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कार मालिकों की चिंता बढ़ी: E20 पेट्रोल नुकसान और पॉलिसी कवरेज की खामियां

नई दिल्ली  भारत में E20 फ्यूल को बढ़ावा देने की मुहिम अब कार मालिकों और बीमा कंपनियों के लिए नई चुनौती बनती जा रही है। पेट्रोल वाहनों के मेंटेनेंस खर्च पिछले दो महीनों में दोगुना हो गया है। अगस्त में यह खर्च 28% था, जो अक्टूबर में बढ़कर 52% तक पहुंच गया। यह जानकारी लोकलसर्कल्स के एक सर्वे में सामने आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले से ही महंगे पेट्रोल दामों से परेशान ग्राहकों पर इन बढ़े हुए खर्चों ने आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। कार मालिकों की प्रतिक्रिया सर्वे में कई वाहन मालिकों ने कहा कि अगर E20 फ्यूल को ऑप्शनल रखा जाए और इसकी कीमत 20% कम की जाए, तो वे इसका समर्थन करेंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह भावना पर्यावरण विरोधी नहीं है, बल्कि वाहन मालिकों पर अचानक थोपे गए बदलाव के कारण उत्पन्न हुई है। बीमा में नई समस्याएं बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि E20 फ्यूल के कारण होने वाले नुकसान अक्सर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी वाहन को E20 फ्यूल से नुकसान हुआ, तो इसे रासायनिक जंग या मैकेनिकल घिसावट माना जाता है, न कि दुर्घटना। ऐसे मामलों में बीमा कवरेज आमतौर पर लागू नहीं होता। हालांकि, अगर इंजेक्टर खराब होने से इंजन में आग लगती है, तो यह विवाद का मामला बन सकता है। स्पष्ट पॉलिसी की जरूरत विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा पॉलिसी में बदलाव की आवश्यकता है, ताकि इथेनॉल से जुड़े नुकसान और अपवादों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा सके। ऐसा न होने पर भविष्य में यह विवादों का कारण बन सकता है कि कौन-सा नुकसान बीमा में कवर होगा और कौन-सा नहीं।   सरकार का रुख केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि E20 फ्यूल पर आ रही शिकायतें गलत जानकारी पर आधारित हैं। सरकार का दावा है कि E20-कंपैटिबल वाहन 2023 से ही उपलब्ध हैं और इथेनॉल कार्यक्रम भारत के स्वच्छ ईंधन, कम आयात, और किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाता है। E20 फ्यूल में 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल होता है। इसे अप्रैल 2023 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ शहरों में शुरू किया गया था, और अब पूरे देश में लागू कर दिया गया है।  

भारत-मिस्र साझेदारी: इलेक्ट्रिक वाहनों और फिनटेक में दोनों देशों के लिए बड़ा फायदा

नई दिल्ली  एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत और मिस्र के बीच रणनीतिक वार्ता इलेक्ट्रिक वाहनों, खाद्य सुरक्षा, रक्षा, टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स में सहयोग की अपार संभावनाओं के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ाएगी। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वेस्ट एशियन स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर मुदस्सिर कमर को कोट करते हुए अरब न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों देशों के बीच स्टार्टअप्स, रिन्यूएबल एनर्जी, एआई, फिनटेक, इलेक्ट्रिक वाहन, खाद्य सुरक्षा आदि जैसे उभरते और विशिष्ट क्षेत्रों सहित संबंधों को बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश, ऊर्जा और रक्षा संबंध सहयोग के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। मिस्र खासकर स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र के माध्यम से स्थानीय बाजार की जरूरतों को पूरा करने और निर्यात का विस्तार करने के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा निवेश के लिए उत्सुक है, जो व्यापक निवेश प्रोत्साहन और विभिन्न कर और सीमा शुल्क छूट प्रदान करता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को दोनों देशों के बीच अपनी पहली रणनीतिक वार्ता के बाद कहा कि भारत और मिस्र स्टार्टअप्स, फिनटेक, साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोग बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मिस्र के विदेश मंत्री डॉ. बद्र अब्देलाती दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता की। विदेश मंत्री जयशंकर ने 2023 में भारत-मिस्र रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के बाद से गहन सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा, समुद्री और आतंकवाद-रोधी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने अरब न्यूज को बताया कि दोनों पक्ष डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फिनटेक, फार्मास्यूटिकल्स, स्टार्ट-अप और इनोवेशन के साथ-साथ रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश की संभावनाओं का पता लगाने पर सहमत हुए। स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र को भारतीय कंपनियों के लिए एक प्रमुख निवेश अवसर बताते हुए, मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलाती ने कहा कि यह अंतरमहाद्वीपीय राष्ट्र लाल सागर के उत्तर-पश्चिम में स्वेज की खाड़ी के किनारे एक भारतीय औद्योगिक क्षेत्र बनाने का इच्छुक है।

गरीबों के लिए खुशखबरी! सरकार ने दी 1.41 लाख नए घरों को मंज़ूरी, 14 राज्यों में बदलेगी किस्मत

नई दिल्ली शहरी गरीबों और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए राहत भरी खबर आई है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी 2.0 के अंतर्गत देश भर में 1.41 लाख नए मकानों के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। इस नई मंज़ूरी के साथ, अब तक इस योजना के तहत 10 लाख से अधिक घरों को स्वीकृति मिल चुकी है। यह पहल देश के उन लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है, जो लंबे समय से एक सुरक्षित और स्थायी छत का सपना देख रहे हैं। 14 राज्यों को मिला लाभ, सीएसएमसी ने दी स्वीकृति यह निर्णय हाल ही में आयोजित सेंट्रल सैंक्शनिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (CSMC) की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता आवास और शहरी मामलों के सचिव स्रीनिवास कटिकिथाला ने की। इस अहम बैठक में योजना की प्रगति की समीक्षा की गई और तय किया गया कि घरों के निर्माण कार्य को तेज़ी से पूरा किया जाए। जिन 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बार लाभ मिला है, उनमें शामिल हैं: असम, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पुदुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, मेघालय, हरियाणा, ओडिशा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश। सिर्फ घर नहीं, बेहतर जीवन का वादा सरकार का ध्यान केवल मकान बनवाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इन घरों के आसपास जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर — जैसे कि सड़कें, सार्वजनिक परिवहन, और संचार की सुविधाएं भी विकसित हों। इसका उद्देश्य है कि इन घरों में रहने वाले लोगों को सिर्फ छत नहीं बल्कि बेहतर जीवनशैली भी मिले। सचिव कटिकिथाला ने साफ तौर पर कहा कि मकानों के लिए ऐसे स्थान चुने जाएं जहाँ बुनियादी सुविधाएं पहले से उपलब्ध हों या जल्दी विकसित की जा सकें। इससे लाभार्थियों को जीवन यापन में सहूलियत होगी और उन्हें रोज़मर्रा की परेशानियों से नहीं जूझना पड़ेगा। PMAY-Urban 2.0: मकसद और दृष्टिकोण यह योजना केवल एक मकान देने की कोशिश नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम है। PMAY-Urban 2.0 का मूल उद्देश्य है कि शहरी इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके को एक स्थायी और सुरक्षित आवास मुहैया कराया जाए।  

दुबई की सड़कों पर AI की सख्ती, ट्रैफिक उल्लंघन पर तुरंत एक्शन

दुबई  एआई यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI – Artificial Intelligence) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग अलग-अलग काम के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब एक शहर में एआई का इस्तेमाल बिल्कुल ही हटके काम के लिए किया जाने वाला है। पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि कहाँ और कैसे होगा यह? आइए जानते हैं। दुबई में अब एआई रखेगा ट्रैफिक पर नज़र संयुक्त अरब अमीरात – यूएई के शहर दुबई में एआई का इस्तेमाल ट्रैफिक पर नज़र रखने के लिए किया जाएगा। दुबई में सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए एआई से चलने वाले इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम की शुरुआत की गई है। दुबई पुलिस ने ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए AI का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. दुबई की सड़कें अब अत्याधुनिक रडार तकनीक से लैस हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से छह अलग-अलग ट्रैफ़िक उल्लंघनों का पता लगाने में सक्षम हैं. KTC इंटरनेशनल नामक कंपनी ने इन रडार को बनाया है. इसकी मदद से ट्रैफिक कानूनों का सख्ती से पालन कराया जा सकेगा और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा. KTC इंटरनेशनल के CO इयाद अल बरकावी के मुताबिक ये रडार ड्राइव करते हुए मोबाइल फोन का उपयोग करना, अचानक लेन बदलना, सीट बेल्ट न पहनना, अनुचित लेन अनुशासन और विंडशील्ड पर अवैध रंग चढ़ाना जैसे उल्लंघनों की पहचान कर सकता है. शोर करने वाले वाहनों पर लगेगी लगाम रडार के साथ एक दूसरी AI तकनीक का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, जो व्हीकल के ज्यादा शोर का पता लगाना में सक्षम है, जिससे रडार की क्षमता और बढ़ गई है. अल बरकावी ने कहा, AI-संचालित रडार सटीकता के साथ उल्लंघनों की पहचान करता है, उदाहरण के लिए ये कम रोशनी में भी कपड़ों और सीट बेल्ट के बीच अंतर कर सकता है. कई तरह के उल्लंघनों पर लगेगी लगाम इसके अलावा ये रडार लेन डिसिप्लिन, डिस्ट्रेक्ट ड्राइविंग जैसे फोन चलाना, विंडो टिंटिंग के साथ-साथ फुटपाथ पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा का भी ख्याल रखेगा. जिसमें पैदल यात्रियों के लिए क्रॉसिंग पर वाहनों की निगरानी करना शामिल है. दुबई के शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ करते हुए, अल बरकावी ने कहा कि रडार का डिज़ाइन अमीरात के उन्नत सड़क नेटवर्क को और बेहतर करता है. उन्होंने कहा, “10 लेन तक के राजमार्गों के साथ ये सिस्टम व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं.” प्रभावी के साथ पॉर्टेबल भी यह रडार प्रभावी होने के साथ-साथ पॉर्टेबल भी है. इसे आसानी से बैरियर पर लगाया जा सकता है और पुलिस की जरूरत के हिसाब से कही भी ले जाया जा सकता है, जो ट्रैफिक कंट्रोल की बदलती जरूरतों के अनुकूल है. इस रडार को चार महीने के परीक्षण के बाद सड़कों पर तैनात किया है, कंपनी का दावा है कि ये सटीकता से उल्लंघनों का पता लगाता है. ये तो वक्त बताया कि ये दुबई के लिए कितना कारगर साबित होता है, अगर सब ही रहा तो ये दुनिया के अलग-अलग देशों में भी डिप्लॉय किया जा सकता है.

बीच समंदर दीवाली: INS विक्रांत और नौसेना के जज़्बे को सलाम बोले PM मोदी

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आईएनएस विक्रांत पर जवानों के साथ दिवाली सेलिब्रेट कर रहे हैं. उन्होंने अपने संबोधन में सोमवार को कहा कि इस साल स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर नौसेना कर्मियों के बीच दिवाली मनाकर वह खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. विमानवाहक पोत पर रात बिताने के अनुभव का जिक्र करते हुए, उन्होंने कर्मियों से कहा, "मैं कल से आपके बीच हूं और हर पल मैंने उस पल को जीने के लिए कुछ न कुछ सीखा है. आपका समर्पण इतना ऊंचा है कि मैं उसे जी तो नहीं पाया, लेकिन मैंने उसे अनुभव ज़रूर किया है. मैं कल्पना कर सकता हूं कि इस दौर से गुज़रना कितना मुश्किल रहा होगा." प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि रात में गहरे समुद्र और सुबह के सूर्योदय को देखना उनकी दिवाली को और भी खास बना देता है. उन्होंने कहा, "आज, एक तरफ मेरे पास अनंत क्षितिज, अनंत आकाश है, और दूसरी तरफ अनंत शक्तियों का प्रतीक यह विशालकाय आईएनएस विक्रांत है. समुद्र के पानी पर सूर्य की किरणों की चमक, बहादुर सैनिकों द्वारा जलाए गए दिवाली के दीयों जैसी है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "कुछ महीने पहले ही हमने देखा कि कैसे विक्रांत नाम से ही पूरे पाकिस्तान में दहशत की लहर दौड़ गई थी. ऐसी है इसकी ताकत- एक ऐसा नाम जो युद्ध शुरू होने से पहले ही दुश्मन के हौसले पस्त कर देता है. ये है INS विक्रांत की ताकत है. इस मौके पर, मैं विशेष रूप से हमारे सशस्त्र बलों को सलाम करना चाहता हूं." प्रधानमंत्री ने कहा कि नौसेना कर्मियों को देशभक्ति के गीत गाते और उनमें ऑपरेशन सिंदूर को दर्शाते हुए देखना, “युद्ध के मैदान में एक सैनिक जो महसूस करता है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता.” प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रांत को आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का बहुत बड़ा प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि जिस दिन देश को स्वदेशी आईएनएस विक्रांत मिला था, उसी दिन भारतीय नौसेना ने ग़ुलामी के एक बड़े प्रतीक चिन्ह का त्याग कर दिया था. भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से नया ध्वज अपनाया था. महासागर को चीरता हुआ स्वदेशी विक्रांत भारत की सैन्य क्षमता का प्रतिबिंब है. रक्षा में आत्मनिर्भरता पर जोर प्रधानमंत्री ने कहा कि सेनाओं के सशक्त होने के लिए उनका आत्मनिर्भर होना आवश्यक है. पिछले एक दशक से हमारी सेनाएँ तेज़ी से आत्मनिर्भरता की ओर आगे कदम बढ़ा रही हैं. हमारी सेनाओं ने हज़ारों वस्तुओं की लिस्ट बनाई है कि ये सामान बाहर से नहीं मँगाए जाएंगे. नतीजा यह हुआ कि सेना के लिए ज़रूरी ज़्यादातर सामान देश में ही तैयार हो रहा है. पीएम मोदी ने बताया कि 11 सालों में डिफेंस प्रोडक्शन तीन गुना से ज़्यादा हो गया है. उन्होंने कहा कि हर 40 दिन में एक युद्धपोत या पनडुब्बी भारतीय नौसेना में शामिल हो रही है. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि भारत दुनिया के टॉप डिफेंस निर्यातक देशों में शामिल होगा. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के कई देश ब्रह्मोस मिसाइल ख़रीदना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने जवानों के समर्पण की तारीफ़ करते हुए कहा कि उनका समर्पण इतनी ऊँचाई पर है कि मैं उसे जी नहीं पाया, लेकिन जान ज़रूर पाया. उन्होंने रक्षा स्टार्टअप की बड़ी भूमिका पर ज़ोर दिया और कहा कि हमारी स्वदेशी डिफ़ेंस इकाइयों और स्टार्टअप भी दम दिखा रहे हैं.  

नीरव मोदी के लंदन कोर्ट में बड़े खुलासे की तैयारी

मुंबई  लंदन की जेल में लगभग छह साल से बंद भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी ने चौंकाने वाला दावा किया है. नीरव मोदी ने कहा कि उनके खिलाफ चल रहे प्रत्यर्पण मामले में अगले महीने ‘सनसनीखेज खुलासे’ देखने को मिलेंगे. यह बयान उन्होंने लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में एक अलग कानूनी मामले की सुनवाई के दौरान दिया, जो बैंक ऑफ इंडिया के 80 लाख डॉलर के बकाया कर्ज से जुड़ा है. 54 वर्षीय हीरा कारोबारी नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 6,498 करोड़ के लोन घोटाले के आरोप में भारत को वॉन्टेड है. नीरव मोदी पीएनबी घोटाला सामने आने से पहले ही जनवरी 2018 में भारत से फरार हो गए थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की. उन्होंने अदालत में कहा, ‘वे मेरे प्रत्यर्पण की बात करते हैं… मैं अब भी यहां हूं. अगले महीने कुछ सनसनीखेज घटनाक्रम होंगे, और मैंने पहले कभी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया.’ नीरव ने इस सुनवाई में खुद को ही अपने वकील के रूप में पेश किया. अदालत में उन्होंने अपने हाथ से लिखे कई नोट्स से पढ़ते हुए दलीलें दीं. फटे पुराने सफेद टी-शर्ट और गुलाबी ट्रैक पैंट में नजर आए नीरव ने अपनी आंखों की कमजोरी और जेल में कंप्यूटर तक पहुंच न मिलने जैसी समस्याओं का हवाला देते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में मुकदमे की प्रक्रिया ‘अनुचित और असंतुलित’ है. उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि यह विरोधी प्रक्रिया है और वे (भारतीय बैंक) मेरे खिलाफ कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन वे बार-बार गलत धारणाएं बना रहे हैं. मैं उनसे कहूंगा कि जेल में एक दिन रहकर देखें, तब खुद ब खुद कॉमन सेंस आ जाएगा.’ नीरव ने कहा कि उन्हें ‘पूरी उम्मीद’ है कि या तो उन्हें बरी कर दिया जाएगा या जमानत मिल जाएगी, क्योंकि अदालत ने उनके पक्ष से प्रस्तुत ‘नए सबूत’ स्वीकार कर लिए हैं, जबकि ऐसे मामलों में यह बहुत दुर्लभ होता है. हालांकि, हाई कोर्ट के जज साइमन टिंकलर ने जेल में तकनीकी और चिकित्सकीय सीमाओं का हवाला देते हुए कार्यवाही पर रोक लगाने की नीरव मोदी की अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने यह जरूर कहा कि सुनवाई निष्पक्ष रहे, इसके लिए कंप्यूटर और दस्तावेजों की हार्ड कॉपी जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. जेल प्रशासन ने अदालत को आश्वासन दिया कि एक हफ्ते के भीतर नीरव को कंप्यूटर मुहैया कराया जाएगा. इस बीच, यूके की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने पुष्टि की है कि नीरव मोदी ने आधिकारिक रूप से अपने प्रत्यर्पण अपील को दोबारा खोलने का आवेदन दिया है. भारतीय एजेंसियों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया जमा कर दी है और सुनवाई नवंबर के अंत में निर्धारित की गई है. यह घटनाक्रम उस केस में नया मोड़ माना जा रहा है जो ब्रिटेन के होम ऑफिस द्वारा प्रत्यर्पण आदेश जारी होने के बाद लगभग ठंडा पड़ गया था. नीरव मोदी मार्च 2019 से लंदन की जेल में बंद हैं. इस दौरान उन्होंने कई बार जमानत की कोशिश की, लेकिन हर बार अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि वे ‘फ्लाइट रिस्क’ यानी फरार होने का खतरा हैं.  

सात समुद्र पार तक चमकी भारतीय दीवाली, विदेशी धरती पर भी बिखरी भारतीय संस्कृति की रोशनी

नई दिल्ली दीवाली 2025 अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में रोशनी और खुशियों का प्रतीक बन चुकी है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत और आशा की किरण का संदेश देता है। भारत में पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव – धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज – घरों, गलियों और बाजारों को दीपों से जगमगा देता है। नेपाल में ‘तिहार’ भारत की तरह ही नेपाल में इसे ‘तिहार’ के रूप में मनाया जाता है। यहां पहले दिन कौवों, दूसरे दिन कुत्तों और तीसरे दिन गाय की पूजा होती है। चौथे दिन लक्ष्मी पूजा और आखिरी दिन ‘भाई टीका’ का खास आयोजन किया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।   मलेशिया में ‘हरि दीपावली’ श्रीलंका और मॉरीशस में भी यह पर्व बेहद लोकप्रिय है। तमिल समुदाय और भारतीय मूल के लोग घरों को सजाकर, मिठाइयां बनाकर और दीये जलाकर दीपावली मनाते हैं। सिंगापुर और मलेशिया में हिंदू समुदाय के बीच दीवाली की झलक ‘लिटिल इंडिया’ की सड़कों पर रोशनी और सजावट के रूप में देखी जा सकती है। मलेशिया में इसे ‘हरि दीपावली’ कहा जाता है, जहां सुबह तेल स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। – फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना जैसे कैरेबियन देशों में भारतीय मूल के लोगों के कारण दीवाली बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है। – पश्चिमी देशों जैसे यूके, अमेरिका और कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय दीवाली परेड और सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। लीसेस्टर की दीवाली परेड विश्व की सबसे बड़ी मानी जाती है। – ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्थानीय सरकारें भी इन उत्सवों में भाग लेती हैं, जिससे दीवाली अब एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले चुकी है।

इस राज्य में बनेगी भारत की पहली AI सिटी, टेक्नोलॉजी और सुविधाओं में ग्लोबल मुकाबला

क्या आपने कभी ऐसे शहर की कल्पना की है जो पूरी तरह से AI से चले? केरल इस सपने को सच करने की दिशा में बढ़ रहा है। शनिवार को उद्योग मंत्री पी. राजीव ने इन्फोपार्क फेज 3 की योजना बताई, जिसे भारत की पहली AI कंट्रोल सिटी के रूप में तैयार किया जा रहा है। इन्फोपार्क फेज 3 को एक ऐसे शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां सभी जरूरी सेवाएं AI के जरिए चलेंगी। मंत्री पी. राजीव ने कहा, 'यह एक AI सिटी होगी, जहां स्मार्ट सुविधाएं और बुनियादी ढांचा AI की मदद से काम करेगा।' इस सिटी में सिटी ब्रेन नाम का एक खास सिस्टम होगा, जो शहर का मुख्य केंद्र होगा। यह सेंसर और कैमरों से जानकारी इकट्ठा करेगा, उसका एनालिसिस करेगा और शहर को सुचारू रूप से चलाएगा। यह सिस्टम समय के साथ और बेहतर होता जाएगा। AI सिटी में क्या सुविधाएं? यह भारत की पहली AI कंट्रोल सिटी होगी, जिसे विश्व स्तर का तकनीकी केंद्र बनाने की योजना है। यह नॉर्मल IT पार्क से अलग होगी, क्योंकि इसमें IT सुविधाओं के साथ-साथ रहने की जगह और बिजनेस एरिया भी होंगे। सभी काम AI की मदद से होंगे। इस सिटी में घर, स्कूल, अस्पताल, एक एम्फीथिएटर और मल्टी-लेवल पार्किंग जैसी सुविधाएं होंगी। एक डिजिटल प्लेटफॉर्म सभी सेवाओं को कंट्रोल करेगा, जो समस्याओं को जल्दी खोजेगा, उनका समाधान करेगा। AI सिटी में ये सब भी होगा यह सिटी पर्यावरण के लिए अनुकूल और कार्बन नेगेटिव होगी। AI की मदद से ट्रांसपोर्ट, वेस्ट मैनेजमेंट, बारिश के पानी को इकट्ठा करेगा और पानी का दोबारा इस्तेमाल होगा। इसके अलावा, एडवांस सर्विलांस सिस्टम से सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। AI तकनीक शहर की लंबी अवधि की योजना बनाने में भी मदद करेगी, ताकि यह भविष्य के लिए तैयार रहे। इतने रोजगार पैदा होंगे इस परियोजना का लक्ष्य केरल में वैश्विक टेक कंपनियों को आकर्षित करना है। कई बड़ी कंपनियां इस सिटी में अपने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर खोल सकती हैं। इस परियोजना में लगभग 25,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे 2 लाख प्रत्यक्ष और 6 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बनेंगे। यह केरल और पूरे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है।

भारत की पेंशन व्यवस्था संकट में, श्रमिकों के केवल एक-चौथाई को ही कवरेज

नई दिल्ली सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक स्थिरता और सम्मान बनाए रखने के लिए पेंशन आवश्यक है। सेवानिवृत्त लोगों को अक्सर कम होती कमाई क्षमता, बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत और मुद्रास्फीति के कारण वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए पेंशन के रूप में सुरक्षा कवच की आवश्यकता होती है। आर्थिक सर्वेक्षण 2025-26 के अनुसार, भारतीय पेंशन परिसंपत्तियाँ सकल घरेलू उत्पाद का केवल 17% हैं, जबकि कई उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में यह 80% तक है। वर्तमान में, भारत के केवल लगभग 12% कार्यबल ही औपचारिक पेंशन योजनाओं के अंतर्गत आते हैं। यह कवरेज भी असंगत है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र और संगठित निजी क्षेत्र के श्रमिकों को कई समानांतर योजनाओं के तहत सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके विपरीत, अनौपचारिक क्षेत्र के लिए एकमात्र सुरक्षा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और अटल पेंशन योजना के तहत स्वैच्छिक रूप से अपनाना है। वित्त वर्ष 2024 में इन दोनों योजनाओं का कुल जनसंख्या में लगभग 5.3% हिस्सा था। अनौपचारिक क्षेत्र को एकीकृत करें उल्लेखनीय है कि अनौपचारिक श्रम शक्ति का लगभग 85% देश के सकल घरेलू उत्पाद के आधे से ज़्यादा का उत्पादन कर रहा है। जैसे-जैसे बाज़ार विकसित होंगे, गिग अर्थव्यवस्था का और विस्तार होगा। पेंशन ढाँचे से उनका बहिष्कार न केवल एक नीतिगत खामी है, बल्कि एक आसन्न वित्तीय संकट भी है। 2050 तक, भारत का वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात बढ़कर 30% हो जाएगा। परिणामस्वरूप, 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त करने का भारत का मार्ग, काफी हद तक, वृद्धावस्था गरीबी के विरुद्ध भविष्य को सुरक्षित करने के हमारे प्रयासों पर निर्भर करेगा। वर्तमान में, पेंशन कवरेज का विस्तार उन मुद्दों के कारण बाधित है जो मापनीयता, संवेदनशीलता और स्थिरता से जुड़े हैं। पेंशन ढांचे से अनौपचारिक श्रमिकों को बाहर रखने का प्राथमिक कारण पेंशन योजनाओं की खंडित प्रकृति है। हालाँकि सरकार ने गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा शुरू की है, जो आंशिक रूप से एग्रीगेटर्स द्वारा वित्त पोषित है, यह अनौपचारिक क्षेत्र के केवल एक अंश को ही संबोधित करता है और पहले से ही जटिल जाल में एक और समानांतर योजना जोड़ता है। इसके विपरीत, अधिकांश परिपक्व अर्थव्यवस्थाओं में कई स्तरों वाला एक सुव्यवस्थित पेंशन पारिस्थितिकी तंत्र होता है जो पूरी आबादी की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है। उदाहरण के लिए, जापान 20 से 59 वर्ष की आयु के सभी निवासियों के लिए एक अनिवार्य फ्लैट-रेट अंशदायी योजना संचालित करता है, जिसमें स्व-नियोजित, किसान, सार्वजनिक और निजी कर्मचारी और उनके आश्रित शामिल हैं। इसी तरह, न्यूजीलैंड 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवासियों को 10 साल की निवास आवश्यकता के अधीन एक सार्वभौमिक, फ्लैट-रेट सार्वजनिक पेंशन प्रदान करता है

सोने की तस्करी का पर्दाफाश: मुंबई एयरपोर्ट से 1.2 किलो सोना बरामद, दो गिरफ्तार

मुंबई सीमा शुल्क विभाग की खुफिया एजेंसी डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने सोने की तस्करी के नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। 'ऑपरेशन गोल्डन स्वीप' के तहत कार्रवाई करते हुए मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विदेश का 1.2 किलोग्राम सोना जब्त किया गया। इस सोने की कीमत करीब 1.60 करोड़ रुपए बताई जा रही है। डीआरआई की मुंबई जोनल यूनिट (एमजेडयू) को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ अंतरराष्ट्रीय यात्री और हवाई अड्डे के अंदरूनी कर्मचारी मिलकर विदेशी सोने की तस्करी कर रहे हैं। सूचना के अनुसार, सोना विमान के अंदर छिपाया जाता था और बाद में एयरपोर्ट सर्विस स्टाफ द्वारा उसे निकालकर बाहर पहुंचाया जाता था। जानकारी के बाद डीआरआई अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर डिस्क्रीट सर्विलांस (गुप्त निगरानी) शुरू की। यात्रियों के उतरने के बाद जब सफाई कर्मचारी विमान की सफाई कर रहे थे, तभी डीआरआई अधिकारियों ने कुछ कर्मचारियों की व्यक्तिगत तलाशी शुरू की। इस दौरान, एक सफाईकर्मी घबराहट में एयरोब्रिज की सीढ़ियों पर चढ़ गया और एक पैकेट को कोने में छिपाकर वापस समूह में शामिल हो गया। डीआरआई टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सीढ़ियों के उस हिस्से की तलाशी ली, जहां से सफेद कपड़े में लिपटी मोम जैसी परत में छिपा सोने का पाउडर बरामद हुआ। जांच में पाया गया कि यह काम एयरपोर्ट की एक सेवा कंपनी के क्लीनिंग स्टाफ के टीम लीडर ने किया था। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि उसने तलाशी से बचने के लिए सोना छिपाया था। उसने आगे बताया कि विमान से सोना निकालने का काम उसके सुपरवाइजर ने किया था, जिसने उसे पैकेट सौंपा था। डीआरआई ने आरोपी की पहचान के आधार पर सुपरवाइजर को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों को पूछताछ के बाद कस्टम्स एक्ट 1962 के तहत गिरफ्तार किया गया है। जांच में खुलासा हुआ कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले यात्री विमान में ही विदेशी सोना छिपा कर छोड़ देते थे। बाद में एयरपोर्ट सर्विस स्टाफ के भरोसेमंद कर्मचारी विमान से सोना निकालकर एयरपोर्ट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी संभालते थे। डीआरआई अधिकारियों ने बताया कि ये मामला एक बार फिर इस बात को साबित करता है कि एयरपोर्ट के अंदरूनी कर्मचारियों की मिलीभगत से सोने की तस्करी कितनी संगठित रूप से की जा रही है। यह न केवल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव डालता है। डीआरआई ने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है।