पटना बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी अधिकाधिक सीटें हासिल करने के लिए लंबे समय से बवेला मचाए हुए हैं. मांझी अब 20 सीटों के लिए अड़े हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर (LJP-R) को न सिर्फ सीटें चाहिए, बल्कि अब सीएम पद की रेस में भी उन्हें शामिल कर दिया है. चिराग के बहनोई सांसद अरुण पासवान की नजर में चिराग सीएम पद के लिए फिट कैंडिडेट हैं. मांझी ने अधिक सीटें मांगने के पीछे के कारण भी उजागर कर दिए हैं. उनका कहना है कि पार्टी को सदन में मान्यता के लिए कम से कम 8सीटों पर जीतना जरूरी है. और, यह तभी संभव होगा, जब उनकी पार्टी को 20 या इससे अदिक सीटें मिलें. एनडीए का तो रिकार्ड ही रहा है कि टिकट बंटवारे से पहले खूब चिल्ल-पों मचती है, लेकिन जिसे जितनी सीटें मिलती हैं, वे उससे ही संतुष्ट हो जाते हैं. सबसे मुश्किल हालात 8 विपक्षी दलों के महागठबंधन में पैदा हो गए हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे की शर्तों को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस ने कसी RJD की नकेल महागठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तलवारें तन गई हैं. अव्वल तो कांग्रेस तेजस्वी को चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित करने को तैयार नहीं, जबकि तेजस्वी खुद को सीएम फेस बताते रहे हैं. बिहार अधिकार पर निकले तेजस्वी कांग्रेस की चुप्पी के बावजूद अपने को भावी सीएम के रूप में पेश कर रहे हैं. पहले भी वे कई बार यह बात कह चुके हैं. राहुल के साथ वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि राहुल को पीएम और उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट कीजिए. जहां तक सीटों का सवाल है तो कांग्रेस 2020 की तरह मनपसंद 70 सीटें तो चाहती ही है, साथ ही अब उप मुख्यमंत्री का पद भी मांगने लगी है. दोनों दलों के बीच तनातनी का आलम यह है कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर 15 सितंबर को होने वाली महागठबंधन की बैठक टालनी पड़ गई. अब तेजस्वी यादव ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. खींचतान से महागठबंधन में दिख रही दरार अगर टूट की बुनियाद बन जाए तो आश्चर्य नहीं. बिहार की वह सीट, जिसे लेकर RJD-कांग्रेस में खींच गई तलवार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग का मसला गरमा गया है. खासकर कुटुंबा (SC) विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच खींचतान तेज हो गई है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आरजेडी ने इस सीट से पूर्व मंत्री सुरेश पासवान का नाम आगे कर दिया है. इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी है. कांग्रेस का आरोप है कि आरजेडी जानबूझकर दबाव की राजनीति कर रही है और कुटुंबा में उनकी मजबूत स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल, कुटुंबा सीट पर कांग्रेस का लगातार दबदबा रहा है. मौजूदा विधायक राजेश कुमार और उनके पिता सात बार से इस सीट पर कब्जा बनाए हुए हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजेश कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. उन्हें 50,822 वोट मिले थे, जबकि रनर-अप हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार शर्वन भुइंया को 34,169 वोट ही मिले. कांग्रेस ने तब 16,653 वोटों के अंतर से यह सीट अपने नाम की थी. साल 2020 के नतीजे कैंडिडेट कुल वोट वोट शेयर राजेश कुमार 50,822 36.61% शर्वन भुइंया 34,169 24.61% कहां फंसा है मामला? यही वजह है कि कांग्रेस मानती है कि इस सीट पर उनकी स्थिति बेहद मजबूत है और आरजेडी का नया चेहरा थोपना केवल राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार आरजेडी की मोहताज नहीं है और बदली हुई परिस्थितियों में बेहतर तरीके से चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस नेताओं का यह भी आरोप है कि राजेश राम को डिप्टी सीएम का चेहरा सामने न लाने के लिए भी अंदरखाने राजनीति हो रही है. यानी, महागठबंधन के भीतर सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान खुलकर सामने आने लगी है. 76 सीटों पर दावेदारी इसी बीच, खबर है कि कांग्रेस ने इस बार बिहार की 76 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. इनमें से 38 सीटों पर जल्द ही उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इन सीटों पर आरजेडी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार नहीं करेगी. यानी, पार्टी अब अपनी रणनीति खुद बनाने के मूड में है. आज दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक भी होने वाली है, जिसमें बिहार कांग्रेस के कई नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद कांग्रेस अपने रुख को और स्पष्ट करेगी. अब देखना यह है कि यह खींचतान सीट शेयरिंग फॉर्मूले को कितना प्रभावित करती है और क्या महागठबंधन एकजुट रहकर मैदान में उतर पाता है. कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी सीटों की संख्या के लिए आरजेडी के सामने कांग्रेस ने 2020 को आधार बनाने की शर्त रखी है. तब कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का कहना है कि उसे जो सीटें दी गईं, उसमें आधी से अधिक कमजोर सीटें थीं. इसलिए उसने टिकट बंटवारे में अच्छी-बुरी सीटों में संतुलन बनाने की दूसरी शर्त रखी है. कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत पाई थी. उसके खराब स्ट्राइक रेट को महागठबंधन की हार का एक मुख्य कारण माना गया था. कांग्रेस का कहना है कि उसे आधी से अधिक वैसी कमजोर सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से उसका स्ट्राइक रेट खराब रहा. कांग्रेस ने अपने लिए उप मुख्यमंत्री पद की तीसरी शर्त रखी है. महागठबंधन में शामिल वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी डिप्टी सीएम पद के लिए पहले से ही हाय-तौबा मचाए हुए हैं. सहनी तो यहां तक कहते हैं कि अगर तेजस्वी सीएम बनेंगे तो उनका डिप्टी सीएम बनना पक्का है. कांग्रेस की शर्तों से यह साफ है कि काग्रेस अब बिहार में अपने को आरजेडी का पिछलग्गू बनाए रखने से बचना चाहती हैं. राहुल की वोटर अधिकार … Read more