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2200 km/h स्पीड, 65% स्वदेशी और ब्रह्मोस का जुड़ाव — तेजस MK1A की ताकत क्या है?

नई दिल्ली  भारत की रक्षा ताकत एक बार फिर दुनिया को चौंकाने वाली है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस Mk1A (Tejas Mk1A) अब पहली उड़ान के लिए तैयार है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में महाराष्ट्र के नासिक से यह देश का सबसे आधुनिक स्वदेशी लड़ाकू विमान आसमान में उड़ान भरेगा. यह वही ‘तेजस’ है, जो पूरी तरह भारतीय इंजीनियरिंग, तकनीक और आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है. भारतीय वायुसेना इसे अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है. और माना जा रहा है कि इसे बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात किया जाएगा, ताकि पाकिस्तान की सीमा के पास भारत की हवाई शक्ति और भी मजबूत हो सके. भारत का ‘गेमचेंजर’ फाइटर- तेजस MK1A तेजस एमके-1ए पुराने मिग-21 का एडवांस वर्जन है, जिसमें अल्ट्रा-मॉडर्न एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और बेहतर रडार लगाए गए हैं. इसकी अधिकतम रफ्तार 2,200 किमी/घंटा है. यानी कुछ ही मिनटों में यह दुश्मन की सीमा तक पहुंच सकता है. इसमें लगी आधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड स्ट्राइक क्षमता इसे “सुपर-पावर जेट” बनाती है. इसके अलावा यह दुनिया के सबसे हल्के लेकिन घातक फाइटर जेट्स में शामिल है, जो किसी भी मौसम में मिशन पूरा कर सकता है. 65% स्वदेशी तकनीक, भारत की ताकत का नया प्रतीक तेजस एमके-1ए की सबसे बड़ी उपलब्धि इसका 65 प्रतिशत स्वदेशी योगदान है. एचएएल ने बताया कि इसके अधिकांश पार्ट्स भारतीय कंपनियों ने तैयार किए हैं. रडार से लेकर एवियोनिक्स और स्ट्रक्चर तक. यह भारत की तकनीकी ताकत दिखाने वाला कदम है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की बड़ी उपलब्धि है. मिग-21 की जगह लेगा ‘तेजस’ भारतीय वायुसेना ने हाल ही में अपने पुराने मिग-21 बेड़े को रिटायर किया है. अब उसकी जगह तेजस एमके-1ए लेगा. वायुसेना और एचएएल के बीच 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध हुआ है. इसके तहत 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान भारत को मिलेंगे. इनमें 68 सिंगल-सीटर और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनर जेट शामिल हैं. इंजन और उत्पादन में मिली रफ्तार अमेरिकी कंपनी GE ने एचएएल को अब तक चार GE-404 जेट इंजन सप्लाई किए हैं. वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन मिलने की उम्मीद है. इन इंजनों की मदद से तेजस के उत्पादन और वायुसेना को डिलीवरी में तेजी आएगी. आने वाले कुछ सालों में भारतीय वायुसेना के पास दर्जनों तेजस फाइटर जेट्स होंगे. हर एक दुश्मन के लिए डर की वजह. पाकिस्तान की ‘नींद उड़ाने’ को तैयार तेजस एमके-1ए की तैनाती के बाद भारत की सीमाएं पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित होंगी. इसकी रफ्तार, हथियार क्षमता और स्टेल्थ डिजाइन पाकिस्तान की वायुसेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस का हर स्क्वॉड्रन “आत्मनिर्भर भारत की उड़ती ढाल” साबित होगा. भारत के आसमान में ‘स्वदेशी शेर’ की दहाड़ तेजस एमके-1ए सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी ताकत, वैज्ञानिक क्षमता और सैन्य आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. जब यह शुक्रवार को नासिक के आसमान में उड़ान भरेगा, तो यह भारत के एयरोस्पेस इतिहास का एक नया अध्याय लिखेगा.  

टैक्स बचाने की नई रणनीति पर काम कर रहा एप्पल, इनकम टैक्स में कर सकता है बदलाव

नई दिल्ली  एप्पल कंपनी भारत में अपने कारोबार को बढ़ावा दे रही है। कंपनी के आईफोन अब भारत में बहुत तेजी से बन रहे हैं। कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही 10 अरब डॉलर (करीब 88,730 करोड़ रुपये) के आईफोन का निर्यात किया है। यह एक रेकॉर्ड है। अब अमेरिका की यह कंपनी भारत सरकार से अनोखी मांग कर रही है। कंपनी की मांग से ऐसा लगता है कि इसकी लॉबी भारत सरकार पर हावी हो रही है। एप्पल भारत सरकार से इनकम टैक्स कानून में बदलाव की मांग कर रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी चाहती है कि उसे अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को दिए जाने वाले हाई-एंड आईफोन बनाने वाली मशीनों के मालिकाना हक पर टैक्स न देना पड़े। सूत्रों का कहना है कि यह एक ऐसी समस्या है जो एप्पल के भारत में भविष्य के विस्तार में बाधा डाल सकती है। भारत एप्पल के अनुरोध की सावधानी से समीक्षा कर रहा है। भारत में मौजूदगी बढ़ा रही कंपनी यह मांग ऐसे समय में आई है जब एप्पल चीन से बाहर निकलकर भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक साल 2022 से भारत में आईफोन की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 8% हो गई है। जबकि दुनिया भर में आईफोन की कुल शिपमेंट में चीन का हिस्सा अभी भी 75% है, वहीं भारत का हिस्सा 2022 से चार गुना बढ़कर 25% हो गया है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार है। क्या है एप्पल का प्लान? एप्पल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन और टाटा ने पांच प्लांट खोलने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है। लेकिन इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा आईफोन असेंबली के लिए महंगी मशीनें खरीदने में चला जाता है।एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर एप्पल अपनी व्यावसायिक प्रथाओं को बदले बिना नई दिल्ली को साल 1961 के उस कानून को बदलने के लिए राजी नहीं कर पाता जो भारत में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विदेशी मालिकाना हक को कवर करता है, तो उसे अरबों डॉलर का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। चीन में नहीं देना होता टैक्स चीन में एप्पल आईफोन बनाने वाली मशीनें खरीदता है और उन्हें अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को देता है। भले ही वह उन मशीनों का मालिक हो, फिर भी उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन भारत में ऐसा संभव नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और दो अन्य उद्योग सूत्रों ने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत एप्पल के ऐसे मालिकाना हक को एक तथाकथित 'व्यावसायिक संबंध' माना जाएगा। इससे अमेरिकी कंपनी के आईफोन मुनाफे पर भारतीय टैक्स लग जाएगा। एप्पल को होगा फायदा सूत्रों ने बताया कि एप्पल के अधिकारियों ने हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों से इनकम टैक्स के इस कानून में बदलाव के लिए बातचीत की है। कंपनी को डर है कि मौजूदा कानून उसके भविष्य के विकास में बाधा डाल सकता है। एक सूत्र ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स एक हद से ज्यादा पैसा नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा अगर पुराने कानून में बदलाव किया जाता है तो एप्पल के लिए विस्तार करना आसान हो जाएगा।

बेंगलुरु का ट्रैफिक जाम खत्म करेगा बिजनेस कॉरिडोर प्रोजेक्ट, जानिए क्या है योजना

बेंगलुरु देश का बड़ा औद्योगिक शहर बेंगलुरु किलोमीटरों तक लगने वाले जाम के चलते चर्चा में रहा है। शहर का जनजीवन भी इस जाम की समस्या से प्रभावित हुआ है और अब इससे निपटने के लिए बेंगलुरु बिजनेस कॉरिडोर बनाने की तैयारी है। इस 117 किलोमीटर के कॉरिडोर से टेक सिटी को जाम मुक्त करने का प्लान है। यह दिल्ली के रिंग रोड जैसा होगा, जो पूरे बेंगलुरु को बाहर से होते हुए ही कनेक्ट करेगा। कर्नाटक कैबिनेट की ओर से इसकी मंजूरी मिल गई है। इस प्रोजेक्ट को बेंगलुरु डिवेलपमेंट अथॉरिटी की ओर से पूरा किया जाएगा और इसकी टाइमलाइन दो साल की रखी गई है। इस प्रोजेक्ट का ऐलान करते हुए कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का कहना है कि बेंगलुरु का जाम खत्म करने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम होगा। उन्होंने कहा, 'बेंगलुरु चोक हो रहा है। हम चाहते हैं कि ट्रैफिक की समस्या कम हो। मैं जानता हूं कि इस प्रोजेक्ट से 1900 परिवार प्रभावित होंगे। लेकिन सरकार उन्हें उम्मीद से बढ़कर मुआवजा देगी। हमारा यह फैसला कर्नाटक सरकार की ओर से लिए गए सबसे बड़े निर्णयों में से एक है।' शिवकुमार ने कहा कि यह कॉरिडोर बन जाएगा तो बेंगलुरु का 40 पर्सेंट ट्रैफिक कम हो जाएगा। इससे हाइवेज और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की ओर गुजरने वाले बड़े वाहन शहर के बाहरी इलाके से ही निकल जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि कुछ जमीन मालिकों ने भूमि देने से इनकार किया तो हम अदालत में मुआवजा जमा करेंगे और काम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के विकास के लिए अहम इस परियोजना को हम किसी भी कीमत पर नहीं रोकेंगे। इस प्रोजेक्ट में 10000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस परियोजना के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीन के लिए सरकार ने किसानों को 5 विकल्प दिए हैं। इसके तहत किसानों को विकसित भूमि भी मिलेगी। यदि वे चाहेंगे तो उन्हें रिहायशी और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स में भी जगह दी जाएगी। कर्नाटक सरकार का मानना है कि यह परियोजना बेंगलुरु के विकास के लिए गेमचेंजर होगी।

23 अक्टूबर से बदल रहा बांकेबिहारी मंदिर का समय, जानें नए दर्शन समय की पूरी जानकारी

मथुरा वृंदावन में 23 अक्तूबर बृहस्पतिवार को भाई दूज पर्व से जन-जन के आराध्य भगवान श्री बांकेबिहारी जी महाराज के मंदिर में दैनिक दर्शन समय व भोगराग में बदलाव हो जाएगा। ठाकुरजी की शीतकालीन सेवाओं का दौर आरंभ होने पर सुबह-शाम की दर्शन समयसारिणी के साथ ही प्रभु को परोसे जाने वाले भोग पदार्थों में भी मौसम के अनुरूप परिवर्तन कर दिया जाएगा। ठाकुर जी की विलक्षण सेवाविधि पर प्रकाश डालते हुए सेवायत आचार्य विप्रांश बल्लभ गोस्वामी बताते हैं कि विश्वविख्यात श्री बांकेबिहारी मंदिर में होली बाद भाई दूज से दिवाली तक ग्रीष्मकालीन एवं दिवाली बाद भाई दूज से होली तक शीतकालीन सेवाओं की परिपाटी निभाई जाती है। सेवायत के अनुसार उसी परंपरा का पालन करते हुए भैयादूज पर्व से भगवान को होने वाले सर्दीले अहसास का ध्यान रखते हुए उन्हें परोसी जानी वाली भोग सामग्री में गर्म तासीर वाले पदार्थों मेवाओं व केसर की मात्रा बढ़ा दी जाएगी।  ठाकुरजी को दोनों वक्त अर्पित किए जाने के लिए तैयार चंदन में पर्याप्त केसर मिलाया जाएगा। माखन-मिश्री दूधभात और रात्रि दूध में भी उत्तम किस्म की पंचमेवा तथा केसर मिलाई जाने लगेगी। सर्दी से बचाने के लिए ठाकुरजी को हल्की सिल्क की पोशाकों की जगह शनील, बेलवेट, मोटी मखमल की अस्तरदार पोशाकें पहनाई जाएंगी। गर्म तासीर के इत्रों से होगी मालिश सर्द मौसम में आराध्य को गर्मी का आनंद देने के लिए सुबह, दोपहर, संध्या व रात्रि में अर्थात पूरे दिन में चार बार केसर, कस्तूरी, हिना, ऊद, मस्क, अंबर आदि गर्म तासीरी इत्रों से मालिश की जाएगी। दोपहर एवं रात्रि में शयन के वक़्त श्रीबांकेबिहारी जी महाराज को शनील की मोटी रजाई ओढ़ाई जाएगी। कुछ दिनों बाद ठंड का प्रकोप बढ़ने पर शयन बेलाओं में भगवान को मखमल-शनील का मोटा टोपा पहनाया जाने लगेगा। इसी के साथ चांदी की सिगड़ी में कच्चे कोयले की धीमी अग्नि सुलगाकर प्रभु को तप्तसुख पहुंचाया जाएगा।  

OTP पर निर्भर सुरक्षा: Mappls ने लॉन्च किया इंजन लॉक, चोरी पर पड़ेगा बड़ा अंकुश

नई दिल्ली ZOHO के मैसेजिंग ऐप Arattai की तरह ही अब स्वदेसी मैप Mappls को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रमोट किया है. इसके बाद से ही इसके शेयर में करीब 10 परसेंट का उछाला आया है. लेकिन यहां हम कंपनी के शेयर नहीं बल्कि Mappls का एक ऐसा खास फीचर बताने जा रहे हैं, जो आपकी कार चोरों से दूर रखने का काम करेगा.  Mappls ऐप के अंदर Immobiliser नाम का फीचर दिया है. इस फीचर का इस्तेमाल करके आप आसानी से अपनी कार के इंजन को रिमोटली बंद कर सकते हैं. इसके लिए आपको पासवर्ड या OTP एंटर करना होगा.  MapMyIndia ने तैयार किया Mappls  Mappls को MapMyIndia ब्रांड ने तैयार किया है. मैप माय इंडिया के मार्केट में कई GPS कार ट्रैकर मौजूद हैं, जिनमें से कुछ प्रोडक्ट के अंदर आपको कार चोरी होने से बचाने की सर्विस मिलती है.  स्वदेसी Mappls ऐप के साथ ये ट्रैकर कंपेटेबल होते हैं. ऐसे में यूजर्स चाहें तो पूरा सेटअप कराने के बाद अपनी कार के इंजन को घर बैठे ऑफ कर सकते हैं. इसमें फ्यूल ऑफ आदि हो जाता है. कार के ECU को कंट्रोल करता है इम्मोबिलाइजर     दरअसल, कार के अंदर इम्मोबिलाइजर होता है, जो इंजन को ऑन करने में मदद करता है. दरअसल, कार की चाबी के अंदर एक ट्रांस्पोंडर चिप होती है.      ये चिप इंजन के कंट्रोल यूनिट (ECU) को एक खास कोड भेजता है. जब ECU कोड को वेरिफाई करता है और कोड सही होने के बाद सिस्टम इंजन को ऑन होने की परमिशन देता है.     अगर कोड गलत या मिशिंग होता है तो कार का ECU सिस्टम फ्यूल सप्लाई को रोक देता है, जिससे कार का इंजन ऑन नहीं होता है.   इम्मोबिलाइजर ऐसे काम करता है  सबसे पहले तो अपनी कार में Mappls या किसी अन्य कंपनी का GPS ट्रैकर इंस्टॉल कराना होगा, जिनमें गाड़ी का इंजन स्विच ऑफ करने करने का फीचर मिलता है. जीपीएस ट्रैकर कार में लगे इम्मोबिलाइजर को कमांड देता है, जिसके बाद कार का इंजन, फ्यूल सप्लाई और स्टार्टर बंद हो जाते हैं.  मोबाइल ऐप पर मिलता है एक्सेस  मोबाइल ऐप Mappls पर जीपीएस ट्रैकर का एक्सेस मिलता है. इसकी मदद से आप कार की लोकेशन, इंजन ऑन होने पर नोटिफिकेशन्स देख सकते हैं. अगर कोई चोरी-छिपे कार को ऑन करता है तो मोबाइल पर तुरंत अलर्ट आ जाता है.  रिएक्टिवेशन का भी फीचर  कार के इंजन को अगर आपने रिमोटली ऑफ किया था और जब आपको सुरक्षित तौर पर कार रिकवर हो जाती है. तो आपको रिएक्टिवेशन को ऑन करना होगा. इसके बाद आप कार के इंजन को ऑन करके उसे चला सकते हैं.

गाय की डकार पर टैक्स, हरियाली बढ़ाने पर राहत! डेनमार्क की पर्यावरण बचाने वाली नई नीति

कोपेनहेगन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए डेनमार्क सरकार ने एक अनोखा कानून बनाया है. इसका नाम है “फ्लैटुलेंस टैक्स” यानी गायों द्वारा छोड़ी गई गैस पर टैक्स. यह कानून 18 नवंबर 2024 को घोषित किया गया था. इसके अनुसार, 2030 से डेनमार्क के किसानों को अपनी गायों और सूअरों की डकार और गैस उत्सर्जन पर टैक्स देना होगा. 2030 में किसानों को प्रति टन मीथेन पर 300 डेनिश क्रोनर (लगभग 24,100 रुपये) टैक्स देना होगा. 2035 तक यह राशि बढ़कर 750 क्रोनर (लगभग 10,000 रुपये) हो जाएगी.  पेड़ लगाने पर मिलेगी 60 फीसदी की छूट हालांकि, अगर किसान पेड़ लगाकर उत्सर्जन (emissions) कम करेंगे तो उन्हें 60% की छूट मिलेगी. यह टैक्स गाय और भैंसों से निकलने वाली मीथेन गैस को कम करने के लिए लगाया गया है. मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है, जो कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना ज्यादा खतरनाक है. एक गाय रोजाना करीब 500 लीटर मीथेन छोड़ सकती है.  न्यूजीलैंड ने भी 2022 में लगाया था टैक्स संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में जानवरों से होने वाला उत्सर्जन कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 12% है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हम इस सदी के पहले आधे हिस्से में ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं, तो 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को 45% तक घटाना जरूरी है. इससे पहले न्यूजीलैंड ने भी 2022 में किसानों पर इसी तरह का टैक्स लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 2024 में किसानों के विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया गया.

हथियारों की खरीद पर सरकार आक्रामक, आधा डिफेंस बजट उड़ा, कई डील्स पेंडिंग में

नई दिल्ली भारतीय सेना को स्वदेशी और आधुनिक बनाने के लिए तेजी से निवेश किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में रक्षा खरीद (कैपिटल एक्सपेंडिचर) के लिए 1,80,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. मात्र कुछ महीनों के भीतर ही रक्षा मंत्रालय ने इस पूरे आवंटन का 50 प्रतिशत से अधिक खर्च कर दिया है. रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष (FY) 2025-26 में मंत्रालय ने सितंबर 2025 के अंत तक कैपिटल एक्सपेंडिचर का 50% से अधिक उपयोग कर लिया है. कुल आवंटन 1,80,000 करोड़ रुपये में से 92,211.44 करोड़ रुपये (51.23%) खर्च किए जा चुके हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में रक्षा मंत्रालय ने 1,59,768.40 करोड़ रुपये का 100% कैपिटल एक्सपेंडिचर खर्च किया था. लगातार की जा रही है खरीद रक्षा मंत्रालय के अनुसार, कैपिटल एक्सपेंडिचर का 50% से अधिक उपयोग करने से महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म जैसे एयरक्राफ्ट, शिप, पनडुब्बी, हथियार प्रणाली आदि की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित होगी, जो आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए अत्यंत आवश्यक है. अधिकतर खर्च एयरक्राफ्ट और एयरो इंजन पर किया गया है. इसके बाद लैंड सिस्टम्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण, हथियार और प्रोजेक्टाइल पर खर्च हुआ है. कैपिटल एक्सपेंडिचर रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसके तहत नए हथियारों की खरीद, अनुसंधान एवं विकास, और सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है. स्वदेशीकरण पर फोकस अपने देश में बने हथियारों से देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में स्वदेशीकरण की मुहिम तेज़ी से आगे बढ़ रही है. वित्तीय वर्ष 2020-21 से ही रक्षा मंत्रालय घरेलू उद्योगों से खरीद के लिए धन आवंटित कर रहा है, जिससे ये उद्योग लगातार मजबूत हो रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2025-26 में घरेलू उद्योगों के लिए 1,11,544.83 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. अब तक घरेलू खरीद के लिए आवंटित राशि का 45% तक का महत्वपूर्ण खर्च दर्ज किया गया है. यह आवंटन रक्षा प्रौद्योगिकी और निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ MSMEs, स्टार्ट-अप्स आदि को इस क्षेत्र में आकर्षित करने के उद्देश्य से किया गया है. सशस्त्र बलों की सेवाओं के लिए पूंजीगत आवंटन में पिछले कई वर्षों से लगातार वृद्धि देखी जा रही है. पिछले पांच वर्षों में इसमें लगभग 60% की बढ़ोतरी हुई है.

भारत की ऐतिहासिक फाइटर जेट फैक्ट्री अब तेजस पर फोकस, रफाल और सुखोई के युग से आगे

नासिक भारत की वायु सेना को मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा बदलाव हो रहा है. नासिक शहर की वह बड़ी फैक्ट्री, जो पहले रूसी लड़ाकू विमानों को जोड़ने का काम करती थी, अब भारत के अपने बनाए विमानों पर ध्यान दे रही है. यह फैक्ट्री लगभग 1000 रूसी विमान बना चुकी है. अब यह तेजस लड़ाकू विमान और एचटीटी-40 ट्रेनर विमान बनाने में जुटी है. वहां से पहली बार स्वदेशी तेजस एलसीए एमके1ए विमान की उड़ान दिखेगी.  पुराने दिनों की यादें: रूसी विमानों का कारखाना नासिक की यह फैक्ट्री भारत का सबसे बड़ा लड़ाकू विमान बनाने वाला केंद्र है. यह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का हिस्सा है. पहले यह फैक्ट्री सोवियत यूनियन (अब रूस) के डिजाइन वाले विमानों को जोड़ती थी. यहां से निकले विमान भारतीय हवाई सेना की ताकत बने.     मिग-21 का जादू: यह फैक्ट्री ने 575 मिग-21 विमान बनाए. मिग-21 को 'बाइसन' भी कहते हैं. यह छोटा लेकिन तेज विमान था, जो दुश्मनों को डराता था.     सु-30एमकेआई की ताकत: इसके अलावा, सु-30एमकेआई जैसे बड़े विमान भी यहां जोड़े गए. कुल मिलाकर, लगभग 1000 रूसी मूल के विमान इस फैक्ट्री से बने. ये विमान भारत को विदेश से मिले थे, लेकिन यहां जोड़कर तैयार किए जाते थे. इससे भारत की हवाई सेना मजबूत हुई, लेकिन अब समय बदल गया है. भारत अब खुद के विमान बना चुका है.  नया दौर: स्वदेशी विमानों की शुरुआत अब नासिक की फैक्ट्री को नया रूप दिया गया है. पुराने हैंगर (बड़े गोदाम जैसे कमरे) को साफ-सुथरा और आधुनिक बनाया गया. पुराने उपकरण हटा दिए गए. अब नए जिग्स, फिक्सचर और टूल्स लगाए गए हैं, जो भारतीय डिजाइन वाले विमानों के लिए हैं.     निवेश का जुगाड़: इस बदलाव पर 500 करोड़ रुपये खर्च हुए. फैक्ट्री का इलाका 13 लाख वर्ग फुट का है. यह बहुत बड़ा है.     तेजस एलसीए एमके1ए: यह भारत का अपना लड़ाकू विमान है. यह हल्का, तेज और चालाक है. नासिक में नई असेंबली लाइन बनी है. यहां पहले साल में 8 तेजस विमान बनेंगे. बाद में और तेजी से बनाए जा सकेंगे.     एचटीटी-40 ट्रेनर: यह बेसिक ट्रेनर विमान है. पायलटों को फाइटर जेट उड़ाना सिखाने के लिए. यह विमान पूरी तरह भारतीय डिजाइन का है. बेंगलुरु और नासिक दोनों जगह बन रहा है, ताकि जल्दी डिलीवरी हो. फैक्ट्री के अधिकारी कहते हैं कि नई लाइन पूरी तरह तैयार है. इसमें 30 से ज्यादा जिग्स हैं, जो विमान के मुख्य हिस्सों जैसे सेंटर फ्यूजलेज, फ्रंट फ्यूजलेज, रियर फ्यूजलेज, विंग्स और एयर इंटेक को जोड़ने के लिए हैं. उत्पादन की क्षमता: कितने विमान बनेंगे? भारत को हर साल ज्यादा विमान चाहिए. पुराने विमान जैसे मिग-21 को रिटायर कर दिया गया है. वायु सेना को 30-40 नए विमान सालाना चाहिए.     नासिक की भूमिका: यहां से 8 तेजस सालाना.     बेंगलुरु की मदद: वहां दो और लाइनें हैं. कुल मिलाकर, एचएएल 24 विमान सालाना बना सकेगी.     सु-30 का हिस्सा: फैक्ट्री का कुछ हिस्सा अभी भी सु-30एमकेआई के लिए है. जल्द 15 नए सु-30 के ऑर्डर पूरे होंगे. आत्मनिर्भरता की उड़ान नासिक की फैक्ट्री अब भारत की शान है. पहले रूसी जेट्स, अब स्वदेशी तेजस. यह बदलाव दिखाता है कि भारत अब खुद मजबूत हो रहा है. हवाई सेना को नई ताकत मिलेगी. आने वाले दिनों में और तेजी से उत्पादन होगा. 

पति की हरकतों ने बदल दी 12 करोड़ की जीत की खुशी, चीन की महिला ने तलाक का किया फैसला

नई दिल्ली कभी-कभी सोशल मीडिया पर ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसे देखकर लोगों के होश उड़ जाते हैं। ऐसे ही मामला चीन में देखने को मिला है, जहां एक व्यक्ति लॉटरी में 14 लाख डॉलर जीत गया। हालांकि इसके बाद वह बहक गया और उसके सिर पर नशा इस कदर चढ़ा कि अब उसकी पत्नी के साथ तलाक की भी नौबत आ चुकी है। यह मामला शेडोंग प्रांत के देझोऊ का है और इस जोड़े की शादी 2016 से हुई थी। लॉटरी में 14 लाख डॉलर जैसी भारी भरकम राशि जीतने के बाद उस व्यक्ति का बर्ताव पूरी तरह बदल गया। वो पूरा दिन जुआ खेलने लगा और महिला लाइव स्ट्रीमर्स को लाखों रुपये की टिप भी देने लगा। यही नहीं, उसने एक महिला स्ट्रीमर को 12 लाख युआन (लगभग 168,000 अमेरिकी डॉलर यानी 20.87 लाख रुपये) की टिप भी दी थी।   महिला ने पति के खिलाफ कोर्ट में तलाक की अर्जी दी यह पूरा हाल जब उसकी पत्नी ने देखा तो वह पूरी तरह गुस्सा हो गई, जिसके बाद उसने कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है। पत्नी ने जब अपने पति का फोन देखा तो उसने पाया कि वह एक महिला स्ट्रीमर से 'हनी' कहकर बात कर रहा था। इससे महिला और भी ज्यादा गुस्सा हो गई। युआन ने बताया कि पहले तो वह भी अपने पति की तरह बहुत खुश हुई जब उसने उसे खुशखबरी सुनाई और कहा कि वह इन पैसों से अपनी पसंद की कोई भी चीज खरीद सकती है। कार्ड में नहीं थी कोई राशि उन्होंने उसे एक बैंक कार्ड भी दिया, जिसमें कथित तौर पर तीन मिलियन युआन (420,000 अमेरिकी डॉलर) की राशि थी, जिसे वे खर्च कर सकते थे। अपने पति के प्रति विश्वास के कारण युआन ने खाते में शेष राशि की जांच नहीं की, बल्कि कार्ड को दराज में रख दिया। युआन को बाद में पता चला कि उसके पति द्वारा दिए गए कार्ड में कोई धनराशि नहीं थी।

कार मालिकों की चिंता बढ़ी: E20 पेट्रोल नुकसान और पॉलिसी कवरेज की खामियां

नई दिल्ली  भारत में E20 फ्यूल को बढ़ावा देने की मुहिम अब कार मालिकों और बीमा कंपनियों के लिए नई चुनौती बनती जा रही है। पेट्रोल वाहनों के मेंटेनेंस खर्च पिछले दो महीनों में दोगुना हो गया है। अगस्त में यह खर्च 28% था, जो अक्टूबर में बढ़कर 52% तक पहुंच गया। यह जानकारी लोकलसर्कल्स के एक सर्वे में सामने आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले से ही महंगे पेट्रोल दामों से परेशान ग्राहकों पर इन बढ़े हुए खर्चों ने आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। कार मालिकों की प्रतिक्रिया सर्वे में कई वाहन मालिकों ने कहा कि अगर E20 फ्यूल को ऑप्शनल रखा जाए और इसकी कीमत 20% कम की जाए, तो वे इसका समर्थन करेंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह भावना पर्यावरण विरोधी नहीं है, बल्कि वाहन मालिकों पर अचानक थोपे गए बदलाव के कारण उत्पन्न हुई है। बीमा में नई समस्याएं बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि E20 फ्यूल के कारण होने वाले नुकसान अक्सर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी वाहन को E20 फ्यूल से नुकसान हुआ, तो इसे रासायनिक जंग या मैकेनिकल घिसावट माना जाता है, न कि दुर्घटना। ऐसे मामलों में बीमा कवरेज आमतौर पर लागू नहीं होता। हालांकि, अगर इंजेक्टर खराब होने से इंजन में आग लगती है, तो यह विवाद का मामला बन सकता है। स्पष्ट पॉलिसी की जरूरत विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा पॉलिसी में बदलाव की आवश्यकता है, ताकि इथेनॉल से जुड़े नुकसान और अपवादों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा सके। ऐसा न होने पर भविष्य में यह विवादों का कारण बन सकता है कि कौन-सा नुकसान बीमा में कवर होगा और कौन-सा नहीं।   सरकार का रुख केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि E20 फ्यूल पर आ रही शिकायतें गलत जानकारी पर आधारित हैं। सरकार का दावा है कि E20-कंपैटिबल वाहन 2023 से ही उपलब्ध हैं और इथेनॉल कार्यक्रम भारत के स्वच्छ ईंधन, कम आयात, और किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाता है। E20 फ्यूल में 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल होता है। इसे अप्रैल 2023 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ शहरों में शुरू किया गया था, और अब पूरे देश में लागू कर दिया गया है।