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पंजाब के CM का वार: जब युद्ध रोक सकते हैं, तो पराली का धुआं क्यों नहीं?

चडीगढ़  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पराली जलाने से फैलने वाले धुएं के विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने तं भरे लहजे में कहा कि अगर प्रधानमंत्री, दुनिया भर की जंगों को रुकवा सकते हैं और विश्व गुरु की छवि मजबूत कर रहे हैं, तो पराली का धुआं रोकने में भी क्या दिक्कत है? वे उन सभी राज्यों की बैठक बुला लें जहां यह समस्या प्रबल है, जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान। हम सब अपनी राय रखेंगे, उनके सुझावों पर अमल करेंगे और धुएं की समस्या का स्थायी समाधान निकाल लेंगे। किसानों को बदनाम न करें। प्रधानमंत्री जी कोई वैकल्पिक उपाय या सिफारिश तो पेश करें। दिल्ली में सिर्फ पंजाब का धुआं क्यों? इस दौरान मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली में केवल पंजाब का धुआं ही पहुंचता है, हरियाणा का नहीं? उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के एक जज के रिटायरमेंट भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पराली के धुएं को हमेशा पंजाब से जोड़ा जाता है। लेकिन धुएं को दिल्ली तक पहुंचने के लिए हवाओं को उत्तर से दक्षिण की ओर बहना चाहिए, जो वास्तव में नहीं हो रहा। अभी तो हमारे यहां 70-80 प्रतिशत फसल कटाई भी बाकी है। जब आग लगाई ही नहीं गई, तो धुआं कैसे दिल्ली पहुंच गया? हरियाणा, जो पंजाब से दिल्ली के करीब है, उसका धुआं क्यों नहीं दिखता? क्या धुएं को पता है कि कनॉट प्लेस से आगे न जाएं? यह सब राजनीतिक साजिश है, हमें बदनाम करने की चाल। 'प्रधानमंत्री रैली के साथ-साथ हैं, वोटर खुद बना लेंगे' भगवंत मान ने यमुना नदी की सफाई पर भी चुटकी ली कि पीएम मोदी के रहते यमुना साफ नहीं हो पा रही। उन्होंने तो अपनी अलग 'मोदी यमुना' ही बना ली है। यमुना को छोड़िए, मोदी जी तो वोटरों को भी अपने बना रहे हैं, लोगों की जरूरत ही क्या बची? वे 'रैली प्रधानमंत्री' भी हैं और सच्चे प्रधानमंत्री भी। जब किसी राज्य में चुनाव आता है, तो वे वहां जाकर कैंप कर लेते हैं। फिलहाल उनकी सक्रियता बिहार में ज्यादा दिख रही है। लेकिन जहां वास्तविक जरूरत है, वहां जाने का समय उनके पास नहीं। प्रधानमंत्री का शेड्यूल तो पीएमओ को संभालना चाहिए।

4 टन चीनी केकड़े जब्त! ताइवान की एजेंसी ने खोला बड़ा राज, जानें क्या मिला जांच में

ताइवान  ताइवान के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (TFDA) ने लैब टेस्ट में प्रतिबंधित पशु चिकित्सा दवा के अवशेष मिलने के बाद चीन से आयातित एक बड़ी मात्रा के मिटन केकड़ों को जब्त कर लिया है, जिससे चीन से खाद्य पदार्थों के आयात की गुणवत्ता पर फिर से सवाल उठ गए हैं। फोकस ताइवान के मुताबिक, यह जब्त खेप कुल 3915 किलोग्राम वजनी थी, जो ताओयुआन की कंपनी रुइहेंग इंटरनेशनल ट्रेड द्वारा मंगाई गई थी। टेस्ट में सल्फाडायज़ीन नामक एंटीबायोटिक का 0.04 भाग प्रति मिलियन (ppm) स्तर पाया गया, जो ताइवान के खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार क्रस्टेशियन उत्पादों में निषिद्ध है। TFDA के उत्तरी क्षेत्रीय प्रबंधन केंद्र के डायरेक्टर लियू फांग-मिंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अधिकारियों ने इस बैच को या तो नष्ट करने या निर्यातक को वापस भेजने का निर्देश जारी किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि समुद्री भोजन में एंटीबायोटिक अवशेषों के लंबे संपर्क से एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है, जो चिकित्सा उपचारों की कारगरता को प्रभावित कर सकती है। इस वर्ष चीन से आए तीन मिटन केकड़ों के बैचों में यह पहला मामला है। ताइवान ने 2007 से चीनी मिटन केकड़ों पर 100 प्रतिशत जांच का नियम कायम रखा है, जिसमें नशीली दवाओं के अवशेष, डाइऑक्सिन और पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल (PCB) की जांच शामिल है। 2024 में 31 बैचों की जांच हुई, जिसमें से एक शिपमेंट को डाइऑक्सिन की अधिकता के कारण पहले ही खारिज कर दिया गया था। TFDA ने यह भी बताया कि ये दूषित केकड़े हाल ही में सीमा पर चिह्नित 11 आयातित खाद्य उत्पादों में से एक थे। इनमें जापान से आयातित खरबूजे, इंडोनेशिया से मछली केक, चीन से मूली की पत्तियां और मलेशिया से सलाद पत्र शामिल हैं, जो सभी सुरक्षा जांचों में फेल हो गए।

प्रकृति के प्रति आस्था ही हमें जीवन का सच्चा अर्थ सिखाती है : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भारतीय संस्कृति ने सदैव प्रकृति के साथ सामन्जस्य से जीने की परम्परा अपनाई पर्यावरण संरक्षण जीवन शैली का हिस्सा बनना चाहिए भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रकृति के प्रति आस्था ही हमें जीवन का सच्चा अर्थ सिखाती है। भारतीय संस्कृति ने सदैव प्रकृति के साथ सामन्जस्य से जीने की परम्परा अपनाई है। दुनिया के कई देश प्रकृति का दोहन कर रहे हैं पर भारत ने सदियों से प्रकृति का पोषण किया है। उपभोग प्रधान जीवन शैली वर्तमान के जलवायु संकट को बढ़ाती है जबकि उपयोग से पहले संरक्षण की समझ और भोग से पहले योग का संतुलन ही भारतीय संस्कृति का सार है। भोपाल प्रकृति और प्रगति का अनूठा संगम है। प्राकृतिक सुंदरता और जैव-विविधता सहेजे इस सुंदर शहर में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन शहर की विशेषता के अनुरूप है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पर्यावरण और जीवन शैली-जलवायु परिवर्तन और सतत विकास वैचारिक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राज्य नीति आयोग, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और ऐप्‍को के संयुक्त तत्वावधान में मानव संग्रहालय में आयोजित संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। नर्मदा समग्र, सिकोईडिकोन, पैरवी और राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, कार्यक्रम के सह आयोजक हैं। जलवायु परिवर्तन के समाधान में राज्यों की भूमिका पर विचार विमर्श और व्यक्ति-समाज एवं सरकारों की सहभागिता से सतत विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि जल, जंगल, जमीन, जैव विविधता और मानव जीवन के पहलुओं को प्रभावित कर रहे जलवायु संकट पर ब्राजील में नवंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन होगा। वैचारिक संगोष्ठी में प्राप्त सुझाव और विचार, ब्राजील के सम्मेलन में साझा किए जाएंगे। मध्यप्रदेश, इस चर्चा को आरंभ करने वाला भारत का पहला राज्य है। लिविंग द राइट वे की थीम पर आधारित संगोष्ठी में पर्यावरण और जीवन शैली, जलवायु और सतत विकास के बीच संबंधों का सुदृढ़ीकरण और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्यों की भूमिका जैसे विषयों पर विचार विमर्श हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण जीवन शैली का हिस्सा बनना चाहिए। राज्य सरकार प्रदेश में ग्रीन कव्हरेज बढ़ाने, वेटलैंड संरक्षण, जलस्रोतों के पुनर्जीवन और हरित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण गतिविधियां संचालित हो रही हैं। प्रदेश के 32 लाख किसानों को सोलर पम्प उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज की यह संगोष्ठी मानवता के अस्तित्व, धरती के संतुलन और आने वाली पीढ़ियों से जुड़ा है। हमें स्थानीय सोच को वैश्विक समाधान से जोड़ने और विकास तथा पर्यावरण के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि, शासकीय अधिकारी और संचार माध्यमों से जुड़े प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के फरसाबहार में 40.89 करोड़ के 13 कार्यों का किया लोकार्पण एवं भूमिपूजन

 4.16 करोड़ लागत के 4 कार्यों का लोकार्पण और 36.72 करोड़ लागत के 9 विकासकार्यों का हुआ भूमिपूजन रायपुर  मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज जशपुर जिले के फरसाबहार क्षेत्र के व्यापक विकास को नए आयाम देते हुए  40 करोड़ 89 लाख 26 हजार रुपए की लागत के 13 विकासकार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। इनमें 4 करोड़ 16 लाख 41 हजार रुपए लागत के 4 विकासकार्यों का लोकार्पण और 36 करोड़ 72 लाख 85 हजार रुपए लागत के 9 विकासकार्यों का भूमिपूजन शामिल हैं।       मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जिन विकासकार्यों का लोकार्पण किया उनमें 01 करोड़ 81 लाख 32 हजार रुपए लागत के मस्कामारा से होते हुए लवाकेरा मेन रोड तक मार्ग लं. 1.70 कि.मी., 01 करोड़ 29 लाख 56 हजार रुपए लागत के जिला जशपुर के अम्बाकछार पहुंच मार्ग लं. 1.00 कि.मी., 10 लाख रुपए लागत के आर सी.सी. पुलिया निर्माण, सिंहटोला दीपक घर से मेन रोड़ पहुंच मार्ग पर, ग्राम लावाकेरा और 95 लाख 53 हजार रूपए लागत के  जशपुर के मुण्डाडीह पहुच मार्ग लं. 0.90 कि.मी. का  निर्माण कार्य शामिल है।         इसी तरह उन्होंने 36 करोड़ 72 लाख 85 हजार रुपए लागत के जिन 9 विकासकार्यों का भूमिपूजन किया उनमें 31 लाख 38 हजार रूपए लागत के फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट, 23 करोड़ 96 लाख 94 हजार रूपए लागत के पमशाला में सरईटोला पहुंच मार्ग लं. 11.50 कि.मी. का निर्माण कार्य, 01 करोड़ 72 लाख 55 हजार रुपए लागत के फरसाबहार में विश्रामगृह भवन का निर्माण कार्य, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास कोल्हेनझरिया का भवन निर्माण, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास फरसाबहार का भवन निर्माण, 01 करोड़ 52  लाख 97 हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास लवाकेरा का भवन निर्माण, 01 करोड़ 52 लाख 97  हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास पण्डरीपानी का भवन निर्माण, 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्रो.मै. आदिवासी बालक छात्रावास पंडरीपानी का भवन निर्माण कार्य और 01 करोड़ 91 लाख 51 हजार रुपए लागत के प्री.मै. आदिवासी बालक छात्रावास तपकरा का भवन निर्माण कार्य शामिल है।       इस अवसर पर सांसद श्री राधेश्याम राठिया, विधायक श्रीमती गोमती साय, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, नगर पालिका जशपुर के उपाध्यक्ष श्री यश प्रताप सिंह जूदेव,पूर्व संसदीय सचिव श्री भरत साय, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक श्री शशिमोहन सिंह, श्री विजय आदित्य सिंह जूदेव सहित जनप्रतिनिधिगण और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

भारिया, बैगा एवं सहरिया समुदाय के घरों के विद्युतीकरण के लिए 78 करोड़ 94 लाख रुपये का अनुमोदन

132 K.V. और उससे बड़ी लाईन बिछाने के लिए प्रतिपूर्ति राशि में वृद्धि करने की स्वीकृति भोपाल स्थित शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के नियम 17 एवं नियम 37 में संशोधन की स्वीकृति मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद के निर्णय भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) अंतर्गत प्रदेश में PVTG समूहों यथा भारिया, बैगा एवं सहरिया समुदाय के घरों के विद्युतीकरण के लिए विद्युत वितरण कंपनियों की अतिरिक्त कार्ययोजना द्वितीय चरण का अनुमोदन प्रदान किया गया है। स्वीकृति अनुसार प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के अंतर्गत अतिरिक्त 18 हजार 338 अविद्‌युतीकृत PVTG घरों के विद्युतीकरण के लिए विद्‌युत अधोसंरचना विस्तार के लिए लगभग 78 करोड़ 94 लाख रुपये की ‌द्वितीय चरण की कार्ययोजना की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस के लिए 60 प्रतिशत राशि 47 करोड़ 36 लाख रूपये केन्द्र शासन से अनुदान प्राप्त होगा व शेष 40 प्रतिशत राशि 31 करोड़ 58 लाख रुपये राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को अंशपूंजी के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। पीएम जनमन अन्तर्गत प्रदेश के 24 जिलों में निवासरत भारिया, बैगा एवं सहरिया समुदाय के अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण के लिये बसाहट वार पूर्व स्वीकृत सीमा एक लाख रूपये प्रति हाउसहोल्ड को बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति हाउसहोल्ड किये जाने की स्वीकृति दी गई। विद्युत कंपनियों द्वारा 2 लाख रूपये प्रति हाउसहोल्ड तक आकलित लागत से विद्युतीकरण किया जायेगा। लागत अधिक होने की स्थिति में ऊर्जा विकास निगम द्वारा एक किलोवाट क्षमता का आफ ग्रिड सोलर पैनल और बैटरी लगाकर विद्युतीकरण किया जायेगा। 211 घरों का विद्युतीकरण आफ ग्रिड प्रणाली से किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के अंतर्गत प्रदेश में 3 PVTG जनजाति, यथा भारिया, बैगा एवं सहरिया समूहों के अविद्‌युतीकृत घरों का विद्युतीकरण किया जा रहा है। 11 मार्च, 2024 को संपन्न मंत्रि-परिषद बैठक में योजनांतर्गत प्रथम चरण में 10 हजार 952 घरों के विद्युतीकरण के लिए लगभग 65 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसमें से 8 हजार 752 घरों को विद्युत कनेक्शन प्रदाय किये जा चुके हैं। 132 K.V. और उससे बड़ी लाईन बिछाने के कारण क्षतिपूर्ति राशि और क्षतिपूर्ति क्षेत्रफल में वृद्धि की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा अति उच्च दाब पारेषण 132 K.V. और उससे बड़ी लाईन बिछाने के लिए किसानों को दी जाने वाली मुआवजा/क्षतिपूर्ति राशि में वृद्धि करने की स्वीकृति प्रदान की गयी है। स्वीकृति अनुसार टॉवर लगाने पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि को 85 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत किया गया है साथ ही लाइन ट्रान्समिशन लाइन के ROW (Right of way) में आने वाली भूमि की क्षतिपूर्ति राशि को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया गया है। क्षतिपूर्ण क्षेत्रफल में टॉवर के चार पाए के अलावा सब तरफ 1-1 मीटर की अतिरिक्त वृद्धि की गयी है। भूमि का स्वामित्व किसान का ही रहेगा। टॉवर के बीच में और लाइन के नीचे की फसल किसान ले सकेगा। केवल तार के नीचे की जमीन 132 K.V. लाईन में 7 मीटर क्षतिपूर्ण क्षेत्रफल को बढाकर कारिडोर अनुसार 28 मीटर किया गया है। उसी तरह 220 K.V. लाईन 14 मीटर में वृद्धि कर कॉरीडोर अनुसार 35 मीटर किया गया है। इसके अतिरिक्त 400 K.V. लाईन के नीचे की जमीन का क्षतिपूर्ति क्षेत्रफल 52 मीटर निर्धारित किया गया है। बक्स्वाहा जिला छतरपुर में व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड स्तर के लिए कुल 7 पदों की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा बक्स्वाहा जिला छतरपुर में व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड में व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड स्तर का एक नवीन पद व उनके अमले अंतर्गत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 06 पद, इस प्रकार कुल 07 नवीन पदों का सृजन के लिए 52 लाख 46 हजार रूपये प्रति वर्ष की स्वीकृति प्रदान की गयी है। भोपाल स्थित शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के नियम 17 एवं नियम 37 में संशोधन की स्वीकृति मंत्रि-परिषद द्वारा भोपाल स्थित शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के नियम 17 एवं नियम 37 में संशोधन की स्वीकृति प्रदान की गयी है। स्वीकृति अनुसार भोपाल से बाहर स्थानांतरण होने की स्थिति में अधिकतम 06 माह तक की अवधि के लिए शासकीय सेवक सामान्य दर पर आवास धारित कर सकेगा। सेवानिवृत्त होने की स्थिति में शासकीय सेवक 06 माह तक आवास धारण कर सकेगा। सेवानिवृत्त शासकीय सेवक प्रथम 03 माह की अवधि के लिए आवंटित आवास सामान्य दर पर धारण कर सकेगा। उक्त अवधि के अवसान उपरांत पुनः आगामी 03 माह की अवधि के लिए किराया सामान्य दर से 10 गुना दर पर आवास धारण कर सकेगा। इसके उपरांत दाण्डिक दर से किराया वसूल किया जाएगा एवं बेदखली की कार्यवाही की जायेगी। पहले केवल 3 माह तक ही शासकीय आवास धारण करने की अनुमति थी। इसी तरह त्यागपत्र देने, सेवा से पृथक होने अथवा अन्य किन्ही कारणों से आवास रखने के लिए अनधिकृत होने पर 03 माह तक की अवधि के लिए शासकीय सेवक द्वारा सामान्य दर पर आवास धारित किया जा सकेगा। 03 माह की अवधि के अवसान पर नियमानुसार दाण्डिक किराया वसूल किया जाएगा एवं बेदखली की कार्यवाही की जायेगी। अनधिकृत आधिपत्य के लिये नियम 37 के तहत वेतनमान के आधार पर आवास की पात्रता और लायसेंस शुल्क की दरों का निर्धारण भी संशोधित किया गया है। दाण्डिक मासिक किराया 10 गुना से बढ़कर 30 गुना किया गया है। प्रति माह 10 प्रतिशत की उत्तरोत्तर वृद्धि की जायेगी। 

अयोध्या को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी और सस्टेनेबल सिटी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य : मुख्यमंत्री

अयोध्या का विकास भव्यता, आस्था और आधुनिकता का संतुलित मॉडल बने अयोध्या विज़न 2047 के तहत आध्यात्मिक नगरी, ज्ञान नगरी, उत्सव नगरी और हरित नगरी के रूप में होगी पहचान वर्ष 2031 तक 24 लाख और 2047 तक 35 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर सुनियोजित टाउनशिप, सड़कों और नागरिक सुविधाओं की योजना तैयार अयोध्या में 8,594 करोड़ रुपये के निवेश से 159 परियोजनाएं क्रियान्वित होने को तैयार मुख्यमंत्री का निर्देश, हर परियोजना पर्यावरणीय दृष्टि से सस्टेनेबल हो, सरयू नदी तट और हरित पट्टियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए मुख्यमंत्री का निर्देश मिश्रित और औद्योगिक भूमि का दायरा बढ़ाएं सीवरेज ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नवाचारों को बढ़ावा देने और यथासंभव देसी मॉडल अपनाने पर जोर, पंचकोसी और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर भी विविध गतिविधियों के लिए भूमि आरक्षित करने के निर्देश यातायात और आतिथ्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण से तीर्थयात्रियों व पर्यटकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी; बस-ट्रक अड्डों और पार्किंग का विकास होगा अनियोजित प्लाटिंग और बसावट पर रोक के निर्देश, बोले मुख्यमंत्री, सभी विकास कार्य योजना और नियमों के अनुरूप हों लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अयोध्या महायोजना 2031 से संबंधित प्रस्तावों की समीक्षा करते हुए कहा कि अयोध्या का विकास भव्यता, आस्था और आधुनिकता तीनों का समन्वित रूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महायोजना का लक्ष्य अयोध्या को सुनियोजित, सुव्यवस्थित और सतत (सस्टेनेबल) विकास के साथ विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करना है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विकास कार्यों में अयोध्या की सांस्कृतिक पहचान, धार्मिक गरिमा और पर्यावरणीय संतुलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। महायोजना के बिंदुओं पर विभागीय अधिकारियों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या विज़न 2047 के अंतर्गत अयोध्या को ग्लोबल आध्यात्मिक नगरी, ज्ञान नगरी, उत्सव नगरी, तीर्थ अनुकूल अवसंरचना, विविधीकृत पर्यटन, ऐतिहासिक सर्किट व हेरिटेज वॉक, हरित एवं सौर ऊर्जा आधारित नगरी  के रूप में आधुनिक सुविधाओं के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महायोजना अयोध्या के सुनियोजित, सुव्यवस्थित और सस्टेनेबल विकास की आधारशिला बनेगी। बैठक में बताया गया कि अयोध्या महायोजना 2031 का उद्देश्य शहर को ग्लोबल स्पिरिचुअल एवं टूरिज़्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करना है। योजना के तहत अयोध्या विकास क्षेत्र को 18 जोनों में विभाजित कर संतुलित भूमि उपयोग सुनिश्चित किया गया है। प्रस्तावित 23.94 लाख की अनुमानित जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए 52.56 प्रतिशत भूमि आवासीय, 5.11 प्रतिशत वाणिज्यिक, 4.65 प्रतिशत औद्योगिक, 10.28 प्रतिशत सार्वजनिक उपयोग, 12.20 प्रतिशत परिवहन एवं 14.31 प्रतिशत हरित एवं खुले क्षेत्र के लिए नियोजित की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मिश्रित तथा औद्योगिक भूमि को बढ़ाया जाए, इसी प्रकार, पंचकोसी और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर भी विविध गतिविधियों के लिए भूमि आरक्षित की जाए। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में अयोध्या की जनसंख्या लगभग 11 लाख है, जो 2031 तक लगभग 24 लाख और 2047 तक 35 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। इसे ध्यान में रखते हुए नए आवासीय टाउनशिप, भव्य प्रवेश द्वार, बहुस्तरीय पार्किंग, 84 कोसी परिक्रमा मार्ग, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस मार्ग, रिंग रोड, एयरपोर्ट, टेंपल म्यूज़ियम, सौर ऊर्जा संयंत्र, होटल व आधुनिक नागरिक सुविधाएं महायोजना का हिस्सा हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी परियोजनाएं अयोध्या को स्मार्ट, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाएंगी। बैठक में बताया गया कि अयोध्या विकास क्षेत्र में 159 निवेश परियोजनाएं स्वीकृत हैं, जिनमें 8 हजार 594 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या का सड़क, रेल और वायु मार्ग से उत्कृष्ट संपर्क है। यातायात और आतिथ्य क्षेत्र (हॉस्पिटैलिटी सेक्टर) के आधुनिकीकरण से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को विश्वस्तरीय सुविधा मिलेगी। आवश्यकता है कि लखनऊ, प्रयागराज, गोण्डा और अम्बेडकर नगर मार्ग की ओर बस और ट्रक अड्डों सहित पार्किंग का विकास किया जाए। मुख्यमंत्री ने महायोजना अंतर्गत  सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए भी भूमि आरक्षित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सीवरेज ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नवाचारों को बढ़ावा दें और यथासंभव देसी मॉडल को अपनाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या का विकास न केवल धार्मिक पर्यटन बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी प्रेरक उदाहरण बने। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि हर परियोजना पर्यावरणीय दृष्टि से सस्टेनेबल हो तथा नदी सरयू के तटों और हरित पट्टियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या आज केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतीक है। इसे ऐसे विकसित किया जाए कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था, सौंदर्य और समृद्धि का संगम बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के समय में अयोध्या में हो रहे बहुमुखी विकास को देखते हुए अनियोजित प्लाटिंग, बसावट भी देखने को मिल रही हैं। इसे रोका जाना चाहिए। जो कुछ भी हो योजना के अनुरूप और नियमों के अनुकूल होना चाहिए।

प्रशांत किशोर पर EC की नजर: डबल वोटर आईडी को लेकर नोटिस जारी

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग ने नोटिस भेज दिया है। आयोग ने पीके से दो वोटर आईडी रखने के मामले में जवाब मांगा है। प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल और बिहार, दोनों राज्यों की वोटर लिस्ट में शामिल है। चुनाव आयोग ने उनसे 3 दिन के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। रोहतास जिले की करगहर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी सह डीसीएलआर सासाराम की ओर से मंगलवार को यह नोटिस जारी किया गया। नोटिस में लिखा गया है कि एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार प्रशांत किशोर का नाम बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों के निर्वाचक सूची में दर्ज है। उनका नाम बिहार में करगहर विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में है, जबकि पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा से भी वह मतदाता हैं। आयोग का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व कानून के अनुसार एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में किसी एक व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है। इन नियमों के उल्लंघन की स्थिति में कानून के तहत एक साल की जेल या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। निर्वाची पदाधिकारी ने प्रशांत किशोर से तीन दिनों के भीतर इस पर जवाब आयोग के समक्ष पेश करने को कहा है। दूसरी ओर, जन सुराज पार्टी का कहना है कि प्रशांत किशोर जब पश्चिम बंगाल में रहते थे, तब उन्होंने अपना नाम वहां की मतदाता सूची में दर्ज कराया था। अब वे बिहार में रहते हैं और करहगर से उनका नाम वोट लिस्ट में है। पीके की ओर से पूर्व में ही पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से अपना नाम हटाने का आवेदन कर दिया गया है।

जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र अब पूरी तरह ऑनलाइन

अक्टूबर 2023 के पूर्व जन्मे बच्चों के आधार कार्ड हेतु ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र की कोई बाध्यता नहीं रायपुर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2023 में संशोधित ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसके माध्यम से राज्य में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाए जा रहे हैं। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ राज्य में प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का ऑनलाइन बनाया जाना अनिवार्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में वर्ष 2023 में संशोधन किया गया है। संशोधन के अनुसार अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों की जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही एकमात्र वैध आधार होगा। अर्थात, इस तिथि के पूर्व जन्मे बच्चों के मामलों में अन्य वैकल्पिक दस्तावेज भी जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में मान्य रहेंगे। परंतु अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए केवल जन्म प्रमाण पत्र ही तिथि प्रमाण का एकमात्र स्रोत होगा। राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से जन्मे प्रत्येक बच्चे के लिए ऑनलाइन जारी जन्म प्रमाण पत्र को ही मान्य किया गया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अक्टूबर 2023 के पूर्व जन्मे बच्चों के जन्म तिथि प्रमाणन के लिए जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है। उनके लिए अन्य दस्तावेज भी मान्य हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र ही जन्म प्रमाण का एकमात्र आधार होगा। पूर्व में जिन बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र मैन्युअल पद्धति से जारी किया गया था, उनके लिए भी अब पोर्टल में ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान उपलब्ध है। इससे पुराने प्रमाण पत्र भी डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित किए जा सकेंगे। यह संज्ञान में आया है कि कुछ जिलों में केवल उन्हीं जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं जिनमें क्यूआर कोड (QR Code) है। यह विषय संज्ञान में आने पर इस विषय में राज्य सरकार द्वारा सहायक प्रबंधक, UIDAI हैदराबाद से अनुरोध किया गया है कि वे राज्य के सभी आधार केंद्रों को उचित दिशा-निर्देश जारी करें।  यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में संशोधित पोर्टल के लॉन्च के बाद प्रारंभिक चरण में कुछ तकनीकी कठिनाइयाँ आई थीं, जिन्हें भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली द्वारा समाधान कर दिया गया। साथ ही राज्य के सभी रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को नए पोर्टल के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। आवश्यकता अनुसार जिला स्तर पर भी नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो रही है। राज्य में अप्रैल 2023 के बाद से सभी जन्म प्रमाण पत्र केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बनाए जा रहे हैं, और वर्तमान में पोर्टल पूरी तरह से तकनीकी रूप से सुचारू रूप से संचालित है।

दिल्ली में बादल तो बने, बारिश गायब! क्लाउड सीडिंग पर AAP का तंज– ‘सरकार की सीडिंग फुस्स’

नई दिल्ली  दिल्ली में आज दोपहर क्लाउड सीडिंग के कई ट्रायल किए गए. लेकिन रेखा सरकार का यह ट्रायल फिलहाल सवालों के घेरे में है. दो घंटे बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं हुई है, जिस पर आप (AAP) ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. AAP ने इसे आर्टिफिशियल रेन के नाम पर फर्जीवाड़ा बताया है. क्लाउड सीडिंग के बाद अधिकारियों ने दावा किया था कि 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश शुरू हो सकती है, लेकिन तीन घंटे बाद भी आसमान साफ नजर आ रहा है. AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने वीडियो बनाकर दिल्ली सरकार के इस ट्रायल पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा, 'बारिश में भी फर्ज़ीवाड़ा, कृत्रिम वर्षा का कोई नामुनिशान नहीं दिख रहा है. इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा. सरकार दिखाएगी खर्चा.'   'देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा' सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'इंद्र देवता भी सरकार का साथ नहीं दे रहे. कल शाम को थोड़ी बहुत बारिश हो भी रही थी लेकिन अब तो जो थोड़े बहुत बादल दिख रहे थे, वो भी चले गए.' दिल्ली में हुआ ट्रायल बता दें कि राजधानी दिल्ली में आज क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया. अब इसके तीन ट्रायल हो चुके हैं. इसके लिए IIT कानपुर के Cessna एयरक्राफ्ट ने मेरठ से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर जैसे इलाकों में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया. इस दौरान पायरो तकनीक का उपयोग करते हुए 8 क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े गए.  मंत्री सिरसा ने दी क्लाउड सीडिंग की जानकारी दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिरसा ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 8 फ्लेयर्स को यूज किया गया. एक फ्लेयर 2.5 kg की है और लगभग दो से ढाई मिनट तक चलती है. इस पूरे प्रोसेस में आधा घंटा लगा था. इस ट्रायल के बाद बाहरी दिल्ली के इलाकों में हल्की बूंदाबांदी के साथ बारिश होने की संभावना जताई गई थी. लेकिन यह बादलों में नमी पर निर्भर करता है. फिलहाल नमी कम है, क्योंकि दिल्ली में मौसम विभाग द्वारा अनुमानित तापमान सामान्य से 3 डिग्री कम है. 

छल-कपट से दूर रहें अफसर— तेजस्वी यादव का चुनाव आयोग को कड़ा संदेश

पटना  राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और महागठबंधन (एमजीबी) के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया है कि विपक्षी महागठबंधन के मजबूत बूथों पर मतदान को धीमा (स्लो वोटिंग) करने की साजिश चल रही है। उन्होंने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर अफसरों को आदेश दिया जा रहा है कि जिन बूथों पर 60 फीसदी से ज्यादा वोट पड़ा था, जहां-जहां महागठबंधन का मजबूत बूथ है, वहां स्लो पोलिंग कराई जाए। उन्होंने चुनाव कार्य में लगे अफसरों से अपील की है कि वो छल, कपट, बेईमानी से दूर रहें और संविधान के अनुसार न्याय के साथ काम करें। तेजस्वी ने पटना में मंगलवार की शाम महागठबंधन का चुनाव घोषणा पत्र ‘तेजस्वी प्रण’ जारी करते हुए कहा- “पहली बार बिहार में 1500 कंपनियां सेंट्रल फोर्स की लगाई जा रही हैं। हमको पता है कि वीसी करके दो-तीन दिन पहले क्या-क्या आदेश दिया गया है। ये हमें अच्छे से पता है, हमारे संज्ञान में है। मैं बड़े विनम्रता से सभी अधिकारियों से कहना चाहूंगा कि जिन लोगों ने भी संविधान की शपथ ली है, बिहार को उपनिवेश बनने मत दीजिए। किसी के बात को आप लागू नहीं करिए, तानाशाही नहीं कीजिए, बेईमानी मत कीजिए, वोट की चोरी मत कीजिए।”   उन्होंने कहा- “इस बार बिहार की जनता, महागठबंधन के लोग सजग हैं। वीसी में आदेश आया है कि जहां भी 60 फीसदी से ज्यादा वोट बूथ पर पड़े हैं, जहां-जहां महागठबंधन का मजबूत बूथ है, वहां स्लो पोलिंग कराई जाए। हम इस बार मुस्तैद हैं। महागठबंधन का एक-एक सिपाही और बिहार के लोग बूथ के आसपास रहेंगे और पूरा वीडियोग्राफी करेंगे। छल, कपट, तानाशाही की नीति बिहार की जनता इस बार चलने नहीं देगी। अपने-अपने वोट की रक्षा करेगी और बेईमानी हरगिज नहीं होने देगी।”