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घर का सोना-चांदी असली है या नहीं? जानें तुरंत जांचने के आसान तरीके

भोपाल  आपके घर में सोना-चांदी होगा या फिर दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहार सामने आ रहे हैं, ऐसे में आपके दिमाग में जरूर आ रहा होगा. जो सोना हम खरीद रहे हैं, क्या यह असली है या फिर नकली? क्या हमें बेवकूफ तो नहीं बनाया जा रहा है? सोने-चांदी खरीदते समय यह प्रश्न हर कस्टमर के दिमाग में जरूर होता है, लेकिन अब इसकी पहचान चुटकियों में हो जाएगी. हालांकि सोने और चांदी जानने की कई विधियां आपने सोशल मीडिया पर देखी होगी. लेकिन उन विषयों विधियों पर बिल्कुल भी विश्वास न करें. क्योंकि सोने और चांदी की सबसे अच्छी पहचान हॉलमार्क के अलावा कुछ भी नहीं हो सकती. ऐसा हम नहीं ऐसा सराफा के एक्सपर्ट्स कहते हैं. 6 अंक का डिजिट बताता है सोने की शुद्धता एक्सपर्ट अभिजीत जैन के मुताबिक, सोना खरीदते समय BIS का लोगो जरूर देखें. यह लोगों सोने की शुद्धता को बताता है. सोने की शुद्धता का कैरेट और नंबर को देखना चाहिए. जहां 22K 218 जैसे नंबर लिखे होते हैं. यह 6 अंक के डिजिट एचयूआईडी नंबर कहलाते हैं. यदि इस नंबर को BIS केयर ऐप में डाला जाए. तब सारी जानकारी जेवर से संबंधित मिल जाती है कि आपने कौन सा जेवर खरीदा है और इसकी शुद्धता के साथ इसे कब बनाया गया है. कम रेट होने पर हो जाएं अलर्ट इसके अलावा चांदी के निशान में भी BIS के निशान होते हैं, जिसमें 975 जैसे अंक लिखे होते हैं. जिसका मतलब होता है कि आपके द्वारा ली गई चांदी 97.5% शुद्ध चांदी है. उन्होंने बताया सोने और चांदी को पहचानने का यह तरीका सबसे बेस्ट होता है, इसके अलावा कोशिश करनी चाहिए, मार्केट में अच्छी छवि वाले सराफा व्यापारी से ही सोने-चांदी को खरीदना चाहिए. उन्होंने बताया हॉलमार्क देखना जरूरी होता है क्योंकि मार्केट में अधिकांश 22 कैरेट, 18 कैरेट और 20 कैरेट के जेवर आते हैं. जहां 22 कैरेट के सोने को 18 कैरेट का बताकर कुछ दुकान दर कम रेट में बेच देते हैं. इसीलिए कम रेट होने पर हॉलमार्क जरूर देखना चाहिए. घरों में इस तरह अपनाई जा सकती है ट्रिक  हालांकि, घरों में भी सोने और चांदी का परीक्षण किया जा सकता है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं होती. जैसे चुंबक का उपयोग कर सोने का परीक्षण किया जा सकता है. अगर सोना चिपकता है तो उसमें मिलावट हो सकती है. इतना ही नहीं असली सोने को, पानी में भरें बर्तन में डालें. अगर यह तुरंत डूब जाता है तो यह असली है. जबकि सोना धीरे-धीरे डूबता है या फिर तैरता है, तब सोना नकली हो सकता है. चांदी के परीक्षण में चांदी पर बर्फ का एक टुकड़ा रखें. अगर बर्फ बहुत जल्दी पिघलती है, तो चांदी असली है. इसके साथ ही चांदी के सिक्के को जमीन पर गिराए, अगर घंटी जैसी आवाज आती है. तो वह असली चांदी हो सकती है.  

मध्य प्रदेश में हज 2026 के लिए महिला महरम कोटे में 500 सीटें जारी

भोपाल  मप्र सहित देश भर से 500 महिलाएं अगले साल महरम कोटे से हज के मुकद्दस सफर पर जाएंगी। इसके लिए ऑन लाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है। इस संबंध में केंद्रीय हज कमेटी द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।  इस सुविधा के लिए वे ही महिलाएं आवेदन के लिए पात्र होंगी, जिनके परिजन में से पहले किसी का हज यात्रा के लिए चयन हो चुका है। अब उन महिलाओं के पास पोर्ट भी बन गए हैं। आवेदन हज कमेटी की वेबसाइट पर किए जा सकेंगे। इसके लिए 2026 दिसंबर तक का वेलिड पासपोर्ट अनिवार्य है। आवेदन अधिक आने पर हज कमेटी द्वारा कुर्रा निकाला जाएगा।  

देश का नया स्पोर्ट्स साइंस हब बनेगा भोपाल, जल्द शुरू होगा हाई-परफॉर्मेंस सेंटर

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में खेलों की दुनिया को एक नई दिशा देने की तैयारी चल रही है। नाथू बरखेड़ा में लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक स्पोर्ट्स साइंस एवं हाई-परफॉर्मेंस सेंटर की स्थापना हो रही है, जो खिलाड़ियों की वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित तैयारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा। यह केंद्र मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष पहल पर विकसित किया जा रहा है, जो स्वयं खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि आज के समय में केवल पारंपरिक अभ्यास पर्याप्त नहीं है, बल्कि खिलाड़ियों को मानसिक, शारीरिक और तकनीकी रूप से भी सशक्त बनाना जरूरी है। खेल विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार प्रतिभावान खिलाड़ी सिर्फ तकनीकी गलतियों, मानसिक दबाव या बार-बार लगने वाली चोटों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पाते। इन चीजों पर रहेगा विशेष ध्यान इस नए सेंटर में वैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिकों, पोषण विशेषज्ञों, फिजियोथेरेपिस्टों और डेटा एनालिस्ट्स की विशेषज्ञ टीम खिलाड़ियों की कमजोरी और जरूरतों के हिसाब से व्यक्तिगत प्रशिक्षण योजनाएं तैयार करेगी। यहां बॉयोमेकेनिक्स, स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन, मेंटल कंडीशनिंग और डेटा आधारित परफॉर्मेंस एनालिसिस पर खास फोकस रहेगा। नेशनल स्पोर्ट्स साइंस हब यह पहल न केवल मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों को ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार करेगी, बल्कि भोपाल को देश का नेशनल स्पोर्ट्स साइंस हब बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगी। भारत को वैश्विक खेल शक्ति बनाने के इस संकल्प में यह सेंटर एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। 

भोपाल पुलिस के लिए नया नियम: मौके पर जाने से पहले पहनना होगा बॉडी कैमरा

भोपाल  बहुचर्चित डीएसपी के साले उदित गायकी की मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। राजधानी भोपाल के साथी थानों में तैनात पुलिस जवान के हर कदम और कार्रवाई पर कैमरे की नजर होगी। रात में किसी भी तरह की सूचना पर इस कैमरा को पहनकर ही घटना स्थल पर जाना अनिवार्य है। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि शहर के गश्ती जवानों को बॉडी कैमरा(Bhopal Police) और रिकॉर्डिंग डिवाइस से लैस करने का आदेश जारी किया है। इसके लिए 200 कैमरों का ऑर्डर दिया जा चुका है। कंट्रोल रूम से सीधे होगी कंट्रोलिंग पुलिस कमिश्नर ने बताया कि शुरुआत में यह कैमरे रात में गश्त करने वाली टीमों को दिए जाएंगे। जवानों की वर्दी की जेब और कंधे पर कैमरा लगाया जाएगा, जो वीडियो और ऑडियो की रिकॉर्डिंग करेगा। किसी भी घटना, कार्रवाई के दौरान कैमरा ऑटोमेटिक चालू रहेगा। जिसकी कंट्रोलिंग कंट्रोल रूम से रहेगा। अब पुलिसिंग कार्रवाई में पारदर्शी रहें। पुलिस पर नहीं उठेंगे सवाल पुलिस प्रशासन ने यह कदम इसलिए उठाया कि पुलिसिंग में पारदर्शिता लाना है। उदित की मौत के बाद पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवालों पर अब पुलिस पर लोगों के भरोसे को और मजबूत करेगा। गश्त के दौरान होने वाली कार्रवाई कैमरे में रेकॉर्ड होगी। इससे घटना या शिकायत के मामले में फुटेज साक्ष्य के रूप में काम करेगा। यह शहर के सभी थानों और विशेष इकाइयों में लागू करेंगे, साथ ही पुलिसकर्मियों को कैमरा ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। नई व्यवस्था लागू की जाएगी इससे जवानों की कार्यप्रणाली में अनुशासन बढ़ेगा और जनता के साथ व्यवहार में भी सुधार आएगा। हर बात रेकॉर्ड होगी तो झूठे आरोप की बात नहीं रहेगी। नई व्यवस्था लागू होने के बाद भोपाल चुनिंदा शहरों में शामिल हो जाएगा। यह सिस्टम से पुलिस की कार्रवाई में पारदर्शिता रहेगी।- हरिनारायण चारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर

तमिलनाडु सरकार के रवैये से धीमी पड़ी जांच? कोल्ड्रिफ कांड में SIT की रफ्तार थमी

 छिंदवाड़ा  जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से 24 बच्चों की मौत के मामले में 10 अक्टूबर को गठित विशेष एसआईटी टीम लगातार जांच कर रही है। लेकिन जांच की रफ्तार धीमी है। इस जांच में दवा निर्माता कंपनी की फैक्ट्री वाले राज्य तमिलनाडु की सरकार के असहयोग पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। छिंदवाड़ा के सांसद बंटी विवेक साहू ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि तमिलनाडु सरकार जांच में अपेक्षित सहयोग नहीं कर रही है। जानकारी के अनुसार, इस असहयोग के चलते एसआईटी द्वारा तमिलनाडु के फूड सेफ्टी एंड ड्रग डिपार्टमेंट को नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में श्रीसन फार्मा (दवा निर्माता कंपनी) के रिकॉर्ड, ऑडिट और कॉम्प्लायंस की जानकारी मांगी गई है। एसआईटी यह पता लगाना चाहती है कि बच्चों की मौत का मामला सामने आने से पहले तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल अधिकारियों ने कब और किस तरह के निरीक्षण किए थे। हालांकि अधिकारियों ने नोटिस जारी करने की पुष्टि नहीं की है। दूषित बैच बाजार में आने से पहले पता लगा लेना चाहिए था मध्य प्रदेश पुलिस और सरकार का मानना है कि यह त्रासदी तमिलनाडु स्थित दवा फैक्ट्री हुई लापरवाही के कारण हुई है और वहां के अधिकारियों को दवा दूषित बैच बाजार में आने से पहले ही इसका पता लगा लेना चाहिए था। मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी टीम ने तमिलनाडु से श्रीसन फार्मा के मालिक जी. रंगनाथन और महिला लैब तकनीशियन के. महेश्वरी को गिरफ्तार किया है। जांच दल अब नियामक ढांचे के भीतर व्यक्तिगत जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, खासकर इस बात की जांच कर रहा है कि क्या तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल अधिकारियों ने केवल कागजी कार्रवाई पर निरीक्षण किया था, न कि भौतिक सत्यापन पर।

गौ-शालाओं और पशुपालकों को आयोजन में बनायें सहभागी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गोवर्धन पर्व संबंधी बैठक में दिए निर्देश भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में 21 अक्टूबर को गोवर्धन पर्व लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार मनाया जाए। आयोजन में गौशालाओं तथा पशुपालकों को विशेष रूप से सहभागी बनाया जाए। साथ ही गोवर्धन पर्व पर पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां दर्ज करने और नवाचार करने वाले उद्यमियों को सम्मानित भी किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ.यादव गोवर्धन पर्व आयोजन के संबंध में सोमवार को मंत्रालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि प्रदेश की गौ-शालाओं में गोवर्धन पर्व का सामुदायिक आयोजन होगा। गोवर्धन पर्व का मुख्य आयोजन रवीन्द्र भवन भोपाल में किया जाएगा, जिसमें गोवर्धन पूजन, परिक्रमा, अन्नकूट भोग मुख्य होगा। इस अवसर पर पशुचारक समुदायों की कला, बरेदी और ठाट्या नृत्य आदि का प्रस्तुतीकरण होगा। कार्यक्रम में जैविक उत्पादक, दुग्ध उत्पाद, गोबर आधारित शिल्प के स्टॉल लगाए जाएंगे, साथ ही पशुपालन, कृषि, सहकारिता विभाग की योजनाओं की जानकारी देने के लिए विशेष व्यवस्था होगी। इसके साथ ही ग्रामीण आजीविका के लिए दुग्ध उत्पादन और वृंदावन ग्राम योजना के विस्तार के लिए भी गतिविधियों का संचालन होगा। गोवर्धन पर्व पर सभी जिलों में गतिविधियां संचालित की जाएंगी। आंगनवाड़ी केंद्रों में पंचगव्य उत्पाद जैसे घी, दूध, पनीर और दही से बनी सामग्री का वितरण किया जाएगा।  

Diwali के बाद MP में सोयाबीन किसानों की खुशी, भावांतर योजना के तहत मिलेगा सही मूल्य

इंदौर सोयाबीन उत्पाद किसानों के लिए सरकार ने भावांतर योजना शुरू की है। इसके लिए 17 अक्टूबर तक पंजीयन कराए गए और अब दीपावली बाद 84 दिन भावांतर योजना में सोयाबीन की खरीदी होगी। 24 अक्टूबर से प्रदेश की सभी मंडियों में भावांतर येाजना में सोयाबीन बचे सकेंगे। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए मंडियों में प्रशासन द्वारा सभी सुविधाएं जुटाई जा रही है। 15 जनवरी तक होगी सोयाबीन की खरीदी इंदौर जिले में भी अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जो खरीदी से लेकर निगरानी और भुगतान तक की व्यवस्था देखेगी। इंदौर संभाग में भावांतर योजना में सोयाबीन बचने के लिए एक लाख 45 हजाार 188 किसानों ने पंजीयन कराया है। किसान 15 जनवरी तक भावांतर योजना में मंडियों में सोयाबीन बेच सकेंगे और अंतर की राशि का भुगतान सरकार द्वारा किसानों के पंजीकृत खातों में किया जाएगा। संभाग में पंजीयन के लिए 432 केंद्र बनाए गए थे। संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने विगत दिनों बैठक लेकर सभी जिलों के सोयाबीन की खरीदी को सुविधाजन बनाने के निर्देश जारी किए है। इंदौर की मंडियों में भी निगरानी के लिए विशेष व्यस्था की गई है।   सर्वाधिक पंजीयन इंदौर और धार जिले में हुए कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार संभाग में सर्वाधिक पंजीयन इंदौर और धार जिले में हुए है। सोयाबीन बोवनी के कुल रकबे की अपेक्षा इंदौर में 50.91 और धार में 35.74 प्रतिशत पंजीयन हुए है। जिले- किसान- रकबा- प्रतिशत इंदौर- 46,061 – 1,22,809 – 50.91 धार – 37,940 – 1,06,464 – 35.74 खंडवा – 20,001 – 46,652 – 24.75 बड़वानी – 13,455 – 15,592 – 75.18 खरगोन – 13,364 – 24,799 – 27.83 झाबुआ – 10,478 – 13,578 – 18.73 बुरहानपुर – 2,534 – 4,411 – 40.10 आलीराजपुर – 1,355 – 1,215 – 3.10

गोवर्धन पर्व: प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और समग्र विकास का पर्व – डॉ. मोहन यादव

गोवर्धन पर्वः प्रकृति से सह-अस्तित्व और समग्र विकास का उत्सव डॉ. मोहन यादव भोपाल आप सभी को दीपोत्सव, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव की शुभकामनाएं और बधाई… दीपावली के उत्सव की श्रृंखला में आरोग्य, आर्थिक समृद्धि, परिवार एवं समाज समन्वय और पर्यावरण संरक्षण का संदेश है। दीपावली के अगले दिन होने वाला गोवर्धन पर्व प्रकृति, पर्वत और गौ-वंश संरक्षण की भारतीय प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। इस परंपरा का साक्षात दर्शन हमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण करने से मिलता है। मानवता की रक्षा के इसी पावन स्मृति में गोवर्धन पूजन किया जाता है। इस पर्व में गौ-धन के संवर्धन की प्रेरणा है जो भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें भारतीय समाज की वह जीवनदृष्टि समाहित है, जिसमें प्रकृति, पशु, मनुष्य और देवत्व का संतुलन देखने को मिलता है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हम प्रदेशभर में गोवर्धन पर्व का आयोजन कर रहे हैं। यह पर्व सभी जिलों में लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार मनाया जा रहा है। आयोजन में पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर पशुपालन, कृषि और सहकारिता विभाग की जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी के साथ लोगों को जोड़ने और ग्रामीण आजीविका के लिए दुग्ध उत्पादन और वृंदावन ग्राम योजना के विस्तार की गतिविधियों का संचालन शुरू किया गया है। हमारे पर्व-परंपराओं में प्रकृति से सह-अस्तित्व और समग्र विकास का भाव है। इसी कड़ी में गोवर्धन पर्व प्रकृति और प्राणियों के बीच समन्वय और संरक्षण से जुड़ा है। इस दिन गोबर से पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है। पर्वत का प्राकृतिक संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान है। पर्वत जल संरक्षण, संवर्धन और ऋतुओं के संतुलन का समन्वय करते हैं। इससे नदी, तालाब तथा अन्य जलस्रोत सुरक्षित रहते हैं। गोवर्धन पूजन में पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प भी है। हमारा प्रयास है कि इस पर्व के माध्यम से प्रकृति और पशुधन का महत्व नई पीढ़ी तक पहुंचे। मध्यप्रदेश अपनी प्राकृतिक संपदा के साथ गौ-वंश से समृद्ध है। गौ-माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। हमने वर्ष 2024-25 को गौ-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष के रूप में मनाया। हम पशुपालक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रयासरत हैं। देश के दुग्ध उत्पादन का 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में होता है इसे 20 प्रतिशत तक करना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए प्रदेश के गांव-गांव में दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर पशुपालकों को पशुओं में नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं के टीकाकरण, स्वास्थ्य रक्षा, संतुलित पशु आहार, पशु पोषण आदि के बारे में तकनीकी और व्यवहारिक जानकारी दी जा रही है। इन सभी प्रयासों से हम मध्यप्रदेश को दुग्ध केपिटल बनायेंगे। मुझे इस बात का संतोष है कि मध्यप्रदेश सरकार गौ-पालन, गौ-संवर्धन के लिए संकल्पित है। हमने गौ-शालाओं के लिए अनुदान को 20 रुपये प्रति गौ-वंश प्रतिदिन से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गौ-वंश प्रतिदिन किया है। गौ-वंश के भरण-पोषण के लिए दो वर्ष पहले बजट 90 करोड़ रुपये था, जिसे 250 करोड़ रुपये किया गया और अब यह राशि बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौ-शाला परिसर में कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की स्थापना की गई है। प्रदेश में नवीन गौ-शालाओं का निर्माण, प्रति गाय अनुदान राशि बढ़ाने, गौ-उत्पादकों को प्रोत्साहन, गोबर से सीएनजी निर्मित करने वाले आधुनिक प्लांट की स्थापना तथा नेशनल डेयरी विकास बोर्ड के साथ करार जैसे नवाचार किये गये हैं। हमारे लिए खुशी की बात है कि मध्यप्रदेश में किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिये 2900 गौ-शालाएं हैं। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना के अंतर्गत 2203 गौ-शालाओंका संचालन हो रहा है। विगत एक वर्ष में एक हजार से अधिक नवीन गौ-शालाएं प्रारंभ की गई हैं। गौ-वंश के आश्रय एवं भरण-पोषण के लिए नगर पालिक निगम ग्वालियर, उज्जैन और इंदौर में गौ-शालाएं खोली गई हैं। भोपाल में 69.18 एकड़ भूमि पर 10 हजार गौ-वंश क्षमता की गौ-शाला का निर्माण किया जा रहा है। गौ-अभयारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र, सालरिया, जिला आगर-मालवा में वर्तमान में 6500 गौ-वंश का पालन-पोषण किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में गौ-वंश का संवर्धन दुग्ध उत्पादन से रोज़गार और स्वरोज़गार का बड़ा स्रोत होगा। महिलाओं की आत्मनिर्भरता में भी दुग्ध व्यवसाय का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश में जिस तरह खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया गया और हमारे किसान भाइयों ने उपज का भंडार भर दिया, उसी तरह दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुपालकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे प्रदेश में गौ-वंश पालन बढ़ेगा, कृषि की पारंपरिक व्यवस्था को आधार प्राप्त होगा और प्राकृतिक खेती को सहयोग मिलेगा। रसायन रहित पौष्टिक अन्न तथा अन्य वस्तुओं का उत्पादन जहां स्वास्थ्य के लिये लाभदायी होगा, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गौ-संवर्धन रोज़गार सृजन के साथ समाज को सांस्कृतिक मजबूती प्रदान करता है और सु-संस्कृत, स्वस्थ और सबल समाज का निर्माण करता है, जिससे सतत और समर्थ अर्थव्यवस्था का विकास संभव है। यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि यहां विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत की विपुल वन संपदा है। प्रदेश की समृद्धि और आत्मनिर्भरता पर्वतों और गौ-वंश के संरक्षण से जुड़ी है, जो मध्यप्रदेश और देश की प्रगति का आधार है। मुझे प्रसन्नता है कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार गौ-सेवा, जैविक कृषि और दुग्ध उत्पादन से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पित है। गोवर्धन पर्व के अवसर पर मेरा प्रदेश की जनता से आग्रह है कि हम सब मिलकर गोवर्धन पर्व-परंपरा के संकल्प को आत्मसात करें और विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण में सहभागी बनें।    

मुख्यमंत्री डॉ. यादव का संदेश: त्यौहार मनाएं सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संजोते हुए

प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक विरासत को सहेजने के भाव से मनाएं आगामी त्यौहार : मुख्यमंत्री डॉ. यादव गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाए धूमधाम से आत्मनिर्भर भारत और जीएसटी उत्सव का सभी विधानसभा क्षेत्रों में हो आयोजन दीपावली पर स्वदेशी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को करें प्रोत्साहित सभी जिलों में सामाजिक समरसता पर हों कार्यक्रम दीपावली पर वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों और अनाथ आश्रमों में साझा की जाएं खुशियां कलेक्टर्स, संवेदनशील घटनाओं और खबरों पर तत्काल लें संज्ञान सभी ओर हो पुलिस की उपस्थिति : जनसामान्य करे सुरक्षा की भावना महसूस मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगामी त्यौहारों के संबंध में वर्चुअल कॉन्फ्रेंस से किया संबोधित सांसद, विधायक, सहित सभी जिलों के कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक-नगरीय निकायों के पदाधिकारी और अधिकारी वीसी में हुए शामिल भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक विरासत को सहेजने के लिए आगामी 21 और 22 अक्टूबर को प्रदेश के सभी जिलों के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों और गौशालाओं में गोवर्धन पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के दुग्ध उत्पादन को 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर प्राकृतिक खेती और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियों का संचालन किया जाए। इन आयोजनों में मंत्री, सांसद, विधायक, नगरीय निकायों के पदाधिकारी, पंचायत प्रतिनिधियों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हों। स्थानीय स्तर पर सक्रिय सांस्कृतिक मंडलों को सम्मिलित करते हुए कार्यक्रमों को उत्सव के रूप में मनाया जाए। पशुपालन विभाग इन आयोजनों के लिए नोडल विभाग रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आगामी त्यौहारों के संबंध में रविवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन से सांसद, विधायक, सहित सभी जिलों के कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक-नगरीय निकायों के पदाधिकारी और अधिकारियों को वीसी के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वदेशी दीपावली मनाते हुए आत्मनिर्भर भारत के भाव को सशक्त करने के उद्देश्य से त्यौहारों में स्वदेशी वस्तुओं के क्रय विक्रय को प्रोत्साहित किया जाए। आत्मनिर्भर भारत और जीएसटी उत्सव के कार्यक्रम आगामी 25 दिसंबर तक जारी रहेंगे। सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी मंत्रीजनप्रतिनिधि और कलेक्टर्स परस्पर समन्वय से तिथियां निर्धारित करते हुए आत्मनिर्भर भारत/जीएसटी उत्सव के कार्यक्रम आयोजित करें। इन आयोजनों में स्वदेशी वस्तुओं के प्रदर्शन एवं क्रय-विक्रय को बढ़ावा दिया जावे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रत्येक जिले में सामाजिक समरसता के आयोजन सम्पन्न किए जायें। इन आयोजनों में सामाजिक चेतनाशील प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाए और सामाजिक समरसता की दिशा में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए विचार-विमर्श भी हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दिवाली पर्व हम सबके लिए है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से आहवान किया कि वे दीपावली पर वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों और अनाथ आश्रम जाकर उनके साथ दिवाली मनाएं। दिवाली के दूसरे दिन मजदूर मैदान, मजदूर हाट में जाकर श्रमिकों के साथ दिवाली की खुशियां साझा की जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि कलेक्टर्स द्वारा संवेदनशील घटनाओं और खबरों पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। कलेक्टर्स की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं और समाचारों के संबंध में प्रभारी मंत्री, स्थानीय सांसद तथा विधायकगण को वस्तुस्थिति से तत्काल अवगत करायें, उनके द्वारा आवश्यकतानुसार मौका स्थल का भ्रमण भी किया जाए। जिला कलेक्टर्स ऐसी सूचनाओं और खबरों पर तत्काल फैक्ट चेक और आवश्यकता हो तो खंडन जारी करें। प्रभारी मंत्री, विभागीय मंत्री, सांसद, विधायक भी भ्रामक और समाज में सद्भावना बिगाड़ने वाली खबरों के संबंध में सही स्थिति रखें। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस आवश्यक रूप से घनी बस्ती और चौराहों पर रहे, पुलिस बल भी इलाके में घूमें, पुलिस की उपस्थिति जनता के बीच दिखना चाहिए, जिससे जनता में सुरक्षा की भावना महसूस हो। विधायक एवं प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और विधायक भगवानदास सबनानी ने भी अपने विचार रखे।  

मध्य प्रदेश में बदलेगा शिकायत निवारण का सिस्टम, अब मुख्य सचिव देखेंगे लंबित मामलों को

 भोपाल  मुख्यमंत्री (सीएम) हेल्पलाइन की लंबित शिकायतों का शीघ्र समाधान हो, इसके लिए अब संबंधित विभाग के अधिकारी के अलावा लंबित शिकायतें मुख्य सचिव तक पहुंचेंगी। मध्य प्रदेश सरकार एल-4 के बाद अब एल-5 स्तर को भी जोड़ने जा रही है। यहां मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव की निगरानी में लंबित शिकायतों का समाधान होगा। एल-1 यानी पहले स्तर के अधिकारी को जवाबदेह बनाने के लिए कार्रवाई विवरण भरने के कालम में संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। इसके अलावा अन्य स्तर पर भी अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर करने का नियम लागू किया जाएगा। सीएम हेल्पलाइन-181 में दर्ज समस्याओं के समाधान में लगातार देरी के बीच राज्य सरकार इसमें यह महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। फोर्स क्लोज करने से पहले शिकायतकर्ता को बताना होगा कारण शिकायतों के निराकरण के लिए एल-1, एल-2, एल-3 व एल-4 हैं। एल-1 से एल-3 तक निराकरण नहीं होता है तो वह एल-4 पर जाती हैं। यहां फिर भी लंबित रहती हैं या उसे फोर्स क्लोज कर दिया जाता है। अब ऐसा करने से पहले एल-5 लेबल पर मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव भी शिकायतों का समाधान करेंगे। इसके अलावा शिकायतकर्ता को यह भी बताना होगा कि उसकी शिकायत को फोर्स क्लोज क्यों किया जा रहा है। गुजरात मॉडल पर होगा काम यह पूरी व्यवस्था गुजरात मॉडल पर होगी। इसके लिए मप्र सरकार के अधिकारियों का एक दल गुजरात भेजा गया था। यहां दल ने गुजरात की सीएम हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली और निराकरण करने के तरीके व मानीटरिंग सिस्टम को समझा। गुजरात से आए दल ने मध्य प्रदेश की सीएम हेल्पलाइन की विशेषताओं और खामियों का अध्ययन कर रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया गया कि एल-1 स्तर पर उचित जिम्मेदारी नहीं होने से शिकायतों के समाधान में देरी होती है। अधिकांश कार्रवाई का विवरण कंप्यूटर आपरेटरों के भरोसे चलता है, जिसमें शिकायत का केवल प्रारंभिक ब्यौरा ही दिया जाता है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही नई व्यवस्था की जा रही है। यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है     गुजरात मॉडल की तर्ज पर मध्य प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन की लंबित शिकायतें के निराकरण के लिए एल-5 स्तर को जोड़ा जा रहा है, इसमें मुख्य सचिव तक शिकायतें भेजी जाएगी। यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है, शासन से अनुमति मिलने पर लागू करेंगे। – संदीप आष्ठाना, अवर सचिव, मुख्यमंत्री सचिवालय