस दिन यमराज की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. यही कारण है कि इस दिन यमराज की विशेष रूप से पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय गेहूं के आटे से एक दीपक बनाना चाहिए. फिर चार छोटी-बड़ी बत्तियां तैयार करके दीपक में रखनी चाहिए. दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना चाहिए इसके बाद दीपक में सरसों का तेल डालकर उसके चारों ओर गंगाजल छिड़कना चाहिए. फिर दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर जलाना चाहिए. दीपक के नीचे थोड़ा अनाज जरूर रखना चाहिए. इस विधि से दीपक जलाने पर घर में अकाल मृत्यु टल जाती है. मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है. परिवार में खुशहाली आती है.

धनतेरस विशेष: जब मां लक्ष्मी ने चुना एक साधारण किसान का घर

हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। साथ ही, इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन भी विधिपूर्वक किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहती है। धनतेरस से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं। यदि घर स्वच्छ और दीपों से प्रकाशित हो, तो देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसमें वास करती हैं और घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। इसी कारण लोग इस दिन घर की साफ-सफाई करते हैं और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। धनतेरस की कथा प्राचीन काल की बात है। एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने की इच्छा प्रकट की। जब वे चलने लगे, तो मां लक्ष्मी ने भी निवेदन किया, "प्रभु! मैं भी आपके साथ पृथ्वी पर जाना चाहती हूं।" भगवान विष्णु मुस्कराए और बोले, "देवी, यदि तुम मेरे साथ चलना चाहती हो तो एक शर्त है, तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करना होगा।" माता लक्ष्मी ने सहर्ष यह शर्त स्वीकार कर ली। दोनों पृथ्वी लोक की ओर प्रस्थान कर गए। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु को दक्षिण दिशा की ओर जाने की इच्छा हुई। उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा, "देवी, आप यहीं ठहरें। मैं थोड़ी देर में लौटता हूं।" परंतु माता लक्ष्मी, सौंदर्य और आकर्षण की देवी, वहां न रुकीं और चुपचाप प्रभु के पीछे-पीछे चल दीं। रास्ते में उन्हें एक सुंदर सरसों का खेत दिखाई दिया। खेत की हरियाली और पीले-पीले फूलों ने माता का मन मोह लिया। वे वहां रुकीं, सरसों के फूलों से श्रृंगार किया और पास में लगे गन्ने का रस पीया। यह दृश्य जब भगवान विष्णु ने देखा, तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा, "तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है। इसलिए तुम्हें दंड मिलेगा। अब तुम्हें बारह वर्षों तक इस किसान के घर निवास करना होगा।" भगवान का वचन सत्य हुआ। मां लक्ष्मी को बारह वर्षों तक उसी किसान के घर रहना पड़ा। परंतु जहां लक्ष्मी का वास हो, वहां दरिद्रता कैसे टिक सकती है? देखते ही देखते वह गरीब किसान धन-धान्य से भर गया। उसका घर संपन्नता से चमक उठा। बारह वर्ष पूरे होने पर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को वापस ले जाने आए। लेकिन किसान मां लक्ष्मी को छोड़ने को तैयार नहीं था। तब माता लक्ष्मी ने उसे प्रेमपूर्वक समझाया, "पुत्र! मैं वर्ष में एक दिन तुम्हारे घर जरूर आऊंगी। यदि तुम कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन अपने घर को स्वच्छ रखोगे, दीपक जलाओगे, और श्रद्धा से मेरा पूजन करोगे, तो मैं सदा तुम पर अपनी कृपा बनाए रखूंगी।" किसान ने माता की बात मानी और विधिपूर्वक पूजन किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि धनतेरस के दिन घर की सफाई की जाती है, दीप जलाए जाते हैं और माता लक्ष्मी का पूजन कर संपत्ति, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।

देश में उत्कृष्ट कार्यान्वयन के साथ मप्र बना आदि कर्मयोगी अभियान का अग्रणी राज्य

आदि कर्मयोगी अभियान के उत्कृष्ट क्रियान्वयन में मप्र का देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मध्यप्रदेश को किया सम्मानित भोपाल राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु नेनईदिल्ली के विज्ञान भवन में आदि कर्मयोगी अभियान पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश को सम्मानित किया। प्रदेश के प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य श्री गुलशन बामरा ने म.प्र. के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार ग्रहण किया। उन्होंने जनजातीय समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयासों पर प्रस्तुति दी। मध्यप्रदेश को आदि कर्मयोगी अभियान के क्रियान्वयन में देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रथम पांच राज्यों में स्थान मिला है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा आदि कर्मयोगी अभियान जनजाति समुदायों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रारंभ किया गया। इसका उद्देश्य जनजाति क्षेत्र में ग्राम स्तर पर नेतृत्व क्षमता का विकास करना, योजनाओं का प्रभावी अमल सुनिश्चित करना और शासन को और ज्यादा जवाबदेह बनाना है। यह अभियान सेवा, संकल्प और समर्पण जैसे मूल्यों पर आधारित है जो जनजातीय समाज को आत्मनिर्भर जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। प्रमुख सचिव जनजाति कार्य श्री गुलशन बामरा ने मध्य प्रदेश में जनजातीय विकास की स्थिति की पर जानकारी देते हुए कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान में 1 लाख 41 हजार आदि सहयोगी काम कर रहे हैं। इसके साथ एक लाख 92 हजार आदि साथी और 1210 अशासकीय संगठन जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसका लक्ष्य तीन लाख चेंज लीडर्स तैयार करना है जो निचले स्तर पर जनजातीय विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद कर रहे हैं। जनजातीय बंधुओं की मदद के लिए 13,000 आदि सेवा केंद्र बनाए गए हैं। जनजाति क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शाला छोड़ने वाले बच्चों पर निगरानी रखी जा रही है। वर्तमान में माता शबरी आवासीय बालिका शिक्षा कंपलेक्स, हॉस्टल, आदर्श आवासीय स्कूल, एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल, आश्रम स्कूल, खेल परिसर मिलाकर 2,913 संस्थाएं संचालित है जिनमें 2 लाख 30 हजार विद्यार्थियों के रहने की क्षमता है। विद्यार्थियों के कौशल विकास पर भी विशेष सत्र आयोजित किए गए। मलेरिया, टीबी, एनीमिया की रोकथाम के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। इस साल जून से लेकर सितंबर तक सिर्फ तीन माह में 81000 से ज्यादा आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए। मातृत्व सुरक्षा के लिए भी विशेष पहल की गई। इसके अलावा नौ हजार से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य स्वास्थ्य केंद्र में टेलीमेडिसिन सेवाओं का संचालन किया गया। स्व-सहायता समूहों का गठन कर उन्हें रोजगार निर्माण एवं आजीविका की गतिविधियों से जोड़ा गया है। उन्हें आर्थिक गतिविधियां शुरू करने के लिए साख सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। पीएम जनमन योजना के अंतर्गत हितग्राही मूलक योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश में उत्कृष्ट कार्य हुआ है। आधार कार्ड, जनधन बैंक खाता, आयुष्मान कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराने में 100% उपलब्धि हासिल की है। आयुष्मान कार्ड जारी करने में शिवपुरी, मैहर, रायसेन, कटनी और भिंड ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। पीएम जनमन में शिवपुरी को भी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। आदि कर्मयोगी अभियान में देश स्तरीय उत्कृष्ट जिलों में मध्यप्रदेश के बैतूल जिले को सम्मानित किया गया। प्रदेश की उत्कृष्ट मास्टर ट्रेनर श्रेणी में सहायक शोध अधिकारी श्रीमती सारिका धौलपुरिया सम्मानित की गई। आदि कर्मयोगी अभियान में अन्य उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों में बैतूल, धार, पूर्वी निमाड़ और बड़वानी का विशेष उल्लेख किया गया। राज्य स्तरीय सुपर कोच और मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रदेश के उपायुक्त आदिवासी विकास श्री जेपी यादव को भी सम्मानित किया गया। एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसियों बड़वानी, बैतूल और शिवपुरी को उल्लेखनीय गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए सम्मानित किया गया। धरती आबा जन भागीदारी अभियान में गुना, बुरहानपुर और विदिशा को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी गुना और एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी विदिशा को उत्कृष्टतम प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि आदि कर्मयोगी अभियान में 14 हजार गांवों के विलेज एक्शन प्लान बन चुके हैं। ग्राम सभा से इनका अनुमोदन कराया गया है। इन गांवों में 13 हजार से ज्यादा आदि सेवा केंद्र स्थापित हो चुके हैं। आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान, जन धन, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, राशन कार्ड जैसे आवश्यक दस्तावेज जारी किए गए है।  

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट घोटाले पर खुद लिया संज्ञान, सरकारों से मांगा जवाब

नई दिल्ली देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामलों पर अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार (MHA सेक्रेटरी), सीबीआई, हरियाणा सरकार और अंबाला के साइबर क्राइम विभाग को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों के फर्जी हस्ताक्षरों के साथ जारी किए गए फर्जी न्यायिक आदेश न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास की नींव को हिला देते हैं। यह कार्य न केवल कानून के शासन पर हमला है बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा प्रहार भी है। वरिष्ठ नागरिक दंपति की शिकायत से शुरू हुआ मामला यह कार्रवाई उस शिकायत के बाद हुई जिसमें एक वरिष्ठ नागरिक दंपति से पिछले महीने डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए उनकी जीवनभर की बचत ठगी गई थी। इस गंभीर घटना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस पर संज्ञान लिया। जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार और अंबाला साइबर क्राइम के एसपी से अब तक हुई जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के साइबर अपराधों पर सख्त कदम जरूरी हैं ताकि लोगों का भरोसा डिजिटल व्यवस्था पर बना रहे।

खेलों से मिलता है अनुशासन और जीवन जीने का सलीका : उदय प्रताप सिंह

खेल हमें जीवन को अनुशासित होकर जीने की प्रेरणा देता है : मंत्री उदय प्रताप   सिंह राज्य स्तरीय शालेय व्हॉलीबॉल प्रतियोगिता का समापन भोपाल स्कूल शिक्षा मंत्री  उदय प्रताप सिंह ने कहा है कि खेल हमें अपने जीवन को अनुशासित होकर जीने की प्रेरणा देता है। अनुशासित व्यक्ति ही आगे बढ़कर देश सेवा का काम करता है। उन्होंने प्रतियोगिता में शामिल बच्चों से कहा कि खेल के क्षेत्र में भी अच्छी संभावनाएँ हैं। यहाँ पर भी कॅरियर बनाया जा सकता है। मंत्री  सिंह शुक्रवार को नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में 69वीं राज्य स्तरीय शालेय व्हॉलीबॉल क्रीड़ा प्रतियोगिता के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। समापन समारोह में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्यमंत्री  नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने कहा कि विद्यार्थी अपने मन को एकाग्र कर लक्ष्य पर केन्द्रित करें, तो सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने बच्चों से प्रतियोगिता में खेल भावना के साथ शामिल होने की अपील की। अतिथियों ने विजेता और उप विजेता टीम सहित उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया।  

भूमि खरीद-फरोख्त में बड़ी राहत: साय सरकार ने ऋण पुस्तिका अनिवार्यता खत्म की

रायपुर जमीन से जुड़ी अगर रत्ती भर की भी कभी आपने कोई कार्रवाई की होगी, या कभी किसी किसान या जमीन के कारोबारी से पाला पड़ा हो तो आपको ऋण पुस्तिका की अहमियत अच्छे से पता है. इसको लेकर अच्छी यादें कम, बुरी यादें ज्यादा होंगी. अब साय सरकार ने ऐतिहासिक और दूरगामी फैसला लेते हुए जमीन की खरीदी-बिक्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त कर दी है. पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक महानिरीक्षक कार्यालय द्वारा प्रदेश के तमाम जिला पंजीयकों को ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करने के संबंध में पत्र जारी किया है. इसमें पंजीयकों से अधीनस्थों को जमीन की खरीदी-बिक्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यकता समाप्त किए जाने के संबंध में निर्देशित करते हुए इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने कहा गया है. किसानों-जमीन मालिकों की समस्या को इंगित करते हुए पत्र में लिखा गया है कि कृषि भूमि के राजस्व अभिलेख की प्रविष्टियों का इंद्राज कर किसानों को ऋण पुस्तिका जारी की जाती है. इसके अलावा किसानों को समय समय पर दिए जाने वाले ऋण, बंधक आदि का रिकार्ड भी ऋण पुस्तिका में दर्ज किया जाता है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में राजस्व अभिलेख ऑनलाइन कर दिए गए हैं, तथा भूमि पर भारित ऋण की प्रविष्टि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती है. राजस्व अभिलेखों के गिरदावरी संबंधी रिकार्ड ऑनलाईन अद्यतन होते हैं जो ऋण पुस्तिका में अद्यतन नहीं हो पाते हैं. पंजीयन अधिकारियों के द्वारा रजिस्ट्री के समय ऑनलाइन प्रविष्टियों से डाटा मिलान किया जाता है, दस्तावेज में शुल्क अवधारण के या पंजीयन के उद्देश्य से ऋण पुस्तिका की कोई विशेष प्रासंगिता नहीं होती हैं. पंजीयन अधिकारियों के लिए ऋण पुस्तिका के तथ्यों की सत्यता जांचने का कोई प्रावधान नहीं है. प्रायः यह देखने में आया है कि भौतिक ऋण पुस्तिका की कमी अथवा अन्य कारणों से क्रेता किसानों को जमीन खरीदी-बिक्री के बाद नई ऋण पुस्तिकाएं समय पर नहीं मिल पाती हैं. इससे पक्षकारों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है तथा शासन की छवि भी खराब होती हैं. प्रदेश में दस्तावेजों का ऑनलाईन पंजीयन वर्ष 2017 से किया जा रहा है, तथा भुईयां से किसानों को नक्शा खसरा व बी-1 की प्रति भी ऑनलाइन प्राप्त हो रही है. विक्रेता के स्वामित्व के वेरिफिकेशन हेतु पंजीयन साफ्टवेयर का भुईया के साथ इंटीग्रेशन किया गया है, जिससे पंजीयन के समय दस्तावेज में वर्णित तथ्यों का राजस्व विभाग के डाटा से ऑनलाइन मिलान होने पर पंजीयन की कार्रवाई की जाती है. शासन द्वारा राजस्व विभाग के साफ्टवेयर में ऑटो म्यूटेशन का प्रावधान किया गया है. जिसके तहत् भूमि के पंजीयन के साथ ही स्वतः खसरे का बटांकन होकर नवीन बी-1 जनरेट हो जाता है, जिसमें क्रेता एवं विक्रेता के पास धारित भूमि की जानकारी स्वतः अद्यतन हो जाती है. प्रदेश में भूमि के पंजीयन से लेकर अन्य कार्य ऑनलाईन हो रहे हैं, जिसके तहत् पंजीयन प्रणाली को पेपरलेस भी किया गया है। भुईयां पोर्टल पर भूमि का बी-1, खसरा एवं नक्शा आदि ऑनलाइन उपलब्ध है, और मान्य भी है. अतः अब भौतिक रूप से प्रदाय की जा रही ऋण पुस्तिका या किसान किताब की पंजीयन हेतु आवश्यकता नहीं है. अतः दस्तावेजों के पंजीयन के लिए किसानों / पक्षकारों से ऋण पुस्तिका की मांग न की जाए. भूमि के स्वामित्व फसल विवरण एवं पंजीयन हेतु प्रासंगिक अन्य तथ्यों की पुष्टि ऑनलाइन डाटा से अनिवार्य रूप से किया जाए.