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आज का राशिफल 29 सितंबर 2025: किसे मिलेगी सफलता और किन्हें रखें सावधान

मेष राशि- आज आप नई ऊर्जा महसूस करेंगे। पुराने अधूरे कामों को पूरा करने की प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्षेत्र में मन लगा रहेगा, पर किसी निर्णय को जल्दी न लें। थोड़ा समय लेकर सोचें। धन की स्थिति ठीक रहेगी, लेकिन अनावश्यक खर्चों से बचें। रिश्तों में स्पष्ट बोलचाल जरूरी है। अपनी भावनाएं खुलकर रखें। स्वास्थ्य आज सामान्य रहेगा, पर थोड़ी थकान हो सकती है। आराम और नींद पर ध्यान दें। वृषभ राशि- आज स्थिरता आपके साथ होगी। आप सोच-समझ कर कदम उठाएंगे। कार्यक्षेत्र में सहयोग मिलेगा, और टीम वर्क से काम आगे बढ़ेगा। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी। छोटे निवेश में सावधानी रखें। परिवार और मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा, आप सामाजिक रूप से सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा, हल्की सैर या योग आपको ऊर्जा देगा। मिथुन राशि- आज आपको नई दिशा मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में बातचीत, प्रस्तुति या मेल-जोल लाभदायक रहेगा। धन संबंधी मामलों में सोच-समझ कर कदम उठाएं, अनावश्यक खर्च न करें। रिश्तों में संवाद की कमी से भ्रम हो सकता है। अपनी सोच स्पष्ट रखें।तनाव हो सकता है। विश्राम और ध्यान जरूरी है। कर्क राशि- आज आपका मन कुछ भावुक हो सकता है। कार्य में चुनौतियां आएंगी, लेकिन संयम से आप उनसे पार पाएंगे। धन की स्थिति मिश्रित रहेगी। अनपेक्षित खर्चें हो सकते हैं। रिश्तों में संवेदनशीलता ज्यादा रहेगी। स्नेह और समझदारी से काम लें। स्वास्थ्य के लिए हल्का व्यायाम और शांत मनोवृति उपयोगी रहेगी। सिंह राशि- आज आप आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। नेतृत्व और आयोजन की जिम्मेदारियां अच्छी तरह निभा पाएंगे। धन की स्थिति मजबूत रहेगी। यदि पहले की योजनाएं हों, तो उनका लाभ मिल सकता है। रिश्तों में आपकी चमक दिखेगी, लोग आपकी बात सुनेंगे। स्वास्थ्य सब ठीक रहेगा, पर अधिक मेहनत से थकान हो सकती है। बीच-बीच में आराम लें। कन्या राशि- आज आपकी व्यवस्था और अनुशासन ज्यादा काम आएंगे। कार्य में विवरणों पर ध्यान दें। छोटी गलतियों से बड़ा फर्क पड़ सकता है। धन संबंधी फैसलों में सावधानी रखें। प्रत्येक शर्त पढ़ लेना बेहतर है। रिश्तों में थोड़ी दूरी या गलतफहमी हो सकती है। संवाद करें। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा, लेकिन आंख, पेट आदि की हल्की परेशानी हो सकती है। सतर्क रहें। तुला राशि- आज संतुलन बनाए रखना जरूरी होगा। कार्य में साझेदारी और सौहार्द उपयोगी होंगे। धन संबंधी मामलें कुछ जटिल हो सकते हैं। समझौता या विचार-विमर्श लाभदायक रहेगा। रिश्तों में अपेक्षाओं को कम रखें, संवाद और समझ ज्यादा जरूरी है। स्वास्थ्य में तनाव या गर्दन-कंधे की समस्या हो सकती है। स्ट्रेचिंग करें। वृश्चिक राशि- आज आपके अंदर गहराई और अंतर्मुखी भाव रहेंगे। कार्यक्षेत्र में गुप्त या जटिल विषयों में सफलता मिलने की संभावना है। धन मामलों में सावधानी आवश्यक है। बड़े निर्णय आज न लें। रिश्तों में भावनाएं तीव्र होंगी लेकिन खुलकर बात करना जरूरी है। स्वास्थ्य में हल्की कमजोरी या मानसिक दबाव हो सकता है। विश्राम करें। धनु राशि- आज आपका उत्साह बढ़ा रहेगा। कार्य में बड़े दृष्टिकोण से सोचने का अवसर मिलेगा। धन की स्थिति सामान्य रहेगी लेकिन अनावश्यक खर्चों से बचें। रिश्तों में मिलन और सामाजिक संपर्कों से सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, लेकिन अधिक गतिविधि से थकान हो सकती है। संतुलन बनाए रखें। मकर राशि- आज मेहनत और अनुशासन से काम बनेंगे। कार्यक्षेत्र में आपकी लगन और समर्पण पहचान दिलाएंगे। धन संबंधित मामलों में स्थिरता रहेगी, पर बड़े खर्चों में संयम जरूरी है। रिश्तों में समय निकालकर बात करें। इसका असर गहरा हो सकता है। स्वास्थ्य ठीक रहेगा, लेकिन पीठ या जोड़ की समस्या हो सकती है। सावधानी रखें। कुंभ राशि- आज आपके विचार और संपर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। कार्यक्षेत्र में नई योजनाएं और नेटवर्किंग सफल हो सकती है। धन मामलों में छोटी शुरुआत बेहतर होगी। बड़े निवेश आज जोखिम हो सकते हैं। रिश्तों में खुलापन और भरोसा जरूरी है। संवाद से दूरी मिटेगी। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। आंखों या सिरदर्द से बचने के लिए आराम करें। मीन राशि- आज आपकी संवेदनशीलता और कल्पनाशीलता ज्यादा बढ़ेगी। रचनात्मक या सेवा-प्रधान कार्यों में सफलता मिल सकती है। धन के मामलों में सोच-समझ कर कदम उठाएं। अनावश्यक व्यय न करें। रिश्तों में आपने जो महसूस किया है, वो साझा करें। इससे दूरी कम होगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से मानसिक शांति और अच्छी दिनचर्या जरूरी है।

नवरात्रि व्रत का पारण कब करें – 1 अक्टूबर या 2 अक्टूबर? पूरी जानकारी यहाँ

शक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और शक्ति के सम्मान में मनाया जाता है. यह 9 दिन का उत्सव न सिर्फ भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के लिए शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर भी है. नवरात्रि का उत्सव अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है. इस दौरान अपनी इच्छानुसार 1, 2, 5, 7 या 9 दिनों का व्रत रखते हैं. व्रत करने के बाद उसका पारण करना बहुत अहम होता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण कब किया जाएगा. शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण कब है 9 दिन के नवरात्रि व्रत का पारण नवमी तिथि समाप्त होने के बाद और दशमी तिथि के शुरू होने पर किया जाता है. यह विजयदशमी का दिन होता है. जो लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं, उनके लिए नवमी तिथि के समाप्त होने और दशमी तिथि के प्रबल होने पर ही व्रत का पारण करना शुभ माना जाता है, इसलिए वे विजयादशमी के दिन व्रत खोलते हैं. ऐसे में आप विजयदशमी पर नवरात्रि व्रत खोल सकते हैं. इस बार विजयदशमी 2 अक्टूबर को है और इसी दिन नवरात्रि व्रत खोला जाएगा. नवरात्रि के पारण में क्या खाना चाहिए? नवरात्रि व्रत के पारण सात्विक, हल्के भोजन से करना चाहिए जैसे फलों का रस या साबूदाना. इसके बाद हलवा, पूरी, चने और खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है, जो देवी को अर्पित किया गया हो. नवरात्रि व्रत खोलने से पहले कन्या पूजन और हवन करना भी जरूरी है, जिसके बाद ही व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है. लंबे उपवास के बाद अचानक भारी या मसालेदार भोजन करने से बचना चाहिए. नवरात्रि व्रत पारण में क्या नहीं खाना चाहिए? नवरात्रि व्रत के पारण के समय लहसुन, प्याज, मांसाहार और तामसिक चीजें बिल्कुल नहीं खानी चाहिए. व्रत खोलते समय सीधे नमक का सेवन न करें, पहले थोड़ा मीठा खाकर व्रत खोलना बेहतर होता है. नवरात्रि व्रत पारण के नियम नवरात्रि व्रत पारण करने से पहले मां दुर्गा की पूजा करें और फिर हलवा-पूरी का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाएं. पारण करते समय सात्विक और हल्का भोजन करें और सीधे नमक से परहेज करें. नवमी तिथि को कन्या पूजन और हवन जरूर कराएं. इसके बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलें. नवरात्रि का व्रत तभी पूरा माना जाता है जब आप हवन (अगर किया हो) और कन्या पूजन करते हैं.  

तनाव से मुक्ति पाने के लिए इस रंग का करें इस्तेमाल

वास्तु शास्त्री रंगों को वास्तु के तत्वों का प्रतीक मानते हैं। अत: उन्हें जल, अग्नि, धातु, पृथ्वी और काष्ठ से जोड़ते हैं। रंग और ध्वनि जैसी ऊर्जाओं ने प्रकृति और वातावरण के माध्यम से जनमानस को घेर रखा है। वास्तु शास्त्र के अनुसार रंग तनाव को घटा और बढ़ा सकते हैं। अगर आप भी रंगों की मदद से तनाव कम करना चाहते हैं तो ये टिप्स अपना सकते हैं : हल्के ग्रे रंग को कोमल माना जाता है जो सीधे व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। इस रंग का सुखदायक प्रभाव होता है और साथ ही यह आकर्षक भी होता है। यदि आप तनाव में हैं तो आप लाइट ग्रे रंग के कपड़े पहन सकते हैं जो आपके तनाव को दूर करने में मदद करेगा। वास्तु के अनुसार इस तरह के रंगीन कपड़े मानसिक तनाव को कम करने में काफी मदद करते हैं। हल्का गुलाबी रंग बहुत ही शांत और सौम्य रंग माना जाता है। यह रंग दिमाग को शांत रखने में सबसे कारगर रहता है। तनाव के बीच यह रंग आपको प्यार का एहसास कराता है। यह रंग आपके जीवन में संतुलन बनाने में मदद करता है। वास्तु के अनुसार आपको हल्के गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए और इस रंग को अपने बेडरूम में इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए। लैवेंडर रंग अपने नाम की तरह ही शांत है। अगर तनाव कम करने की बात आती है, तो वास्तु इस रंग का इस्तेमाल करने की सबसे ज्यादा सलाह देता है।

कन्या पूजन 2025: अष्टमी और नवमी का सही समय और पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि 2025 का पर्व 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इस साल अष्टमी और नवमी तिथियों का विशेष संयोग बन रहा है, जो कन्या पूजन के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस पवित्र दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए भी है. जानिए इस साल कब और किस समय करें कन्याओं का पूजन, साथ ही पूजा की पूरी विधि और जरूरी टिप्स. अष्टमी और नवमी का शुभ मुहूर्त अष्टमी तिथि: 29 सितंबर शाम 4:31 बजे से 30 सितंबर शाम 6:06 बजे तक. नवमी तिथि: 30 सितंबर शाम 6:06 बजे से 1 अक्टूबर रात 7:01 बजे तक. कन्या पूजन का ब्रह्म मुहूर्त अष्टमी: सुबह 4:37 बजे से 5:25 बजे तक नवमी: सुबह 4:37 बजे से 5:26 बजे तक विशेषज्ञों के अनुसार, अष्टमी और नवमी के शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. अष्टमी के दिन शक्ति का विशेष संचार होता है और नवमी के दिन विजयदशमी के साथ इसका फल और भी अधिक प्रभावशाली माना जाता है. कन्या पूजन की विधि और महत्व कन्या पूजन देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक है. घर में इस दिन कन्याओं का सम्मान करना केवल परंपरा नहीं बल्कि माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति का वास्तविक रूप है. कन्याओं का स्वागत: घर में 9 कन्याओं को आमंत्रित करें और उनका हृदय से स्वागत करें. पैर धोकर सम्मान: कन्याओं के पैरों को धोकर साफ करें और चरणामृत ग्रहण करें. इसे करने से घर में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा आती है. भोजन और प्रसाद: हलवा, चना, पूरी, मिठाइयां आदि परोसें. भोजन भले ही साधारण हो, लेकिन सच्चे मनोभाव से किया गया पूजन अत्यंत फलदायी होता है. दान करते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें. आरती और प्रार्थना: कन्याओं की आरती करें और माता दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें. यह घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने का सबसे सरल उपाय है. क्यों है यह खास कन्या पूजन में नौ कन्याओं का पूजन, देवी के नौ रूपों की पूजा के समान माना जाता है. अष्टमीनवमी का पूजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि घर और परिवार के लिए सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का स्रोत भी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अष्टमीनवमी के शुभ समय में किया गया पूजन बच्चों और कन्याओं के लिए भी आशीर्वाद लेकर आता है. पूजन का आध्यात्मिक महत्व अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने से माता दुर्गा के शक्ति-संपन्न रूप का आशीर्वाद मिलता है. यह विशेष दिन देवी की कृपा से घर में समृद्धि, शांति और खुशहाली लाता है. साथ ही यह परिवार में सद्भाव और आपसी प्रेम को भी बढ़ाता है. इस वर्ष 2930 सितंबर और 1 अक्टूबर को अष्टमीनवमी के शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करना अत्यंत फलदायी माना गया है, इस दिन कन्याओं का सम्मान, दान और आरती करने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुखशांति और समृद्धि आती है. इस अवसर को अवश्य अपनाएं और माता की असीम कृपा का अनुभव करें.

भावनाएं हैं स्वास्थ्य की बैरोमीटर

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है, वाली कहावत काफी पुरानी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इस पर काफी बल देते हैं। यह एक जानी-मानी बात है कि यदि दिमाग में कोई परेशानी हो तो थोड़े समय बाद इसका प्रभाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है और हम जल्दी जल्दी बीमार होने लगते हैं। शरीर में होने वाली पीड़ा, मांसपेशियों का दर्द आदि बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि हम जैसा सोचते हैं हमारा शरीर उसी के अनुकूल बनता है। हम जैसा महसूस करते हैं, जैसे काम करते हैं हमारा शरीर भी उसी ढांचे के अनुरूप बन जाता है। इसे ही प्रायः माइंड और बॉडी कनेक्शन कहा जाता है। जब हम तनाव में होते हैं, परेशानियों से घिरते हैं या बेचैन होते हैं तो हमारा शरीर इसका संकेत हमें देना शुरू कर देता है कि शरीर के साथ असामान्य स्थिति है। हममें से कई लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सफल हो जाते हैं। इसके विपरीत कुछ लोग तनाव के क्षणों में, विपरीत स्थितियों मे ओवर रिएक्ट करने लगते हैं। वह किसी भी बात को दिल से लगा लेते हैं। उन्हें जब लगता है कि वह कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं हैं तो वह तुरंत रोने लगते हैं, गुस्सा हो जाते हैं, उदासी उन्हें घेर लेती है और चिड़चिड़े हो जाते हैं। इस तरह के लोग परेशान होने के लिए बहाना ढूंढ़ते हैं। उनका यह चिढ़चिढ़ापन, अवसाद में रहने की प्रवृत्ति उनके शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है। इसका असर उनके दिल-दिमाग पर ही नहीं शरीर पर भी दिखने लगता है। दरअसल, होता यह है कि जब आप तनाव में होते हैं या परेशान होते हैं उस समय अपने स्वास्थ्य के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं। तनाव के समय घूमने जाना, एक्सरसाइज करना, संतुलित भोजन लेना और डॉक्टर के निर्देेश के अनुसार दवाइयां खाना इन सब चीजों का रुटीन बिगड़ जाता है। सवाल है इन स्थितियों से बचाव के लिए क्या करें? इसके लिए चिकित्सक एबीसी का फार्मूला अपनाने की सलाह देते हैं। ए का अभिप्राय है, अवेयरनेस यानी कोई भी समस्या जब पैदा होती है तो उसके प्रति हमें पूरी तरह से सजग-सचेत होना चाहिए। इसमें किसी की प्रेरणा हमारे लिए सहायक सिद्ध हो सकती है या हम अपना स्वयं का नजरिया सकारात्मक बनाएं जिससे हम समस्या को अपने पास फटकने से पहले ही उसे दूर भगा दें। बी यानी बैलेंसिंग यानी सही और गलत के बीच संतुलन कायम रखने की क्षमता का अपने भीतर पैदा करना। सी का अभिप्राय है कंट्रोल यानी विपरीत स्थितियों पर प्रतिक्रिया को नियंत्रण में रखना। इन तमाम चीजों के अलावा हम पर हमारी भावनाएं हावी होकर हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर न डालें, इसके लिए जरूरी है कि हम संतुलित भोजन लें, समय पर भोजन करें और पर्याप्त नींद लें। किसी भी तरह का नशा न करें। अपनी समस्या को लेकर अपने आपको परेशानी में न रखें। नियमित शारीरिक व्यायाम करें। योगासन करें, मेडिटेशन करें। कुल मिलाकर शरीर को आराम पहुंचाने वाली गतिविधियां करें। जब कभी भावनात्मक दबाव में आएं और भावनाएं दिल-दिमाग पर इस कदर हावी होने लगें कि उनका आपके काम और रिश्तों पर नकारात्मक असर पडने लगे तो ऐसी स्थिति में किसी प्रोफेशनल की मदद लें। ज्यादा संवेदनशील होना किसी तरह की बीमारी नहीं है। यह अकसर कई लोगों के साथ होता है। एक खास अवसर पर ऐसा होना स्वाभाविक है। काउंसलर किसी भी स्थिति से निपटने में हमारी मदद करते हैं। इसलिए उनसे मदद लेने में हमें कोई संकोच नहीं करना चाहिए। वह अति संवेदनशील लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर ज्यादा परेशान न होने और उनसे निपटने के बेहतर उपाय सुझा सकते हैं। इन तमाम बातों के अलावा आप हर चीज के विषय में एक डायरी बनाएं, जिसमें कहां पर आप किस स्थिति में ओवररिएक्ट करते हैं उसमें नोट करें। इससे आपको अपनी समस्याओं के प्रति जागरूक होने में सहायता मिलेगी। याद रखें मानसिक समस्याएं धीरे-धीरे हमारे शरीर पर गलत असर डालती हैं और इसकी वजह से हमें कब्ज, डायरिया, कमर दर्द, भूख न लगना, मुंह सूखना, ज्यादा थकान लगना, हाई ब्लडप्रेशर से दर्द, अनिद्रा, गहरी सांस आना, गर्दन में दर्द, पसीना आना, पेट खराब होना, वजन बढना या कम होना जैसी तमाम समस्याएं आ सकती हैं इसलिए समय है सचेत हो जाइए। अपनी समस्याओं का असर अपने शरीर पर न पडने दें।  

इस दुर्गा अष्टमी पर बन रहे दो दुर्लभ संयोग, मान्यता है मिलती है खुशहाली और सफलता

हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व माना गया है। इसमें 9 दिनों तक माता के 9 स्वरूपों की पूजन की जाती है। नवरात्रि में महाअष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। 30 सितंबर को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इस दिन माता गौरी की पूजन का विशेष महत्व माना गया है। अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजन करने के साथ व्रत रखा जाता है। इस दिन संधि पूजन भी होती है। इस बार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी पर शोभन योग सहित कई मंगलकारी योग निर्मित हो रहे हैं। इन योग में जो माता गौरी की पूजन करेगा उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। चलिए आपको इस बारे में बताते हैं। दुर्गा अष्टमी का मुहूर्त  29 सितंबर को 4:32 से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। स्थिति का समापन 30 सितंबर शाम 6:06 पर होगा। महाष्टमी का व्रत 30 सितंबर को रखा जाएगा। विभिन्न संध्याकाल में पूजन का समय 5:42 से 6:30 तक का है। बन रहे कौन से योग अष्टमी तिथि पर बना रहे योग की बात करें तो इस दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है। यह देर रात 1:03 तक रहेगा। इसके अलावा शाम को 6:06 से शिव वास योग का निर्माण हो रहा है। यह ऐसा योग होता है जब भगवान शिव स्वयं माता पार्वती के साथ हिमालय पर वास करते हैं। इन योग में जो भी माता दुर्गा की पूजन करेगा उसे सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होगी। ये हैं मुहूर्त इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6:10 और सूर्यास्त का समय शाम 6:05 है। चंद्रोदय दोपहर 1:36 मिनट पर होगा और चंद्रास्त रात 11:51 पर है। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 4:33 से 5:22 तक ब्रह्म मुहूर्त है। दोपहर 2:07 से 2:54 तक विजय मुहूर्त। शाम 6:05 से 6:29 तक गोधूलि मुहूर्त। रात 11:43 से 12:46 तक निशिता मुहूर्त है।

आज चमकेगा इन राशियों का भाग्य, सूर्य का आशीर्वाद लाएगा तरक्की और सम्मान

मेष राशि- आज का दिन मेष राशि वालों के लिए उम्मीदों से भरा रहेगा। सुबह से ही आपका मन नया ऊर्जा और प्रेरणा से भर उठेगा। कार्यालय या व्यावसायिक क्षेत्र में आपका काम बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ेगा। सहकर्मियों और वरिष्ठों से सहयोग मिलने की संभावना प्रबल है। सामाजिक दृष्टिकोण से आप आकर्षक और संवादात्मक बने रहेंगे, जिससे नए लोग आपके संपर्क में आएँगे। हालांकि, भावनात्मक उतार-चढ़ाव से आपको सावधान रहना होगा। कभी-कभी छोटी-छोटी बातों पर मन चिड़चिड़ा हो सकता है। दिन के मध्य में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने की स्थिति आएगी। उस समय शांत दिमाग और सोच-समझ कर लेना बेहतर रहेगा। शाम तक आपकी ऊर्जा कम हो सकती है, इसलिए जरूरत पड़े तो थोड़ा आराम करना ठीक रहेगा। वृषभ राशि- वृषभ राशि के जातक आज परिवार, संपत्ति और आर्थिक मामलों में संतुलन बनाए रखेंगे। पारिवारिक मोर्चे पर सुख-शांति देखने को मिल सकती है। माता-पिता या बुजुर्गों का आशीर्वाद एवं सहयोग मिलेगा। पुराने निवेश या बचत योजनाएँ आज लाभ देने का संकेत दिखा सकती हैं। कामकाज में अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ मिल सकती हैं, जिन्हें आप संभाल लेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखना आज जरूरी है, क्योंकि किसी अनचाही टिप्पणी से विवाद हो सकता है। दिन के आखिरी हिस्से में परिवार के साथ समय बिताने से मन को शांति मिल सकती है। मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों की आज हालत काफी अच्छी रहेगी। आपकी चपलता और संवाद कौशल आज बड़ी भूमिका निभाएंगे। यदि आप कहीं नए प्रोजेक्ट या काम शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आज उसका समय अनुकूल है। सार्वजनिक और सामाजिक क्षेत्रों में आपकी भागीदारी लाभदायक रहेगी। नौकरी या व्यवसाय दोनों ही क्षेत्र में चांस मिल सकते हैं। नए क्लाइंट, नए अवसर या बढ़ोतरी का अवसर सामने आ सकता है। मन में कभी-कभी ऊंच-नीच विचार आ सकते हैं, इसलिए खुद को केंद्रित बनाए रखना महत्वपूर्ण है। शाम में मित्रों या सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इस समय आप खुशमिजाज और मिलनसार रहेंगे। कर्क राशि- कर्क राशि वालों आज थोड़ा अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। आपकी भावनाएँ आज अधिक संवेदनशील होंगी। किसी करीबी संबंध में मन-मुटाव होने की संभावना हो सकती है, इसलिए शांत रहकर संवाद करना जरूरी रहेगा। आर्थिक मोर्चे पर अनियोजना या अनपेक्षित खर्च सामने आ सकते हैं — बजट को ध्यान में रखकर ही कदम उठाएं। कार्यक्षेत्र में चुनौतियाँ आ सकती हैं, लेकिन आपकी मेहनत और सतर्कता उन्हें पार कर सकती है। आधी सी दिनचर्या में बदलाव-परिवर्तन की संभावना है। हो सकता है जहां आप पहले सहज थे, वहां आज थोड़ा संघर्ष करना पड़े। शाम को किसी स्वाभाविक या प्राकृतिक स्थल पर समय बिताना आपके मन को शांति देगा। सिंह राशि- सिंह राशि के जातक आज उज्जवल और लाभदायक संकेतों से घिरे रहेंगे। आपका आत्मविश्वास दूसरों को प्रभावित करेगा। कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदारियाँ मिलेंगी और आप उन्हें सफलता पूर्वक निभाएँगे। सामाजिक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ने की संभावना है। धन संबंधी मामले आज मजबूत दिखते हैं। किसी निवेश या सौदा में लाभ मिल सकता है। स्वास्थ्य के मामले में आप अच्छे महसूस करेंगे, लेकिन अधिक थकान से सावधान रहें। काम और आराम के बीच संतुलन बनाए रखना आज विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। शाम को कुछ रचनात्मक या कला-संबंधी गतिविधि आपको संतुष्टि दे सकती है। कन्या राशि- कन्या राशि वालों के लिए आज दिन संतुलन और संयम से भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र में आप शांत और निरंतर गति से आगे बढ़ेंगे। कठिनाई आए तो धैर्य न खोएं। छोटे–छोटे कदम धीरे लेकिन निरंतर सफलता की ओर ले जाएंगे। आर्थिक मामलों में अचानक उछाल हो सकता है, पर सावधानी पूर्वक निवेश करना लाभ दायक रहेगा। घर-परिवार में हल्की-महत्वपूर्ण खटपट हो सकती है, जिसे संवाद और समझदारी से संभाला जा सकता है। स्वास्थ्य ठीक रहेगा, पर अधिक थकान न लें। शाम के समय कुछ समय अपने प्रियजनों को दें।संवाद और आत्मीयता बनी रहेगी। तुला राशि- तुला राशि के जातक आज जीवन में बदलाव की बयार महसूस कर सकते हैं। पुराने दोस्त या परिचित आज अचानक संपर्क में आ सकते हैं, जिससे मन को खुशी होगी। कार्यक्षेत्र में बदलाव या चुनौती मिल सकती है। यदि आपका मन नई दिशा लेने का है, तो आज अच्छा समय है इसकी शुरुआत करने का। कई लोग आपसे राय मांगेंगे, आपकी बुद्धिमत्ता आज लोगों को प्रभावित करेगी। हालांकि, झूठे वादों से सावधान रहें। किसी भी प्रस्ताव पर पूरी तरह भरोसा करने से पहले जाँच अवश्य करें। धन-व्यय पर नियंत्रण बनाए रखना आवश्यक है। सामाजिक और पारिवारिक जीवन में ठीक-ठाक सामंजस्य रहेगा। वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातक आज अपने विचारों व क्षमताओं से दूसरों को प्रभावित करेंगे। कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन दोनों में आपका दायरा बढ़ेगा। वरिष्ठों और सहयोगियों का समर्थन मिलेगा। यदि आप किसी साझेदारी या गठबंधन की सोच में थे, तो आज समय अनुकूल है, लेकिन साझेदार की छिपी बातों पर भी ध्यान दें। पारिवारिक माहौल मधुर रहेगा। कुछ पुरानी बातों का सुलझना संभव है। धन संबंधी फैसलों में सावधानी बरतें। जल्दबाजी न करें। मानसिक रूप से आप ऊर्जावान रहेंगे। चाहे संवाद हो, लिखाई हो या कोई कलात्मक काम हो, उसमें मन लगेगा। धनु राशि- धनु राशि वालों के लिए आज का दिन तुलनात्मक रूप से अनुकूल रहेगा। धन और संपत्ति संबंधी मामलों में सफलता मिल सकती है। यदि आप व्यापार या निवेश करने की सोच रहे थे, तो आज शुभ संकेत हैं, परन्तु कदम सोच-समझ कर उठाएं। वैवाहिक जीवन और घरेलू संबंधों में मधुरता बनी रहेगी। आप और आपका परिवार सुखद बातचीत और समय साझा कर सकेंगे। कार्य में बाधाएं आ सकती हैं, लेकिन आपकी धैर्य और परिश्रम उन्हें पार कर लेगी। दिन के देर शाम भागीदारी बढ़ सकती है। हो सकता है आप किसी सामाजिक या सामुदायिक कार्यक्रम से जुड़े। मकर राशि- मकर राशि वालों को आज कार्यक्षेत्र में विशेष अवसरों का सामना कर सकते हैं। विदेशों से संपर्क संभव है या दूरी यात्रा की संभावना है। शिक्षा या अनुसंधान संबंधी कामों में आपकी रुचि बढ़ सकती है। यदि आपने पिछले समय में कठोर परिश्रम किया है, तो आज उसकी सफलता दिख सकती है। बच्चों से संबंधित चिंता हो सकती है। उनकी सेहत और अध्ययन पर ध्यान देना ज़रूरी है। आर्थिक स्थिति सुधारती दिख रही है, परंतु खर्चों पर नियंत्रण आवश्यक रहेगा। सामाजिक जीवन में आप सक्रिय रहेंगे, संवाद … Read more

कब होती है सिंदूर खेला की शुरुआत? पूरी परंपरा जानें

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना से लेकर विजयदशमी तक भक्त देवी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. दुर्गा पूजा का समापन विजयदशमी के दिन होता है. इसी दिन बंगाल और अन्य जगहों पर एक विशेष परंपरा निभाई जाती है जिसे सिंदूर खेला कहा जाता है. विवाहित महिलाएं इस दिन मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर उनके अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. सिंदूर खेला 2025 कब है? साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हो चुकी है और दुर्गा पूजा का समापन 2 अक्टूबर, गुरुवार को विजयदशमी के दिन होगा. इसी दिन सिंदूर खेला का आयोजन किया जाएगा. सिंदूर खेला की परंपरा     सिंदूर खेला केवल विवाहित महिलाएं करती हैं.     सबसे पहले वे मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं.     इसके बाद वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मांगती हैं.     इसे महिलाओं का भाईचारे और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. धार्मिक महत्व सिंदूर खेला को मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर माना जाता है. इस परंपरा से स्त्रियों के जीवन में खुशहाली, समृद्धि और वैवाहिक सुख बना रहता है. यह दिन मां दुर्गा की विदाई का होता है, इसलिए महिलाएं उन्हें विदा करते समय अपने परिवार और पति की लंबी उम्र के लिए वर मांगती हैं. आजकल यह परंपरा केवल बंगाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश और विदेश में जहां भी बंगाली समाज है वहां सिंदूर खेला का आयोजन धूमधाम से किया जाता है.

वास्तु मंत्र: दशहरा 2025 पर अपने घर में लाएँ समृद्धि और सफलता

सनातन धर्म में दशहरे के पर्व को बहुत शुभ और खास माना जाता है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश में दशहरे के पर्व को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरा या विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई के प्रतीक है। दशहरे का दिन धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वास्तु और ज्योतिष की दृष्टि से भी बहुत शुभ माना जाता है। दशहरे के अवसर पर किए गए कुछ विशेष वास्तु उपाय न केवल धन की वृद्धि करते हैं, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि को भी स्थायी बनाते हैं। तो आइए जानते हैं  दशहरे के पावन अवसर पर कौन से वास्तु उपायों का पालन करना चाहिए। घर में झाड़ू और तिजोरी की पूजा दशहरे के दिन झाड़ू और तिजोरी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा स्थान पर झाड़ू की पूजा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है और वहीं तिजो पर हल्दी, कुमकुम और चावल से स्वस्तिक बनाकर दीपक जलाने पैसों से जुड़ी समस्या दूर होती है और कारोबार में मनचाही सफलता मिलती है। शमी के पेड़ की पूजा दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शमी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने और जल चढ़ाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन में वृद्धि होती है। घर के मुख्य द्वार पर विशेष सजावट वास्तु शास्त्र में घर का मुख्य द्वार ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना गया है। दशहरे के दिन दरवाजे पर आम्रपल्लव, गेंदे के फूल और स्वास्तिक का चिन्ह बनाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लक्ष्मी माता का वास बना रहता है।

चित्त की आज़ादी: बंधनों से मुक्ति का मार्ग

मनुष्य के मन पर शब्दों का बोझ है। यही बोझ उसकी मानसिक गुलामी का कारण भी है। जब तक यह दीवार टूट नहीं जाती, तब तक न सत्य जाना जा सकता है, न आनंद, न आत्मा। जीवन की असली खोज सत्य की खोज है और उसकी पहली शर्त है स्वतंत्रता। जिसके मन का स्वभाव दासता से बंधा है, उसके लिए परमात्मा तक पहुंचने की संभावना भी समाप्त हो जाती है। केवल वही आत्माएं सत्य को जान पाती हैं, जिन्होंने अपने मन को हर बंधन से मुक्त कर लिया हो। इस विषय पर एक मित्र ने प्रश्न किया-यदि हम शब्दों से मौन हो जाएं, मन शून्य हो जाए, तो संसार का व्यवहार कैसे चलेगा? यह भ्रम है कि अशांत मन ही जीवन को चलाता है। यह वैसा ही प्रश्न है, जैसे बीमार पूछें-यदि हम स्वस्थ हो जाएं, तो जीवन कैसे चलेगा? या पागल पूछें-यदि हम सामान्य हो जाएं, तो व्यवहार कैसे संभव होगा? वास्तविकता यह है कि संसार का अधिकतर कष्ट और अराजकता अशांत मन के कारण है। फिर भी यदि अशांति के बीच जीवन चल रहा है, तो यह आश्चर्य है। दरअसल शांत और स्थिर मन समाज को बाधित नहीं करता, बल्कि उसे स्वर्ग में बदलने की क्षमता रखता है। जितना मन शब्दों से मुक्त होकर शांत होता है, उतनी ही गहरी दृष्टि विकसित होती है। जीवन का क्रम चलते रहेगा-मनुष्य बोलेगा, चलेगा, कार्य करेगा-परंतु वह सब एक नई गुणवत्ता से भरा होगा। ऐसे व्यक्ति का जीवन दूसरों में अशांति पैदा नहीं करेगा, और दूसरे की अशांति उसकी शांति को भंग नहीं कर पाएगी। यहां तक कि अप्रिय व्यवहार भी उसे फूल के समान प्रतीत होगा, और वह स्वयं किसी पर विष की वर्षा करने में असमर्थ रहेगा। समस्या यह है कि मानव समाज ने सामूहिक रूप से मन को शांत करने का मार्ग नहीं अपनाया। इसी कारण हमें स्वर्ग आकाश में कल्पना करना पड़ा, जबकि यह धरती भी पूर्णत: स्वर्ग बन सकती है। स्वर्ग का असल अर्थ है-जहां शांत और भले लोग हों। सुकरात से मृत्यु से पहले एक प्रश्न पूछा गया कि क्या वे स्वर्ग में जाना चाहेंगे या नरक में। उन्होंने उत्तर दिया-"इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे कहां भेजा जाएगा, क्योंकि मैं जहां भी रहूंगा, अपना स्वर्ग अपने साथ ले जाऊंगा।"